गुरुवार, 29 जुलाई 2021

359 मार्गों पर हवाई सेवा का परिचालन शुरू हुआ

अकांशु उपाध्याय             
नई दिल्ली। नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बृहस्पतिवार को बताया कि हवाई सम्पर्क को बढ़ाने के लिये क्षेत्रीय सम्पर्क योजना ‘उड़ान’ के तहत अब तक 359 मार्गों पर हवाई सेवा का परिचालन शुरू हो गया है और 59 नए हवाई अड्डे स्थापित किए गए हैं। इससे हवाई जहाज की सुविधा पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। लोकसभा में सुनील बाबूराव मेंढ़े के पूरक प्रश्न के उत्तर में सिंधिया ने कहा कि मंत्रालय ने क्षेत्रीय हवाई सम्पर्क को बढ़ावा देने एवं हवाई यात्रा को किफायती बनाने के लिए 21 अक्तूबर 2016 को क्षेत्रीय सम्पर्क योजना-उड़ान शुरू की थी।
क्षेत्रीय सम्पर्क योजना का प्राथमिक उद्देश्य असेवित एवं अल्पसेवित हवाई अड्डों को जोड़कर क्षेत्रीय हवाई सम्पर्क को सुगम बनाना एवं बढ़ावा देना है। सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस सोच के आधार पर इस योजना को शुरू किया गया कि ”हवाई चप्पल पहनने वाले भी हवाई जहाज में सफर कर सकें”।
उन्होंने कहा कि उड़ान योजना के तहत 780 हवाई मार्गों को मंजूरी दी गई और 359 मार्गो पर परिचालन शुरू हो गया है। नागर विमानन मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत 59 नए हवाई अड्डे स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के काल में हवाई मार्गो की हिस्सेदारी को 2 प्रतिशत से बढ़ाकर 19 प्रतिशत किया गया है।

आरआरबी ने 2,04,945 उम्मीदवारों की भर्ती की

अकांशु उपाध्याय              
नई दिल्ली। कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि एक मार्च 2020 तक केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में करीब 8.72 लाख पद खाली थे। उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राज्यसभा को बताया कि केंद्र सरकार के सभी विभागों में स्वीकृत पदों की संख्या 40,04,941 (1 मार्च, 2020 तक) थी। जिनमें से 31,32,698 कर्मचारी कार्यरत थे। उन्होंने कहा कि एक मार्च, 2020 तक रिक्त पदों की कुल संख्या 8,72,243 थी।
जितेंद्र सिंह ने तीन प्रमुख भर्ती एजेंसियों द्वारा पिछले पांच वर्षों में की गई भर्तियों का ब्यौरा देते हुए कहा कि 2016-17 से 2020-21 के बीच संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 25,267 उम्मीदवारों की भर्ती की वहीं कर्मचारी चयन आयोग ने 2,14,601 उम्मीदवारों की और रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) ने 2,04,945 उम्मीदवारों की भर्ती की।

बारिश के बाद 203.37 मीटर तक बढ़ा जल स्तर

अकांशु उपाध्याय               
नई दिल्ली। दिल्ली में यमुना नदी का जल स्तर भारी बारिश के बाद बृहस्पतिवार को 203.37 मीटर तक बढ़ गया। जो खतरे के निशान 204.50 मीटर के करीब है। अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन ने मंगलवार को नदी के डूब क्षेत्र के करीब के निचले इलाकों में अलर्ट जारी किया था और चौबीसों घंटे स्थिति की निगरानी की जा रही है।
सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ”जल स्तर सुबह साढ़े दस बजे ओल्ड रेलवे ब्रिज पर 203.37 मीटर पर दर्ज किया गया।” उन्होंने कहा कि दिल्ली और ऊपरी डूब वाले इलाकों में बारिश के कारण यमुना नदी उफान पर है। हरियाणा के यमुनानगर जिले में हथनीकुंड बैराज से नदी में और पानी छोड़ा जा रहा है।
अधिकारी ने कहा, ”पिछले 24 घंटों में पानी के बहाव की दर 1.60 लाख क्यूसेक पहुंच गयी जो इस साल के लिए सबसे अधिक है।” बैराज से छोड़े गए पानी को राजधानी पहुंचने तक आम तौर पर दो से तीन दिन लगते हैं। बृहस्पतिवार को सुबह दस बजे 85,879 क्यूसेक की दर से यमुना में पानी छोड़ा जा रहा था।
सामान्यत: हथनीकुंड बैराज से पानी के बहाव की दर 352 क्यूसेक होती है लेकिन डूब वाले इलाकों में भारी बारिश के बाद ज्यादा पानी छोड़ा जा रहा है। एक क्यूसेक 28.32 लीटर प्रति सेकंड के बराबर होता है। अधिकारी ने बताया कि डूब वाले इलाकों में बारिश का अनुमान है अत: जल स्तर और बढ़ सकता है।

पुलिस समेत ईडी की टीम द्वारा लोगों से पूछताछ की

हरिओम उपाध्याय       
बरेली। 3 साल से फरार चल रहे आरोपी की तलाश कर रही है। लखनऊ की ईडी टीम बरेली पहुंची। बुधवार सुबह पुलिस लाइन से टीम लेकर ईडी बन्नू बाल नगर कॉलोनी पहुंची।
पुलिस टीम समेत ईडी की टीम द्वारा यहां लोगों से पूछताछ की गई। सूत्रों के मुताबिक दोपहर तक आरोपी ईडी की गिरफ्त में नहीं आ सका है।

केरल: 6 सदस्यों की टीम को भेजेगा स्वास्थ्य मंत्रालय

तिरुवनंतपुरम। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय कोविड-19 के प्रभावी प्रबंधन के लिए केरल में छह सदस्यों की एक टीम को भेजेगा। जहां राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के दैनिक मामले अब भी बहुत ज्यादा आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक एस के सिंह की अगुवाई में टीम शुक्रवार को केरल पहुंचेगी और उन कुछ जिलों का दौरा करेगी जहां संक्रमण की दर सबसे ज्यादा सामने आ रही है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर कहा किकेंद्र सरकार एनसीडीसी निदेशक की अगुवाई में छह सदस्यीय टीम को केरल भेज रही है। केरल में कोविड के मामले अब भी बहुत ज्यादा सामने आने के कारण टीम कोविड प्रबंधन में राज्य के जारी प्रयासों में मदद करेगी।
मंत्रालय के बयान में बताया गया कि टीम राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ करीब से काम करेगी, जमीनी स्थिति का जायजा लेगी और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी जन स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की अनुशंसा करेगी। मौजूदा अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक केरल में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या 1.54 लाख है जो देश में उपचाराधीन मामलों का 37.1 प्रतिशत है।
बयान के मुताबिक, राज्य में संक्रमण के दैनिक मामले औसतन 17,443 से अधिक हैं। राज्य में संक्रमण दर भी सबसे ज्यादा 12.93 प्रतिशत है और साप्ताहिक दर 11.97 प्रतिशत है। छह जिलों में संक्रमण की साप्ताहिक दर 10 प्रतिशत से ज्यादा है।

संसदीय समिति गठित करने की विपक्ष की मांग

मिनाक्षी लोढी        
कोलकाता। शिवसेना ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पेगासस जासूस कांड की पड़ताल के लिए जांच आयोग गठित करने के फैसले की बृहस्पतिवार को सराहना की और कहा कि बनर्जी ने जो किया वह दरअसल केन्द्र सरकार को करना चाहिए था। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के सम्पादकीय में जासूसी कांड की विस्तृत जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की विपक्ष की मांग पर ध्यान नहीं देने पर केन्द्र की आलोचना की।
मराठी समाचार पत्र में कहा गया, यह काफी रहस्यपूर्ण बात है कि दो केन्द्रीय मंत्रियों, कुछ सांसदों, उच्चतम न्यायालय और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों तथा पत्रकारों की कथित फोन टैपिंग के मामले को केन्द्र उतनी गंभीरता से नहीं ले रहा, जितना यह वास्तव में है। बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि उनकी सरकार ने इज़राइल के स्पाईवेयर पेगासस से राजनेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों की जासूसी के आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय आयोग का गठन किया है।सामना के सम्पादकीय में ममता बनर्जी के इस कदम की सराहना करते हुए कहा गया, ”देश के लोग ‘पेगासस’ को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर की एक और संबद्ध शाखा के रूप में देखेंगे। बनर्जी का कदम साहसिक है। उन्होंने एक न्यायिक आयोग का गठन किया और जासूसी मामले की जांच शुरू की। उन्होंने वह किया जो केन्द्र को करना चाहिए था।”
इसमें कहा गया कि मुख्यमंत्रियों को अपने राज्यों के नागरिकों के अधिकारों और लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए और बनर्जी ने इस संबंध में ”सभी को जागरूक” करने का काम किया है। सम्पादकीय में कहा गया कि जासूसी कांड के लिए जांच आयोग का गठन कर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने केन्द्र को एक झटका दिया है। शिवसेना ने उल्लेख किया कि फ्रांसीसी सरकार ने फ्रांस में वरिष्ठ अधिकारियों की ‘पेगासस’ द्वारा जासूसी के आरोपों की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने पूछा, ” अगर फ्रांस कर सकता है, जो भारत सरकार क्यों नहीं?”

ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा था, ” हमें उम्मीद थी कि केन्द्र हैकिंग मामले में एक जांच आयोग का गठन करेगा या अदालत की निगरानी में जांच का आदेश दिया जाएगा। लेकिन केन्द्र सरकार बेकार बैठी है… इसलिए हमने इस मामले की जांच के लिए एक जांच आयोग बनाने का फैसला किया। पश्चिम बंगाल इस मामले में कदम उठाने वाला पहला राज्य है।

गौरतलब है कि पिछले सप्ताह कुछ मीडिया संगठनों के अंतरराष्ट्रीय समूह ने कहा था कि भारत में पेगासस स्पाइवेयर के जरिए 300 से अधिक मोबाइल नंबरों की कथित निगरानी की गयी। इसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, केन्द्रीय मंत्रियों प्रह्लाद पटेल तथा अश्विनी वैष्णव और 40 से अधिक पत्रकारों, तीन विपक्षी नेताओं के अलावा अनेक कार्यकर्ताओं के नंबर भी थे। सरकार हालांकि इस मामले में विपक्ष के सभी आरोपों को खारिज करती रही है।

लॉकडाउन खुलने के बाद से कर्ज की मांग बढ़ी: यूपी

हरिओम उपाध्याय           
लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर के बाद इस साल में जून में लॉकडाउन खुलने के बाद से छोटे व मझोले उद्योगों में कर्ज की मांग बढ़ी है। कोरोना लहर के चलते मांग में कमी का सामना कर रहे इन उद्योगों की हालात में अब काफी सुधार दिखायी दे रहा है। वित्तीय वर्ष 2021 में छोटे व मझोले उद्यमों को 9.5 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिए गए हैं जो कि बीते साल दिए गए 6.8 लाख कऱोड़ रुपये से कहीं ज्यादा है।भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और ट्रांस यूनियन सिबिल की ओर से छोटे व मझोले उद्योगों के हाल पर जारी की गयी एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार की योजनाओं इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गांरटी स्कीम (ईसीएलजीएस) और आत्मनिर्भर भारत के चलते छोटे व मझोले उद्यमों को लाभ हुआ है। 
रिपोर्ट में कहा गया है कि छोटे मव मझोले उद्योगों को मिलने वाले कर्ज में सालाना बढ़त 6.6 फीसदी की रही है।इसके मुताबिक महामारी के पहले व दूसरे दौर में लाकडाउन खत्म होने के बाद कर्ज की मांग में खासी बढ़त देखी गयी है। हालांकि कोरोना की पहली लहर के दौरान वाणिज्यिक कर्ज के लिए की जाने वाली पूंछताछ में 76 फीसदी तक की गिरावट देखी गयी थी पर बाद में ईसीएलजीएस व आत्मनिर्भर भारत जैसी योजनाओं के चलते इसमें वृद्धि हुयी और अब यह कोरोना लहर के पहले के स्तर पर आ चुकी है।

रिपोर्ट के बारे में बोलते हुए सिडबी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शिवसुब्राम्ण्यन रामन ने कहा कि एमएसएमई को कर्ज के आंकड़े ईसीएलजीएस की सफलता के चलते हैं। इस योजना के चलते ही इस क्षेत्र को साल दर साल वितरित होने वाले कर्ज में 40 फीसदी की बढ़त देखने को मिली और इसका नजीजा एमएसएमई सेक्टर में सुधार के तौर पर दिखा। इस दौरान बैंकों से कर्ज लेने वाले नए उद्यमियों की तादाद में भी सुधार दिखा है। उन्होंने कहा कि हाल में सरकार की ओर स्वास्थ्य, ट्रेवल और पर्यटन के क्षेत्र में घोषित राहत के कदमों का असर एमएसएमई क्षेत्र में देखने को मिलेगा।

ट्रांस यूनियन सिबिल के प्रबंध निदेशक (एमडी) व मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजेश कुमार ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर में बढ़ी कर्ज की मांग को वित्तीय संस्थाओं को पूरा सहारा मिला है। जिन्होंने ईसीएलजीएस जैसी योजनाओं का सफलता पूर्वक क्रियान्वन किया है।

राजनीति: पीएम मोदी ने अखिलेश पर निशाना साधा

राजनीति: पीएम मोदी ने अखिलेश पर निशाना साधा संदीप मिश्र  भदोही। भदोही के ऊंज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को संबोधित किया। इस दौरा...