पाकिस्तान और भारत, सऊदी अरब और ईरान, अमेरिका, चीन, रूस, इजराइल इत्यादि इत्यादि।। वर्त्तमान में सभी देशों के एक दूसरे से संबंध किसी न किसी विषय को लेकर खराब चल रहे है। हर कोई विवादों को तूल दे रहा है। विवादित विषयों का संभव है की बातचीत से समाधान निकल भी जाए परन्तु अहम् की लड़ाई के चलते कोई भी बातचीत नहीं करना चाह रहा है। कुछ शक्तिशाली, विकसित देश सम्पूर्ण विश्व पर तानाशाही करते है। उनकी तानाशाही किसी से छुपी नहीं है। सभी जानते है की कुछ राष्ट्र अध्यक्षों के भाषण और नीतियां विश्व अशांति की आग में घी का काम कर रही है। जहाँ एक और भारत पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों से परेशान है वहीं चीन भारत के खिलाफ अपने छुपे हुए मंसूबोंके लिए को पाकिस्तान को सहयोग कर पूरा कर रहा है।वर्त्तमान में भारत और पाकिस्तान के रिश्ते युद्ध का संभावनाएं तलाश रहे है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री प्रतिदिन भारत को परमाणु बम युक्त युद्ध की धमकी दे रहे हैं।
कभी नार्थ कोरिया का मिसाईल प्रशिक्षण करना, कभी अमेरिका के द्वारा दूसरे देश का ड्रोन मार गिरना, विश्व शान्ति के भंग होने का कारण बन रहा है।तीसरा विश्व युद्ध मानवता के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है।हर रोज एक नई बात को लेकर बढ़ता तनाव, आखिरकार एक दिन तृतीय विश्व युद्ध का रूप ले ही लगा।स्थिति और हालात तो यही कहते हैं।अनुभव में पाया गया है की चीन भारत के शत्रु देशों को यथासंभव अपने लाभ के लिए सहयोग करता है।ठीक इसी तरह सऊदी अरब में तेल के ठिकानों में अमेरिका की बढ़ती रूचि के चलते अमेरिका हर बात में सऊदी अरब का साथ देता रहा है।वर्तमान में ईरान और सऊदी अरब के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण बने हुए है।सऊदी अरब अकेले ईरान से युद्ध में जीत नहीं सकता।
ईरान की तुलना में सऊदी अरब हथियारों की होड़ में बहुत पीछे है।ऐसे में यदि ईरान और सऊदी अरब के मध्य युद्ध होता है तो संभावना बनती रहती है की अमेरिका ही सऊदी अरब की लड़ाई लड़ेगा।इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता की ईरान का साथ भी कुछ देश अवश्य देंगे।चीन सदैव उन देशों का साथ अमेरिका के विरोधी होते है।रूस और चीन के आपसी रिश्ते भी किसी से छुप्पे नहीं है, सीरिया, और इजराइल भी इस युद्ध में कूद सकते है और भी अन्य देश तटस्थ नहीं रह सकते।हालात और परिस्थितियां कुछ यही इशारा करती है।भविष्यवाणियों को और हालिया राजनैतिक दबाव को देखें तो ये कहना मुश्किल नहीं होगा कि युद्ध के हालात बनते जा रहे हैं।वर्तमान में यदि तृतीय विश्व युद्ध शुरू होता है तो यह होने वाला युद्ध विषयों,समस्याओं और समस्याओं या नीतियों जैसे कारणों पर आधारित न होने की जगह यह नाक, अहंकार और वर्चस्व की लड़ाई होगा।सब एक-दूसरे को नीचा दिखाने और स्वयं को शक्तिशाली सिद्ध करने के लिए यह युद्ध मुख्य रूप से कर सकते है।इस बार का युद्ध ज्यादा खतरनाक होगा।कारण ये है कि अब कई देशों के पास न्यूक्लियर हथियार हैं।तृतीय विश्व युद्ध शुरू होने के कारण नहीं हो सकते हैं-
• अपने को क्षेष्ठ साबित करना।
• आतंकबाद का बढ़ता प्रकोप।
• समुद्री सीमा का विस्तार।
• जंगल में एक ही शेरकी दावेदारी बढ़ना।
• जल और कच्चे तेल के लिए।
जैसे अनगिनतकारण हो सकते है…
आज 15000 से अधिक परमाणु बम दुनिया के देशों के पास है जो दुनिया को 300 बार से अधिक नष्ट करने की क्षमता रखते है।इसलिए ये कहना थोड़ा मुश्किल हो जाता है कि तृतीय विश्व युद्ध के बाद कोई देश अपने आप को सुरक्षित रख पायेगा। शीत युद्ध के समय तो गुटनिरपेक्ष की नीति तो भारत जैसे देशों को सुरक्षित रखने में एक हद तक कारगर रहा लेकिन तृतीय विश्व मे कोई देश अपने आप को अलग नही रख सकता कोई आज पूरी दुनिया के देशो का हित एक-दूसरे से दूसरे-तीसरे से जुड़ा है।