गुरुवार, 23 मार्च 2023

जापान: शादी नहीं करना चाहती हैं 14% महिलाएं

जापान: शादी नहीं करना चाहती हैं 14% महिलाएं

अखिलेश पांडेय 

टोक्यो। महिलाएं अब शादी के बंधन में बंधने से कतराने लगी हैं। इसमें जापान की महिलाएं सबसे आगे हैं। हाल ही में जारी हुई जापान गवर्नमेंट की जेंडर रिपोर्ट 2022 के अनुसार, 30s की 25.4% और 20s की 14% महिलाएं शादी नहीं करना चाहती हैं। इस रिपोर्ट में महिलाओं के शादी न करने के पीछे की वजह को भी बताया गया है। जिसे आप यहां नीचे डिटेल में पढ़ सकते हैं। शादी से जीवन में एक नए अध्याय की शुरुआत होती है। इसमें आपकी आजादी पार्टनर के हाथों में होती है। आमतौर पर ऐसा ज्यादातर महिलाओं के साथ होता है। क्योंकि, उन पर फाइनेंशियली और सोशल प्रेशर रहता हैं। लेकिन, सेल्फ डिपेंडेंट महिलाएं इन चीजों से फ्री रहती हैं। इसलिए ज्यादातर महिलाएं आज के समय में शादी नहीं करना चुन रही हैं।

शादी के बाद औरत अपनी खुद की पहचान पूरी तरह से खो देती है। पति का नाम और काम ही उसकी पहचान बन जाती है। लेकिन आज के समय की महिलाएं बहुत महत्वाकांक्षी हैं, और वह किसी भी कीमत पर अपनी पहचान छोड़ने के लिए तैयार नहीं होती है। यही कारण है कि वह शादी के ऊपर अपने करियर को रखती हैं। शादी होने के बाद घर और नौकरी दोनों को संभालना बहुत मुश्किल हो जाता है। जिसके कारण महिलाओं को अपने सपनों को त्याग कर बच्चों के पालन-पोषण घर में बूढ़े-बुजुर्गों की सेवा करनी पड़ती है। जिसे आज के समय की महिलाएं बिल्कुल भी करना पसंद नहीं करती है।

जापान की महिलाओं के अलावा, कनाडा के लगभग आधे लोग महसूस करते हैं कि शादी जरूरी नहीं है। इसके साथ ही चिली की महिलाएं भी शादी को ज्यादा पसंद नहीं करती हैं या देर से शादी करती हैं। भारत में भी धीरे-धीरे महिलाएं शादी को लेकर उदासीन हो रही है।

सर्दी-खांसी से आराम पाने के लिए घरेलू उपचार करें 

सर्दी-खांसी से आराम पाने के लिए घरेलू उपचार करें 

सरस्वती उपाध्याय 

मौमस बदलते ही तमाम बीमारी शरीर को जकड़ लेते हीं, जिससे हम काफी परेशान रहते हैं। इन परेशानियों में सर्दी-खांसी की परेशानी भी शामिल है। सर्दी-खांसी की समस्या होने पर काफी सिरदर्द होता है। इन परेशानियों को कम करने के लिए आप तरह-तरह के घरेलू उपचार अपना सकते हैं। इन घरेलू उपचार की मदद से सर्दी-खांसी से आराम पा सकते हैं। इसके अलावा कई अन्य समस्याओं से भी राहत पा सकते हैं। आज हम इस लेख में आपको सर्दी-खांसी के लिए घरेलू उपायों के बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं सर्दी-खांसी के लिए घरेलू उपाय क्या हैं? 

अदरक की चाय का करें सेवन...

सर्दियों में खांसी की परेशानी को दूर करने के लिए आप अदरक की चाय का सेवन कर सकते हैं। अदरक की चाय पीने आपके गले को गर्माहट मिलती है, जो खांसी की परेशानी को कम कर सकता है। इसके अलावा अदरक में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सर्दी और खांसी को दूर करने में प्रभावी हो सकता है।

सर्दी खांसी होने पर अपनाएं ये उपाय...

सर्दी-खांसी की परेशानी होने पर आप कई तरह के घरेलू उपचार उपलब्ध हैं।

आइए जानते हैं कुछ असरदार घरेलू उपचार के बारे में...

हल्दी वाला दूध का करें सेवन...

सर्दी-खांसी की परेशानी को दूर करने के लिए हल्दी वाला दूध पिएं। यह गले को आराम देता है। साथ ही शरीर की इम्यून पावर को भी बूस्ट कर सकता है। अगर सर्दियों में आपकी परेशानी बढ़ जाती है तो रोजाना 1 गिलास हल्दी वाला दूध पिएं। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा। 

आंवला का करें इस्तेमाल...

आंवला स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती है। यह विटामिन सी से भरपूर होता है, जो ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर कर सकता है। इसके सेवन से सर्दी-खांसी की परेशानी को कम कर सकते हैं। 

सेब का सिरका भी कर सकते हैं इस्तेमाल...

खांसी की परेशानी होने पर सेब का सिरका आपके स्वास्थ्य के लिए काफी हेल्दी होता है। सेब का सिरका गले की खराश, सर्दी और खांसी की परेशानी कम कर सकता है। इसके लिए 1 गिलास गुनगुने पानी में सेब के सिरके को मिक्स करके पिएं। इससे आपको काफी लाभ मिलेगा। 

तुलसी है रामबाण...

खांसी होने पर तुलसी का सेवन दवा के रूप में किया जा सकता है। तुलसी के पत्तों का रस खांसी और जुकाम को कम करता है। साथ ही सर्दी के दौरान होने वाली अन्य समस्याओं को भी कम करने में तुलसी की पत्तियां फायदेमंद होती हैं। सर्दियों के दिनों में होने वाली परेशानी को कम करने के लिए आप इन घरेलू उपायों को आजमा सकते है। हालांकि, ध्यान रखें कि अगर आपकी परेशानी काफी ज्यादा बढ़ रही है तो इस स्थिति में एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

78 प्रतिशत पेशेवर कार्यालय जाना पसंद करते हैं

78 प्रतिशत पेशेवर कार्यालय जाना पसंद करते हैं

अकांशु उपाध्याय/कविता गर्ग 

नई दिल्ली/मुंबई। देश में कोविड महामारी का प्रकोप कम होने के बावजूद हाइब्रिड (घर और दफ्तर से काम की सुविधा) कार्य संस्कृति जारी है, लेकिन भारतीय पेशेवर दफ्तर जाना पसंद कर रहे हैं। एक सर्वे में कहा गया है कि 10 में से आठ यानी करीब 78 प्रतिशत पेशेवर अपने सहयोगियों के साथ मेलजोल और जुड़ाव के लिए कार्यालय जाना पसंद करते हैं। पेशेवर नेटवर्क मंच लिंक्डइन की रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल 78 प्रतिशत पेशेवरों ने कहा कि वे अपनी पसंद के अनुरूप कार्यालय जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल 86 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे एक साल पहले की तुलना में काम पर जाने के बारे में सकारात्मक महसूस करते हैं।

लिंक्डइन की यह रिपोर्ट 1,001 से अधिक 18 वर्ष की उम्र से ऊपर के भारतीय कर्मचारियों की राय पर आधारित है। यह सर्वे 28 फरवरी से छह मार्च, 2023 के बीच किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के बाद फिर से कार्यालय खुलने पर हाइब्रिड कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए गए। साथ ही यह भी सवाल उठाया गया कि कार्यालय में समय की कमी और कम दृश्यता होने से किसी के करियर पर असर पड़ेगा। लिंक्डइन की एक रिपोर्ट से पता चला है कि 63 प्रतिशत कर्मचारियों को लगता है कि दूर से काम करने से उनके करियर पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि, इतने ही प्रतिशत लोगों का मानना ​​है कि अगर वे कार्यालय में कम समय बिताते हैं तो उनके करियर वृद्धि की संभावना कम हो सकती है।

लिंक्डइन की प्रबंध संपादक नीरजिता बनर्जी ने कहा, ‘‘कार्यालय में काम करने की बात आती है, तो हम मानसिकता में बदलाव देखना शुरू कर रहे हैं। हालांकि, भारतीय पेशेवर लचीले काम के विकल्प को पसंद करते हैं, लेकिन वे कार्यालय से काम करने का भी फायदा ले रहे हैं। इससे कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने, सहयोग और ‘टीम वर्क’ में सुधार करने और नए मौके तलाशने में मदद मिलती है।’’ 

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


1. अंक-161, (वर्ष-06)

2. शुक्रवार, मार्च 24, 2023

3. शक-1944, चैत्र, कृष्ण-पक्ष, तिथि-तीज, विक्रमी सवंत-2079‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:40, सूर्यास्त: 06:23। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 15 डी.सै., अधिकतम- 24+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु  (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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संपर्क सूत्र :- +919350302745--केवल व्हाट्सएप पर संपर्क करें, 9718339011 फोन करें।

(सर्वाधिकार सुरक्षित)

मंगलवार, 21 मार्च 2023

परंपरा: 'माह-ए-रमजान' का महीना प्रारंभ, रोजे

परंपरा: 'माह-ए-रमजान' का महीना प्रारंभ, रोजे

सरस्वती उपाध्याय 

इस्लामिक कैलेंडर का 9वां महीना रमजान का पाक महीना होता है। रमजान मुसलमानों के सबसे प्रमुख त्योहारों में शामिल है। इस पूरे महीने के दौरान दुनियाभर के सभी मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं और रोजे रखते हैं। यह त्योहार 30 दिनों का होता है, जो हर साल चांद के दीदार के साथ शुरू होता है। इस दौरान सभी मुस्लिम समुदाय के लोग सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं। फिर नमाज पढ़कर सहरी खाते हैं। सहरी के बाद वे सीधे शाम को सूर्यास्त के बाद भोजन करके अपना रोजा खोलते हैं, जिसे इफ्तार कहा जाता है।

इस बार रमजान 23 मार्च से शुरू हो रहा है। इस त्योहार की खुशी के मौके पर कई लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बधाई से जुड़े संदेश भेजते हैं।

नवरात्रि का पहला दिन मां 'शैलपुत्री' को समर्पित

नवरात्रि का पहला दिन मां 'शैलपुत्री' को समर्पित

सरस्वती उपाध्याय 

नवदुर्गा सनातन धर्म में भगवती माता दुर्गा जिन्हे आदिशक्ति जगत जननी जगदम्बा भी कहा जाता है, भगवती के नौ मुख्य रूप है, जिनकी विशेष पूजा व साधना नवरात्रि के दौरान और वैसे भी विशेष रूप से करी जाती है। इन नवों/नौ दुर्गा देवियों को पापों की विनाशिनी कहा जाता है, हर देवी के अलग अलग वाहन हैं, अस्त्र शस्त्र हैं परन्तु यह सब एक हैं और सभी परम भगवती दुर्गा जी से ही प्रकट होती है।

दुर्गा सप्तशती ग्रन्थ के अन्तर्गत देवी कवच स्तोत्र में निम्नाङ्कित श्लोक में नवदुर्गा के नाम क्रमश: दिये गए हैं–

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।

तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।

सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।

उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।। 


नौ रूप...

देवी दुर्गा के नौ रूप होते हैं, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है।


शैलपुत्री...

दुर्गाजी पहले स्वरूप में 'शैलपुत्री' के नाम से जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। नवरात्र पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इनका वाहन वृषभ है, इसलिए यह देवी वृषारूढ़ा के नाम से भी जानी जाती हैं। इस देवी ने दाएँ हाथ में त्रिशूल धारण कर रखा है और बाएँ हाथ में कमल सुशोभित है। यही सती के नाम से भी जानी जाती हैं।


मंत्र...

वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्‌।

वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्‌ ॥


कहानी...

एक बार जब सती के पिता प्रजापति दक्ष ने यज्ञ किया तो इसमें सारे देवताओं को निमन्त्रित किया, पर अपने दामाद भगवान शंकर को नहीं। सती अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए विकल हो उठीं। शंकरजी ने कहा कि सारे देवताओं को निमन्त्रित किया गया है, उन्हें नहीं। ऐसे में वहाँ जाना उचित नहीं है। परन्तु सती सन्तुष्ट नहीं हुईं।

सती का प्रबल आग्रह देखकर शंकरजी ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। सती जब घर पहुँचीं तो सिर्फ माँ ने ही उन्हें स्नेह दिया। बहनों की बातों में व्यंग्य और उपहास के भाव थे। भगवान शंकर के प्रति भी तिरस्कार का भाव था। दक्ष ने भी उनके प्रति अपमानजनक वचन कहे। इससे सती को क्लेश पहुँचा। वे अपने पति का यह अपमान न सह सकीं और योगाग्नि द्वारा अपने-आप को जलाकर भस्म कर लिया।

इस दारुण दुख से व्यथित होकर शंकर भगवान ने ताण्डव करते हुये उस यज्ञ का विध्वंस करा दिया। यही सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मी और शैलपुत्री कहलाईं। शैलपुत्री का विवाह भी फिर से भगवान शंकर से हुआ। शैलपुत्री शिव की अर्द्धांगिनी बनीं। इनका महत्व और शक्ति अनन्त है।

दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ

दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। दबे पांव पहुंचे भूकंप ने धरती को हिलाते हुए पब्लिक को दहशत में ड...