सोमवार, 30 मार्च 2020

'कफन चोरों' को व्यवस्था की बागडोर

कफन चोरो के हाथ बागडोर
अकाशुं उपाध्याय


गाजियाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस प्रकार से जन सुरक्षा को लेकर चिंतित है और महामारी नियंत्रण के सभी विकल्पों पर दिन रात-काम कर रहे है। कहीं गरीबी को कम करने पर तो कार्य नहीं किया जा रहा है। क्योंकि इस प्रकार की परिस्थिति में गरीब का जीवित रहना बहुत कठिन है। इसके विपरीत दूसरी तरफ प्रशासन जनता पर कहर बरसा रहा है। कुछ दोगले नेता और धूर्त अधिकारी अपनी काली करतूतों से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा लगता है सरकार और प्रशासन योजनाबद्ध ढंग से गरीबी हटाने का कार्य कर रहे हैं। भूख से पीड़ित, निरीह लोग तहसील के दरवाजे पर इस उम्मीद के साथ खड़े हैं कि उन्हें कुछ खाने-पीने का सामान अथवा भोजन मिलेगा। बल्कि अशिक्षित और अनिभिज्ञ लोग प्रधानमंत्री मोदी के मंत्र 'सामाजिक दूरी' से भी अनजान है। 
गाजियाबाद स्थित लोनी क्षेत्र का कड़वा सच आज भी अपने मुकाम पर कायम है। आपातकालीन स्थिति में भी तहसीलदार प्रकाश सिंह अपने भ्रष्टाचार पर पूर्ववत केंद्रित है। पूर्व में तहसीलदार ने दोनों हाथों से रिश्वत बटोर कर, सील की गई क्षेत्र की अवैध औद्योगिक इकाइयां संचालित कराई थी। लेकिन हद तो तब हो गई है जब लाखों रुपए का खाना तहसीलदार अकेले ही खा रहा है। लोनी में प्रतिदिन 5000 लोगों को भोजन प्रदान करने का काला सच जानकर आप हैरान हो जाएंगे। क्षेत्र में 500 लोगों को भी भोजन मुवैया नहीं कराया जा रहा है। जबकि 5000 लोगों को प्रतिदिन भोजन एवं भोजन सामग्री प्रदान करने का दावा किया जा रहा है। इस काली करतूत में कई लोगों की साझेदारी होने की संभावना से मना नहीं किया जा सकता है। हालांकि भ्रष्ट अधिकारी तंत्र तहसीलदार की क्या पूछं उखाड़ेगा? उसके आकाओं का उसको भरपूर समर्थन है। जबकि ऐसे अधिकारीयो को चौराहे पर काला मुंह करके और जूतों का हार पहना कर, जुलूस निकालना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।
आखिरकार सरकार को इतना आडंबर करने की जरूरत क्या है? लूट-खसोट ही करनी है तो आराम से करो। कौन रोकने वाला है? मंत्री-संत्री सब भाजपा ही भाजपा है। यह सच है, "जिसका कोई नहीं होता, उसका तो खुदा होता है"। तहसील के दरवाजे से गरीब, मजदूर और मजलूम तीमारदार कितना उदास चेहरा लेकर लौटे! लेकिन स्थानीय नेताओं की आंखों पर चर्बी चढ़ी है। जिन्हें वास्तविकता दिखाने से भी नहीं दिख रही है। जबकि वास्तविकता यही है कि उनका जो भी वजूद है। वह इसी जनता से हैं। रसूखदार लोग अपने मतलब से ही किसी को पूछते हैं। किसी को वोट देना तो बहुत बड़ी बात है।


1.उपजिला अधिकारी खालिद अंजुम खान अधिक व्यवस्था के कारण फोन रिसीव नहीं कर पा रहे हैं। पिछले 24 घंटे में चार बार संपर्क करनेे करने का प्रयास किया गया। लेकिन संपर्क नहीं हो सका। तहसील कार्यालय को बाहर सेेेेे बंद कर, सभी का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। ताकि अंदर चल रहे खेल की किसी को भनक ना हो।


2. जिला अधिकारी अजय शंकर पांडे से संपर्क करने पर यथा स्थिति से अवगत कराया गया। उन्होंने आश्वासन देते हुए कहा कि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था अथवा लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।



वंही मोदी की 'सामाजिक दूरी' का सच भी उजागर होता है। शुक्र है अभी तक यहां पर संक्रमण प्रभावी नहीं है। वरना लाशों के ढेर लग जाते और कफन चोर अधिकारियों की मौज हो जाती। वाह मोदी सरकार, वाह योगी सरकार।


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