सोमवार, 4 नवंबर 2019

पुलिस-वकील हिंसा में वाहनों को लगाई आग

नई दिल्ली। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में शनिवार को पुलिस और वकीलों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद वकील पुलिस के खिलाफ सड़कों और हिंसा पर उतर आए हैं। सोमवार को पुलिस और वकीलों के बीच कड़कड़डूमा कोर्ट में भी झड़प हुई और वकीलों ने एक पुलिसकर्मी को पीट दिया। मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों की वजह से मामला शांत हुआ। खबरों की मानें तो किसी मामूली बात को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि वकीलों ने कथित तौर पर वकील की पिटाई शुरू कर दी।


कड़कड़डूमा कोर्ट का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि वकीलों ने एक बार फिर साकेत कोर्ट में एक पुलिसकर्मी की पिटाई कर दी। साकेत कोर्ट के बाहर का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वकील एक बाइक सवार पुलिसकर्मी की पिटाई करते हुए नजर आ रहे हैं। जब पुलिसकर्मी ने वहां से भागने की कोशिश की तो एक शख्स ने पुलिसकर्मी पर हेलमेट फेंक दिया।


आपको बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी की छह जिला अदालतों – तीस हजारी, कड़कड़डूमा, साकेत, द्वारका, रोहिणी और पटियाला हाउस के वकील आज पूरे दिन हड़ताल पर हैं। वकीलों की हड़ताल के चलते आम जनता को भी अदालत परिसर में जाने नहीं दिया जा रहा है।


दरअसल तीस हजारी अदालत परिसर में शनिवार दोपहर वकीलों और पुलिस के बीच हिंसक झड़प हो गई थी जिसमें 21 पुलिस अधिकारी और आठ वकील घायल हो गए थे। हिंसा इस कदर बढ़ गई थी कि कई वाहनों को भी आग के हवाले कर दिया गया जिसमें 14 मोटरसाइकिलों और पुलिस की एक जिप्सी शामिल थी।


दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीस हजारी हिंसा के मामले में केंद्र, दिल्ली पुलिस आयुक्त और मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर उनसे इस संबंध में जवाब मांगा।घटना को लेकर मीडिया में आयी खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल की अध्यक्षता में एक पीठ ने मामले में तत्काल सुनवाई करने का फैसला भी किया गया है।


22 लाख का पेट्रोल, मैनेजर ने की आत्महत्या

गाज़ियाबाद(यूए)। जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। बता दें कि शहर के सिहानी गेट थाना क्षेत्र में दिल्ली रोड पर मोलटी गांव में एचपी का पेट्रोल पंप है। पंप पर 65 वर्षीय रामपाल निवासी मुजफ्फरपुर बिहार मैनेजर थे। रामपाल ने पंप पर ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। उनका सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। सुसाइड नोट में उन्होंने दो लोगों को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया है। जिनका नाम है सोमवीर तोमर और प्रमोद तोमर। बताया जा रहा है कि इन दोनों का किसी राजनीतिक पार्टी से संबंध है।


सुसाइड नोट में रामपाल ने दोनों नेताओं पर आरोप लगाया है कि इन्होंने पेट्रोल पंप से 20-22 लाख रुपये का पेट्रोल भरवाया लेकिन पैसे नहीं दिए। इसी बात से आहत होकर मैनेजर ने आत्महत्या कर ली। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और वहां से सुसाइड नोट बरामद कर लिया है। इसके साथ ही शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और मामले की जांच शुरू कर दी है।


चक्रवाती तूफान 'महा' लाएगा आंधी-तूफान

नई दिल्ली। महाराष्ट्र और गुजरात के कुछ हिस्सों में 6 से 8 नवंबर तक भारी बारिश हो सकती है। मौसम विभाग के मुताबिक, चक्रवाती तूफान 'महा' के कारण उत्तर कोंकण और दोनों राज्यों के उत्तर-मध्य क्षेत्रों में आंधी के साथ तेज बारिश होगी। मछुआरों को समुंदर में मछली पकड़ने के लिए नहीं जाने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही सभी जिलाधिकारियों को 'महा' के प्रभाव को कम करने के लिए उपाय करने को कहा गया है। मौसम विभाग के मुताबिक गुजरात के वेरावल तट के दक्षिण में 640 किमी दूर दक्षिण में 'महा' तूफान अपनी दिशा बदल सकता है। महा तूफान 6 नवंबर की सुबह गुजरात के तटीय क्षेत्र की ओर बढ़ सकता है। इस बीच, हवा की गति 60 से 70 किलोमीटर प्रति घंटा रहने की संभावना है। जिससे मूसलाधार बारिश हो सकती है।


बारिश और तेज हवाओं का अनुमान:दक्षिणी गुजरात और सौराष्ट्र के तटीय इलाकों में तेज हवाएं चल सकती हैं। हाल ही में क्यार चक्रावत की वजह से दक्षिण गुजरात और सौराष्ट्र के कई इलाकों में भारी बारिश हुई थी। जिसकी वजह से किसानों की फसल को काफी नुकसान हुआ।


मछुआरों से समुद्र किनारे ना जाने की अपील:गुजरात के किसानों को 'क्यार'तूफान के बाद अब 'महा' नामक चक्रवात का सामना करना पड़ सकता है। मौसम विभाग ने राज्य में एक बार फिर बारिश होने का अनुमान जताया है।


सभी दावेदारों के नाम दौड़ से बाहर

जिनके नाम दावेदारी में वह सभी हुये दौड़ से बाहर 
विनय कुमार अग्रवाल
ग्वालियर। भारतीय जनता पार्टी जिलाध्यक्ष को लेकर संगठन में मामला अब और उलझ गया हैं। उम्र 50 के फार्मूले के कारण मंडल अध्यक्ष से लेकर जिलाध्यक्ष पद के लिए पार्टी का जिला संगठन पार्टी के गठन के बाद पहली बार चकरघिन्नी हो रहा है। जिलाध्यक्ष के लिए पार्टी नेताओं के जो नाम लगातार सुर्खियों में थे, अब वह लाइन से बाहर होते जा रहे हैं। अब उम्र का फार्मूला अभी भी संगठन ने नहीं बदला तो पार्टी को किसी नौसिखिये को जिले की कमान मजबूरी में सौंपनी पड़ेगी। 
ज्ञांतव्य है कि भाजपा के राज्य संगठन ने अभी हाल ही में 50 वर्ष तक की उम्र के कार्यकर्ता को ही जिलाध्यक्ष की कमान सौंपने की प्लानिंग की है। जिसके कारण पार्टी के उम्रदराज हो चुके नेताओं के चेहरों की हवाईयां उड़ गई है। जिले के जो बड़े नेता अपने आपको जिले की कमान सम्हालने के योग्य मान रहे थे, सभी एक झटके में ही जिलाध्यक्ष की दौड़ से बाहर हो गये हैं। अभी तक पार्टी जिलाध्यक्ष के लिए जो नाम सबसे आगे चल रहे थे उनमे कमल माखीजानी, अशोक बांदिल, चंद्रप्रकाश गुप्ता, राकेश जादौन, अशोक जादौन, रामेश्वर भदौरिया, उदय अग्रवाल, शरद गौतम, पारस जैन, रामप्रकाश परमार, महेश उमरैया के नाम शामिल थे। लेकिन पार्टी संगठन द्वारा 50 वर्ष की उम्र तक के कार्यकर्ता को ही जिलाध्यक्ष बनाने के निर्णय से यह सभी नेता एक झटके में जिलाध्यक्ष की दौड़ से बाहर हो गये हैं।
अब 50 वर्ष तक की उम्र से कम भाजपा नेता की बात करें तो उसमे विनय जैन से लेकर कुछ नेता पुत्र ही प्रमुख रूप से सामने आते हैं, लेकिन इसमे से किसी को भी सीधे संगठन के जिलाध्यक्ष की कमान सौंपना संभव नहीं है। इसी कारण अब पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेन्द्र पाराशर की भी अब प्रदेश में सत्ता हटने से रौनक उड़ गई है। इसलिए वह अब ग्वालियर में जिलाध्यक्ष बनने की जुगत में हैं। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का दामन साधकर जिलाध्यक्ष पद की वैतरणी पार करने की प्लानिंग की है, ताकि निकट भविष्य में वह भितरवार सीट से भाजपा विधायकी की उम्मीदवारी हासिल कर सकें। कुल मिलाकर पार्टी संगठन का उम्र 50 का फार्मूला अब उन्हीं के लिये गले की हडडी बन गया हे। इसमें भाजपा के कुछ नेता अब अपनी उम्र का फर्जी प्रमाण बनवाने की ओर फेर में भी है, ताकि येन केन प्रकारेण कैसे भी जिलाध्यक्ष की कुर्सी हथियाई जा सकें। 
अब भाजपा में वैसे पारस जैन पी.डी. संस का नाम भी जिलाध्यक्ष के लिये दमदार दावेदार के रूप में सामने आ रहा है। उन्होंने भी केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से लेकर पूर्व मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, सांसद विवेक शेजवलकर और प्रभात झा तक से अपनी जुगलबंदी बिठा ली है। इसमें एक रोचक पहलू यह भी है कि पारस जैन पी.डी. संस के नाम का फायदा उठाकर मुरार के एक भाजपाई पारस जैन भी अध्यक्षी की कुर्सी पर ललचाई निगाह लगाये बैठे है। वह इकलौते केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह के सहारे ग्वालियर जैसे शहर का जिलाध्यक्ष बनना चाहते हैं।


खतरनाक है साधारण जुकाम

नाक, साइनस, गले या कंठनली (ऊपरी श्वसन तंत्र का संक्रमण (URI या URTI) का तीव्र संक्रमण शरीर के उन अंगों द्वारा वर्गीकृत किया जाता है जो इससे सर्वाधिक प्रभावित होते हैं। सामान्य ज़ुकाम मुख्य रूप से नासिका, फेरिंजाइटिस, श्वासनलिका को और साइनोसाइटिस, साइनस को प्रभावित करता है। यह लक्षण स्वयं वायरस द्वारा ऊतकों को नष्ट किए जाने से नहीं अपितु संक्रमण के प्रति हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया के कारण उत्पन्न होते हैं। संक्रमण को रोकने के लिए हाथ धोना मुख्य तरीका है। कुछ प्रमाण चेहरे पर मास्क पहनने की प्रभावकारिता का भी समर्थन करते हैं।


सामान्य ज़ुकाम के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसके लक्षणों का इलाज किया जा सकता है। यह, मनुष्यों में सबसे अधिक होने वाला संक्रामक रोग है। औसत वयस्क को प्रतिवर्ष दो से तीन बार ज़ुकाम होता है। औसत बच्चे को प्रतिवर्ष छह से लेकर बारह बार ज़ुकाम होता है। ये संक्रमण प्राचीन काल से मनुष्यों में होते आ रहे हैं।


संकेत एवं लक्षण 
कारण 
पैथोफिज़ियोलॉजी (रोग के कारण पैदा हुए क्रियात्मक परिवर्तन) 
रोग के लक्षण (रोग-निदान)
रोकथाम 
सामान्य ज़ुकाम के फैलाव को रोकने का एकमात्र प्रभावी तरीका इसके विषाणु को फैलने से रोकना ही है। इसमें मुख्यतः हाथ को धोना और चेहरे पर मास्क पहनना शामिल होता है। स्वास्थ्य रक्षा परिवेश में लम्बे चोंगे (गाउन) और उपयोग पश्चात फेंक दिए जाने वाले दस्ताने भी पहने जाते हैं। संक्रमित व्यक्तियों को अलग रखना इसमें संभव नहीं होता क्योंकि यह बीमारी बहुत व्यापक है और इसके लक्षण बहुत विशिष्ट नहीं होते। अनेक विषाणु इस बीमारी के कारक हो सकते हैं और उनमें बहुत ज़ल्दी-ज़ल्दी बदलाव होते रहते हैं इसलिए इस बीमारी में टीकाकरण भी कठिन सिद्ध हुआ है। व्यापक स्तर पर प्रभावशाली टीके विकसित कर पाने की संभावना बहुत कम है।


नियमित रूप से हाथ धोने से ज़ुकाम के विषाणुओं के संचरण को कम किया जा सकता है। यह बच्चों के बीच सबसे अधिक प्रभावी है। यह ज्ञात नहीं है कि सामान्य रूप से हाथ धोने के दौरान वायरसरोधी या बैक्टीरियारोधी पदार्थों के प्रयोग से हाथ धोने के लाभ बढ़ते हैं या नहीं[35] संक्रमित लोगों के आसपास रहने के दौरान मास्क पहनना लाभकारी होता है। यह निर्धारित करने के लिए पर्याप्त प्रमाण नहीं है कि अधिक शारीरिक और सामाजिक दूरी बनाना इसमें लाभकारी है या नहीं। ज़िंक अनुपूरण, किसी व्यक्ति में ज़ुकाम होने की आवृ्ति कम करने में प्रभावी हो सकता है। नियमित तौर पर लिया जाने वाला विटामिन सी पूरक सामान्य ज़ुकाम की गंभीरता या जोखिम को कम नहीं करता है। विटामिन सी ज़ुकाम की अवधि को कम कर सकता है।


धूल-कण से फेफड़े की रक्षा

गुड़ एक मीठा ठोस खाद्य पदार्थ है जो ईख, ताड़ आदि के रस को उबालकर कर सुखाने के बाद प्राप्त होता है। इसका रंग हल्के पीले से लेकर गाढ़े भूरे तक हो सकता है। भूरा रंग कभी-कभी काले रंग का भी आभास देता है। यह खाने में मीठा होता है। प्राकृतिक पदार्थों में सबसे अधिक मीठा कहा जा सकता है। अन्य वस्तुओं की मिठास की तुलना गुड़ से की जाती हैं। साधारणत: यह सूखा, ठोस पदार्थ होता है, पर वर्षा ऋतु जब हवा में नमी अधिक रहती है तब पानी को अवशोषित कर अर्धतरल सा हो जाता है। यह पानी में अत्यधिक विलेय होता है और इसमें उपस्थित अपद्रव्य, जैसे कोयले, पत्ते, ईख के छोटे टुकड़े आदि, सरलता से अलग किए जा सकते हैं। अपद्रव्यों में कभी कभी मिट्टी का भी अंश रहता है, जिसके सूक्ष्म कणों को पूर्णत: अलग करना तो कठिन होता हैं किंतु बड़े बड़े कण विलयन में नीचे बैठ जाते हैं तथा अलग किए जा सकते हैं। गरम करने पर यह पहले पिघलने सा लगता है और अंत में जलने के पूर्व अत्यधिक भूरा काला सा हो जाता है।


गुड़ का उपयोग मूलतः दक्षिण एशिया में किया जाता है। भारत के ग्रामीण इलाकों में गुड़ का उपयोग चीनी के स्थान पर किया जाता है। गुड़ लोहतत्व का एक प्रमुख स्रोत है और रक्ताल्पता (एनीमिया) के शिकार व्यक्ति को चीनी के स्थान पर इसके सेवन की सलाह दी जाती है। गुड़ के एक अन्य हिन्दी शब्द जागरी का प्रयोग अंग्रेजी में इसके लिए किया जाता है।कुछ लोगों द्वारा गुड़ को विशेष रूप से परिशुद्ध चीनी से अधिक पौष्टिक माना जाता है, परिशुद्ध चीनी के विपरीत, इसमें अधिक खनिज लवण होते है। इसके अतिरिक्त, इसकी निर्माण प्रक्रिया में रासायनिक वस्तुएं इस्तेमाल नहीं की जाती है। भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार गुड़ का उपभोग गले और फेफड़ों के संक्रमण के उपचार में लाभदायक होता है; साहू और सक्सेना ने पाया कि चूहों में गुड़ के प्रयोग से कोयले और सिलिका धूल से होने वाली फेफड़ों की क्षति को रोका जा सकता है। गांधी जी के अनुसार चूँकि गुड़ तेजी से रक्त में नही मिलता है इसलिए यह चीनी की तुलना में, अधिक स्वास्थ्यवर्धक है। वैसे, वह अपने स्वयं के व्यक्तिगत आहार में भी इसका प्रयोग करते थे साथ ही वह दूसरो को भी इसके प्रयोग की सलाह देते थे।


पीपल अथवा ग्रहपुष्पक वृक्ष

पीपल (अंग्रेज़ी: सैकरेड फिग, संस्कृत:अश्वत्थ) भारत, नेपाल, श्री लंका, चीन और इंडोनेशिया में पाया जाने वाला बरगद, या गूलर की जाति का एक विशालकाय वृक्ष है जिसे भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है तथा अनेक पर्वों पर इसकी पूजा की जाती है। बरगद और गूलर वृक्ष की भाँति इसके पुष्प भी गुप्त रहते हैं अतः इसे 'गुह्यपुष्पक' भी कहा जाता है। अन्य क्षीरी (दूध वाले) वृक्षों की तरह पीपल भी दीर्घायु होता है। इसके फल बरगद-गूलर की भांति बीजों से भरे तथा आकार में मूँगफली के छोटे दानों जैसे होते हैं। बीज राई के दाने के आधे आकार में होते हैं। परन्तु इनसे उत्पन्न वृक्ष विशालतम रूप धारण करके सैकड़ों वर्षो तक खड़ा रहता है। पीपल की छाया बरगद से कम होती है, फिर भी इसके पत्ते अधिक सुन्दर, कोमल और चंचल होते हैं। वसंत ऋतु में इस पर धानी रंग की नयी कोंपलें आने लगती है। बाद में, वह हरी और फिर गहरी हरी हो जाती हैं। पीपल के पत्ते जानवरों को चारे के रूप में खिलाये जाते हैं, विशेष रूप से हाथियों के लिए इन्हें उत्तम चारा माना जाता है। पीपल की लकड़ी ईंधन के काम आती है किंतु यह किसी इमारती काम या फर्नीचर के लिए अनुकूल नहीं होती। स्वास्थ्य के लिए पीपल को अति उपयोगी माना गया है। पीलिया, रतौंधी, मलेरिया, खाँसी और दमा तथा सर्दी और सिर दर्द में पीपल की टहनी, लकड़ी, पत्तियों, कोपलों और सीकों का प्रयोग का उल्लेख मिलता है। पीपल देववृक्ष है, इसके सात्विक प्रभाव के स्पर्श से अन्त: चेतना पुलकित और प्रफुल्लित होती है। स्कन्द पुराण में वर्णित है कि अश्वत्थ (पीपल) के मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं।[क] पीपल भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत:मूर्तिमान स्वरूप है। भगवान कृष्ण कहते हैं- समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ।[ख] स्वयं भगवान ने उससे अपनी उपमा देकर पीपल के देवत्व और दिव्यत्व को व्यक्त किया है। शास्त्रों में वर्णित है कि पीपल की सविधि पूजा-अर्चना करने से सम्पूर्ण देवता स्वयं ही पूजित हो जाते हैं।[ग] पीपल का वृक्ष लगाने वाले की वंश परम्परा कभी विनष्ट नहीं होती। पीपल की सेवा करने वाले सद्गति प्राप्त करते हैं। पीपल वृक्ष की प्रार्थना के लिए अश्वत्थस्तोत्र में पीपल की प्रार्थना का मंत्र भी दिया गया है। [घ] प्रसिद्ध ग्रन्थ व्रतराज में अश्वत्थोपासना में पीपल वृक्ष की महिमा का उल्लेख है। अश्वत्थोपनयनव्रत में महर्षि शौनक द्वारा इसके महत्त्व का वर्णन किया गया है। अथर्ववेदके उपवेद आयुर्वेद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है। पीपल के वृक्ष के नीचे मंत्र, जप और ध्यान तथा सभी प्रकार के संस्कारों को शुभ माना गया है। श्रीमद्भागवत् में वर्णित है कि द्वापर युग में परमधाम जाने से पूर्व योगेश्वर श्रीकृष्ण इस दिव्य पीपल वृक्ष के नीचे बैठकर ध्यान में लीन हुए। यज्ञ में प्रयुक्त किए जाने वाले 'उपभृत पात्र' (दूर्वी, स्त्रुआ आदि) पीपल-काष्ट से ही बनाए जाते हैं। पवित्रता की दृष्टि से यज्ञ में उपयोग की जाने वाली समिधाएं भी आम या पीपल की ही होती हैं। यज्ञ में अग्नि स्थापना के लिए ऋषिगण पीपल के काष्ठ और शमी की लकड़ी की रगड़ से अग्नि प्रज्वलित किया करते थे। ग्रामीण संस्कृति में आज भी लोग पीपल की नयी कोपलों में निहित जीवनदायी गुणों का सेवन कर उम्र के अंतिम पडाव में भी सेहतमंद बने रहते हैं।


हरसिंगार के गुण व लाभ

प्राजक्ता एक पुष्प देने वाला वृक्ष है। इसे हरसिंगार, शेफाली, शिउली आदि नामो से भी जाना जाता है। इसका वृक्ष 10 से 15 फीट ऊँचा होता है। इसका वानस्पतिक नाम 'निक्टेन्थिस आर्बोर्ट्रिस्टिस' है। पारिजात पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। इसके फूल, पत्ते और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है। यह पूरे भारत में पैदा होता है। यह पश्चिम बंगाल का राजकीय पुष्प है।यह 10 से 15 फीट ऊँचा और कहीं 25-30 फीट ऊँचा एक वृक्ष होता है और पूरे भारत में विशेषतः बाग-बगीचों में लगा हुआ मिलता है। विशेषकर मध्यभारत और हिमालय की नीची तराइयों में ज्यादातर पैदा होता है। इसके फूल बहुत सुगंधित, सफेद और सुन्दर होते हैं जो रात को खिलते हैं और सुबह मुरझा कर गिर जाते हैं।


विभिन्न भाषाओं में नाम : संस्कृत- शेफालिका। हिन्दी- हरसिंगार। मराठी- पारिजातक। गुजराती- हरशणगार। बंगाली- शेफालिका, शिउली। असमिया- शेवालि। तेलुगू- पारिजातमु, पगडमल्लै। तमिल- पवलमल्लिकै, मज्जपु। मलयालम - पारिजातकोय, पविझमल्लि। कन्नड़- पारिजात। उर्दू- गुलजाफरी। इंग्लिश- नाइट जेस्मिन। मैथिली- सिंघार, सिंगरहार |


गुण:-यह हलका, रूखा, तिक्त, कटु, गर्म, वात-कफनाशक, ज्वार नाशक, मृदु विरेचक, शामक, उष्णीय और रक्तशोधक होता है। सायटिका रोग को दूर करने का इसमें विशेष गुण है।


रासायनिक संघटन : इसके फूलों में सुगंधित तेल होता है। रंगीन पुष्प नलिका में निक्टैन्थीन नामक रंग द्रव्य ग्लूकोसाइड के रूप में 0.1% होता है जो केसर में स्थित ए-क्रोसेटिन के सदृश्य होता है। बीज मज्जा से 12-16% पीले भूरे रंग का स्थिर तेल निकलता है। पत्तों में टैनिक एसिड, मेथिलसेलिसिलेट, एक ग्लाइकोसाइड (1%), मैनिटाल (1.3%), एक राल (1.2%), कुछ उड़नशील तेल, विटामिन सी और ए पाया जाता है। छाल में एक ग्लाइकोसाइड और दो क्षाराभ होते हैं।


उपयोग:-हरसिंगार की पत्तियाँ व टहनी
इस वृक्ष के पत्ते और छाल विशेष रूप से उपयोगी होते हैं। इसके पत्तों का सबसे अच्छा उपयोग गृध्रसी (सायटिका) रोग को दूर करने में किया जाता है।


विधि: हरसिंगार के ढाई सौ ग्राम पत्ते साफ करके एक लीटर पानी में उबालें। जब पानी लगभग 700 मिली बचे तब उतारकर ठण्डा करके छान लें, पत्ते फेंक दें और 1-2 रत्ती केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें। इस पानी को दो बड़ी बोतलों में भरकर रोज सुबह-शाम एक कप मात्रा में इसे पिएँ। ऐसी चार बोतलें पीने तक सायटिका रोग जड़ से चला जाता है। किसी-किसी को जल्दी फायदा होता है फिर भी पूरी तरह चार बोतल पी लेना अच्छा होता है। इस प्रयोग में एक बात का खयाल रखें कि वसन्त ऋतु में ये पत्ते गुणहीन रहते हैं अतः यह प्रयोग वसन्त ऋतु में लाभ नहीं करता।


चिंपैंजी के विकास पर शोध

 चिंपांज़ी (डिसएम्बिगेशन) और चिम्प (डिसएम्बिगेशन)।
चिंपैंजी ( पान ट्रगलोडाइट्स ), जिसे आम चिंपांज़ी , मजबूत चिंपांज़ी या बस " चिम्प " के रूप में भी जाना जाता है, उष्णकटिबंधीय अफ्रीका के जंगलों और सवानाओं के लिए महान वान मूल का एक प्रजाति है। इसमें चार पुष्टियाँ उप-प्रजातियाँ और पाँचवीं प्रस्तावित उप-प्रजातियाँ हैं। चिंपांज़ी और बारीकी से संबंधित बोनोबो (जिसे कभी-कभी "पैग्मी चिंपांज़ी" कहा जाता है) को जीनस पैन में वर्गीकृत किया जाता है।


चिंपांज़ी मोटे काले बालों में ढँकी होती है, लेकिन उसके नंगे चेहरे, उंगलियाँ, पैर की उंगलियाँ, हाथों की हथेलियाँ और पैर के तलवे होते हैं। यह बोनोबो की तुलना में अधिक बड़ा और अधिक मजबूत है, पुरुषों के लिए 40-60 किलोग्राम (88-132 पौंड) और महिलाओं के लिए 27-50 किलोग्राम (60-110 पौंड) और 100 से 140 सेमी (3.3 से 4.6 फीट) तक है। इसकी गर्भावधि अवधि आठ महीने है। शिशु लगभग तीन साल का है, लेकिन आमतौर पर वह अपनी मां के साथ कई वर्षों तक घनिष्ठ संबंध बनाए रखता है। चिंपांजी उन समूहों में रहता है जो आकार में 15 से 150 सदस्यों तक होते हैं, हालांकि व्यक्ति दिन के दौरान बहुत छोटे समूहों में यात्रा करते हैं और उनका पीछा करते हैं। प्रजाति एक सख्त पुरुष-प्रधान पदानुक्रम में रहती है, जहां आमतौर पर विवादों को हिंसा की आवश्यकता के बिना सुलझाया जाता है। लगभग सभी चिंपांज़ी आबादी को उपकरण का उपयोग करते हुए दर्ज किया गया है, लाठी, चट्टानों, घास और पत्तियों को संशोधित करते हुए और उन्हें शिकार और प्राप्त करने के लिए शहद, दीमक, चींटियों, नट और पानी का उपयोग करते हुए। प्रजाति को छोटे स्तनधारियों को पालने के लिए नुकीली छड़ें बनाते हुए भी पाया गया है।


चिंपांज़ी IUCN रेड लिस्ट में लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध है। 170,000 और 300,000 व्यक्तियों के बीच इसकी सीमा का अनुमान है। चिंपैंजी के लिए सबसे बड़ा खतरा निवास नुकसान, अवैध शिकार और बीमारी है। चिंपांज़ी पश्चिमी लोकप्रिय संस्कृति में रूढ़िवादी विदूषक के रूप में दिखाई देते हैं, और चिंपाज़ियों की चाय पार्टियों , सर्कस कृत्यों और स्टेज शो जैसे मनोरंजन में दिखाई देते हैं। उन्हें कभी-कभी पालतू जानवरों के रूप में रखा जाता है, हालांकि उनकी ताकत और आक्रामकता उन्हें इस भूमिका में खतरनाक बनाती है। कुछ सैकड़ों को अनुसंधान के लिए प्रयोगशालाओं में रखा गया है, विशेष रूप से अमेरिका में। सीमित सफलता के साथ चिम्पांजी को अमेरिकी सांकेतिक भाषा जैसी भाषाएं सिखाने के लिए कई प्रयास किए गए हैं; उदाहरण के लिए, वाक्य अधिक प्रशिक्षण के साथ लंबाई में नहीं बढ़ते हैं।


पक्षियों का असाधारण ऋतु परिवर्तन

स्थानीय प्रव्रजन 
कुछ चिड़ियाँ देश के अंदर ही एक भाग से दूसरे भाग में स्थानपरिवर्तन करती हैं, जैसे शाह बुलबुल या दुधणजु (paradise flycatcher), सुनहरा पोलक (golden oriole) और नौरंग (pitta)। यह स्थानीय प्रव्रजन देश के उत्तरी भाग या पहाड़ों की तलहटी में अधिक होता है, जहाँ भूमध्यरेखा की अपेक्षा ऋतुपरिवर्तन अत्यधिक प्रभावकारी होता है। वास्तविक प्रव्रजन करनेवाली चिड़ियों की भाँति इनमें भी प्रव्रजन क्रमिक और नियमित होता है। देश के किसी भाग में कोई जाति ग्रीष्म ऋतु में, कोई जाति बरसात में और कोई जाति शरद् में आगमन करती है। इसके अतिरिक्त एक अन्य प्रकार का भी स्थानपरिवर्तन बराबर होता रहता है, जो आहार पर प्रभाव डालनेवाली स्थानीय परिस्थितियों, जैसे गर्मी, सूखा या बाढ़ इत्यादि, अथवा किसी विशेष प्रकार के फूल लगने और फल पकने की ऋतु, के कारण होता है। उस समय चिड़ियाँ एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चली जाती हैं।


असाधारण स्थानीय प्रव्रजन
कभी-कभी असाधारण परिस्थितियों से बाध्य होकर अपने उपयुक्त निवासस्थान की छोड़कर भोजन की तलाश में चिड़ियाँ किसी अन्य क्षेत्रों में भी भ्रमण करती हुई पाई जाती हैं। अतएव किसी क्षेत्र में किसी भी समय में पक्षियों की जनसंख्या स्थायी नहीं रहती, क्योंकि सभी क्षेत्रों में पक्षियों का आगमन और निर्यमन सर्वदा होता रहता है।


ऊँचाई संबंधी प्रव्रजन (Altitudinal Migration) 
हिमालय के ऊँचे पहाड़ों में रहनेवाली चिड़ियाँ जाड़े में नीचे उतर आती है और इस प्रकार तूफानी मौसम और हिमरेखा से नीचे चली आती है। वसंत के आगमन पर जब बरफ गलने लगती है और हिमरेखा ऊपर की ओर बढ़ जाती है, तब वे अंडे देने के लिए पहाड़ों के ऊपरी भाग में पुन: चढ़ जाती हैं। यह क्रम केवल ऊँचाई में रहनेवाले पक्षियों में ही नहीं वरन् नीचे रहनेवाली चिड़ियों में भी चलता रहता है।


चिड़ियों के प्रव्रजन का वैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त करने के अतिरिक्त प्रकार के अवलोकनों के लिए भी ब्रिटेन तथा अमरीका में बहुसंख्यक चिड़ियों के पैर में ऐल्यूमिनियम की हल्की और अंकित अंगूठियां पहना दी जाती है। यह विधि अमरीका में पक्षिवलयन (birdringing) अथवा पक्षिपटबंधन (bird banding) कहलाती है। इसमें क्रमसंख्या के अतिरिक्त स्थान का पता भी अंकित रहता है। चिड़ियों को अँगूठी पहनाकर उनका पूर्ण विवरण एक पुस्तिका में लिख कर उन्हें छोड़ दिया जाता है। अब इन चिड़ियों के सुदूर स्थानों पहुँचने पर इन्हें मारकर अथवा फँसाकर इनकी अंगूठी उतार ली जाती है और ये जिस स्थान से उड़ी थीं, उस पते पर भेज दी जाती है। जब काफी संख्या में इस प्रकार की तालिका इकट्ठी हो जाती है तब इन तालिकाओं का विश्लेषण करके उसके आधार पर किसी विशेष जाति की चिड़िया के प्रव्रजन के मार्ग अथवा अन्य किसी समस्या का हल निर्धारित किया जाता है। अतएव पश्चिमी जर्मनी और पूर्वी प्रशा में श्वेत बक के बलयन के फलस्वरूप यह निश्चित और नि:संदिग्ध रूप से स्थापित हो चुका है कि पूर्वी एशिया की चिड़ियाँ दक्षिण-पूर्वी मार्ग से बालकन होती हुई अफ्रीका का भ्रमण करती है, जबकि पश्चिम जर्मनी के श्वेत बक दक्षिण पश्चिमी मार्ग से स्पेन होकर अफ्रीका जाते हैं। बीकानेर में इसी प्रकार की अँगूठीधारी चिड़ियों के प्राप्त होने से हमें पता चला है कि कुछ श्वेत बक जो हमारे देश में, शरद् ऋतु में, आते हैं, वे जर्मनी के होते हैं। भारत में इस प्रकार का पक्षिवलयन का कार्य बहुत थोड़ा हुआ है। किंतु जितना कुछ हुआ है उससे प्राप्त सूचनाएँ बहुत ही महत्वपूर्ण और उपयोगी सिद्ध हुई हैं।


प्रव्रजन के समय उड़ान की ऊँचाई और गति 
प्रव्रजन करनेवाली चिड़ियों की गति विभिन्न चिड़ियों में विभिन्न होती है और यह गति कई बातों, जैसे वायु की दिशा, मौसम इत्यादि पर निर्भर करती है। बतखों और हंसों में उड़ान की गति (cruising speed) 64 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे पाई गई है और अनुकूल मौसम में यह गति 90 से 97 किलोमीटर या इससे अधिक पाई गई है। दिन रात निरंतर उड़कर यात्रा करनेवाली चिड़ियों में यह गति 9.5 से 17.7 किलोमीटर प्रति घंटा होती है। निम्नलिखित सारणी से यह अनुमान किया जा सकता है कि एक बार की उड़ान की दूरी कितनी हो सकती है!


असुविधा में यज्ञ का निदान

गतांक से...
 जब ऋषि ने ऐसा वर्णन किया तो यग दत्त ब्रह्मचारी ने कहा, कहीं ऐसा हो जल ही न प्राप्त हो तो हम कैसे यज्ञ करें? उन्होंने कहा कि जब जल ही नहीं है तो पृथ्वी के रसों को ले करके उसको परो क्षण करो और जैसे यज्ञ की यज्ञशाला में सर्वत्र देवताओं का पूजन करता है, उसका अर्थ ही एक पूजन है और वह देव पूजा करता रहता है, तो हम अपने में वृवको: संभवप्रव्हे' मानो उसी में हम रात हो जाएं तो जो हूत करने वाला अग्रणीय बन रहा है! मेरे प्यारे ऋषि कहता है 'याज्ञम भू अब्रव्हे, ब्रह्म: ब्रहे कृतम् देवा:, मानो यज्ञ करना है यदि राज्य से हम यज्ञ करें तो उसे पृथ्वी में परोक्षण करते चले जाए! उन्होंने कहा यदि यह सुविधा भी नहीं प्राप्त हो, तो जल भी आपोमयी है! यह पृथ्वी के कण भी प्राप्त न हो तो तुम हृदय से यज्ञ करो, शांत मुद्रा में विद्यमान हो एकता में मंत्रों से अपने में परोक्षण करते रहो! प्राण की आहुति प्राण को प्रदान करते रहो, व्यान को आहुति व्यान में प्रविष्ट हो रही है! सामान की संपूर्ण आहुति समानता में लाने को तत्पर है! व्यानाय प्राण भी इसी में रहता है! सामान्य प्राण इसकी आभा के लिए हुए रहते हैं! बेटा यह कैसा विचित्र जगत है, यह कैसी विचित्रता? मानव एक दूसरे से कटिबद्ध है, माला है और सार्थक माला बनकर के हृदय में प्रविष्ट हो जाती है! मेरे प्यारे विचार देते हुए मानव अपना मंतव्य अवश्य प्रकट करता है! इसलिए आज मैं तुम्हें यह वाक्य प्रकट करने के लिए आया हूं कि हम अपने जीवन में एक महानता को जन्म देने वाले बने! हम एक महानता की प्रतिभा में रत हो जाए! ऐसा जब ऋषि ने वर्णन किया तो ब्रह्मचारी अपने आसनों पर निहित हो गये, तो मेरे प्यारे मुझे स्मरण आता रहता है कि यह ऐसा क्यों है,देखो इसका एक दूसरे से तारम्य लगा रहता है एक दूसरे से कटिबद्ध रहता है! इसलिए माला है और उस माला को धारण करने वाले अपने मानत्व में रत हो जाते हैं! मैं इस संदर्भ में विशेषता में ले जाना नहीं चाहता हूं! विचार केवल यह है कि हमारा जीवन महानता की वेदी पर रमण करना चाहिए! ताकि हमारे जीवन में एक महानता की उपलब्धि हो जाए! देखो हम जितना भी खादान-खादम वर्णित करते रहते हैं! उसमें कुछ न कुछ जगत की दशा परिवर्तित होती जा रही है! मैं विशेष चर्चा में प्रकट करने नहीं आया हूं! विचार केवल यह है कि मुनिवरो, देखो याज्ञिक बनना चाहिए और यज्ञ में होना चाहिए! यज्ञ अपनी आभा में सदैव रहता है और यज्ञ करने वाला मृत्युंजय ब्रव्हे कृतम देवा:, वह मृत्यु को प्राप्त नहीं होता है वह मृत्युंजय बन जाता है! वह मृत्यु को अपने में धारण करता हुआ सागर से पार होने का प्रयास करता है! यज्ञ से संबंध में तो बहुत कुछ विचार आते रहते हैं! परंतु अब मेरे प्यारे महानंद जी दो शब्द उच्चारण करेंगे!


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


नवंबर 05, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-91 (साल-01)
2. मंगलवार, नवंबर 05, 2019
3. शक-1941, कार्तिक-शुक्ल पक्ष, तिथि- नंवमी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:28,सूर्यास्त 05:41
5. न्‍यूनतम तापमान -16 डी.सै.,अधिकतम-23+ डी.सै., हवा की गति बढ़नेे की संभावना रहेगी।
6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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 (सर्वाधिकार सुरक्षित


 


शनिवार, 2 नवंबर 2019

विधानसभा के चुनाव जिस तरह से भाजपा

चण्डीगढ़ ! हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा 75 पार के नारे से 40 पर आकर अटकी है!


चण्डीगढ़ ;- हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में जिस तरह से भाजपा 75 पार के नारे से 40 पर आकर अटकी है। उसका सीधा ठिकड़ा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला की कार्यप्रणाली से जोड़ा जा रहा है!मिली जानकारी के अनुसार भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सुभाष बराला के कार्य से प्रसन्न नहीं है। वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि बराला की प्रदेश संगठन पर पकड़ कमजोर होती दिखाई दी थी। जिसके कारण भाजपा पूर्ण बहुमत में ना आकर अल्पमत से सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। यदि यह कहें कि आज भाजपा सरकार जेजेपी की बैसाखियों पर खड़ी हुई है। इसमें भी कोई दो राय नहीं जब भी भाजपा पार्टी ने जेजेपी पार्टी की किसी भी बात को नजरअंदाज किया तो उसी दिन हरियाणा में भाजपा की सरकार टूट सकती है। भाजपा को मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के नेतृत्व में इस बार पुर्ण बहुमत नहीं मिला। विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक जीत न मिलने के बाद अब पार्टी के प्रदेश संगठन में बदलाव तय है। चौथी बार चुनाव लड़े सुभाष बराला खुद टोहाना विधानसभा क्षेत्र से अपना चुनाव हार गए। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष के नाते सुभाष बराला के प्रदर्शन से कतई खुश नहीं है, इसलिए दिसंबर में होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले हरियाणा के भाजपा संगठन में बदलाव तय माना जा रहा है। इस बार के चुनाव में भाजपा ने 75 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था। तमाम प्रयासों के बावजूद भाजपा 40 सीटों पर आकर ठहर गई। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही सार्वजनिक तौर पर प्रदेश संगठन की खिंचाई नहीं कर रहे, लेकिन दोनों शीर्ष नेताओं ने इस निराशाजनक प्रदर्शन पर नाराजगी जाहिर की है। राष्ट्रीय नेतृत्व की नाराजगी के कारण अब नए प्रदेश अध्यक्ष पद की लाबिंग शुरू हो गई। सुभाष बराला नवंबर 2014 में हरियाणा भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बने थे। जनवरी 2015 में उन्होंने पूरी तरह से कार्यभार संभाल लिया था। गैर जाट चेहरे के रूप में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और जाट अध्यक्ष के नाते सुभाष बराला की जोड़ी पूरे समय खूब जमी। मुख्यमंत्री हालांकि इस बार भी सुभाष बराला की प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पैरवी कर सकते हैं, क्योंकि जजपा संयोजक के नाते दुष्यंत चौटाला जिस तरह भाजपा सरकार में साझीदार हैं। हालांकि यह देखते हुए भाजपा इस बार जाट के बजाय किसी गैर जाट खासकर पिछड़े, दलित अथवा ब्राह्मण वर्ग से नया प्रदेश अध्यक्ष दे सकती है। भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है। वह दोबारा फिर तीन साल के लिए रिपीट किया जा सकता है। सुभाष बराला का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। ऐसे में उन्हें बदला जाना तय है। जाट चेहरे के रूप में भाजपा के पास पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु हैं। दोनों ही चुनाव हार गए हैं। भाजपा ने यदि पिछड़ा वर्ग को संगठन में अहमियत दी तो पूर्व स्पीकर एवं जगाधरी से चुनाव जीते कंवरपाल गुर्जर को अध्यक्ष पद का ताज सौंपा जा सकता है। कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी भी मुख्यमंत्री की पसंद हैं। दोनों की कार्य प्रणाली से सीएम खुश हैं। दलित चेहरे के रूप में भाजपा के पास तेज तर्रार मंत्री रह चुके कृष्ण कुमार बेदी हैं। जाट दलित गठजोड़ में बेदी भाजपा का बड़ा चेहरा बन सकते हैं।
दक्षिण हरियाणा में पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश
दक्षिण हरियाणा में इस बार भाजपा 11 सीटें में से तीन हार गई है। यहां भाजपा के मजबूत चेहरे मनीष यादव भी चुनाव हार गए। इसलिए यदि भाजपा ने यादवों को महत्व दिया तो मौजूदा प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद यादव और प्रांतीय प्रवक्ता वीर कुमार यादव में से किसी को जिम्मेदारी मिल सकती है। भाजपा में एक वर्ग प्रदेश अध्यक्ष के पद पर ब्राह्मणों को प्रतिनिधित्व देने की मांग कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा का नाम सबसे ऊपर आ सकता है। इतना तय है कि नए अध्यक्ष के चयन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पसंद का पूरी तरह से ख्याल रखा जाएगा।


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उसका सीधा ठिकड़ा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला की कार्यप्रणाली से जोड़ा जा रहा है!मिली जानकारी के अनुसार भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सुभाष बराला के कार्य से प्रसन्न नहीं है। वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि बराला की प्रदेश संगठन पर पकड़ कमजोर होती दिखाई दी थी। जिसके कारण भाजपा पूर्ण बहुमत में ना आकर अल्पमत से सरकार बनाने का प्रयास कर रही है। यदि यह कहें कि आज भाजपा सरकार जेजेपी की बैसाखियों पर खड़ी हुई है। इसमें भी कोई दो राय नहीं जब भी भाजपा पार्टी ने जेजेपी पार्टी की किसी भी बात को नजरअंदाज किया तो उसी दिन हरियाणा में भाजपा की सरकार टूट सकती है! भाजपा को मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के नेतृत्व में इस बार पुर्ण बहुमत नहीं मिला। विधानसभा चुनाव में उम्मीद के मुताबिक जीत न मिलने के बाद अब पार्टी के प्रदेश संगठन में बदलाव तय है। चौथी बार चुनाव लड़े सुभाष बराला खुद टोहाना विधानसभा क्षेत्र से अपना चुनाव हार गए। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष के नाते सुभाष बराला के प्रदर्शन से कतई खुश नहीं है, इसलिए दिसंबर में होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले हरियाणा के भाजपा संगठन में बदलाव तय माना जा रहा है! इस बार के चुनाव में भाजपा ने 75 से अधिक विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था। तमाम प्रयासों के बावजूद भाजपा 40 सीटों पर आकर ठहर गई। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही सार्वजनिक तौर पर प्रदेश संगठन की खिंचाई नहीं कर रहे, लेकिन दोनों शीर्ष नेताओं ने इस निराशाजनक प्रदर्शन पर नाराजगी जाहिर की है। राष्ट्रीय नेतृत्व की नाराजगी के कारण अब नए प्रदेश अध्यक्ष पद की लाबिंग शुरू हो गई! सुभाष बराला नवंबर 2014 में हरियाणा भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बने थे। जनवरी 2015 में उन्होंने पूरी तरह से कार्यभार संभाल लिया था। गैर जाट चेहरे के रूप में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और जाट अध्यक्ष के नाते सुभाष बराला की जोड़ी पूरे समय खूब जमी। मुख्यमंत्री हालांकि इस बार भी सुभाष बराला की प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए पैरवी कर सकते हैं, क्योंकि जजपा संयोजक के नाते दुष्यंत चौटाला जिस तरह भाजपा सरकार में साझीदार हैं! हालांकि यह देखते हुए भाजपा इस बार जाट के बजाय किसी गैर जाट खासकर पिछड़े, दलित अथवा ब्राह्मण वर्ग से नया प्रदेश अध्यक्ष दे सकती है! भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है। वह दोबारा फिर तीन साल के लिए रिपीट किया जा सकता है! सुभाष बराला का पांच साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है! ऐसे में उन्हें बदला जाना तय है। जाट चेहरे के रूप में भाजपा के पास पूर्व कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ और पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु हैं। दोनों ही चुनाव हार गए हैं। भाजपा ने यदि पिछड़ा वर्ग को संगठन में अहमियत दी तो पूर्व स्पीकर एवं जगाधरी से चुनाव जीते कंवरपाल गुर्जर को अध्यक्ष पद का ताज सौंपा जा सकता है। कुरुक्षेत्र के सांसद नायब सिंह सैनी भी मुख्यमंत्री की पसंद हैं। दोनों की कार्य प्रणाली से सीएम खुश हैं। दलित चेहरे के रूप में भाजपा के पास तेज तर्रार मंत्री रह चुके कृष्ण कुमार बेदी हैं। जाट दलित गठजोड़ में बेदी भाजपा का बड़ा चेहरा बन सकते हैं!
दक्षिण हरियाणा में पार्टी का जनाधार बढ़ाने की कोशिश
दक्षिण हरियाणा में इस बार भाजपा 11 सीटें में से तीन हार गई है। यहां भाजपा के मजबूत चेहरे मनीष यादव भी चुनाव हार गए। इसलिए यदि भाजपा ने यादवों को महत्व दिया तो मौजूदा प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद यादव और प्रांतीय प्रवक्ता वीर कुमार यादव में से किसी को जिम्मेदारी मिल सकती हैै! भाजपा में एक वर्ग प्रदेश अध्यक्ष के पद पर ब्राह्मणों को प्रतिनिधित्व देने की मांग कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा का नाम सबसे ऊपर आ सकता है। इतना तय है कि नए अध्यक्ष के चयन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पसंद का पूरी तरह से ख्याल रखा जाएगा!


गंगा-जमुना के किनारे, पहुचा भक्त जन समूह

नई दिल्ली! छठ पूजा के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्ध्य देने बड़ी संख्या में उपवासी महिलाओ का हुजूम नदी, तालाबों के किनारे बनाए गए घाटों पर नजर आ रहा है! सबसे ज्यादा भीड़ यमुना नदी के किनारे पर रही, गंगा पर बहुत लंबी यात्राएं की जा रही है! बालकोनगर रोड स्थित ढेंगुरनाला पल के छठ घाट में देखने को मिल रहा है! यहाँ सैकड़ो की संख्या में उपवासी महिलाये तमाम पूजा-पाठ के सामानो के साथ सूर्य को अर्ध्य देने पहुंची है! शहर का पूरा माहौल धार्मिक बना हुआ है! इसी तरह हसदेव घाट, कंकालिन मंदिर स्थित मुड़ापार तालाब में भी व्रती महिलाओ और साथ में सभी वर्गों का हुजूम नजर आ रहा है! मन को भावविभोर कर देने वाला चित्रण दृष्टिपात आ रहा है! इस दौरान लगातार आतिशबाजियां भी की जा रही है!


तरह-तरह के फूल लग रहे हैं, खुशबू न्यारी-न्यारी !


माली ने वो जगह देखकर बाग लगाया, छोटी-छोटी-क्यारी!


दो हत्या कर अलग-अलग सड़क पर फेंके

कौशाम्बी। जिले के चरवा और मंझनपुर कोतवाली क्षेत्र में दो युवकों की अलग-अलग हत्या कर लाश सडक किनारे गढढे में फेक दी गई। सडक किनारे लाश पडी होने की सूचना ग्रामीणो ने पुलिस को दी है। दोनो लाश को पुलिस ने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। दोनो लोगो को घर से बुलाकर उनके रिश्तेदार परिचित ले गये, और दोनो युवको की हत्या करने के बाद रिश्तेदार परिचित फरार है। खबर लिखे जाने तक दोनो हत्याओ का मुकदमा पुलिस ने नही दर्ज किया है।


बता दें कि, घटनाक्रम के मुताबिक मंझनपुर कोतवाली क्षेत्र के पिपरकुण्डी गांव निवासी लालचन्द्र उम्र 28 वर्ष पुत्र सुन्दर लाल एक ठेकेदार के साथ काम करते थे, ठेकेदार से उनका लाखो का लेनदेन था। बिहार प्रान्त के रहने वाले कमलेश कुमार नामक यह ठेकेदार लालचन्द्र को उसके घर से यह कहकर बुलाकर गुरूवार को ले गया था कि, इलाहाबाद जा रहे है। वापस लौट कर घर छोड देगें। लेकिन लालचन्द्र घर नही पहुच सका और उसकी लाश चरवा थाना क्षेत्र के काजू बेरवा के बीच सडक किनारे गढढे में मिली है। इस मौत को कमलेश दुर्घटना बता रहे और कुछ देर बाद मौके से वह फरार हो गये है। जबकि कमलेश के साथ लालचन्द्र बाइक से गये थे, और यदि सडक दुर्घटना में लालचन्द्र की मौत हुयी तो कमलेश को चोट क्यों नही आई? और दुर्घटना के बाद तुरन्त मामले की सूचना पुलिस को क्यों नही दी गई? घटनास्थल पर कोई खून भी पड़ा नही मिला, और दुर्घटना के किसी प्रकार के साक्ष्य मौजूद नही है। वही इलाहाबाद से वापस आने वाली सड़क पर लाश नही मिली। जिससे लालचन्द्र की हत्या कर लाश को ठिकाने लगाने की घटना से इंकार नही किया जा सकता।


दूसरी घटना मंझनपुर कोतवाली क्षेत्र के देवखरपुर गांव की है । रघवापुर निवासी शिवकरन उम्र 30 वर्ष पुत्र ओमप्रकाश की ससुराल देवखरपुर गांव में है, और गुरूवार को शिवकरण अपनी ससुराल देवखरपुर आया था। जहॉ शिवकरण को उसके चचेरे साले मुकेश कुमार और बारातफारिक गांव का एक युवक घर से बुला कर ले गये थे, और आधी रात को शिवकरन की लाश सडक किनारे गढढे में पडी मिली थी। मौके से मृतक शिवकरन का साला और दूसरा युवक गायब है। तीन लोगो के साथ बाइक में बीच मे बैठे शिवकरन की सडक दुर्घटना में मौत की बात बताने वालो को इसी हादसे में खरोच तक नही आई है। जिससे उनकी बातो को हजम करना कठिन है। लाश भी सडक के किनारे गढढे में मिली है। यह घटना भी हत्या की ओर इशारा कर रही है। परिजनो ने हत्या का आरोप भी लगाया है। पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। दोनो मामलो की यदि पुलिस आलाधिकारियो ने सूक्ष्म जॉच करायी तो हत्यारे जेल के पीछे होगे।


5 वर्षीय बच्ची से रेप,आरोपी को आजीवन कारावास

ग्वालियर। विशेष सत्र न्यायाधीश अर्चना सिंह ने 5 वर्ष की मासूम के साथ दुष्कर्म करने वाले 55 वर्षीय पड़ोसी बाबा उर्फ ईश्वर सिंह सहित पीड़िता के दीदी व जीजाजी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 75 हजार रुपए का अर्थदंड लगाते हुए राशि पीड़िता को प्रदान करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने आरोपियों के कृत्य पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ईश्वर उर्फ बाबा की उम्र 55 वर्ष है। उसने एक असहाय नाबालिग की मजबूरी का फायदा उठाकर उसके साथ नरपिशाच समान कृत्य किया है।
इसे जो भी सजा सुनाई जाए, वह कम है। दया का कोई भाव नहीं लाया जा सकता है। कोर्ट ने उसे सजा काटने के लिए जेल भेज दिया। 20 अप्रैल 2017 को 5 वर्षीय नाबालिग ने महाराजपुरा थाने में शिकायत की। उसने बताया कि उसके माता-पिता की मौत हो चुकी है। वह दीदी-जीजाजी के घर रहती है। उसके जीजाजी पीटते थे। कभी-कभी उसे छत पर खड़ा कर देते थे। पंखे से उल्टा लटका देते थे।
बाहर से लोगों को बुलाते थे। उनसे 50-50 रुपए लेकर अश्लील हरकत करने के लिए उनके सुपुर्द कर दे देते थे। इन अपराधों में दीदी भी जीजाजी का पूरा साथ देती थी। जीजाजी ने भी एक दिन अश्लील हरकत की और दुष्कर्म किया। पड़ोस में रहने वाले ईश्वर बाबा आए दिन उसके साथ दुष्कर्म करते थे। दीदी व जीजाजी गलत काम करने में बाबा की मदद करते थे। नाबालिग की शिकायत पर पुलिस ने जीजाजी, दीदी, पड़ोसी ईश्वर के खिलाफ दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट सहित अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया और जांच कर कोर्ट में चालान पेश किया।
अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी अनिल मिश्रा ने तर्क दिया कि आरोपित ने गंभीर अपराध किया है। इन्हें कड़ा दंड दिया जाए, जिससे समाज में एक संदेश जा सके। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि छोटी बच्ची जिसके माता-पिता जीवित नहीं रहे। उसके दीदी-जीजाजी एक मात्र पालनहार रह गए थे। उन्होंने ऐसा घिनोना कृत्य किया है, जिससे उसका पूरा जीवन प्रभावित होगा। उसके जीवन के ऊपर पड़ने वाले दुुष्प्रभाव का परिकल्पना नहीं की जा सकती है। आरोपी नरमी व क्षमा के पात्र नहीं है।


पत्नी ने सरेराह पति का गला रेत पर की हत्या

अहमदाबाद। शादी के पहले अफेयर होने की बात पति को पता लगी तो वो रोज ताने मारने लगा। पति-पत्नी के बीच अक्सर इसे लेकर झगड़े होते रहते थे। इस सब से तंज आकर पत्नी ने आखिरकार अपने ही पति का सरेराह गला रेतकर उसकी हत्या कर दी। घटना का खुलासा होने के बाद पुलिस ने महिला को गिरफ्तार किया है। मामला गुजरात के महिसागर जिले का है जहां एक अजीबोगरीब घटनाक्रम का पर्दाफाश करते हुए पुलिस ने पति की हत्या के आरोप में पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है।
जानकारी के अनुसार दीपावली के बाद विक्रम संवत वर्ष की शुरुआत के दिन खानपुर तहसील के लवाणा गांव के निर्जन रास्ते से 56 वर्षीय कालूभाई वालाभाई मछार का शव बरामद हुआ था। किसी धारदार शस्त्र से उसका सिर धड़ से अलग कर निर्मम हत्या कर दी गई थी। पुलिस मामले की छानबीन कर रही थी।
इस मामले की तफ्तीश पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था। हत्या के कारणों की गुत्थी सुलझ नहीं रही थी। कालूभाई इतने अमीर भी नहीं थे कि लूटने के इरादे से भी उनकी हत्या हुई हो। उनकी किसी व्यक्ति के साथ दुश्मनी भी नहीं थी। इस मामले में हत्यारे तक पहुंचने के लिए पुलिस आकाश-पाताल एक कर रही थी।
मामले की जांच के लिए पुलिस मृतक के घर गई। वहां देखा तो पुत्र और पुत्रवधू विलाप कर रहे थे। कालूभाई की बेटी का भी रो-रो कर बुरा हाल था। वहीं कालूभाई की पत्नी घर के एक कोने में बैठी थी। उसके चेहरे पर चिंता की शिकन भी नहीं थी। उसे देखकर यह मानना बहुत मुश्किल था कि उसके पति की किसी ने हत्या कर दी थी।
पुलिस ने ग्रामीणों से पूछताछ शुरू की। इससे पता चला कि कालूभाई की पत्नी शांता का गांव के एक व्यक्ति के साथ नाजायज संबंध थे। इसे लेकर कालूभाई और उनकी पत्नी के बीच आए दिन झगड़ा होता रहता था। फिर क्या था पुलिस के लिए इतना सुराग ही काफी था। पुलिस ने शांता से पूछताछ की शुरुआत की। शुरू में तो वह पुलिस को गुमराह करती रही, किन्तु सख्ती करने पर वह टूट गई। उसने कबूल कर लिया कि उसी के हाथों उसके पति की हत्या हुई है। कबूलात के आधार पर पुलिस ने शांता को गिरफ्तार कर लिया।


पूजा गहलोत ने हंगरी में जीता रजत पदक

नई दिल्ली! पूजा गहलोत ने हंगरी के बुडापेस्ट में चल रही अंडर-23 विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में महिलाओं के 53 किग्रा वर्ग में शुक्रवार रात रजत पदक जीतकर भारत को प्रतियोगिता में दूसरा पदक दिला दिया जबकि ज्योति को 50 किग्रा के कांस्य पदक मुकाबले और नैना को 72 किग्रा के रेपेचेज में हार का सामना करना पड़ा! पूजा ने 53 किग्रा में क्वालिफिकेशन में रूस की एकातेरिना वेरबीना को 8-3 से तथा क्वार्टरफाइनल में ताइपे की मेंग सुआन सीह को 8-0 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई, जहां उन्होंने तुर्की की जेनैप येतगिल को 8-4 से शिकस्त देकर फाइनल में प्रवेश किया!  पूजा का स्वर्ण पदक के लिए 2017 की विश्व चैंपियन जापान की हारुना ओकुनो से मुकाबला हुआ, जिसमें उन्हें नजदीकी संघर्ष में 0-2 से हार का सामना करना पड़ा और रजत से संतोष करना पड़ा। भारत का इस प्रतियोगिता में यह दूसरा रजत पदक है। इससे पहले पुरुष फ्रीस्टाइल में रविंदर 61 किग्रा के फाइनल में पहुंचे थे और उन्हें रजत से संतोष करना पड़ा था। भारत ने इस तरह अपने पिछले प्रदर्शन में सुधार कर लिया है। भारत ने पिछली चैंपियनशिप में एक रजत पदक जीता था!


मैक्सवेल ने क्रिकेट से ब्रेक का फैसला लिया

सिडनी! खेलबेहद गंभीर बीमारी से जूझ रहे ग्लेन मैक्सवेल, मजबूरन तोड़ना पड़ा क्रिकेट से रिश्ता, ऑस्ट्रेलिया के हरफनमौला खिलाड़ी ग्लेन मैक्सवेल ने अनिश्चितकाल के लिए क्रिकेट से ब्रेक लेने का फैसला किया है! अपने मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में अनुभव की गई कठिनाइयों के कारण मैक्सवेल ने यह बड़ा कदम उठाया। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के मनोवैज्ञानिक डॉक्टर माइकल लॉयड ने गुरुवार को इसकी पुष्टि की। श्रीलंका के खिलाफ टी-20 सीरीज का हिस्सा रहे मैक्सवेल के स्थान पर अब डार्सी शॉर्ट को टीम में चुना गया हैै! पृथ्वी शॉ के रूप में मिला देश को नया सहवाग।


लॉयड ने ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि, 'ग्लेन मैक्सवेल मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं थे। कठिनाइयों का सामना कर रहे थे। नतीजतन, वह खेल से आराम लेकर थोड़ा समय बिताएंगे। इस संबंध में क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की ओर से भी बयान जारी हुआ है।


'हमारे लिए खिलाड़ियों और कर्मचारियों की भलाई सर्वोपरि है। ग्लेन को हमारा पूरा समर्थन है। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया ग्लेन की भलाई और खेल में उसकी लगन सुनिश्चित करने के लिए क्रिकेट विक्टोरिया के सहयोगी स्टाफ के साथ मिलकर काम करेगा। हम हर किसी से ग्लेन, उनके परिवार और दोस्तों की निजता का सम्मान करने की अपील करते हैं। वह एक खास खिलाड़ी हैं। ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के लिए अहम हैं। हम गर्मियों तक उन्हें दोबारा टीम में खेलते देखने की उम्मीद करते हैं।' जन्मदिन विशेष- उमेश यादव ने मेहनत के दम पर पूरा किया फर्श से अर्श तक का सफर।


बता दें कि श्रीलंका के खिलाफ रविवार को खेले गए पहले टी-20 में ग्लेन मैक्सवेल ने तीसरे क्रम पर 28 गेंदों में ताबड़तोड़ 62 रन ठोके थे। इस दौरान उनके बल्ले से सात चौके और तीन छक्के भी निकले थे। हालांकि दूसरे टी-20 में उन्हें बल्लेबाजी का मौका ही नहीं मिला। स्टीव स्मिथ और डेविड वॉर्नर ने अर्धशतक ठोकते हुए टीम को नौ विकेट से जीत दिलाई और सीरीज में 2-0 की अजेय बढ़त हासिल कर ली!


सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की परवाह नहीं

मुंबई! बॉलीवुड की दबंग गर्ल सोनाक्षी सिन्हा सोशल मीडिया पर अब ट्रोलिंग की परवाह नहीं करतीं हैं। सोनाक्षी ने अपने मोटापे पर निशाना साधकर ट्रोलिंग करने वालों को करारा जवाब देते हुए आड़े हाथों लिया। सोनाक्षी ने एक वीडियो शेयर किया है, इसमें उन्हें सोशल मीडिया पर उन्हें मिलने वाले संदेशों को पढ़ते हुए देखा जा सकता है।


सोनाक्षी ने वीडियो को शेयर कर कमेंट किया,कमरे में बैठे हाथी के बारे में बात करते हैं। वर्षों तक मुझे मेरे वजन के कारण ट्रोल किया गया। मुझे कभी भी इसपर रिएक्शन देने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई क्योंकि मुझे हमेशा लगता था कि मेरा उद्देश्य इससे बड़ा है।
सोनाक्षी ने कहा,ट्रोल करने वाले वे लोग है जो सिर्फ तुम्हारे वाइब को मारना चाहते हैं। इन लोगों के पास हर समय दूसरों को जज करने के अलावा और कोई काम नहीं होताद्य इसलिए वे कुछ भी कहते हैं। कभी-कभी हमें गुस्सा, दु:ख या सुन्न महसूस करते हैं, लेकिन अब हम इसपर सिर्फ हंसते हैं क्योंकि ये लोग क्या हैं, एक मजाक है। 30 किलोग्राम वजन कम करने के बाद भी ट्रोलर्स इस पर कायम हैं। अब वह भाड़ में जाए क्योंकि सोनाक्षी यहां एक कारण से हैं। मैंने इसे वैसे ही बनाया है जैसे मैं हूं और मेरे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। इनसे मेरा कुछ नहीं बिगड़ता, मेरा वजन भी नहीं और नहीं मेरी छवि को कोई नुकसान होता हैं। मुझे मेरा उद्देश्य बड़ा बनाता है।


जॉन अब्राहम नजर आएंगे 'अटैक' में

मुंबई! कुछ वक्त पहले जॉन अब्राहम की फिल्म बाटला हाउस रिलीज हुई थी, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। अब जॉन ने अपनी अगली फिल्म की तैयारी शुरू कर दी है। इस फिल्म का नाम अटैक है, जिसमें जॉन हैरतअंगेज स्टंट और ऐक्शन सीन्स करते नजर आएंगे। 
जॉन ने इस फिल्म के लिए अपनी कमर कस ली है। अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर उन्होंने एक विडियो शेयर किया है, जिसमें वह एक एक्सपर्ट के साथ रिवॉल्वर और अन्य हथियारों को चलाने की ट्रेनिंग लेते नजर आ रहे हैं। इस विडियो के साथ जॉन ने लिखा है, अटैक करने के लिए हो रहा हूं तैयार। मेरी अगली ऐक्शन फिल्म। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस फिल्म में जॉन आतंकवादियों से लड़ते नजर आएंगे। फिल्म की शूटिंग इस साल दिसंबर में शुरू होगी। फिल्म का निर्देशन नए डायरेक्टर लक्ष्य राज आनंद करेंगे।


अटैक फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है, जिसमें जॉन का एक अलग ही अवतार और लुक देखने को मिलेगा। इससे पहले उन्होंने बाटला हाउस में भी अपना ऐक्शन अवतार दिखाया था। यह फिल्म दिल्ली के जामिया नगर के बाटला हाउस 19 सितंबर 2008 में हुए एनकाउंटर पर आधारित थी, जिसमें जॉन ने एसीपी संजय कुमार यादव का रोल प्ले किया था।


दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ

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