शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

हाथियों ने किसानों की मेहनत को अपने पैरों तले रौंदा

हरिओम उपाध्याय         

पीलीभीत। हाथियों के झुंड ने जंगल में हमला बोलते हुए खेतों में खडी किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। इतना ही नहीं खेतों में लहलहा रही खड़ी फसलों के बीच जमकर उत्पात मचाते हुए हाथियों ने किसानों की मेहनत को अपने पैरों तले रौंद दिया है। हाथियों की चिंघाड से ग्रामीणों में दहशत का वातावरण बना हुआ है। शुक्रवार को नेपाल से आए हाथियों ने पीलीभीत जनपद के चंदिया हजारा समेत राहुल नगर में अपनी एंट्री की। जनपद के जंगल में घुसे हाथियों के झुंड ने लगभग दर्जनभर किसानों के खेतों में लहलहा रही तकरीबन 15 एकड़ फसल को तहस-नहस कर दिया है। हाथियों के झुंड द्वारा बर्बाद की गई 15 एकड़ फसल में गन्ना और धान की फसले शामिल है। वन विभाग को मामले के संबंध में जब किसानों द्वारा फसल उजाड़ जाने की जानकारी दी गई तो वन विभाग की ओर से कांबिंग शुरू कर दी गई है। 

ताकि नेपाल से आए हाथियों के झुंड को दोबारा से वापस भेजा जा सके। ग्रामीणों ने जब हाथियों को भगाने का प्रयास किया तो हाथी हमलावर होते हुए उनकी तरफ दौड़ पड़े। अब हाथियों ने जंगल क्षेत्र में एक स्थान पर अपना डेरा जमा लिया है। वन विभाग द्वारा हाथियों के झुंड को लेकर सही तरीके से मानिटरिंग नहीं किए जाने से हाथियों के झुंड की मनमानी का शिकार हुए ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।

सीएम ने प्रवासी श्रमिकों व जरूरतमंदों की मदद की

हरिओम उपाध्याय               

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कार्यकर्ताओं ने 'सेवा ही संगठन' के मंत्र को आत्मसात करते हुये प्रवासी श्रमिकों और जरूरतमंदों की मदद की। 

पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुये योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना के दौरान जब हर व्यक्ति अपने बचाव के लिये उतावला था, भाजपा के कार्यकर्ता सेवा ही संगठन के मंत्र को आत्मसात कर रहे थे और लोगों की सहायता में जुटे थे। उन्होने कहा कि कोरोना की पहली लहर के दौरान आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा राज्य होने के कारण देश के कोने कोने में बसे करीब 40 लाख प्रवासी श्रमिक और कामगार अपने घरों को लौटे। सरकार के लिये चिंता का विषय था कि प्रवासी कामगारों को उनके ठिकानो तक पहुंचाने और मदद करने में प्रशासनिक मशीनरी फेल न हो जाये।

लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं ने प्रशासन का सहयोग किया और श्रमिकों को उनके घर गांव तक पहुंचाने में मदद की। पहली लहर के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने दूसरी लहर का भी मजबूती से मुकाबला किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की विषम परिस्थितियों से निपटने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मार्गदर्शन सरकार और संगठन को मिला। देश में वैश्विक महामारी से निपटने में श्री मोदी की रणनीति का परिणाम था कि विश्व की दूसरी बड़ी आबादी वाले देश में मृत्यु दर न्यूनतम करने में सफलता मिली। इसका लोहा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना।

15 कंपनियों में स्थान बनाने में असफल साबित: यूपी

हरिओम उपाध्याय              

लखनऊ। केन्द्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को जारी 41 बिजली कम्पनियों की रेटिंग में उत्तर प्रदेश टाप 15 कंपनियों में स्थान बनाने में असफल साबित हुआ है। ऊर्जा मंत्रालय द्वारा जारी रेटिंग गुजरात और हरियाणा की कंपनियों ने अव्वल रहकर ए प्लस ग्रेड हासिल किया है। जबकि प्रदेश की दो बिजली कंपनियों ने 'बी' और दो ने 'सी प्लस' ग्रेड हासिल किया है। वहीं पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम ने 50 से 65 अंक हासिल कर बी प्लस ग्रेड हासिल किया है। कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कम्पनी (केस्को) और मध्यांचल विद्युत वितरण निगम 35 से 50 अंक के साथ बी ग्रेड पर संतोष किया है। 

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और विद्युत वितरण निगम ने 20 से 35 अंको के साथ सी प्लस ग्रेड हासिल किया है। गुजरात और हरियाणा की बिजली कम्पनियां प्रथम स्थान पाकर 'ए प्लस' श्रेणी में 80 से 100 नम्बर के बीच पहुंची। देश की 41 सरकारी बिजली कम्पनियों की 9 वीं वार्षिक रेटिंग आज जारी की गयी है। उसमें 100 नम्बर मानकर अलग-अलग ग्रेड दिया गया है।

अस्पतालों में 2.51 करोड़ से अधिक खुराक उपलब्ध

अकांशु उपाध्याय                
नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अब तक कोविड-19 रोधी टीके की 41.10 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी हैं और राज्यों के पास तथा निजी अस्पतालों में 2.51 करोड़ से अधिक खुराक उपलब्ध हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि टीके की 52,90,640 और खुराकों की आपूर्ति की जा रही है। बयान में कहा गया, ”सभी स्रोतों के माध्यम से अब तक राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को 41.10 करोड़ (41,10,38,530) से अधिक खुराक प्रदान की जा चुकी हैं और आगे 52,90,640 खुराकें आपूर्ति करने की प्रक्रिया चल रही है।” 
सुबह आठ बजे तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, बर्बाद हो चुकी खुराकों समेत कुल 38,58,75,958 खुराक की अधिक खुराक उपलब्ध हैं।
मंत्रालय ने कहा कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों तथा निजी अस्पतालों के पास अब भी 2,51,62,572 खुराकें उपलब्ध हैं। कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम नया चरण 21 जून को शुरू हुआ और इसके तहत केंद्र सरकार सभी वयस्कों का निशुल्क टीकाकरण कर रहा है। पहले 45 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए टीके मुफ्त थे।
टीकाकरण अभियान के नए चरण में केंद्र सरकार देश में टीका निर्माताओं द्वारा तैयार किए जा रहे 75 प्रतिशत टीकों की खरीद कर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इनकी निशुल्क आपूर्ति कर रही है।

‘केंद्रीकरण व वैक्सीन' राष्ट्रवाद समर्थन की आलोचना

नरेश राघानी                
जयपुर। पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कोरोना महामारी के समय ‘केंद्रीकरण व वैक्सीन राष्ट्रवाद ‘ समर्थक नीतियों की आलोचना करते हुए शुक्रवार को सवाल किया कि क्या भारतीय लोकतंत्र कोरोना महामारी से उपजी चुनौती के लिए तैयार था और क्या इसने अपने लोगों के जीवन और आजीविका की रक्षा की। वह यहां राजस्थान विधानसभा में ‘वैश्विक महामारी तथा लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियां’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी का आयोजन राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के तत्वावधान में किया गया।
चिदंबरम ने कहा, “क्या भारतीय लोकतंत्र ने महामारी की चुनौती का सामना किया और अपने लोगों, विशेष रूप से गरीबों और बच्चों के जीवन व आजीविका तथा हितों की रक्षा की।” उन्होंने कहा कि महामारी पर तो सार्वभौमिक टीकाकरण से काबू पाया जा सकता है या दवाओं की खोज से बीमारी को ठीक किया जा सकता है लेकिन इस एक प्रश्न के उत्तर की निरंतर खोज की आवश्यकता है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि हर राजनीतिक व्यवस्था यह दावा करती है कि यह लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे उपयुक्त है, लेकिन “इस महामारी ने इस आत्मश्लाघा की कमियों को उजागर कर दिया। एक सच्ची संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली में, प्रधानमंत्री हर दिन संसद और जनता के लिए जवाबदेह होते हैं।
हालांकि, किसी भी कमजोर लोकतंत्र में शासक अपनी जिम्मेदारी से बचने के अनेक रास्ते निकाल लेते हैं।” उन्होंने कहा कि किसी भी प्रतिकूल स्थिति से दो चार होने पर कमजोरियां समय के साथ सामने आ ही जाती हैं लेकिन इस महामारी ने कमजोरियों को बेरहमी से उजागर किया और कोई बहाना बनाने या छिपाने की गुंजाइश नहीं छोड़ी।
चिदंबरम ने महामारी के समय केंद्रीयकरण सहित सात चुनौतियों को रेखांकित किया। उन्होंने टीकों की आपूर्ति का आदेश नहीं देने को केंद्रीयकरण के खतरे का एक रूप करार दिया। उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन और असमानता को कम करना लोकतांत्रिक देशों के बीच स्वीकृत लक्ष्य हैं और एक अध्ययन के अनुसार, पिछले दो साल में 23 करोड़ लोगों को गरीबी की ओर धकेला गया।
उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा का अभाव महामारी का सबसे विनाशकारी प्रभाव रहा है। केंद्र और राज्यों की सरकारों के पास इस तबाही का कोई जवाब नहीं था और वे बस मूकदर्शक बनकर खड़ी रहीं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के लिए चुनौतियां अकेले राष्ट्रीय स्तर पर नहीं हैं।
महामारी ने ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ की एक असामान्य घटना को जन्म दिया है। चिदंबरम ने कहा,”मैं जो बनाता हूं वह मेरा है, जो मैं खरीद सकता हूं वह मेरा है’ यह ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ है।” उन्होंने कहा कि देश अपने टीके को बढ़ावा देने के लिए अन्य टीकों के उपयोग की अनुमति नहीं दे रहे हैं।
इस ‘वैक्सीन राष्ट्रवाद’ ने महामारी के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक भागीदारी को नुकसान पहुंचाया है। कार्यक्रम में राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, विधानसभा में विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने भी अपने विचार रखे।

पिकअप वाहन ने 4 दुपहिया को मारी टक्कर, मौंत

मनोज सिंह ठाकुर                
छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिला मुख्यालय में एक पिकअप वाहन ने चार दुपहिया वाहनों को टक्कर मार दी। जिसमें दुपहिया सवार दो लोगों की मौत हो गयी और चार अन्य घायल हो गए हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार नगर में कलेक्टोरेट बंगले के सामने चौराहे पर कल रात एक मक्का से लदा पिकअप वाहन अनियंत्रित होकर चार मोटर साइकिलों को अपनी चपेट में ले लिया और पलट गया। हादसे में दो लोगों की मौत हो गयी और चार अन्य घायल हो गए। मृतको की पहचान अनिल चंद्रवंशी (35) और पवन वर्मन (52) के रुप में हुयी है। पुलिस ने मर्ग कायम कर चालक को अभिरक्षा में लिया है।


सुरेखा सीकरी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ

कविता गर्ग               
मुंबई। मशहूर अभिनेत्री एवं राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता सुरेखा सीकरी का शुक्रवार को मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 75 वर्ष की थीं।
सुरेखा सीकरी के मैनेजर ने उनके निधन की पुष्टि की है। मैनेजर ने बताया कि दुख की बात है कि सुरेखा जी नहीं रहीं। अभिनेत्री दूसरे ब्रेन स्ट्रोक के बाद काफी परेशानी में थीं। ब्रेन स्ट्रोक के बाद सुरेखा पर इलाज का तेजी से असर नहीं हो रहा था। वह लंबे समय तक अस्पताल में रही थीं।
सुरेखा सीकरी का जन्म उत्तर प्रदेश में हुआ था और उनका बचपन अल्मोढ़ा और नैनीताल में बीता। उनके पिता एयरफोर्स में थे और मां शिक्षक थीं। वह 1971 में सुरेखी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से पास आउट हुई थीं। उन्होंने मुंबई जाने से पहले लंबे समय तक एनएसडी के साथ काम किया। उन्हें 1989 में संगीत नाटक अकेडमी अवार्ड से भी नवाजा गया था।
सुरेखा सीकरी ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1978 की फिल्म किस्सा कुर्सी से की थी। उन्हें तमस (1988), मम्मो (1995) और बधाई हो (2018) के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी नवाजा गया था।



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