एक्सपर्ट के अनुसार, इस प्रक्रिया में प्रमुख रूप से कैल्शियम कार्बाइड रासायनिक पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है। कैल्शियम कार्बाइड के पैकेट को आम के साथ रखा जाता है। जब यह रसायन नमी के संपर्क में आता है, तो एसिटिलीन गैस बनती है। इसका प्रभाव एथिलीन के समान ही होता है, जो स्वाभाविक रूप से फल पकने की प्रक्रिया में इस्तेमाल होता है। सिर्फ आम ही नहीं बल्कि कई अन्य फल भी इसी तरह कृत्रिम रूप से पकाए जाते हैं। कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग द्वारा प्रतिबंधित है। कैल्शियम कार्बाइड सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है। इसकी वजह से चक्कर आना, नींद न आना, मानसिक भ्रम और यादाश्त कमजोर होने जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। कैल्शियम कार्बाइड तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। आर्सेनिक और फास्फोरस हाइड्राइड हार्मोन को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं।
कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग से फलों की गुणवत्ता काफी हद तक कम हो जाती है। इसकी वजह से फल बहुत ज्यादा नरम हो जाते हैं। इसकी वजह से फल में प्राकृतिक मिठास खत्म हो जाती है और ये नैचुरल तरीके से पके आमों की तुलना में तेजी से सड़ने लगते हैं। फलों में कैल्शियम कार्बाइड की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि वो कितना कच्चा है, इसके हिसाब से इसमें केमिकल की मात्रा बढ़ाई जाती है। इसके अलावा कृत्रिम रूप से पके आम में हरे रंग के धब्बे होने की संभावना होती है।
ये पैच पीले रंग वाले आम से अलग होते हैं। नकली तरीके से पके आम खाने में मुंह में हल्की जलन, पेट में दर्द और दस्त का अनुभव हो सकता है।