बुधवार, 17 अगस्त 2022

ज्यादा बोलकर लोगों को गुमराह नहीं करना चाहिए 

ज्यादा बोलकर लोगों को गुमराह नहीं करना चाहिए 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने योगगुरु रामदेव के कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के बावजूद संक्रमित हो जाना 'मेडिकल साइंस की विफलता है' बयान पर कहा है कि आधिकारिक बातों से ज्यादा बोलकर लोगों को गुमराह नहीं करना चाहिए। जस्टिस अनूप जयराम भंबानी ने कहा, मुझे आयुर्वेद के प्रतिष्ठित नाम के खराब होने की चिंता है…आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है…इसे नुकसान मत पहुंचाइए।

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को योग गुरु बाबा रामदेव को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा, लोगों को गुमराह नहीं करें। जो ऑफिशियल जानकारी है, उससे ज्यादा कुछ न कहें। कोविड वैक्सीन लगने के बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कोरोना संक्रमित हुए थे। रामदेव ने इसे चिकित्सा विज्ञान की विफलता बताया था। रामदेव द्वारा एलोपैथी के खिलाफ बयान देने पर विभिन्न डॉक्टरों के संघों ने मुकदमा दायर किया था। इसकी सुनवाई करते हुए जस्टिस अनूप जयराम भम्बानी ने कहा- आयुर्वेद एक मान्यता प्राप्त, प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। आयुर्वेद के अच्छे नाम को नुकसान नहीं पहुंचाएं। रामदेव ने अंतरराष्ट्रीय नेताओं का नाम अपने बयान में लिया है, उन नेताओं और उनके देशों से हमारे संबंध हैं। ऐसे बयान विदेशों के साथ हमारे अच्छे संबंधों को प्रभावित करेगा।

कोर्ट ने कहा, यह कहना एक बात है कि मैं वैक्सीन नहीं लेना चाहता हूं, लेकिन यह कहना बिल्कुल दूसरी बात है कि वैक्सीन भूल जाओ, यह बेकार है, लेकिन इसे ले लो, मैं किस फॉर्मूलेशन का प्रचार कर रहा हूं। रामदेव के अनुयायियों, शिष्यों और उन पर विश्वास करने वालों को उनकी सलाह मानने या न मानने का स्वागत है, लेकिन उन्हें आधिकारिक जानकारी ही दें, उससे अधिक कहकर गुमराह न करें। रामदेव के वकील ने कोर्ट में कहा- ये केस राजनीति से प्रेरित है। बाबा रामदेव को बदनाम करने के लिए इस केस को कांग्रेस बनाम भाजपा बनाया जा रहा है। अदालत ने कहा- कोर्ट में राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है। सीनियर वकील अखिल सिब्बल ने कोरोनोवायरस महामारी के दौरान रामदेव बाबा के एलोपैथी के खिलाफ दिए गए बयानों पर दलीलें दीं। अदालत ने कहा- मामले की सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी।

बैंक ने जमाओं पर ब्याज दर 1.5 प्रतिशत तक बढ़ाई

बैंक ने जमाओं पर ब्याज दर 1.5 प्रतिशत तक बढ़ाई

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक ने सावधि जमाओं पर ब्याज दर 1.5 प्रतिशत तक बढ़ा दी है। नई दरें नौ अगस्त 2022 यानि बुधवार से लागू हैं। बैंक ने कहा कि भारत की आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर उसने विभिन्न अवधियों की सावधि जमाओं पर ब्याज दर में 0.3 प्रतिशत से 1.50 प्रतिशत की वृद्धि की है।

उज्जीवन एसएफबी ने 75 सप्ताह (525 दिन) और 75 महीने की जमाओं के लिए सबसे अधिक 7.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की उच्चतम ब्याज दर तय की है। इन दोनों अवधि की जमा योजनाओं की शुरुआत आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर की गई है। बैंक ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए अतिरिक्त दर अब 0.50 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.75 प्रतिशत कर दी गई है। नयी दरें दो करोड़ रुपये से कम जमा पर लागू हैं। बैंक ने कहा कि वह मासिक, त्रैमासिक और परिपक्वता पर ब्याज भुगतान विकल्पों की पेशकश करेगा।

'टीकेडीएल' डाटाबेस की व्यापक पहुंच को मंजूरी दी

'टीकेडीएल' डाटाबेस की व्यापक पहुंच को मंजूरी दी 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पेटेंट कार्यालयों के अलावा अन्य उपयोगकर्ताओं के लिए ‘पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी’ (टीकेडीएल) डाटाबेस की व्यापक पहुंच को मंजूरी दे दी। टीकेडीएल डाटाबेस तक पहुंच एक सशुल्क सदस्यता मॉडल के माध्यम से होगी, जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उपयोगकर्ताओं के लिए क्रमवार खोला जाएगा। सरकार ने एक बयान में कहा कि पेटेंट कार्यालयों से परे डाटाबेस की पहुंच का विस्तार करने के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी नवाचार और व्यापार को बढ़ाने की दिशा में मौजूदा प्रथाओं के साथ पारंपरिक ज्ञान के एकीकृत और सह-चुनाव पर जोर देती है। बयान में कहा गया, “टीकेडीएल ज्ञान और प्रौद्योगिकी की सीमाओं को आगे बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करेगा।

टीकेडीएल की वर्तमान सामग्री भारतीय पारंपरिक दवाओं को व्यापक रूप से अपनाने की सुविधा प्रदान करेगी, साथ ही नए निर्माताओं और नवप्रवर्तकों को हमारी मूल्यवान ज्ञान विरासत के आधार पर उद्यमों का लाभप्रद निर्माण करने के लिए भी प्रेरित करेगी।” बयान में कहा गया कि टीकेडीएल के खुलने से विविध क्षेत्रों में भारत की मूल्यवान विरासत के आधार पर अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। इसमें कहा गया कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत, भारतीय ज्ञान परम्परा के माध्यम से विचार और ज्ञान नेतृत्व को विकसित करने के लिए टीकेडीएल को खोलने की भी परिकल्पना की गई है।

सिलसिला: एटीएस ने 6 लोगों को हिरासत में लिया 

सिलसिला: एटीएस ने 6 लोगों को हिरासत में लिया 

विमलेश यादव 

अहमदाबाद। गुजरात आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने वडोदरा शहर के पास एक निर्माणाधीन फैक्ट्री से 1125 करोड़ रुपये कीमत का 225 किलोग्राम मादक पदार्थ मेफेड्रोन बरामद होने के सिलसिले में छ: लोगों को हिरासत में लिया है। एटीएस के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सुनील जोशी ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि जब्त किया गया नशीला पदार्थ भरूच जिले के सायखा गांव में एक रसायन फैक्ट्री में बना था और इसे वडोदरा जिले के सावली तालुका में निर्माणाधीन फैक्ट्री में प्रसंस्कृत किया जा रहा था।

उन्होंने कहा, “ गुप्त सूचना के आधार पर गुजरात एटीएस की एक टीम ने मंगलवार सुबह इस फैक्ट्री व गोदाम में छापा मारा और 225 किलोग्राम मेफेड्रोन जब्त किया जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 1,125 करोड़ रुपये है।” जोशी ने कहा, “ निमार्णाधीन फैक्ट्री का मालिक सूरत निवासी महेश वैष्णव है जो गिरोह का सरगना है और वडोदरा में रहने वाला पीयूष पटेल उसका साझेदार है। इस साल के शुरू में वैष्णव ने मेफेड्रोन बनाने का विचार दिया और सायखा में स्थित एक अन्य रसायन फैक्ट्री के मालिकों से संपर्क किया।” भरूच जिले में स्थित फैक्ट्री के मालिक राकेश मकानी, विजय वसोया और दिलीप वाघासिया हैं। इसकी स्थापना अन्य कंपनियों के लिए अनुबंध के आधार पर रसायन और अन्य फार्मास्युटिकल उत्पादन बनाने के लिए की गई थी। मकानी ने वैष्णव की पेशकश को स्वीकार कर लिया और इस साल जनवरी से मेफेड्रोन का उत्पादन शुरू कर दिया। अवैध मादक पदार्थ बनाने के लिए कच्चे माल की आपूर्ति वैष्णव करता था।

जोशी ने बताया, “ वैष्णव तरल मेफेड्रोन को अपनी फैक्ट्री में लाता था और उसे सुखाने के बाद पाउडर में तब्दील करता था। उसने स्वीकार किया है कि उसने मुंबई के दिनेश ध्रुव और दो अन्य लोगों को तथा राजस्थान के एक व्यक्ति को 15-15 किलोग्राम मेफेड्रोन भेजी है। बाकी को एटीएस ने जब्त कर लिया।” एटीएस ने अब तक वैष्णव, पटेल, मकानी, वसोया, वघासिया और ध्रुव को हिरासत में लिया है। ध्रुव को 1994 में स्वापक औषधि और मन-प्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस) के तहत गिरफ्तार किया गया था और वह 12 साल तक जेल में रह चुका है। उन्होंने बताया कि इसी तरह वैष्णव को भी 1998 में मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में गिरफ्तार किया गया था और वह सात साल तक जेल में रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में शामिल अन्य लोगों की तलाश की जा रही है।

अधीक्षण अभियंता को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया 

अधीक्षण अभियंता को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया 

पटना। स्पेशल विजिलेंस यूनिट (एसवीयू) ने बिहार पुलिस भवन निगम के अधीक्षण अभियंता अरुण कुमार को बुधवार को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। एसवीयू के अपर पुलिस महानिदेशक एन. एच. खान ने बुधवार को यहां बताया कि विभाग को लिखित जानकारी मिली थी कि पुलिस भवन निगम के अधीक्षण अभियंता अरुण कुमार ने ठेकेदार गणेश कुमार से किसी काम को कराने के लिए एक बड़ी राशि की मांग की है, जिसमें पहली किस्त के रूप में 50 हजार रुपये देने को कहा गया है। आरोप की सत्यता के लिए विभाग की ओर से एक विशेष टीम का गठन किया गया। जांच में मामले को सही पाए जाने के बाद विभाग की ओर से एक विशेष टीम का गठन किया गया।

खान ने बताया कि इस विशेष टीम ने अधीक्षण अभियंता को ठेकेदार से बतौर रिश्वत 50 हजार रुपये लेते हुए रंगेहाथ कार्यालय से गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तार अधीक्षण अभियंता से पूछताछ की जा रही है। इस सिलसिले में अधीक्षण अभियंता के खिलाफ एसवीयू थाना में मामला दर्ज किया गया है।

ज्ञानवापी: पैरोकार डॉक्टर को जान से मारने की धमकी 

ज्ञानवापी: पैरोकार डॉक्टर को जान से मारने की धमकी 

संदीप मिश्र 

वाराणसी। वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मामले को अदालत चुनौती देने वाली महिलाओं में से एक लक्ष्मी देवी के पैरोकार डॉक्टर सोहन लाल आर्य को जान से मारने की धमकी मिली है। पाकिस्तान के नंबर से आई कॉल में धमकी देने वाले ने राजस्थान के कन्हैया की तरह सिर तन से जुदा करने की धमकी दी है। सोहनलाल ने इसकी शिकायत पुलिस के अधिकारियों से की है। डीसीपी काशी ने कहा कि केस दर्ज होगा। सोहनलाल को पहले से सुरक्षा मिली हुई है। इससे पहले उन्हें इसी साल 19 मार्च और फिर 20 जुलाई को जान से मारने की धमकी मिल चुकी है। सोहनलाल का कहना है कि वो इससे डरने वाले नहीं हैं। हिंदुत्व और मंदिर रक्षा के लिए प्राण भी चले जाएं तो फर्क नहीं पड़ता। उनकी सिक्योरिटी में दो पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।

डॉ. आर्य ने कहा कि धमकी के बारे में इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारियों से भी बात हुई है। अंदेशा है कि भारत से ही कोई शख्स पाकिस्तान के नंबर का इस्तेमाल करके कॉल कर रहा है। नंबरों को इंटेलिजेंस के अधिकारियों को सौंपा गया है। वाराणसी कमिश्नर और डीएम से मिलने का समय मिला है। लक्सा थाने में एफआईआर दर्ज कराएंगे। उनके दोनों मोबाइल नंबर पर धमकी मिली है। दिल्ली की राखी सिंह के अलावा वाराणसी की 4 महिलाओं ने मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन और ज्ञानवापी परिसर के अन्य देव की सुरक्षा के लिए मुकदमा दाखिल किया था। डॉ. सोहनलाल आर्य वाराणसी की लक्ष्मी देवी के पति और उनके पैरोकार हैं। आतंकवादियों की धमकी के बारे में डॉ. सोहनलाल ने कहा कि मुकदमा वापस लेने की धमकी दी गई। जवाब में मैंने कहा कि हम धमकी से झुकने वाले नहीं हैं। कल 18 अगस्त को तारीख है। हिंदुओं के पक्ष में फैसला आने वाला है। उनका कहना है कि कुछ आतंकवादी संगठन उनके पीछे पड़े हैं। वो 1984 में विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। इस समय RSS के प्रांतीय पदाधिकारी हैं।

19 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया

19 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया 

संदीप मिश्र 
आजमगढ़। जिलाधिकारी विशाल भारद्वाज ने बताया है कि वर्ष 2022 हेतु घोषित अवकाशों में 18 अगस्त 2022 (गुरुवार) को जन्माष्टमी को निगोशिएबुल इन्स्ट्रूमेन्ट एक्ट, 1881 के अधीन सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। हिन्दू पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी का त्योहार 19 अगस्त 2022 को मनाये जाने की सूचना प्राप्त हुई है।

ऐसी स्थिति में जन्माष्टमी का त्योहार 18 अगस्त 2022 (गुरुवार) के स्थान पर 19 अगस्त, 2022 (शुक्रवार) को मनाये जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होने कहा कि उक्त लिये गये निर्णय के आलोक में जन्माष्टमी के त्योहार हेतु 18 अगस्त 2022 के स्थान पर 19 अगस्त 2022 को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है।

खनन लीज पट्टा व कंपनी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई 

खनन लीज पट्टा व कंपनी से जुड़ी याचिका पर सुनवाई 

अकांशु उपाध्याय/विमलेश यादव 

नई दिल्ली/रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जुड़े खनन लीज पट्टा और शेल कंपनी से जुड़ी याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट की कार्रवाई पर फ़िलहाल रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने एसएलपी पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। पिछली सुनवाई के दौरान पीआईएल के प्रार्थी के द्वारा डिस्चार्ज याचिका दाखिल कर अदालत को बताया गया था कि उनके वकील पुलिस हिरासत में हैं, जिसके बाद अदालत ने मौखिक रूप से इस मामले से जुड़े सभी पक्षों को स्टेटस को (यथा स्थिति) बनाए रखने का निर्देश दिया था। जिससे झारखंड की मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ी राहत मिली थी।

गौरतलब है कि झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट में दोनों याचिकाओं में हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें खनन के पट्टे देने में कथित अनियमितताओं का हवाला हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जांच के लिए जनहित याचिका दाखिल की गई थी। जिसे झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने स्वीकार कर लिया था।

पिछली सुनवाई के दौरान इस केस की सुनवाई से पूर्व एक वरीय अधिवक्ता ने अपनी ख़राब तबियत का हवाला दिया था। अदालत से इस मामले की सुनवाई के लिए समय देने का आग्रह किया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर किया है। बता दें कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने अपने 3 जून को दिए आदेश में कहा था कि याचिका सुनने योग्य है। हाईकोर्ट के इस आदेश के विरुद्ध राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहीं एक अन्य जनहित याचिका शेल कंपनी मामले को लेकर भी दायर है, जिसमें याचिका को अयोग्य करार दिया गया है।

इसाक की 2 सितंबर तक पेशी को लेकर जोर नहीं 

इसाक की 2 सितंबर तक पेशी को लेकर जोर नहीं 

इकबाल अंसारी 

तिरुवनंतपुरम/कोच्चि। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को केरल उच्च न्यायालय में कहा कि वह केआईआईएफबी द्वारा कथित उल्लंघनों की जांच के सिलसिले में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता थॉमस इसाक की दो सितंबर तक पेशी को लेकर जोर नहीं देगा। दो सितंबर तक एजेंसी के समन के खिलाफ उनकी याचिका पर अगली सुनवाई होने की उम्मीद है। मामले से जुड़े सरकारी वकीलों ने कहा कि ईडी ने इसाक की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगा जिसके बाद अदालत ने मामले को केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) द्वारा हाल में दायर एक याचिका के साथ दो सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया। वकीलों ने कहा कि एजेंसी ने अदालत से यह भी कहा कि वह तब तक (दो सितंबर तक) माकपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री की पेशी पर जोर नहीं देगी।

इसाक ने अपनी याचिका में दलील दी है कि एजेंसी को उनसे पूछताछ करने या उनकी व्यक्तिगत जानकारी या विवरण मांगने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वह केआईआईएफबी के पूर्व प्रमुख थे और वर्तमान में इसके पदेन सदस्य हैं। उन्होंने आगे दलील दी है कि ईडी ने जाल बिछाया और केआईआईएफबी की गतिविधियों में जांच करने का प्रयास किया जबकि इस तरह की पूछताछ पर शीर्ष अदालत द्वारा बार-बार अप्रसन्नता जाहिर की गई है। उन्होंने दावा किया है कि उन्हें जारी किए गए समन में उनके द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों के उल्लंघन (यदि कोई हो), की प्रकृति का खुलासा नहीं किया गया है या यह नहीं बताया गया है कि किस जांच के संबंध में उनका जवाब मांगा गया है। ईडी ने पिछले महीने वरिष्ठ मार्क्सवादी नेता को 19 जुलाई को पेश होने के लिए एक नोटिस दिया था। हालांकि, वह जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए और कहा कि उन्हें राज्य की राजधानी में पार्टी संचालित संस्थान में कक्षाओं में हिस्सा लेना था।

यूपी: 670 से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी

यूपी: 670 से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी 

संदीप मिश्र 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्यकर विभाग में खाली अराजपत्रित श्रेणी के 670 से अधिक पदों पर जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। इनमें कनिष्ठ सहायक, आशुलिपिक, उर्दू अनुवादक, प्रधान सहायक, वाहन चालक ग्रेड-4 और सेवक आदि के उत्तर प्रदेश राज्यकर विभाग में खाली अराजपत्रित श्रेणी के 670 से अधिक पदों पर जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। इनमें कनिष्ठ सहायक, आशुलिपिक, उर्दू अनुवादक, प्रधान सहायक, वाहन चालक ग्रेड-4 और सेवक आदि के पद शामिल हैं। मुख्यालय की ओर से जोन के अपर आयुक्तों के अलावा अपर निदेशक (प्रशिक्षण संस्थान) को अराजपत्रित कर्मचारियों की पदवार रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा गया है।

इसके लिए सभी जोनल अपर आयुक्तों को एक प्रारूप भी उपलब्ध कराया गया है, जिसमें विभाग में अराजपत्रित श्रेणी के कर्मचारियों के स्वीकृत पदों के साथ ही भरे और रिक्त पदों का भी ब्यौरा भरकर मुख्यालय को उपलब्ध कराने के निर्देश दिया गया है। जोनवार जानकारी मिलने के बाद रिक्त पदों को भरने का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। वहां से अनुमति मिलने के बाद उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भर्ती का प्रस्ताव भेजा जाएगा।उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 18 सितंबर 2022 को प्रस्तावित प्रारंभिक अर्हता परीक्षा (PET) को स्थगित कर दिया है। यह परीक्षा अब अक्टूबर में आयोजित जाएगी। पीईटी 2022 का आयोजन 15 और 16 अक्टूबर 2022 (शनिवार व रविवार) को आयोजित की जाएगी।

आपको बता दें कि इस साल रिकॉर्ड 47 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने पीईटी में भाग लेने के लिए आवेदन किया है। उत्तर प्रदेश सरकार में विभिन्न विभागों में क्लर्क, ग्रुप सी के पद व लेखपाल समेत विभिन्न पदों होने वाली भर्तियों के लिए पीईटी पास अभ्यर्थी ही आवेदन के योग्य माने जाते हैं। पीईटी 2022 में सफल होने वाले अभ्यर्थी पीईटी रिजल्ट की तारीख से अगले एक साल तक विभिन्न पदों के लिए निकलने वाली यूपीएसएसएससी की भर्तियों में भाग ले सकेंगे।

भाजपा संसदीय बोर्ड की सूची में योगी को जगह नहीं 

भाजपा संसदीय बोर्ड की सूची में योगी को जगह नहीं 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने भाजपा संसदीय बोर्ड की नई सूची जारी कर दी है। इस सूची में जहां केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान को बाहर किया गया है। वहीं, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को शामिल करने की चर्चा चल रही थी, लेकिन उन्हे भी जगह नहीं मिली है। 2024 आम चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने अपने संसदीय बोर्ड में बड़ा बदलाव किया है। नए संसदीय बोर्ड के ऐलान की खास बात यह है कि इसमें नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान का नाम नहीं है। इसके साथ ही बीजेपी ने केंद्रीय चुनाव समिति के नाम का भी ऐलान किया है। इस सूची में शाहवनाज हुसैन का नाम नहीं शामिल है।चुनाव समिति में कुल 15 लोगों को जगह मिली है। जिसमें पीएम मोदी, अमित शाह के अलावा देवेंद्र फडणवीस को शामिल किया गया है।

बीजेपी का नया संसदीय बोर्ड...

जगत प्रकाश नड्डा- अध्यक्ष

नरेंद्र मोदी

राजनाथ सिंह

अमित शाह

बी एस येदियुरप्पा

सर्वानंद सोनोवाल

के लक्ष्मण

इकबाल सिंह लालपुरा

सुधा यादव

सत्यनारायण जटिया

बी एल संतोष- सचिव


चुनाव समिति में कुल 15 सदस्य...

नरेंद्र मोदी

अमित शाह

राजनाथ सिंह

बी एस येदुरप्पा

सर्वानंद सोनोवाल

देवेंद्रण फडणवीस

भूपेंद्र यादव

ओम माथुर

वन थ्री श्रीनिवास

सुधा यादव

इकबाल सिंह लालपुरा

सत्यनारायण जटिया

जानकारों की माने तो संसदीय बोर्ड के जरिए बीजेपी 2024 के आम चुनावों की तैयारी करेगी। हालांकि नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान का नाम क्यों गायब है इसे लेकर चर्चाएं हो रहीं हैं। उम्मीद की जा रही थी कि ये दोनों नेता शामिल किए जाएंगे। वहीं, योगी आदित्यनाथ को भी जगह न मिलना चर्चा का विषय है।

राहुल ने चुनाव लड़ने को लेकर स्पष्ट संकेत नहीं दिया 

राहुल ने चुनाव लड़ने को लेकर स्पष्ट संकेत नहीं दिया 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। 2024 में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस अभी से तैयारी में जुट गई है। चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी होना है और चुनाव कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव में कुछ ही दिन बचे हैं। इसके बावजूद राहुल गांधी के चुनाव लड़ने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पार्टी ने घोषणा की थी कि 21 अगस्त से 20 सितंबर के बीच संगठन के चुनाव होंगे, लेकिन कई कोशिशों के बावजूद राहुल गांधी ने अब तक अपना रुख साफ नहीं किया है। कांग्रेस के रणनीतिकार अब तक उन्हें अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए मनाने में विफल रहे हैं, जिससे चुनाव में देरी हो सकती है। राहुल गांधी ने खुद भी अभी तक चुनाव लड़ने को लेकर कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है। कोई स्पष्ट जवाब न मिलने के कारण कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक नहीं बुलाई गई है, जिसमें चुनाव की तारीख तय की जानी है।

कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के मुताबिक, पार्टी ने चुनाव की तैयारियां पूरी कर ली हैं। मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता में प्राधिकरण ने कहा है कि वे समय पर चुनाव के लिए तैयार हैं। अब चुनाव की तारीखों की घोषणा करने के लिए गेंद कांग्रेस कार्यसमिति के पाले में है। हालांकि राज्यों में चुनाव प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हुई है। मिस्त्री ने पत्रकारों से कहा कि हम अपने कार्यक्रम पर टिके रहेंगे। चुनाव कार्यक्रम की तारीख सीडब्ल्यूसी पर निर्भर है। इस चुनाव में सभी राज्यों के 9,000 से अधिक प्रतिनिधि मतादाता होंगे।

कांग्रेस पार्टी द्वारा पूर्व में घोषित कार्यक्रम के अनुसार अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 21 अगस्त से शुरू होनी थी और उसे 20 सितंबर से पहले नए अध्यक्ष का चुनाव करना था। राज्यों के अध्यक्षों का चुनाव भी 20 अगस्त तक होना था, लेकिन अभी तक यह प्रक्रिया किसी भी राज्य में पूरी नहीं हुई है।सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी के रुख पर स्पष्टता की कमी के कारण नेतृत्व असमंजस में है और संगठन को संदेह है कि यह चुनाव के समय तक पूरा हो जाएगा। राहुल गांधी 7 सितंबर को कन्याकुमारी से अपनी भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने वाले हैं। यह यात्रा लंबी होने वाली है। इसलिए अगर तब तक चुनाव नहीं हुए तो इसमें और देरी होने की संभावना है। आपको बता दें कि कांग्रेस के आंतरिक चुनाव पहले भी टाले जा चुके हैं।

राहुल गांधी द्वारा नेतृत्व संभालने की अनिच्छा के मामले में अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खड़गे, मुकुल वासनिक, कुमारी सैलजा और केसी वेणुगोपाल जैसे नामों पर विचार किया जा सकता है। हालांकि, इसकी संभावना बहुत कम है। यदि राहुल गांधी अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं होते हैं तो सोनिया गांधी पार्टी को बांधने और 2024 के आम चुनावों के लिए एनडीए को टक्कर देने के लिए स्वाभाविक पसंद हो सकती हैं।

'पीएम' मोदी ने अभिनेत्री रश्मिका की तारीफ की

'पीएम' मोदी ने अभिनेत्री रश्मिका की तारीफ की अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। नेशनल क्रश रश्मिका मंदाना सिर्फ साउथ सिनेमा का ही नहीं, अब ...