शनिवार, 5 मार्च 2022

चुनाव: काशी के करिश्मे पर टिकी भाजपा की उम्मीदें

चुनाव: काशी के करिश्मे पर टिकी भाजपा की उम्मीदें  

संदीप मिश्र     
लखनऊ। चुनावी चक्रव्यूह का अंतिम द्वार भेदने को भाजपा की उम्मीदें, पूरी तरह काशी के करिश्मे पर टिकी हैं। पार्टी काशी को लखनऊ का प्रवेश द्वार बनाने को पूरी ताकत से जुट गई है। अंतिम चरण में 54 सीटों पर होने वाले सियासी संग्राम में चुनावी हवा को भाजपा के पक्ष में मोड़ने का जिम्मा फिर ब्रांड मोदी के कंधों पर है।प्रधानमंत्री मोदी इस मिशन-54 के लिए काशी में 54 घंटे डेरा डालने को गुरुवार को ही पहुंच गए थे। अंतिम चरण के लिए काशी ही पार्टी का वार रूम बना हुआ है। यूपी के सत्ता संग्राम में इस बार कई नए रंग देखने को मिले हैं। मतदाताओं के रहस्यमय रुख से किसी के पक्ष में इकतरफा बयार बहने की स्थिति तो अभी नहीं दिखी है। हालांकि भाजपा ने इस बार भी 300 पार का ही नारा बुलंद किया है। वर्ष 2014, 2017 और 2019 में भाजपा की जीत का सेहरा पीएम मोदी के ही सिर बंधा था। मिशन-2022 को पूरा करने के लिए भी प्रधानमंत्री अब तक छह चरणों में हर इलाके में चुनावी रैलियां कर चुके हैं। इस बार सात चरणों के चुनावी चक्रव्यूह को पार करने की कवायद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ हैं।भाजपा ने चुनाव पूर्व ही काशी मॉडल को बेहद शानदार ढंग से पेश किया था। इसे अयोध्या के बाद काशी, मथुरा के एजेंडे पर पार्टी के आगे बढ़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना गया। दिव्य काशी-भव्य काशी का जलवा देश-दुनिया को दिखाया गया। अब पूर्व की भांति एक बार फिर पीएम मोदी काशी के मोर्चे पर आ डटे हैं। पिछले चुनावों में उनका यह प्रयोग काफी प्रभावी सिद्ध होता रहा है। भाजपा को मुफ्त राशन की डबल डोज के चुनावी असर की पूरी आस है। पीएम हर सभा में इसका जिक्र जोर-शोर से करते रहे हैं। दूसरी ओर सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सहारे हिन्दुत्व के एजेंडे को भी धार दी जा रही है। इस मुहिम में भाजपा ही नहीं आरएसएस भी सक्रियता से मोर्चा संभाले है।

पीएम मोदी अंतिम चरण में शामिल जिलों में से चार जनपदों में चुनावी रैलियां कर चुके हैं। इनमें गाजीपुर, सोनभद्र, चंदौली और जौनपुर शामिल हैं। इसके अलावा अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उनकी मौजूदगी विभिन्न आयोजनों के बहाने लगातार बनी हुई है। हाल ही में उन्होंने बूथ से जुड़े हजारों पदाधिकारियों के बीच पहुंच कर सीधा संवाद किया था। भाजपा ने प्रमुख विपक्षी सपा गठबंधन के कई जातीय क्षत्रपों को उन्हीं के गढ़ में घेरने को मजबूत किलेबंदी की है। यही कारण है कि छठे चरण के चुनाव में पडरौना से फाजिलनगर सीट पर पहुंचे स्वामी प्रसाद मौर्य को अंत तक एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा। ओपी राजभर को जहूराबाद सीट पर घेरने को भी पार्टी ने उनके पुराने प्रतिद्वंदी पर ही दांव लगाया है। इसी तरह मऊ सदर सीट पर मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास के खिलाफ भी कड़ी मोर्चाबंदी की गई है। वहीं भाजपा के अपने सहयोगियों निषाद पार्टी और अपना दल सोनेलाल की चुनावी दोस्ती का असल इम्तिहान भी इस चरण में है।

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