मंगलवार, 1 अक्तूबर 2019

एचआईवी संक्रमित 450 बच्चों की अनदेखी

जिले में 20 हजार लोग एचआईवी पाजीटिव, झेलना पड़ता है दुव्र्यवहार
रायपुर। एक ओर जहां लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर इतना ज्यादा चिंतित हैं वहीं दूसरी ओर एच आई वी पाजीटिव को लेकर समाज में हीन भावना है। पीडि़तों को समाज में दोयम दर्जे के रूप में देखा जाता है। सामाजिक स्तर पर पीडि़तों को दुव्र्यवहार झेलना पड़ता है। तमाम सरकारी प्रचार प्रसार जागरूकता के बाद भी लोग जागरूक नहीं हो पाए हैं।
एच आई वी पाजीटिव -असुरक्षित यौन सम्बन्ध, संक्रमित ब्लड, जिसे बिना सोचे समझे जरुरतमंदों को चढ़ा देना भी एचआईवी संक्रमण का प्रमुख कारण है। छत्तीसगढ़ में एक संस्था 2009 से एड्स संक्रमित लोगों को समाज में स्थान दिलाने एवं आत्मविश्वास जगाने सतत प्रयास कर रही है । विहान केयर एंड सपोर्ट सेंटर की स्थापना 2013 से हुई है जो बच्चों के बेहतर जीवन के लिए जागरूक कर रही है । संस्था द्वारा प्रोत्साहित कार्य -इस संस्था में 19हजार एच आई वी पाजीटिव हैं जो एक साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं, घर -घर जाकर 9 महिलाएं कॉउंसलिंग करती है,संस्था 120 बच्चों को पोषक तत्वों के साथ एच आई वी प्रतिरोधक दवाई बच्चों को देती है। पोषक तत्व में आटा, दाल, गुड़, खजूर, सोयाबीन बड़ी संस्था द्वारा दिए जाते हैं। इसके अलावा संस्था प्रमुख रिंकी अरोरा ने दुर्ग और जगदलपुर में एच आई वी पाजीटिव 294 महिलाओं का प्रसव करवाई है, जिसमे से केवल 9 ही बच्चे संक्रमित पाए गए। माता पिता दोनों को एड्स है, तो डॉक्टर की देख रेख बच्चा स्वस्थ पैदा होता है। विहान संस्था के द्वारा लगभग 32 जोड़ों की शादी करवाई है, दोनों एच आई वी पाजीटिव होने के बाद भी आप एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकते हैं। संस्था प्रमुख विहान एड्स केयर एंड सपोर्ट सेंटर की प्रमुख रिंकी अरोरा ने सुझाव दिया कि इस बीमारी का जितनी जल्दी पता चलेगा, यह उतने ही जल्दी ठीक होने की उम्मीद होती है, जनता से रिश्ता अखबार के माध्यम से सन्देश है कि हर लड़के एवं लड़की को शादी के पहले अपना एच आई वी परीक्षण अनिवार्य रूप से करवाना चाहिए। इस बीमारी को मुख्य रूप से 4 स्टेज में बांटा गया है एंटी रेट्रो वाइरल ट्रीटमेंट के द्वारा जांच के तुरंत बाद दवाई चालू हो जाना चाहिए तो इसे कण्ट्रोल किया जा सकता है । जिसे टेस्ट एंड ट्रीट गाइडलाइन कहते हैं इसके बाद जब तक इंसान जिएगा उसकी दवाइयां चलती रहेगी,आम लोगों में एचआइवी 15-25 साल की उम्र में ज्यादा देखा जाता है इसके लिए जागरूक बनना होगा रक्त चढ़ाने से पहले प्रमाणित ब्लड बैंक से ही ब्लड लिया जाना चाहिए, अपने बच्चों से इस मुद्दे पर दोस्त बनकर खुलकर बात करे एवं सेक्स एजुकेशन को बढ़ावा देने में मदद कर, हर इंसान जीने की चाह रखता है । यह कोई छूत की बीमारी नहीं है जो साथ रहने से फैलने वाली नहीं है। कुछ शुरुआती चिन्ह हैं जो दिखाई देने पर तुरंत सम्बंधित डॉक्टर से संपर्क करे -फोड़े फुंसी होने पर, संक्रमण लम्बे समय तक रहने पर, जुखाम डायरिया लम्बे समय तक रहने पर, टी बी हो जाने पर, कोई भी रोग जल्दी से ठीक नहीं होना लक्षण है।


डा.बिजंवार


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