बुधवार, 12 अप्रैल 2023

सभी सूखी नहरों में टेल तक पानी छोड़ने की मांग 

सभी सूखी नहरों में टेल तक पानी छोड़ने की मांग 


जिले की सभी सूखी नहरों में टेल तक छोड़ा जाए पानी: अजय सोनी

कौशाम्बी। समर्थ किसान पार्टी के नेता एवं जिला पंचायत सदस्य अजय सोनी ने जिला प्रशासन एवं सिंचाई विभाग से जनपद कौशाम्बी की सभी सूखी नहरों में टेल तक पानी छोड़ने की मांग की है। बुधवार को ग्राम गंभीरा पूर्व में क्षेत्रीय किसानो के साथ अजय सोनी ने बैठक की। बैठक में नहरों में पानी न आने को लेकर किसानो ने शिकायत की। किसानो का कहना था कि करारी माइनर समेत जिले की तमाम नहरों में पानी न आने से जायद की फसलें सूख रहीं हैं। सबसे ज्यादा नुकसान सब्जियों, फलों एवं पिपरमेंट की खेती का हो रहा है। साथ ही नहरों में पानी न आने से गांवों के तालाब भी सूखे पड़े हैं, जिसके चलते भारी दिक्कत हो रही है।

किसानो का कहना था कि अगर नहरों में पानी आ जाए, तो गांवों के तालाब भर जाएं, जिससे गांवों में पशुओं के लिए पीने का पानी और तमाम अन्य जरूरते पूरी हो सकें। इस संबंध में अजय सोनी ने  जिला प्रशासन एवं सिंचाई विभाग से सूखी नहरों में तत्काल पानी छोड़ने की मांग की है। अजय सोनी के मुताबिक आए दिन हो रही आगजनी की घटनाओं से हो रहे जान माल के नुकसान को भी काफी हद तक नहरों के चलने से होने वाले जलभराव के चलते रोका जा सकता है।

अजय सोनी ने तत्काल जिले की सभी नहरों में टेल तक जलापूर्ति करने की जिला प्रशासन एवं सिंचाई विभाग से मांग की है। इस अवसर पर लवलेश तिवारी, राम मूरत तिवारी, विजय शंकर मिश्र, अशोक पांडेय, राजू प्रजापति, दिनेश पाल, चंद्र प्रकाश यादव आदि लोग मौजूद रहे।

विजय कुमार 

सूचना प्रौद्योगिकी नियम में संशोधन वापस, अनुरोध 

सूचना प्रौद्योगिकी नियम में संशोधन वापस, अनुरोध 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएस) ने बुधवार को केंद्र से सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 में संशोधन वापस लेने का अनुरोध करते हुए कहा कि उससे (सरकार से) जुड़ी सामग्री को ‘फर्जी’ या ‘गुमराह करने वाला’ बताने के लिए एक तथ्यान्वेषी इकाई गठित करना ‘‘सेंशरशिप’’ के समान है और यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन करता है। आईएनएस ने यह उल्लेख किया कि नये अधिसूचित नियमों के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास एक तथ्यान्वेषी इकाई गठित करने की शक्ति होगी, जिसके पास यह निर्धारित करने की असीम शक्तियां होंगी कि क्या केंद्र सरकार के किसी कामकाज से जुड़ी कोई खबर क्या ‘‘फर्जी या झूठी या गुमराह करने वाली’’ है?

इस तथाकथित इकाई के पास सोशल मीडिया मंचों, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और अन्य सेवा प्रदाताओं सहित मध्यस्थों को इस तरह की सामग्री की अनुमति नहीं देने और प्रकाशित होने पर उन्हें हटाने का निर्देश देने की शक्ति भी होगी। मीडिया संगठन ने एक बयान में कहा, ‘‘इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी छह अप्रैल 2023 को इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2023 (आईटी संशोधन नियमें,2023) से बहुत परेशान है।’’

मीडिया संगठन ने कहा कि आईएनएस यह कहने को मजबूर हुआ है कि सरकार या इसकी एजेंसी यह निर्धारित करने के लिए असीम शक्ति का इस्तेमाल करेगी कि उसके कामकाज के बारे में क्या फर्जी है, तथा उसे हटाने का आदेश देगी। आईएनएस ने कहा, ‘‘इस तरह की शक्ति को मनमाना माना जाता है। क्योंकि इसका इस्तेमाल पक्षों को सुने बगैर किया जाता है तथा नैसर्गिक न्याय के सभी सिद्धांतों का हनन होता है। इसके तहत, शिकायतकर्ता निर्णय लेने वाले के तौर पर कार्य करता है।’’ मीडिया संगठन ने कहा कि यह भी उल्लेख करने की जरूरत है कि तथाकथित तथ्यान्वेषी इकाई का मंत्रालय द्वारा गठन आधिकारिक गजट में प्रकाशित एक सामान्य अधिसूचना के जरिये किया जा सकता है।

आईएनएस ने कहा, ‘‘अधिसूचित नियम यह नहीं बताते हैं कि इस तरह की तथ्यान्वेषी इकाई के लिए क्या संचालन तंत्र होगा, इसकी शक्तियों के इस्तेमाल के आलोक में क्या न्यायिक अवलोकन उपलब्ध होगा, अपील करने का अधिकार होगा या नहीं, आदि।’’ आईएनएस ने कहा कि मंत्रालय जनवरी 2023 में लाये गये मसौदा संशोधनों को मीडिया संगठनों द्वारा व्यापक विरोध किये जाने के बाद वापस लेने के लिए मजबूर हो गया था और उसने (मंत्रालय ने) मीडिया संगठनों के साथ परामर्श करने का वादा किया था।

मीडिया संगठन ने कहा, ‘‘यह खेद का विषय है कि मंत्रालय ने इस संशोधन को अधिसूचित करने से पहले मीडिया संगठनों जैसे हितधारकों के साथ कोई सार्थक परामर्श नहीं किया।’’ आईएनएस ने कहा, ‘‘नतीजा यह है कि छह अप्रैल को अधिसूचित किये गये नये नियमों में जनवरी 2023 में लाये गये मसौदा संशोधन से शायद ही कोई बेहतर प्रावधान नजर आता हो।’’

मीडिया संगठन ने कहा, ‘‘इन तथ्यों के आलोक में, और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों तथा हमारे संविधान में प्रदत्त वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी सरकार से इस अधिसूचना को वापस लेने का अनुरोध करती है।’’ आईएनएस ने कहा कि सरकार को मीडिया के पेशे और इसकी विश्वसनीयता को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाली कोई भी अधिसूचना जारी करने से पहले मीडिया संगठनों और प्रेस संस्थानों जैसे हितधारकों के साथ व्यापक व सार्थक परामर्श करना चाहिए।

प्रतिस्पर्धा कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी: राष्ट्रपति 

प्रतिस्पर्धा कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी: राष्ट्रपति 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रतिस्पर्धा कानून संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। सरकार ने नियामकीय निश्चितता सुनिश्चित करने और भरोसेमंद कारोबारी माहौल को बढ़ावा देने के लिए कानून में बदलाव किए हैं। प्रतिस्पर्धा कानून में संशोधन के विधेयक को लोकसभा में पेश किए जाने के लगभग आठ महीने बाद तीन अप्रैल को संसद ने इसे मंजूरी दी थी। विधेयक को वित्त पर संसद की स्थायी समिति को भी भेजा गया था, जिसने पिछले साल 13 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की थी। राज्यसभा ने तीन अप्रैल को विधेयक को मंजूरी दी। दोनों सदनों ने बिना किसी चर्चा के कानून पारित कर दिया।

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘‘भारत की माननीय राष्ट्रपति ने प्रतिस्पर्धा (संशोधन) अधिनियम, 2023 को मंजूरी दे दी है।’’ सीसीआई की कार्यवाहक चेयरपर्सन संगीता वर्मा ने कहा कि नया कानून नियामकीय निश्चितता सुनिश्चित करता है और भरोसे पर आधारित कारोबारी माहौल को बढ़ावा देता है।

पार्टी ने जो व्यवहार किया, उससे बहुत पीड़ा हुई

पार्टी ने जो व्यवहार किया, उससे बहुत पीड़ा हुई

इकबाल अंसारी 

बेंगलुरू। कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी का टिकट नहीं मिलने के बाद उडुपी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक रघुपति भट ने बुधवार को कहा कि पार्टी ने उनके साथ जो व्यवहार किया है, उससे उन्हें बहुत पीड़ा हुई है। उडुपी में अपने आवास पर भट ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘पार्टी के निर्णय से मैं उदास नहीं हूं। लेकिन जिस तरीके से पार्टी ने मेरे साथ बर्ताव किया है उससे बहुत पीड़ा हुई है।’’ मीडिया के साथ बातचीत में वह अपने आंसू नहीं रोक पाए। उन्होंने कहा कि पार्टी की जिला इकाई के अध्यक्ष तक ने उन्हें पार्टी के फैसले के बारे में सूचित करने के लिए फोन नहीं किया और उन्हें टेलीविजन चैनलों से इसकी जानकारी मिली। भाजपा विधायक ने कहा, ‘‘अमित शाह ने फोन जगदीश शेट्टार को फोन कर बदलाव के बारे में जानकारी दी।

मैं उम्मीद नहीं करता हूं कि शाह मुझे फोन करेंगे, लेकिन कम से कम जिला अध्यक्ष को ऐसा करना चाहिये था। अगर मुझे सिर्फ मेरी जाति के कारण टिकट से वंचित किया गया है, तो मैं इसके लिए राजी नहीं हूं।’’ उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी को उनके जैसे ‘बिना थके काम करने वाले लोगों’ की जरूरत अब नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने सबसे कठिन समय में भी पार्टी के लिए काम किया है और उन्हें जो अवसर मिले हैं, उसके लिए वह आभारी हैं। पार्टी के उम्मीदवार यशपाल सुवर्णा को ‘‘ अपना बच्चा’’ बताते हुए भट ने कहा कि उन्होंने पार्टी में सुवर्णा के आगे जाने का हमेशा समर्थन किया है।

खुद के साथ बीजेपी के बर्ताव के बारे में भट ने कहा कि वह इस कदर सदमे में हैं कि वह अपने अगले कदम पर तुरंत फैसला नहीं कर सकते। भट के सैकड़ों समर्थक उनकी अगली योजना के बारे में जानने के लिए उनके आवास पर जमा हो गए हैं।

ताइवान के खिलाफ 'युद्ध' छेड़ने की तैयारी: चीन

ताइवान के खिलाफ 'युद्ध' छेड़ने की तैयारी: चीन

डॉक्टर सुभाषचंद्र गहलोत 

ताइपे/बीजिंग। ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने सीएनएन को दिए इंटरव्‍यू में चीन के बुरे इरादों पर बड़ा बयान दिया है। वू ने कहा है कि चीन की तरफ से आक्रामक सैन्‍य अभ्‍यास को अंजाम दिया जा रहा है। इसे अभ्‍यास को देखकर ऐसा लगता है कि चीनी सेना ताइवान के खिलाफ युद्ध छेड़ने की तैयारी कर रही है। पिछले दिनों ताइवान की राष्‍ट्रपति साई इंग वेन अपने पहले अमेरिका दौरे पर थीं। यहां पर उन्‍होंने अमेरिकी कांग्रेस के स्‍पीकर केविन मैक्‍कार्थी से मुलाकात की। चीन उनके दौरे और मैक्‍काथी के साथ उनकी मीटिंग से चिढ़ा हुआ है। अपनी नाराजगी को बताने के लिए उसने चारों तरफ से ताइवान की घेराबंदी कर दी है।

वू ने इंटरव्‍यू में कहा,'सैन्य अभ्यास और उनकी बयानबाजी को देखें, तो ऐसा लगता है कि वे ताइवान के खिलाफ युद्ध शुरू करने के लिए तैयार होने की कोशिश कर रहे हैं।' वू के मुताबिक ताइवान की सरकार चीनी सैन्‍य खतरे को एक ऐसी चीज के रूप में देखती है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है और ताइवान इसकी निंदा करता है। वू से पूछा गया कि क्या ताइवान को संभावित चीनी सैन्य कार्रवाई के समय का कोई आभास है ? इस पर वू ने अमेरिकी खुफिया एजेंसी के अनुमान के आधार पर कहा कि चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग ने अपनी सेना को साल 2027 तक तैयार रहने का निर्देश दिया है। वहीं वू ने ताइवान की सैन्‍य तैयारियों पर भी भरोसा जताया।

वू के शब्‍दों में, 'ताइवान के खिलाफ बल प्रयोग करने का फैसला करने से पहले चीनी नेता दो बार सोचेंगे। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह 2025 या 2027 या उससे भी आगे है, ताइवान को बस तैयार रहने की जरूरत है।' ऐसा लगता है कि पहली बार चीनी नौसेना ने ताइवान पर एयरक्राफ्ट कैरियर के जरिए फाइटर जेट्स के जरिए हमले किए हैं। ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन पिछले शुक्रवार को सेंट्रल अमेरिका और अमेरिका की 10 दिनों की यात्रा से लौटी हैं। उनके लौटने के एक ही दिन बाद चीन ने अभ्यास शुरू कर दिया।

चीन, ताइवानी राष्‍ट्रपति को अलगाववादी नेता मानता है जिन्‍हें पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल है। चीन का मानना है कि वेन बाहरी ताकतों के साथ मिलकर स‍ाजिश रच रही हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या इस तरह दौरा ताइवान को महंगा पड़ रहा है, वू ने जवाब दिया, 'चीन यह तय नहीं कर सकता कि ताइवान कैसे दोस्त बनाता है। चीन यह भी तय नहीं कर सकता कि हमारे दोस्त ताइवान को किस तरह से समर्थन देना चाहते हैं।' अगस्‍त 2022 से ही दोनों देशों के बीच तनाव चल रहा है। उस समय तत्‍कालीन अमेरिकी स्‍पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान की यात्रा पर गई थीं।

चेयरमैन केशब का 99 साल की उम्र में निधन

चेयरमैन केशब का 99 साल की उम्र में निधन

अकांशु उपाध्याय/कविता गर्ग 

नई दिल्ली/मुंबई। भारतीय वाहन उद्योग के दिग्गज और महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड (एमएंडएम) के मानद चेयरमैन केशब महिंद्रा का बुधवार सुबह मुंबई में निधन हो गया। वह 99 साल के थे। कंपनी ने कहा कि केशब महिंद्रा ने आज सुबह घर पर ही अंतिम सांस ली। महिंद्रा समूह के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने कहा, ‘‘वह एक सिद्धांतवादी व्यक्ति थे। केशब महिंद्रा को उनके निपुण व्यापार कौशल के लिए जाना जाता था। उन्होंने महिंद्रा को विविध क्षेत्रों के समूह में बदलने में मदद की। उनके जन-केंद्रित दृष्टिकोण ने उन्हें वैश्विक व्यापार का दिग्गज बना दिया, जिसे बहुत स्नेह और सम्मान मिला।’’ केशब ने चेयरमैन के रूप में 48 साल तक महिंद्रा समूह का नेतृत्व किया। इसके साथ ही उन्हें महिंद्रा समूह के वाहन से अन्य क्षेत्रों मसलन सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), रियल एस्टेट, वित्तीय सेवा और आतिथ्य में विस्तार का श्रेय जाता है।

केशब का जन्म शिमला में नौ अक्टूबर, 1923 में हुआ था और उन्होंने अमेरिका के व्हॉर्टन, पेन्सिल्वेनिया विश्वविद्यालय से स्नातक किया था। वह 1947 में कंपनी में शामिल हुए थे और 1963 में इसके चेयरमैन बन गए थे।। केशब महिंद्रा ने इस्पात व्यापार कंपनी को 15.4 अरब डॉलर के विविध क्षेत्रों में कार्यरत समूह में बदला था।उन्होंने 2012 में अपने भतीजे और समूह के तत्कालीन वाइस-चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक आनंद महिंद्रा को समूह की कमान सौंप दी। केशब 64 साल तक महिंद्रा एंड महिंद्रा के बोर्ड में निदेशक रहे। वह सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के कई संगठनों के बोर्ड और परिषद में शामिल रहे। वह हुडको के संस्थापक चेयरमैन थे।

इसके अलावा वह कई कंपनियों मसलन सेल, टाटा स्टील, टाटा केमिकल्स, इंडियन होटल्स, आईएफसी, आईसीआईसीआई और एचडीएफसी के बोर्ड में भी रहे। केशब ने भारत में बेहतर कॉरपोरेट प्रशासन को फिर से परिभाषित किया। वह उद्योग संगठन एसोचैम की सर्वोच्च सलाहकार परिषद के सदस्य भी थे। उन्हें वर्ष 1987 में फ्रांस के शीर्ष नागरिक सम्मान ‘शेवेलियर डे ला लीजियन डी’होनूर’ से सम्मानित किया गया था। वाहन विनिर्माताओं के संगठन सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने बयान में कहा कि भारतीय वाहन उद्योग ने अपने अग्रणी लोगों में से एक को आज खो दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय वाहन उद्योग की यात्रा के शुरुआती वर्षों में उनके नेतृत्व ने देश को वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में पहचान दिलाई। उनकी मदद से ही भारत वाहन क्षेत्र का विनिर्माण केंद्र बन सका।’’ केशब 1964 में सियाम के अध्यक्ष थे।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘सियाम और भारतीय वाहन उद्योग एक सच्चे दूरदर्शी के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।’’ फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (फाडा) ने कहा, ‘‘वाहन खुदरा बिरादरी के सदस्यों के रूप में हमने आज उद्योग एक दिग्गज को खो दिया। उनके भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।’’ महिंद्रा एंड महिंद्रा के पूर्व प्रबंध निदेशक पवन गोयनका ने ट्वीट किया, ‘‘औद्योगिक दुनिया ने आज अपनी सबसे बड़ी हस्तियों में से एक को खो दिया है। केशब महिंद्रा का कोई मुकाबला नहीं था। मुझे एक सबसे अच्छे व्यक्ति को जानने का सौभाग्य मिला। मैं उनसे प्रेरित था कि कैसे उन्होंने व्यापार, अर्थशास्त्र और सामाजिक मामलों को जोड़ा।

अल नीनो साल, बारिश में बेहद कमी होती है

अल नीनो साल, बारिश में बेहद कमी होती है

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। भारत में मानसून के सामान्य रहने के भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुमान के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि ला नीना के बाद अल नीनो साल में बारिश में बेहद कमी होती है। लगातार तीन बार ला नीना के प्रभाव के बाद इस साल अल नीनो की स्थिति बनेगी। ला नीना की स्थिति अल नीनो से विपरीत होती है। ला नीना स्थिति के दौरान आमतौर पर मानसून के मौसम में अच्छी बारिश होती है। आईएमडी ने मंगलवार को अपने अनुमान में कहा था कि अल नीनो की स्थिति बनने के बावजूद भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान सामान्य बारिश होने की उम्मीद है।

ऐसी स्थिति से कृषि क्षेत्र को खासी राहत मिलेगी। मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट वेदर ने मॉनसून के दौरान देश में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान जताया है। आईआईटी बंबई और मैरीलैंड विश्वविद्यालय में अध्यापन करने वाले प्रोफेसर रघु मुर्तुगुड्डे ने कहा था कि 60 प्रतिशत अल नीनो साल में जून-सितंबर के दौरान 'सामान्य से कम' बारिश दर्ज की गई है लेकिन विश्लेषण से पता चलता है कि ला नीन  साल के बाद आने वाले अल नीनो साल में मानसून के दौरान बारिश की कमी की प्रवृत्ति रहती है।

आईएमडी के अनुसार अल नीनो की स्थिति के जुलाई के आसपास विकसित होने की उम्मीद है और इसका प्रभाव मॉनसूनी मौसम के दूसरे हिस्से में महसूस किया जा सकता है। आईएमडी ने कहा था कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान सकारात्मक हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) की स्थिति उत्पन्न होने की उम्मीद है और उत्तरी गोलार्ध तथा यूरेशिया पर बर्फ का आवरण भी दिसंबर 2022 से मार्च 2023 तक सामान्य से कम था।

आईओडी को अफ्रीका के पास हिंद महासागर के पश्चिमी भागों और इंडोनेशिया के पास महासागर के पूर्वी भागों के बीच समुद्र की सतह के तापमान में अंतर से परिभाषित किया गया है। एक सकारात्मक आईओडी भारतीय मॉनसून के लिए अच्छा माना जाता है। इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी के शोध निदेशक अंजल प्रकाश ने कहा कि 40 प्रतिशत अल नीनो वर्षों में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश हुई है, जबकि 60 प्रतिशत साल में कम बारिश दर्ज की गई है।

उन्होंने सवाल किया, "हम उन बड़े रुझानों को समझने के बजाय छोटे मूल्यों पर क्यों गौर करते हैं जो दिखाते हैं कि अल नीनो का मॉनसून की बारिश की पद्धति (पैटर्न) पर प्रभाव पड़ता है।" भारत के कृषि परिदृश्य के लिए सामान्य बारिश महत्वपूर्ण है क्योंकि खेती वाले क्षेत्र का 52 प्रतिशत इसी पर निर्भर है। यह देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों में जल के भंडारण के लिए भी जरूरी है।

देश के कुल खाद्य उत्पादन में वर्षा आधारित कृषि का हिस्सा लगभग 40 प्रतिशत है, जिससे यह भारत की खाद्य सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है। आईएमडी के मुताबिक, 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच 50 साल के औसत 87 सेमी की बारिश को सामान्य माना जाता है। दीर्घावधि औसत के हिसाब से 90 प्रतिशत से कम वर्षा को कमी, 90 से 95 प्रतिशत के बीच सामान्य से कम 105 से 110 प्रतिशत के बीच सामान्य से अधिक और 100 प्रतिशत से अधिक वर्षा को अधिक वर्षा माना जाता है। 

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