सोमवार, 30 मार्च 2020

अपना हित 'संपादकीय'

अपना हित    'संपादकीय'
 नीच, निकम्मे और  हराम खाऊ अधिकारियों की कार्यशैली भुखमरी को बढ़ाने के अलावा और कोई काम नहीं करेगी। क्योंकि चोर, चोरी छोड़ सकता है हेरा-फेरी नहीं। ऐसे लोगों को केवल अपना हित ही नजर आता है।
 प्रधानमंत्री के द्वारा 21 दिन का लॉक डाउनलोड करने के बाद ज्यादातर राज्य सरकार, प्रदेश की व्यवस्था को नियंत्रित करने का काम कर रही हैं। वायरस के संक्रमण को रोकने का कठोरता से पालन भी किया जा रहा है। जिसमें पुलिस की कर्तव्यनिष्ठा ने पुलिस का गौरव बढ़ा दिया है। लेकिन प्रशासन राज्य सरकार और केंद्र सरकार के विरुद्ध षड्यंत्र रचने का कार्य कर रहा है। निराश्रित, बेसहारा और मजबूर लोगों के साथ तहसील स्तर पर घिनौना मजाक किया जा रहा है। संकट की विषम परिस्थितियों में लूट मच गई है। अधिकारी-कर्मचारी अपनी जेब भरने पर लगे हैं। जबकि गरीबों का पेट खाली है। जरूरी सामानों की प्रतिपूर्ति के सभी दावे कुल मिलाकर बकवास है। यदि समय रहते गरीब मजदूर के हित को ध्यान में नहीं रखा गया तो महामारी ऐसा इतिहास बनाएगी। जो वर्तमान सरकार के माथे का कलंक बन जाएगा। 24-24 घंटे तक भोजन न मिलना। क्या अपराध है उस भूखे व्यक्ति का? यही कि वह भारत में निवास करता है।
 गैर सरकारी संस्थाएं इन मोर्चो पर अगर आगे नहीं बढ़ती तो देश की जनता के बड़े तबके को भुखमरी का सामना करना पड़ता। अगर सामाजिक ताना-बाना ही इससे लड़ेगा। तो लूट-खसोट का खेल खेलने वाले अधिकारियों पर जांच बैठाई जाए और भोजन वितरण की ढकोसला योजनाओं को तुरंत बंद कर देना चाहिए।
हमारी संस्कृति ने हमें सदा 'नर सेवा, नारायण सेवा' की सीख दी है। इसलिए हम किसी भी परिस्थिति से निपटने को तैयार है। सरकार अधिकारियों पर मेहरबानी बंद करें और जनता हित में ध्यान लगाए। जय जयकार करने वाली जनता का हित।


राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'


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