गुरुवार, 1 दिसंबर 2022

48,500 साल पुराना 'जोंबी' वायरस जिंदा मिला

48,500 साल पुराना 'जोंबी' वायरस जिंदा मिला

अखिलेश पांडेय 

पेरिस। जलवायु परिवर्तन लंबे समय से मानव जीवन के हर पहलू के लिए खतरा बन चुका है। ये एक ऐसी चुनौती है कि अगर इस पर गौर नहीं किया गया तो मानव जीवन पर संकट आ सकता है, और अब खतरे की घंटी बज चुकी है। साइबेरिया में पिघलती बर्फ ने बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। ऐसा फ्रांसीसी शोधकर्ताओं ने दावा किया है। दरअसल, फ्रांस के वैज्ञानिकों ने रूस में जमी हुई झील के नीचे दबे 48,500 साल पुराने जोंबी वायरस को जिंदा करने का दावा किया है, और अब इससे होने वाली महामारी की आशंका भी जताई है। इस शोध के बाद से वैज्ञानिकों के रातों की नींद उड़ी हुई है।

बर्फ में दबे 13 नए खतरनाक रोगाणु निकले

अब तक के मिली जानकारी के मुताबिक साइबेरिया क्षेत्रों में परमाफ्रॉस्ट के नीचे से एकत्रित नमूनों की जांच की, उन्होंने इसमें से 13 नए रोगाणुओं को ढूंढ निकाला है। वैज्ञानिकों ने इसे जोंबी वायरस का नाम दिया है। उन्होंने बताया कि बर्फीली जमीन में कई हजार सालों तक रहने के बावजूद वो संक्रामक बन रहे हैं। इस प्राचीन अज्ञात वायरस के जिंदा होने के कारण पौधे पशु और मानव के मामले में स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो सकती है। अध्ययन में सामने आए 13 वायरसो से खतरा है.इन सभी वायरस का अपना जीनोम है।

सबसे पुराने जोंबी वायरस का नाम पैंडोरावायरस येडोमा दिया गया

रिपोर्ट के मुताबिक यूरोपीय शोधकर्ताओं को रूस के साइबेरिया में शोध आधारित खोजबीन के दौरान इन वायरसों का पता चला है, उन्होंने इस विषाणु को विशेष उद्देश्य के लिए पुनर्जीवित कर इन्हें तेरा अलग-अलग रोगाणु श्रेणियों में बांटा है। सभी को जोंबी वायरस नाम दिया गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक शोधकर्ताओं ने बताया कि यह वायरस सालों से बर्फ में जमे पड़े थे, इसके बावजूद इन में संक्रमण फैलाने की क्षमता बरकरार है। इन वायरसों में से सबसे पुराने जोंबी वायरस को पैंडोरावायरस येडोमा नाम दिया गया है। रोगाणु प्रजाति के इस प्राचीन सदस्य ने उम्र के मामले में और एक अन्य खतरनाक रोगाणु का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है। साल 2013 में मिले उस वायरस की उम्र 30 हजार साल बताई गई थी। लेकिन पैंडोरावायरस येडोमा उससे 18 हजार 500 साल से भी ज्यादा बड़ा है।

बढ़ सकता है कोरोना वायरस का खतरा

वैज्ञानिकों के मुताबिक सभी जोंबी वायरस के अधिक संक्रामक होने की क्षमता है, इसलिए यह लोगों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि भविष्य में कोरोना वायरस महामारी अधिक आम हो जाएगी। क्योंकि परमाफ्रॉस्ट पिघलने से माइक्रोबियल कैप्टन अमेरिका जैसे लंबे समय तक निष्क्रिय रहने वाले वायरस निकलते हैं।

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