बुधवार, 5 मई 2021

एससी ने मराठा आरक्षण पर चलाईं कैंची, खारिज

अकांशु उपाध्याय           

नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार की ओर से राज्य में दिए गए मराठा आरक्षण पर कैंची चलाते हुए उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण को समाप्त करते हुए कहा कि यह पहले से ही निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता है। बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से दिए गए मराठा आरक्षण मामले पर सुनवाई करते हुए कहा है कि आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही न्यायालय की पीठ ने वर्ष 1992 के इंदिरा साहनी मामले में दिए गए फैसले की समीक्षा करने से भी इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर अपनी कैंची चलाते हुए कहा है कि यह 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता है। अदालत ने कहा कि यह समानता के अधिकार का हनन है। इसके साथ ही अदालत ने वर्ष 2018 के राज्य सरकार के कानून को भी खारिज कर दिया है। दरअसल, महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 50 प्रतिशत की सीमा से बाहर जाते हुए आरक्षण दिए जाने का ऐलान किया था। राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2018 में लिए गए इस फैसले के खिलाफ कई याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में दायर की गई थी। जिस पर बुधवार को सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने अपना यह फैसला सुनाया है। निर्णय सुनाते हुए जस्टिस भूषण ने कहा कि वह इंदिरा साहनी केस पर दोबारा विचार करने का कोई कारण नहीं समझते हैं। न्यायालय ने मराठा आरक्षण पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य सरकारों की ओर से आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को नहीं तोड़ा जा सकता है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि मराठा आरक्षण देने वाला कानून 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को तोड़ता है और यह समानता के खिलाफ है। इसके अलावा न्यायालय ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार यह बताने में नाकाम रही है कि कैसे मराठा समुदाय सामाजिक और आर्थिक तौर पर बिछड़ा हुआ है। इसके साथ ही इंदिरा साहनी केस में वर्ष 1992 के शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा से भी न्यायालय ने इंकार कर दिया है।

ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर एचसी की टिप्पणी

बृजेश केसरवानी         
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी को लेकर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुये कहा कि यह न केवल आपराधिक कृत्य है। बल्कि ऐसा करना नरसंहार से कम नही हैं। ऐसी मौतों की जवाबदेही आक्सीजन आपूर्ति करने वालो की है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कहा " मेडिकल साइंस इतना आगे है कि हम हार्ट ट्रांसप्लांट कर रह है। ब्रेन आपरेट कर रहे और दूसरी तरफ आक्सीजन की कमी से मौत हो जा रही है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि सामान्यत: कोर्ट सोशल मीडिया की खबरों पर ध्यान नहीं देती, मगर इस खबर का समर्थन वकीलो ने भी किया है कि प्रदेश में कई जिलों में ऑक्सीजन की आपूर्ति न हो सकने के चलते मौतें हुईं हैं। कोर्ट ने कहा कि इसके सुधार के लिये तुरंत कदम उठाये जाएं।
उन्होने लखनऊ व मेरठ के जिलाधिकारी को ऑक्सीजनन की कमी से मौत की खबरो की 48 घंटे मे जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने तथा जवाबदेही तय करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि केस की सुनवाई के दौरान दोनों जिलों के डीएम वर्चुअल सुनवाई के समय उपस्थित रहेंगे। न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के पंचायत चुनाव मतगणना सीसीटीवी के साये मे करने और कोविड 19 गाइडलाइंस के पालन के निर्देश पर राज्य चुनाव आयोग को आठ जिलों की मतगणना का सीसीटीवी फुटेज पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी,गोरखपुर, गाजियाबाद मेरठ,गौतमबुद्धनगर, व आगरा जिले की पंचायत चुनाव के मतगणना के दौरान की सीसीटीवी फुटेज सात मई को पेश किया जाएं।
खंडपीठ ने हाईकोर्ट के कार्यरत जज की लखनऊ के एसजीपीजीआई में हुई मौत का भी संज्ञान लिया है और उनके इलाज की रिपोर्ट पेश करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि जस्टिस वी के श्रीवास्तव 23 अप्रैल को राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती हुए। शाम 7:30 बजे तक उनकी ठीक से देखभाल नहीं की गयी। बाद में उन्हें लखनऊ एसजीपीजीआई में शिफ्ट किया गया, जहाँ उनकी मौत हो गयी। कोर्ट ने जस्टिस श्रीवास्तव के इलाज से सम्बन्धित रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इस जनहित याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट अब 7 मई को करेगी।
केस की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने पक्ष रखा और कहा कि सरकार इस कोरोना महामारी सक्रमण की चेन तोड़ने के लिए सप्ताहांत दो दिन के लाकडाउन की अवधि को और बढ़ा दिया है। उन्होने बताया कि मरीजों की अधिक से अधिक टेस्टिंग की जा रही है। उन्हें इलाज की समुचित व्यवस्था कराने के शासन के आदेश का हर जिलों में अनुपालन कराया जा रहा है।
कोर्ट ने कहा कि आरटीपीसीआर की रिपोर्ट चार दिन बाद क्यों मिल रही है। जबकि जाँच रिपोर्ट जल्दी मिल जानी चाहिए।

रावण का रोल अदा करने वाले अभिनेता का निधन

अकांशु उपाध्याय                
नई दिल्ली। देशभर में चारों तरफ अपने पांव पसारते हुए तेजी के साथ चल रही कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच अनेक बुरी खबरें सुनने और देखने को मिल रही है। ऐसे हालातों के बीच कई सेलिब्रिटी के निधन की अफवाहें भी सामने आ रही हैं। पहले फिल्मी पर्दे की अभिनेत्री मीनाक्षी शेषाद्री और लकी अली के बाद विख्यात रामायण सीरियल में रावण का रोल अदा करने वाले अभिनेता अरविंद त्रिवेदी के निधन की खबर सोशल मीडिया पर पूरी तरह से उड़ रही है। इस खबर का खंडन रामायण सीरियल में लक्ष्मण बने सुनील लहरी ने किया है। उन्होंने लोगों से गुजारिश की है कि कृपया कोरोना वायरस के संक्रमण की महामारी के बीच इस प्रकार की अफवाहें ना उड़ायें। सुनील लहरी ने अभिनेता अरविंद त्रिवेदी की कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए मैसेज में लिखा है कि आजकल कोरोना संक्रमण की वजह से कोई ना कोई बुरी खबर सुनने को मिल रही है। ऊपर से रामायण के रावण अरविंद त्रिवेदी की झूठी खबर फैलाने से लोगों के दिलों को ठेस पहुंच रही है।
उन्होंने कहा है कि मेरी सभी से प्रार्थना है कि कृपया झूठी अफवाह ना फैलाएं। परमपिता परमेश्वर की दया से अभिनेता अरविंद त्रिवेदी पूरी तरह से ठीक है और मैं प्रार्थना करता हूं कि भगवान उन्हें सदैव स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रखें। उल्लेखनीय है कि बीते साल भी रामायण सीरियल के रावण अरविंद त्रिवेदी के निधन की खबर तेजी के साथ उड़ी थी। उस समय उनके भतीजे ने ट्विटर पर सफाई देते हुए कहा था कि अरविंद त्रिवेदी बिल्कुल ठीक हैं। बीते वर्ष कोरोना संक्रमण की पहली लहर की रोकथाम की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के दौरान रामायण और महाभारत सीरियलों का प्रसारण हुआ था। दर्शको ने इन दोनों धारावाहिकों को खूब पसंद किया था।

बिना मंत्रिमंडल के अकेले ही सीएम की शपथ ली

मोनिका लोधी   
कोलकाता। विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद आज ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद की तीसरी बार शपथ ली। यानी एक बार फिर बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बन गई है। कोरोना संकट काल और उसकी गाइडलाइन्स की वजह से शपथ ग्रहण समारोह छोटा ही रखा गया है। ममता बनर्जी ने अकेले ही शपथ ली है। उनके साथ किसी भी मंत्री ने शपथ नहीं ली है। इस दौरान मंच पर ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ ही नजर आए।
ममता बनर्जी ने बुधवार सुबह 10:50 बजे तीसरी बार बंगाल के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण में चौंकाने वाली बात रही, राज्यपाल की हिदायत और उस पर बंगाल की सीएम का रिएक्शन। शपथग्रहण के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता को समझाते हुए कहा कि राज्य में जारी हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए। इसके बाद ममता ने कहा कि अभी राज्य की व्यवस्था चुनाव आयोग के पास थी, अब मैं नई व्यवस्था शुरू करूंगी।
बंगाल में जारी हिंसा का मुद्दे पर सीएम और राज्यपाल, दोनों बोले
ममता ने शपथ ग्रहण के बाद कहा कि अभी प्राथमिकता कोविड के खिलाफ लड़ाई को जीतना है। उन्होंने बंगाल में चल रही हिंसा को लेकर कहा कि बंगाली जनता हिंसा पसंद नहीं करती है। हिंसा फैलाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। आज के बाद हिंसा की घटना नहीं होनी चाहिए। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी कहा- उम्मीद है ममता बनर्जी संविधान का पालन करेंगी। हम चाहते हैं कि राज्य में कानून-व्यवस्था का राज हो और ये हिंसा तुरंत बंद होनी चाहिए।

प्रदेश में चल रहे मिनी लॉकडाउन का दायरा बढ़ाया

संदीप मिश्र   
लखनऊ। यूपी में निरंतर बढ़ते जा रहे कोविड-19 केसों पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश में चल रहे मिनी लॉक डाउन (तालाबन्दी) का दायरा धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है। इस बीच यूपी वासियों को लॉक डाउन (तालाबन्दी) के नियमों के बीच महत्वपूर्ण सामानों की आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए घर से बाहर निकलने में बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ता है, किंतु अब प्रदेश सरकार की ओर से इमरजेंसी में घर से बाहर निकलने वालों के लिए ई-पास जारी करने का फैसला लिया गया है। 
जारी हुई वेबसाइट

अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने सोमवार को प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को लेटर भेज कर बीते वर्ष की भांति इस वर्ष भी लॉक डाउन (तालाबन्दी) की अवधि के दौरान आवश्यक सामानों की आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवाओं हेतु आवागमन करने वालों के लिए ई-पास जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।

इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से rahat.up.nic.in/epass वेबसाइट भी जारी की गई है, जिसके माध्यम से कोई भी संस्थान या व्यक्ति अपना विवरण देकर ई-पास के लिए आवेदन कर सकता है। इसके साथ ही इस बार संस्थागत पास का भी प्रावधान रखा गया है। जिसमें एक संस्था अपने आवेदक समेत अधिकतम पांच कर्मियों के लिए आवेदन कर सकती है।

दूसरी लहर के मुकाबले कम रहेगा संक्रमण: कोरोना

हरिओम उपाध्याय 
नई दिल्ली। दिल्ली स्थित देश के अग्रणी चिकित्सा संस्थान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानि दिल्ली एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया लगातार कोविड-19 को लेकर नई सलाह और सुझाव जारी करते रहते हैं। मंगलवार को डॉ. गुलेरिया ने भारत में तीसरी लहर की आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि अगर वायरस आगे चलकर उत्परिवर्तन करता है और इम्यून से बचने का तंत्र विकसित कर लेता है तो देश में कोविड-19 की तीसरी लहर आ सकती है।

वीकेंड लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू बेअसर

रणदीप गुलेरिया ने राज्यों के द्वारा नाइट कर्फ्यू और वीकेंड लॉकडाउन लगाए जाने के फैसले को वायरस को रोकने के लिए अक्षम बताते हुए कहा है कि इसका सफल होना बहुत मुश्किल है।

यह पूछे जाने पर कि देश में ऐसे कोविड संकट के चलते जिसमें अस्पतालों में मरीज का भर्ती हो पाना मुश्किल बना हुआ है और ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है क्यां राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की एकमात्र विकल्प बचा हुआ है, रणदीप गुलेरिया ने कहा कि वायरस संक्रमण में विस्तार को कम करने के लिए एक अवधि तक लॉकडाउन की आवश्यकता है।

बात करते हुए एम्स निदेशक ने कहा, "तीन चीजों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। पहला अस्पताल का बुनियादी ढांचा है। दूसरा मामलों की संख्या में आक्रामक तरीके से कमी लाना और तीसरा टीकाकरण करना।" गुलेरिया ने कहा संक्रमण की शृंखला को तोड़ना होगा। यदि हम लोगों के बीच संपर्क को तोड़ने में सफल होते है तो वायरस संक्रमण में भी कमी आएगी।

गुलेरिया ने कहा "हम इसे लॉकडाउन

कह सकते हैं या फिर एक क्षेत्रीय लॉकडाउन जैसा कि ब्रिटेन में किया गया था। यह राज्य स्तर पर होगा या फिर बड़े स्तर पर होगा यह तय किया जा सकता है। यह कुछ ऐसा है जिसे नीति निर्माताओं को तय करना है क्योंकि यह जीवन और आजीविका के संदर्भ में सब कुछ व्यवस्थित करने की भी बात है। साथ ही यहां आवश्यक सेवाओं को चालू करना भी जरूरी है क्योंकि इसमें बहुत सारे लोग ऐसे भी प्रभावित होते हैं जो दैनिक मजदूर वाले हैं।' हालांकि उन्होंने लॉकडाउन के सख्त और आक्रामक करने की बात कही है।

एम्स निदेशक ने आगे कहा कि हमारा फोकस केवल हॉस्पिटल के बुनियादे ढांचे पर ही नहीं रखा जा सकता जब तक कि इसमें कोविड-19 संक्रमण की संख्या को कम करने पर ध्यान केंद्रित नहीं किया जाता है। गुलेरिया ने कहा कि वीकेंड लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू का कोई मतलब नहीं है। लॉकडाउन तब काम करेगा जब इसे पर्याप्त समय के लिए लगाया जाए। उन्होंने कहा कि यह समयावधि कम से कम दो सप्ताह की होनी चाहिए।

वायरस के उत्परिवर्तन को देखना जरूरी

डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि अगर वायरस में उत्परिवर्तन जारी रहता है तो भारत में कोरोनोवायरस महामारी की तीसरी लहर की संभावना बनी हुई है। "हमें कुछ चीजों के समझना होगा। हम कितनी जल्दी लोगों को टीका देकर उन्हें प्रतिरक्षा प्रदान कर सकते हैं? और दूसरा यह है कि वायरस कैसे बदलता है? यदि वायरस आगे विकसित होता है और यह एक प्रतिरक्षा बचाव तंत्र विकसित करता है यानि लोगों द्वारा विकसित प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है तो आप फिर से संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में हम महामारी की तीसरी लहर को देख सकते हैं।

उन्होंने कहा हम संभवतः एक और लहर देखेंगे लेकिन मुझे उम्मीद है कि उस समय तक बड़ी संख्या में लोगों को टीका लगाया जा चुका होगा जिसके चलते यह कोरोवायरस की वर्तमान लहर जितनी बड़ी नहीं हो सकती है और इसे प्रबंधित करना आसान होगा।

घरेलू उपाय खूबसूरती में लगा सकते है चार चांद

कविता गर्ग  
गर्मियों के मौसम में चेहरे का इंस्टेंट ग्लो कम होने लगता है। और इसका सबसे बड़ा कारण है ओपन पोर्स। चेहरे पर ओपन पोर्स की वजह से चेहरे पर पिम्पल्स और रिकल्स दिखने लगते हैं। लेकिन कुछ घरेलू उपाय से आप इनसे छुटकारा पा सकते है। गर्मियों में छाछ पीने के कई फायदे है। लेकिन ये बढ़े हुए रोमछिद्रों को बंद करने या छोटा दिखाने में मदद भी करता है।
  • एक कप में तीन चम्मच छाछ और एक चम्मच नमक लें।
  • इस मिश्रण को अच्छी तरह से मिलाएं और मुलायम ब्रश की मदद से इसे चेहरे पर दस से पंद्रह मिनट के लिए लगाएं।
  • इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे को धो दें।
  • यह उपचार प्राकृतिक होने के साथ प्रभावशाली भी है।ओपन पोर्स को बंद करने के लिए ब्राउन शुगर का लेप भी बहुत असरदार है। ब्राउन शुगर का इस्तेमाल चेहरे पर स्क्रब की तरह करने से मृत त्वचा हटने लगती है, जिसके बाद बढ़े हुए रोमछिद्र कम होने लगते हैं।
  • इसके लिए दो चम्मच ब्राउन शुगर और एक चम्मच ऑलिव ऑयल को मिलाएं।
  • स्क्रब की तरह इस्तेमाल करते हुए चेहरे पर पांच मिनट तक मसाज करें।
  • इसके बाद ठंडे पानी से चेहरा धो दें।
  • पहले इस्तेमाल के बाद से ही फायदा नजर आने लगेगा।
  • गुलाब जल और खीरा
  • गुलाब जल और खीरे का जूस चेहरे को ठंडक देता है और ये एस्ट्रिंजेंट का काम करते हैं। गुलाब जल त्वचा का पीएच लेवल सामान्य रखता है। इसके अलावा इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। खीरे के साथ गुलाब जल का मिश्रण रोमछिद्रों को प्रभावशाली तरीके से छोटा करता है।
    • गुलाब जल और खीरे के जूस को मिलाकर चेहरे पर लगाएं।
    • 15 मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें।
    • त्वचा चमक उठेगी।

    चंदन और हल्दी

    चंदन भी चेहरे को चमकदार, मुलायम और कोमल बनाने में उपयोगी है। इसकी तासीर ठंडी होती है। लिहाजा, रोमछिद्रों को छोटा करने में यह कारगार साबित होता है। इसमें हल्दी पाउडर मिलाने के बाद यह एक अच्छा एंटी-बैक्टीरियल मिश्रण बन जाता है।
  • चंदन पाउडर में हल्दी पाउडर और गुलाब जल डालें और अच्छी तरह से मिलाएं।
  • अब इस पेस्ट का इस्तेमाल फेसपैक के रूप में करें।
  • जब फेसपैक अच्छी तरह से सूख जाए तो चेहरे को ठंडे पानी से धो लें।
  • प्रभावी परिणाम के लिए सप्ताह में तीन दिन इस पेस्ट का इस्तेमाल करें।

बेकिंग सोडा

बेकिंग सोडा रोमछिद्र में फंसी गंदगी और मृत त्वचा को निकालने में काफी असरदार है।

  • एक बाउल में बेकिंग सोडा और एक छोटा चम्मच पानी डालकर पेस्ट तैयार करें।
  • इस पेस्ट को चेहरे पर फेसपैक की तरह लगाएं।
  • पेस्ट को पंद्र्रह से बीस मिनट के लिए छोड़ दें।
  • इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे धो लें।
  • थोड़े दिनों बाद आप खुद फर्क महसूस करने लगेंगी।

'पीएम' मोदी ने अभिनेत्री रश्मिका की तारीफ की

'पीएम' मोदी ने अभिनेत्री रश्मिका की तारीफ की अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। नेशनल क्रश रश्मिका मंदाना सिर्फ साउथ सिनेमा का ही नहीं, अब ...