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गुरुवार, 9 सितंबर 2021

संयुक्त राष्ट्र के साथ भारत के जुड़ाव का एक पहलू

एल्बनि/ नई दिल्ली। विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र की निर्णय लेने वाली संरचनाएं आज की दुनिया को प्रतिबिंबित नहीं करती हैं और वैश्विक संगठन की आवाज कमजोर कर रही हैं। उन्होंने खेद जताया है कि चुनिंदा देश सुधार प्रक्रिया को विफल कर रहे हैं और सुधार के लिए केवल जुमलेबाजी करते हैं।
आधिकारिक यात्रा पर आईं लेखी ने कहा कि सुरक्षा परिषद के सुधार संयुक्त राष्ट्र के साथ भारत के जुड़ाव का एक प्रमुख पहलू है। उन्होंने कहा कि जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल महासभा को बताया था “संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में, प्रक्रियाओं में और किरदार में सुधार का समय आ गया है। उन्होंने बताया कि साधारण तथ्य यह है कि संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 75 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन इसके निर्णय लेने वाली संरचनाएं, विशेष रूप से सुरक्षा परिषद, अब भी 1945 के काल में अटकी हैं और आज की दुनिया को प्रतिबिंबित नहीं करती हैं।

लेखी ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा परिषद को अधिक विश्वसनीय बनने के लिए आज की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करना होगा। उन्होंने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि अफसोस की बात है कि सुधार प्रक्रिया को कुछ मुट्ठी भर देश विफल कर रहे हैं जो सुधार के लिए केवल जुमलेबाजी करते हैं।
सुरक्षा परिषद के सुधारों का विरोध करके, वे वास्तव में बहुपक्षवाद को नुकसान पहुंचा रहे हैं।” 
“चूंकि सदस्य राष्ट्रों के बीच सुधारों के लिए भारी समर्थन है, इसलिए हम उनके साथ काम करेंगे ताकि यह देखा जा सके कि सुधारों को कैसे आगे बढ़ाया जाए।
मैंने इसे अपनी बैठक में उप महासचिव के साथ भी उठाया था।” वर्तमान में सुरक्षा परिषद में दो साल के लिए एक अस्थायी सदस्य के रूप में भारत का कार्यकाल इस साल जनवरी में शुरू हुआ था। वह पिछले महीने 15-राष्ट्रों की परिषद का अध्यक्ष था।

अफगानिस्तान को लेकर देश-दुनिया की चर्चाएं बढ़ीं

नई दिल्ली/ काबूल। अफगानिस्तान की सरकार को लेकर देश-दुनिया की चर्चाएं बढ़ गई हैं। क्योंकि अब अफगानिस्तान की जमीन पर तालिबान कोई भी ऐसी हरकत कर सकता है। जो सारे देशों के लिए खतरनाक हाे सकता है। सभी देश चाह रहे हैं कि अब वहां का इस्तेमान आतंकवाद के लिए ना हो।
दिल्ली में रूसी सुरक्षा परिषद के प्रमुख निकोलाई पेत्रूशेव और भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बीच हुई बैठक में भारत और रूस का मानना है कि अफगानिस्तान में सक्रिय विदेशी आतंकवादी समूह मध्य एशिया और भारत के लिए खतरा हैं। भारत सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि भारत और रूस दोनों अफगानिस्तान के घटनाक्रम से बहुत चिंतित हैं।
वादों पर कायम रहे तालिबान दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि तालिबान को अपने वादों पर कायम रहना चाहिए, जिसमें महिलाओं के लिए बुनियादी मानवाधिकारों का सम्मान और आतंकवादी समूहों द्वारा अपने क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करने देना शामिल है।

अस्पताल में आग लगने से 14 लोगों की मौंत हुईं

स्कोप्जे। उत्तरी मेसिडोनिया के पश्चिमोत्तर शहर टेटोवो में स्थित एक कोविड-19 अस्पताल में भीषण आग लगने से कम से कम 14 लोगों की मौत हो गयी।
अल्साट न्यूज चैनल के मुताबिक आग को काबू में करने के लिए 30 दमकलकर्मियों तथा सात वाहनों का इस्तेमाल किया। वहीं स्वास्थ्य मंत्री वेंको फिलिप्स ने बताया कि आग को बुझा दिया गया है तथा इस हादसे में जख्मी हुए लोगों को बेहतर उपचार के देश की राजधानी स्कोप्जे भेजा गया है।

बुधवार, 8 सितंबर 2021

ताइवान की हवाई सीमा में भेजें 19 लड़ाकू विमान

बीजिंग/ ताइपे। दक्षिण चीन सागर पर कब्‍जे के मंसूबे देख रही चीन की सेना ने रविवार को एक साथ 19 लड़ाकू विमान ताइवान की हवाई सीमा में भेजे। इनमें कई ऐसे बॉम्‍बर थे जो परमाणु बम गिराने में भी सक्षम हैं। चीन की इस आक्रामक कार्रवाई के बाद ताइवान की वायुसेना ने जवाबी कार्रवाई की और अपने फाइटर जेट दौड़ाए। 
माना जा रहा है कि चीन ने इतने विमान एकसाथ भेजकर ताइवान को डराने का प्रयास किया है।
इससे पहले 15 जून को 28 चीनी विमानों ने ताइवानी हवाई सीमा का उल्‍लंघन किया था। चीनी मिशन में 10 जे-16 और चार सुखोई-30 विमान शामिल थे। इसके अलावा 4 परमाणु बम गिराने में सक्षम H-6 बॉम्‍बर भी ताइवान के करीबी पहुंचे थे। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि चीन ने एक एंटी सबमरीन विमान को भी भेजा था। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया कि चीनी विमानों को भगाने के लिए ताइवान ने भी अपने विमान भेजे और मिसाइल सिस्‍टम को भी तैनात किया गया।

सरकार के गठन होने पर अब्दुल्ला ने बयान दिया

काबूल। अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार के गठन होने पर फारुख अब्दुल्ला ने एक विवादित बयान दिया है। फारुख अब्दुल्ला ने कहा है कि तालिबान इस्लामिक उसूलों के आधार पर अच्छी तरह से सरकार चलाएगा। बड़ी बात ये है कि धर्मनिरपेक्ष देशों के नेता फारुख अब्दुल्ला इस्लामिक उसूलों के सरकार की तरफदारी कर रहे हैं।
मीडिया से बात करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य डॉ फारुख अब्दुल्ला ने कहा, “अफगानिस्तान एक अलग मुल्क है। उन्हें अब मुल्क को संभालना है। मैं यही उम्मीद करुंगा कि वे हर एक के साथ इंसाफ करेंगे और एक अच्छी हुकुमत चलाएंगे। इस्लामिक उसूलों पर एक अच्छी सरकार चलाएंगे। उन्हें कोशिश करनी चाहिए कि हर मुल्क के साथ अच्छे संबंध बनाएं।
तालिबान नेता मुल्ला हसन अखुंद नई अफगान सरकार का नेतृत्व करेगा।
तालिबान ने मंगलवार को घोषणा की कि मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद अफगानिस्तान की नई सरकार का नेता होगा। यह फैसला राजधानी काबुल समेत अफगानिस्तान के अधिकांश हिस्सों पर चरमपंथी इस्लामी समूह के कब्जे के दो सप्ताह बाद आया है। अखुंद इस समय तालिबान के निर्णय लेने वाले शक्तिशाली निकाय रहबरी शूरा या नेतृत्व परिषद का प्रमुख है। वह तालिबान के जन्मस्थान कंधार से ताल्लुक रखता है और सशस्त्र आंदोलन के संस्थापकों में से एक है।

तालिबान के साथ चीन की 'वास्तविक समस्या' हैं

वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार को कहा कि चीन, पाकिस्तान, रूस और ईरान यह समझ नहीं पा रहे हैं कि तालिबान के साथ उन्हें क्या करना है ? तालिबान के अपनी अंतरिम सरकार के ब्योरे की घोषणा के कुछ समय बाद बाइडन ने संवाददाताओं से कहा कि तालिबान के साथ चीन की ”वास्तविक समस्या” है।
बाइडन ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ”चीन को तालिबान के साथ वास्तविक समस्या है। मुझे यकीन है कि वे तालिबान के साथ कुछ हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा ही पाकिस्तान, रूस, ईरान भी कर रहे हैं।” तालिबान द्वारा काबुल में अपनी नयी अंतरिम सरकार के गठन की घोषणा पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ”वे सभी (चीन, पाकिस्तान, रूस और ईरान) समझ नहीं पा रहे हैं कि अब वे क्या करें। तो देखते हैं कि आगे क्या होता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या होता है।”
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत रह चुकीं निक्की हेली ने एक ऑनलाइन याचिका शुरू की जिसमें अमेरिका की सरकार से अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता नहीं देने का अनुरोध किया गया है। हेली ने कहा, ” यह कहना जरूरी है कि इस प्रशासन के तहत अमेरिका को तालिबान को अफगानिस्तान की वैध सरकार के रूप में मान्यता नहीं देनी चाहिए।
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि तालिबान के नियंत्रण में अफगानिस्तान का नया गृह मंत्री एफबीआई की वांछित सूची में शामिल एक आतंकवादी है। गौरतलब है कि तालिबान ने मंगलवार को मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद के नेतृत्व वाली एक अंतरिम सरकार की घोषणा की, जिसमें प्रमुख पदों पर विद्रोही समूह के कई कट्टर सदस्यों को नियुक्त किया जाना है। इसमें गृह मंत्री के रूप में सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम भी शामिल है, जो आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क से ताल्लुक रखता है और उसका नाम वैश्विक आतंकवादियों की सूची में शामिल है।

इंडोनेशिया: जेल में आग लगने से 41 कैदियों की मौंत

जकार्ता। इंडोनेशिया की राजधानी के निकट बुधवार तड़के एक जेल में आग लगने से कम से कम 41 कैदियों की मौत हो गई, वहीं 39 अन्य झुलस गए। न्याय मंत्रालय के सुधार विभाग के प्रवक्ता रिका अपरिआंती ने कहा कि यह आग राजधानी के बाहरी इलाके में स्थित तांगेरांग जेल के ‘सी’ ब्लॉक में लगी। इस जेल में मादक पदार्थों की तस्करी से जुड़े अपराधियों को रखा जाता है। अधिकारी आग लगने के कारणों की जांच कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इस जेल की क्षमता 1225 कैदियों को रखने की है लेकिन यहां दो हजार से अधिक कैदियों को रखा गया था। आग लगने के वक्त जेल के ‘सी’ ब्लॉक में 122 कैदी थे। बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों और सैनिकों को आग बुझाने के काम में लगाया गया। प्रवक्ता ने बताया कि कई घंटों की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका और सभी कैदियों को अस्पताल पहुंचाया गया।

सिराजुद्दीन को अफगानिस्तान का गृहमंत्री बनाया

काबुल। जो मोस्ट वांटेड आतंकवादी है, जिसके सिर पर अमेरिका ने इनाम घोषित कर रखा है तालिबान ने अब उसी सिराजुद्दीन हक्कानी को अफगानिस्तान का नया गृहमंत्री बना दिया है। मंगलवार को तालिबान ने अफगानिस्तान में अपनी केयरटेकर सरकार बना ली। इस सरकार में सिराजुद्दीन हक्कानी को गृहमंत्री बनाया गया है। सिराजुद्दीन हक्कानी का नाता पाकिस्तान के नॉर्थ वजीरिस्तान इलाके से है। खूंखार आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क को चलाने वाले सिराजुद्दीन हक्कानी के बारे में कहा जाता है कि वो नॉर्थ वजीरिस्तान के मिराम शाह इलाके में रहता है। हक्कानी नेटवर्क के इस शीर्ष आतंकवादी का नाम एफबीआई की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में अभी भी शामिल है। सिराजुद्दीन हक्कानी के कारनामों की लिस्ट भी काफी बड़ी है।
अफगानिस्तान के नए गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी का नाम वैश्विक स्तर के आतंकवादियों की सूची में है। खास बात यह भी है कि अमेरिका ने उसके बारे में सूचना पर 50 लाख डॉलर का इनाम घोषित कर रखा है। अमेरिका सिराजुद्दीन हक्कानी को अपना बड़ा दुश्मन मानता है। साल 2008 में जनवरी के महीने में काबुल में एक होटल पर हुए हमले का आरोप सिराजुद्दीन के सिर पर है। इस हमले में छह लोग मारे गये थे, जिसमें अमेरिकी भी शामिल थे। यूनाइटेड स्टेट के खिलाफ अफगानिस्तान में क्रॉस बॉर्डर अटैक में भी सिराजुद्दीन का हाथ माना जाता रहा है। इसके अलावा साल 2008 में अफगानी राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या की साजिश रचने में भी इस खूंखार आतंकी का नाम सामने आया था।

मंगलवार, 7 सितंबर 2021

उड़ान: तालिबान के साथ काम कर रहा अमेरिका

वाशिंगटन डीसी। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि उनका विभाग काबुल से अतिरिक्त चार्टर उड़ानों की व्यवस्था के लिए तालिबान के साथ काम कर रहा है। ताकि वे लोग अफगानिस्तान से निकल सकें जो अमेरिका की सैन्य वापसी के बाद देश छोड़ना चाह रहे हैं। ब्लिंकन मंगलवार को कतर के शीर्ष राजनयिकों और रक्षा अधिकारियों के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की राजधानी से अतिरिक्त चार्टर उड़ानों के बंदोबस्त के लिए अमेरिका पिछले कुछ समय से तालिबान के साथ संपर्क में है। विदेश मंत्री ने कहा कि तालिबान ने उन सभी लोगों को सुरक्षित निकासी का आश्वासन दिया है जो उचित यात्रा दस्तावेजों के साथ अफगानिस्तान से निकलना चाह रहे हैं। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में अब भी करीब 100 अमेरिकी नागरिक जहां-तहां हैं जो वहां से निकलना चाहते हैं।

सरकार ने इलाके में कोई शिविर स्थापित नहीं किया

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख रशीद अहमद ने कहा है कि अफगानिस्तान से भागने की कोशिश कर रहे अफगान शरणार्थियों को आश्रय देने के लिए उनका देश कोई नया शिविर स्थापित नहीं कर रहा है। ‘बिजनेस रिकॉर्डर’ की खबर के अनुसार, रशीद ने कहा कि सीमा पर कोई अफगान शरणार्थी नहीं है और सरकार ने उस इलाके में कोई शिविर स्थापित नहीं किया है।

रशीद ने रविवार को तोरखम सीमा का दौरा किया था जहां उन्होंने यह बयान दिया। देश में पहले से ही लगभग तीस लाख अफगान शरणार्थी हैं और ऐसी खबरें आ रही थीं कि सीमा पर लोग एकत्र होकर पाकिस्तान में घुसने का प्रयास कर रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, पाकिस्तान में रह रहे शरणार्थियों में से लगभग आधे लोग अवैध रूप से रह रहे हैं क्योंकि उन्हें अपना पंजीकरण नहीं करवाया है।

सरकार के गठन की घोषणा की तैयारियां पूरी की

काबुल। तालिबान ने कहा कि अफगानिस्तान में नयी सरकार के गठन की घोषणा की तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। तालिबान के प्रवक्ता अहमदुल्ला मुत्ताकी ने यह जानकारी दी। उसने ट्विटर पर लिखा, “इस्लामी सरकार की घोषणा की तैयारी पूरी हो चुकी है। जल्द ही सरकार गठन की घोषणा की जायेगी।” 
इससे पहले, तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा था कि कुछ तकनीकी मुद्दों को छोड़कर अफगानिस्तान में सरकार के गठन पर निर्णय लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

भारत के कप्पाड तट पर केरल पहुँचा था वास्को

नई दिल्ली/ वाशिंगटन डीसी। वास्को दी गामा को भारत की खोज करने का श्रेय देते हुए इतिहासकार उसके गुणगान करते दिखेंगे। उस काल में जब यूरोप से भारत के मध्य व्यापार केवल अरब के माध्यम से होता था। उस पर अरबवासियों का प्रभुत्व था। भारतीय मसालों और रेशम आदि की यूरोप में विशेष मांग थी। पुर्तगालवासी वास्को दी गामा समुद्र के रास्ते अफ्रीका महाद्वीप का चक्कर लगाते हुए भारत के कप्पाड तट पर 14, मई, 1498 कालीकट, केरल पहुँचा था। केरल का यह प्रदेश समुद्री व्यापार का प्रमुख केंद्र था। स्थानीय निवासी समुद्र तट पर एकत्र होकर गामा के जहाज को देखने आये क्यूंकि गामा के जहाज की रचना अरबी जहाजों से अलग थी

केरल के उस प्रदेश में शाही जमोरियन राजपरिवार के राजा समुद्रीन का राज्य था। राजा अपने बड़े से शाही राजमहल में रहता था। गामा अपने साथियों के साथ राजा के दर्शन करने गया। रास्ते में एक हिन्दू मंदिर को चर्च समझ कर गामा और उसके साथी पूजा करने चले गए। वहां स्थित देवीमूर्ति को उन्होंने मरियम की मूर्ति समझा और पुजारियों के मुख से श्री कृष्ण के नाम को सुनकर उसे क्राइस्ट का अपभ्रंश समझा। गामा ने यह सोचा कि लम्बे समय तक यूरोप से दूर रहने के कारण यहाँ के ईसाईयों ने कुछ स्थानीय रीति रिवाज अपना लिए है। इसलिए ये लोग यूरोप के ईसाईयों से कुछ भिन्न मान्यताओं वाले है। गामा की सोच उसके ईसाईयत के प्रति पूर्वाग्रह से हमें परिचित करवाती है। राजमहल में गामा का भव्य स्वागत हुआ। उसे 3000 सशस्त्र नायर सैनिकों की टुकड़ी ने अभिवादन दिया। गामा को तब तक विदेशी राजा के राजदूत के रूप में सम्मान मिल रहा था। सलामी के पश्चात गामा को राजा के समक्ष पेश किया गया। जमोरियन राजा हरे रंग के सिंहासन पर विराजमान था। उनके गले में रतनजड़ित हीरे का हार एवं अन्य जवाहरात थे। जो उनकी प्रतिष्ठा को प्रदर्शित करते थे। गामा द्वारा लाये गए उपहार अत्यंत तुच्छ थे। राजा उनसे प्रसन्न नहीं हुआ। फिर भी उसने सोने, हीरे आदि के बदले मसालों के व्यापार की अनुमति दे दी।

स्थानीय अरबी व्यापारी राजा के इस अनुमति देने के विरोध में थे। क्यूंकि उनका इससे व्यापार पर एकाधिकार समाप्त हो जाता। गामा अपने जहाज़ से वापिस लौट गया। उसकी इस यात्रा में उसके अनेक समुद्री साथी काल के ग्रास बन गए। उसका पुर्तगाल वापिस पहुंचने पर भव्य स्वागत हुआ। उसने यूरोप और भारत के मध्य समुद्री रास्ते की खोज जो कर ली थी। आधुनिक लेखक उसे भारत की खोज करने वाला लिखते है। भारत तो पहले से ही समृद्ध व्यापारी देश के रूप में संसार भर में प्रसिद्द था। इसलिए यह कथन यूरोपियन लेखक की पक्षपाती मानसिकता को प्रदर्शित करता है।

पुर्तगाल ने अगली समुद्री यात्रा की तैयारी आरम्भ कर दी। इस बार लड़ाकू तोपों से सुसज्जित 13 जहाजों और 1200 सिपाहियों का बड़ा भारत के लिए निकला। कुछ महीनों की यात्रा के पश्चात यह बेड़ा केरल पहुंचा। कालीकट आते ही पुर्तगालियों ने राजा के समक्ष एक नाजायज़ शर्त रख दी कि राजा केवल पुर्तगालियों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध रखेंगे। अरबों के साथ किसी भी प्रकार का व्यापार नहीं करेंगे। राजा ने इस शर्त को मानने से इंकार कर दिया। झुंझला कर पुर्तगालियों ने खाड़ी में खड़े एक अरबी जहाज को बंधक बना लिया।

अरबी व्यापारियों ने भी पुर्तगालियों की शहर में रुकी टुकड़ी पर हमला बोल दिया। पुर्तगालियों ने बल प्रयोग करते हुए दस अरबी जहाजों को बंधक बना कर उनमें आग लगा दी। इन जहाजों पर काम करने वाले नाविक जिन्दा जल कर मर गए। पुर्तगालियों यहाँ तक नहीं रुके। उन्होंने कालीकट पर अपनी समुद्री तोपों से बमबारी आरम्भ कर दी। यह बमबारी दो दिनों तक चलती रही। कालीकट के राजा को अपना महल छोड़ना पड़ा। यह उनके लिया अत्यंत अपमानजनक था। पुर्तगाली अपने जहाजों को मसालों से भरकर वापिस लौट गए। यह उनका हिन्द महासागर में अपना वर्चस्व स्थापित करने का पहला अभियान था।

गामा को एक अत्याचारी एवं लालची समुद्री लुटेरे के रूप में अपनी पहचान स्थापित करनी थी। इसलिए वह एक बार फिर से आया। इस बार अगले तीन दिनों तक पुर्तगाली अपने जहाजों से कालीकट पर बमबारी करते रहे। खाड़ी में खड़े सभी जहाजों और उनके 800 नाविकों को पुर्तगाली सेना ने बंधक बना लिया। उन बंधकों की पहले जहाजों पर परेड करवाई गई। फिर उनके नाक-कान, बाहें काटकर उन्हें तड़पा तड़पा कर मारा गया। अंत में उनके क्षत-विक्षत शरीरों को नौकाओं में डालकर तट पर भेज दिया गया।

ज़मोरियन राजा ने एक ब्राह्मण संदेशवाहक को उसके दो बेटों और भतीजे के साथ सन्धि के लिए भेजा गया। गामा ने उस संदेशवाहक के अंग भंग कर, अपमानित कर उसे राजा के पास वापिस भेज दिया। और उसके बेटों और भतीजे को फांसी से लटका दिया। पुर्तगालियों का यह अत्याचार केवल कालीकट तक नहीं रुका। वे पश्चिमी घाट के अनेक समुद्री व्यापार केंद्रों पर अपना कहर बरपाते हुए गोवा तक चले गए। गोवा में उन्होंने अपना शासन स्थापित किया। यहाँ उनके अत्याचार की एक अलग दास्तान फ्रांसिस ज़ेवियर नामक एक ईसाई पादरी ने लिखी।

पुर्तगालियों का यह अत्याचार केवल लालच के लिए नहीं था। इसका एक कारण उनका अपने आपको श्रेष्ठ सिद्ध करना भी था। इस मानसिकता के पीछे उनका ईसाई और भारतीयों का गैर ईसाई होना भी एक कारण था। इतिहासकार कुछ भी लिखे मगर सत्य यह है कि वास्को दी गामा एक नाविक के भेष में दुर्दांत, अत्याचारी, ईसाई लुटेरा था। खेद है वास्को डी गामा के विषय में स्पष्ट जानकारी होते हुए भी हमारे देश के साम्यवादी इतिहासकार उसका गुणगान कर उसे महान बनाने पर तुले हुए है। इतिहास का यह विकृतिकरण हमें संभवत विश्व के किसी अन्य देश में नहीं मिलेगा। 

जेल की सुरक्षा में सेंध लगाते हुए 6 फलस्तीनी भागें

अकांशु उपाध्याय       

नई दिल्ली/जेरूसलम। सुरक्षित मानी जाने वाली इजराइल की जेल की सुरक्षा में सेंध लगाते हुए 6 फलस्तीनी कैदी भाग निकले हैं। इजराइल जेल सेवा के एक अधिकारी ने 6 कैदियों के फरार हो जाने की घटना को बड़ी सुरक्षा और खुफिया चूक बताया है। जेल से 6 कैदियों के फरार हो जाने से अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। कैदियों की तलाश में देशभर के विभिन्न स्थानों पर नाकेबंदी करते हुए उन्हें दबोचने के प्रयास किए जा रहे हैं। इजराइल की अति सुरक्षित माने जाने वाली गिलबोआ जेल की सुरक्षा में सेंध लगाते हुए 6 फलस्तीनी कैदी भाग निकले हैं। जेल के स्टाफ को कैदियों के भागने की इस वारदात का उस समय पता चला जब रोजाना की तरह कैदियों की गिनती की गई और उसमें 6 लोग लापता पाए गए। माना जा रहा है कि जेल की सुरक्षा में सेंध लगाकर फरार हुए फलस्तीनी कैदियों ने अपने बाथरूम के फर्श से होते हुए एक सुरंग खोदी जो जेल के बाहर सडक पर जाकर निकली। 

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही कुछ तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से दिखाई दे रहा है कि इजरायली अधिकारी जेल की एक सिंक के नीचे एक छोटे से छेद और जेल की दीवारों से सटी हुई धूल भरी सड़क पर दूसरे छेद की जांच कर रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि फलस्तीनी कैदियों ने किसी तरह जेल के बाहर के लोगों से संपर्क कर लिया था। किसी तरह उन्होंने जेल में मोबाइल प्राप्त कर लिया और भागने में उसका इस्तेमाल किया। जेल में सेंधमारी करते हुए बाहर आने के बाद कैदियों ने फोन करके तुरंत कार बुला ली। इजराइल की अति सुरक्षित मानी जाने वाली जेल से 6 फलस्तीनी कैदियों के फरार होने की घटना की तुलना हॉलीवुड की किसी थ्रिलर फिल्म से की जा रही है। अब इजराइली अधिकारी रातों-रात जेल में सेंधमारी करके भागने वाले आधा दर्जन फलस्तीनी कैदियों को दबोचने के लिए देश भर में बड़े स्तर पर नाकेबंदी करते हुए तलाशी अभियान चला रहे हैं। उधर बताया जा रहा है कि अधिकारियों द्वारा किसानों से की गई बातचीत में पता चला है कि उन्होंने समीप के खेतों में ही कुछ संदिग्ध लोगों को देखा है। बहरहाल मामला कुछ भी रहा हो लेकिन इजराइल की सुरक्षित जेल से 6 कैदियों ने फरार होकर इस बात को साबित कर दिया है कि समूचे विश्वभर में कोई भी जेल सुरक्षित नहीं है। उधर फलीस्तीनी चरमपंथी गुटों ने 6 कैदियों के जेल में सेंधमारी कर के भागने को जांबाजी भरा कदम बताया है। 

महिलाओं को तितर करने के लिए चलाईं गोलियां

नई दिल्ली/ काबुल। अफगानिस्तान में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के विरोध में नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन कर रही महिलाओं को तितर-बितर करने के लिए तालिबान की ओर से गोलियां चलाई गई है। जिससे मौके पर तनाव के हालात पैदा हो गए हैं। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान की ओर से किए गए कब्जे के बाद में आम लोग लगातार पाकिस्तान का विरोध कर रहे हैं। राजधानी काबुल की सड़कों पर लोग उतरते हुए पाकिस्तान मुर्दाबाद, आजादी और सपोर्ट पंचशीर के नारे लगा रहे हैं। विरोध प्रदर्शन करते हुए प्रदर्शनकारी लोग काबुल स्थित पाकिस्तान दूतावास तक जा पहुंचे हैं। जहां पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए जा रहे हैं। 

विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओं को तितर बितर करने के लिये तालिबान की ओर से उनके ऊपर गोलियां चलाई गई है। अफगानिस्तान में पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का विरोध करते हुए सड़क पर उतरी महिलाएं जमकर पाकिस्तान का विरोध कर रही है। प्रदर्शनकारी महिलाएं पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी करते हुए उससे अफगानिस्तान छोड़ने की मांग कर रही हैं। गौरतलब है कि पाकिस्तान पर तालिबान को सपोर्ट करने के आरोप लगते रहे हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स ने इस बात का सबूत भी पेश किया है कि कैसे पाकिस्तान अफगानिस्तान सरकार को अस्थिर करके तालिबान का सहयोग कर रही है। अफगानिस्तान और अमेरिका के साथ सालों से जारी युद्ध में पाकिस्तान एकमात्र ऐसा देश रहा है जो तालिबान का समर्थक है। तालिबान ने लगातार पाकिस्तान को अपना दूसरा घर बताया है। हाल ही पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि पाकिस्तान, तालिबान का संरक्षक रहा है और लंबे वक्त तक उनकी देखभाल की है। पाकिस्तान, तालिबान शासन को मान्यता देने वाला सबसे पहला देश हो सकता है। 

सोमवार, 6 सितंबर 2021

दावा: तालिबान ने सरकार गठन का फैसला किया

काबुल। अफगानिस्तान के सभी प्रांतों में कब्जे का दावा करने के बाद तालिबान ने जल्द ही सरकार गठन का फैसला किया है। इसके मद्देनजर संगठन ने चीन, पाकिस्तान, रूस, ईरान, कतर और तुर्की को सरकार गठन के कार्यक्रम के लिए न्योता भी भेजा है। तालिबान के इस न्योते से साफ है कि इन देशों की सरकारों ने पहले ही संगठन से संपर्क साधा है। गौरतलब है कि चीन, रूस, तुर्की और पाकिस्तान ने तो अपने दूतावासों में भी पहले की तरह काम जारी रखा है। हालांकि, भारत से तालिबान का अब तक कोई आधिकारिक संपर्क नहीं हुआ। 
एक दिन पहले ही तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने सरकार गठन को अगले सप्ताह तक स्थगित करने का एलान किया था। उसने कहा था कि तालिबान एक ऐसी सरकार बनाने के लिये संघर्ष कर रहा है जो समावेशी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्वीकार्य हो। माना जा रहा है कि तालिबान अगले कुछ दिनों में काबुल में नई सरकार के गठन की घोषणा करेगा, जिसका नेतृत्व संगठन का सह-संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर कर सकता है।

नए 'अबॉर्शन' के खिलाफ 'सेक्स स्ट्राइक' का आह्वान

वाशिंगटन डीसी। अमेरिका की फेमस एक्ट्रेस बेट्टे मिडलर ने टेक्सास के नए 'अबॉर्शन कानून' के खिलाफ 'सेक्स स्ट्राइक' का आह्वान किया है। मिडलर ने मांग की है कि सभी महिलाएं पुरुषों के साथ सेक्स से इनकार कर दें। एक्ट्रेस ने गुरुवार को माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट पर अबॉर्शन बैन और राजनेताओं की जमकर आलोचना की। अपने एक ट्वीट में सेक्स स्ट्राइक को लेकर मिडलर ने लिखा, 'मेरी सलाह है कि सभी औरतों को मर्दों के साथ सेक्स करने से इनकार कर देना चाहिए, जब तक संसद द्वारा उन्हें अबॉर्शन पर अपनी सुविधा के हिसाब से विकल्प चुनने की गांरटी नहीं दी जाती। दरअसल, टेक्सास में गर्भपात पर लाए गए कानून में भ्रूण में हार्ट बीट्स का पता चलने के बाद अबॉर्शन कराने की इजाजत नहीं दी गई है।
गर्भपात की स्वतंत्रता पर औरतों के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला यह कानून 1 सितंबर से प्रभाव में आया था। टेक्सास के गवर्नर ग्रेग एबॉड ने इसी साल मई में इस कानून पर हस्ताक्षर किए थे जिसे SB 8 के नाम से जाना जाता है। राज्य में स्थित तमाम अबॉर्शन क्लीनिक्स ने भी सुप्रीम कोर्ट से इस कानून के प्रभाव में आने से पहले ही इसे रद्द करने की गुहार लगाई थी। क्लीनिक्स के संचालकों का कहना था कि यह कानून पारित होने से टेक्सास में अबॉर्शन कराने वाले लोगों में 85 प्रतिशत तक कमी आएगी और उन्हें मजबूरन अपने क्लीनिक बंद करने पड़ेंगे। टेक्सास के अबॉर्शन प्रोवाइडर्स ने इस मामले में एक इमरजेंसी एप्लीकेशन भी दायर की थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई फैसला नहीं लिया। लिहाजा यह कानून मजबूत हो गया और आज कई महिलाओं को मुसीबत नजर आने लगा है। अबॉर्शन पर नया कानून लागू होने के बाद कुछ कंपनियां 'एंटी अबॉर्शन ग्रुप' से खुद को अलग रखने की कोशिश कर रही हैं। अमेरिकी कंपनी गो डेडी ने एक ऐलान में बताया कि उसने एक ऐसी साइट को बंद कर दिया है। जो टेक्सास में लोगों को गर्भपात करने की अनुमति दे रही थी।
ऊबर और लिफ्ट जैसी कंपनियों ने नए कानून के तहत उन ड्राइवर्स पर जुर्माने की पेशकश की है जो छह सप्ताह के बाद किसी महिला को गर्भपात के लिए ट्रांसपोर्टेशन की मदद देंगे। इस नए कानून पर अब लोग ऑनलाइन बॉट्स के माध्यम से हॉटलाइन पर अपनी राय दर्ज करवा रहे हैं, जिसे 'टेक्सास राइट टू लाइफ' ने स्थापित किया है। यहां लोग पहचान बताए बगैर अपनी राय भेज सकते हैं।

रविवार, 5 सितंबर 2021

भारत-यूएसए के पारस्परिक हित के मुद्दों पर चर्चा

वाशिंगटन डीसी। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने शस्त्र नियंत्रण मामलों की अमेरिका की उप विदेश मंत्री और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा राजदूत बोनी जेनकिंस से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने परमाणु अप्रसार, असैन्य परमाणु और अंतरिक्ष सहयोग सहित दोनों देशों के पारस्परिक हित के मुद्दों पर चर्चा की। यह बैठक श्रृंगला के तीन दिवसीय दौरे के अंतिम दिन शुक्रवार को हुई।

वाशिंगटन में अपने प्रवास के दौरान श्रृंगला ने जो. बाइडन प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन भी शामिल थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इस संबंध में ट्वीट के जरिए जानकारी दी। वहीं, जेनकिंस ने श्रृंगला से अपनी मुलाकात पर ट्वीट के जरिए खुशी व्यक्त की।

पाकिस्तान: आत्मघाती हमले में 3 लोगों की मौंत हुईं

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा में मस्तुंग रोड पर फ्रंटियर कोर (एफसी) के एक चेकपोस्ट के पास रविवार को आत्मघाती हमले में कम से कम तीन लोगों की मौत हो गयी और 20 अन्य घायल हो गये।

स्थानीय समाचारपत्र 'डॉन' ने क्वेटा के पुलिस उप महानिरीक्षक अजहर अकरम के हवाले से यह जानकारी दी। श्री अकरम ने बताया कि घायलों में से 18 सुरक्षा अधिकारी थे जबकि दो राहगीर थे। उन्होंने मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जतायी है। श्री अकरम ने बताया कि एक आत्मघाती हमलावर ने अपनी मोटरसाइकिल पर छह किलोग्राम विस्फोटक लाद कर एफसी के काफिले के एक वाहन को टक्कर मार दी। विस्फोट में दो लोगों की मौत हो गयी।

अगले सप्ताह जी7 मंत्रियों की बैठक की योजना

टोक्यो। जापान ने कहा है कि रूस और चीन की भागीदारी के साथ अगले सप्ताह जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक की योजना है। जाे अफगानिस्तान पर केंद्रित होगी। जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी ने यह जानकारी दी।
उन्होंने रविवार को एनएचके टेलीविजन को बताया कि अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा करने के लिए अगले सप्ताह जी7 देशों के विदेश मंत्रियों के स्तर पर एक बैठक की उम्मीद है। बैठक में रूस, चीन और अन्य देशों के मंत्रियों की उपस्थिति की भी उम्मीद है। उन्होंने कहा, “यह बैठक आठ सितंबर को हो सकती है। मोत्तागी ने इस तरह की बैठकों में रूसी और चीनी प्रतिनिधिमंडलों में भाग लेने के महत्व पर जोर दिया क्योंकि वे एक देश हैं, अफगानिस्तान पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
मोटेगी के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लैंकेन द्वारा ऑनलाइन आयोजित 20 से अधिक देशों के राजनयिकों द्वारा सुझाव एकत्र किए जाएंगे। जापानी विदेश मंत्री वेस याक ने कहा कि उन्हें 8 सितंबर की शुरुआत में आयोजित किया जा सकता है। तालिबान (रूस में अवैध) ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण पाने के लिए एक बड़ा अभियान शुरू किया जब संयुक्त राज्य अमेरिका ने घोषणा की कि वह देश से अपने सैन्य कर्मियों को वापस ले लेगा।
15 अगस्त को, अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी ने इस्तीफा दे दिया और देश भाग गया, और तालिबान बलों ने बिना किसी प्रतिरोध के काबुल में प्रवेश किया। प्रसिद्ध गुरिल्ला कमांडर अहमद शाह मसूद (1953-2001) के बेटे अहमद मसूद के नेतृत्व में पंजशीर प्रांत में तालिबान शासन का विरोध करने वाली विपक्षी ताकतों ने प्रतिरोध की पेशकश की।

संकट से निपटने की कोशिश करेगा 'तालिबान'

काबूल/ बीजिंग। की मदद से तालिबान अफगानिस्तान के आर्थिक संकट से निपटने की कोशिश करेगा। यह बात तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कही। उन्होंने इटली के एक न्यूजपेपर से बातचीत में कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी और देश पर कब्जे के बाद तालिबान मुख्य रूप से चीन से मिलने वाली मदद पर निर्भर रहेगा।
जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, तालिबान चीन की मदद से अफगानिस्तान के आर्थिक संकट से निकलने की कोशिश करेगा। तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद से अफगानिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है।
अफगानिस्तान को दी जा रही आर्थिक मदद भी रोक दी है। ऐसे में अब तालिबान को चीन का ही सहारा नजर आ रहा है। जबीउल्लाह ने कहा, चीन हमारा सबसे महत्वपूर्ण भागीदार है और हमारे लिए एक मौलिक और असाधारण अवसर का प्रतिनिधित्व करता है। इतना ही नहीं चीन अफगानिस्तान में निवेश और पुनर्निर्माण के लिए तैयार है।
जबीउल्लाह ने कहा, न्यू सिल्क रोड जो एक बुनियादी ढांचा पहल है, इसके जरिए चीन व्यापार मार्ग खोलकर अपना वैश्विक प्रभाव बढ़ाना चाहता है। इसे तालिबान द्वारा प्राथमिकता में रखा गया है। उन्होंने कहा, देश में कॉपर की खदानें हैं, जो चीन की मदद से दोबारा आधुनिकीकरण के बाद संचालित हो सकती हैं। चीन दुनिया भर के बाजारों के लिए हमारा पास है।
मुजाहिद ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भविष्य में महिलाओं को यूनिवर्सिटी में पढ़ने की अनुमति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि महिलाएं नर्स के रूप में, पुलिस में या मंत्रालयों में सहायक के रूप में काम करने में सक्षम होंगी। लेकिन उन्होंने इस बात से इनकार कर दिया कि महिलाओं को कैबिनेट में जगह मिलेगी।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ।
यूएस एशिया प्रोग्राम के जर्मन मार्शल फंड के सीनियर ट्रान्साटलांटिक फेलो एंड्रयू स्मॉल ने कहा कि अफगानिस्तान में चीन की भागीदारी राजनीतिक स्थिरता पर निर्भर करेगी। उन्होंने अलजजीरा से बातचीत में कहा, चीन बड़े पैमाने पर मदद नहीं करता। यह शर्तों के आधार पर सहायता प्रदान करेगा। चीन मानवीय सहायता तो प्रदान कर सकता है, लेकिन नई सरकार को आर्थिक संकट से उबारने वाला नहीं है।

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