रविवार, 6 अक्तूबर 2019

राहुल चुनाव बीच बैंकॉक,सवाल उठें

नई दिल्ली। कांग्रेस में जारी आंतरिक कलह और महाराष्ट्र-हरियाणा में विधानसभा चुनाव के बीच पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बैंकॉक जाने की खबर है। सूत्रों के मुताबिक शनिवार को वह बैंकॉक के लिए विस्तारा एयरलाइन की फ्लाइट से रवाना हो गए। अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि राहुल गांधी किस वजह से बैंकॉक गए हैं।


ऐसे वक्त में जब दो सप्ताह बाद ही दो राज्यों में चुनाव हैं और कांग्रेस अंदरुनी जंग में उलझी हुई है, तब राहुल गांधी के बैंकॉक जाने पर सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले 2015 में भी उनके बैंकॉक जाने को लेकर सवाल खड़े किए गए थे। इस बीच ट्विटर पर बैंकॉक टॉप पर ट्रेंड कर रहा है। दोनों ही राज्यों में कांग्रेस ने पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को स्टार प्रचारकों की सूची में भी शामिल किया है।


राहुल गांधी के बैंकॉक जाने पर तंज कसते हुए बीजेपी आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने ट्वीट किया, 'क्या आप भी हैरान हैं कि बैंकॉक क्यों ट्रेड कर रहा है।' दोनों ही राज्यों में 21 अक्टूबर को मतदान होगा और 24 तारीख को चुनाव के नतीजों का ऐलान होगा। बता दें कि महाराष्ट्र में मुंबई के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने पार्टी में लोकतंत्र की कमी होने का आरोप लगाकर कांग्रेस के लिए प्रचार न करने का ऐलान किया है। वहीं, हरियाणा में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर ने टिकट वितरण में धांधलेबाजी में और राहुल गांधी के करीबियों को किनारे लगाने का आरोप लगाकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।


आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस पार्टी
गौरतलब है कि आने वाले कुछ ही दिनों में दो राज्यों में विधानसभा चुनाव है। 21 अक्टूबर को हरियाणा और महाराष्ट्र में वोटिंग होगी, जिसके नतीजों का ऐलान 24 तारीख को होगा। अभी हाल में कांग्रेस की लोकसभा चुनाव में स्थिति खराब रही है। वहीं, दो राज्यों में चुनाव को लेकर पार्टी आंतरिक कलह से जूझ रही है।


दो महिला वैज्ञानिक करेगी स्पेसवॉक

नई दिल्ली। भारत के चंद्रयान-2 के असफल होने के बाद अंतरिक्ष में एक नया इतिहास बनने वाला है। दो महिलाएं मिलकर अंतरिक्ष में इतिहास बनाने जा रही हैं। ये दोनों एक साथ अंतरिक्ष में चहलकदमी करेंगी। विश्व के अंतरिक्ष विज्ञान के इतिहास में ऐसा पहली बार है जब दो महिलाएं एक साथ स्पेसवॉक करने जा रही हैं। ये इतिहास 21 अक्टूबर 2019 को बनने वाला है। इन दो महिलाओं का नाम है जेसिका मीर और क्रिस्टीना कोच। ये दोनों नासा की एस्ट्रोनॉट हैं। ये दोनों फिलहाल इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में हैं। 21 अक्टूबर को ये दोनों महिला एस्ट्रोनॉट्स स्पेस स्टेशन के सोलर पैनल में लगी लिथियम आयन बैटरी को बदलने के लिए आईएसएस से बाहर निकलेंगी। उसी दौरान ये स्पेसवॉक भी करेंगी। गौरतलब है कि पहले महिलाओं का स्पेसवॉक मार्च 2019 में होना था। लेकिन स्पेससूट नहीं होने के कारण इसे टाल दिया गया था। बता दें कि अक्टूबर 2019 में कुल पांच स्पेसवॉक होने वाले हैं। अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा ये सभी स्पेसवॉक आईएसएस की मरम्मत के दौरान आईएसएस से बाहर आने पर किए जाने वाले हैं। ये अलग-अलग तारीखों पर होंगे। अक्टूबर के बाद पांच स्पेसवॉक फिर से दिसंबर 2019 में किए जाने की योजना है।



11 अक्टूबर : क्रिस्टीना कोच और एंड्रयू मॉर्गन स्पेस स्टेशन से बाहर निकल कर स्पेसवॉक करेंगे।


16 अक्टूबर : जेसिका मीर और एंड्रयू मॉर्गन स्पेसवॉक करेंगे।


21 अक्टूबर : जेसिका मीर और क्रिस्टीना कोच आईएसएस से बाहर निकलेंगी और साथ स्पेसवॉक कर इतिहास बनाएंगी।


25 अक्टूबर : जेसिका मीर और लूका परमितानो स्पेसवॉक करेंगे।


31 अक्टूबर : ओलेग स्क्रीपोचा और एलेक्जेंडर स्कवोर्तसोव आईएसएस की मरम्मत करने के साथ-साथ स्पेसवॉक करेंगे।


कार-बस की भिड़ंत में तीन जिंदा जले

बाडमेर। राजस्थान के बाड़मेर में कार और बस की भिड़ंत में 3 लोगों के जलने की खबर है। इन तीनों लोगों की मौत हो चुकी है। इस दर्दनाक हादसे में दोनों गाड़ियों के जलने की खबर है। दरअसल ये हादसा रामदेव मन्दिर निम्बानिया की ढाणी के पास हुआ जहां बस और कार की आपस में भिड़त हो गई। इस हादसे में मरने वाले तीन लोगों में से एक की पहचान हो गई है। मृतक का नाम धनराज रोडा बताया जा रहा है, जो बाड़मेर के ही रहने वाले थे। रिपोर्ट्स की मानें तो ये हादसा ओवर टेकिंग के चलते हुआ। एक्सीडेंट होते ही बस में आग लग गई।


71 बच्चे फाइलेरिया पॉजिटिव मिले

रायपुर। राज्‍य को फाइलेरिया मुक्‍त बनाने के लिए रेंडम प्रक्रिया के माध्‍यम से स्‍कूली बच्‍चों का सर्वे किया गया। जिसमें रायपुर जिले के 71 बच्चों में फाइलेरिया (हाथी पांव) की पुष्टि होने के बाद स्‍वास्‍थ्‍य विभाग अलर्ट हो गया है।


चिरायु की टीम ने जिले के चयनित 71 स्‍कूलों के पहली और दूसरी कक्षा में अध्‍ययनरत कुल दर्ज 3544 बच्‍चों में से 2737 बच्‍चों का ब्‍लड सेम्‍पल लेकर फाइलेरिया टेस्‍ट स्‍टीप कीट से जांच किया जिसमें 71 बच्‍चों में फाइलेरिया के लक्षण मिले हैं। जबकि 2529 बच्‍चों में फाइलेरिया निगेटीव पाए गए।


सर्वे रिपोर्ट के बाद फाइलेरिया पॉजेटिव बच्‍चों को 12 दिनों तक नियमित दवाईयां दी जा रही है। वहीं स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की टीम प्रभावित बच्‍चों के स्‍कूल और निवास स्‍थान के आस-पास कैम्‍प लगाकर प्रभावित परिवार सहित मोहल्‍लों के अन्‍य परिवारों का भी लाइन लिस्टिंग कर हाथी पांव से पीडि़त मरीजों की खोज किया जाएगा।


स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव-मोहल्ले में नाइट सर्वे भी करेगी और पीड़ित बच्चों की स्लाइड बनाएगी। फाइलेरिया टांसमिशन असेसमेंट सर्वे-2019 के लिए चयनित रायपुर जिले में हाथी पांव रोग के संक्रमण की जांच के लिए 20 से 30 सितंबर 2019 तक सर्वे किया गया।


इस बीमारी का परजीवी मौजूद
जिला मलेरिया अधिकारी डॉक्टर विमल किशोर रॉय के अनुसार प्रारंभिक जांच से पता चला कि इन बच्चों के अंदर इस बीमारी का परजीवी मौजूद है। इसी को देखते हुए राष्ट्रीय वेक्‍टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जल जनित रोगों को दूर करने के लिए चिरायु की 11 टीम सर्वे के बाद स्‍थानीय स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अमले को निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।


डॉ राय ने बताया जिले के चार ब्‍लॉक अभनपुर के 12 स्‍कूल में 9, आरंग के 13 स्‍कूल में 16 , तिल्‍दा के 12 स्‍कूल में 23, धरसींवा के 11 स्‍कूल में 6 और राजधानी रायपुर व बिरगांव नगर निगम क्षेत्र के 23 स्‍कूलों में 17 बच्‍चों में फाइलेरिया के लक्षण मिलने की पुष्टि की गई है।


फाइलेरिया उन्‍नमूलन के लिए रायपुर में 80, बलौदाबाजार में 49, गरियाबंद में 79 और महासमुंद में 73 चिंहाकिंत सरकारी और निजी स्‍कूलों में सर्वे किया गया। डॉक्टर राय ने बताया, फ़ाइलेरिया को हाथीपांव भी कहा जाता है।


इसे ग्रसित लोगों का जीवन बहुत कष्ट दाई होता है हालांकि यह जान लेवा नहीं होता है लेकिन इसका इलाज नहीं होता है। यह रोग मूलत गरीबी अवस्‍था में जीवन यापन करने वालों में पाया जाता है। इस रोग के कारण कार्यक्षमता प्रभावित होने से रोगी की आर्थिक स्थिति और खराब होते जाती है।


घबराएं नहीं, सरकारी अस्पताल जाएं
मुख्‍य स्‍वास्‍थ्‍य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ श्रीमती मीरा बघेल ने बताया, किसी को फाइलेरिया बीमार के लक्षण नजर आते हैं तो वे घबराएं नहीं। स्वास्थ्य विभाग के पास इसका पूरा उपचार उपलब्ध है। विभाग स्तर पर मरीज का पूरा उपचार निशुल्क होता है। इसलिए सीधे सरकारी अस्पताल जाएं।


उन्‍होंने बताया सर्वे में लिए गए रक्त के नमूने की जांच में ये पता किया जाता है कि मरीज के रक्त में परजीवी की संख्या कितनी है। इसके बाद मरीज का उपचार शुरू किया जाता है। मरीज को 12 दिन की दवा की खुराक दी जाती है इससे बीमारी के परजीवी मर जाता है। और मरीज इस रोग के दुष्‍प्रभाव से बच जाता है। फाइलेरिया के बीमारी से बचाव के लिए लोगों में जागरुकता जरुरी है।


कैसे फैलता है रोग
फाइलेरिया को हाथी पांव रोग भी कहा जाता है। ये रोग क्यूलेक्स मच्छर काटने की वजह से होता है। इस मच्छर के काटने से पुवेरिया नाम के परजीवी शरीर में जाने से ये रोग होता है। वयस्क मच्छर छोटे-छोटे लार्वा को जन्म देता है, जिन्हें माइक्रो फाइलेरिया कहा जाता है। ये मनुष्य के रक्त में रात के समय एक्टिव होता है। इस कारण स्वास्थ्य टीम रात में ही पीड़ित का ब्लड सैंपल लेगी।


चिंपांजी पेंटिंग के रिकॉर्ड तोड़ मूल्य

नई दिल्ली। पेंटिंग बनाने वाले कलाकरों की अलग-अलग पेंटिंग दुनिया भर में भारी कीमत पर बिकती है और अपने घरों में शौक से पेंटिंग लगाने वाले लोग अच्छी कलाकृति को मनचाहे दाम पर खरीदना भी चाहते है। आज हम आपको एक ऐसी पेंटिंग के बारे में बताने जा रहे है जो रिकॉर्ड कीमत में बिकी है। हम बात कर रहे है लंदन में एक गुमनाम पेंटर द्वारा बनाई गई ब्रिटिश संसद  'हाउस ऑफ कॉमन्स' में बैठे चिम्पांजियों वाली पेंटिंग की जिसे साल 2009 में बनाया गया था। शुरुआत में इस पेंटिंग की कीमत 13 से 20 करोड़ करोड़ रुपये आंकी गई थी, लेकिन नीलामी में यह करीब 86.41 करोड़ रुपये में बिकी। इस पेंटिंग का शीर्षक है 'डिवॉल्व्ड पार्लियामेंट'। नीलामी में इस पेंटिंग को खरीदने के लिए कुल 10 लोगों ने बोली लगाई थी। 13 फीट लंबी यह पेंटिंग महज 13 मिनट में ही बिक गई। 'ब्रिटिश संसद में बैठे चिम्पांजी' वाली पेंटिंग बनाने वाले पेंटर ने शुरुआत में इसका नाम 'क्वेश्चन टाइम' रखा था, लेकिन इसी साल मार्च महीने में ब्रिस्टल म्यूजियम में इसकी प्रदर्शनी से एक दिन पहले उसने इसका नाम बदल कर 'डिवॉल्व्ड पार्लियामेंट' रख दिया। इस पेंटिंग की तस्वीर बैंक्सी नाम के इंस्टाग्राम अकाउंट पर डाली गई थी। पेंटर के एक पूर्व सहयोगी ने बताया कि इस पेंटिंग को खरीदने वाले ने इसमें जरूर मौद्रिक मूल्य से अधिक कुछ देखा होगा, तभी इसे खरीदा है। अगर वह सिर्फ पैसे को अहमियत देते तो सोने में निवेश नहीं करते।


बिहार: बारिश के बाद डेंगू का डेरा

पटना। जलजमाव के बाद शहर पर डेंगू का कहर टूट पड़ा है शनिवार को एक दिन में सर्वाधिक 85 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। ये सभी के सभी मरीज पटना जिले के ही हैं। पीएमसीएच के वायरोलॉजी डिपार्टमेंट में तैयार हो रही अब तक की रिपोर्ट के मुताबिक एक दिन में मरीजों की सबसे ज्यादा संख्या है।


इसके साथ ही इस मौसम में डेंगू मरीजों का आंकड़ा बढ़कर 775 हो गया है। इसके पहले शुक्रवार को एक दिन में 67 मरीज डेंगू से प्रभावित मिले थे। वहीं, गुरुवार को दो दिनों में अस्पताल में 58 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई थी।


डॉक्टरों के मुताबिक घरों के आस पास जमा बारिश का पानी भी इसका एक कारण हो सकता है। डेंगू के अलावा चिकुनगुनिया के 23 मरीज और दिमागी बुखार यानी जेई के 46 रोगी भी इस सीजन में अबतक मिल चुके हैं। इस कारण तुरंत घरों में जमा साफ पानी को गिरा दें और घर के आगे जमा पानी पर किरासन तेल डाल दें। शनिवार को पीएमसीएच के इमरजेंसी डिपार्टमेंट में डेंगू के सात नये मरीज भर्ती हुए हैं। इलाज डेंगू वार्ड में किया जा रहा है। लंगरटोली का 15 वर्षीय आशाब, चिरैयांटांड की हेमा कुमारी, नटराज गली के विश्वेश्वर साह, मसौढ़ी के नंदबिहारी, दानापुर की नेहा कुमारी, फुलवारी की रोशन खातून और वैशाली के रोशन कुमार शामिल हैं। पीएमसीएच के ब्लड बैंक, रेडक्रॉस सोसायटी और जयप्रभा मॉडल ब्लड बैंक की ओर से मरीजों के परिजनों को प्लेटलेट्स मुहैया कराये जा रहे हैं। पंचलोक डाइग्नोस्टिक सेंटर के साथ डेंगू का निःशुल्क टेस्ट शिविर आयोजित किया जा रहा है।


85 मरीजों में डेंगू की पुष्टि एक दिन में 775 डेंगू की पुष्टि अब तक जांच में मिले डेंगू के चार मरीज
पटना सिटी। नालंदा  मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में शनिवार को 18 सैंपल  की जांच की गयी, जिनमें चार में  डेंगू होने की पुष्टि हुई, जबकि 14 की   रिपोर्ट निगेटिव मिली। विभागाध्यक्ष डॉ हीरा लाल महतो ने बताया कि  अब तक  डेंगू के 477 मरीजों की जांच हुई है। इनमें 100 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है, जबकि  377 मरीज  की रिपोर्ट निगेटिव मिली है। चिकनगुनिया के दो मरीजों की जांच हुई, जिनकी रिपोर्ट निगेटिव मिली। विभागाध्यक्ष ने बताया कि चिकनगुनिया के 76 मरीजों की जांच हो चुकी  है। चार में बीमारी की पुष्टि हुई है, जबकि 72 की रिपोर्ट निगेटिव  मिली है।


ठंडे प्रदेश से आई लोकाट की प्रजाति

Loquat ( एरीओबोट्री जपोनिका ; कैंटोनीज़ चीनी से: at E ; ज्युटिंग : lou4-gwat1 ) परिवार Rosaceae में फूलों के पौधे की एक प्रजाति है, जो दक्षिण-मध्य चीन के ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों के मूल निवासी है। यह जापान, कोरिया, भारत के पहाड़ी क्षेत्रों (हिमाचल), पाकिस्तान के पुटोहर और तलहटी क्षेत्रों में भी काफी आम है और कुछ फिलीपींस के उत्तरी भाग में, और श्रीलंका में पहाड़ी देश में पाया जा सकता है । [ उद्धरण वांछित ] यह कुछ दक्षिणी यूरोपीय देशों जैसे तुर्की , साइप्रस , ग्रीस , माल्टा , इटली , अल्बानिया , मोंटेनेग्रो , क्रोएशिया , स्लोवेनिया , फ्रांस , स्पेन और पुर्तगाल में भी पाया जा सकता है ; और मोरक्को , अल्जीरिया सहित कई उत्तरी अफ्रीकी देशों और मध्य पूर्व में जैसे ईरान , सीरिया , इराक , जॉर्डन , फिलिस्तीन , इज़राइल और लेबनान । यह केन्या के पूर्वी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में भी पाया जाता है।


यह एक बड़ा सदाबहार झाड़ी या पेड़ है , जो अपने पीले फल के लिए व्यावसायिक रूप से उगाया जाता है, और एक सजावटी पौधे के रूप में भी खेती की जाती है।


एरोबोट्री जापोनिका को पहले जीनस मेस्पिलस से निकटता से संबंधित माना जाता था, और अभी भी कभी-कभी जापानी पदक के रूप में जाना जाता है। इसे जापानी बे और चीनी बेर , के रूप में भी जाना जाता है। इसे चीन में पीपा और इटली में नेस्पोला के नाम से भी जाना जाता है।


उपयोगी गुड़ के अनेक फायदे

गुड़ एक मीठा ठोस खाद्य पदार्थ है जो ईख, ताड़ आदि के रस को उबालकर कर सुखाने के बाद प्राप्त होता है। इसका रंग हल्के पीले से लेकर गाढ़े भूरे तक हो सकता है। भूरा रंग कभी-कभी काले रंग का भी आभास देता है। यह खाने में मीठा होता है। प्राकृतिक पदार्थों में सबसे अधिक मीठा कहा जा सकता है। अन्य वस्तुओं की मिठास की तुलना गुड़ से की जाती हैं। साधारणत: यह सूखा, ठोस पदार्थ होता है, पर वर्षा ऋतु जब हवा में नमी अधिक रहती है तब पानी को अवशोषित कर अर्धतरल सा हो जाता है। यह पानी में अत्यधिक विलेय होता है और इसमें उपस्थित अपद्रव्य, जैसे कोयले, पत्ते, ईख के छोटे टुकड़े आदि, सरलता से अलग किए जा सकते हैं। अपद्रव्यों में कभी कभी मिट्टी का भी अंश रहता है, जिसके सूक्ष्म कणों को पूर्णत: अलग करना तो कठिन होता हैं किंतु बड़े बड़े कण विलयन में नीचे बैठ जाते हैं तथा अलग किए जा सकते हैं। गरम करने पर यह पहले पिघलने सा लगता है और अंत में जलने के पूर्व अत्यधिक भूरा काला सा हो जाता है।


गुड़ का उपयोग मूलतः दक्षिण एशिया में किया जाता है। भारत के ग्रामीण इलाकों में गुड़ का उपयोग चीनी के स्थान पर किया जाता है। गुड़ लोहतत्व का एक प्रमुख स्रोत है और रक्ताल्पता (एनीमिया) के शिकार व्यक्ति को चीनी के स्थान पर इसके सेवन की सलाह दी जाती है। गुड़ के एक अन्य हिन्दी शब्द जागरी का प्रयोग अंग्रेजी में इसके लिए किया जाता है।


गुड़ बनाने की विधियाँ 
उपयोग:-गुड़ उपयोगी खाद्य पदार्थ माना जाता है। इसका उपयोग भारत में अति प्राचीन काल से होता आ रहा है। भारत की साधारण जनता इसका व्यापक रूप में उपयोग करती है तथा यह भोजन का एक आवश्यक व्यंजन है। इसमें कुछ ऐसे पौष्टिक तत्व विद्यमान रहते हैं जो चीनी में नहीं रहते। स्वच्छ चीनी में केवल चीनी ही रहती हैं, पर गुड़ में 90 प्रतिशत के लगभग ही चीनी रहती है। शेष में ग्लूकोज, खनिज पदार्थ, विटामिन आदि स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी पदार्थ भी रहते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं तथा भोज्य पदार्थों में विभिन्न रूपों में इसका उपयोग होता है।


संकल्प: राम-भरत संवाद

राम-भरत संवाद
देखो मुनीवरो, आज हम तुम्हारे समक्ष पूर्व की भांति कुछ मनोहर वेद मंत्रों का गुणगान गाते चले जा रहे हैं। यह भी तुम्हें प्रतीत हो गया होगा। आज हमने पूर्व से जिन वेद मंत्रों का पठन-पाठन किया है। हमारे यहां परंपरागतो से उस मनोहर वेद वाणी का प्रसार होता रहता है। जिस पवित्र वेद वाणी में उस परमपिता परमात्मा की महिमा का गुणगान किया जाता है। क्योंकि वह परमपिता परमात्मा आनंदमई माने गए हैं और जितना भी यह जड़ जगत अथवा चेतन्‍य जगत हमें दृष्टिपात आ रहा है। उस सर्वत्र ब्रम्हांड के मूल में प्राय: वह परमपिता परमात्मा दृष्टिपात आते रहते हैं। उस परमपिता परमात्मा की महिमा अथवा उसका जो अग्नि मई रूप है जो तजोमयी कहलाता है ।आज हम तेजोमयी परमपिता परमात्मा की महिमा अथवा उसके गुणों का गुणवादन करते रहे हैं। क्योंकि वह परमपिता परमात्मा अनंतमई माने गए हैं। और वह हमारे पुरोहित है जो परा विद्या को प्रदान करने वाले हैं। मानव ही पुरोहित कहलाते हैं। इसलिए हमारे यहां पर उस परमपिता परमात्मा को पुरोहित के रूप में वर्णित किया गया है। और प्रत्येक मानव उसे वर लेता है। और उसे अपना पुरोहित बना करके उससे परा विद्या को अपने में धारण करने वाला है। इसलिए हम उस परमपिता परमात्मा जो परा विद्या का देने वाला है। जिस विद्या को धारण करने के पश्चात मानव का जीवन पवित्र बन जाता है और उस विद्या के अनुपम रहस्य को जानता हुआ मानव अपने कर्मकांड की ओर भी नाना पद्धति को अपनाने के लिए तत्पर हो जाता है। इसलिए हम उस परमपिता परमात्मा की महिमा अथवा उसके गुणों का अभिवादन करते चले जाएं। वह परमपिता परमात्मा हमारा पुरोहित है और पुरोहित उसे कहा जाता है जो परा विद्या को जानने वाला है। जो परा विद्या में रत रहने वाला है। मानो उसी का दिया हुआ यह अनुपम ज्ञान और विद्या है। मानव उसी के आश्रित रहता हुआ अपनी मानवीयता को पवित्र बनाता रहता है। आज हम अपने परम देव पुरोहित के लिए सदैव गान गाते रहें। क्योंकि यहां तो प्रत्येक मानव अपने पुरोहित को जानने के लिए सदैव तत्पर रहा है और यह विचार ता है कि मैं आज पुरोहित को अपने में अपनाता हूं मैं परम पिता परमात्मा के अनुपम क्षेत्र में रमण करने वाला वह परमपिता परमात्मा जो पुरोहित है। जिसकी विद्या को जानने के लिए मानव समाज इच्छुक रहता है। और भी नाना महापुरुष उनके ज्ञान को जानने के लिए तत्पर रहे हैं। वह परमपिता परमात्मा जो हमारा पुरोहित है जो इस ब्रह्मांड का पुरोहित है। जो मानव को परा विद्या प्रदान करने वाला है। उसे ही पुरोहित कहा जाता है। आज इस पुरोहित के लिए हम सदैव गुणगान गाते रहे हैं। पुरोहितानाम्‌ भविताम ब्रह्म: वही तो पुरोहित है। जो परमात्मा परब्रह्म के स्वरूप में विद्यमान है। हमारे यहां पुरोहितों के संबंध में भिन्न भिन्न प्रकार की विवेचना की गई है। जब हम पुरोहितों के लिए अपने विवेचना अथवा अपने लिए तत्पर होते हैं तो है पुरोहितनाम्‌ भविताम ब्रह्मा: जो पुरोहित बनकर के मानव के लिए जनकल्याण के लिए विचारता रहता है और अपने संपर्क में लाता हुआ अपने को उस में आहूत कर देता है। विचार विनिमय क्या है? हम पुरोहित की उपासना करने वाले बने, उन पुरोहित को जानते रहे जो परा विद्या को देने वाला है। जो मानव को मानवता की आभा में परिणत कर देता है। तो बेटा, वह पुरोहित कहा जाता है। एक पुरोहितनाम्‌ यज्ञम भव्यतम ब्राह्मण: यह जो संसार रूपी एक प्रकार की यज्ञशाला हैं। इस यज्ञ शाला में मानो आप ही तो पुरोहित बने हुए हैं। जो परा विद्या के अंकुरों को हमें परिणत करते रहते हैं और उसी परा विद्या को धारण करते हुए, हम सागर से पार हो जाते हैं। देखो पुरोहितजन प्रत्येक ग्रह में परिणत होता है।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


October 07, 2019 RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-64 (साल-01)
2. सोमवार, 07 अक्टूबर 2019
3. शक-1941,अश्‍विन,शुक्‍लपक्ष,तिथि-नवंमी,विक्रमी संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:16,सूर्यास्त 06:05
5. न्‍यूनतम तापमान -22 डी.सै.,अधिकतम-32+ डी.सै., हवा की गति धीमी रहेगी, आद्रता बनी रहेगी।
6. समाचार पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है! सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


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शनिवार, 5 अक्तूबर 2019

मां महागौरी रूपेण संस्थिता

माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है। इनकी शक्ति अमोघ और सद्यः फलदायिनी है। इनकी उपासना से भक्तों के सभी कल्मष धुल जाते हैं, पूर्वसंचित पाप भी विनष्ट हो जाते हैं। भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं जाते। वह सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है।


महागौरी-सिद्धियां
महागौरी - नवदुर्गाओं में अष्टम
देवनागरी-महागौरी
संबंध-हिन्दू देवी
अस्त्र-त्रिशूल
जीवनसाथी-शिव
सवारी-वृषभ
श्लोक:-श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः | महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ||


स्वरूप:-इनका वर्ण पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है- 'अष्टवर्षा भवेद् गौरी।' इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं।महागौरी की चार भुजाएँ हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। ऊपरवाले बाएँ हाथ में डमरू और नीचे के बाएँ हाथ में वर-मुद्रा हैं। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है।


कथा:-माँ महागौरी ने देवी पार्वती रूप में भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ कह देते हैं। जिससे देवी के मन का आहत होता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती हैं। इस प्रकार वषों तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आती तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुँचते हैं वहां पहुंचे तो वहां पार्वती को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं।


एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा। महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं। देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं “सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते। महागौरी जी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है इसके जिसके अनुसार, एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं। देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया। इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया। देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आती है और माँ उसे अपना सवारी बना लेती हैं क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी। इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं।


प्रधानमंत्री कर सकते हैं सऊदी का दौरा

नईदिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब का दौरा कर सकते हैं। इस दौरान पीएम राजधानी रियाद में खाड़ी राष्ट्र द्वारा आयोजित एक निवेश शिखर सम्मेलन में भाग लेने की भी उम्मीद है। लेकिन पीएम मोदी के इस दौरे को लेकर अभी तक किसी भी प्रकार की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। 
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये निवेश सम्मेलन 29 से 31 अक्टूबर तक चलेगा। अपने दौरे पर पीएम मोदी सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ मुलाकात भी करेंगे। दोनों के बीच निवेश, आर्थिक संबंध के बारे में चर्चा होगी। पीएम मोदी सऊदी अरब के शीर्ष नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय महत्व के मुद्दों पर भी बात करेंगे। 


इस खाड़ी देश में पीएम मोदी यह दूसरी यात्रा होगी। उन्होंने आखिरी बार 2016 में रियाद का दौरा किया था, जिसके दौरान उन्हें अब्दुल अजीज सऊद के नाम पर देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बता दें कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल 2 अक्टूबर को सऊदी अरब के दौरे पर थे। माना जा रहा है कि अजीत डोभाल का ये दौरा पीएम के सऊदी अरब दौरे का ग्राउंड तैयार करने के लिए था।


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