डीपी मिश्रा
पलिया कलां (लखीमपुर)। गन्ने की फसल में लग रहे लाल सडऩ रोग व कीड़ों से बचाने के लिऐ गन्ना शोध संस्थान शाहजहांपुर से आये गन्ना वैज्ञानिकों ने क्षेत्र का भ्रमण कर फ सलों का निरीक्षण किया तथा किसानों को उससे बचाव के तरीके बताए। जानकारी के अनुसार शाहजहांपुर से आए वैज्ञानिको में पादप रोग विज्ञानी डा. एसपी सिंह एवं कीट विज्ञानी अरूण कुमार सिंह तथा चीनी मिल अधिकारियों ने बजाज हिन्दस्थान शुगर लिमिटेड के क्षेत्र में कृषकों के खेत पर पहुंचकर गन्ने की फ सल में लगे रोग एवं कीट की जांच करटे हुए वैज्ञानिकों ने कुछ कृषकों के खेतों पर ट्राइको कार्ड (बेधक नियंत्रण) का प्रत्यारोपण भी कराया। भ्रमण के दौरान कृषकों के प्रक्षेत्र पर गन्ना प्रजाति बवचा 05191 एवं को. 0238 के कुछ खेतो में छिटपुट लाल सडऩ रोग पाया गया। इसके नियंत्रण हेतु कृषकों को सुझाव दिया गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि लाल सडऩ रोग से फसल को बचाने के लिए मृदा उपचार में ट्राइकोडरमा चार किग्रा. प्रति एकड़ 200 किग्रा. गोबर की सड़ी खाद के साथ मिलाकर 72 घंटे तक छाया में रखकर खेत की तैयारी के समय डाले। इसके अलावा बीज शोधन के लिए गन्ना बुवाई के समय थायोफि नेट मिथाइल द्वारा उपचारित करने से लाल सडऩ रोग से बचाव हो सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि रोग से बचाव का बेहतर विकल्प फ सलचक्र अपनाना है। पलिया चीनी मिल क्षेत्र हेतु उन्नतशील गन्ना प्रजाति को. 0118, को. 09814, कोशा. 08272, कोशा. 13235 को जानकारों ने उपयुक्त बताया। गन्ना वैज्ञानिकों ने शरदकालीन गन्ना बुवाई में लाइन से लाइन की दूरी कम से कम चार फि ट एवं लाइनों के बीच में सह फ सल के रूप में पीली सरसो, आलू, मटर आदि को उगाने पर बल दिया। उन्होने बताया कि पलिया चीनी मिल क्षेत्र में शरदकालीन गन्ना बुवाई करना अधिक लाभप्रद हैै। गन्ना वैज्ञानिकों ने बताया कि इस वर्ष मिल क्षेत्र के खेतों में अधिक जलभराव से गन्ना फ सल पर काफी कुप्रभाव पड़ा है। भ्रमण के दौरान चीनी मिल के वरिष्ठ गन्ना प्रबंधक अशोक चौधरी एवं कुलदीप राठी, वरिष्ठ अधिकारी गन्ना असलम अली, यशवन्त सिंह, जितेन्द्र कुमार सिंह, एवं कृषक हरदीप सिंह, गुरमीत सिंह, राजेन्द्र सिंह, हरनेक सिंह, कुलदीप सिंह, सन्तोष सिंह, आदितमाम किसान उपस्थिति रहें।