बुधवार, 11 दिसंबर 2019

रियल स्टेट कंपनी का कर्मचारी को बोनस

न्यूयॉर्क! एक रियल स्टेट कंपनी ने अपने स्टाफ को करीब 35-35 लाख रुपये बोनस के रूप में दिए हैं. कंपनी ने अपने सभी 198 स्टाफ को बोनस देने में 71 करोड़ रुपये का खर्च किए हैं! बोनस का चेक लेने के बाद कई स्टाफ हैरान रह गए और कई लोगों की आंखों में खुशी के आंसू आ गए.


अमेरिका के बाल्टीमोर की सेंट जॉन प्रोपर्टीज नाम की कंपनी ने एक हॉलिडे पार्टी के मौके पर बोनस का ऐलान किया! न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, स्टाफ को उनके कार्यकाल के हिसाब से बोनस की रकम मिलेगी, लेकिन ज्यादातर स्टाफ 35 लाख रुपये पाएंगे!


कंपनी का कहना है कि वह स्टाफ को अतिरिक्त पैसे देने में इसलिए कामयाब हुई क्योंकि कंपनी ने शानदार प्रदर्शन किया है! अमेरिका के 8 राज्यों में कंपनी ने ऑफिस, रिटेल स्टोर और गोदाम के लिए 2 करोड़ स्क्वायर फीट के मकान तैयार किए हैं!


कंपनी की ओर से जारी एक वीडियो में अकाउंट्स स्पेशलिस्ट डेनिएल वेलेन्जिया ने कहा कि यह जिंदगी बदलने वाली चीज है! वे 19 सालों से कंपनी के साथ काम करते रहे हैं! खास बात ये है कि यह हॉलिडे बोनस कंपनी की ओर से सालाना दिए जाने वाले बोनस से बिल्कुल अलग है. बोनस का ऐलान करते हुए कंपनी के फाउंडर और चेयरमैन एडवर्ड सेंट जॉन ने कहा- 'मैं इसे सेलिब्रेट करना चाहता था और जिन लोगों ने ये काम किया उनके लिए कुछ सार्थक करना चाहता था!


अजीबो-गरीब पक्षी पीठ, पर बंधा कैमरा

पटना! बिहार के शिवहर जिले (Shivhar district of Bihar) के एक गांव से संदिग्ध पक्षी (Suspicious bird) मिला है। पक्षी के पंख के ऊपर एक कैमरा (A camera above the bird's wings) लगा हुआ है। पुलिस और वन विभाग के अधिकारी (Forest Department Officer) मामले की जांच कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार जब्त पक्षी बाज की तरह लग रहा है। चिकनौटा गांव (Chikanauta Village) में इस पक्षी को देखकर अन्य पक्षी शोर मचा रहे थे, तब इस संदिग्ध पक्षी पर ग्रामीणों की नजर गई। पक्षी के नीचे आने के बाद ग्रामीणों ने पक्षी के शरीर पर कुछ संदिग्ध वस्तु लगा दिखाई दिया, तब गांव के लोगों ने किसी तरह पक्षी को पकड़कर थाने को सुपुर्द कर दिया। नगर थाना के प्रभारी सुदामा राय ने बताया, संदिग्ध पक्षी की पीठ पर कैमरा लगा हुआ है। पक्षी को वन विभाग के अधिकारियों को सौंप दिया गया है। कैमरा से लैस कथित बाज के विषय में जांच के बाद ही कुछ स्पष्ट कहा सकता है। पुलिस कैमरे की जांच में जुटी है। बहरहाल, इस क्षेत्र में संदिग्ध पक्षी की बरामदगी के बाद तरह-तरह की चर्चा हो रही है।


नागरिक संशोधन विधेयक, झूठ एवं सच

नागरिकता संशोधन विधेयक : क्या है झूठ एवं वास्तविकता, जानें अंतर


नागरिकता संशोधन विधेयक-2019 सोमवार को लोकसभा में पारित हो गया और बुधवार को यह राज्यसभा में लाया जाएगा । सरकार का मानना है कि नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर जनता में कुछ भ्रांतियां हैं जिसे दूर किया जाना चाहिए । इस संबंध में पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की ओर से कई ट्वीट कर इससे जुड़ी भ्रांति और वास्तविकता की जानकारी दी है ।


पीआईबी के अनुसार विधेयक से जुड़ी झूठ और वास्तविकता इस प्रकार हैं। झूठ- नागरिकता संशोधन विधेयक हिंदू बंगालियों को नागरिकता प्रदान करेगी। वास्तविकता- नागरिकता संशोधन विधेयक स्वत: हिंदू बंगालियों को नागरिकता प्रदान नहीं कर सकती, यह विधेयक केवल छह अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित व्यक्तियों के लिए एक सक्षम कानून का निर्धारण करेगी। इस विधेयक को केवल मानवीय आधार पर प्रस्तावित किया गया है क्योंकि तीन देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान ) से धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर समुदायों को भगाया गया है।


झूठ- यह विधेयक असम के समझौते को कमजोर कर देगा ।वास्तविकता- यदि अवैध शरणार्थियों को पकड़ने व वापस भेजने के लिए 24 मार्च 1971 की अंतिम तिथि की बात करें, तो यह विधेयक असम समझौते की मूल भावना को कमजोर नहीं करता है। झूठ- नागरिकता संशोधन विधेयक से बांग्ला भाषी लोगों का प्रभुत्व बढ़ जाएगा। वास्तविकता- हिंदू बंगाली जनसंख्या के अधिकांश लोग असम की बराक घाटी में रहते हैं और यहां बंगाली भाषा को राज्य की दूसरी भाषा का दर्जा दिया गया है। ब्रह्मपुत्र घाटी में, हिंदू-बंगाली अलग-अलग क्षेत्रों में रह रहे हैं और उन्होंने असमी भाषा को अपना लिया है।


झूठ- नागरिकता संशोधन विधेयक असम की स्थानीय जनता के हितों के खिलाफ है। वास्तविकता- यह विधेयक असम पर केंद्रित नहीं है, यह भारत के हर राज्य में लागू होता है। यह विधेयक भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ भी नहीं है, बल्कि एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है ताकि स्वदेशी समुदाय के अवैध प्रवास को रोका जा सके। झूठ- बंगाली हिंदू असम के लिए बोझ बन जाएंगे।वास्तविकता- नागरिकता संशोधन विधेयक पूरे भारत देश के लिए सामान्य रूप से लागू है, धार्मिक रूप से उत्पीड़न सहने वाले लोग केवल असम में नहीं हैं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी हैं। झूठ- नागरिकता संशोधन विधेयक हिंदू बंगाली लोगों की जनजातीय लोगों की जमीन को हथियाना है। वास्तविकता- हिंदू बंगाली जनसंख्या अधिकांश रूप से असम की बराक घाटी में रह रही है, जो कि आदिवासी क्षेत्र से दूर है। साथ ही नागरिकता संशोधन विधेयक आदिवासी जमीन के संरक्षण संबंधी किसी भी नियम अधिनियम को खंडित नहीं करती। नागरिकता संशोधन विधेयक उस स्थान पर लागू नहीं होता जहां इनर लाइन परमिट अथवा संविधान की छठी अनुसूची का प्रावधान है। झूठ- नागरिकता संशोधन विधेयक के कारण बंग्लादेश से हिंदुओं का पलायन और बढ़ जाएगा। वास्तविकता- बांग्लादेश से अधिकांश अल्पसंख्यक पहले ही विस्थापित हो चुके हैं, उत्पीड़न के स्तर में भी पिछले कुछ वर्षों में कमी आई है। बदले हुए स्वरूप में व्यापक रूप से धार्मिक प्रताड़ना के कारण पलायन के होने की संभावना बहुत कम है। 31 दिसंबर 2014 के बाद भारत प्रवास करने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिक संशोधन विधेयक के तहत लाभ नहीं मिल सकेगा।


झूठ- नागरिकता संशोधन विधेयक मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है। वास्तविकता- किसी भी देश के किसी भी धर्म का कोई भी नागरिक भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकता है। यदि वह नागरिकता अधिनियम, 1955 के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार ऐसा करने के लिए पात्र है। नागरिकता संशोधन विधेयक इन प्रावधानों को बिल्कुल भी नहीं बदलता है। यह केवल तीन देशों के छह अल्पसंख्यक समुदायों के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाता है और उनके आवेदन को गति देता है। यदि वे दिए गए मानदंडों को पूरा करते हैं।


नियमित समय पर नहीं आते हैं शिक्षक

पंकज चौबे


सिद्धार्थनगर! बढनी क्षेत्र के प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्द्यालयों की स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। बताया जाता है कि इन विद्यालयों के शिक्षकों एवं शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण नामांकित बच्चों में से अधिकांश छात्र व छात्राएं प्रतिदिन विद्यालय नहीं जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षक नियमित समय पर विद्यालय नहीं आते हैं। जो शिक्षक विद्यालय में रहते भी हैं तो वे लोग आपस में गप लड़ाने में समय व्यतीत कर देते हैं। बच्चे पठन-पाठन के समय खेलकूद कर फिर वापस अपने-अपने घर चले जाते हैं। बच्चों को नियमित रूप से मिड डे मील भी नहीं मिलता है।  बढ़नी के प्राथमिक विद्यालय सेवरा मे 10:30 बजे : पर विद्यालय मे ताला लगा था ।  बच्चे विद्यालय प्रांगण खेल रहे थे।इस सम्बन्ध ने खण्डशिक्षा अधिकारी अभिमन्न्नू प्रसाद जी से उनके मोबाइल 8765979221 पर कई प्रयास के बाद भी फोन रिसीब नही हुआ।


सीटेट परीक्षा की आंसर-की जल्द जारी

नई दिल्ली! केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) जल्द सीटीईटी परीक्षा की आंसर-की (CTET Answer Key) और ओएमआर शीट जारी कर देगा! परीक्षा की आंसर-की और ओएमआर शीट सीटेट की ऑफिशियल वेबसाइट ctet.nic.in पर जारी की जाएगी! उम्मीदवार इस वेबसाइट से ही आंसर-की चेक और डाउनलोड कर सकेंगे! आंसर-की जारी होने के बाद आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू होगी! उम्मीदवारों को आपत्ति दर्ज कराने के लिए शुल्क देना होगा! ऑफिशियल एग्जाम शेड्यूल के मुताबिक सीटीईटी परीक्षा का रिजल्ट 6 सप्ताह के भीतर जारी कर दिया जाएगा. बता दें कि सीटेट परीक्षा 8 दिसंबर को देश भर के 110 प्रमुख शहरों में आयोजित की गई है! परीक्षा दो शिफ्ट में हुई. पहली शिफ्ट सुबह 9.30 से 12 बजे तक और दूसरी शिफ्ट 2 बजे से 4.30 बजे चली थी!


डिजीलॉकर में मिलेगा सर्टिफिकेट
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, केंद्रीय अध्यापक पात्रता परीक्षा में सम्मिलित समस्त अभ्यर्थियों को अंक प्रपत्र एवं सफल अभ्यर्थियों को सर्टिफिकेट उनके डिजीलॉकर खाता में डिजिटल-स्वरूप में प्रदान करेगा! उपरोक्त अभ्यर्थियों के डिजीलॉकर खाते खोले जाएंगे एवं खातों से संबन्धित विवरण, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में पंजीकृत मोबाइल नंबर पर प्रेषित किया जाएगा! सूचना प्रोद्योगिकी अधिनियम के अनुसार, अंक–प्रपत्र एवं पात्रता–प्रमाण पत्र डिजिटल रूप में हस्ताक्षरित होंगे एंव विधिक रूप से मान्य होंगे!


क्या है सीटेट परीक्षा 
सीटीईटी परीक्षा का मुख्य उद्देश्य सराकरी विद्यालयों में गुणवत्ता वाले तथा कुशल शिक्षकों की भर्ती करवाना होता है! CTET का सर्टिफिकेट सरकारी विद्यालयों में शिक्षक की नौकरी पाने के लिए पहला कदम है! CTET पास करने के बाद एक अभ्यर्थी केंद्र सरकार की शिक्षक की नौकरी जैसे कि KVS, NVS आर्मी शिक्षक, ERDO आदि के लिए आवेदन कर सकता है! CBSE हर साल दो बार सीटीईटी परीक्षा आयोजित करता है. पहली परीक्षा जुलाई और दूसरी दिसंबर के महीने में आयोजित की जाती हैै! सीटेट परीक्षा में 2 पेपर होते हैं. पेपर 1 उन लोगों के लिए होता है जो कक्षा 1 से 5 तक पढ़ाना चाहते हैं! वहीं, कक्षा 6 से 8 तक के लिए पेपर 2 होता है!


गरीबी को देख, गरीबों की मसीहा बनी

रायपुर!  इस लड़की से ज्यादा छत्तीसगढ़ में केवल रमन सिंह के ही फॉलोवर्स हैं! हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के दुर्ग में पदस्थ एक महिला कांस्टेबल स्मिता तांडी की. फेसबुक के जरिये लोगों की मदद करने की वजह से अब स्मिता को पूर्व में 8 मार्च को नारी शक्ति सम्मान से देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी सम्मानित किया था!
कांस्टेबल स्मिता तांडी के पिता पुलिस में ही थे. तबियत ठीक नहीं रहने की वजह से उन्होंने समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था. साल 2013 में स्मिता के पिता की तबियत अचानक बिगड़ गई! स्मिता उन दिनों पुलिस की ट्रेनिंग कर रही थीं! पैसे के अभाव के कारण स्मिता के पिता शिव कुमार तांडी की मौत हो गई! गरीबी और पैसे की वजह से पिता की मौत ने स्मिता को अंदर से झकझोर कर रख दिया. स्मिता ने उसी समय ठान लिया की अब वो गरीबों और जरूरतमंदों की मदत करेंगी. चूंकि स्मिता ऐसा आसानी से नहीं कर सकती थीं इसलिए उन्होंने जरिया बनाया फेसबुक को और फेसबुक के माध्यम से वो लोगों की मदद करने लगीं. स्मिता जरूरतमंदों की फोटो खींचकर फेसबुक में डाल देती हैं, जिसके बाद उनके फॉलोवर्स मदद के लिए आगे आते हैं!


स्मिता के 7 लाख से ज्यादा फेसबुक पर फॉलोवर्स हैं. स्मिता को फेसबुक पर कई बार लोग भला-बुरा भी लिख देते हैं लेकिन स्मिता उसका बुरा नहीं मानती! स्मिता का कहना है कि उन्हें इस बात से गर्व होता है कि वो जिस तरह से जरूरतमंदों और गरीबों की मदद कर रही हैं इसमें लोग उनका साथ दे रहे हैं!


स्मिता कहती हैं कि कई बार उनके स्टाफ के लोग उनपर तंज कसते हैं कि ड्यूटी छोड़कर वो फेसबुक में लगी रहती हैं लेकिन स्मिता हर बार लोगों को यह कहकर शांत कर देती हैं कि वो अपना निजी समय निकालकर लोगों की मदद करती हैं न की ड्यूटी टाइम पर!


स्मिता के पास अब लोग अपनी समस्या लेकर पहुंचते हैं तो कई बार ऐसा होता है कि जिनकी मदद करना है उनके पास बैंक खाता तक नहीं होता. ऐसे में स्मिता पैसा देने वाले लोग के पास जाती हैं और पैसा लेकर जरूरतमंद तक पहुंचाती हैं. अब पैसा देने वाले लोग भी स्मिता पर पूरा भरोसा करने लगे हैं!


स्मिता को यह यकीन ही नहीं हो पा रहा है कि उसे 8 मार्च अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नारी शक्ति सम्मान देने वाले हैं! स्मिता कहती हैं यह उनके लिए गर्व का विषय है कि उनके काम को देश में सराहा जा रहा है. स्मिता काफी खुश हैं! और उनका परिवार भी स्मिता के काम से बेहद खुश है! स्मिता की मां कहती हैं कि उनकी बेटी जो काम कर रही है! उसके बदले में राष्ट्रपति पुरस्कार मिलेगा ऐसा उन्होंने कभी नहीं सोचा था! स्मिता फेसबुक में काफी लोकप्रिय हैं! और उन्हें सब जानते हैं!


भोपाल ने 'सोलर सिटी' की पहचान बनाई

भोपाल! नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री हर्ष यादव ने कहा है कि राज्य सरकार ने अपने पहले साल के कार्यकाल में ही प्रदेश को 'सोलर स्टेट' और भोपाल को 'सोलर सिटी' की पहचान दिलाने में सफलता पाई है। प्रदेश के औद्योगिक प्रक्षेत्रों में सौर ऊर्जा के उपयोग के लिये किये गये नवाचारों की विश्व बैंक ने भी प्रशंसा की है। उन्होंने बताया कि सोलर रूफ टॉप परियोजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश बहुत आगे निकल गया है। एक वर्ष में ही प्रदेश में ग्रिड कनेक्टेड परियोजनाओं में 670 मेगावाट क्षमता की वृद्धि हुई है। प्रदेश में 645 मेगावाट की सौर परियोजनाएँ और 25 मेगावाट की बायोमास परियोजनाएं स्थापित की गईं हैं। श्री यादव ने कहा कि अगले 4 वर्ष में करीब 6 हजार मेगावाट क्षमता की नवीन और नवकरणीय ऊर्जा आधारित परियोजनाएं क्रियान्वित की जाएंगी। आगर-मालवा, शाजापुर और नीमच जिलों में 1500 मेगावाट की सोलर परियोजनाएँ भी शुरू होंगी। इसके लिये भूमि आवंटन कर दिया गया है।
                           प्रदेश में सौर ऊर्जा, सोलर पम्प स्थापना, पॉवर स्टोरेज, ई-व्हीकल उपयोग, पवन ऊर्जा और फ्लोटिंग पावर प्लांट स्थापना के क्षेत्र में किये गये कार्यों की जानकारी देते हुए मंत्री श्री हर्ष यादव ने बताया कि रीवा परियोजना से अब पूर्ण क्षमता 750 मेगावाट विद्युत उत्पादन प्राप्त हो रहा है। इसमें से प्रतिदिन लगभग 100 मेगावाट बिजली दिल्ली मेट्रो को दी जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 2.97 रूपये प्रति यूनिट की मितव्ययी दर से बिजली प्रदान की जा रही है। प्रदेश के बुन्देलखण्ड और चम्बल अंचल में बंजर भूमि पर सोलर पार्क स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। ओंकारेश्वर और इंदिरा सागर जलाशयों में एक हजार मेगावाट क्षमता के फ्लोटिंग सौर संयंत्र विकसित करने की कार्यवाही शुरू हो गई है। इस क्षमता के तैरते हुए संयंत्र स्थापित करने की यह देश में अनूठी पहल है।
                              मंत्री हर्ष यादव ने बताया कि प्रदेश में 8.5 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएँ सफल सिद्ध हुई हैं। इसके अलावा 43 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं आकार ले रही हैं। अगले चार वर्ष में लगभग 500 मेगावाट की सोलर रूफ टॉप परियोजनाएं काम करना शुरू कर देंगी। उन्होंने कहा कि भोपाल नगर में बड़ी झील के पास ब्रिज और रिटेनिंग वॉल पर 500 किलोवाट क्षमता के सौर संयत्र की स्थापना की गई है। संयंत्र के नजदीक करबला पम्प हाउस का संचालन सौर ऊर्जा से हो रहा है। इससे सालाना 40 लाख रूपये की बचत और लगभग 10 हजार वृक्षों के बराबर पर्यावरण संरक्षण संभव हुआ है। उज्जैन के वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में भी सौर संयंत्र स्थापित किया गया है। विश्वविद्यालयीन भवनों, मेडिकल कॉलेजों और स्टेडियम तथा विभिन्न संस्थानों में सौर संयंत्र संचालित हैं। मण्डीदीप में करीब 600 उद्योगों का सर्वे किया गया है और विभिन्न ईकाइयों द्वारा 28 मेगावाट क्षमता का उत्पादन रेस्को मॉडल पर हो रहा है। पीलूखेड़ी और पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्रों में भी सोलर रूफटॉप परियोजनाओं के लिये उद्यमी आकर्षित हो रहे हैं।


इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके

इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके  अखिलेश पांडेय  जकार्ता। इंडोनेशिया के पूर्वी प्रांत मालुकु में सोमवार के तेज झटके महसूस किए गए। इ...