अब अमेरिका की पृष्ठभूमि पर भी नजर डालते हैं। इतिहास गवाह है कि अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी जगत कभी नहीं चाहता कि भारत एक शक्तिशाली और आत्मनिर्भर देश बन जाये । यह सभी देश भारत को एक बाजार के नजरिये से ही देखते हैं और यही कारण है कि वह समय -समय पर भारत को धमकियां देते रहे हैं और भारत के आंतरिक मामलों में भी हस्तक्षेप करने का प्रयास करते रहते हैं। भारत के खिलाफ विषवमन करते रहते हैं। अमेरिका और ब्रिटेन के अखबारों में भारत विरोधी लेख लिखे जाते हैं उन्हीं के आधार पर भारत के विरोधी दल सरकार के खिलाफ एक माहौल बनाने का प्रयास करते रहते हैं।
जरा याद करें जब 1971 के युद्ध में अमेरिका ने भारत को युद्ध रोकने की धमकी दी थी और तब पाकिस्तान की हार आसान लग रही थी उस समय किसिंजर ने पूर्व राष्ट्रपति निक्सन को बंगाल की खाड़ी में परमाणु संचालित विमानवाहक पोत यूएसएस इंटरप्राइज के नेतृत्व में यूएस 7वी फ्लीट भेजने के लिए प्रेरित किया था। उस समय यह दुनिया का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत समुद्र की सतह पर चलता फिरता एक राक्षस था जबकि भारतीय नौसेना के बेड़े का नेतृत्व 20,000 टन के विमानवाहक पोत विक्रांत जिसके पास 20 हल्के लड़ाकू विमान थे ने किया था और उस समय रूस की पनडुब्बियों ने ही 1971 की जंग में अमेरिका के विरूद्ध ढाल बनकर भारतीय नौसेना की रक्षा की थी।
रूस ने हर कदम -कदम पर भारत का भरपूर सहयोग किया है जब पूर्व सोवियत संघ था तब भी और आज के समय में जब पूर्व सोवियत संघ खंड- खंड हो चुका है उस समय भी रूस भारत के साथ खड़ा दिखाई देता रहा हैं। जम्मू -कश्मीर के मुददे पर तो रूस ने सदा हर मंच पर भारत का ही साथ दिया है और वह कई बार पाकिस्तान को कड़ी फटकार भी लगाता रहा है। पूर्व सोवियत संघ ने भारत के परमाणु परीक्षण के समय भी भारत का खुलकर विरोध नहीं किया था। अफगानिस्तान में भारत की भूमिका पर भी वह भारत के ही साथ रहा है। आज अगर रूस यूक्रेन को कमजोर कर रहा है और उसकी सेना की कमर को ध्वस्त कर रहा है तो फिर परोक्ष रूप से पाकिस्तान की ताकत को भी कमजोर कर रहा है। वैसे भी पाकिस्तान की हालत बहुत दयनीय हो चुकी है और वह बहुत दबाव में है तथा खिसियाहट में वह भी कोई बड़ी गलती करने का दुस्साहस कर सकता है ।
उन सभी लोगों को जो लोग आज यह कह रहे हैं कि भारत को यूक्रेन का समर्थन करना चाहिए अगर कल को भारत की ओर से पाकिस्तान की धरती पर चल रहे भारत विरोधी आतंकी ठिकानों पर कार्यवाही करनी पड़ जाये तब यह सभी देश क्या करेंगे? अभी भारत को पाक अधिकृत कश्मीर भी आजाद कराना है जबकि पाकिस्तान कश्मीर का राग अलाप रहा है और चीन की नजर अरूणांचल व लददाख में लगी हुयी है तथा वह कई बार सीमा का उल्लघन भी कर चुका है यह तो बहुत अच्छा है कि इस समय एक देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक मजबूत सरकार चल रही है और देशहित में बड़े फैसले कर रही है।
जबकि वास्तविकता यह है कि मानवाधिकार परिषद कई मामलों में चुप्पी साध जाती है। यह वही मानवाधिकर परिषद है जिसमें आज तक कश्मीर में आतंकवाद पर चर्चा नहीं की गयी और नहीं कश्मीर पंडितो पर हुए अत्याचारों की जांच के लिए कभी कोई किसी प्रकार की पहल की गयी। हां, अगर भारत में किसी अल्पसंख्यक पर कोई आंच आती है तो यह सदस्य सक्रिय हो जाते हैं। मानवाधिकार परिषद ने आज तक पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में वहां की सेना जो अत्याचार कर रही है और पाकिस्तान व बांग्लादेश में जिस प्रकार से अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं तथा उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है उस पर यह सभी संस्थायें मौन हो जाती हैं।
यही कारण है कि आज भारत रूस- यूक्रेन संकट पर तटस्थ रणनीति अपना रहा है और यह अब तक कि सबसे सफल रणनीति मानी जायेगी वर्तमान समय में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बहुत मजबूत स्थिति में खड़ा है जबकि चीन और पाकिस्तान सहित भारत विरोधी एजेंडा चलाने वाले लोग हैरान और परेशान है। यही कारण है कि आज भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विश्वगुरु बनने की ओर अग्रसर है।