शनिवार, 5 दिसंबर 2020

नोएडा के बाद पूर्वांचल में बनेगी फिल्म सिटी

नोएडा के बाद पूर्वांचल में भी बनेगी फिल्म सिटी


हरिओम उपाध्याय


लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विश्वस्तरीय फिल्म सिटी बनाने के एलान के बाद शिवसेना को भले ही मुंबई से बॉलीवुड के खत्म होने का खतरा महसूस हो रहा है। लेकिन शूटिंग के मामले में फिल्मकारों को यूपी पसंद आने लगी है। सूबे में फिलहाल, करीब डेढ़ सौ फिल्मों की शूटिंग हो रही है। इससे योगी सरकार ने फिल्म सिटी का दायरा बढ़ाते हुए पूर्वांचल में भी एक फिल्म सिटी बनाने की योजना पर गंभीरता से सोचना शुरू किया है। पूर्वांचल में वाराणसी से सटे मिर्जापुर में फिल्म सिटी बनने की ज्यादा संभावना है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आधिकारिक टीम के साथ दो दिन पहले मुंबई दौरे पर आए राज्य के अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने अमर उजाला से खास बातचीत में बताया कि फिल्म सिटी को लेकर मुख्यमंत्री काफी गंभीर हैं। इसलिए पूर्वांचल मे वाराणसी के नजदीक भी फिल्म सिटी बनाने की योजना पर काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि फिल्म सिटी के लिए 500 एकड़ जमीन की तलाश की जा रही है। सहगल ने संकेत दिया कि मिर्जापुर में भी फिल्म सिटी बनने की संभावना है। ऐसा होने पर काशी का क्षेत्र फिल्म उद्योग का बड़ा केंद्र बन सकता है।
यूपी में चल रही है। डेढ़ सौ फिल्मों की शूटिंग
नवनीत सहगल ने बताया कि यूपी में रियल लोकेशन पर मौजूदा समय में करीब 150 फिल्मों की शूटिंग चल रही है। हाल ही में जॉन अब्राहम की लखनऊ में सत्यमेव जयते पार्ट -2 की शूटिंग लखनऊ में जारी है। सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की गुलाबो-सिताबो भी लखनऊ में शूट हुई। गुंजन सक्सेना की भी एक फिल्म की शूटिंग के अलावा कई वेब सीरीज की शूटिंग भी चल रही है। फिल्मकारों को फिल्मबंधु के माध्यम से सब्सिडी भी दी जा रही है।
इतने बड़े प्रदेश में दो फिल्म इंडस्ट्री जरूरी राजू श्रीवास्तव
नोएडा में फिल्म सिटी की योजना से पहले लखनऊ-कानपुर मार्ग पर भी फिल्म सिटी का शिलान्यास हुआ था। चित्रकूट के पास भी फिल्म सिटी के लिए जमीन देखी गई थी। लेकिन पहले के प्रयास को सफलता नहीं मिली। लेकिन इस बार मुख्यमंत्री फिल्म सिटी को लेकर गंभीर है। आश्चर्य की बात है। कि इतने बड़े प्रदेश में एक भी फिल्म सिटी नहीं है। प्रदेश की जनसंख्या और कलाकारों की संख्या को देखते हुए कम से कम दो फिल्म सिटी तो बननी ही चाहिए।               


विभाग को राजस्व वसूली में उपलब्धि मिलीं

आबकारी विभाग का मिशन-राजस्व वसूली में बड़ी उपलब्धि


अरविंद कुमार सैनी


मुजफ्फरनगर। जनपद की ही बात करें तो यहां पर आबकारी विभाग शासन के निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक राजस्व प्राप्त करने में सफल रहा है। मुजफ्फरनगर, कोरोना काल में पनपे आर्थिक संकट के दौरान नई व्यवस्था के साथ आर्थिक मोर्चे पर सामने आई चुनौतियों से निपटने में महती भूमिका निभाने वाले आबकारी विभाग ने कोरोना संकट काल में अनलाॅक के हर मौके को उपलब्धि में बदलने का काम किया है। अकेले मुजफ्फरनगर जनपद की ही बात करें तो यहां पर आबकारी विभाग शासन के निर्धारित लक्ष्य से भी अधिक राजस्व प्राप्त करने में सफल रहा है। राजस्व प्राप्ति के लक्ष्य को भेदने के साथ ही मुजफ्फरनगर जनपद में आबकारी विभाग ने शराब माफियाओं की भी कमर तोड़ने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। बीते तीन महीनों में मुजफ्फरनगर आबकारी विभाग ने 1396 छापामार कार्यवाही करते हुए अवैध शराब का कारोबार करने में लिप्त लोगों के खिलाफ 180 मुकदमे दर्ज कराये और 40 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा। इन कार्यवाहियों के दौरान 1750 बल्क लीटर अवैध मदिरा बरामद की गयी। इन तीन महीने में मुजफ्फरनगर जनपद से आबकारी विभाग द्वारा कुल 91 करोड़ 45 लाख 61 हजार रुपये का राजस्व शासन के पक्ष में वसूल किया। जिलाधिकारी मार्च माह में जब कोरोना संकट का साया गहराया तो लाॅक डाउन में प्रदेश सरकार के समक्ष आर्थिक संकट भी विकराल होने लगा था, ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मार्गदर्शन और आबकारी मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री, आबकारी विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी एंव आबकारी आयुक्त पी गुरु प्रसाद के नेतृत्व में आबकारी विभाग ने आर्थिक संकट के इस दौर को अवसरों में बदलने का काम किया है। आबकारी विभाग ने यूपी में सेनिटाइजन निर्माण के लिए नई व्यवस्था के साथ काम किया तो लाॅक डाउन में ही शराब की बिक्री की व्यवस्था में बेहतर सफलता अर्जित की गयी। इसका असर यह रहा कि यूपी सरकार ने नई उपलब्धियों के साथ आर्थिक मोर्चे पर राज्य को मजबूती प्रदान की और इस उपलब्धि में मुजफ्फरनगर आबकारी विभाग का भी योगदान कमतर नजर नहीं आता है, आज जहां कमोबेश सभी विभाग राजस्व प्राप्ति के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में दूर खड़े नजर आते हैं, वहीं जनपद मुजफ्फरनगर में जिला आबकारी अधिकारी उदय प्रकाश ने अपनी टीम के साथ मिलकर शासन के लक्ष्य से अधिक राजस्व प्राप्त करके ऐसे विभागों को आईना दिखाने का काम किया है। यह उनकी कार्यशैली का ही परिणाम है कि आज जिले में आबकारी विभाग पिछले दो माह में शासन के लक्ष्य से अधिक राजस्व प्राप्त करने में सफल रहा है।               


पांचवे दौर की बैठक में नहीं निकला हल

किसान आंदोलन पांचवें दौर की बैठक


अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर जमे किसान संगठनों और सरकार के बीच पांचवें दौर की बातचीत होगी। गुरुवार को हुई चौथे दौर की बातचीत में कोई सहमति नहीं बन पाई थी। किसान संगठन कानून को पूरी तरह वापस लेने पर अड़े हैं। इसके लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की भी मांग की गई है। 
आज होने वाली बातचीत से पहले फिर केंद्र सरकार पर दबाव डालने की कोशिश की है। शुक्रवार को सिंघु सीमा पर हुई महापंचायत के बाद किसान संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का एलान किया। इसके साथ ही चेतावनी दी कि यदि नए कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो किसानों के हक में पूरा भारत बंद होगा। साथ ही देशभर के सभी टोल फ्री कर दिए जाएंगे। बृहस्पतिवार को हुई चौथे दौर की वार्ता  बेनतीजा रहने के बाद शुक्रवार को लगातार नौंवे दिन किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं बैठे रहे।
कृषि कानूनों पर बृहस्पतिवार को सरकार से हुई बातचीत पर चर्चा के लिए शुक्रवार सुबह पहले सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के किसान संगठनों की बैठक हुई। इसके बाद देशभर से आए किसान नेताओं ने बैठक कर शनिवार की वार्ता के लिए रणनीति बनाई। बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने बताया, सरकार कानूनों में संशोधन के लिए तैयार है। लेकिन हमने साफ कहा है। कि इन्हें वापस लेना होगा। किसान नेता हरिंदर पाल लखोवाल ने कहा सरकार से कह दिया गया है। कि कानून वापस लें। यदि मांग पूरी नहीं होती तो आठ दिसंबर को भारत बंद किया जाएगा। वहीं शनिवार को पूरे देश में सरकार और कॉरपोरेट के पुतले जलाए जाएंगे। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा शनिवार को अगर सरकार हमारी बात नहीं मानती तो आंदोलन और बढ़ाएंगे। अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हनान मोल्लाह ने कहा सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेना होगा। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा जब तक सरकार किसानों की बात नहीं मानती आंदोलन जारी रहेगा। 
तीनों कृषि कानून जरूरी हैं। हम इन्हें रद्द करने की मांग से हम सहमत नहीं हैं। हालांकि इन कानूनों में व्यापक बदलाव की जरूरत है। एमएसपी की गारंटी देनी होगी। कॉरपोरेट क्षेत्र को दिए असीमित अधिकार स्वीकार नहीं हैं। इन कानूनों में छोटे किसानों के हितों की रक्षा की बात नहीं की गई है। दिनेश कुलकर्णी राष्ट्रीय संगठन मंत्री भारतीय किसान संघ
बॉक्सिंग कोच संधू लौटाएंगे द्रोणाचार्य अवार्ड
किसानों के समर्थन में शुक्रवार को भी हस्तियों ने पुरस्कार और सम्मान वापस किए। भारत को पहला ओलंपिक मेडल दिलाने वाले राष्ट्रीय बॉक्सिंग कोच गुरबक्स सिंह संधू ने कहा, अगर सरकार किसानों की मांग नहीं मानती तो वे द्रोणाचार्य अवार्ड लौटा देंगे। साहित्य अकादेमी पुरस्कार जीतने वाले डॉ मोहनजीत, डॉ जसविंदर सिंह और पंजाबी पटकथा लेखक स्वराजबीर ने पुरस्कार वापस करने की घोषणा की।
राष्ट्रपति को पत्र-दिल्ली के लोग बंधक बने
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर दिल्ली के लोगों की समस्या का संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने लिखा, दिल्ली के प्रवेश द्वारों पर जुटे किसानों ने दिल्लीवासियों को बंधक बना दिया है। आप से अपील है। कि इस मामले में दखल देकर दिल्लीवासियों की चिंता दूर करें               


भारत में जनसंख्या की रफ्तार पर लगे ब्रेक

यदि भारत में जनसंख्या की रफ्तार जो आजकल है। वह बनी रही तो कुछ ही वर्षों में वह चीन को मात कर देगा। इस समय चीन से सिर्फ तीन-चार करोड़ लोग ही हमारे यहां कम हैं। भारत की आबादी इस वक्त एक अरब 40 करोड़ के आस-पास है। चीन ने यदि कई वर्षों तक हर परिवार पर एक बच्चे का प्रतिबंध नहीं लगाया होता तो आज चीन की आबादी शायद दो अरब तक पहुंच जाती। अब से 60-70 साल पहले हर चीनी परिवार में प्राय पांच-छह बच्चे हुआ करते थे। भारत से भी ज्यादा दरिद्रता चीन में थी। लेकिन चीन ने आबादी की बढ़त पर सख्ती की उसके कारण उसकी अर्थ व्यवस्था में भी काफी सुधार हुआ। लेकिन आश्चर्य है। कि भारत की सरकारें इस मुद्दे पर खर्राटे खींच रही हैं।
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस मुद्दे पर थोड़ी सजगत दिखाई थी। और नसबंदी अभियान शुरु किया था। लेकिन संजय गांधी के अति उत्साह और कुछ ज्यादतियों के कारण वह हाशिए में चला गया। आपात्काल ने उसे और भी बदनाम कर दिया। इस वक्त दुनिया में जनसंख्या की बाढ़ जिन देशों में सबसे ज्यादा है।उनमें भारत अग्रणी है। यह एकदम सही समय है। जबकि हम आबादी को बढ़ने से रोकें। यदि भाजपा सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी तो उसका विरोध करने की हिम्मत किसी में नहीं होगी। तो वह क्या-क्या करे पहला जब वह लोगों को कोरोना का टीका लगाए तो मुफ्त में नसबंदी का भी एलान करे। वह अनिवार्य न हो। हां कुछ प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं। जिनके एक या दो बच्चे हों, वे स्वेच्छा से टीका लगवाएं। दूसरा दो हम और हमारे दो का नारा घर-घर में गुंजा दिया जाए। इसे कानूनी रुप भी दिया जाए। जो दो से ज्यादा बच्चे पैदा करें उन्हें सरकारी नौकरियों, संसद और विधानसभा की उम्मीदवारी और कई शासकीय सुविधाओं से वंचित किया जाए। मेरा यह सुझाव कठोर और निर्दयतापूर्ण तो लगता है। लेकिन इससे देश का इतना भला होगा कि जो प्रधानमंत्री इसे लागू करेगा उसका दशकों तक भारत की जनता आभार मानेगी। इस नियम को लागू करने का विरोध वे जातिवादी और सांप्रदायिक लोग जरुर करेंगे जो योग्यता—बल और चरित्र-बल की बजाय संख्या-बल के आधार पर ही अपनी राजनीति चलाते हैं। लेकिन व्यापक जन-समर्थन के आगे उनकी बोलती बंद हो जाएगी। तीसरा भारत सरकार यह लक्ष्य बनाए कि दक्षिण और मध्य एशिया के 17 देशों में महासंघ खड़ा करके अगले पांच वर्षों में 10 करोड़ भारतीयों को वहां वह रोजगार दिलवाए। देखिए फिर भारत महासंपन्न और सबल बनता है। या नहीं                 


मोदी युग का आंदोलन 'संपादकीय'

मोदी युग का आंदोलन 'संपादकीय'
 शासकीय व्यवस्था का अत्याचार बढ़ने पर आम नागरिक की सहनशक्ति की सीमाएं जब छोर को छूने लगती है और भार इतना अधिक बन जाता है कि घुटनों के बल आते-आते मानव विवेक और अंतर्मन प्रतिस्थापित व्यवस्था का विरोधी बन जाता है। 'विरोध' की प्रबल भावना एक विचार बन जाती है। विचार का विनिमय होने लगता है, विनिमय की पराकाष्ठा बढ़ती रहती है और 'विद्रोह' के रूप में पनपने लगता है। विचारों में प्रसारित होने पर यह अधिक प्रबल बन जाता है और 'क्रांति' का रूप ले लेता है।
 'किसान आंदोलन' मोदी युग की एक ऐसी क्रांति है जो मोदी शासन की कालिख बनकर मोदी को आखरी सांस तक एहसास कराती रहेगी। गरीब और लाचार जनता पर मनचाहे आदेश थोप दिए गए। जनता मूक-बधिर बनकर आदेशों का पालन करती रही। लेकिन सभी बातें मान ली जाए, ऐसा संभव नहीं है। जिसके परिणाम स्वरूप देश का किसान सरकार के 'विरोध' में अटल स्वभाव से अडिग खड़ा हो गया है। शायद मोदी देश के जवान और किसान की क्षमताओं की जानकारी नहीं रखते हैं या फिर साथी विद्वानों ने इसकी जानकारी नहीं दी है। हठधर्मिता के सापेक्ष में मोदी को यह बात समझ लेनी चाहिए। देश का जवान और किसान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जिस जवान के बलबूते आपके आदेश का पालन होता है। वह जवान किसान का भाई और बेटा है। जिस प्रकार जनहित और जन आवश्यकता पर विचार किए बिना कानून बन रहे हैं। जिनमें किसानों के हित को ध्यान में नहीं रखा गया है। ऐसे कानून का क्या लाभ ? यदि किसान विरोध कर रहा है तो सरकार को किसान के हित में विरोध को समझने का प्रयास करना चाहिए। यदि किसानों के विरुद्ध शक्ति का उपयोग या ऐसी कोई प्रक्रिया जो किसानों को अप्रिय हो। प्रयोग में लाई गई तो उसके परिणाम सरकार के प्रतिकूल होंगे। किसान  कानून में बदलाव करने की हैसियत ही नहीं रखता है, कानून को नेस्तनाबूद करने की ताकत भी रखता है। देश के किसानों की समस्या सुनने में देश के पीएम का पद छोटा नहीं हो जाता है। लेकिन ना सुनने में पीएम का कद ही नहीं बच पाता है। यह वास्तविकता है और इससे मुंह नहीं घुमाया जा सकता है। क्योंकि किसानों की 'संकल्प शक्ति' का उचित आंकलन नहीं किया गया है। इसी कारण यह आंदोलन भविष्य में राष्ट्र निर्माण में किसान सहयोग के रूप में याद किया जाएगा। यह एक आदर्श आंदोलन स्थापित होगा। जिसका परिणाम शत-प्रतिशत किसानों के अनुकूल होगा। 


राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'                                 


न्यूजीलैंड पहुंचते ही संक्रमित हुएं खिलाड़ी

वेलिंग्टन। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है कि न्यूजीलैंड पहुंचते ही उसके 10 खिलाड़ी कोरोना पॉजिटिव कैसे हो गए। यह पाया गया है कि घरेलू कायदे आजम ट्रॉफी के दौरान एक या दो टीमों के कुछ खिलाड़ियों ने न्यूजीलैंड दौरे पर जाने से पहले बलगम, बुखार और छींके आने की शिकायत की थी जो कोरोना वायरस संक्रमण के भी लक्षण हैं। 
पीसीबी के एक सूत्र ने कहा, 'इन खिलाड़ियों को बदलते मौसम के कारण वायरल संक्रमण हुआ था और लाहौर में बोर्ड द्वारा कराए गए कोरोना टेस्ट में भी इनकी रिपोर्ट निगेटिव आई।' सूत्र ने कहा, 'लेकिन क्राइस्टचर्च पहुंचने के बाद इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई जहां दस पॉजिटिव टेस्ट के बाद पूरी टीम पृथकवास पर है।'           


केरल के 7 जिलों से हटा अलर्ट, चक्रवात बुरेवी

कमजोर पड़ा चक्रवात बुरेवी, केरल के सात जिलों से हटा अलर्ट


तिरुवनंतपुरम। चक्रवाती तूफान बुरेवी कमजोर पड़ गया जिसके चलते मौसम विभाग ने केरल के सात दक्षिणी जिलों से रेड अलर्ट वापस ले लिया। मौसम विभाग ने शुक्रवार सुबह कहा कि तूफान आगे और कमजोर पड़ता हुआ तमिलनाडु के रामनाथपुरम और तूतीकुड़ी जिले के बीच से गुजर जाएगा।
इस दौरान 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चलेगी। मौसम विभाग ने तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, अलफुजा, कोटयम, मल्लापुरम समेत दस जिलों के लिए बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। इस बीच तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे ने हालांकि शुक्रवार की अपनी नौ उड़ानों के समय में फेरबदल किया। शाम छह बजे तक हवाई अड्डे का संचालन बंद रखा गया। राज्य सरकार ने शुक्रवार के लिए पांच जिलों में सार्वजनिक अवकाश की घोषण पहले ही कर दी थी।
बता दें कि तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पठानमथिट्टा, अलापुझा, कोट्टायम, एर्नाकुलम, इडुक्की, त्रिशूर, पलक्कड़ और मलप्पुरम सहित पूरे केरल में 10 जिलों में यलो अलर्ट जारी किया गया था। तमिलनाडु में चक्रवाती तूफान बुरेवी के चलते शुक्रवार को भारी बारिश का दौर जारी रहा जिससे फसलें पानी में डूब गई और कई शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में जलभराव हो गया। 
इसके प्रभाव से राज्य के अनेक स्थानों पर भारी वर्षा हुई। इसके अलावा कई क्षेत्रों में भारी से बेहद भारी बारिश हुई। नागपट्टिनम जिले के कोलीडाम में 36 सेंटीमीटर, कुड्डालोर के चिदंबरम में 34 सेंटीमीटर तथा दो दर्जन से अधिक स्थानों पर 10 से 28 सेंटीमीटर के बीच बारिश हुई। लगातार तीन दिन से हो रही बारिश के कारण तिरुवरूर, पुडुकोट्टाई, तंजावूर आदि जिलों में धान और गन्ने की फसल पानी में डूब गई है।
चक्रवाती तूफान बुरेवी की चेतावनी को देखते हुए एनडीआरएफ की कई टीमें केरल और तमिलनाडु में तैनात हैं। वहीं वायुसेना और नौसेना की टीमें भी अलर्ट मोड पर हैं। 175 परिवारों के 697 से अधिक लोगों को राहत कैंपों में पहुंचाया गया। जबकि 2489 अन्य कैंप बनाए गए हैं। 
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया था। मौसम विभाग ने तमिलनाडु और केरल के दक्षिण हिस्से के लिए रेड अलर्ट जारी किया है।               


केंद्र से झगड़ा बढ़ाने को तैयार किसान

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने शुक्रवार 8 दिसंबर को ‘भारत बंद’ की घोषणा की। उन्होंने इस दिन टोल प्लाजा पर कब्जा करने की चेतावनी भी दी। किसान नेता गुरनाम सिंह चढुनी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर केंद्र सरकार शनिवार की वार्ता के दौरान उनकी मांगों को नहीं मानती है, तो वे नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर सिंह लखवाल ने कहा, “आज की हमारी बैठक में, हमने 8 दिसंबर को ‘भारत बंद’ बुलाने का फैसला किया है और इस दौरान हम सभी टोल प्लाजाओं पर भी कब्जा करेंगे।” अब 5 दिसंबर को किसान और सरकार के बीच पांचवें दौर की वार्ता होगी।               


एयर इंडिया को राहत मिलने की उम्मीद जगी

नई दिल्ली। 69 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के कर्ज में फंसी सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया को राहत मिलने की उम्मीद जगी है। दिलचस्प तरीके से वरिष्ठ कर्मचारियों का एक समूह अपनी ही कंपनी को खरीदने के लिए आगे आया है। ये कर्मचारी प्राइवेट इक्विटी फर्म के साथ सरकारी बोली में हिस्सा लेने की तैयारी कर रहे हैं। अगर बात बनती है। तो देश के कॉरपोरेट इतिहास का यह पहला मामला होगा जब किसी सरकारी कंपनी को उसके ही कर्मचारी खरीदेंगे।
बैठे-बैठे आइडिया आया
कंपनी के तारणहार बनने जा रहे वरिष्ठ अधिकारियों में से एक के मुताबिक दीवाली के बाद एयर इंडिया मुख्यालय में चार-पांच साथी बैठे थे। सभी यहां 30-32 साल से नौकरी कर रहे हैं। चर्चा होने लगी कि इस बार तो दिवाली मना रहे हैं। अगली दीपावली पर एयर इंडिया में क्या स्थितियां होंगी कर्मचारियों का क्या होगा कुछ पता नहीं।
ज्वॉइनिंग के पहले दिन के अनुभव बताते-बताते सभी भावुक होने लगे। तभी एक अधिकारी ने कहा जिस एयरलाइंस में पूरा जीवन गुजर गया, काश इसे हम खरीद सकते इस पर एक अधिकारी ने कहा इतनी भारी-भरकम रकम कहां से लाएंगे। तभी आइडिया आया कि क्यों न काेई फाइनेंसर खोजकर कर्मचारी ही हिस्सेदारी खरीद लें। इस सुझाव पर सभी गंभीर हो गए।
फिर हुई फाइनेंसर की तलाश
यह अधिकारी बताते हैं। हमारी सोच को जैसे पंख लग गए। हमने फाइनेंसर की तलाश शुरू कर दी। एक नाम पर सहमति बनी। प्राइवेट इक्विटी फर्म हमारे प्रस्ताव पर तैयार भी हो गई। इसके बाद एयर इंडिया के उन अधिकारी और कर्मचारी को चुना गया जिनकी नौकरी 30 से 32 साल की हो चुकी है। इसके पीछे तर्क यह था। कि पुराने कर्मचारियों का कंपनी से भावनात्मक जुड़ाव रहेगा।
इस सीनियर अफसर के मुताबिक- पुराने कर्मचारी पूरी तरह इस मुहिम में साथ देंगे। इस मुहिम से 200 से अधिक कर्मचारी जुड़ चुके हैं। सभी 1-1 लाख रुपए जुटा रहे हैं। एयर इंडिया में कुल 14 हजार कर्मचारी हैं। मुहिम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी में आज भी पोटेंशियल है। सब कुछ ठीक रहा तो दो साल में कंपनी ट्रैक पर आ सकती है।
51% हिस्सेदारी एअर इंडिया की कर्मचारियों के पास रहेगी
बोली की पूरी प्रक्रिया कमर्शियल डायरेक्टर मीनाक्षी मलिक के नेतृत्व में पूरी की जा रही है। कंपनी के अधिकारी 14 दिसंबर को खत्म हो रही बोली प्रक्रिया में शामिल होंगे। क्वालिफाइड बिडर्स के बारे में 28 दिसंबर तक पता चलेगा। यह योजना सफल रहती है। तो कर्मचारी प्रबंधन कंसोर्टियम के पास एयरलाइन की 51% हिस्सेदारी रहेगी जबकि फाइनेंसर के पास 49% हिस्सा रहेगा               


योगराज ने हिंदुओं को लेकर दिया बयान

नई दिल्ली। पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह का विवादों से पुराना नाता है। एक बार फिर उन्होंने भड़काऊ भाषण देकर नए विवाद को जन्म दे दिया है। केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन देने पहुंचे योगराज सिंह ने हिंदुओं को लेकर बेहद ही शर्मनाक टिप्पणी की है, जिसके बाद उनकी गिरफ्तार की मांग उठने लगी है।             


हैदराबाद के किंग मेकर बने 'औवेसी'

हैदराबाद। प्रमुख असुद्दीन ओवैसी सियासत के मैदान के मंझे हुए खिलाड़ी हैं। सियासत का मैदान उनका था लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उनके घर में घुसकर चैलेंज दिया।हैदराबाद नगर निकाय की 150 सीटों में सिर्फ 51 सीटों पर ओवैसी ने सियासी बैटिंग की लेकिन उनकी टीम का स्ट्राइक रेट सबसे हाई है। लोकल चुनाव के नतीजों से बीजेपी की लीड पर अब यही कहा जा रहा है कि घाटा टीआरएस को हुआ है और ओवैसी का कुछ नहीं जाता।         


वजन कंट्रोल करने में कारगर है गर्म पानी

वजन कंट्रोल करने में कारगर है। गर्म पानी, जानिये कितना पीने से होगा फायदा
दिन भर में शरीर में जो टॉक्सिक पदार्थ जमा होते हैं। गर्म पानी पीने से वो भी फ्लश आउट हो जाते हैं।
जो लोग खाना खाने से पहले गर्म पानी पीते हैं। उन्हें ज्यादा खाने की इच्छा नहीं होती है। कई बार अनियंत्रित खानपान और असंतुलित लाइफस्टाइल की वजह से मोटापा बढ़ जाता है। ऐसे में मोटापे से राहत पाने के लिए लोग डाइटिंग करते हैं। या फिर जिम जाते हैं। मगर इससे हमेशा फायदा ही हो ये आवश्यक नहीं है। अधिक वजनदार इंसान न केवल असुविधा महसूस करते हैं। बल्कि उनमें कई बीमारियां जैसे कि हाई बीपी डायबिटीज और गठिया का खतरा भी अधिक देखने को मिलता है। ऐसे में विशेषज्ञ मोटापे से ग्रस्त लोगों को कुछ घरेलू उपाय अपनाने की भी सलाह देते हैं। उनका मानना है। कि गर्म पानी पीने से वजन घटाने की प्रकिया आसान हो जाती है।
आमतौर पर जो लोग पर्याप्त मात्रा में पानी पीते हैं। उनको वजन घटाने में मदद मिलती है। वहीं, गर्म पानी पीने से वजन पर जल्दी नियंत्रण पाया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्म पानी शरीर के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने का कार्य करता है।
कैसे है।
फायदेमंद।
बेहतर मेटाबॉलिक रेट होने से कैलोरी बर्न करने में मदद मिलती है। पानी का अधिक टेम्प्रेचर फैट मॉलीक्यूल्स का ब्रेक डाउन करता है। इससे पाचन तंत्र के लिए कैलोरीज बर्न करना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं, जो लोग खाना खाने से पहले गर्म पानी पीते हैं। उन्हें ज्यादा खाने की इच्छा नहीं होती है। इससे वो ओवर ईटिंग से बचते हैं। और वजन संतुलित रहता है।
गर्म पानी पीना,मोटापे से छुटकारा पाने का कारगर उपाय
गर्म पानी पीने के फायदे
बाहर निकलते हैं टॉक्सिक पदार्थ। दिन भर में शरीर में जो टॉक्सिक पदार्थ जमा होते हैं।गर्म पानी पीने से वो भी फ्लश आउट हो जाते हैं। साथ ही, गर्म पानी पीने से शरीर को गरर्माहट मिलती है। जिससे पूरी बॉडी में ब्लड फ्लो बेहतर तरीके से होता है। इस तरह से गर्म पानी आपके शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है।
इस तरह पीने से होगा अधिक फायदा। सुबह-सुबह गर्म पानी में नींबू मिलाकर पीने से वजन ज्यादा तेजी से कम होता है। यह शरीर में मौजूद अतिरिक्त वसा को बर्न करता है। और शरीर को सही शेप में लाता है। इसके अलावा गर्म पानी के असर को बढ़ाने के लिए लोग चाहें तो उसमें नींबू और शहद मिला सकते हैं। इससे मेटाबॉलिक रेट बढ़ता है।               


'रेडिएशन' स्टॉर्म के बारे में चेतावनी जारी की

'रेडिएशन' स्टॉर्म के बारे में चेतावनी जारी की  अखिलेश पांडेय  नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। वैज्ञानिक अभी भी पिछले सप्ताह आए सोलर स्टॉर्म...