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गुरुवार, 14 अप्रैल 2022

कार्बन एमिशन की तीव्रता, वैश्विक स्तर पर कार्य

कार्बन एमिशन की तीव्रता, वैश्विक स्तर पर कार्य   

सरस्वती उपाध्याय       
पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता के अनुरूप, भारत 2070 तक नेट ज़ीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कार्बन एमिशन की तीव्रता को कम करने के लिए वैश्विक स्तर पर लगातार काम कर रहा है।  
भारत में बिजली उत्पादन के स्त्रोतों पर नज़र डालें तो यह क्षेत्र वैसे तो दुनिया भर का सबसे विविध बिजली उत्पादन क्षेत्रों में से एक है‌। लेकिन भारत में कोयले द्वारा तापीय विद्युत उत्पादन कुल उत्पादन क्षमता का लगभग 62% है। ऐसे में पारंपरिक बिजली से स्वच्छ ईंधन-आधारित ऊर्जा उत्पादन में ट्रांज़िशन के लिए, एक समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से, कोयला खदान श्रमिकों के हितों की रक्षा करना बेहद ज़रूरी है। एनेर्जी ट्रांज़िशन के नाम पर उन लोगों और उनसे जुड़े परिवारों को अनदेखा नहीं किया जा सकता, जिनका जीवन और एक लिहाज से अस्तित्व कोयला खदानों से जुड़ा है।  
उनकी आर्थिक मजबूरीयों को दूर करने के लिए एक कौशल विकास कार्य योजना तैयार करनी होगी। साथ ही, उनका पुनर्वास सुनिश्चित करने के लिए, उनको किसी नए रोजगार के लिए प्रशिक्षित करने का मजबूत ढांचा भी तैयार करना होगा। 
रिपोर्ट के लॉन्च पर बोलते हुए, ईवाई में पार्टनर और लीडर (पावर एंड यूटिलिटीज) जीपीएस, सोमेश कुमार ने कहा, “पर्यावरण के प्रति भारत की प्रतिबद्धताओं को देखते हुए, देश अब कोयला आधारित ऊर्जा से रीन्यूब्ल एनेर्जी में ट्रांज़िशन के लिए कमर कस रहा है। फ़िलहाल भारत में जस्ट ट्रांज़िशन या न्यायसंगत एनेर्जी ट्रांज़िशन एक उभरता हुआ विषय है, लेकिन अब वक़्त है इसके रणनीतिबद्ध तरीके से सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने का। ऐसा इसलिए ज़रूरी है क्यों की कोयला आधारित बिजली उत्पादन की पूरी मूल्य शृंखला में अनगिनत परिवार जुड़े हैं। और इस ट्रांज़िशन के न्यायसंगत होने के लिए उन परिवारों के हितों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है। यह जरूरी है कि कोयला श्रमिकों को कोयला क्षेत्र से बाहर निकलने में मदद दी जाए और उन्हें दूसरे वैकल्पिक रोजगारों के लिए आवश्यक कौशल प्रदान किया जाए।” 
आगे, जीपीएस के पार्टनर और लीडर (सोशल एंड स्किल्स सेक्टर) अमित वात्स्यायन कहते हैं, “कोयला खदान श्रमिकों के कौशल और उद्यमिता विकास पर ही जस्ट ट्रांज़िशन की सफलता और प्रासंगिकता टिकी हुई है। ऐसा करना कोयले पर निर्भर क्षेत्रों के आर्थिक विविधीकरण को सुनिश्चित करेगा और इन क्षेत्रों में निवेश को भी आकर्षित करेगा। यह रिपोर्ट एक ऐसे ट्रांज़िशन ढांचे के विकास पर केंद्रित है जिसका उपयोग जिलों या राज्यों द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है कि न सिर्फ़ प्रभावित कोयला खदान श्रमिकों की आजीविका में व्यवधान कम से कम हो, उन्हें पर्याप्त अवसर भी प्रदान किए जाएं। इस ट्रांज़िशन को जस्ट या न्यायसंगत तब ही कहा जा सकता है जब सबसे गरीब और सबसे आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के हितों की रक्षा की जाती है।” 
एक न्यायपूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता पर जोर देते हुए , विपुल तुली, अध्यक्ष, फिक्की पावर कमेटी और सीईओ-दक्षिण एशिया, सेम्बकॉर्प इंडस्ट्रीज ने कहा, "कोयले से दूर होने से देश पर दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे। यह पूरी कार्य योजना, इसकी लागत, पुनर्नियोजन और इससे जुड़े तमाम पक्ष राष्ट्रीय और बहुपक्षीय स्तर पर महत्व रखता है। "  

रिपोर्ट की मुख्य बातें...

जैसे-जैसे ऊर्जा क्षेत्र में थर्मल से नवीकरणीय स्रोत की ओर झुकाव बढ़ेगा, ऊर्जा की मांग भी बढ़ेगी जिससे कोयले पर निर्भरता भी आने वाले वर्षों में और बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए, भारत के सामने एक दोहरी चुनौती है - अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना और थर्मल क्षेत्र से जुड़े कार्यबल का सही प्रबंधन करना। भारत में लगभग 50% खदानें अत्यधिक लाभहीन हैं और जल्द ही बंद हो सकती हैं जिससे उन खदानों में श्रमिकों की आजीविका प्रभावित हो सकती है। 
कार्यबल पर बदलाव का प्रभाव 
कोयला खदानों से 7.25 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार और कई अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होते हैं। पुराने कोयला संयंत्रों के बंद होने और खदानों के बंद होने से पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र में हजारों कोयला खदान श्रमिकों की आजीविका में व्यवधान का खतरा है। उनमें से ज्यादातर ब्लू-कॉलर कार्यकर्ता हैं। जिन्हें समय के नए कौशल के साथ कुशल बनाने की आवश्यकता है। प्रत्यक्ष श्रमिकों के अलावा, खनन जिलों की पूरी अर्थव्यवस्था कोयले से संबंधित गतिविधियों के इर्द-गिर्द घूमती है, और समुदायों ने पीढ़ियों से इस पर भरोसा किया है। 
'जस्ट ट्रांजिशन' की अवधारणा 
'जस्ट ट्रांजिशन' कोयला खदान श्रमिकों की आजीविका के संभावित नुकसान के कारण आर्थिक कमजोरियों को संबोधित करता है। वैकल्पिक उद्योगों में खनिकों के पुन: एकीकरण के लिए आर्थिक विविधीकरण और आजीविका को बढ़ावा देने की सुविधा पर जोर देना महत्वपूर्ण है। विभिन्न रीस्किलिंग कार्यक्रम प्रभावित खनिकों को कोयला खनन उद्योग से बाहर निकलने के लिए नए कौशल और संसाधन हासिल करने में सक्षम बनाएंगे। उद्यमिता विकास और एमएसएमई को बढ़ावा देना कोयला पर निर्भर उद्योग कस्बों की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और विविधता लाने में प्रमुख कारक होंगे। 
राज्य कौशल कार्य योजना 
रिपोर्ट में कौशल कार्य योजनाओं की रूपरेखा दी गई है। जो परिवर्तनशील खनिकों के लिए उद्योग-प्रासंगिक कौशल और आजीविका संवर्धन हस्तक्षेपों को डिजाइन करने में मदद करने के लिए कार्यों के खाके/ढांचे के रूप में कार्य करेगी। ये योजनाएं राज्यों को श्रमिकों की संक्रमण संबंधी जरूरतों को पूरा करने की रणनीति के साथ नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाएंगी। कौशल कार्य योजना के घटकों में निम्नलिखित शामिल हैं‌, 
संभावित नौकरी के नुकसान का अनुमान लगाते हुए भौगोलिक समूहों की पहचान...
लक्षित जनसंख्या का आकलन - खनिक।
प्रमुख उद्योग चालकों और अनिवार्यताओं की पहचान 
चल रहे कौशल वृद्धि और आजीविका सहायता कार्यक्रमों में तालमेल बनाना।
वित्त पोषण और कार्यक्रम वितरण सहायता के लिए सहयोग और संस्थागत सुदृढ़ीकरण।
अभिसरण कार्यक्रम वितरण को साकार करने के लिए पदाधिकारियों की क्षमता निर्माण 
खनिकों को कार्यक्रमों के लाभों का आकलन करने के लिए निगरानी और प्रभाव मूल्यांकन।
ज्ञान प्रबंधन-रेडी रेकनर्स, वैश्विक और राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं आदि का भंडार।

बुधवार, 13 अप्रैल 2022

14 अप्रैल को मनाईं जाएगी अंबेडकर की जयंती

14 अप्रैल को मनाईं जाएगी अंबेडकर की जयंती  

सरस्वती उपाध्याय                  
हर साल 14 अप्रैल को भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाईं जाती है। भारत के पहले कानून मंत्री डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती को चिह्नित करते हुए, 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को भारत में समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में जाना जाता है। इस दिन ब्रिटिश कोलंबिया, कनाडा में 'अंबेडकर समानता दिवस' भी मनाया जाता है। डॉ. भीमराव आम्बेडकर यानी डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर का जन्म दिन 14 को 1891 को मध्य प्रदेश के महू में हुआ था।
डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर को भारतीय संविधान के पिता के रूप में सम्मानित किया गया, क्योंकि उनकी अध्यक्षता में ही संविधान सभा ने दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान तैयार किया गया था। अम्बेडकर जयंती को जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ने में न्यायविद के समर्पण को याद करने के लिए भी मनाया जाता है। उन्होंने जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध किया और इसे समाज से मिटाने का प्रयास किया।
वह हमेशा उत्पीड़ितों के साथ एकजुटता से खड़े रहे और महिलाओं, मजदूरों और अछूतों के जीवन के उत्थान के लिए काम किया। एक प्रखर समाज सुधारक, अर्थशास्त्री और प्रभावशाली वक्ता होने के साथ-साथ, डॉ. अम्बेडकर राजनीति विज्ञान, कानून और अर्थशास्त्र जैसे विभिन्न विषयों के विद्वान भी थे।
उन्होंने एक ऐसे भारत की कल्पना की जहां सभी नागरिकों को कानून के तहत समान माना जाए। उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए अभियान चलाया।

मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

कूलर की लीकेज को रोकने का तरीका, जानिए

कूलर की लीकेज को रोकने का तरीका, जानिए   

सरस्वती उपाध्याय             
गर्मियों का मौसम आते ही सभी के घरों में एसी, फैन, कूलर आदि का इस्तेमाल होना शुरू हो जाता है। हालांकि, अब इतनी गर्मी पड़ने लगी है कि अब ज्यादातर लोग अपने घरों में एसी लगवाने लगे हैं। लेकिन अभी भी कई घरों में कूलर का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि हर कोई एसी अफोर्ड नहीं कर सकता और कूलर कम खर्च में ज्‍यादा अच्‍छी और ठंडी हवा देने का काम करता है। ज़ाहिर है, हर साल गर्मी के मौसम में आप नया कूलर तो नहीं खरीदते होंगे।
लेकिन कूलर जैसे-जैसे पुराना होता जाता है, तो कूलर में कई तरह की दिक्कतें आने लग जाती हैं, जैसे- कूलर का फैन हल्का चलने लगता है या फिर कूलर की टंकी टपकने लगती है। हालांकि, कई बार नए कूलर का टैंक भी टपकने लगता है। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है तो अब आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि आज हम आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स लेकर आए हैं, जिनकी मदद से आप कूलर की लीकेज को रोक सकते हैं‌।
कैसे ? आइए जानते हैं... 
बता दें, कि इसका इस्तेमाल करने के लिए आप पहले कूलर को खाली करके सुखा लें और फिर एक बाउल में एपॉक्सी पुट्टी को डाल दें।
फिर इसे मिक्स कर लें और मिक्स करने के बाद लिक हो रही जगह पर इसे लगा दें। इसके अलावा, आप टैंक को पूरी तरह से एपॉक्सी पुट्टी से कवर कर लें। फिर इसे आप लगभग सूखने दें बस आपका कूलर एकदम सेट हो जाएगा और कुछ देर बाद टैंक में पानी डालकर चेक कर सकते हैं।
इसके अलावा, अगर आपका कूलर ज्यादा लीक नहीं हो रहा है या फिर टैंक में छेद हो गया है, तो आप लीकेज को रोकने के लिए वाटरप्रूफ टेप या फिर MC का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह टेप आपको बाजार में या फिर किसी भी दुकान पर आसानी से मिल जाएगा। इसका इस्तेमाल करने के लिए सबसे पहले टैंक को अच्छी तरह से सुखा लें और टेप की सहायता से लीकेज वाले हिस्से को पूरी तरह से कवर कर लें।
आप छेद को दोनों तरफ यानि अंदर और बाहर से कवर कर सकते हैं। इससे आपका कूलर लीक नहीं होगा और आपके अधिक पैसे भी नहीं खर्च होंगे। इसके अलावा, आप MC रबड़ या मिट्टी को भी छेद पर लगा सकते हैं।
पेंट की भी ले सकते हैं मदद
अगर आप चाहती हैं कि आपके कूलर का टैंक अधिक समय तक चलता रहे, तो आप टैंक के अंदर पेंट कर सकती हैं। इससे आपके कूलर का टैंक न सिर्फ नया दिखेगा। बल्कि आपका टैंक लीक होने से भी बचा रहेगा। क्योंकि वाटर पेंट कूलर में हो रहे छेद को भरने का काम करेगा और फिर आपका कूलर टपकेगा भी नहीं। इसके लिए, आप टैंक के अंदर दो से तीन बार पेंट कर सकते हैं।

सोमवार, 11 अप्रैल 2022

पानी के लिए कड़ा संघर्ष करते हैं पक्षी, व्यवस्था

पानी के लिए कड़ा संघर्ष करते हैं पक्षी, व्यवस्था  

सरस्वती उपाध्याय         
भीषण गर्मी में आसमान से आग बरस रही है। गर्मी में मानव हो या फिर पशु-पक्षी सभी को ठंडे जल की तलाश रहती है। लोगों के लिए तो जगह-जगह प्याऊ व नल के साथ ही पानी की उचित व्यवस्था मिल ही जाती है। लेकिन, पक्षियों को पानी के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में लोगों की जिम्मेदारी है कि वे पक्षियों के लिए दाना व पानी की उचित व्यवस्था करें‌। ताकि, खुले आसमान और धूप में विचरण करने वाले पंछियों को राहत मिल सके।
गर्मी में पानी को अमृत के समान माना जाता है, मनुष्य को प्यास लगती है तो वह कहीं भी मांग कर पी लेता है, लेकिन मूक पशु पक्षियों को प्यास में तड़पना पड़ता है, हालांकि जब वे प्यासे होते हैं तो घरों के सामने दरवाजे पर आकर खड़े हो जाते हैं। कुछ लोग पानी पिला देते हैं तो कुछ लोग भगा भी देते है। इस गर्मी में पशु पक्षियों की प्यास बुझाने के लिए लोगों को प्रयास करना चाहिए।
गर्मियों में कई परिंदों व पशुओं की मौत पानी की कमी के कारण हो जाती है। लोगों का थोड़ा सा प्रयास घरों के आस पास उड़ने वाले परिंदों की प्यास बुझाकर उनकी जिंदगी बचा सकता है। सुबह आंखें खुलने के साथ ही घरों के पक्षियों की चहक मन को मोह लेती है। गर्मियों में घरों के आसपास इनकी चहचहाहट बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि लोग पक्षियों से प्रेम करें और उनका विशेष ख्याल रखें।
गर्मी में पानी अमृत के समान...
भोजन और पानी की होती है कमी।
गर्मी में पक्षियों के लिए भोजन की भी कमी रहती है। पक्षियों के भोजन कीड़े-मकोड़े गर्मियों में नमी वाले स्थानों में ही मिल पाते हैं। खुले मैदान में कीड़ों की संख्या कम हो जाती है, जिससे पक्षियों को भोजन खोजने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है। जंगलों में पेड़ों के पत्ते झड़ जाते हैं, साथ ही जल स्त्रोत भी सूख जाते हैं। वहीं मवेशियों के लिए भी चारागाह के अलावा खेतों में पानी की समस्या होती है, इस वजह से पानी के साथ भोजन की भी कमी से मवेशियों को जूझना पड़ता है।
अपने घर की बालकनी और आंगन में आप पक्षियों के लिए पानी रख सकते हैं। ध्यान रहे कि प्लास्टिक या स्टील के बर्तन में पानी न रखें। धूप में इन बर्तनों का पानी बहुत गर्म हो जाता है। मिट्टी के बर्तन में पानी रखना सबसे अच्छा होता है। इन बर्तनों की नियमित सफ़ाई करते रहें, ताकि पक्षी रोगों से दूर रहें। आप अपने ऑफ़िस में भी अपने सहयोगियों के साथ मिल कर वहां पानी रख सकते हैं, जहां पक्षी आते हों।
 हम पक्षियों के लिए इस गर्मी के मौसम कुछ जिम्मेदारी निभा सकते है।
1) आप अपने घर के बहार मिट्टी का सतही कटोरा रख सकते हैं, ताकि छोटे पक्षी और स्तनधारी भी इससे पानी पी सकें। पक्षी को पानी देने के लिए एक उपयुक्त बर्तन को चुनें, जिसे आप आसानी से साफ कर सकें।
2)  आप अपने घर के पीछे एक छोटी सी स्थायी पूल भी स्थापित कर सकते हैं। बस थोड़ी सी जमीन खोदें और पानी को रोकने के लिए इसके चारों ओर प्‍लास्टिक या सीमेंट से एक दीवार बनाएं। आप पानी कि व्‍यवस्‍था करने के लिए इसमें एक पंप भी जोड़ सकते हैं। इससे पक्षियाँ तपती हुई गर्मी में ठन्डे पानी से स्नान कर अपने आप को राहत दे पाएंगी।
3) आप कटोरे को छत पर या बगीचे में छायादार स्थान पर रखें, कोशिश करें अधिक ऊंचाई पर रखें ताकि पक्षी बिल्लियों जैसे शिकारियों से सुरक्षित रहें। आस-पास प्राकृतिक पर्यावरण बना पाएं तो काफी अच्छा होगा।
4) आप पक्षियों को पानी के स्थान में नियमित रूप मे आने पर कुछ हफ्ते लग सकते हैं। इसलिए धैर्य रखें और साफ पानी को भरते रहें।
5) कटोरे को हर दो दिन में साफ करना याद रखें। पानी को बासी न होने दें। यदि पानी की सतह पर हरा शैवाल बनने लगे तो उसे तुरंत साफ कर लें। साथ ही ध्यान रहे पानी पुरा भरा होना चाहिए।

सर्दी के मौसम में बीमारियों को दूर करता है 'आम'

सर्दी के मौसम में बीमारियों को दूर करता है 'आम'      

सरस्वती उपाध्याय            
आज के इस समय मेें आम की फसल को बहुत ही महत्व दिया जाता है। सर्दी के मौसम में आम खाने से कई बिमारियां दूर होती है। भारत की यह एक महत्वपूर्ण फसल है। आज, ये रंगीन, मीठे फल भारतीय व्यंजनों का मुख्य आधार हैं और दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। विविधता के आधार पर आम का वजन कुछ औंस से लेकर पांच पाउंड से अधिक तक हो सकता है। आप जिस प्रकार का आम खरीदते हैं, उसके बावजूद ये फल कुछ प्रभावशाली स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।
आम बहुत ही गुणकारी होता है, आम में मौजूद विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, विटामिन के आपके रक्त के थक्के को प्रभावी ढंग से मदद करता है और एनीमिया को रोकने में मदद करता है। यह आपकी हड्डियों को मजबूत बनाने में भी अहम भूमिका निभाता है।
आम विटामिन सी से भी भरपूर होता है, जो रक्त वाहिकाओं और स्वस्थ कोलेजन के निर्माण के साथ-साथ आपको ठीक करने में मदद करता है।
आम बीटा-कैरोटीन से भरपूर होते हैं, जो फल के पीले-नारंगी रंग के लिए जिम्मेदार एक वर्णक है। बीटा-कैरोटीन एक एंटीऑक्सिडेंट है, जो आम में पाए जाने वाले कई में से एक है। आम में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट मुक्त कणों से लडऩे के लिए दिखाए गए हैं, जो आपकी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं और संभावित रूप से कैंसर का कारण बन सकते हैं।
आम आपके कार्डियोवस्कुलर सिस्टम को सपोर्ट करने में भी मददगार होते हैं। वे मैग्नीशियम और पोटेशियम का एक बड़ा स्रोत हैं, जो दोनों निम्न रक्तचाप और एक नियमित नाड़ी से जुड़े हैं। इसके अलावा, आम मैंगिफेरिन नामक एक यौगिक का स्रोत हैं, जो प्रारंभिक अध्ययनों से पता चलता है कि हृदय की सूजन को कम करने में सक्षम हो सकता है।
आम आपके पाचन तंत्र को स्थिर करने में मदद कर सकता है। वे एमाइलेज यौगिकों और आहार फाइबर दोनों की पेशकश करते हैं, जो आपको कब्ज से बचने में मदद कर सकते हैं। एमाइलेज यौगिक आपके पेट में अन्य खाद्य पदार्थों को घोलने में मदद कर सकते हैं, मुश्किल स्टार्च को तोड़ सकते हैं। इस बीच, आम में फाइबर समान फाइबर सप्लीमेंट की तुलना में कब्ज से राहत के लिए अधिक प्रभावी हो सकता है।
गर्भवती के लिए लाभकारी
आम फोलेट से भरपूर होते हैं, जिसका उपयोग स्वस्थ कोशिका विभाजन और डीएनए दोहराव के लिए किया जाता है। चिकित्सक सलाह देते हैं कि जो लोग गर्भवती हो सकते हैं वे प्रतिदिन कम से कम 400 एमसीजी फोलेट का सेवन करें, क्योंकि यह जन्म दोषों से बचने के लिए महत्वपूर्ण है।
विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन के, पोटैशियम, बीटा कैरोटीन, फोलेट, कोलीन, मैगनीशियम प्रति सेवारत पोषक तत्व शामिल है।
आम की त्वचा में उरुशीओल नामक यौगिक होता है, जो ज़हर आइवी लता में भी पाया जाता है। उरुशीओल वह है, जो ज़हर आइवी के पौधे को छूने के बाद खुजलीदार लाल चकत्ते का कारण बनता है। जबकि आम की त्वचा में ज़हर आइवी की तुलना में कम यूरुशीओल होता है, फिर भी यह चकत्ते और एलर्जी का कारण बन सकता है। दुर्लभ अवसरों पर, कुछ लोगों को छिलके वाले फल खाने पर एलर्जी भी हो सकती है। यदि आपके पास ज़हर आइवी लता के प्रति नकारात्मक प्रतिक्रिया है, तो आपको फल छीलते समय ध्यान रखना चाहिए और कभी भी त्वचा को खाने का प्रयास नहीं करना चाहिए।
आम स्वास्थ्य खाद्य भंडारों और कभी-कभी किसानों के बाजारों में भी पाया जा सकता है। यह स्वादिष्ट फल सिर्फ तीखापन के साथ मीठा होता है। आमों को काटते समय, बीच में बड़े, चपटे बीज पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है, जो आसानी से चाकू को सुस्त कर सकते हैं।
आम का छिलका खाने से बचें। यदि आपकी त्वचा में संवेदनशीलता है, तो आप सीधे संपर्क से बचने के लिए आम को दस्ताने या तौलिये से स्थिर करते हुए छील सकते हैं। आम का गूदा खाने के लिए तैयार होने पर नरम और चमकीला नारंगी-पीला होना चाहिए। आप इसे मीठे इलाज के रूप में कच्चा, ग्रिल्ड या फ्रोजन खा सकते हैं।
चाहे आप इसे इसके स्वाद के लिए खाएं या इसके स्वास्थ्य लाभ के लिए, आम लगभग किसी भी भोजन के लिए एक बढिय़ा अतिरिक्त है। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप आम को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।

शनिवार, 9 अप्रैल 2022

'नवरात्रि' का नौवां दिन, माता सिद्धिदात्री की पूजा

'नवरात्रि' का नौवां दिन, माता सिद्धिदात्री की पूजा    

सरस्वती उपाध्याय        
नवरात्रि के नौवें दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। कमल पर विराजमान होने के कारण इन्हें मां कमला भी कहा जाता है। देवी सिद्धिदात्री ने मधु और कैटभ नाम के राक्षसों का वध करके दुनिया का कल्याण किया। यह देवी भगवान विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी के समान, कमल के आसन पर विराजमान हैं और हाथों में कमल, शंख, गदा व सुदर्शन चक्र धारण किए हुए हैं। सिद्धिदात्री नाम से ही स्पष्ट है सिद्धियों को देने वाली। माना जाता है कि इनकी पूजा से व्यक्ति को हर प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है। मार्केण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व, कुल आठ सिद्धियां हैं, जो कि मां सिद्धिदात्री की पूजा से आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं। मां सिद्धिदात्री को खीर, हलवा-पूरी का भोग लगाया जाता है।
सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माना जाता है कि मां का यह रूप साधक को सभी प्रकार की ऋद्धियां एवं सिद्धियां प्रदान करने वाला है। मां सिद्धिदात्री को खीर, हलवा पूरी का भोग लगाया जाता है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमीं पर पूजा के दौरान काले चने और पूरियों के साथ सूजी का हलवा खासतौर पर बनाया जाता है।
नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। माना जाता है कि मां का यह रूप साधक को सभी प्रकार की ऋद्धियां एवं सिद्धियां प्रदान करने वाला है। इस दिन कमल में बैठी देवी का ध्यान करना चाहिए। सुंगधित फूल अर्पित करें।  इसके साथ ही इस मंत्र का जाप करें- ऊं सिद्धिरात्री देव्यै नम:। इस दिन हवन जरूर करें।

माता सिद्धिदात्री की पूजा विधि...

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। 
  • मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है।
  • मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें।
  • मां को रोली कुमकुम लगाएं। 
  • मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें।
  • माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए।
  • मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। कहते हैं कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं।
  • माता सिद्धिदात्री का अधिक से अधिक ध्यान करें।
  • मां की आरती भी करें।
  • अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कन्या पूजन भी करें।
माता सिद्धिदात्री की आरती...
 
जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।।
कठिन काम सिद्ध कराती हो तुम।
हाथ सेवक के सर धरती हो तुम।।
तेरी पूजा में न कोई विधि है।
तू जगदंबे दाती तू सर्वसिद्धि है।।
रविवार को तेरा सुमरिन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।।
तू सब काज उसके कराती हो पूरे।
कभी काम उस के रहे न अधूरे।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सर पैर मैया अपनी छाया।।
सर्व सिद्धि दाती वो है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महानंदा मंदिर में है वास तेरा।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
वंदना है सवाली तू जिसकी दाता‌।।

माता सिद्धिदात्री का ध्यान मंत्र...

सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धिदात्री यशस्वनीम्॥

कूलिंग डिवाइस के तौर पर मिनी एसी की डिमांड बढ़ीं

कूलिंग डिवाइस के तौर पर मिनी एसी की डिमांड बढ़ीं   

सरस्वती उपाध्याय                 
गर्मी सीजन की शुरुआत हो चुकी है। गर्मियां भारत में पूरी तरह से पैर पसार चुकी होगी। ऐसे में इस मौसम में एयर कंडीशनर यानी कि एसी का इस्तेमाल बहुत होता है। लेकिन, यह एक हर कोई नहीं खरीद पाता। मगर, अब यह परेशानी भी दूर हो गई है। क्योंकि मार्केट में पोर्टेबल कूलिंग डिवाइस के तौर पर मिनी एसी की डिमांड बढ़ रही है। यह मिनी कूलर दिखने में छोटा है, लेकिन एक व्यक्ति के हिसाब से अच्छा काम करता है।
सबसे खास बात यह है कि इसकी दाम भी ज्यादा नहीं है और इसे स्टडी टेबल या बेड के पास या किसी भी जगह रखा जा सकता है। अगर आप भी इसे खरीदने चाहते हैं तो आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं, जिससे कि आप समझ सकें कि यह डिवाइस आपके लिए कैसा रहेगा।
यह मिनी कूलर को मार्केट में पोर्टेबल AC का नाम से भी जाना जाता है। ये Online और offline दोनों की माध्यम से खरीदा जा सकता है। इसकी कीमत चार सौ रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक है। ये अलग-अलग डिजाइन और शेप में मौजूद हैं। आप अपनी पसंद के अनुसार इसे खरीद सकते हैं। यह कूलर(AC) दूसरे कूलर(AC) से कुछ अलग है। इसे चलाने के लिए इसमें या तो ड्राई आइस का इस्तेमाल करना होता है या फिर पानी का, जिससे ये कमरे को कूल कर सके।
सबसे अच्छी बात यह है कि इससे बिजली खपत न के बराबर होती है। इसे टेबल फैन की तरह किसी स्टडी टेबल पर रख सकते हैं या फिर बेड के पास। यह टेबल पर काम करने वाले लोगों के लिए बेहतरीन डिवाइस है। यह जानकारी पाठकों की डिमांड पर तैयार की गई है, इसका किसी व्यक्ति विशेष से कोई संबंध नहीं है।

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

'नवरात्रि' का आठवां दिन, माता महागौरी की पूजा

'नवरात्रि' का आठवां दिन, माता महागौरी की पूजा    

सरस्वती उपाध्याय                
चैत्र नवरात्रि को हिंदू धर्म में विशेष माना गया है‌। नवरात्रि में मां दुर्गा की विशेष उपासना का विधान है। मान्यता है कि नवरात्रि में मां की पूजा का जीवन में विशेष फल प्राप्त होता हैं। 9 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है‌। इसे महा अष्टमी भी कहा जाता है। नवरात्र के आठवें दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन मां दुर्गा के इस रूप की पूजा विशेष कल्याणकारी मानी जाती है‌। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का खास महत्व होता है। नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है।

इनका ऊपरी दाहिना हाथ अभय मुद्रा में रहता है और निचले हाथ में त्रिशूल है। ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू जबकि नीचे वाला हाथ शान्त मुद्रा में है। मां का प्रिय फूल रात की रानी है और राहु ग्रह पर इनका आधिपत्य रहता है। इसलिए राहु संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए महागौरी की पूजा करनी चाहिए। जो लोग अपने अन्न-धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि करना चाहते हैं, उन्हें इस दिन महागौरी की उपासना जरूर करनी चाहिए। 

माता महागौरी की पूजा विधि...

अष्टमी के दिन सुबह सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद घर के मंदिर में लकड़ी की चौकी पर महागौरी की प्रतिमा स्थापित करें। मां के आगे दीप जलाएं और फल, फूल, प्रसाद का अर्पण करें। मां की आरती के बाद कन्या पूजन करें। 
आज महाअष्टमी के दिन देवी दुर्गा के महागौरी के निमित्त उपवास किया जाता है। लेकिन धर्मशास्त्र का इतिहास चतुर्थ भाग के पृष्ठ- 67 पर चर्चा में ये उल्लेख भी मिलता है कि पुत्रवान व्रती इस दिन उपवास नहीं करते। साथ ही वह नवमी तिथि को पारण न करके अष्टमी को ही व्रत का पारण कर लेते हैं।

माता महागौरी का मंत्र...

सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोsस्तुते।।

माता महागौरी की आरती...

जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया।।
हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरा वहां निवासा।।
चंद्रकली और ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे।। 
भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्याता।।
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा।। 
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया। 
उसी धुएं ने रूप काली बनाया।। 
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। 
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया।। 
तभी मां ने महागौरी नाम पाया। 
शरण आनेवाले का संकट मिटाया।। 
शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता।। 
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो।।

गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

'नवरात्रि' का सातवां दिन, माता कालरात्रि की पूजा

'नवरात्रि' का सातवां दिन, माता कालरात्रि की पूजा   

सरस्वती उपाध्याय          
हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिनों का विशेष महत्व होता है। चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व चल रहा है। 8 अप्रैल 2022, शुक्रवार को चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन है। नवरात्रि के सातवें दिन मां के सप्तम स्वरूप माता कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। माता कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। मां के बाल लंबे और बिखरे हुए हैं। मां के गले में माला है, जो बिजली की तरह चमकते रहती है। मां कालरात्रि के चार हाथ हैं। मां के हाथों में खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है।
सप्तमी तिथि शुक्रवार रात 11 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। उसके बाद अष्टमी तिथि लग जाएगी। नवरात्र के दौरान पड़ने वाली सप्तमी को महासप्तमी के नाम से जाना जाता है। 
जब माता पार्वती ने शुंभ-निशुंभ का वध करने के लिए अपने स्वर्णिम वर्ण को त्याग दिया था, तब उन्हें कालरात्रि के नाम से जाना गया।

मां कालरात्रि पूजा विधि...

मां कालरात्रि की पूजा सुबह के समय करना शुभ माना जाता है। मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मकर और कुंभ राशि के जातको को कालरात्रि की पूजा जरूर करनी चाहिए। परेशानी में हो तो सात या नौ नींबू की माला देवी को चढ़ाएं। सप्तमी की रात्रि तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योति जलाएं। सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम, काली चालीसा, काली पुराण का पाठ करना चाहिए। यथासंभव इस रात्रि संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।

मां कालरात्रि की आरती...

कालरात्रि जय जय महाकाली,
काल के मुंह से बचाने वाली।
दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा,
महा चंडी तेरा अवतारा।
पृथ्वी और आकाश पर सारा,
महाकाली है तेरा पसारा।
खंडा खप्पर रखने वाली,
दुष्टों का लहू चखने वाली।
कलकत्ता स्थान तुम्हारा,
सब जगह देखूं तेरा नजारा।
सभी देवता सब नर नारी,
गावे स्तुति सभी तुम्हारी।
रक्तदंता और अन्नपूर्णा,
कृपा करे तो कोई भी दु:ख ना।
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी,
ना कोई गम ना संकट भारी।
उस पर कभी कष्ट ना आवे,
महाकाली मां जिसे बचावे।
तू भी 'भक्त' प्रेम से कह,
कालरात्रि मां तेरी जय।

नवरात्रि के अवसर पर 'खांडवी' बनाने की रेसिपी

नवरात्रि के अवसर पर 'खांडवी' बनाने की रेसिपी       

सरस्वती उपाध्याय         

नवरात्रि के 9 दिनों में कुछ लोग सम्पूर्ण व्रत का पालन करते हैं, ऐसे में हम आपको यहाँ व्रत के दौरान खाई जाने वाली चीजों की रेसिपी शेयर कर रहें हैं।

खांडवी...
सामग्री।

1- सिंघाडा का आटा -1 कप।
2- छाछ – 4 कप‌।
3- अदरक-हरी मिर्च पेस्ट – ¼ छोटा चम्मच।
4- सेंधा नमक – 2 छोटे चम्मच।
5- हल्दी पाउडर – ¼ चम्मच।
6- सरसों – 1 चम्मच।
7- हींग – एक चुटकी।
8- तेल – 2 बड़े चम्मच‌।
9- हरी धनिया – 10 नग।
10- छीना हुआ नारियल – सजावट के लिए।

खांडवी बनाने की विधि...
सिंघाडा के आटे को एक बाउल में छाने। आटा के साथ अदरक-हरी मिर्च पेस्ट मिलाएं। नमक, हल्दी पाउडर और छाछ डाल दीजिये और जब तक कोई गांठ न रहे तब तक मिलाए। एक मोटे तलेवाली पैन में इस मिश्रण को 8 से 10 मिनट मध्यम आँच पर पकाएँ। जब तक यह गाढा और चिकना हो जाए तब तक हिलाये।

इस मिश्रण को थाली में या संगमरमर तालिका पर जल्द से जल्द फैलाए, संभवतः गर्म है तब तक फैलाना अच्छा है। एक बार जब यह ठंडा हो जाए दो इंच चौडी पट्टी में काटे और उन्हें कसकर रोल बनाये और हर टुकड़े को थाली में रखे।

एक छोटा पैन लें, तेल डालें और गर्म कीजिये, एक चुटकी हींग और सरसों के बीज डालें और तलतलाहट होने दें। जब तलतलाहट हो जाए खांडवी के टुकड़े पर तेल डालिए। छीना हुआ नारियल और बारिक कटा हुआ हरा धनिया से सजाये।

बुधवार, 6 अप्रैल 2022

'नवरात्रि' का छठवां दिन, माता कात्यायनी की पूजा

'नवरात्रि' का छठवां दिन, माता कात्यायनी की पूजा   

सरस्वती उपाध्याय        
बृहस्पतिवार को चैत्र नवरात्रि का छठवां दिन है। नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा के स्वरूप, माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां कात्यायनी की विधिवत पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही विवाह में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां कात्यायनी ने महिषापुर का वध किया था। असुर महिषासुर का वध करने के कारण इन्हें दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी कहा जाता है। आइए जानते हैं, मां कात्यायनी की पूजा-विधि, मंत्र, आरती और भोग।

मां कात्यायनी का स्वरूप...

मां कात्यायनी आकर्षक स्वरूप की हैं। मां का शरीर सोने की तरह चमकीला है। मां की चार भुजाएं हैं। मां की सवारी सिंह यानी शेर है। मां के एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प सुशोभित है। मां के दूसरे दोनों हाथ वर और अभयमुद्रा में हैं।

मां कात्यायनी का भोग...

मां कात्यायनी को भोग में शहद अर्पित करना चाहिए। मान्यता है कि मां को शहद अतिप्रिय है।

मां कात्यायनी प्रिय पुष्प व रंग...

नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा को लाल रंग का पुष्प अर्पित करना चाहिए। मां को खासकर लाल गुलाब बहुत प्रिय है। ऐसे में पूजा के दौरान लाल पुष्प अर्पित करना चाहिए।  

मां कात्यायनी प्रिय पुष्प व रंग...

नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा को लाल रंग का पुष्प अर्पित करना चाहिए। मां को खासकर लाल गुलाब बहुत प्रिय है। ऐसे में पूजा के दौरान लाल पुष्प अर्पित करना चाहिए।

मां कात्यायनी पूजा-विधि...

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और फिर साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं।
मां को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
मां को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम लगाएं। 
मां को पांच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगाएं।
मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं।
मां कात्यायनी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती भी करें।

मां कात्यायनी मंत्र...

या देवी सर्वभूतेषु मा कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

मां कात्यायनी की आरती...

जय-जय अम्बे जय कात्यायनी,
जय जगमाता जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा,
वहा वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम है, कई धाम है,
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी,
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते,
हर मंदिर में भगत हैं कहते।
कत्यानी रक्षक काया की,
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुडाने वाली,
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए,
ध्यान कात्यायनी का धरिए।
हर संकट को दूर करेगी,
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को 'चमन' पुकारे,
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

स्किन की समस्याओं के लिए इस्तेमाल करें 'नीम'

स्किन की समस्याओं के लिए इस्तेमाल करें 'नीम'   

सरस्वती उपाध्याय                  
स्किन की केयर करने के लिए अगर आप महंगे-महंगे तरीके का इस्तेमाल करके थक चुकें हैं, तो अब कुछ प्राचीन, लेकिन असरकारी तरीकों को आजमाएं। आपके आसपास ऐसे कई प्लांट्स आसानी से अवेलेबल होते हैं, जो स्किन की कई समस्याओं को चुटकियों में हल कर देते हैं। 
इन्हीं में से एक है नीम। 
इसमें एंटीसेप्टिक, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-एजिंग गुण होते हैं। आमतौर पर, लोग अपनी बॉडी को डिटॉक्सिफाई करने के लिए नीम का जूस पीते हैं, लेकिन यह स्किन की समस्याओं से भी उतना ही बेहतरीन तरीके से निपटता है। बस आप इससे घर पर फेस मास्क बनाएं और उसे अपनी स्किन पर लगाएं।
अगर आपकी स्किन ऑयली है तो आप एक्ने व अन्य स्किन प्रॉब्लम्स को दूर करने के लिए नीम का इस्तेमाल कर सकतें हैं। ऑयली स्किन के लिए नीम व नींबू की मदद से फेस पैक बनाया जा सकता है।
इसके लिए आप सबसे पहले एक बाउल दो चम्मच नीम का पाउडर लें। अब इसमें थोड़ा गुलाब जल व आधे नींबू का रस डालकर व मिक्स करके एक पेस्ट तैयार करें। अब इसे अपनी क्लीन स्किन पर अप्लाई करें और 10 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें। अंत में पानी की मदद से अपनी स्किन को साफ करें और फिर मॉइश्चराइजर लगाएं।
रूखी स्किन पर भी नीम का इस्तेमाल करने से लाभ होता है। आप इसे हल्दी व अन्य मॉइश्चराइजिंग इंग्रीडिएंट्स को मिक्स करके एक फेस पैक बना सकते हैं। इसके लिए नीम के पत्तों के पाउडर में थोड़ी सी हल्दी मिक्स करें। अब इसमें नारियल तेल व थोड़ा सा गुलाब जल डालकर मिक्स करें। अब आप अपनी स्किन को क्लीन करके इस पेस्ट को अपनी स्किन पर अप्लाई करें।
करीबन 10-15 मिनट के बाद फेस को वॉश करें। अंत में, स्किन को मॉइश्चराइज करें।एजिंग स्किन की महिलाएं अपनी स्किन को पोषित करने और उसे अधिक यंगर बनाने के लिए नीम का फेस पैक बना सकती हैं।
आप इसे ओटमील के साथ मिक्स करके यूज कर सकते हैं। इसके लिए आप एक बाउल में आधा कप ओटमील, एक चम्मच दूध, एक चम्मच शहद व दो चम्मच नीम के पत्तों का पेस्ट बनाकर मिश्रण तैयार करें।
अब आप इसे अपनी क्लीन स्किन पर लगाएं। अब इसे स्किन पर लगाएं और सूखने तक ऐसे ही छोड़ दें। अंत में, अपनी स्किन को हल्का स्क्रब करते हुए अपनी स्किन को धोकर क्लीन करें। अब अपनी स्किन को मॉइश्चराइज करें।

मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

हिन्दू पंचांग, 16 को मनाई जाएगी 'हनुमान' जयंती

हिन्दू पंचांग, 16 को मनाई जाएगी 'हनुमान' जयंती   

सरस्वती उपाध्याय             
हिन्दू पंचांग के आधार पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को संकटमोचन राम भक्त हनुमान का जन्म हुआ था। भगवान विष्णु को रामावतार के समय सहयोग करने के लिए रुद्रावतार हनुमान का जन्म हुआ। सीता खोज, रावण युद्ध, लंका विजय में हनुमान ने अपने प्रभु श्रीराम की पूरी मदद की। उनके जन्म का उद्देश्य ही राम भक्ति था। 10 अप्रैल को रामनवमी का पर्व है। इसके बाद हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाएगा। इस साल हनुमान जयंती 16 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन ही व्रत रखा जाएगा और हनुमान का जन्म उत्सव मनाया जाएगा।
चैत्र शुक्ल की पूर्णिमा को हनुमान के जन्मदिवस के रूप में मनाने की परंपरा है। पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल दिन शनिवार को प्रात: 02 अजकर 25 मिनट पर शुरू हो रही है। पूर्णिमा तिथि का समापन इसी दिन रात 12 बजकर 24 मिनट पर हो रहा है। सूर्योदय के समय पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल को प्राप्त हो रहा है, इसलिए हनुमान जयंती 16 अप्रैल को मनाई जाएगी।

नवरात्रि का पांचवां दिन, स्कंदमाता की पूजा

नवरात्रि का पांचवां दिन, स्कंदमाता की पूजा       

सरस्वती उपाध्याय             
नवरात्रि से वातावरण के तमस का अंत होता है और सात्विकता की शुरुआत होती है। माता रानी के सभी भक्त इन 9 दिनों को बड़ी ही धूम-धाम के साथ मनाते हैं। नवरात्रि के नौ दिन तक मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा की जाती है। वहीं, बुधवार को नवरात्र-पूजन के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है।
उसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन सिंह (शेर) है।
स्कंदमाता की पूजा के लिए सबसे पहले चौकी पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल से शुद्धिकरण करें। फिर उस चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका (16 देवी), सप्त घृत मातृका (सात सिंदूर की बिंदी लगाएं) और स्थापना भी करें। फिर वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसमें आसन, पाद्य, अ‌र्ध्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्र पुष्पांजलि आदि करें। साथ ही इस मंत्र का जाप भी करें।

माता स्कंदमाता का मंत्र...
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

मां स्कंदमाता को प्रिय हैं ये चीजें...

मान्यता है कि मां स्कंदमाता की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है। मां स्कंदमाता को श्वेत रंग प्रिय है। मां की उपासना में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए। मां की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें।

स्कंदमाता पूजा विधि...

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। 
स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम भी लगाएं। 
मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।
मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती अवश्य करें।

मां का भोग...

मां को केले का भोग अति प्रिय है। मां को खीर का प्रसाद भी अर्पित करना शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।

ध्यान मंत्र... 

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम् ।।

धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।

अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम् ।।

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम् ।।

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।

कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम् ।।

स्तोत्र पाठ...

नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।

समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम् ।।

शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।

ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम् ।।

महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।

सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम् ।।

अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।

मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम् ।।

नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।

सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम् ।।

सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।

शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम् ।।

तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।

सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम् ।।

सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।

प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम् ।।

स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।

अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम् ।।

पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।

जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम् ।।

स्कंदमाता की आरती...
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

सोमवार, 4 अप्रैल 2022

नवरात्रि का चौथा दिन, माता कूष्मांडा को समर्पित

नवरात्रि का चौथा दिन, माता कूष्मांडा को समर्पित    

सरस्वती उपाध्याय          
मंगलवार को चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन है‌। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि के चौथे दिन माता कूष्मांडा को समर्पित है। इस दिन मां की पूजा-अर्चना और उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन साधक का मन 'अनाहत' चक्र में स्थित होता है। इसलिए बहुत ही पवित्र मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरुप का ध्यान करके पूजा करनी चाहिए।
मां कूष्मांडा आठ भुजाओं वाली हैं, जो कि भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होतर उनके दुखों और कष्टों का नाश करती हैं। धार्मिक मान्यता है कि मां को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के दिनों में उनकी पूजा के बाद ये आरती अवश्य करें। मां प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
साथ ही, कूष्माण्डा माता को आठ भुजा धारी भी माना जाता और इसलिए उनका नाम अष्टभुजा भी है। मान्यतानुसार, माता कूष्माण्डा के आठ हाथों में धनुष, चक्र, कमंडल, कलश, गदा, बाण, पुष्प और जप माला है। मां कूष्माण्डा को प्रसन्न करने के लिए नीले रंग के वस्त्र धारण करने की विशेष मान्यता है‌। भक्त इस दिन पूरे चाव से इस रंग के कपड़े पहनकर माता की पूजा करते हैं।
नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की पूजा करने के लिए श्रद्धाभाव से नहा-धोकर चौकी सजाई जाती है‌। इसके बाद जिस तरह अन्य देवियों की पूजा होती है। वैसे ही मां कूष्माण्डा को भी पूजा जाता है। कूष्माण्डा माता को भोग में मालपूए चढ़ाने की मान्यता है। कहते हैं कि मां कूष्माण्डा को प्रसन्न करना बेहद आसान है, वे कम से कम सेवा से भी खुश हो जाती हैं। वहीं, उनके मंत्र का जाप करना भी शुभ माना जाता है। 

कूष्माण्डा माता का मंत्र...

सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च | 
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ||


ध्यान मंत्र...

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम् ।।

भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।

कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम् ।।

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम् ।।

प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।

कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम् ।।

स्तोत्र पाठ...

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।

जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम् ।।

जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम् ।।

त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।

परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम् ।।

रविवार, 3 अप्रैल 2022

'नवरात्रि' का तीसरा दिन, माता चंद्रघंटा की पूजा

'नवरात्रि' का तीसरा दिन, माता चंद्रघंटा की पूजा        

सरस्वती उपाध्याय        

नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। सोमवार को चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है।नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाला कहा जाता है। ऐसा माना जाता है, मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है। माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है। जिस वजह से भक्त मां को चंद्रघंटा कहते हैं। 

माता चंद्रघंटा की पूजा विधि...

  • नवरात्रि के तीसरे दिन विधि- विधान से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना करनी चाहिए। मां की अराधना उं देवी चंद्रघंटायै नम: का जप करके की जाती है। माता चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें। आप मां को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग भी लगा सकती हैं। नवरात्रि के हर दिन नियम से दुर्गा चालीस और दुर्गा आरती करें।

मां चन्द्रघंटा का स्त्रोत मंत्र...

ध्यान वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम।

सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्घ

कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम।

खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्घ

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम।

मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्‍‌नकुण्डल मण्डिताम्घ

प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम।

कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्घ

स्तोत्र आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्तिरू शुभा पराम।

अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्घ्

चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम।

धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ

नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम।


सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ्

कवच रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।

श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्घ

बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धरं बिना होमं।

स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकमघ

कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।

मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व...

  • मां चंद्रघंटा की कृपा से  ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति होती है।
  • विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।

मां चंद्रघंटा की आरती...

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।

पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।

चंद्र समान तुम शीतल दाती।चंद्र तेज किरणों में समाती।

क्रोध को शांत करने वाली।

मीठे बोल सिखाने वाली।

मन की मालक मन भाती हो।

चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।


सुंदर भाव को लाने वाली।

हर संकट मे बचाने वाली।

हर बुधवार जो तुझे ध्याये।

श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।

मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।

सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।

शीश झुका कहे मन की बाता।

पूर्ण आस करो जगदाता।

कांचीपुर स्थान तुम्हारा।

करनाटिका में मान तुम्हारा।

नाम तेरा रटूं महारानी।

भक्त की रक्षा करो भवानी।

'कलावा' बांधने की परंपरा, जानिए कारण

'कलावा' बांधने की परंपरा, जानिए कारण   

सरस्वती उपाध्याय           
क्या आप जानते हैं कि ये कलावा आखिर है क्या और इसे बांधे जाने के पीछे क्या कारण हैं ? चलिए, हम आपको बताते हैं कि कलावा क्यों बांधा जाता है और इसे बांधने के पीछे क्या मान्यता है‌।
आपने कई पूजा-अनुष्ठानों के बाद अक्सर श्रद्धालुओं को हाथ पर एक रंगीन सूत्र बांधे देखा होगा। वही, सूत्र जिसे ‘कलावा’ कहा जाता है। मंदिरों में भी दर्शन के बाद हाथ में कलावा बांधने की परंपरा हमेशा से रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये कलावा आखिर है क्या और इसे बांधे जाने के पीछे क्या कारण हैं। चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कलावा क्यों बांधा जाता है और इसे बांधने के पीछे क्या मान्यता है। 
चाहे घर में कोई पूजा या कथा का आयोजन हो या फिर किसी मंदिर में देव-दर्शन के लिए गये हों, किसी भी शुभ धार्मिक  कार्य के बाद हाथों में कलावा बांधने की परंपरा बेहद पुरानी है। ये कलावा रंगीन, लाल, पीला या किसी अन्य रंग का हो सकता है। माना जाता है कि पूजा-अर्चना के बाद विधिवत बांधे गए कलावे में कई प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा या दैवीय शक्तियां होती हैं। हाथ में कलावा बांधने से ये सकारात्मक ऊर्जा निगेटिव एनर्जी और बुरी नजर से हमारी रक्षा करती हैं। इसीलिए कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है। कई लोगों की मान्यता ये भी है कि अलग-अलग रंग के कलावा बांधने का संबंध अलग-अलग ग्रहों से होता है। मसलन पीले रंग का कलावा बांधने से बृहस्पति, लाल रंग से मंगल और काले कलावे से शनि ग्रह मजबूत होते हैं।

शनिवार, 2 अप्रैल 2022

'नवरात्रि' का दूसरा दिन, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा

'नवरात्रि' का दूसरा दिन, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा      

सरस्वती उपाध्याय                    

ऐसा कहा जाता है कि माता ब्रह्मचारिणी के रूप में भगवान ब्रम्हा की शक्ति समाई हुई है। इसके अलावा, जो व्यक्ति भक्ति भाव से ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करते हैं, उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की श्रद्धापूर्वक पूजा करता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता। 'नवरात्रि' के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता ब्रम्ह्चारिणी को माँ जगदम्बा का दूसरा स्वरुप माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी ने ही ब्राह्मण की रचना की थी, जिसकी वजह से उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठिन तपस्या की थी। उनकी इस तपस्या के कारण माता को ब्रह्मचारिणी नाम मिला। ब्रह्मचारिणी दो शब्दों को जोड़कर बना है-  ब्रम्हा – जिसका मतलब है तपस्या और चारिणी – जिसका मतलब है आचरण करना। 

ऐसा कहा जाता है कि माता ब्रह्मचारिणी के रूप में ब्रम्हा जी की शक्ति समाई हुई है। इसके अलावा, जो व्यक्ति भक्ति भाव से ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करते हैं उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की श्रद्धापूर्वक पूजा करता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता। ब्रह्मचारिणी माता हिमालय और मैना की पुत्री हैं। इन्होंने देवर्षि नारद जी के कहने पर भगवान शंकर की ऐसी कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया। जिसके फलस्वरूप यह देवी भगवान भोलेनाथ की वामिनी अर्थात पत्‍‌नी बनीं।

ब्रह्मचारिणी माता की पूजा विधि...

मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करने के लिए सुबह सबसे पहले नहाकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए उनकी मूर्ति या तस्वीर को पूजा के स्थान पर स्थापित करें। माता ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल के फूल बेहद पसंद है इसलिए उनकी पूजा में इन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है। माता को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगया जाता है। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी की कहानी पढ़ें और इस मंत्र का 108 बार जप करें-

दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।

नवरात्रि में इन मंत्रों के साथ पूर्ण विधि-विधान से करें पूजन...


ध्यान मंत्र...

वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम् ।।

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।

धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम् ।।

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।

पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम् ।।

स्तोत्र पाठ...

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम् ।।

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम् ।।

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022

खुशियां, 1 अप्रैल को मनाया जाता है 'फूल्स डे'

खुशियां, 1 अप्रैल को मनाया जाता है 'फूल्स डे'        

सरस्वती उपाध्याय 
दुनिया भर में हर साल 1 अप्रैल को 'अप्रैल फूल्स डे' के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हंसी, चुटकुलों और खुशियों को समर्पित दिन के तौर पर मनाया जाता है। आमतौर पर इस दिन लोग एक-दूसरे की टांग खींचते हैं और शरारतें करते हैं। लोग अपने प्रियजनों या दोस्तों को सर्प्राइज करने के लिए तरह-तरह का आइडिया लगाते हैं और फिर आखिर में बताते हैं कि आप अप्रैल फूल बन चुके हैं, यह पूरा मामला नकली था। लेकिन क्या आप जानते हैं इस दिन की शुरुआत कैसे और क्यों हुई थी, आइए जानते हैं।
अप्रैल फूल डे का इतिहास...
1 अप्रैल को हम अप्रैल फूल के रूप में क्यों मनाते हैं, इसपर कई तरह की कहानियां बताई जाती हैं, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं है। इतिहासकारों के बीच कुछ सबसे प्रचलित कहानियों में से एक जूलियन कैलेंडर है। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि अप्रैल फूल का इतिहास आज से करीब 440 साल पुराना है। जब 1582 में फ्रांस ने जूनियन कैलेंडर को छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया था। जूलियन कैलेंडर में नया साल 1 अप्रैल को शुरू होता था। जबकि ग्रेगोरियन कैलेंडर में यह 1 जनवरी हो गया। कहा जाता है कि कैलेंडर बदलने के बाद भी कई लोग 1 अप्रैल को ही नया साल मना रहे थे। उनका सेलिब्रेशन मार्च के अंतिम सप्ताह से ही शुरू होता और 1 अप्रैल तक चलता था। इसी से वे मजाक का पात्र बन गए और उन्हें अप्रैल फूल कहा जाने लगा।

2 अप्रैल से प्रारंभ होगा 'रमजान' का महीना

2 अप्रैल से प्रारंभ होगा 'रमजान' का महीना     

सरस्वती उपाध्याय                   
मुस्लिम कैलेंडर के नौवें महीने को रमजान कहा जाता है। रमजान का महीना मुस्लिम समुदाय के लिए सबसे पाक महीना माना जाता है। इस महीने में खुदा की इबादत की जाती है और रोजा रखा जाता है। इस साल रमजान का महीना 2 अप्रैल, 2022 से शुरू होगा और 1 मई तक चलेगा। हालांकि, इस महीने की शुरुआत और समापन चांद की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि 2 अप्रैल 2022,  शनिवार को चांद दिख जाता है, तो रविवार यानी 3 अप्रैल को पहला रोजा रखा जाएगा। 

ऐसे शुरू हुई रोजा रखने की परंपरा... 
रोजा का मतलब है उपवास‌। रमजान में रोजेदार (रोजा रखने वाले) सुबह सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के बीच कुछ भी खाते-पीते नहीं है। इस दौरान उन्‍हें ध्‍यान रखना होता है कि उनके कारण किसी को कोई नुकसान न पहुंचे। उनका मन शुद्ध रहे और वे ज्‍यादा से ज्‍यादा समय अल्‍लाह की इबादत में लगाएं।
इस्लाम में रोजा रखने की परंपरा दूसरी हिजरी में शुरू हुई है। माना जाता है कि जब मुहम्मद साहब मक्के से हिजरत (प्रवासन) कर मदीना पहुंचे तो उसके एक साल बाद मुसलमानों को रोजा रखने का हुक्म आया था। लिहाजा दूसरी हिजरी से रोजा रखने की परंपरा इस्लाम में शुरू हुई।

इन लोगों को होती है रोजा रखने से छूट...
इस्लाम धर्म के मुताबिक हर वयस्‍क व्‍यक्ति को रोजा रखना चाहिए। रोजा रखने की छूट केवल उन लोगों को है, जो बीमार हैं, किसी यात्रा पर हैं, प्रेग्‍नेंट महिलाएं, बच्‍चे और ऐसी महिलाएं जिनका मासिक धर्म चल रहा है। इन वयस्‍कों के जितने रोजे छूट जाते हैं, उन्‍हें उतने रोजे रमजान खत्‍म होने के बाद रखने होते हैं। वहीं, जो लोग बीमारी की स्थिति में भी रोजे रखते हैं, उन्‍हें जांच के लिए खून देने या फिर इंजेक्शन लगवाने की छूट होती है। हालांकि, रोजे के दौरान दवाई खाने की मनाही की गई है, ऐसे में उन्‍हीं लोगों को रोजा रखना चाहिए, जो सहरी और इफ्तार के समय दवा ले सकते हैं।

इसलिए खजूर खाकर खोलते हैं रोजा...
वहीं, रोजा आमतौर पर खजूर खाकर खोला जाता है। ऐसा माना जाता है कि खजूर पैगंबर हजरत मोहम्मद का पसंदीदा फल था। वे खजूर खाकर रोजा खोलते थे। इसलिए आज भी लोग खजूर खाकर रोजा खोलते हैं। इसके अलावा खजूर तुरंत एनर्जी देने वाला फल है। साथ ही बाद में खाई जाने वाली चीजों को डाइजेस्‍ट करने में भी मदद करता है। इसके साथ-साथ खजूर में ढेर सारा फाइबर और कई न्‍यूट्रिएंट्स होते हैं, जो हमारे शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए बहुत जरूरी होते हैं।

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हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया  इकबाल अंसारी  हैदराबाद। इंड‍ियन प्रीम‍ियर लीग (IPL) 2024 सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और...