शनिवार, 17 दिसंबर 2022

एससी के लिए कोई केस छोटा नहीं होता: चंद्रचूड़

एससी के लिए कोई केस छोटा नहीं होता: चंद्रचूड़ 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। कानून मंत्री किरण रिजिजू के 'सुप्रीम कोर्ट को ज़मानत याचिकाओं व निरर्थक जनहित याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए। बयान के बाद सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई केस छोटा नहीं होता। उन्होंने कहा, अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में कार्रवाई कर राहत नहीं देते तो हम यहां क्या कर रहे हैं? चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई मामला बहुत छोटा नहीं है। उन्होंने आगे कहा, अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में कार्रवाई नहीं करते हैं और राहत नहीं देते हैं तो हम यहां क्या कर रहे हैं? संयोग से केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को संसद में टिप्पणी की थी कि सुप्रीम कोर्ट को जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करनी चाहिए, बल्कि संवैधानिक मामलों की सुनवाई करनी चाहिए।

सीजेआई की टिप्पणी, जो कानून मंत्री के बयान की संभावित प्रतिक्रिया के रूप में सामने आ सकती है, एक मामले की सुनवाई के दौरान आई, जिसमें व्यक्ति को बिजली की चोरी के लिए कुल 18 साल की लगातार सजा काटने का आदेश दिया गया। आरोपी ने प्ली बार्गेनिंग स्वीकार कर ली और उसे नौ मामलों में से प्रत्येक में दो साल की सजा सुनाई गई। अधिकारियों ने माना कि सजाएं समवर्ती के बजाय लगातार चलती हैं, जिसके परिणामस्वरूप कुल 18 साल की सजा होती है। सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने जैसे ही मामला लिया, कहा, बिल्कुल चौंकाने वाला मामला। खंडपीठ ने कहा कि अपीलकर्ता पहले ही 7 साल की सजा काट चुका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा यह आदेश देने से इनकार करने के बाद अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि उसकी सजा समवर्ती रूप से चलनी चाहिए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "अगर सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना है तो हम यहां किस लिए हैं? अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और हम इस व्यक्ति की रिहाई का आदेश नहीं देते हैं तो हम यहां किस लिए हैं। तब हम संविधान के अनुच्छेद 136 का उल्लंघन कर रहे हैं।

पीठ ने सीनियर एडवोकेट और मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एस नागामुथु की सहायता मांगी, जो संयोग से अन्य मामले के लिए अदालत में थे, जिसे उन्होंने असाधारण स्थिति कहा था। नागमुथु ने हाईकोर्ट के आदेश को गलत बताते हुए कहा, यह आजीवन कारावास बन जाता है। सीजेआई का तुरंत जवाब आया, "इसलिए सुप्रीम कोर्ट की जरूरत है। सीजेआई ने कहा, जब आप यहां बैठते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के लिए कोई भी मामला छोटा नहीं होता और कोई मामला बहुत बड़ा नहीं होता। क्योंकि हम यहां अंतरात्मा की पुकार और नागरिकों की स्वतंत्रता की पुकार का जवाब देने के लिए हैं। यही यहां कारण है। यह बंद मामला नहीं हैं। जब आप यहां बैठते हैं और आधी रात को रौशनी जलाते हैं तो आपको एहसास होता है कि हर रोज कोई न कोई मामला ऐसा ही होता है।

अपीलकर्ता को राहत देते हुए पारित आदेश में पीठ ने कहा कि यह प्रतीत होता है कि छोटे नियमित मामलों में है कि न्यायशास्त्रीय और संवैधानिक दोनों दृष्टियों से पल-पल के मुद्दे सामने आते हैं। पीठ ने आदेश में कहा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अहस्तांतरणीय अधिकार है। ऐसी शिकायतों पर ध्यान देने के लिए सुप्रीम कोर्ट अपना कर्तव्य निभाता है, न अधिक और न ही कम। खंडपीठ ने आदेश में कहा, वर्तमान मामले के तथ्य एक और उदाहरण प्रदान करते हैं कि इस न्यायालय के लिए इस औचित्य का संकेत देता है कि वह जीवन के मौलिक अधिकार और प्रत्येक नागरिक में निहित व्यक्तिगत स्वतंत्रता के रक्षक के रूप में अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करे। यदि अदालत ऐसा नहीं करती हैं तो वर्तमान मामले में सामने आई प्रकृति के न्याय के गंभीर गर्भपात को जारी रहने दिया जाएगा और जिस नागरिक की स्वतंत्रता को निरस्त कर दिया गया है, उसकी आवाज पर कोई ध्यान नहीं दिया जाएगा।

पीठ ने आदेश में जोड़ा, इस अदालत का इतिहास इंगित करता है कि यह नागरिकों की शिकायतों से जुड़े प्रतीत होने वाले छोटे और नियमित मामलों में है, जो न्यायशास्त्रीय और संवैधानिक दोनों दृष्टियों से पल-पल के मुद्दे सामने आते हैं। नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए इस अदालत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 136 में सन्निहित ध्वनि संवैधानिक सिद्धांतों पर हस्तक्षेप इसलिए स्थापित किया गया। व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त अनमोल और अविच्छेद्य अधिकार है। ऐसी शिकायतों पर ध्यान देने में सुप्रीम कोर्ट सादा संवैधानिक कर्तव्य, दायित्व और कार्य करता है। इससे अधिक और कुछ नहीं कम नहीं है। पीठ ने यह आदेश देकर अपील स्वीकार कर ली कि अपीलकर्ता के खिलाफ नौ मामलों में सजा साथ-साथ चलनी चाहिए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने आदेश लिखने के बाद टिप्पणी की, "सभी ने कहा और किया, आप बिजली की चोरी के अपराध को हत्या के अपराध की सजा तक नहीं बढ़ा सकते, जबकि हाईकोर्ट को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए था।

उत्पादों की बिक्री से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा 

उत्पादों की बिक्री से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा 

नरेश राघानी 

कोटा। राजस्थान में कोटा के जिला कलक्टर ओपी बुनकर ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूह की ओर से उत्पादित हथकरघा उत्पादों की बिक्री से निश्चित रूप से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा। बुनकर ने शुक्रवार को संभाग स्तरीय अमृता हाट मेले का उद्घाटन शुक्रवार को दशहरा मैदान स्थित श्रीराम रंगमंच में किरते हुये यह बात कही। मेले में प्रदेश भर के महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा उत्कृष्ट हस्तनिर्मित उत्पादों की 110 दुकानें लगाई गई है।

जिला कलक्टर ने कहा कि महिला स्वयं सहायता समूह के उत्पाद गुणवत्ता के साथ महिला सशक्तिकरण की दिशा में बेहतर होते हैं। स्थानीय स्तर पर महिला समूह द्वारा एकता एवं मनोभाव से घरेलू उत्पादों का निर्माण किया जाता है।आज के बाजारीकरण के युग में महिला स्वयं सहायता समूह के उत्पादों का भली-भांति प्रचार-प्रसार हो तो निश्चित रूप से महिला सशक्तिकरण की दिशा में कारगर कदम होगा। बुनकर ने कोटा संभाग स्तर पर आयोजित मेले में प्रदेश भर के उत्कृष्ट विशेषताओं के उत्पादों का प्रदर्शन देखने खरीद के लिए अधिक से अधिक लोगों को आमंत्रित करने का सुझाव दिया।

उन्होंने कहा कि सभी विभागों के कार्मिक भी शनिवार, रविवार के अवकाश में अमृत आहट मेले में आएंगे। उन्होंने मेले में भ्रमण कर प्रत्येक दुकान का अवलोकन भी किया। महापौर राजीव अग्रवाल ने कहा कि महिला समूह द्वारा आवश्यकता पड़ने पर समय-समय पर उत्कृष्ट उत्पादन के माध्यम से समाज की सेवा की है।

उन्होंने इस प्रकार के मेले हर 3 माह में आयोजित करने का सुझाव दिया। अतिरिक्त आयुक्त अंबा लाल मीणा ने कहा कि नगर निगम मेला आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाएगा। उन्होंने प्लास्टिक पर प्रतिबंध को देखते हुए महिला समूह को कपड़े के थैले भी तैयार कर जागरूकता लाने का आह्वान किया। 

महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक मनोज मीणा ने बताया कि अमृता हाट मेला प्रतिवर्ष संभाग स्तर पर आयोजित किया जाता है। इस बार 110 दुकाने इस मेले में विभिन्न जिलों के महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा लगाई गई है। उन्होंने कहा कि मेले में प्रत्येक जिले के उत्कृष्ट उत्पादों का प्रदर्शन, खरीद का अवसर कोटा के नागरिकों को मिलेगा। प्रत्येक दिन 200 रूपये की खरीद पर प्रत्येक उपभोक्ता को एक कूपन दिया जाएगा जिसका सांय के समय लकी ड्रॉ निकाला जाएगा।

जिसमें प्रथम 3 उपभोक्ताओं को चांदी का सिक्का तथा 7 उपभोक्ताओं को सांत्वना पुरस्कार दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि मेले में प्रत्येक दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित होंगी जिनमें कोई भी नागरिक भाग ले सकता है।

..बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओश् अभियान की ब्रांड एंबेसडर हेमलता गांधी ने बताया कि महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित उत्पादों की डिमांड अब बाजार में बढ़ने लगी है। उन्होंने शहरी राजीविका मिशन के तहत समूह के गतिविधियों के बारे में बताया। समारोह में कुमारी नेहा पांचाल ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी।

'एकीकृत औषधि’ के लिए अलग इकाई बनाने पर कार्य 

'एकीकृत औषधि’ के लिए अलग इकाई बनाने पर कार्य 

इकबाल अंसारी 

हैदराबाद। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार सभी चिकित्सा कॉलेज और अस्पतालों में ‘‘एकीकृत औषधि’’ के लिए एक अलग इकाई बनाने पर काम कर रही है। पारंपरिक औषधि को पूरक उपचार से जोड़ने वाली पद्धति को एकीकृत औषधि कहा जाता है। मांडविया ने ‘हार्टफुलनेस’ द्वारा आयोजित ‘इंटरनेशनल इंटीग्रेटिव हेल्थ एंड वेलबीइंग’ (आईएचडब्ल्यू) कांफ्रेंस, 2022 में दिए अहम संबोधन में कहा कि सरकार ने ऐसे मंचों पर 1,50,000 स्वास्थ्य और वेलनेस केंद्र स्थापित किए हैं, जो ध्यान, योग तथा एकीकृत स्वास्थ्य से जुड़ी सभी गतिविधियिों को बढ़ावा देते हैं।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आने वाले दिनों में हम सभी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एकीकृत औषधि के लिए अलग शाखा बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। अनुसंधान को प्रोत्साहन देने के मकसद से हम सभी के लिए संस्थाओं के दरवाजे खोल रहे हैं।’’

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एकीकृत औषधि वक्त की जरूरत है और अनुसंधान सरकारी प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं रहना चाहिए। मांडविया ने कहा कि भारत ने कोविड-19 के दौरान कीमतों में वृद्धि किए बिना 150 देशों को दवाएं भेजीं। उन्होंने कहा, ‘‘संकट के समय में मानव जाति की मदद करने के कारण दुनिया भारत पर विश्वास करने लगी है।’’

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण


1. अंक-67, (वर्ष-06)

2. रविवार, दिसंबर 18, 2022

3. शक-1944, पौष, कृष्ण-पक्ष, तिथि-दसमीं, विक्रमी सवंत-2079‌‌।

4. सूर्योदय प्रातः 06:44, सूर्यास्त: 05:24। 

5. न्‍यूनतम तापमान- 11 डी.सै., अधिकतम- 19+ डी.सै.।

6. समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है। 

7.स्वामी, मुद्रक, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम व शिवांशु, (विशेष संपादक) श्रीराम व सरस्वती (सहायक संपादक) संरक्षण-अखिलेश पांडेय, ओमवीर सिंह, वीरसैन पवार, योगेश चौधरी आदि के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।

8. संपर्क व व्यवसायिक कार्यालय- चैंबर नं. 27, प्रथम तल, रामेश्वर पार्क, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102। 

9. पंजीकृत कार्यालयः 263, सरस्वती विहार लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102

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(सर्वाधिकार सुरक्षित)

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022

चुनाव के लिए बनाए गए मतदान केंद्रों का निरीक्षण 

चुनाव के लिए बनाए गए मतदान केंद्रों का निरीक्षण 

भानु प्रताप उपाध्याय 

मुजफ्फरनगर। आगामी निकाय चुनाव को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए पुलिस अभी से अपनी तैयारियों में जुटी हुई है। शुक्रवार को एसएसपी विनित जायसवाल ने शाहपुर थाना क्षेत्र में निकाय चुनाव के लिए बनाए गए मतदान केंद्रों का निरीक्षण किया। एसएसपी ने पुलिस को निरोधात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए है। एसएसपी ने चुनाव हेतु की गयी तैयारियों की समीक्षा भी की।

आगामी नगर निकाय चुनाव को जनपद में सकुशल सम्पन्न कराने व सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ रखने हेतु एसएसपी विनीत जायसवाल द्वारा पुलिस अधिकारियों के साथ थाना शाहपुर क्षेत्रान्तर्गत शाहपुर कन्या इंटर कॉलेज स्थित मतदान केन्द्र का निरीक्षण किया गया। इस दौरान थानाध्यक्ष शाहपुर कर्मवीर सिंह व अन्य पुलिस अधिकारी मौजूद रहे। एसएसपी ने मतदान केन्द्र पर पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेेते हुए अपराधियों व हिस्ट्रीशीटर पर कार्रवाई के निर्देश दिए। निकाय चुनाव को लेकर पुलिस लगातार तैयारियों में जुटी हुई है।

कमजोर वर्गों के बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित, निर्देश

कमजोर वर्गों के बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित, निर्देश

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार को निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में समाज के कमजोर वर्गों के बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि यह इसके लिए उपयुक्त समय है, कि न्यायपालिका लोगों द्वारा उससे सम्पर्क करने का इंतजार किये बिना उन तक पहुंच बनाएं।

अदालत ने कहा कि इन बच्चों को शिक्षा के अपने मौलिक अधिकार का लाभ उठाने के लिए अदालत का रुख करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। अदालत ने कहा कि संबंधित सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूल यह सुनिश्चित करेंगे कि शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम में परिभाषित "कमजोर वर्गों" से संबंधित और शिक्षा निदेशालय (डीओई) द्वारा किसी शैक्षणिक सत्र में प्रवेश के लिए अनुशंसित किसी भी छात्र को प्रवेश से वंचित नहीं किया जाए या उनसे ऐसा व्यवहार नहीं किया जाए जो उनके लिए अप्रिय हो।

कई स्कूलों द्वारा प्रवेश से वंचित किए गए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) से संबंधित बच्चों की ओर से पेश वकील ने बताया कि यहां तक कि चयनित छात्रों और उनके माता-पिता के लिए स्कूल के गेट बंद कर दिए गए। न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने अपने फैसले में कहा, ‘‘कोई भी छोटे बच्चों और उनके माता-पिता द्वारा सामना किए गए अपमान की कल्पना कर सकता है।

यह अदालत, संविधान के संरक्षक के रूप में, शिक्षा प्रदान करने की महान सेवा में संलग्न संस्थाओं द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन पर मूकदर्शक नहीं बनी रह सकती।’’ अदालत ने कहा कि इन याचिकाओं से यह पता चलता है कि आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के साथ-साथ डीओई द्वारा जारी निर्देशों या परिपत्रों का उल्लंघन किया जा रहा है। अदालत ने कहा, ‘‘इन बच्चों ने और कोई अपराध नहीं किया है, सिवाय इसके कि वे गरीबी में पैदा हुए हैं। इस अदालत की अंतरात्मा पर गरीब बच्चों और उनके माता-पिता के कष्टों का भार है। स्थिति भयावह और पीड़ादायक है। यह न्याय का उपहास और सरकार द्वारा अपने कर्तव्यों के निर्वहन में पूरी तरह से विफलता है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘पूर्वोक्त विश्लेषण के साथ-साथ प्राथमिक शिक्षा स्तर पर आरटीई अधिनियम के कार्यान्वयन को लेकर दिल्ली एनसीटी में दयनीय स्थिति में सुधार करने के वास्ते कमजोर वर्ग से संबंधित गरीब बच्चों का प्रवेश सुनिश्चित करने के संबंध में डीओई को निर्देश जारी करने को लेकर इस अदालत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करना उचित है।’’

याचिकाएं प्राथमिक स्तर पर विभिन्न निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में आरटीई अधिनियम की धारा 2 (ई) के तहत ईडब्ल्यूएस श्रेणी से संबंधित छात्रों के प्रवेश के लिए दायर की गईं थीं। ईडब्ल्यूएस श्रेणी के इन छात्रों को दिल्ली सरकार के डीओई द्वारा पत्र दिया गया है, जिसमें आरटीई अधिनियम की योजना के तहत राष्ट्रीय राजधानी में संबंधित स्कूलों में उनके प्रवेश की पुष्टि की गई है।

ये पत्र डीओई द्वारा आयोजित ड्रा के अनुसार जारी किए गए थे और परिणाम सभी स्कूलों के साथ-साथ ईडब्ल्यूएस श्रेणी से संबंधित कुछ भाग्यशाली बच्चों को सूचित किए गए थे, जो इस तरह के ड्रॉ द्वारा चुने गए थे। बच्चों के पास डीओई से प्रवेश के लिए पत्र होने के बावजूद, स्कूलों ने उन्हें प्रवेश देने से मना कर दिया। 

'रेडिएशन' स्टॉर्म के बारे में चेतावनी जारी की

'रेडिएशन' स्टॉर्म के बारे में चेतावनी जारी की  अखिलेश पांडेय  नई दिल्ली/वाशिंगटन डीसी। वैज्ञानिक अभी भी पिछले सप्ताह आए सोलर स्टॉर्म...