गुरुवार, 14 अप्रैल 2022
कार्बन एमिशन की तीव्रता, वैश्विक स्तर पर कार्य
बुधवार, 13 अप्रैल 2022
14 अप्रैल को मनाईं जाएगी अंबेडकर की जयंती
मंगलवार, 12 अप्रैल 2022
कूलर की लीकेज को रोकने का तरीका, जानिए
सोमवार, 11 अप्रैल 2022
पानी के लिए कड़ा संघर्ष करते हैं पक्षी, व्यवस्था
सर्दी के मौसम में बीमारियों को दूर करता है 'आम'
शनिवार, 9 अप्रैल 2022
'नवरात्रि' का नौवां दिन, माता सिद्धिदात्री की पूजा
माता सिद्धिदात्री की पूजा विधि...
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है।
- मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें।
- मां को रोली कुमकुम लगाएं।
- मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें।
- माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए।
- मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। कहते हैं कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं।
- माता सिद्धिदात्री का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- मां की आरती भी करें।
- अष्टमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कन्या पूजन भी करें।
कूलिंग डिवाइस के तौर पर मिनी एसी की डिमांड बढ़ीं
शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022
'नवरात्रि' का आठवां दिन, माता महागौरी की पूजा
गुरुवार, 7 अप्रैल 2022
'नवरात्रि' का सातवां दिन, माता कालरात्रि की पूजा
नवरात्रि के अवसर पर 'खांडवी' बनाने की रेसिपी
नवरात्रि के अवसर पर 'खांडवी' बनाने की रेसिपी
सरस्वती उपाध्याय
नवरात्रि के 9 दिनों में कुछ लोग सम्पूर्ण व्रत का पालन करते हैं, ऐसे में हम आपको यहाँ व्रत के दौरान खाई जाने वाली चीजों की रेसिपी शेयर कर रहें हैं।
खांडवी...
सामग्री।
1- सिंघाडा का आटा -1 कप।
2- छाछ – 4 कप।
3- अदरक-हरी मिर्च पेस्ट – ¼ छोटा चम्मच।
4- सेंधा नमक – 2 छोटे चम्मच।
5- हल्दी पाउडर – ¼ चम्मच।
6- सरसों – 1 चम्मच।
7- हींग – एक चुटकी।
8- तेल – 2 बड़े चम्मच।
9- हरी धनिया – 10 नग।
10- छीना हुआ नारियल – सजावट के लिए।
खांडवी बनाने की विधि...
सिंघाडा के आटे को एक बाउल में छाने। आटा के साथ अदरक-हरी मिर्च पेस्ट मिलाएं। नमक, हल्दी पाउडर और छाछ डाल दीजिये और जब तक कोई गांठ न रहे तब तक मिलाए। एक मोटे तलेवाली पैन में इस मिश्रण को 8 से 10 मिनट मध्यम आँच पर पकाएँ। जब तक यह गाढा और चिकना हो जाए तब तक हिलाये।
इस मिश्रण को थाली में या संगमरमर तालिका पर जल्द से जल्द फैलाए, संभवतः गर्म है तब तक फैलाना अच्छा है। एक बार जब यह ठंडा हो जाए दो इंच चौडी पट्टी में काटे और उन्हें कसकर रोल बनाये और हर टुकड़े को थाली में रखे।
एक छोटा पैन लें, तेल डालें और गर्म कीजिये, एक चुटकी हींग और सरसों के बीज डालें और तलतलाहट होने दें। जब तलतलाहट हो जाए खांडवी के टुकड़े पर तेल डालिए। छीना हुआ नारियल और बारिक कटा हुआ हरा धनिया से सजाये।
बुधवार, 6 अप्रैल 2022
'नवरात्रि' का छठवां दिन, माता कात्यायनी की पूजा
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मंगलवार, 5 अप्रैल 2022
हिन्दू पंचांग, 16 को मनाई जाएगी 'हनुमान' जयंती
नवरात्रि का पांचवां दिन, स्कंदमाता की पूजा
मां स्कंदमाता को प्रिय हैं ये चीजें...
मान्यता है कि मां स्कंदमाता की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है। मां स्कंदमाता को श्वेत रंग प्रिय है। मां की उपासना में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग करना चाहिए। मां की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
स्कंदमाता पूजा विधि...
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम भी लगाएं।
मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।
मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती अवश्य करें।
मां का भोग...
मां को केले का भोग अति प्रिय है। मां को खीर का प्रसाद भी अर्पित करना शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।
ध्यान मंत्र...
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम् ।।
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम् ।।
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम् ।।
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम् ।।
स्तोत्र पाठ...
नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम् ।।
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम् ।।
महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम् ।।
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम् ।।
नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम् ।।
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम् ।।
तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।
सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम् ।।
सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम् ।।
स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम् ।।
पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम् ।।
स्कंदमाता की आरती...
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।
सोमवार, 4 अप्रैल 2022
नवरात्रि का चौथा दिन, माता कूष्मांडा को समर्पित
ध्यान मंत्र...
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम् ।।
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम् ।।
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम् ।।
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम् ।।
स्तोत्र पाठ...
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम् ।।
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम् ।।
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम् ।।
रविवार, 3 अप्रैल 2022
'नवरात्रि' का तीसरा दिन, माता चंद्रघंटा की पूजा
'नवरात्रि' का तीसरा दिन, माता चंद्रघंटा की पूजा
सरस्वती उपाध्याय
नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। सोमवार को चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है।नवरात्रि के तीसरे दिन मां के तृतीय स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता चंद्रघंटा को राक्षसों की वध करने वाला कहा जाता है। ऐसा माना जाता है, मां ने अपने भक्तों के दुखों को दूर करने के लिए हाथों में त्रिशूल, तलवार और गदा रखा हुआ है। माता चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र बना हुआ है। जिस वजह से भक्त मां को चंद्रघंटा कहते हैं।
माता चंद्रघंटा की पूजा विधि...
- नवरात्रि के तीसरे दिन विधि- विधान से मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की अराधना करनी चाहिए। मां की अराधना उं देवी चंद्रघंटायै नम: का जप करके की जाती है। माता चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत, गंध, धूप, पुष्प अर्पित करें। आप मां को दूध से बनी हुई मिठाई का भोग भी लगा सकती हैं। नवरात्रि के हर दिन नियम से दुर्गा चालीस और दुर्गा आरती करें।
मां चन्द्रघंटा का स्त्रोत मंत्र...
ध्यान वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम।
सिंहारूढा दशभुजां चन्द्रघण्टा यशंस्वनीम्घ
कंचनाभां मणिपुर स्थितां तृतीयं दुर्गा त्रिनेत्राम।
खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माला वराभीतकराम्घ
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम।
मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्घ
प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम।
कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्घ
स्तोत्र आपद्धद्धयी त्वंहि आधा शक्तिरू शुभा पराम।
अणिमादि सिद्धिदात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यीहम्घ्
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्ट मंत्र स्वरूपणीम।
धनदात्री आनंददात्री चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ
नानारूपधारिणी इच्छामयी ऐश्वर्यदायनीम।
सौभाग्यारोग्य दायिनी चन्द्रघण्टे प्रणमाम्यहम्घ्
कवच रहस्यं श्रणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघण्टास्य कवचं सर्वसिद्धि दायकम्घ
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोद्धरं बिना होमं।
स्नान शौचादिकं नास्ति श्रद्धामात्रेण सिद्धिकमघ
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च।
मां चंद्रघंटा की पूजा का महत्व...
- मां चंद्रघंटा की कृपा से ऐश्वर्य और समृद्धि के साथ सुखी दाम्पत्य जीवन की प्राप्ति होती है।
- विवाह में आ रही समस्याएं दूर हो जाती हैं।
मां चंद्रघंटा की आरती...
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योति जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटूं महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।
'कलावा' बांधने की परंपरा, जानिए कारण
शनिवार, 2 अप्रैल 2022
'नवरात्रि' का दूसरा दिन, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा
'नवरात्रि' का दूसरा दिन, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा
सरस्वती उपाध्याय
ऐसा कहा जाता है कि माता ब्रह्मचारिणी के रूप में भगवान ब्रम्हा की शक्ति समाई हुई है। इसके अलावा, जो व्यक्ति भक्ति भाव से ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करते हैं, उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की श्रद्धापूर्वक पूजा करता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता। 'नवरात्रि' के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माता ब्रम्ह्चारिणी को माँ जगदम्बा का दूसरा स्वरुप माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, माता ब्रह्मचारिणी ने ही ब्राह्मण की रचना की थी, जिसकी वजह से उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठिन तपस्या की थी। उनकी इस तपस्या के कारण माता को ब्रह्मचारिणी नाम मिला। ब्रह्मचारिणी दो शब्दों को जोड़कर बना है- ब्रम्हा – जिसका मतलब है तपस्या और चारिणी – जिसका मतलब है आचरण करना।
ऐसा कहा जाता है कि माता ब्रह्मचारिणी के रूप में ब्रम्हा जी की शक्ति समाई हुई है। इसके अलावा, जो व्यक्ति भक्ति भाव से ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करते हैं उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की श्रद्धापूर्वक पूजा करता है, उसे किसी प्रकार का भय नहीं सताता। ब्रह्मचारिणी माता हिमालय और मैना की पुत्री हैं। इन्होंने देवर्षि नारद जी के कहने पर भगवान शंकर की ऐसी कठोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें मनोवांछित वरदान दिया। जिसके फलस्वरूप यह देवी भगवान भोलेनाथ की वामिनी अर्थात पत्नी बनीं।
ब्रह्मचारिणी माता की पूजा विधि...
मां दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करने के लिए सुबह सबसे पहले नहाकर साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए उनकी मूर्ति या तस्वीर को पूजा के स्थान पर स्थापित करें। माता ब्रह्मचारिणी को गुड़हल और कमल के फूल बेहद पसंद है इसलिए उनकी पूजा में इन्हीं फूलों को इस्तेमाल किया जाता है। माता को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगया जाता है। इसके बाद मां ब्रह्मचारिणी की कहानी पढ़ें और इस मंत्र का 108 बार जप करें-
दधाना कर पद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ।।
ध्यान मंत्र...
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम् ।।
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम् ।।
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम् ।।
स्तोत्र पाठ...
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम् ।।
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम् ।।
शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022
खुशियां, 1 अप्रैल को मनाया जाता है 'फूल्स डे'
2 अप्रैल से प्रारंभ होगा 'रमजान' का महीना
हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया
हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया इकबाल अंसारी हैदराबाद। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) 2024 सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और...
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महर्षि कश्यप के पुत्र पक्षीराज गरुड़ को भगवान विष्णु का वाहन कहा गया है। एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु से मृत्यु के बाद प्राणियों की स्थिति, ...
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55 साल की उम्र में भी बरकरार है खूबसूरती कविता गर्ग मुंबई। 55 की उम्र में भी यह हसीना बेहद खूबसूरत दिखती है, और मलाइका की हॉटनेस उसकी ...
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वर्षा: पानी में डूबी दिल्ली, बाढ़ के हालात बनें इकबाल अंसारी नई दिल्ली। इन दिनों उत्तर भारत में हो रही भारी बारिश ने कहर बर...