मंगलवार, 3 मार्च 2020

उत्तर भारत में तूफान-बारिश का अलर्ट

स्काइमेट ने जारी किया ऑरेंज अलर्ट | उत्तर भारत में 5 और 6 मार्च को भारी बारिश और तूफानी हवाओं के साथ ओले गिरने की संभावना | इस हफ्ते बिगड़े मौसम से फसलों को हो सकता है नुकसान- जतिन सिंह,


नई दिल्ली। पिछले हफ्ते देश के अधिकांश इलाकों में बारिश जैसी मौसमी हलचलें देखने को मिली थीं। सप्ताह की शुरुआत में 24 और 25 फरवरी को देश के पूर्वी राज्यों में बारिश और ओलावृष्टि हुई। बिहार में मुंगेर, गोपालगंज, जमुई, बांका और औरंगाबाद में बड़े पैमाने पर ओले गिरे थे और वज्रपात यानि बिजली गिरने की घटनाएँ देखने को मिली थीं। इसके चलते जहां फसलों का बड़े स्तर पर नुकसान हुआ वहीं 11 लोगों की मौत हो गई थी।
झारखंड में पलामू और डाल्टनगंज में भी 24 और 25 मार्च को भारी बारिश के साथ ओले गिरे थे। 60 सालों का रिकॉर्ड टूटा था। तूफानी हवाओं के कारण फसलें ज़मीन पर लेट गई थीं और बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था। ओड़ीशा के कुछ हिस्से और छत्तीसगढ़ भी ऐसे मौसम की जद में आए थे। देवगढ़, कांठापाड़ा, मलकानगिरि और रायपुर में भी भारी बारिश और ओलावृष्टि हुई थी।


फरवरी के आखिर में उत्तर भारत के पहाड़ों और मैदानी इलाकों पर भी मौसम बदला था। दिल्ली-एनसीआर समेत फरवरी की विदाई बारिश के साथ हुई।


पूर्वी और उत्तर भारत की तरह ही मध्य भारत के भी कुछ हिस्सों में बारिश दर्ज की गई। जबकि दक्षिण भारत के भागों में बारिश में कमी रही। हालांकि देश में जनवरी और फरवरी महीने में कुल 40.2 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई, जो सामान्य (40.8 मिमी) के करीब है।


2 मार्च से शुरू हो रहा नया सप्ताह देश के लिए अच्छा रहेगा। गुजरात और कर्नाटक को छोड़कर देश भर में बारिश होने की संभावना है। तेज़ बारिश, भीषण गर्जना, ओलावृष्टि की गतिविधियां 5 और 6 मार्च को चरम पर होंगी। इस बार भी सबसे अधिक प्रभाव उत्तरी, पूर्वी और मध्य पर होगा। इस बार भी बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में फसलों को बड़ा नुकसान हो सकता है। साथ ही उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा भी प्रभावित हो सकते हैं।


उत्तर भारत में आएगी बारिशः इस सप्ताह की शुरुआत शांत मौसम के साथ हुई है। 2 और 3 मार्च को पहाड़ों और मैदानी इलाकों में मौसम मुख्यतः शुष्क रहेगा। हालांकि पहाड़ों पर एक-दो स्थानों पर हल्की वर्षा हो सकती है। 4 मार्च को नया और सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ पहाड़ों पर आएगा। इसके प्रभाव से राजस्थान पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र भी बनेगा जिससे पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान, दिल्ली-एनसीआर और उत्तर प्रदेश में 4 से 7 मार्च के बीच अधिकांश स्थानों पर तेज़ बारिश होने और ओले गिरने की संभावना है।


जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और उत्तराखंड में भी इसी दौरान भारी बारिश और बर्फबारी होने के आसार हैं। उत्तर भारत में भारी बारिश, बर्फबारी और ओलावृष्टि की आशंका को देखते हुए स्काइमेट ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।


पूर्वी व पूर्वोत्तर वर्षा और ओलावृष्टिः पूर्वी भारत में बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में पिछले सप्ताह भारी बारिश और हिमपात से जो नुकसान हुआ था वही कहानी इस हफ्ते भी दोहराई जाएगी। 4 से 8 मार्च के बीच पूर्वी राज्यों में तेज़ बारिश होगी। अधिकांश इलाकों में बादलों की गर्जना और तेज़ हवाओं के साथ बारिश और ओलावृष्टि होने की संभावना है। इन भागों में भी गतिविधियां 5 और 6 मार्च को सबसे अधिक होंगी।


पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में भी इस सप्ताह अच्छी बारिश की संभावना है। अरुणाचल, असम और मेघालय अधिक प्रभावित होंगे।


मध्य भारत को भी मिलेगी बारिशः गुजरात पिछले सप्ताह की ही तरह इस हफ्ते भी मौसम शुष्क बना रहेगा। उत्तर और पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में सप्ताह के शुरुआती दिनों में हल्की वर्षा होगी। लेकिन दूसरे हफ्ते गतिविधियां बढ़ेंगी और 5 व 6 मार्च को इन भागों में वायपक बारिश देखने को मिलेगी।


दक्षिण भारत में प्री-मॉनसून जैसा मौसमः इस सप्ताह दक्षिण भारत के राज्यों में बारिश हल्की होगी। केरल और उत्तरी कर्नाटक में सप्ताह के शुरुआती दिनों में हल्की प्री-मॉनसून वर्षा होगी। हालांकि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सप्ताह के मध्य से अच्छी बारिश हो सकती है। सप्ताह के मध्य से ही तमिलनाडु में भी हल्की बारिश होने की संभावना है।  हालांकि इस सप्ताह फिर से केरल और तमिलनाडु में बारिश बढ़ेगी।


दिल्ली में बारिश के लिए इंतज़ारः राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस सप्ताह तेज़ बारिश की है उम्मीद। 4 से 7 मार्च के बीच दिल्ली-एनसीआर में कई जगहों पर वर्षा होने की संभावना है। गतिविधियां 5 और 6 मार्च को सबसे अधिक होंगी। न्यूनतम तापमान 15 से 17 डिग्री के बीच जबकि अधिकतम तापमान 25 से 28 डिग्री के बीच रहेगा।


चेन्नई में गर्मीः चेन्नई में आंशिक बादल छाए रहेंगे। सप्ताह के मध्य से रुक-रुक कर बारिश की गतिविधियां देखने को मिलेंगी। अधिकतम तापमान 30 डिग्री के आसपास रहेगा और सुबह का तापमान 25 डिग्री के करीब रहेगा।


31 तक होगे बीएस-4 वाहनों के रजिस्ट्रेशन

BS4 वाहन स्वामियों के लिये खास सूचना,


माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार 31 मार्च तक ही हो पाएंगे BS4 वाहनों के रजिस्ट्रेशन, इसके बाद उठाना पड़ सकता है  BS4 वाहन स्वामियों को भारी परेशानी का सामना,


मुज़फ्फरनगर।  जनपद मुजफ्फरनगर मैं एआरटीओ ऑफिस में तैनात एआरटीओ महोदय राजीव बंसल ने जानकारी देते हुए बताया कि माननीय उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार वर्ष 2020 के 31 मार्च तक ही ऑल टाइप bs4 वाहनों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा अगर इस समय अवधि के बीच कोई भी वाहन स्वामी अपने वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं कराता तो यह कानून का उल्लंघन होगा जिसके खामियाजा के रूप में 21 मार्च के बाद bs4 वाहन स्वामी को बड़ी परेशानी का सामना भी करना पड़ सकता है।  इसी क्रम में एआरटीओ राजीव बंसल ने जनपद के समस्त वाहन स्वामियों से अनुरोध किया है कि कृपया 31 मार्च तक अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन अवश्य करा लें ताकि भविष्य में आपको किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े। वाहन रजिस्ट्रेशन हेतु वाहन कम्पनी शोरूम, या एआरटीओ कार्यालय मुज़फ्फरनगर पर सम्पर्क करें।


अगले 3 वर्ष तक रहेगा सुस्ती का असर

नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था में जारी सुस्ती को जल्द खत्म न किया गया तो आने वाले समय भारतीय कॉरपोरेट जगत भारी जोखिम से घिर जाएगा। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने सोमवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि सुस्ती के असर से अगले तीन वर्षों में 10.52 लाख करोड़ रुपये का कॉरपोरेट कर्ज एनपीए हो सकता है। रेटिंग एजेंसी के अनुसार, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने हाल में जारी अक्तूबर-दिसंबर 2019 तिमाही के लिए विकास दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। साथ ही चालू वित्त वर्ष में विकास दर पांच फीसदी रहने की बात कहीं थी।


लगातार सुस्ती और इसके लंबे समय तक जारी रहने की आशंका से भारतीय कॉरपोरेट जगत की क्रेडिट प्रोफाइल दबाव में है। रेटिंग एजेंसी ने जोखिमों का आकलन करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों का विश्लेषण किया। इसके बाद निष्कर्ष निकाला कि रियल एस्टेट, ऊर्जा, ऑटो और सहायक क्षेत्र, दूरसंचार व इन्फ्रास्ट्रक्चर सहित 11 क्षेत्रों पर ऋण डिफॉल्ट का सबसे ज्यादा जोखिम में है। एजेंसी ने इस विश्लेषण के लिए 500 बड़े कर्ज वाली कंपनियों की संपत्ति गुणवत्ता और उनकी उत्पादकता व गैर-उत्पादक संपत्तियों का गहन अध्ययन किया है। इससे कंपनियों के रीफाइनेंसिंग जोखिमों का भी खुलासा होता है।


इंडिया रेटिंग्स ने बताया कि अगर वित्त वर्ष 21 और 22 में विकास दर गिरकर 4.5 फीसदी तक जाती है, तो आपराधिक श्रेणी में आने वाले कर्ज का दायरा 159 आधार अंक बढ़कर सिस्टम में जारी कुल कॉरपोरट कर्ज का 5.59 फीसदी पहुंच सकता है। इसके उलट, अगर वित्त वर्ष 2021 और 2022 में विकास दर बढ़कर 7 फीसदी पहुंच जाती है, तो जोखिम वाले इस कर्ज का दायरा 87 आधार अंक घटकर 3.13 फीसदी पर आ सकता है।


पीएम मोदीः देश में एकता-शांति जरूरी

भावुक हुए पीएम नरेंद्र मोदी, बोले- देश में शांति और एकता जरूरी



नई दिल्ली। सोशल मीडिया से अलविदा के ऐलान के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक हो गए हैं। मंगलवार को हुई संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी ने दिल्ली हिंसा का सीधा जिक्र किए बिना कहा कि देश में शांति और एकता जरूरी है। मीटिंग में मोदी ने अपना नारा भी दोहराया कि सबका साथ, सबका विकास के साथ-साथ सबका विश्वास भी जरूरी है। आगे उन्होंने सख्त लहजे में यह भी कहा कि उनके लिए पहले देश और फिर दल है। पीएम मोदी का यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब उनके सोशल मीडिया छोड़ने की खबर हर जगह छाई हुई है। मोदी ने सोमवार रात यह ऐलान किया था कि रविवार से वह फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब चलाना छोड़ सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, मोदी ने मीटिंग में आगे कहा, देश सर्वोपरि है। विकास बीजेपी का मंत्र है और इसके लिए शांति एकता और सद्भाव जरूरी है. यह रखते हुए विकास को आगे ले जाना है। मीटिंग से बाहर आकर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि मोदी ने सांसदों से सख्त लहजे में यह भी कहा कि यह सिर्फ बोलना नहीं है, हर सासंद को शांति, एकता और सद्भावना में लीड करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज की तरह देशहित और दलहित तब भी मामला आया था, तब वंदे मातरम को भी इनकार किया गया था। दिल्ली में फैली हिंसा के बाद 26 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहली बार इसपर कुछ कहा था। करीब 69 घंटों बाद आए इस ट्वीट की वजह से पीएम मोदी को घेरा भी गया था। उन्होंने ट्वीट करते हुए लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी। पीएम मोदी ने लिखा था, दिल्ली के अलग-अलग हिस्से में जो हालात हैं उस पर विस्तृत समीक्षा की। पुलिस और अन्य एजेंसियों शांति बहाली सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा था कि मैं सभी बहनों और भाईयों से यह अपील करता हूं कि वे शांति और भाईचारे बनाए रखें। जल्द से जल्द शांति बहाली के लिए यह जरूरी है।


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सभी देशवासियों को होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


मार्च04, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-206 (साल-01)
2. बुधवार , मार्च 04, 2020
3. शक-1941,फाल्गुन - शुक्ल पक्ष, तिथि-दसमी, संवत 2076


4. सूर्योदय प्रातः 06:45,सूर्यास्त 06:13
5. न्‍यूनतम तापमान 16+ डी.सै.,अधिकतम-25+ डी.सै.।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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सोमवार, 2 मार्च 2020

कैरेश्वर मंदिर व कैर गांंव का वृतांत

रजनीकांत अवस्थी


महराजगंज- रायबरेली। क्षेत्र के कैर गांव का इतिहास बड़ा ही गूढ़ और मार्मिक है। प्राचीन काल में कन्नौज के राजा जयचंद का अवध प्रांत में राज्य था। च्यूंकि, राजधानी कन्नौज होने के नाते यहां के सेनापति थे जिनका नाम कैमाशराय था और दिल्ली के राजा पृथ्वीराज के सेनापति का नाम चामुंडराय था। कैमाशराय और चामुंडराय में घनिष्ठ मित्रता थी। जयचंद्र नरेश ने जब अपनी कन्या संयोग्यता का स्वयंवर किया तो, पृथ्वीराज चौहान ने जयचंद नरेश की पुत्री संयोगिता को स्वयंवर से जबरन युद्ध में जीत कर उठा ले गए। इस दौरान दोनों राजाओं की सेनाओं में घमासान युद्ध हुआ युद्ध में पृथ्वीराज की सेना विजयी हुई। बताते हैं कि, इस युद्ध में हारना सेनापति कैमाशराय की कमजोरी थी। वह इसलिए कि, पृथ्वीराज के सेनापति चामुंडराय ने इस योजना के बारे में कैमाशराय को पहले से ही बता दिया था, कैमाश राय की सेना और चामुंडराय की सेनाओं के बीच भयंकर युद्ध लड़ा गया, लेकिन पूर्व योजनाबद्ध तरीके से कैमाशराय को यह युद्ध में हारना पड़ा। आपको बता दें कि, क्षेत्र के संभ्रांत वयोवृद्ध इतिहास की जानकारी से परिपूर्ण कैर गांव निवासी समर बहादुर पांडेय आगे बताते हैं कि, बाद में जब कन्नौज के राजा जयचंद्र को इस बाबत पता चला कि, उनके ही सेनापति छल किया गया और सेनापति के ही द्वारा रचाए गए खेल में उनकी पुत्री को स्वयंवर से पृथ्वीराज उठा ले गए हैं, तो उन्होंने अपनी सेना को कैमाशराय पर आक्रमण कर मृत्युदंड देने का आदेश दे दिया। प्राचीन काल में कैर गांव को यहां के सेनापति के नाम से कैमाशगढ़ के रूप में जाना जाता था और कैरेस्वर महादेव यहां के सेनापति कैमाशराव के इष्ट देवता थे। जब कन्नौज के राजा ने अपनी सेना को यहां आक्रमण के लिए भेजा तो, मृत्यु के भय से कैमाशराव ने अपने आप को बचाने के लिए किले में बने पीछे के दरवाजे से निकल कर दिल्ली चला गया और पृथ्वीराज के पास शरण ले ली। तत्पश्चात जयचंद्र ने किले को धाराशाही करवाकर मलबे में तब्दील कर यहां आबादी बसा दी और इस गांव का नाम कैमाशगढ़ से कायर रखवा दिया। इसलिए कि, यहां के सेनापति वीरता पूर्वक जयचंद की सेना से युद्ध ना करके कायरों की भांति पीछे के दरवाजे से भाग निकला था। जो कायर गांव के नाम से जाना जाने लगा।
समर बहादुर पांडेय आगे बताते हैं कि, मुगल काल में औरंगजेब के द्वारा मूर्ति को तोड़कर मंदिर को विध्वंस किया गया। जिसके निशान मूर्त में आज भी विद्यमान है। श्री पांडेय बताते हैं कि, औरंगजेब की सेना द्वारा मंदिर विध्वंस और मूर्ति पर प्रहार कर तोड़ने तक तो, भोलेनाथ चुप रहे लेकिन जैसे ही क्रूर सेना द्वारा गांव को लूटा जाने लगा तो, शंकर जी की कृपा से मंदिर के स्थान से [हाड़ा] जिन्हें बर्रौवा कहते हैं, निकले और अपने डंक़ों से प्रहार कर शाही पल्टन को नदी के पार खदेड़ दिया। इसके बाद मंदिर नष्ट हो गया।


बताते हैं कि, नवाबी हुकूमत में नवाबों के सिपहसलाहकार राजा मानसिंह {अयोध्या} हुए तो, उनके द्वारा पुन: मंदिर का भव्य निर्माण करवाया गया और शंकर जी की टूटी हुई मूर्ति को गांव के ही लोहार {विश्वकर्मा} ने ताम्रपत्र {तामा से} लगाकर जोड़ दिया जो मूर्ति में आज भी विद्यमान है। जिसके बाद भोलेनाथ ने स्वप्न में वरदान दिया कि, फालिस के मर्ज में मंदिर परिसर में लगे वृक्ष से लोहार परिवार का कोई भी सदस्य दवा जड़ी दे देगा तो रोगी का मर्ज ठीक हो जाएगा। तब से आज तक यह प्रथा चली आ रही है। जिससे दूरदराज से आने वाले लाखों रोगी लाभान्वित हुए है। जिनका नाम इस मर्ज से संबंधित लोहारों के यहां बने दस्तावेज में आज भी दर्ज है।
श्री पांडेय बताते हैं कि, नवाबी काल में जगन्नाथ नाम का एक वैश्य {बनिया} हुआ जो लखनऊ के डालीगंज में रहता था और पैतृक गांव कैर था। जब नवाबी काल में हिंदू मुसलमान राइट हुआ तो, उसे मारा गया जिसके बाद उसने शंकर जी की स्तुति की कि, अगर वह ठीक हो जाएगा तो, कैर गांव में स्थित शंकर जी के दर्शन करेगा। जिसके बाद भगवान भोलेनाथ की कृपा से धीरे धीरे वह पहले की भांति ठीक हो गया। तत्पश्चात उसने कैर गांव स्थित कैरेश्वर महादेव मंदिर का रंग रोगन भव्य जीर्णोद्धार कराया।
समर बहादुर पांडेय और क्षेत्रवासियों के मुताबिक यहां कैरेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में साल में दो बार कजरी तीज और शिवरात्रि को हवन पूजन के साथ भव्य मेला लगता है, जो अपने आप में अद्वितीय है। श्री पांडेय आगे बताते हैं कि, जगन्नाथ वैश्य {बनिया} द्वारा मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद अब इस मंदिर की देख देख मंदिर कमेटी सहित ग्रामवासी व ग्राम प्रधान रखते हैं जिनके द्वारा समय-समय पर मंदिर की रंगाई पुताई तथा मरम्मत का कार्य कराया जाता है। कैर की रक्षा करते हैं गांव के चारों तरफ विद्मान सात सतियों के चौरे कैर गांव निवासी समर बहादुर पांडे और ग्रामवासी बताते हैं कि, कैर गांव के चारों तरफ सात सतियों के चौरे विद्यमान हैं। जो सदैव गांव की रक्षा करते हैं। बताते हैं कि, कन्नौज के राजाजयचंद ने जब यहां आक्रमण किया तो कैमाशराव किले के पीछे वाले दरवाजे से भागकर दिल्ली में पृथ्वीराज के यहां शरण ली थी। जिसके फलस्वरूप उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिए गया। उस काल में सती प्रथा होने के कारण स्त्रियां अपने पति के मरणोपरांत उनके साथ सती हो जाया करती थी। जिनके चौरे गांव की सभी दिशाओं में विद्यमान है। जिनकी ग्राम वासियों द्वारा पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है जो फलीभूत होती है। यही सती के चौरे विपत्ति के समय गांव की रक्षा करती हैं। इस दौरान कैरेश्वर महादेव मंदिर समिति के प्रबंधक वासुदेव प्रसाद त्रिपाठी, अध्यक्ष नंदकिशोर त्रिपाठी, सदस्य महादेव प्रसाद त्रिपाठी, रामस्वरूप जायसवाल, रामाधीन विश्वकर्मा तथा जीर्णोद्धार फरवरी 2020 से दानदाता श्रीकांत त्रिपाठी, बाल किशोर त्रिपाठी, ग्राम प्रधान गंगाराम पासी, मास्टर माताफेर, महादेव यादव, राम अवतार, मास्टर प्रेम नारायण जायसवाल, चांदिका प्रसाद विश्वकर्मा, सिद्धनाथ तिवारी, साधु पासवान, राम बहादुर वा विद्यालय परिवार कैर, सुनील विश्वकर्मा, अखिलेश तिवारी, कालिका प्रसाद त्रिपाठी, पवन श्रीवास्तव, ज्ञानेंद्र, पूर्व प्रधान केदारनाथ जायसवाल, कौशल किशोर पांडेय, सुंदरलाल कोटेदार, रामदुलारे तिवारी आदि लोग मौजूद रहे।


इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके

इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके  अखिलेश पांडेय  जकार्ता। इंडोनेशिया के पूर्वी प्रांत मालुकु में सोमवार के तेज झटके महसूस किए गए। इ...