सोमवार, 30 मार्च 2020

लोनीः कागजों में कुछ, धरातल पर कुछ

गाजियाबाद। देश में कोरोना के चलते घोषित हुए लाॅक डाउन के बाद कुछ दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों एवं उनके परिवार के सामने भूखे मरने की नौबत पैदा हो गई है। क्योंकि लाॅक डाउन के बाद सब कुछ बंद है अब यह गरीब मजदूर जो रोज मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। इनके घरो में कई दिनों से चुल्हा नहीं चला है वही सरकार द्वारा ऐसे माहौल में लोगो के भोजन एवं राशन की व्यवस्था कराई जा रही है। अब प्रशासन लोगों को उनके भोजन एवं राशन की व्यवस्था अपने स्तर से कर रहा है। चाहे वह कागजों में ही क्यों ना हो अब हम आपको बताते है गाजियाबाद के लोनी प्रशासन द्वारा की जा रही उन गरीब मजदूर परिवारो के भोजन व्यवस्था के बारे में जोकि आकडों में कुछ दिखाई दे रही हैं और धरातल पर कुछ ओर। लोनी प्रशासन द्वारा एक लिस्ट जारी की गई थी जिसमे कुछ मोबाइल नंबर दिए गए थे और यह मोबाइल नंबर इसलिए दिए गए थे। जिस किसी को भोजन एवं राशन की आवश्यकता है वो इन नंबर पर संपर्क कर सकें और यह लिस्ट *लोनी तहसील* परिसर के गेट पर चस्पा कर दी गई लिस्ट जारी होने के बाद लोगों ने जरूरत के हिसाब से उन नंबर पर संपर्क करना शुरू कर दिया लेकिन प्रशासन द्वारा जारी किए गए फोन नंबर पर कॉल करने वाले कुछ लोगों ने बताया कि यह फोन या तो लगते नहीं है अगर कोई काॅल लग भी जाती है तो संबंधित लोग फोन उठा नहीं रहे हैं अगर किसी ने फोन उठा लिया तो वह फोन करने वाले से उसका नाम पता पूछने के बाद यह बोलकर फोन काट देता है कि आपके पास सहायता पहुँच जायेगी लेकिन वह परिवार प्रशासन की व्यवस्था का इंतजार करते करते अपने लिए कुछ और ही व्यवस्था कर रहे हैं। अब बात करते हैं लोनी एसडीएम द्वारा जारी किए गए आकडों की एसडीएम लोनी द्वारा जारी आकडों की अगर बात करे तो आकडों के मुताबिक लोनी प्रशासन ने लोनी के 1944 परिवारो के 8548 सदस्यों को भोजन एवं खाने का सामान वितरण किया गया है। लेकिन अगर लोनी प्रशासन द्वारा 1944 परिवारो के लिए भोजन एवं राशन की व्यवस्था कराई जा रही है तो लोनी की पुलिस क्यो लगातार गरीब परिवारो के बीच खाने का सामान वितरण कर रही है। क्यो वह गरीब परिवार क्षेत्र के पत्रकारों से संपर्क कर रहे हैं क्यो यह गरीब परिवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं से संपर्क कर रहे हैं क्यो यह परिवार वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। पुलिस द्वारा लगातार ऐसे गरीब परिवारो के लिए भोजन एवं राशन की व्यवस्था कराई जा रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता अपने स्तर से इन गरीब परिवारो के लिए भोजन वितरण कर रहें हैं अब लोनी प्रशासन को उनके द्वारा गरीब परिवारो को दी गई राहत सामग्री लेने वाले लोगों की लिस्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए। अगर *लोनी प्रशासन* द्वारा इतने परिवारो को भोजन एवं राशन दिया गया है तो यह भूखे लोग कौन है जो लगातार फोन कर रहे हैं वीडियो वायरल कर रहे हैं।


 यशपाल कसाना


'कफन चोरों' को व्यवस्था की बागडोर

कफन चोरो के हाथ बागडोर
अकाशुं उपाध्याय


गाजियाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस प्रकार से जन सुरक्षा को लेकर चिंतित है और महामारी नियंत्रण के सभी विकल्पों पर दिन रात-काम कर रहे है। कहीं गरीबी को कम करने पर तो कार्य नहीं किया जा रहा है। क्योंकि इस प्रकार की परिस्थिति में गरीब का जीवित रहना बहुत कठिन है। इसके विपरीत दूसरी तरफ प्रशासन जनता पर कहर बरसा रहा है। कुछ दोगले नेता और धूर्त अधिकारी अपनी काली करतूतों से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा लगता है सरकार और प्रशासन योजनाबद्ध ढंग से गरीबी हटाने का कार्य कर रहे हैं। भूख से पीड़ित, निरीह लोग तहसील के दरवाजे पर इस उम्मीद के साथ खड़े हैं कि उन्हें कुछ खाने-पीने का सामान अथवा भोजन मिलेगा। बल्कि अशिक्षित और अनिभिज्ञ लोग प्रधानमंत्री मोदी के मंत्र 'सामाजिक दूरी' से भी अनजान है। 
गाजियाबाद स्थित लोनी क्षेत्र का कड़वा सच आज भी अपने मुकाम पर कायम है। आपातकालीन स्थिति में भी तहसीलदार प्रकाश सिंह अपने भ्रष्टाचार पर पूर्ववत केंद्रित है। पूर्व में तहसीलदार ने दोनों हाथों से रिश्वत बटोर कर, सील की गई क्षेत्र की अवैध औद्योगिक इकाइयां संचालित कराई थी। लेकिन हद तो तब हो गई है जब लाखों रुपए का खाना तहसीलदार अकेले ही खा रहा है। लोनी में प्रतिदिन 5000 लोगों को भोजन प्रदान करने का काला सच जानकर आप हैरान हो जाएंगे। क्षेत्र में 500 लोगों को भी भोजन मुवैया नहीं कराया जा रहा है। जबकि 5000 लोगों को प्रतिदिन भोजन एवं भोजन सामग्री प्रदान करने का दावा किया जा रहा है। इस काली करतूत में कई लोगों की साझेदारी होने की संभावना से मना नहीं किया जा सकता है। हालांकि भ्रष्ट अधिकारी तंत्र तहसीलदार की क्या पूछं उखाड़ेगा? उसके आकाओं का उसको भरपूर समर्थन है। जबकि ऐसे अधिकारीयो को चौराहे पर काला मुंह करके और जूतों का हार पहना कर, जुलूस निकालना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।
आखिरकार सरकार को इतना आडंबर करने की जरूरत क्या है? लूट-खसोट ही करनी है तो आराम से करो। कौन रोकने वाला है? मंत्री-संत्री सब भाजपा ही भाजपा है। यह सच है, "जिसका कोई नहीं होता, उसका तो खुदा होता है"। तहसील के दरवाजे से गरीब, मजदूर और मजलूम तीमारदार कितना उदास चेहरा लेकर लौटे! लेकिन स्थानीय नेताओं की आंखों पर चर्बी चढ़ी है। जिन्हें वास्तविकता दिखाने से भी नहीं दिख रही है। जबकि वास्तविकता यही है कि उनका जो भी वजूद है। वह इसी जनता से हैं। रसूखदार लोग अपने मतलब से ही किसी को पूछते हैं। किसी को वोट देना तो बहुत बड़ी बात है।


1.उपजिला अधिकारी खालिद अंजुम खान अधिक व्यवस्था के कारण फोन रिसीव नहीं कर पा रहे हैं। पिछले 24 घंटे में चार बार संपर्क करनेे करने का प्रयास किया गया। लेकिन संपर्क नहीं हो सका। तहसील कार्यालय को बाहर सेेेेे बंद कर, सभी का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। ताकि अंदर चल रहे खेल की किसी को भनक ना हो।


2. जिला अधिकारी अजय शंकर पांडे से संपर्क करने पर यथा स्थिति से अवगत कराया गया। उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था अथवा लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।



वंही मोदी की 'सामाजिक दूरी' का सच भी उजागर होता है। शुक्र है अभी तक यहां पर संक्रमण प्रभावी नहीं है। वरना लाशों के ढेर लग जाते और कफन चोर अधिकारियों की मौज हो जाती। वाह मोदी सरकार, वाह योगी सरकार।


अपना हित 'संपादकीय'

अपना हित    'संपादकीय'
 नीच, निकम्मे और  हराम खाऊ अधिकारियों की कार्यशैली भुखमरी को बढ़ाने के अलावा और कोई काम नहीं करेगी। क्योंकि चोर, चोरी छोड़ सकता है हेरा-फेरी नहीं। ऐसे लोगों को केवल अपना हित ही नजर आता है।
 प्रधानमंत्री के द्वारा 21 दिन का लॉक डाउनलोड करने के बाद ज्यादातर राज्य सरकार, प्रदेश की व्यवस्था को नियंत्रित करने का काम कर रही हैं। वायरस के संक्रमण को रोकने का कठोरता से पालन भी किया जा रहा है। जिसमें पुलिस की कर्तव्यनिष्ठा ने पुलिस का गौरव बढ़ा दिया है। लेकिन प्रशासन राज्य सरकार और केंद्र सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र रचने का कार्य कर रहा है। निराश्रित, बेसहारा और मजबूर लोगों के साथ तहसील स्तर पर घिनौना मजाक किया जा रहा है। संकट की विषम परिस्थितियों में लूट मच गई है। अधिकारी-कर्मचारी अपनी जेब भरने पर लगे हैं। जबकि गरीबों का पेट खाली है। जरूरी सामानों की प्रतिपूर्ति के सभी दावे कुल मिलाकर बकवास है। यदि समय रहते गरीब मजदूर के हित को ध्यान में नहीं रखा गया तो महामारी ऐसा इतिहास बनाएगी। जो वर्तमान सरकार के माथे का कलंक बन जाएगा। 24-24 घंटे तक भोजन न मिलना। क्या अपराध है उस भूखे व्यक्ति का? यही कि वह भारत में निवास करता है।
 गैर सरकारी संस्थाएं इन मोर्चो पर अगर आगे नहीं बढ़ती तो देश की जनता के बड़े तबके को भुखमरी का सामना करना पड़ता। अगर सामाजिक ताना-बाना ही इससे लड़ेगा। तो लूट-खसोट का खेल खेलने वाले अधिकारियों पर जांच बैठाई जाए और भोजन वितरण की ढकोसला योजनाओं को तुरंत बंद कर देना चाहिए।
हमारी संस्कृति ने हमें सदा 'नर सेवा, नारायण सेवा' की सीख दी है। इसलिए हम किसी भी परिस्थिति से निपटने को तैयार है। सरकार अधिकारियों पर मेहरबानी बंद करें और जनता हित में ध्यान लगाए। जय जयकार करने वाली जनता का हित।


राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'


जीवन-मृत्यु का संघर्ष है कोरोना वायरस

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पलायन कर रहे लोगों से अपील की है कि वह ध्यान रखें कि जहां पर हैं ,वहीं पर रहें, क्योंकि कोई भी दिल्ली से या अन्य स्थान से सीधे अपने घर नहीं पहुंचेगा ,उसे 14 दिन सरकारी कैंप में ही रहना पड़ेगा। मौर्य ने कहा कि लोग अफवाहों पर बिल्कुल ध्यान न/न दें। उन्होंने कहा है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई जीवन और मृत्यु के बीच की लड़ाई है, इस लड़ाई को हमें जीतना है। इसलिए हमें कठोर कदम उठाने हैं और धैर्य व संयम बनाये रखना बहुत जरूरी है।उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस ने दुनिया को कैद कर दिया है । यह ज्ञान ,विज्ञान, गरीब संपन्न, कमजोर ,ताकतवर, हर किसी को चुनौती दे रहा है। यह न/न तो राष्ट्र की सीमाओं में बंधा है, न/न हीं यह कोई क्षेत्र देखता है और न/न ही कोई मौसम। इसलिए हम सबको सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर ही हर हाल में रहना है और जरूरी भी है की बीमारी व उसके प्रकोप से शुरुआत मे ही निपटना चाहिए, बाद में रोग असाध्य हो जाते है।मौर्य ने कहा है कि कोरोना वायरस के विरुद्ध महायुद्ध में लाक डाउन रूपी की लक्ष्मण रेखा को कतई नहीं लांघना है ,घर पर रहकर ही स्वयं व परिवार को सुरक्षित बचाना है। उन्होंने अपनी अपील में कहा है कि कोरोना से जंग जारी है, बचने और बचाने में ही समझदारी है। चन्द दिनों की कसौटी में खरा उतरना हम सबकी जिम्मेदारी है।कोरोना से निपटने के लिए सरकार द्वारा किए गये प्रबन्धों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा है कि इस संबंध में सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है और अधिकारियों व कर्मचारियों की टीमें भी पूरी मुस्तैदी से लगी हुई है ।उन्होंने आम जनमानस से भीअपील की है कि वह सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में सहयोग प्रदान करें । उन्होंने कहा कि खाद्यान्न का वितरण किया जा रहा है। दूध वितरित किया जा रहा है। पब्लिक ऐड्रेस सिस्टम के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है।उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सी एम हेल्पलाइन से प्रधानों एवं पार्षदों से संपकर् किया जा रहा है । आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति व बुनियादी सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जा रहा है । मुनाफाखोरी/जमाखोरी पर अंकुश लगाने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं । दवाओं की आपूर्ति की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है।उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के द्दष्टिगत लॉकडाउन के दौरान अन्य राज्यों में कार्य करने वाले प्रदेश के निवासी मूल जिलो को जो पहुंच रहे हैं , महामारी फैलने से रोकने के लिए इन लोगों को जनसामान्य से अलग रखने के निर्देश दिए गए हैं और इन व्यक्तियों को सीधे उनके घर ले जाने के बजाय धर्मशाला, हॉस्टलों आदि में क्वारेंटाइन करने की व्यवस्था की जा रही है, वहीं पर उनके खानपान की भी व्यवस्था की जा रही है। विभिन्न राज्यों में प्रदेश के रह रहे लोगों के बारे में नोडल अधिकारी बनाए गए हैं और उन नोडल अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह लॉक- डाउन अवधि मे उन्हे वहां पर रहने के लिए तैयार करें तथा उस राज्य के प्रशासन से समन्वय कर उनके रहने ,खाने आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करायेगे।


पलायन को लेकर दिल्ली सरकार चिंतित

 विभिन्न राज्यों ने अपने-अपने क्षेत्रों में अन्य राज्यों से लगती सीमाओं को सील किए जाने का दावा किया है। ...


      नईदिल्ली। विभिन्न राज्यों ने अपने-अपने क्षेत्रों में अन्य राज्यों से लगती सीमाओं को सील किए जाने का दावा किया है। इस बीच दिल्ली सरकार का कहना है कि अभी भी हरियाणा और पंजाब से श्रमिकों का पैदल पलायन जारी है। दिल्ली सरकार पहले भी स्पष्ट कर चुकी है कि दिल्ली की सीमाओं पर एकत्र हुए हजारों श्रमिकों में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से पलायन करके आए लोग शामिल हैं।
       विभिन्न स्थानों से पैदल यात्रा करके अपने घर जाने की जुगत में लगे श्रमिकों के मुद्दे पर दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, पंजाब, हरियाणा से आज भी मजदूरों का पलायन जारी है। पूरे देश में खतरनाक हालात हैं। मनीष सिसोदिया ने इसका सबूत देते हुए बाकायदा एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें श्रमिकों का एक जत्था पंजाब के जीरकपुर से निकल कर उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद स्थित अपने घर के लिए सड़कों पर पैदल ही निकल पड़ा है।
     दिल्ली सरकार व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस दौरान लोगों से अपने अपने घरों में बने रहने की अपील की। सिसोदिया ने कहा, दुनिया के सबसे विकसित देश अमेरिका में भी कोरोना मरीजों को हॉस्पिटल में इलाज नहीं मिल पा रहा है। मरीजों की संख्या ही इतनी है। अगर देश को इन हालात से बचाना है तो एक ही तरीका है, लॉकडाउन का पालन कर घर में रहें। उन्होंने लोगों से कहा, बड़ी परेशानी को टालने के लिए छोटी-छोटी परेशानियां तो झेलनी पड़ेंगी।
     इससे पहले रविवार को दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था, दिल्ली के बॉर्डर पर जो लोग हैं वो केवल दिल्ली से नहीं बल्कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान तक से आए लोग हैं। हालांकि, दिल्ली सरकार दिल्ली की सीमाओं पर एकत्र हुए सभी लोगों को भोजन और उनके ठहरने की व्यवस्था करवाने को लेकर गंभीर है। दिल्ली सरकार ने इसके लिए बॉर्डर के आस-पास ही कई कैंप लगाना भी शुरू कर दिया है।
     उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, कोरोना के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का लॉकडाउन सफल हो सके इसके लिए इस वक्त दिल्ली में जो भी है उसे छत और खाना देने की जिम्मेदारी हमारी (दिल्ली सरकार की) है लेकिन इससे मिलकर लडऩा होगा।


हरियाणाः 33 में से 17 हुए ठीक

चण्डीगढ। भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 29 मार्च सांय 7.30 बजे जारी रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में कोरोना से संक्रमित 5 और मरीजों के स्वस्थ होने पर उन्हें छुट्टी दे दी गई l रिपोर्ट के मुताबिक कुल कोरोना संक्रमित 33 लोगों में अब 17 लोग ठीक हो चुके हैं l स्वास्थ्य मंत्रालय कि 28 मार्च की रिपोर्ट में हरियाणा में कोरोना के मरीजों के ठीक होने की संख्या 12 बताई गई थी l इस से जाहिर है कि 5 अन्य मरीज स्वस्थ हुए l यह आंकड़ा हरियाणा में कोरोना की जंग में जुटे चिकित्स्कों समाज सेवी संस्थाओं ओर तमाम प्रशासनिक अमले,पुलिस प्रशासन व् सत्ता रूढ़ दल के लिए उत्साह वर्धक है l
हरियाणा की जनता को भी इसके लिए पूरा श्रेय दिया जाना चाहिए जिसने लॉक डाउन का पूरा सम्मान किया l सोशल मीडिया पर चली अफवाहों के बावजूद ज्यादात्तर जनता ने अपना पूरा समय घरों के भीतर ही बिताया l हरियाणा से प्रवासी मजदूरों के पलायन के समाचार भी सिमित ही रहे l एक दुक्का जगहों (दिल्ली एनसीआर) को अपवाद मान लिया जाये तो कोई ज्यादा खबरें मजदूरों के पलायन की नहीं आई l


क्या है भविष्य की परफेक्ट प्लानिंग

नई दिल्ली। आगे के लिए जब भी कोई प्लान बनाया जाता है तो उसमें गलतियां हो ही जाती हैं। यह गारंटी नहीं दी जा सकती कि कोई भी गलती ना हो और प्लान पूरी तरह से परफेक्ट हो । ऐसा ही अभी हमारे देश में हुआ है। इसलिए जो लोग शहरों से गांव जाना चाहते हैं खासतौर से छोटी-छोटी फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोग अपने अपने घर जाना चाहते हैं। वह बहुत डरे हुए हैं शहरों में उनके लिए ना रहने को जगह है ना खाने को उनके पास कोई पैसा है। ऐसे में उनका यह सोचना कि अगर हम मरें तो क्यों ना अपने जन्म स्थान पर ही जाकर मरें, गांव में ही जाकर मरें। ऐसे में उनको उनके घर भेजना, सरकार की जिम्मेदारी हो जाती है। लेकिन इसके साथ भी एक और समस्या लगी हुई है कल को जब यह बीमारी दूर हो जाएगी और फिर हमारे देश में सब काम पहले की तरह होने लगेगा तब यह फैक्ट्रियां भी शुरू होंगी लेकिन उनमें काम करने के लिए मजदूर नहीं होंगे तब यह फैक्ट्रीयां कैसे चलेंगी। इसलिए यह एक बहुत बड़ी समस्या हो गई है हालांकि अभी भी उस बात को सोचकर आज उनके लिए कुछ निजाम किया जा सकता है और कुछ मजदूरों को रोका जा सकता है यदि हम आकर्षक प्रबंध करें जो कुछ लोगों को रोक ले तो  कुछ समस्या हल हो सकती है।  इन काम करने वाले मजदूरों का शहरों में रुकना बहुत जरूरी है । इस वक्त हम केवल यही सोच रहे हैं कि इनकी सबसे बड़ी जरूरत है इन्हें इनके गांव पहुंचाना।  इस वक्त हम यह नहीं सोच रहे हैं कि बाद में क्या होगा और क्या जरूरत पेश आएगी। अगर हम आज उनके शहरों में रुकने के लिए कुछ ऐसे आकर्षक प्रबंध करें जिन्हें देखकर वेअपने आप रुक ना चाहे तो समस्या का कुछ आंशिक हल हो सकता है यह बात बहुत विचारणीय है।


दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ

दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। दबे पांव पहुंचे भूकंप ने धरती को हिलाते हुए पब्लिक को दहशत में ड...