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मंगलवार, 9 मई 2023

स्ट्रीट फूड वेंडर ने बनाएं अजीबोगरीब पराठे 

स्ट्रीट फूड वेंडर ने बनाएं अजीबोगरीब पराठे 

सरस्वती उपाध्याय 

सोशल मीडिया पर आए दिन कुछ अलग और अनोखा वायरल होता रहता है। वहीं, कई बार अजीबोगरीब फूड के वीडियो भी वायरल होते देखा गया है। अब हाल ही में एक पराठे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में एक स्ट्रीट फूड वेंडर पराठे बनाता दिख रहा है। इस वीडियो को देखकर सभी हैरान हैं। आप यही सोच रहे होंगे, कि पराठे में ऐसा क्या है ? जिसे देखकर लोग हैरान हैं।

हम आपको बता दें कि पराठे वाला, जिस तरह से पराठे बना रहा था। वैसे, पराठे खाने के लिए आपको हिम्मत चाहिए। ऐसे पराठे आपने शायद ही पहले कभी देखें होंगे ?

बता दें, कि वीडियो को इंस्टाग्राम यूजर @officialsahihai ने शेयर किया है। वीडियो में एक स्ट्रीट फूड वेंडर एक तवे के ऊपर पराठा डालते हुए दिखाई दे रहा है। इसके बाद फिर वह पराठे को पकाने के लिए भारी मात्रा में घी डालता है।

आपको देखकर लगेगा, जैसे पराठा किसी घी के कुएं में तैर रहा है। बता दें, कि इस वीडियो को कई दिन पहले शेयर किया गया था। इस वीडियो को देखकर एक यूजर ने लिखा, 'आप लोगों को हार्ट अटैक से क्यों मारना चाहते हैं ?'

दूसरे ने कहा, "इस पराठे को खाने के बाद, आपको बायपास सर्जरी के लिए अस्पताल जाना होगा। वहीं, तीसरे ने मजाक में कहा, घी कम है। चौथे ने लिखा, अंकल घी देना पराठा लगा कर। पांचवें ने कहा, हार्ट अटैक पराठा। कई अन्य लोगों ने भी इस पराठे के बारे में इसी तरह के मजेदार रिएक्शन दिए हैं। 

बुधवार, 3 मई 2023

लिपस्टिक के परफेक्ट शेड्स की जरूरत, जानिए 

लिपस्टिक के परफेक्ट शेड्स की जरूरत, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 

गर्मियों का मौसम आते ही लाइफस्टाइल में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। कपड़ों से लेकर मेकअप तक में ये बदलाव नजर आते हैं। गर्मी के मौसम में सभी के वार्डरोब में हल्के और कंफर्टेबल कपड़े नजर आने लगते हैं। वहीं आउटफिट के साथ-साथ मेकअप भी एक ऐसी जरूरी चीज है, जिसमें मौसम के हिसाब से ही बदलाव होता है। बता दें ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि इस मौसम में मेकअप ज्यादा समय तक टिक नहीं पाता। लिपस्टिक मेकअप का सबसे जरूरी प्रोडक्ट है, जिसके बिना हर लड़की का लुक अधूरा नजर आता है।

अगर बात करें गर्मी के मौसम में लिपस्टिक के परफेक्ट शेड की तो इसके चुनाव में आपको काफी ध्यान देने की जरूरत है। लेकिन, बहुत सी लड़कियां ऐसी होती हैं, जो इन शेड्स के बारे में ज्यादा पता नहीं लगा पातीं। तो चलिए आज हम आपको कुछ कुछ शेड्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो गर्मी के इस मौसम के लिए परफेक्ट हैं, तो चलिए उन शेड्स के बारे में जानते हैं। 

पीच रंग का करें इस्तेमाल...
पीच रंग लगभग हर लड़की को पसंद होता है। गर्मियों के इस मौसम में इस रंग की लिपस्टिक को लगाने से आपका चेहरा खिला-खिला रहेगा। डार्क रंग की ड्रेस के साथ इस रंग की लिपस्टिक आप लगा सकती हैं। 

ट्रेंड में है न्यूड रंग...
बता दें न्यूड रंग आजकल काफी ट्रेंड में है। अगर आप मेटैलिक आउटफिट में तैयार हो रही हैं तो इस कलर की लिपस्टिक जरूर लगाएं। ये रंग देखने में काफी क्लासी और एलीगेंट लगता है। 

ब्राउन रंग...
इस रंग की लिपस्टिक हर स्किन की लड़कियां लगा सकती हैं। एक वक्त था जब इसे हर कोई लगाना पसंद नहीं करता था। लेकिन, आज के समय में हर कोई इस रंग को पसंद करता है। 

प्लम रंग रहता है परफेक्ट...
बता दें ऑफिस लुक को परफेक्ट बनाने के लिए प्लम रंग काफी परफेक्ट रहता है। इसे आप वेस्टर्न और इंडियन दोनों की ड्रेस के साथ कैरी कर सकती हैं। 

पिंक शेड...
पिंक शेड की लिपस्टिक हर उम्र की महिलाएं लगा सकती हैं। इसे लगाने से आपके चेहरे का ग्लो भी काफी बढ़ जाएगा। 

मंगलवार, 2 मई 2023

1 हफ्ते में वेट लॉस करने के लिए अपनाएं ये उपाय 

1 हफ्ते में वेट लॉस करने के लिए अपनाएं ये उपाय 

सरस्वती उपाध्याय 

पर्सानालिटी के लिए बेली फैट से ज्यादा बुरा कुछ नहीं हो सकता है। यह टाइप-2 डायबिटीज, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, कोलन कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां भी पैदा कर सकता है। इसलिए वजन कम करके हेल्दी वेट पाना बहुत जरूरी होता है। लोगों को लगता है कि वजन कम करना बहुत लंबा काम है। लेकिन आप 1 हफ्ते में वेट लॉस कर सकते हैं। इसके लिए आपको यहां बताए जा रहे 3 आयुर्वेदिक उपाय और कुछ अन्य काम करने होंगे।

7 दिन में घट जाएगा इतना सारा वजन...
एक्सपर्ट कहते हैं कि आप 1 हफ्ते में भी वजन कम कर सकते हैं। बस इसे आपको बेहद संतुलित तरीके से ही करना चाहिए। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार , 7 दिनों (1 हफ्ता) के अंदर 0.45-1.36 किलोग्राम वजन घटा सकते हैं। औसतन शरीर का 1 प्रतिशत वजन कम करना हेल्दी होता है।

आयुर्वेदिक उपायों के साथ करें वेट ट्रेनिंग...
कार्डियो वर्कआउट करने से ज्यादा कैलोरी बर्न होती है। लेकिन वेट ट्रेनिंग करने से शरीर पूरे दिन कैलोरी बर्न करता रहता है। जिससे वेट लॉस जल्दी होता है। बेली फैट खत्म करने वाले आयुर्वेदिक उपायों के साथ वेट ट्रेनिंग शुरू करें तो 1 हफ्ते में अच्छा वजन घटा सकते हैं।

हैं। इसलिए वेट लॉस के लिए इन्हें बिल्कुल कम कर देना चाहिए। अगर आप ने ये काम कर लिया तो सिर्फ 7 दिन के अंदर नैचुरल वेट लॉस हो जाएगा।

दुश्मन 1: त्रिफला पाउडर से अंदर होगी तोंद...
TOI के अनुसार Dharishah Ayurveda के फाउंडर और आयुर्वेद एक्सपर्ट Rajinder Dhamija ने त्रिफला पाउडर को पेट की चर्बी खत्म करने वाला बताया। रात में सोने से पहले 1 गिलास गुनगुने पानी में त्रिफला पाउडर मिलाकर पी जाएं। इससे पेट साफ करने के साथ वजन घटाने में मदद मिलेगी।

दुश्मन 2: तेजी से वजन घटाती है अदरक की चाय...
आयुर्वेद अदरक को पाचन और मेटाबॉलिज्म बढ़ाने वाला मानता है। इसलिए अदरक की चाय पीने से वजन कम करने में मदद मिल सकती है। लेकिन इसमें आपको दूध नहीं डालना है। बस आप अदरक को 10 मिनट पानी में उबालिए और फिर नींबू का रस और शहद मिलाकर पीजिए।

दुश्मन 3: खाली पेट नींबू पानी पीने से मिलेगा छुटकारा...
मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए सुबह खाली पेट नींबू पानी का सेवन करें। नींबू में मौजूद सिट्रिक एसिड फैट को तोड़ने का काम करता है। आप इसे गुनगुना ही पीएं। जिससे ज्यादा फायदा मिलेगा।

बुधवार, 19 अप्रैल 2023

'टिटहरी' को 86 साल बाद प्रजाति का दर्जा बहाल 

'टिटहरी' को 86 साल बाद प्रजाति का दर्जा बहाल 

सरस्वती उपाध्याय 

भारत और श्रीलंका में पाई जाने वाली टिटहरी (हनुमान प्लोवर) को 86 साल बाद एक बार फिर से प्रजाति का दर्जा बहाल किया गया है और शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि यह कदम जोखिम वाले पर्यावासों को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। हिन्दुओं के देवता- हनुमान- के नाम वाली और रोबिन के आकार की इस पक्षी को 1930 के दशक में केंटिस प्लोवर (केंट की ऐसी ही एक पक्षी) के साथ रखा गया था, क्योंकि दोनों प्रजातियों को एक समान समझा जाता था। हालांकि, डीएनए अनुक्रमण के परिणामों ने वैज्ञानिकों को उन समूहों के बीच सूक्ष्म अंतरों की पुष्टि करने का आधार प्रदान किया है, जो उन्हें एक-दूसरे से अलग करने के लिए पर्याप्त हैं।

शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि प्रजाति को फिर से बहाल करने से संरक्षण निधि का इस्तेमाल क्षेत्र की संकटग्रस्त आर्द्रभूमि को बचाने में मदद के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये पर्यावास अत्यधिक जैव विविधता वाले हैं और प्रवासी पक्षियों को अत्यधिक सर्दियों के दिन काटने वाले स्थल (ओवरविंटरिंग साइट्स) प्रदान करते हैं। एक प्रजाति में वैसी आबादी शामिल होती है, जो किसी अन्य प्रजाति के साथ सफलतापूर्वक अंतर्संकरण नहीं कर सकती है।

एक उप-प्रजाति में एक प्रजाति के भीतर एक ऐसा समूह होता है, जो आमतौर पर भौगोलिक रूप से अन्य उप-प्रजातियों से अलग होता है। इस अध्ययन के सह-लेखक एलेक्स बॉण्ड ने कहा, हालांकि हम नहीं जानते कि इस समय हनुमान प्लोवर को खतरा है या नहीं, यह ऐसे क्षेत्र में रहता है जहां मानव जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक है। बॉण्ड ब्रिटेन में प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय में क्यूरेटर के पद पर कार्यरत हैं।

बॉण्ड ने एक बयान में कहा, इन पक्षियों के साथ एक नाम जुड़ जाने का मतलब है कि नीति निर्माताओं और राजनेताओं के लिए इन टिटहरियों को नोटिस करना और उनकी मदद के लिए आवश्यक कदम उठाना आसान होगा। उन्होंने पाया कि इन पक्षियों में केंटिश प्लोवर की तुलना में छोटे पंख, पूंछ और चोंच होती है। इनके पंखों में भी अंतर होता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, यद्यपि केंटिश प्लोवर के नर एवं मादा पक्षियों के पैर काले होते हैं, लेकिन हनुमान प्लोवर में गहरे भूरे रंग के पैर होते हैं। नर हनुमान प्लोवर के माथे पर एक काली पट्टी होती है। 

शनिवार, 15 अप्रैल 2023

नाखून चबाने की आदत छोड़ने के टिप्स, जानिए 

नाखून चबाने की आदत छोड़ने के टिप्स, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 

अगर आप भी बार बार नाखून चबाते रहते हैं, तो फिर आपको ये ऱिपोर्ट पढने की जरुरत है। नाखून चबाने से इसकी नेचुरल ग्रोथ रूक सकती है, बार बार नाखून चबाने से इसकी ग्रोथ टिश्यू डैमेज हो सकते हैं और नाखून बढ़ने ही बंद हो सकते हैं। नाखून चबाने से उसमें जमा फंगस मुंह के रास्ते शरीर के दूसरे अंगों तक पहुंच सकता है और इससे फंगल ​इंफेक्शन हो सकता है, जो आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। नाखून चबाने या काटने से दांत कमजोर हो सकते हैं। इससे दांतों में गम ब्लीडिंग या दर्द की समस्या भी हो सकती है, इसलिए नाखून को दांत से नहीं काटना चाहिए। नाखून चबाने से उसकी गंदगी शरीर में पहुंचकर पाचन तंत्र और मेटाबॉलिज्म को बुरी तरह ध्वस्त कर सकता है।

नाखून चबाने की आदत छोड़ने के टिप्स...

1. अगर आप नाखून चबाने की गंदी आदत छोड़ना चाहते हैं तो माउथ गार्ड की मदद ले सकते हैं।

2. तनाव को दूर करने की कोशिश करें, एक्सपर्ट का कहना है कि लोग ज्यादा टेंशन होने पर नाखून चबाते हैं।

3. आप चाहें तो नाखूनों पर नीम का रस लगा सकते हैं। इससे मुंह में नाखून डालने से कड़वाहट आएगी और आपको याद आ जाएगा कि नाखून नहीं चबाना है।

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2023

सफर के दौरान 'खानपान' का विशेष ख्याल रखें

सफर के दौरान 'खानपान' का विशेष ख्याल रखें

सरस्वती उपाध्याय 

मना हर किसी को पसंद होता है। लेकिन, कई लोग सेहत के कारण ट्रैवल करने से कतराते हैं। सफर के दौरान जब तबीयत बिगड़ जाती है, तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जरूरी है कि ट्रैवल करने से पहले ही आप खास तैयारियां कर लें, जिससे आप सफर को खुशनुमा बना सकें।

ट्रैवल के दौरान खानपान में बरती गई लापरवाही के कारण आपको स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। इसलिए सफर के दौरान खानपान का विशेष ख्याल रखें। जिससे आप सफर का लुत्फ उठा सकते हैं। तो चलिए जानते हैं, यात्रा के दौरान आप सेहत का कैसे ख्याल रख सकते हैं।

1. प्रोसेस्ड फूड्स से दूरी बना लें
सफर के दौरान अक्सर लोग प्रोसेस्ड फूड्स खाना पसंद करते हैं। अधिक मात्रा में इन फूड्स का सेवन करते हैं तो, आपकी तबीयत बिगड़ सकती है। इसमें कोई पोषक तत्व मौजूद नहीं होता है, और इन फूड्स में शुगर और तेल की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए बंद पैकेट वाले फूड्स खाने से परहेज करें। 

2. खूब पानी पिएं
ट्रैवल के दौरान कब्ज और डिहाइड्रेशन की समस्या से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पी सकते हैं। इसके अलावा आप फल भी खा सकते हैं, जिससे आप पाचन संबंधी समस्या से बच सकते हैं

3. अधिक मात्रा में चाय-कॉफी का सेवन करने से बचें
कई लोग सफर के दौरान चाय-कॉफी अधिक मात्रा में पीते हैं, जिससे पाचन शक्ति पर असर पड़ता है। चाहें तो आप सफर के दौरान हर्बल टी का सेवन कर सकते हैं। इससे आपकी थकान भी दूर होगी और पाचन तंत्र भी प्रभावित नहीं होगा।

4. हैवी डाइट न लें
सफर के दौरान हेवी भोजन खाने से परहेज करें। आप पौष्टिक डाइट लें, इससे आपको यात्रा के दौरान भारीपन महसूस नहीं होगा। खाने में आप दालिया, स्प्राउट्स, उबले अंडे आदि शामिल कर सकते हैं।

5. समय पर खाएं
ट्रैवल के दौरान आप खाने की टाइमिंग का विशेष ख्याल रखें। अक्सर लोग घूमने के दौरान समय पर डाइट लेना भूल जाते हैं, जिससे आप बीमारी के चपेट में आ सकते हैं।

गुरुवार, 19 जनवरी 2023

अल्जाइमर रोग, साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित 

अल्जाइमर रोग, साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित 

सरस्वती उपाध्याय 

अल्जाइमर रोग से दुनिया भर में साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हैं, फिर भी इसका कोई इलाज नहीं है- और उपचार के विकल्प सीमित हैं। जबकि बीमारी का इलाज खोजने के प्रयासों में हाल में कुछ प्रगति हुई है और इस दौरान दो दवाओं के विकास में मदद मिली है जो रोग की प्रगति में देरी कर सकते हैं, उनके लाभों पर बहस हो रही है।

ऐसे में यह बताना जरूरी नहीं है कि अधिकांश नैदानिक ​​​​परीक्षणों में, इन दवाओं की प्रभावशीलता को देखते हुए लक्षणों के उत्पन्न होने के बाद ही उपचार शुरू होता है। इसका मतलब है कि बीमारी से नुकसान पहले ही हो चुका होता है। ऐसा माना जाता है कि यदि इलाज पहले शुरू कर दिया जाता है - लक्षणों के शुरू होने से पहले - तो इससे होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है। लेकिन समस्या यह है कि नैदानिक ​​​​लक्षण, जो डॉक्टर अल्जाइमर रोग के रोगी का निदान करने के लिए देखते हैं, न्यूरोडीजेनेरेशन होने के बाद ही दिखाई देते हैं। 

हमारा हालिया अध्ययन अल्जाइमर के निदान के लिए वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले बायोमार्कर की तुलना में एक अलग बायोमार्कर का उपयोग करने का तर्क देता है। हमने पाया कि यह बायोमार्कर, जो किसी व्यक्ति के रक्त में पाया जा सकता है, बीमारी के लक्षण शुरू होने से दस साल पहले ही इनका पता लगा सकता है। यह शरीर में बीमारी के लक्षणों के अभरने से पहले ही इसकी आमद को रोकने का एक अवसर प्रदान करता है। 

रक्त प्रोटीन

हमारा अध्ययन स्वीडिश परिवारों के डेटा का उपयोग करके किया गया था, जिन्हें एक ऐसे तरह का अल्जाइमर रोग था जो आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण हुआ था। जबकि ऑटोसोमल डोमिनेंट अल्जाइमर डिजीज (एडीएडी) में विकीर्ण अल्जाइमर रोग (अल्जाइमर का सबसे सामान्य रूप, जो आनुवंशिक, जीवन शैली और पर्यावरणीय कारकों का एक संयोजन है) के समान लक्षण होते हैं और ये लक्षण बहुत पहले होते हैं - आमतौर पर किसी व्यक्ति की उम्र के 40 या 50 के दशक में। चूंकि म्यूटेशन विरासत में मिलता है, अगर माता-पिता में एडीएडी है तो उनके बच्चे में म्यूटेशन विरासत में मिलने की 50 प्रतिशत संभावना होगी।

यद्यपि अल्ज़ाइमर रोग से पीड़ित सभी लोगों में से एक प्रतिशत से भी कम लोगों में यह रूप होता है, इन परिवारों में शोध अध्ययन इस बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान करते हैं कि अल्ज़ाइमर रोग सामान्य रूप से कैसे बढ़ता है। हमारे अध्ययन में तीन अलग-अलग परिवारों के 75 लोगों को देखा गया, जिनका एडीएडी का इतिहास था। प्रतिभागियों ने कुल 164 रक्त के नमूने प्रदान दिए, सभी 1994 और 2018 के बीच एकत्र किए गए। अल्जाइमर रोग के ज्ञात लिंक वाले चार अलग-अलग रक्त-आधारित बायोमार्कर के स्तरों का विश्लेषण किया गया। 

हमने बीमारी के लक्षण देखने के लिए एमआरआई इमेजिंग और संज्ञानात्मक परीक्षण जैसे अन्य परीक्षण भी किए। हमारी मुख्य खोज यह थी कि एक विशेष प्रोटीन का स्तर, जिसे जीएफएपी कहा जाता है, अध्ययन में अन्य ज्ञात रोग-संबंधी रक्त-आधारित बायोमार्कर के विश्लेषण से पहले बढ़ गया। यह वृद्धि अल्जाइमर रोग के पहले ध्यान देने योग्य संकेतों से दस साल पहले ही शुरू हो गई थी। जीएफएपी एक प्रोटीन है जो मस्तिष्क के एस्ट्रोसाइट्स द्वारा जारी किया जाता है। यह विशेष कोशिकाएं होती हैं, जो अन्य कार्यों के साथ मस्तिष्क की प्रतिरक्षा प्रणाली में भाग लेती हैं। जबकि हम जानते हैं कि जीएफएपी मस्तिष्क की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रक्रियाओं में शामिल है, हम इसके सटीक कार्य को नहीं जानते हैं। 

हमारे परिणाम अल्ज़ाइमर के अनुवांशिक रूपों पर हाल के अन्य अध्ययनों के अनुरूप हैं, जिन्होंने बीमारी की शुरुआत से पहले उच्च जीएफएपी स्तर दिखाए हैं। शोध से यह भी पता चला है कि जीएफएपी का स्तर उन लोगों में अधिक होता है जिन्हें बिना किसी आनुवंशिक कारण के प्रीक्लिनिकल अल्ज़ाइमर रोग होता है, जिनमें अल्ज़ाइमर विकृति के अन्य लक्षण होते हैं लेकिन अभी तक लक्षण प्रकट नहीं हो रहे हैं। इससे पता चलता है कि हमारे निष्कर्ष अल्जाइमर रोग के अधिक सामान्य रूपों पर भी लागू हो सकते हैं। 

हमारे अध्ययन के परिणाम अल्जाइमर रोग की हमारी सामान्य समझ का समर्थन करने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं - विशेष रूप से मस्तिष्क में शुरुआती रोग प्रक्रियाएं। हाल के अन्य निष्कर्षों के साथ, यह स्पष्ट है कि जीएफएपी और मस्तिष्क में इसके कार्य - अल्जाइमर रोग की प्रगति सहित - के बारे में और अधिक जांच की आवश्यकता है। शायद अल्जाइमर रोग के लिए भविष्य के उपचार अधिक सफल होंगे यदि वे मस्तिष्क के एस्ट्रोसाइट्स और अल्जाइमर रोग के अन्य सामान्य हॉलमार्क दोनों को लक्षित करना चाहते हैं - जैसे कि मस्तिष्क में बीटा-एमिलॉइड का संचय।

रविवार, 8 जनवरी 2023

पानी पीना भी बन सकता है 'मौंत का कारण'

पानी पीना भी बन सकता है 'मौंत का कारण'

सरस्वती उपाध्याय 

आमतौर पर ये माना जाता है, कि हम सभी को ज्यादा पानी पीना चाहिए। लोग एक-दूसरे को ज्यादा पानी पीने की भी सलाह देते हैं। लोगों का ये मानना होता है कि इससे हमारी हेल्थ ठीक रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ज्यादा पानी पीना आपके लिए मौंत का कारण बन सकता है ?हालांकि, सर्दी में लोग वैसे भी कम पानी पीते हैं, लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं, जो हर दिन जरूरत से ज्यादा पानी ये सोच कर पीते हैं कि इस वजह से वह फिट रहेंगे। लेकिन हम आपको बता दें कि एक रिसर्च के मुताबिक, मार्शल आर्ट्स किंग ब्रूस ली की मौत भी ज्यादा पानी पीने से हुई थी। आज हम बताने जा रहे हैं कि ज्यादा पानी पीना आपके सेहत के लिए कितना हानिकारक हो सकता है और विज्ञान क्यों आपको मना करता है कि आप हद से ज्यादा पानी ना पिएं ?

बता दें कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि जब आप एक तय मात्रा से ज्यादा रोजाना पानी पीने लगते हैं तो आपके किडनी पर इसकी वजह से ज्यादा बोझ पड़ता है। आपकी किडनी इस एक्स्ट्रा लोड को बर्दाश्त नहीं कर पाती और इस वजह से वह फेल कर जाती है। मार्शल आर्ट्स किंग ब्रूसली के साथ भी ऐसा ही हुआ था। पहले उनकी मौत पर कहा गया कि उनकी मौत स्लो प्वाइजन की वजह से हुई है।

हालांकि, नए शोध में पता चला कि उनकी मौत के पीछे की वजह स्लो प्वाइजन नहीं बल्कि ज्यादा पानी पीना था, जिस वजह से उनकी किडनी फेल हो गई थी। आपको ये भी बता दें कि विज्ञान कहता है कि जब आप जरूरत से ज्यादा पानी पीने लगते हैं तो आप ओवरहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं।दरअसल, ज़्यादा पानी पीने की वजह से आपके शरीर में तापमान, अपशिष्ट निष्कासन और अपच जैसे कई लक्षण दिखाई देने लगते हैं, इन्हें ही ओवरहाइड्रेशन कहा जाता है। ओवरहाइड्रेशन के बाद इंसान का शरीर हायपोनाट्रेमिया की स्थिति में आ जाता है। इसकी वजह से होता ये है कि शरीर में से इलेक्ट्रोलाइट्स तेज़ी से काफी मात्रा में घटने लगते हैं, जो आपके लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

आपने अक्सर कई लोगों को ये कहते हुए सुना होगा कि वह दिन भर में 8 गिलास पानी पीते हैं। लेकिन, क्या एक इंसान को इतने पानी की जरूरत होती है ? दरअसल, विज्ञान कहता है कि एक पुरुष के लिए औसतन 15.5 कप यानि लगभग 3.7 लीटर पानी की जरूरत रोज होती है। वहीं महिलाओं के लिए 11.5 कप यानि 2.7 लीटर पानी की जरूरत होती है। 

गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

48,500 साल पुराना 'जोंबी' वायरस जिंदा मिला

48,500 साल पुराना 'जोंबी' वायरस जिंदा मिला

अखिलेश पांडेय 

पेरिस। जलवायु परिवर्तन लंबे समय से मानव जीवन के हर पहलू के लिए खतरा बन चुका है। ये एक ऐसी चुनौती है कि अगर इस पर गौर नहीं किया गया तो मानव जीवन पर संकट आ सकता है, और अब खतरे की घंटी बज चुकी है। साइबेरिया में पिघलती बर्फ ने बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। ऐसा फ्रांसीसी शोधकर्ताओं ने दावा किया है। दरअसल, फ्रांस के वैज्ञानिकों ने रूस में जमी हुई झील के नीचे दबे 48,500 साल पुराने जोंबी वायरस को जिंदा करने का दावा किया है, और अब इससे होने वाली महामारी की आशंका भी जताई है। इस शोध के बाद से वैज्ञानिकों के रातों की नींद उड़ी हुई है।

बर्फ में दबे 13 नए खतरनाक रोगाणु निकले

अब तक के मिली जानकारी के मुताबिक साइबेरिया क्षेत्रों में परमाफ्रॉस्ट के नीचे से एकत्रित नमूनों की जांच की, उन्होंने इसमें से 13 नए रोगाणुओं को ढूंढ निकाला है। वैज्ञानिकों ने इसे जोंबी वायरस का नाम दिया है। उन्होंने बताया कि बर्फीली जमीन में कई हजार सालों तक रहने के बावजूद वो संक्रामक बन रहे हैं। इस प्राचीन अज्ञात वायरस के जिंदा होने के कारण पौधे पशु और मानव के मामले में स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो सकती है। अध्ययन में सामने आए 13 वायरसो से खतरा है.इन सभी वायरस का अपना जीनोम है।

सबसे पुराने जोंबी वायरस का नाम पैंडोरावायरस येडोमा दिया गया

रिपोर्ट के मुताबिक यूरोपीय शोधकर्ताओं को रूस के साइबेरिया में शोध आधारित खोजबीन के दौरान इन वायरसों का पता चला है, उन्होंने इस विषाणु को विशेष उद्देश्य के लिए पुनर्जीवित कर इन्हें तेरा अलग-अलग रोगाणु श्रेणियों में बांटा है। सभी को जोंबी वायरस नाम दिया गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने बताया कि यह वायरस सालों से बर्फ में जमे पड़े थे, इसके बावजूद इन में संक्रमण फैलाने की क्षमता बरकरार है। इन वायरसों में से सबसे पुराने जोंबी वायरस को पैंडोरावायरस येडोमा नाम दिया गया है। रोगाणु प्रजाति के इस प्राचीन सदस्य ने उम्र के मामले में और एक अन्य खतरनाक रोगाणु का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है। साल 2013 में मिले उस वायरस की उम्र 30 हजार साल बताई गई थी। लेकिन पैंडोरावायरस येडोमा उससे 18 हजार 500 साल से भी ज्यादा बड़ा है।

बढ़ सकता है कोरोना वायरस का खतरा

वैज्ञानिकों के मुताबिक सभी जोंबी वायरस के अधिक संक्रामक होने की क्षमता है, इसलिए यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि भविष्य में कोरोना वायरस महामारी अधिक आम हो जाएगी। क्योंकि परमाफ्रॉस्ट पिघलने से माइक्रोबियल कैप्टन अमेरिका जैसे लंबे समय तक निष्क्रिय रहने वाले वायरस निकलते हैं।

रविवार, 20 नवंबर 2022

पुराने सिक्कों की मिल सकती है अच्छी खासी कीमत

बहुत से लोगों के घरों में बहुत पुराने सिक्के पाए जाते हैं। पुराने लोग पुराने सिक्के और बिल जमा करना पसंद करते हैं। लोग अंग्रेजों के जमाने की करेंसी के काफी शौकीन हैं। यह कई लोगों को पुराने नोटों और सिक्कों के अंकित मूल्य का भुगतान करने के लिए तैयार करता है। Quikr पर एक ₹2 के सिक्के की कीमत ₹5,000 है।

कई वेबसाइटें हैं जहां पुराने नोटों और सिक्कों का कारोबार होता है। यहां आपको ऐसे लोग मिल जाएंगे जो पुराने नोट और सिक्के जमा करते हैं। और बदले में वे आपको हजारों रुपये देंगे। यह घर बैठे पैसे कमाने का जरिया था। जिससे आप ऑनलाइन पैसे कमाकर आसानी से लाखों रुपये कमा सकते हैं। ₹2 के सिक्के के पीछे भारत का नक्शा छपा होना चाहिए। यह 1990, 1992, 1994 होना चाहिए।

प्रक्रिया को जानें

  • सबसे पहले आपको Quikr की आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्टर करना होगा। अपना मोबाइल नंबर, ईमेल पता और आवश्यक जानकारी ध्यान से भरें।
  • सिक्के के आगे और पीछे की तस्वीरें इस वेबसाइट पर अपलोड करनी होंगी।यह वेबसाइट आपके विज्ञापन को
  • उन लोगों तक पहुंचाएगी जो पुराने नोट और सिक्के जमा करते हैं।
  • फिर ये लोग आपसे संपर्क करेंगे और आपको आपके सिक्के का अंकित मूल्य देंगे।

OLD COINS: शौक बड़ी बात है। प्राचीन वस्तुओं का संग्रह भी लापरवाही का ही एक रूप है। इसी तरह दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो पुराने सिक्के जमा करना पसंद करते हैं। ऐसे लोगों के पास बहुत पुराने और दुर्लभ सिक्के होते हैं। ऐसे उत्साही अपने प्राचीन संग्रह में तरह-तरह के सिक्के रखते हैं। शायद आपके पास भी घर में कोई बहुत पुराना सिक्का पड़ा हो। हम यहां जिस 1 रुपए के सिक्के की बात कर रहे हैं उसकी कीमत 5 हजार रुपए तक हो सकती है।

OLD COINS: वास्तव में, घरेलू और विदेशी सभी प्रकार के कई ऐसे सिक्के हैं, जो दशकों पहले ढाले गए थे, और ये सिक्के अब दुर्लभ दिखते हैं। ऐसे अनोखे सिक्कों की कीमत हजारों रुपए है। ऐसे प्रशंसक यह कीमत चुकाते हैं। आपको बस बेचने का एक तरीका खोजने की जरूरत है जो बहुत आसान हो। वह विधि भी बताएगा, लेकिन सबसे पहले उस सिक्के के बारे में जान लें।

हम बात कर रहे हैं ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम किंग के एक सिक्के की। यह कोई साधारण सिक्का नहीं है, यह सिक्का 103 साल पुराना है। जी हाँ, 1918 में निर्मित इस सिक्के में किंग जॉर्ज पंचम की छवि थी। सिक्के के दूसरे पहलू पर लिखा है कि भारत का एक रुपया और सिक्के का वर्ष 1918 है। आप इस सिक्के को वेबसाइट www.quikr.com पर बेच सकते हैं। वेबसाइट के मुताबिक इस सिक्के के पूरे 5 लाख रुपये आपको मिलेंगे।

www.quikr.com पर एक दुर्लभ सिक्के अनुभाग है। ऐसे दुर्लभ सिक्कों को खरीदने और बेचने के ऑफर अक्सर मिलते रहते हैं। पुराने सिक्के पसंद करने वाले लोग यहां से सिक्के खरीदते हैं। मांग में सिक्कों को यहां सूचीबद्ध किया गया है और राशि तय की गई है। जिनके पास ऐसे सिक्के हैं, वे अपनी ओर से यहां बिक्री के लिए ऑफर करते हैं। अगर आपके और खरीदार के बीच कॉल आती है तो आपको इन सिक्कों के बदले में काफी पैसा मिल जाएगा। यह सारा काम ऑनलाइन होता है। अब आप जानते हैं कि 103 साल पुराने 1 रुपये के इस खास सिक्के के लिए 50 लाख रुपये पाने के लिए आपको क्या करना होगा… आप इसे घर पर बड़ी आसानी से बेच सकते हैं। उनकी पूरी जानकारी गुड़गांव/पी/354498004 पर उपलब्ध होगी। अपना नाम, नंबर, ईमेल आदि भरकर यहां अपना खाता पंजीकृत करें। अब अपना यूजर आईडी और पासवर्ड दर्ज करके लॉगिन करें।

रविवार, 6 नवंबर 2022

कुतिया ने बकरी की आकृति के बच्चे को जन्म दिया 

कुतिया ने बकरी की आकृति के बच्चे को जन्म दिया 

अविनाश श्रीवास्तव 

गोपालगंज। कुदरत का करिश्मा अलग ही होता है। अजीबोगरीब मामला बिहार के गोपालगंज जिले का एक गांव चर्चा का विषय बना है। सिधवलिया प्रखंड के काशी टेंगराही पंचायत की वतिया टोला में चर्चा एक कुतिया के बच्चे को लेकर छिड़ी है। उसके आठवें बच्चे पर गांव के लोग चढ़ावा चढ़ाने पहुंच रहे हैं। कुतिया ने बकरी की आकृति के बच्चे को जन्म दिया है।

उसे देखने के लिए दूर-दराज से लोग गांव पहुंच रहे हैं। इसकी सूचना वन विभाग की टीम को भी दी गई है।सिधवलिया प्रखंड के काशी टेंगराही पंचायत के वतिया टोला में अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां एक कुतिया ने आठ बच्चों को जन्म दिया है, जिसमें सात बच्चे की आकृति कुत्ते जैसी है। जबकि एक बकरी के जैसा दिखता है। वह बोलता भी मेमने के जैसा है। ग्रामीणों को जब इस बात का पता चला तो आसपास के लोग इकट्ठा होने लगे। कुछ ही देर में कुतिया के बच्चे को देखने के लिए हुजूम लग गया।

कुतिया ने कुल 8 बच्चों को जन्म दिया। उसके 7वें बकरी की जैसी आकृति वाले बच्चे को देखने के लिए सीमावर्ती कई गांवों के लोगों की भीड़ जुट रही है। वहां के लोग इसे आस्था मानकर उस पर चढ़ावा भी चढ़ा रहे हैं। एक ग्रामीण तेजेश्वर मिश्रा, पूर्व मुखिया विनय यादव सहित कई लोगों ने बताया कि कुत्ते के बकरी जैसा जन्मा बच्चा मेमना की तरह की बोल रहा है। उसकी आवाज अब एक कोतूहल का विषय बनी है। इसकी सूचना वन वन विभाग को दी गई है।

बुधवार, 2 नवंबर 2022

स्ट्रेस दूर करने के आसान उपाय, जानिए 

स्ट्रेस दूर करने के आसान उपाय, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 

आजकल हर इंसान तनाव से परेशान है, लोगों को हर छोटी-छोटी बातों का टेंशन होने लगाता है। अगर आप दिन भर किसी न किसी बात को लेकर परेशान रहते हैं तो आपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करके आप स्ट्रेस फ्री हो सकते हैं। अपनी लाइफ में स्ट्रेस लेवल को कम करना चाहते है, तो आपको कुछ आदतों को अपनाना कर टेंशन फ्री हो सकती हैं।

स्ट्रेस दूर करने के आसान उपाय
खुद को बिजी रखें, जितना खाली वक्त होगा उतना नेगेटिव विचार दिमाग में आते हैं।
आपने मन का काम करने की कोशिश करें, इससे आपका दिमाग रिलैक्स होगा।
तनाव से बचना है तो रुटीन में योग या मेडिटेशन जरूर करना चाहिए, इससे दिमाग शांत रहता है।
कैफीन इनटेक कम करें, इससे आपको रात में सोने में परेशानी हो सकती है और आप रातभर बिना मतलब की बातें सोचने लगते हो।
अच्छी नींद स्ट्रेस को कम करने में मदद करती है इसलिए आप कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लें।
जब भी टेंशन हो डीप ब्रीथिंग करें।
शराब का सेवन करने से भी लोग तनाव के शिकार हो जाते हैं।
तनाव होने पर हमेशा चीजों को सकारात्मक तरीके से देखने की कोशिश करनी चाहिए।
हरी घास पर टहलने से आपका तनाव दूर होगा और आप फ्रेश महसूस करेंगे।
तनाव कम करने के लिए आप अपना मनपसंद म्यूजिक सुनें। ये म्यूजिक आपको मानसिक शांति देने के साथ तनाव को कम करने में मदद करेगा।
हेल्दी डाइट को रूटीन में शामिल करें, जंक फूड और बाहर की चीजों को डाइट से बिलकुल हटा दें।
डार्क चॉकलेट में स्ट्रेस को कम करने में मदद करता है। तनाव से बचने के लिए डार्क चॉकलेट का सेवन किया जा सकता है।
स्ट्रेस कम करने के लिए किताबें पढ़ना चाहिए। किताब ही आपके लिए बेस्ट ऑप्शन साबित हो सकती है।

शनिवार, 29 अक्तूबर 2022

'प्रदूषण' के प्रभाव से बचने के लिए अपनाएं ये टिप्स

'प्रदूषण' के प्रभाव से बचने के लिए अपनाएं ये टिप्स 

दिवाली के बाद से देश की राजधानी दिल्ली सहित कई शहरों की आवो हवा खराब हो चुकी है। दिल्ली में तो आज प्रदूषण का लेवल ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गया। वायु प्रदूषण की वजह से अस्थमा रोगी, बुजुर्ग और बच्चों की समस्या काफी बढ़ जाती है। जहरीली हवा जहां हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। वहीं इसकी वजह से आंखों में भी जलन रहती है। प्रदूषण से लोग स्किन की परेशानियों से भी जूझ रहे हैं। प्रदूषण से बचने के लिए राज्य सरकारें कई रास्ते खोज रही है। लेकिन आप अपने स्तर पर कोशिश कर के भी प्रदूषण के प्रभाव से बच सकता है। अपने खानपान में सुधार कर के भी प्रदूषण के प्रभाव से बचा जा सकता है। इसके लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं बस नीचे दी गई चीजों को फॉलो करना होगा।

काली मिर्च और अदरक
अगर इम्यूनिटी मजबूत रहेगा तो हमारा शरीर हर बीमारी से बच सकता है। इसलिए इसे मजबूत करने के लिए अदरक का रस और काली मिर्च पाउडर का सेवन कर सकते हैं। काली मिर्च ऐसे खाएंगे तो तीखी लगेगी इसलिए शहद के साथ मिलाकर खाएं। वहीं अदरक के रस को भी शहद के साथ खाया जा सकता है।

इन फलों का करें सेवन
फल हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होता है। प्रदूषण के प्रभाव से बचने के लिए कीवी और संतरा खाएं।

गुड़ को डाइट में करें शामिल
मीठी गुड़ भी गुणों का खजाना है। अपने डाइट में गुड़ को शामिल करें।

सूप और छाछ पीएं
सूप और छाछ पीना भी काफी सेहतमंद होता है। इसमें नमक और जीरा पाउडर मिलाकर पीने से काफी फायदा मिलेगा।

पानी की न हो कमी
प्रदूषण से बचने के लिए शरीर में पानी की कमी नहीं होने दें। पानी की मात्रा ठीक रखने से मेटाबॉलिज्म स्लो नहीं होता है।

श्रीराम 'निर्भयपुत्र'

रविवार, 23 अक्तूबर 2022

गंदे तेल को साफ करने के तरीके, जानिए 

गंदे तेल को साफ करने के तरीके, जानिए 

सरस्वती उपाध्याय 

दिवाली का त्योहार सोमवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस मौक पर पूड़ी-पकौड़े बनाएं जाते हैं। ये सब तलने के बाद जो तेल गंदा और काला हो जाता है। ऐसे में कई लोग इसे फेंक देते हैं या अलग रख देते हैं। अगर आप भी तेल के गंदा होने पर इसे फेंकते हैं तो हम बता रहे हैं, तेल को साफ करने के कुछ तरीकों के बारें में। जिससे आप तेल को साफ कर सकते हैं और इसे दोबारा इस्तेमाल कर सकते हैं।

तेल को छाने
तेल को साफ रखने के लिए इसे यूज करने के बाज ठंडा होने दें और फिर एक महीन-जाली वाली छलनी, एक पेपर कॉफी फिल्टर, या पेपर तौलिये का इस्तेमाल करें। ऐसा करने पर तेल की बिट्स को खत्म करना है। तेल का दोबारा इस्तेमाल करते समय ये खाने के कण इसे जला सकते हैं, इसलिए हमेशा छान कर इसको रखें।

कॉर्न-स्टार्च के साथ तेल मिलाए
धीमी आंच पर तेल और कॉर्न-स्टार्च के मिश्रण को गरम करें, ध्यान रहे कि इसे उबलने न दें। एक हीटप्रूफ रंग के साथ लगातार हिलाएं। कॉर्न-स्टार्च मिश्रण लगभग 10 मिनट में जम हो जाना चाहिए, फिर इसे छानें।

तेल में डालें नींबू
तेल को गर्म करें, फिर नींबू को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर तेल में डाल दें। बचे हुए काले कण नींबू पर चिपक जाएंगे। फिर इन्हें बाहर निकाल लें और छान लें।

लाइट से दूर स्टोर करें
केवल कुकिंग ही तेल को खराब नहीं करती है। आप इसे कैसे स्टोर करते हैं, इसे भी तेल खराब हो सकता है। तेल को सही तरह से रखने के लिए, इसे नमी, लाइट और गर्मी से दूर रखें। क्योंकि ये इसे और खराब कर देगी, जिससे तेल खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।

शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2022

भारत में 2022 में अकाल जैसी स्थिति: भविष्यवाणी

भारत में 2022 में अकाल जैसी स्थिति: भविष्यवाणी

अकांशु उपाध्याय

नई दिल्ली। देश के लिए आने वाले तीन महीने भारी हो सकते है, क्योंकि बाबा वेंगा की भविष्यवाणी मे इस साल आने वाले समय मे अकाल जैसी स्थिति बन सकती है। बुल्गारिया की बाबा वेंगा ने कई साल पहले दुनियाभर के लिए कई भविष्यवाणियां की थी, जिनमें उन्होंने भारत को लेकर भी एक भविष्यवाणी की थी।

बाबा वेंगा के अनुसार साल 2022 में भारत मे अकाल जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।

बता दें कि बाबा वेंगा की इस भविष्यवाणी के सही साबित होने मे इस साल अब 3 महीने से भी कम समय बचा है। बता दें कि बाबा वेंगा ने इस साल के लिए कई भविष्यवाणियां की थी, जिनमें से अब तक 2 सच हो चुकी है। बाबा वेंगा ने साल 2022 मे भुखमरी की भविष्यवाणी की थी। भविष्यवाणी के अनुसार, साल 2022 मे दुनियाभर मे तापमान मे गिरावट आएगी और इसका असर भारत पर भी नजर आएगा। तापमान मे कमी के बाद टिड्डियों का प्रकोप बढ़ जाएगा और टिड्डियों का झुंड भारत मे फसलों को भारी नुकसान पहुंचाएगा। इस वजह से देश मे अकाल जैसी स्थिति पैदा हो सकती है और भुखमरी की स्थिति आ सकती है।

साल 2022 मे अब तक 2 भविष्यवाणियां हुई सच।

द सन की रिपोर्ट के अनुसार, बाबा वेंगा ने साल 2022 के लिए कुल 6 भविष्यवाणी की थी और अब तक इनमें से 2 भविष्यवाणियां करीब सच साबित हो चुकी है। बाबा वेंगा ने ऑस्ट्रेलिया के अलावा कुछ एशियाई देशों मे बाढ़ को लेकर भविष्यवाणी की थी और ऑस्ट्रेलिया मे बारिश के बाद बाढ़ जैसी ​हालत हो चुकी है, जबकि पाकिस्तान में भी हाल ही मे बाढ़ से हालात खराब हो गए थे। इसके अलावा कई शहरों मे पानी की कमी की भविष्यवाणी भी सच साबित हो चुकी है।

ऑस्ट्रेलिया मे बाढ़ और कुछ देशों की पानी की कमी के अलावा बाबा वेंगा ने साल 2022 मे साइबेरिया से एक नया घातक वायरस सामने आने की भविष्यवाणी की थी। कोरोना वायरस के बाद लोगों मे नए वायरस को लेकर खौफ है, इसके अलावा बाबा वेंगा ने एलियन हमले, टिड्डियों के आक्रमण और वर्चुअल रिएलटी मे वृद्धि की भी भविष्यवाणी की थी।

सोमवार, 23 मई 2022

कबूतर का शिकार करते नजर आईं, मछली

कबूतर का शिकार करते नजर आईं, मछली

सरस्वती उपाध्याय      
शेर, बाघ, चीता और तेंदुआ आदि तो धरती के सबसे खतरनाक शिकारी जानवर हैं ही, वहीं मगरमच्छ और घड़ियाल आदि पानी में रहने वाले खतरनाक शिकारी जानवर हैं। इसके अलावा कुछ मछलियां भी बड़ी ही खतरनाक शिकारी होती हैं। इनमें शार्क का नाम सबसे ऊपर आता है। आमतौर पर तो शार्क समुद्र में रहने वाली छोटी मछलियों और अन्य जीवों का ही शिकार करती हैं, जबकि कभी-कभी ये इंसानों का भी शिकार कर लेती हैं। लेकिन, आजकल एक छोटी शिकारी मछली ने सबको हैरान किया हुआ है‌। दरअसल, सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। जिसमें एक मछली कबूतर का शिकार करते नजर आती है। इस वीडियो ने सबको हैरान किया हुआ है।
क्योंकि शायद ही आपने पहले कभी किसी मछली को कबूतर का शिकार करते देखा होगा। एक कबूतर कहीं से उड़ते हुए आता है और चलते-चलते तालाब के किनारे चला जाता है। तभी पानी के अंदर घात लगाकर बैठी हुई एक मछली झट से उसका शिकार कर लेती है और उसे लेकर पानी के अंदर चली जाती है। वैसे आमतौर पर तो बड़ी मछलियां छोटी मछलियों या अन्य छोटे जीवों का शिकार करके ही अपना पेट भरती हैं, लेकिन यहां तो मछली कबूतर का शिकार करते नजर आईं है। अब ऐसा नजारा देख कर इंसान हैरान नहीं होगा तो और क्या होगा ?

शनिवार, 14 मई 2022

बालों के लिए फायदेमंद है 'चावल का पानी'

बालों के लिए फायदेमंद है 'चावल का पानी' 

सरस्वती उपाध्याय    

चावल का पानी कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होता है। साथ ही कई तरह के विटामिन्स, एंटीऑक्सिडेंट्स और खनिजों से समृद्ध है। इस कारण इसे स्किन और बालों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है।सौंदर्य विशेषज्ञों की मानें तो चावल का पानी (Rice Water) न सिर्फ आपके बालों को रेशमी, चमकदार और मुलायम बनाता है, बल्कि ये आपकी बालों की ग्रोथ को भी बेहतर करता है। कई सेलिब्रिटीज और मॉडल चावल के पानी को ब्यूटी सीक्रेट के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। यहां जानिए चावल के पानी के तमाम फायदे और इसको इस्तेमाल करने के तरीके...

बालों को मजबूत बनाए...

अगर आपके बाल ज्यादा झड़ रहे हैं तो आपको एक बार चावल का पानी जरूर इस्तेमाल करना चाहिए। चावल के पानी में मौजूद अमिनो एसिड आपके बालों को झड़ने से रोकता है और बालों को मजबूत बनाता है। इससे बालों की ग्रोथ भी बेहतर होती है।

डैंड्रफ से छुटकारा...

अगर आप डैंड्रफ की समस्या से परेशान हैं, तो भी चावल का पानी आपके लिए मददगार हो सकता है। इसे लगाने से डैंड्रफ की समस्या दूर होती है। साथ ही सिर में होने वाली खुजली, जलन आदि परेशानियों में भी आराम मिलता है।

बालों में शाइन लाता...

अगर आपके बाल अपनी चमक खो चुके हैं और देखने में बिल्कुल बेजान हो चुके हैं, तो आपको एक बार चावल के पानी को जरूर इस्तेमाल करना चाहिए। इसे लगाने से बाल चमकदार होने के साथ काफी मुलायम भी होते हैं। चावल के पानी को लगातार इस्तेमाल करने पर चार हफ्तों में आपको इसे रिजल्ट्स दिखने शुरू हो जाएंगे।

ऐसे तैयार करें चावल का पानी...

1 कप चावल को 2 कप पानी में भिगो दें और करीब एक घंटे बाद इसे गैस पर उबलने के लिए रख दें। जब चावल के पानी में चिपचिपाहट आने लगे, तो इस पानी को छान लें। इस पानी को ठंडा करने के बाद बालों में अच्छी तरह से लगाएं और करीब एक घंटे लगा रहने दें, थोड़ा पानी बचा लें। एक घंटे बाद माइल्ड शेंपू से बालों को धो ले। इसके बाद बचे हुए चावल के पानी को कंडीशनर की तरह इस्तेमाल करें। हफ्ते में दो से तीन दिन ऐसा करने से काफी अच्छे रिजल्ट्स मिलते हैं। अच्छे रिजल्ट के लिए आप चावल के पानी में गुलाबजल मिला सकती हैं।

शुक्रवार, 13 मई 2022

'जलवायु परिवर्तन' के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जारी

'जलवायु परिवर्तन' के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जारी 

श्रीराम श्रेष्ठ उपाध्याय           
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई जारी है और इस लड़ाई में हमारा सबसे बड़ा हथियार जानकारी है। जानकारी का सबसे बड़ा स्रोत मीडिया और पत्रकार बंधु हैं। इसी एहम कड़ी के महत्व को ध्यान में रखते हुए, एक उत्साहवर्धक पहल के रूप में, जलवायु परिवर्तन जैसे जटिल और तथाकथित उदासीन मुद्दे पर पत्रकारों की क्षमता संवर्धन के उद्देश्य से वैश्विक स्तर के कुछ विशेषज्ञों ने, पत्रकारों के लिये एक दिग्‍दर्शिका (गाइड) प्रकाशित की है। इसमें पर्यावरण की रिपोर्टिंग करने वाले संवाददाताओं के लिये इस बात का मार्गदर्शन प्रदान किया गया है कि वे कैसे जलवायु परिवर्तन और ताप लहर, तूफान तथा बाढ़ जैसी चरम मौसमी स्थितियों के बीच सम्‍बन्‍ध।
जोड़ने के लिये कौन-कौन से तर्क दे सकते हैं।
ऑक्सफोर्ड यूनीवर्सिटी, इम्‍पीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार की गयी और जलवायु वैज्ञानिकों के अंतर्राष्‍ट्रीय समूह वर्ल्‍ड वेदर एट्रिब्‍यूशन द्वारा प्रकाशित इस गाइड में यह स्‍पष्‍ट किया गया है कि किस तरह से एट्रिब्‍यूशन साइंस के जरिये चरम मौसमी घटनाओं को जलवायु परिवर्तन से जोड़ना सम्‍भव होता है और कैसे व कहां कुछ घटनाओं को हमेशा मानव की गतिविधियों के कारण उत्‍पन्‍न वार्मिंग से जोड़कर नहीं देखा जा सकता।
हाल के समय तक, वैज्ञानिक एकल घटनाओं को जलवायु परिवर्तन से जोड़कर देखने से परहेज करते थे। इसके बजाय वे इसी बात तक सीमित रहते थे कि कोई घटना इस तरह की चीजों को जाहिर कर सकती है और अगर प्रदूषणकारी तत्‍वों का उत्‍सर्जन और वार्मिंग इसी तरह जारी रही तो आशंका है
कि भविष्‍य में ऐसी और घटनाएं हो सकती हैं।
मगर वैज्ञानिकों ने ऐसी पद्धतियां विकसित की हैं, जिनसे संवाददाताओं को जलवायु परिवर्तन और किसी एकल चरम मौसमी घटना के बीच सम्‍बन्‍ध जोड़ने का मौका मिलता है। साथ ही यह गणना करने का अवसर भी मिलता है कि कोई घटना ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण कितनी कम या ज्‍यादा सम्‍भावित है और कितनी ज्‍यादा या कम तीव्रता वाली है। इन एट्रिब्‍यूशन अध्‍ययनों की मदद से
वैज्ञानिकों को ऐसे बयान देने में मदद मिलती है, जैसे- ‘‘यह ताप लहर (हीटवेव) तीन डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थी। अगर ग्‍लोबल वार्मिंग नहीं होती तो यह दुनिया इतनी गर्म नहीं होती’’, या यहां तक कि जलवायु परिवर्तन के बिना कोई घटना प्रभावी रूप से संभव नहीं होती।
यहां तक कि विशिष्‍ट एट्रिब्‍यूशन अध्‍ययन की गैर-मौजूदगी में भी पत्रकार अक्‍सर जलवायु परिवर्तन और मौसमी घटनाओं के बीच सम्‍बन्‍ध स्‍थापित कर सकते हैं। यह गाइड ऐसी हिदायतें तय करती है कि पत्रकार हीटवेव, बाढ़, चक्रवात, हिमपात, सूखा और वनों की आग के मामले में क्‍या–क्‍या कह सकते हैं।
इस दिग्‍दर्शिका में कहा गया ‘‘जलवायु परिवर्तन किसी एक घटना का कारण नहीं बन सकता, क्‍योंकि सभी मौसमी घटनाओं के कई कारण हो सकते हैं, मगर जलवायु परिवर्तन इस बात को प्रभावित करता है कि वह किसी घटना को किस हद तक सम्‍भावित और कितनी तीव्रता से प्रभावित कर सकता है।’’
इस गा‍इड के निष्‍कर्षों में यह भी शामिल है कि हर हीटवेव का सम्‍बन्‍ध अब जलवायु परिवर्तन से जोड़ा जा सकता है और भारी वर्षा तथा दुनिया के कुछ हिस्‍सों में सूखा पड़ने की घटनाएं ग्रीनहाउस गैसों के उत्‍सर्जन के कारण अधिक सामान्‍य और ज्‍यादा तीव्र हो गयी हैं। कुछ अन्‍य प्रकार की चरम मौसमी स्थितियों के साथ कुछ अन्‍य महत्‍वपूर्ण कारक भी हैं, जिनके बारे में
पत्रकारों को जलवायु परिवर्तन से सम्‍बन्‍ध जोड़ते वक्‍त ख्‍याल रखना चाहिये।

कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखता हैं 'हरियल'

कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखता हैं 'हरियल'   

सरस्वती उपाध्याय            

दुनियाभर में कई ऐसे जीव-जन्तु हैं, जिनकी अपनी खास विशेषताएं हैं। आज हम आपको एक ऐसे रहस्यमयी पक्षी के बारे में बताएंगे। जिसके बारे में कहते हैं कि वह अपने पूरे जीवन में कभी भी जमीन पर पैर नहीं रखता है। यह सुनकर आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन बात बिल्कुल सच है। अब आप सोच रहे होंगे कि क्या यह पक्षी कभी धरती पर उतरता ही नहीं है ? तो इसका जवाब है... हां, यह पक्षी धरती पर उतरता है, लेकिन अपने पैरों में लकड़ी का टुकड़ा लेकर।

भारत में पाया जाता है हरियल...

माना जाता है कि यह पक्षी उसी लकड़ी के टुकड़े पर बैठता है। सबसे खास बात है कि यह पक्षी भारत में बहुतायत में पाया जाता है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह पक्षी भारत के महाराष्ट्र राज्य का राजकीय पक्षी है‌। इस पक्षी का नाम हरियल है। 29 सेंटीमीटर से लेकर 33 सेंटीमीटर तक के आकार वाले इस पक्षी का वजन सिर्फ 225 ग्राम होता है। सबसे खास बात यह है कि हरियल एक सामाजिक प्राणी है, जो हमेशा झुंड में रहना पसंद करता है। हरियल के पंखों का फैलाव 17 से 19 सेंटीमीटर होता है‌। हल्के पीला और हरे रंग का हरियल ओलिव के फल से बिल्कुल मिलता-जुलता है। हरियल के सिर के ऊपर हल्के नीले-भूरे रंग के बाल उगते हैं‌। हरियल को ऊंचाई वाले पेड़ पसंद हैं‌। यह ज्यादातर जंगलों में ही रहता है. हरियल पीपल और बरगद के पेड़ों पर अपना घोंसला बनाना पसंद करते हैं और भोजन की तलाश में शहरों के पार्क में भी देखे जाते हैं।

सोमवार, 18 अप्रैल 2022

सबसे पुराना घड़ा, 2 हजार लीटर पानी का रिकॉर्ड

सबसे पुराना घड़ा, 2 हजार लीटर पानी का रिकॉर्ड   

संदीप मिश्र        

कन्नौज। क्या मिट्टी का घड़ा भी किसी टैंक के बराबर हो सकता है ? सुनकर हैरान न हों, यह सच है। दुनिया का सबसे बड़ा और पुराना घड़ा कन्नौज में रखा है। 'खुशबू' के लिए विख्यात इत्रनगरी के म्यूजियम में संरक्षित इस घड़े में दो हजार लीटर पानी आ सकता है। करीब दो हजार वर्ष पूर्व कुषाण वंश का यह घड़ा 40 साल पहले शहर के शेखपुरा मोहल्ले में खुदाई के दौरान मिला था। सम्राट हर्षवर्धन और राजा जयचंद का साम्राज्य रहे इस जिले का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है। यहां समय-समय पर हुई खुदाई के दौरान कई ऐसी नायाब चीजें निकली हैं। पहली से तीसरी सदी के बीच के कुषाण वंश के दौरान का सबसे बड़ा यह घड़ा उनमें से ही एक है। नव निर्मित म्यूजियम में कांच के घेरे में सहेजे गए इस प्राचीन धरोहर घड़े को देख लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं।

करीब दो हजार साल पहले कनिष्क के शासन के समय छोटे-बड़े 40 से ज्यादा बर्तन ही नहीं उसके पहले और बाद के गुप्त काल के दौर में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के बर्तन भी यहां खुदाई के दौरान मिले हैं। यहां कुषाण वंश से भी पहले यानी 1500 ईसा पूर्व के बर्तनों के अवशेष मिले हैं। पुरातात्विक खोजों से पता चलता है कि कन्नौज में पेंटेड ग्रे वेयर और नॉर्दर्न ब्लैक पॉलिश्ड वेयर कल्चर था। जिससे जाहिर है, यहां 3500 साल पूर्व भी मानव सभ्यता मौजूद थी। इतिहास के जानकार एवं राजकीय म्यूजियम के अध्यक्ष दीपक कुमार बताते हैं कि अब तक कहीं भी इससे बड़े और पुराने घड़े होने का सुबूत नहीं मिलता है। काफी शोध के बाद ही इसकी उम्र का आंकलन हो सका था। यह करीब दो हजार साल पहले कुषाण वंश के दौरान 78 ई. से 230 ई. के बीच का है। तब गंगा शहर के करीब गुजरती थीं। तब इसी तरह के घड़ों में पानी सहेजने की परंपरा थी।
कन्नौज में पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय से पुरातत्व विभाग की खुदाई में कई नायाब चीजें सामने आई हैं। फिर चाहे टेराकोटा की मूर्तियां हों या एक हजार वर्ष से भी ज्यादा पुरानी मुद्राएं। भगवान शिव की कई अलग-अलग मुद्राओं की प्राचीन मूर्तियां भी यहां से निकलती रही हैं। यहां अलग-अलग सदी के शिलालेख, मूर्तियां, सिक्के, बर्तन, पत्थर भी निकलते रहे हैं। हिन्दु, जैन और बौद्ध धर्म से जुड़ी कई विरासत यहां सहेज कर रखी गई हैं। सभी की उम्र का आकलन कार्बन डेटिंग और थर्मोल्यूमिनिसेंस विधि से किया जा चुका है।

'संविधान' का रक्षक इंडिया समूह, भक्षक भाजपा

'संविधान' का रक्षक इंडिया समूह, भक्षक भाजपा  संदीप मिश्र  शाहजहांपुर। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा कि मौजूदा...