सोमवार, 9 जनवरी 2023

देश के लिए आदर्श योजना, मुख्यमंत्री नाश्ता योजना

देश के लिए आदर्श योजना, मुख्यमंत्री नाश्ता योजना

इकबाल अंसारी 

चेन्नई। तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने सोमवार को कहा कि मध्याह्न भोजन की तर्ज पर प्राथमिक स्कूल के छात्रों के लिए राज्य सरकार की ‘मुख्यमंत्री नाश्ता योजना’ पूरे देश के लिए एक आदर्श योजना होगी। श्री रवि ने विधानसभा में अपने संबोधन में कहा कि 1920 में जस्टिस पार्टी की ओर से चेन्नई कार्पोरेशन में शुरू की गयी मध्याह्न भोजन योजना का समय की अवधि में विस्तार किया गया है और आज यह पूरे देश के लिए एक मॉडल बन गया है।

उन्होंने कहा कि सीखने की आकांक्षा होने के बावजूद कई छात्र पढ़ाई पर ध्यान नहीं दें पाते हैं , क्योंकि वे स्कूलों में सुबह बिना नाश्ता किये भूखे आते हैं। इस समस्या के समाधान के लिए 'मुख्यमंत्री नाश्ता योजना' शुरू की गयी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री एम.के.स्टालिन द्वारा शुरू की गई यह योजना मध्याह्न भोजन योजना के लिए नया आयाम जोड़ता है।

उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में यह योजना 1545 सरकारी स्कूलों क्रियान्वित की जा रही है और प्राथमिक विद्यालय के 1.14 लाख छात्र रोजाना इससे लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने कहा , “ मुझे दृढ़ विश्वास है कि मध्याह्न भोजन योजना के समान यह योजना पूरे देश के लिए एक मॉडल भी बनेगी।” 

कवि व रचनाकार प्रोफेसर रहमान का निधन 

कवि व रचनाकार प्रोफेसर रहमान का निधन 

इकबाल अंसारी 

श्रीनगर। प्रसिद्ध कवि और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कश्मीर के पहले रचनाकार प्रोफेसर रहमान राही का सोमवार को यहां निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे। एक अधिकारी ने कहा, “राही ने शहर के नौशेरा इलाके में अपने आवास पर आज तड़के अंतिम श्वांस ली।” राही का जन्म छह मई, 1925 को हुआ था। उन्होंने कई कविता संग्रह लिखे और कुछ मशहूर कवियों की रचनाओं का कश्मीरी में अनुवाद किया।

राही को 1961 में उनके कविता संग्रह ‘नवरोज़-ए-सबा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला, वहीं उन्हें देश के सर्वोच्च साहित्य पुरस्कार ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से 2007 में उनके संग्रह ‘सियाह रूद ज़रीन मंज़’ (इन ब्लैक ड्रिज्ज़ल) के लिए सम्मानित किया गया। वर्ष 2000 में उन्हें उनके कार्यों के लिए पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। राही ने बाबा फरीद की रचनाओं का कश्मीरी में अनुवाद किया, जबकि राही की शुरुआती रचनाओं में दीना नाथ नादिम का प्रभाव रहा। राही के निधन पर कश्मीर में व्यापक स्तर पर शोक व्यक्त किया गया। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उनकी मृत्यु को ‘एक युग का अंत’ करार दिया।

सिन्हा ने एक ट्वीट में कहा, “कश्मीर के सबसे प्रभावशाली कवियों में से एक, ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता प्रोफेसर रहमान राही के निधन के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ। उनके निधन से एक युग का अंत हो गया। उनके परिवार, दोस्तों और शुभचिंतकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।” पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी राही के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट किया, “महान साहित्यकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता रहमान राही साहब के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। उनके निधन से कश्मीरी साहित्य और समाज में एक शून्य पैदा हो गया जिसे कभी भरा नहीं जा सकता। परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं।” मार्क्सवादी नेता एम. वाई. तारिगामी ने भी राही के निधन पर शोक व्यक्त किया। 

एससी ने 'एपी' सरकार की याचिका पर जवाब मांगा

एससी ने 'एपी' सरकार की याचिका पर जवाब मांगा

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आंध्र प्रदेश सरकार की उस याचिका पर केंद्र और तेलंगाना सरकार से जवाब मांगा है। जिसमें दोनों राज्यों के बीच संपत्तियों और देनदारियों के समान और त्वरित बंटवारे का अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम. एम. सुंदरेश की पीठ ने केंद्र सरकार और तेलंगाना सरकार को नोटिस जारी किया। आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा कि उसने उच्चतम न्यायालय से ‘‘राष्ट्र के अभिभावक’’ के रूप में संपर्क किया है। आंध्र सरकार का दावा है कि संपत्ति का बंटवारा नहीं होने से तेलंगाना को लाभ हुआ है क्योंकि करीब 91 प्रतिशत संपत्ति हैदराबाद में स्थित हैं।

याचिका के अनुसार संपत्ति का विभाजन नहीं होने से कई मुद्दे पैदा हुए हैं। जिनसे आंध्र प्रदेश के लोगों के मौलिक और अन्य संवैधानिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।इसमें दावा किया गया है कि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन कानून, 2014 के तहत किए गए बंटवारे के संदर्भ में पर्याप्त धन और संपत्ति के वास्तविक बंटवारे के बिना, आंध्र प्रदेश राज्य के विभिन्न संस्थानों के कामकाज में गंभीर रूप से ठहराव आया है। वर्ष 2014 में आंध्र प्रदेश को विभाजित कर एक नए राज्य तेलंगाना का गठन किया गया था।

याचिका में कहा गया है कि राज्य के विभिन्न संस्थानों में कार्यरत (1,59,096) कर्मचारी 2014 से ही अधर में लटके हुए हैं क्योंकि उचित विभाजन नहीं किया गया है। आंध्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य के विभाजन के बाद सेवानिवृत्त हुए पेंशन योग्य कर्मचारियों की स्थिति दयनीय है और उनमें से कई को अंतिम लाभ नहीं मिल पाया है। इसलिए, जरूरी है कि इन संपत्तियों का जल्द से जल्द बंटवारा किया जाए और इस मुद्दे का हल किया जाए। 

देश के जांबाजों पर कीचड़ उछाल रही है 'पार्टी'

देश के जांबाजों पर कीचड़ उछाल रही है 'पार्टी'

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) दीपक कपूर के शामिल होने को लेकर सोमवार को सवाल खड़े किए, तो कांग्रेस ने उस पर पलटवार करते हुए कहा कि सत्तारूढ प़ार्टी देश के जांबाजों पर कीचड़ उछाल रही है। कपूर और रक्षा सेवाओं के कुछ अन्य सेवानिवृत्त अधिकारी हरियाणा में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में राहुल गाधी के साथ शामिल हुए।

राहुल गांधी के साथ कपूर की पदयात्रा वाली तस्वीर साझा करते हुए भाजपा के आईटी प्रकोष्ट के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट किया, ‘‘पूर्व सेना प्रमुख जनरल (सेवानिवृत्त) दीपक कपूर राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल हुए। कपूर को आदर्श घोटाले में कई दूसरे वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के साथ अभ्यारोपित किया गया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जांच समिति की यह राय थी कि सैन्य बलों को शर्मिंदा करने के लिए इन अधिकारियों को किसी सरकारी पद पर आसीन होने से प्रतिबंधित किया जा सकता है।’’ मालवीय पर निशाना साधते हुए कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, ‘‘जनरल कपूर 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के योद्धा हैं।

उन्हें परम विशिष्ठ सेवा पदक, अति विशिष्ठ सेवा पदक, विशिष्ठ पदक और सेना पदक से नवाज गया हैं। उन्होंने 1967 से 2010 के दौरान चार दशकों तक राष्ट्र की सेवा की है। आपको हमारे योद्धाओं को बदनाम करने के लिए शर्म आनी चाहिए। आप पर दया आती है।’’ सुप्रिया श्रीनेत के ट्वीट को टैग करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘ आप इस तरह की बीमार सोच वाले से और क्या उम्मीद कर सकती हैं?’’

कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘इनके (मालवीय) बॉस उस समय एक और स्तर पर गिर गए थे जब उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव के समय जनरल दीपक कपूर और डॉक्टर मनमोहन सिंह पर आईएसआई के साथ मिलकर साजिश रचने का आरोप लगाया था। 

'वैश्विक भागीदारी' की पहली बैठक में हिस्सा लिया

'वैश्विक भागीदारी' की पहली बैठक में हिस्सा लिया

मिनाक्षी लोढी 

कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत वित्तीय समावेशन के लिए वैश्विक भागीदारी (जीपीएफआई) की पहली बैठक में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार विकास को मानवीय रूप देने में विश्वास करती है। तीन दिवसीय इस बैठक में जी-20 के सदस्य देशों से आए प्रतिनिधियों को संबोधित कर रही ममता ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने 1.2 करोड़ रोजगार का सृजन किया है तथा राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कई गुना वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि राज्य में धर्म, जाति या भाषाओं की विविधता के बावजूद लोग एकजुट हैं।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बंगाल में विकास हुआ क्योंकि हमने महिलाओं, किसानों और लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) को सशक्त बनाया। जी20 की पहली ग्लोबल पार्टनरशिप फॉर फाइनेन्शियल इन्क्लूज़न बैठक में ममता ने कहा, हमने सरकार आपके द्वार (दुआरे सरकार) कार्यक्रम की शुरुआत यह सुनिश्चित करने के लिए की कि लोगों को हमारी विकास संबंधी पहलों का लाभ मिले। इस कार्यक्रम ने राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किया।

वैश्विक भागीदारी और वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने के लिए डिजिटल नवाचारों पर UIDAI CEO सौरभ गर्ग ने कहा, G-20 देशों को आधार, UPI, e-SIGN और डिजी लॉकर दिखाया जा रहा है। इसका उद्देश्य है कि कैसे विभिन्न देशों द्वारा इंडिया स्टैक को प्रभावी ढंग से कैसे इस्तेमाल किया जाए ?

जनहित याचिका पर विचार करने से मना: एससी 

जनहित याचिका पर विचार करने से मना: एससी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उत्तराखंड और गुजरात में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने के लिए समितियां गठित करने के उन राज्यों की सरकारों के फैसलों को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर विचार करने से सोमवार को मना कर दिया। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की पीठ ने कहा कि अनूप बर्णवाल और अन्य लोगों की याचिका में दम नहीं है, इसलिये यह विचारणीय नहीं है।

उसने कहा कि राज्यों द्वारा ऐसी समितियों के गठन को संविधान के दायरे से बाहर जाकर चुनौती नहीं दी जा सकती। अदालत ने कहा, ‘‘राज्यों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत समितियां गठित करने में कुछ गलत नहीं है। यह अनुच्छेद कार्यपालिका को ऐसा करने की शक्ति देता है।’’ उत्तराखंड और गुजरात की सरकारों ने समान नागरिक संहिता लागू करने पर विचार करने के लिए समितियों का गठन किया है।

लोगों के बीच 'विश्वास' बनाने की जरूरत: सेन

लोगों के बीच 'विश्वास' बनाने की जरूरत: सेन

मिनाक्षी लोढी 

कोलकाता। प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने कहा कि विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच “भयावह गलतफहमियों” को दूर करने के लिए “विश्वास बनाने” की जरूरत है। सेन अपने ट्रस्ट ‘प्रतीची’ द्वारा स्कूली बच्चों के लिए आयोजित एक निजी समारोह में शामिल होने के लिए कोलकाता आए थे। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ मतभेदों को “अज्ञानता व निरक्षरता” ने जन्म दिया है। ‘

नो योर नेबर’ नाम के एक अन्य संगठन के साथ मिलकर ‘प्रतीची ट्रस्ट’ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सेन ने कहा, “हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां धर्मों के बीच भयावह गलतफहमियां बेहद आम हैं...हमारे बीच हर तरह के मतभेद हैं। कुछ मतभेद अशिक्षा और अज्ञानता की वजह से हैं।” सेन ने कहा, “विश्वास बनाने की जरूरत है। अगर एक मुस्लिम सज्जन अलग राय रखते हैं तो हमें यह सवाल पूछने की जरूरत है कि वह अलग नजरिया क्यों अपना रहे हैं?” एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के विचार भिन्न हो सकते हैं, इसे बताने के लिये उन्होंने एक घटना का उल्लेख किया जब वह अपनी बेटी अंतरा को एक स्कूल में दाखिले के मकसद से साक्षात्कार के लिए ले गए थे, और एक प्रश्न पूछे जाने पर वह चुप रही।

उन्होंने याद किया कि जब शिक्षक ने अंतरा से रंगों की पहचान कराने के उद्देश्य से उसे लाल और नीली पेंसिल दिखाई तो वह चुप रही। सेन ने कहा, “मैं बहुत हताश था...जब हम बाहर आए तो मेरी पांच वर्षीय बेटी ने कहा, ‘बाबा, इनको कुछ समस्या है क्या? क्या वह रंग नहीं पहचान पाते?’” सेन ने रविवार को ‘युक्त साधना’ कार्यक्रम में छात्रों व शिक्षकों के साथ बातचीत के दौरान कहा, “उल्लेखनीय बात यह है कि कई बार हमारी एक-दूसरे को समझने की क्षमता असाधारण रूप से सीमित होती है।

हम अलग दिशा में जाते हैं जैसे अंतरा को लग रहा था कि यह सवाल किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है जो वर्णांध (रंगों की पहचान करने में अक्षम) हैं।” अपनी बातचीत के दौरान सेन ने बार-बार हिंदुओं और मुसलमानों की ‘युक्त साधना’ (एक साथ काम करने) की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमें हमेशा संपर्क की तलाश करनी चाहिए। जरूरी नहीं कि संपर्क हर समय किसी गंभीर मुद्दे पर हो। संपर्क छोटे-छोटे मामलों पर भी बनाया जा सकता है।”

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