सोमवार, 11 अप्रैल 2022

कीटनाशकों के आयात के दरवाजे खोलने की साजिश

कीटनाशकों के आयात के दरवाजे खोलने की साजिश 

अकांशु उपाध्याय    
नई दिल्ली। देश के जाने माने कृषि विशेषज्ञ एवं भारत कृषक समाज के अध्यक्ष डॉ. कृष्णवीर चौधरी ने आरोप लगाया है कि कृषि मंत्रालय की नौकरशाही देश में बनने वाली असरदार एवं सस्ती कीटनाशक दवाओं का उत्पादन बंद करने और निजी फायदे के लिए विदेशी कीटनाशकों के आयात के दरवाजे खोलने की साजिश रच रही है।
डॉ. कृष्णवीर चौधरी ने हाल ही में आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में मिर्च की फसल की बरबादी का हवाला देते हुए देश के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को पत्र लिख कर आगाह किया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नाक के नीचे नौकरशाही दुस्साहस पूर्ण ढंग से कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020 में ऐसे प्रावधान लाने की कोशिश में है। जिससे देश में बनने वाली प्रभावी कीटनाशक दवाओं का उत्पादन बंद हो जाये जिनका निर्यात तेजी से बढ़ रहा है और विदेशी कीटनाशकों का आयात फिर से शुरू हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार बदल गयी लेकिन भ्रष्ट व्यवस्था अभी तक बनी हुई है।
उन्होंने कहा कि श्रीलंका के आर्थिक संकट में कृषि उत्पादन में कमी का प्रभाव सर्वगोचर है और इसी प्रकार से अंतरराष्ट्रीय ताकतें कुछ भ्रष्ट अधिकारियों, दलाल स्वैच्छिक संगठनों की मदद से भारतीय कृषि व्यवस्था को बिगाड़ने का षड्यंत्र रच रही हैं। उन्होंने कृषि मंत्री को दिये पत्र में कहा है कि आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में मिर्च उगाने वाले किसानों से वह स्वयं मिल कर आये हैं और इन किसानों में कई के परिवार बरबाद हो गये हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि मिर्च की फसल में कीड़े लगने के कारण 4000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है लेकिन किसानों का कहना है कि नुकसान अनुमान से कहीं अधिक है।
डॉ. चौधरी ने कहा कि हैरानी की बात यह है कि मिर्च की फसल में लगी बीमारियों की रोकथाम के लिए कोई भी दवा कारगर नहीं थी। कुछ किसानों ने बताया की दशकों पहले कोई दवा बाजार में मिलती थी जो मिर्च में लगी थ्रिप्स सम्बन्धी बीमारी पर बहुत कारगर थी लेकिन केंद्र सरकार ने उस पर रोक लगा दी है जिससे वह दवाई बाजार में मिलना बंद हो गई है। उन्होंने मांग की कि कृषि मंत्रालय के उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए जो विकल्प की उपलब्धता बताकर कारगर दवाओं पर प्रतिबन्ध लगाते अथवा लगवाते हैं।
किसान नेता ने पत्र में कृषि मंत्री से कहा, “आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि आपके मंत्रालय ने 27 कारगर एवं प्रचलित दवाओं के बंद करने की प्रक्रिया आरम्भ की है। ये दवाएं अनेकों फसलों की अनेकों बीमारियों एवं कीट पतंगों के नियंत्रण में कारगर है एवं किसान कई दशकों से इन दवाओं का उपयोग सफलतापूर्वक कर रहे हैं और विश्व के तमाम विकसित देशों में इन कीटनाशक दवाओं का प्रयोग विभिन्न फसलों पर किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, ये कीटनाशक दवाएं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के अनुरूप है जिनका निर्यात लगातार बढ़ता जा रहा है और देश में हजारों करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की आय हो रही है। उन्होंने कहा कि इन 27 दवाओं की हिस्सेदारी भारतीय बाजार में लगभग 40 फीसदी से अधिक है। इनके बंद होने पर भारतीय कृषि एवं किसानों पर आंध्र प्रदेश की मिर्च की खेती के समान प्रभाव पड़ना तय है। उन्होंने आरोप लगाया कि भारतीय कीटनाशक दवाओं पर रोक लगाने के बाद देश के किसान कई गुना महंगी विदेशी कीटनाशक दवाएं खरीदने के लिए विवश होंगे। इससे किसानों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ बढ़ेगा और देश में अनावश्यक रूप से कीटनाशकों का आयात बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि लगातार वर्ष दर वर्ष भयंकर कीट पतंगों एवं बीमारियों से प्रभावित हो रही है इनमे लोकस्ट, सफ़ेद सुंडी, फॉल आर्मी वार्म, आदि प्रमुख हैं। ऐसे में किसानों के बीच प्रचलित दवाओं पर प्रतिबन्ध लगाना किसानों की आय एवं कृषि उत्पादन दोनों को प्रभावित करेगा। यह सब आयातक लॉबी और बहुराष्ट्रीय कंपनियों की अधिकारियों से मिलीभगत की साज़िश है।
श्री चौधरी ने कहा कि आज अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय कंपनियों की अलग पहचान है जो कि निर्यात के आंकड़ों से साबित होता है। वर्ष 2019-20 का निर्यात 23 हजार 700 करोड़ रूपए था जो बढ़कर 2020-21 में 26 हजार 500 करोड़ रूपए से ज़्यादा गया हो गया। भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता और कम कीमतों की वजह से विश्व के विकसित देशों में भारी मांग बढ़ रही है एवं भारत से निर्यात में वर्ष दर वर्ष निरंतर वृद्धि हो रही है। यही वजह है कि अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार की ताकतें भारतीय कंपनियों के कृषि रसायनों की विश्व बाज़ार में बढ़ती हिस्सेदारी से दुखी हैं और भारत काे बाज़ार से बाहर करने के लिए पिछले कुछ वर्षों से तरह तरह के हथकण्डे अपना रही हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों की वैश्विक बाज़ार में हिस्सेदारी को प्रभावित करने के लिए भारत के कुछ स्वैच्छिक संगठनों को विदेशी फंडिंग की जा रही है जिससे भारतीय कंपनियों के द्वारा बनाये हुए जेनेरिक मोलेक्युल्स को बदनाम करके बंद करवाने के प्रयासों में लगे रहते हैं। दूसरी ओर भारत के किसानों को आयातित कृषि रसायनों पर निर्भर बनाने की साजिशें की जा रही हैं। यह स्वैच्छिक संगठन अपने विदेशी दान प्रदाताओं के इशारों पर नाचते हैं और उन्ही के इशारों पर काम करते हैं। यही नहीं बल्कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने कुछ भारतीय कंपनियों को अपना प्रवक्ता नियुक्त कर रखा है जो यह आभास दिलाते हैं की उनके द्वारा उठाये गए सभी मुद्दे भारतीय कंपनियों के मुद्दे हैं।
डॉ. चौधरी ने कीटनाशक प्रबंधन विधेयक को लेकर पिछले वर्ष कृषि संबंधी संसदीय स्थायी समिति में कुछ सुझाव दिये थे जिन्हें काफी हद तक समिति ने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार भी किया है। उन्होंने समिति को बताया था कि इस विधेयक में आयातित फार्मूलेशन के पंजीकरण से पहले, उसमे उपयुक्त होने वाले सक्रिय तत्त्व (टेक्निकल) के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने के संबंध में कोई प्रावधान नहीं किया है और ना ही टेक्निकल के स्त्रोत का कोई सत्यापन किया जाता है। जबकि भारतीय कंपनियों को अपने उत्पादों के पंजीकरण के लिए विस्तृत नमूने एवं टेक्निकल के स्त्रोत की जरुरत होती है। इससे विदेशी कंपनियों को लाभ मिलता है। यह ‘मेक इन इंडिया’ की निति के विरुद्ध है। उन्होंने सुझाव दिया था कि विधेयक में आयातित फार्मूलेशन के पंजीकरण के लिए टेक्निकल का पंजीकरण अनिवार्य करने का प्रावधान होना चाहिए। क्योंकि दुनिया के सभी विकसित देशों में बिना टेक्निकल रजिस्टर किये, फार्मूलेशन रजिस्टर नहीं किया जाता। फार्मास्युटिकल्स और ड्रग्स इंडस्ट्री में भी यही किया जाता है।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार से यह विधेयक भारत में उन कीटनाशकों (पेस्टीसाइड) के निर्यात की अनुमति को बाधित करता है जिन्हे किन्हीं कारणवश भारत में उपयोग करने के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है लेकिन उनका उपयोग अन्य विकसित देशों में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। इसका भारत से होने वाले निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा एवं देश को निर्यात से होने वाली विदेशी मुद्रा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा और भारतीय कंपनियों के द्वारा विश्व में बनाये हुए बाजार पर चीन का कब्ज़ा हो जायगा। इसे रोकने के लिए उन कीटनाशकों (पेस्टीसाइड) के उत्पादन की अनुमति जारी रखने का प्रावधान किया जाना चाहिए जिनके उपयोग को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है एवं अन्य देशों में अभी भी जारी है। इसी प्रकार से ‘वितरण' की परिभाषा में से ‘अंतरराष्ट्रीय बाज़ार’ शब्द हटा दिया जाना चाहिए।
डॉ. चौधरी ने कृषि मंत्री से मांग की है कि कीटनाशक विधेयक को लेकर संसदीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार करके शामिल करना चाहिए ताकि देश की कृषि व्यवस्था पर संकट नहीं आये। उन्होंने यह मांग भी कि इसे लेकर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक की अगुवाई में एक समीक्षा समिति बनायी जानी चाहिए जिसमें मंत्रालय के अधिकारी नहीं हों।

किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन

किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन  

अकांशु उपाध्याय         
नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सोमवार को कहा कि देश के किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए एक बड़े किसान आंदोलन की जरुरत है। जिसकी सफलता के लिए विपक्षी दलों की एकजुटता जरुरी है।
टिकैत ने तेलंगाना के किसानों से फसलों की खरीद को लेकर तेलंगाना भवन पर जन प्रतिनिधियों के चल रहे धरना को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानाें के आन्दोलन के लिए स्थान और तिथि की घोषणा जल्दी ही की जायेगी। उन्होंने कहा कि देश के किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक की जानी चाहिए और ठोस निर्णय लिया जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि सत्तारुढ दल का मुकाबला करने के लिए विपक्ष के मदद की जरूरत है और इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए ।
किसान नेता ने कहा कि तेरह माह के आन्दोलन के बाद किसानों की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के निर्धारण के लिए केन्द्र सरकार ने एक समिति गठित करने की घोषणा की और बाद में संयुक्त किसान मोर्चा से इसके लिए दो तीन नाम मांगे गए। मोर्चा की ओर से सरकार को पत्र भेजा गया और और पूछा गया कि समिति में कितने लोग होंगे और उसकी शक्ति क्या होगी , इसका जवाब अब तक नहीं दिया गया है ।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मनमाने ढंग से समिति का गठन करना चाहती है और उसके निर्णय को किसानों पर थोपना चाहती है जिसे किसान कभी सफल नहीं होने देंगे। किसानों को एमएसपी गारंटी कानून चाहिए और इससे कम कुछ उसे मंजूर नहीं है।

महानायक ने निमरत के अभिनय की तारीफ की

महानायक ने निमरत के अभिनय की तारीफ की   

कविता गर्ग             
मुंबई। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने फिल्म दसवीं में निमरत कौर के अभिनय की तारीफ की है और उन्होंने अपने हाथ से लिखा लेटर और फूलों का गुलदस्ता भेजा है।
अमिताभ को फिल्म दसवीं में निमरत कौर की परफॉर्मेंस बेहद पसंद आई, जिसके बाद उन्होंने निमरत कौर के लिए एप्रिसिएशन लेटर लिखा। इस बात की जानकारी निमरत कौर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक इमोशनल पोस्ट के जरिए दी।
निमरत कौर ने लिखा, "जब मैंने 18 साल पहले मुंबई शहर में कदम रखा था। तब यह कल्पना ही जेहन में थी कि एक दिन अमिताभ बच्चन मुझे मेरे नाम से मुझे जानें। एक टेलीविजन ऐड में उन्होंने मेरी सराहना की और आज सालों बाद एक नोट और फूल भेजे हैं। अमिताभ बच्चन सर आपको मेरा सहप्रेम, अनंत धन्यवाद। आज अल्फाज और भावनाएं, दोनों कम पड़ रही हैं। आपका यह स्नेहपूर्वक पत्र आजीवन मुझे प्रेरित करता रहेगा और आपके इस अमूल्य गुलदस्ता रूपी आशीर्वाद की महक मेरी जिंदगी के हर कदम पर बनी रहेगी। आपसे मिली इस शाबाशी से एक चुप्पी महसूस हो रही है…जैसे किसी विशाल पर्वत या प्राचीन मंदिर के सामने होती है। आपकी श्रद्धापूर्वक, सदैव आभारी, निमरत।
गौरतलब है कि फिल्म दसवीं में अभिषेक बच्चन, निमरत कौर और यामी गौतम ने मुख्य भूमिका निभायी है।

सऊदी: हज यात्रा को कुछ नियमों के साथ मंजूरी

सऊदी: हज यात्रा को कुछ नियमों के साथ मंजूरी      

सुनील श्रीवास्तव       
रियाद। सऊदी अरब सरकार ने 2022 में होने वाली हज यात्रा को कुछ नियमों के साथ मंजूरी दे दी है। इस साल कोरोना के प्रतिबंधों में ढील देते हुए यात्रियों की संख्या में भी इजाफा किया है। हालांकि इस बार हज यात्रा की इच्छा रखने वाले 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को सऊदी सरकार ने निराश किया, वे लोग इस बार आवेदन नहीं कर सकते हैं।
सऊदी अरब के हज और उमरा मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक इस बार हज के लिए यात्रियों की संख्या 10 लाख रखी गई है, जो पिछले साल कुल 60 हजार थीं। वहीं, बताया गया कि यात्रा के लिए हर देश के कोटे की जानकारी जल्द ही दी जाएगी।
65 साल से कम के व्यक्ति ही हज यात्रा पर जा सकेंगे।
आने वाले यात्रियों को सऊदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय से मान्यता प्राप्त कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगी होनी चाहिए।
जिस देश से यात्री आ रहे हैं सऊदी अरब पहुँचने के 72 घंटे पहले तक का कोविड-19 का नेगेटिव सर्टिफिकेट भी होना चाहिए।
2019 के बाद कोरोना महामारी के चलते सऊदी सरकार ने 2020 और 2021 में विदेशी लोगों को इस यात्रा में शामिल होने पर रोक लगा दी थी। इन दो वर्षों के दौरान केवल सऊदी अरब के स्थानीय नागरिक ही हज यात्रा कर सकते थे। 2020 में कुल 1000 लोगों ने और 2021 में 58,745 लोगों को हज यात्रा करने की मंजूरी दी गई जबकि 2019 में दुनिया भर से करीब 25 लाख लोगों ने हज यात्रा की थी। मुस्लिमों के लिए हज यात्रा को इस्लाम में काफी जरुरी माना गया है।
इस साल हज यात्रियों की कम संख्या को देखते हुए नए सर्कुलर के मुताबिक हज यात्रा के लिए आवेदन की आखिरी तारीख को आगे बढ़ा दिया गया है। अब हज यात्रा पर जाने की इच्छा रखने वाला व्यक्ति 22 अप्रैल तक हज कमेटी की वेबसाइट पर आवेदन कर सकता है।

समुद्र तट पर दिखा इंसान की तरह होंठों वाला जीव

समुद्र तट पर दिखा इंसान की तरह होंठों वाला जीव  

सुनील श्रीवास्तव 
सिडनी। ऑस्ट्रेलियाई समुद्र तट पर हाल ही में एक ऐसा जीव दिखा है। जिसके होंठ इंसान की तरह दिखते हैं। इस विचित्र एलियन जैसा प्राणी को सबसे पहले एक स्थानीय जॉगर ने देखा। 
ड्रू लैम्बर्ट 5 अप्रैल को बोंडी बीच पर थे, जॉगिंग के दौरान उन्होंने एक असामान्य जीव देखा। समुद्री शैवाल जैसा दिखने वाले मलबे में पड़ा हुआ, विचित्र जीव हैरान करने वाला था। लैम्बर्ट के अनुसार वह लगभग आधा मीटर लंबा था और उसके होंठ मानव और शार्क जैसी त्वचा के समान थे।
उन्होंने बताया कि वे इस जगह पर 20 साल से रह रहे हैं, लेकिन पहले कभी ऐसा कुछ नहीं देखा। जॉगर ने फेसबुक पर इसका एक वीडियो पोस्ट कर लोगों से इस जीव की पहचान करने में मदद की अपील की है। 
सी लाइफ सिडनी एक्वेरियम के एक पर्यवेक्षक लेटिटिया हन्नान के मुताबिक यह कॉफिन रे है‌। जिसे ऑस्ट्रेलियन नम्बफिश के नाम से भी जाना जाता है।

रिश्वत: एसडीएम ने लेखपाल को निलंबित किया

रिश्वत: एसडीएम ने लेखपाल को निलंबित किया     

भानु प्रताप उपाध्याय       
मुजफ्फरनगर। दो भाइयों के बीच चल रहे पुश्तैनी मकान के विवाद में समझौता होने के बावजूद लिखित समझौता नामे को मानने की एवज में रिश्वत मांग रहे लेखपाल को एसडीएम ने बड़ी कार्यवाही करते हुए निलंबित कर दिया है और रिश्वत मांगने के आरोपी लेखपाल के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू करा दी गई है। भ्रष्टाचार के खिलाफ की गई एसडीएम की इस बडी कार्यवाही से मेज के नीचे से लेनदेन की आदत डाल चुके सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों में हडकंप मच गया है।
दरअसल खतौली तहसील क्षेत्र के गांव शेखपुरा निवासी सईद ने लेखपाल कैलाशचंद पर रिश्वत मांगने का आरोप लगा एक व्हाट्सएप ग्रुप पर इस बातचीत के ऑडियों वायरल करने के साथ ही मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत की थी। सईद के अनुसार उसके पिता और ताऊ के बीच पुश्तैनी मकान को लेकर विवाद चल रहा था। मामला आला अधिकारियों के संज्ञान में आने पर जांच का जिम्मा हल्का लेखपाल को सौंपा गया था। आरोप है कि लेखपाल मामले का निस्तारण करने के बजाए रिश्वत की मांग करके चक्कर कटा रहा था। आरोप है कि आपसी समझौता होने के बावजूद लेखपाल समझौतानामा मानने की एवज में बीस हजार रुपये की रिश्वत मांग रहा था। सईद द्वारा रिश्वत मांगने की ऑडिय़ों वायरल होने पर एसडीएम जीत सिंह राय ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए लेखपाल को निलंबित कर दिया है।
एसडीएम जीत सिंह राय ने बताया कि वाट्सएप पर लेखपाल की रिश्वतखोरी की शिकायत मिली थी। शिकायत के संज्ञान में रिश्वत मांगने के आरोपी लेखपाल को निलंबित करके विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।

डिजिटल करेंसी को समझें, दूसरों की बात में न आए

डिजिटल करेंसी को समझें, दूसरों की बात में न आए   

अकांशु उपाध्याय           
नई दिल्ली। सबसे पहले बचना है। दूसरों की बातों में आकर निवेश न करें। जब तक खुद डिजिटल करेंसी को नही समझतें, तब तक अपने स्तर पर रिसर्च कर पता लगातें रहे, दूसरों की बात में न आए।
निवेश सलाहकारों का कहना है कि क्रिप्टो करेंसी में छोटे अमाउंट लगाकर ही शुरआत करना चाहिए। अपने मुनाफे में इसे अभी ज्यादा जगह न दें। कुल निवेश का 6 से 7 प्रतिशत हिस्सा ही निवेश करना उचित रहेगा।
डिजिटल मार्केट में बिटकॉइन, ईथर, डॉजकॉइन जैसी हजारों तरह की करेंसी मौजूद है। जिस करेंसी में आप बेहतर समझ रखते है, या जिसकों आपने ठीक ढंग से समझ लिया है। सिर्फ उसी में निवेश की सोचें। कई करेंसी चीप होती है, लेकिन सस्ती के चक्कर में न पड़े।
क्रिप्टो करेंसी के ट्रेंड होते ही बाजार में कई तरह के प्लेटफॉर्म आ गए हैं, जो आपकों भ्रमित कर सकते है। जिस प्लेटफॉर्म की साख बाजार में अच्छी है आप भी उस पर भरोसा कर सकते है।
क्रिप्टो में उतना ही निवेश करें जितने की हानि आप सह सकते हों, क्योंकि इसमें उतार-चढ़ाव होते रहते हैं। इसके लिए आप मानसिक रुप से तैयार रहे। ये कोई एक दिन में अमीर बना देने वाली मशीन नहीं है, इसमें भी समय लगता है।
क्रिप्टो को लेकर देश में कोई नियम कानून नही बना है, और न ही सरकार ने इसे मान्यता दी है। इसलिए अपने आपको सेफ रखते हुए लॉन्ग टर्म के निवेश से बचना चाहिए। वैसे जल्दी-जल्दी खरीदना-बेचना सही नहीं है, पर बहुत लंबे समय तक न रखे।

दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ

दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। दबे पांव पहुंचे भूकंप ने धरती को हिलाते हुए पब्लिक को दहशत में ड...