सोमवार, 24 जून 2019

आयुक्त और मेयर के बीच फिर विवाद


अजमेर नगर निगम आयुक्त और मेयर के बीच फिर विवाद।
आयुक्त जनप्रतिनिधियों का सम्मान नहीं कर रही हैं-मेयर गहलोत।
हर बैठक की सूचना दी है-आयुक्त।

अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने आरोप लगाया है कि नगर निगम की आयुक्त सुश्री चिन्मयी गोपाल जनप्रतिनिधियों का सम्मान नहीं कर रही है। उल्लेखनीय है कि निगम के काम काज को लेकर दोनों में पिछले कई दिनों से टकराव चल रहा है। ताजा मामला अजमेर पुष्कर बस लिमिटेड कंपनी से जुड़ा हुआ है। राज्य सरकार के आदेशों के अनुसार नगर निगम के मेयर कंपनी के अध्यक्ष होंगे और कंपनी बोर्ड की मीटिंग अध्यक्ष की अध्यक्षता में ही होगी। लेकिन आयुक्त सुश्री चिन्मयी ने दो फरवरी को कंपनी के मैनेङ्क्षजग डायरेक्टर विश्वमोहन शर्मा की अध्यक्षता में बैठक करवा कर निर्णय ले लिए। इस बैठक की कोई जानकारी मेयर और कंपनी के अध्यक्ष को नहीं दी गई। इसी प्रकार 6 मार्च को अजमेर से पुष्कर की बस सेवा का शुभारंभ चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा से करवा लिया गया। इस कार्यक्रम में मेयर को आमंत्रित तक नहीं किया गया। कंपनी के कामों से जुड़ी फाइल मेयर तक नहीं भेजी जा रही है। मेयर गहलोत ने बताया कि इस एक तरफा फैसलों की जानकारी तब हुई जब हाल ही में अजमेर से किशनगढ़ के बीच बस चलाने की अनुमति मांगी गई। फाइल को देखने पर पता चला कि आयुक्त और कलेक्टर मिलकर निर्णय ले रहे हैं। मेयर गहलोत ने कहा कि सुश्री चिन्मयी गोपाल लगातार जनप्रतिनिधियों की अवज्ञा कर रही हैं। यह कृत्य आयुक्त को शोभा नहीं देता है। उन्होंने कहा कि वे शहर हित में बस चलाने के मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं करना चाहते हैं। यदि अजमेर किशनगढ़ के बीच बस चलाने की जरुरत है तो उनकी तरफ से नियमों के अंतर्गत अनुमति दी जाती है। मेयर ने कहा कि नगर निगम में निर्वाचित जनप्रतिनिधि है। इसलिए आयुक्त को आम जनता का सम्मान करना चाहिए।
मेयर को दी जाती है सूचना-आयुक्त :
वहीं निगम की आयुक्त सुश्री चिन्मयी गोपाल ने कहा कि अजमेर पुष्कर बस लिमिटेड कंपनी की जितनी भी बैठक हुई है उन सबकी जानकारी समय समय पर मेयर और कंपनी के चेयरमैन धर्मेन्द्र गहलोत को दी गई है। गहलोत सूचना प्राप्त होने के बाद भी बैठकों में नहीं आए है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को सम्मान नहीं देने की कोई बात नहीं है। वे जनप्रतिनिधियों का पूरा सम्मान करती हैं। उन्होंने कहा कि दो फरवरी और 7 जून की बैठकों की सूचना विधिवत तौर पर मेयर को भिजवाई गई है। 2 फरवरी की बैठक में तो मेयर स्वयं उपस्थित थे।
एस.पी.मित्तल


 


सरकार फर्टिलाइजर तकनीकी विकसित करें


आवारा सांड और बछड़ों की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार फॢटलाइज्ड एग की तकनीक विकसित करे। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने डेयरी अध्यक्षों को भरोसा दिलाया। दूध पर चार रुपए प्रतिलीटर अनुदान की मांग। सहकारिता के क्षेत्र में शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता समाप्त हो।

 जयपुर ! बजट पूर्व जनसंवाद के अंतर्गत 24 जून को अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जयपुर स्थित सचिवालय में मुलाकात की। इस अवसर पर चौधरी के साथ जोधपुर डेयरी के अध्यक्ष रामलाल विश्नोई और जयपुर डेयरी के अध्यक्ष ओम पुनिया भी थे। चौधरी ने सीएम गहलोत के समक्ष पशुपालकों और डेयरी कर्मचारियों की समस्याओं को विस्तार से रखा। चौधरी ने आवारा सांड और बछड़ों की प्रदेशव्यापी समस्या को सीएम के सामने रखते हुए कहा कि इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रदेश में ईएमबीआरवाईओ ट्रांसवर टेक्नॉलॉजी को विकसित किया जाए। इस टेक्नोलॉजी के अंतर्गत फर्टिलाइाज्ड एग प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे बछड़ी ही उत्पन्न होती है। जब बछड़े उत्पन्न नहीं होंगे तो आवारा पशुओं से अपने आप निजात मिल जाएगी। चौधरी ने फर्टिलाइज एग पर अनुदान देने की भी मांग की। सीएम गहलोत ने कहा कि इस तकनीक का अध्ययन करवाने के बाद जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। सीएम ने भी माना कि शहरी क्षेत्र में आवारा सांडों और बछडों की वजह से नागरिकों खास कर बुजुर्गों को परेशानी होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में फसलों को नुकसान पहुंचता है।
शैक्षणिक अनिवार्यता समाप्त हो:
डेयरी प्रतिनिधियों ने सीएम से मांग की कि जिस प्रकार पंचायतीरात और स्थानीय निकाय संस्थाओं के चुनावों में शैक्षणिक योग्यता को समाप्त किया गया है, उस प्रकार सहकारी संस्थाओं के चुनाव में भी शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता खत्म की जाए। मौजूदा समय में ग्रामीण क्षेत्रों में 9वीं तथा जिला स्तर पर 10वीं कक्षा उत्त्तीर्ण होना अनिवार्य रखा गया है। इससे अनुभवी जनप्रतिनिधियों का चुनाव नहीं हो पा रहा है। चौधरी ने सीएम को बताया कि वर्ष 1985 के बाद प्रदेशभर की डेयरियों में भर्ती नहीं हुई है। यही वजह है कि अब मात्र 18 प्रतिशत कर्मचारी ही शेष बचे हैं। चौधरी ने मांग की कि एनडीडीबी के माध्यम से तकनीक स्टाफ की भर्ती करवाई जावे। चौधरी ने डेयरियों में रखे जा रहे अनुबंधित कर्मचारियों की समस्याओं को भी रखा। पूर्व में अनुबंध पर कर्मचारियों को छठे वेतनमान के अनुरूप पारीश्रमिक दिया जा रहा था, लेकिन सातवें वेतन आयोग में पारीश्रमिक की राशि आधी कर दी गई है। इससे अब डेयरियों में अनुबंध पर भी कर्मचारी उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। मौजूदा कर्मचारियों ने इस्तीफा दे रखा है। चौधरी ने यह भी मांग की कि जिस प्रकार डॉक्टरों की सेवा निवृत्ति की उम्र 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष की गई है उसी प्रकार डेयरी में काम करने वाले तकनीकी स्टाफ के रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष की जाए।
जीएसटी के साथ मंडी टैक्स:
डेयरी प्रतिनिधियों ने सीएम को बताया कि राजस्थान एक मात्र ऐसा प्रदेश है जहां घी पर जीएसटी के साथ साथ मंडी टैक्स भी वसूला जाता है। प्रदेश भर में 12 करोड़ रुपए मंडी टैक्स के तौर पर सरकार को जमा करवाए जाते हैं। चौधरी ने यह भी मांग की कि जीएसटी को भी पांच प्रतिशत के दायरे में लाया जाए। मौजूदा समय में घी पर 12 प्रतिशत जीएसटी लिया जा रहा है। जिसकी वजह से प्रतिलीटर 26 रुपए अधिक देने होते हैं। इससे डेयरी कारोबार को भारी नुकसान हो रहा है। चौधरी ने सीएम से आग्रह किया कि पशुपालकों को दो रुपए अनुदान की बजाए चार रुपए प्रतिलीटर का अनुदान उपलब्ध करवाया जाए। ताकि राजस्थान दुग्ध डेयरियां अमूल और पायस जैसी डेयरियों से मुकाबला कर सके। सीएम को बताया गया कि अमूल और पायस जैसी डेयरियां राजस्थान से दूध संग्रहित कर दिल्ली में ऊंची कीमत पर बेचती हैं। देश के कई राज्यों में पशुपालकों को चार रुपए प्रति लीटर का अनुदान मिल रहा है। चौधरी ने नए प्रोसेसिंग प्लांट के ऋण की ब्याज राशि का भुगतान राज्य सरकार से करवाने की मांग की। ऐसा कई राज्यों में हो रहा है।
मोलासिस पर टैक्स कम करने की मांग:
चौधरी ने मांग की कि पशु आहार के निर्माण में काम आने वाले मोलासिस पर टैक्स कम किया जाए। मौजूदा समय में 32 प्रतिशत टैक्स वसूला जा रहा है। इससे पशु आहार की लागत ज्यादा आ रही है। इसी प्रकार एफसीआई के गोदामों में खराब होने वाले फूडग्रेन को सस्ती दर पर पशु आहार संयंत्रों को उपलब्ध करवाया जाए। इसके लिए राज्य सरकार एफसीआई की नीलामी में भाग ले। उन्होंने पशु बीमा कानून को भी लागू करने की मांग की।
एस.पी.मित्तल


कैबिनेट में कंज्यूमर प्रोटक्शन बिल को मंजूरी

कैबिनेट की बैठक खत्म, कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल 2019 को मिली मंजूरी, हुए कई अहम फैसले


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक हुई। इस बैठक में कई अहम फैसले हुए। कैबिनेट कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल 2019 को मंजूरी दे दी। ये बिल अगले हफ्ते संसद में पेश हो सकता है। इस विधेयक में कंज्यूमर के हितों की रक्षा करने के लिए नए प्रावधान अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित हैं।
वहीं इस कैबिनेट बैठक में मोटर व्हीकल अमेंडमेंट बिल को भी मंजूरी दे दी गई है। इसके अलावा चीनी का 20 लाख टन बफर स्टॉक बनाने के लिए कैबिनेट नोट जारी कर दिया गया है।
सूत्रों के हवाले से मिली खबर के मुताबिक केंद्रीय कैबिनेट ने आज कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल 2019 को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक में कंज्यूमर के हितों की रक्षा करने के लिए नए प्रावधान अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित हैं। इसके अलावा इस कैबिनेट बैठक में मोटर व्हीकल अमेंडमेंट बिल को भी मंजूरी दी गई है।


ओवर रेट, सीज किया बीयर बार

डीएम वार रूम गौतम बुद्ध नगर डीएम बीएन सिंह के निर्देश पर आबकारी विभाग के अधिकारियों की बड़ी कार्यवाही, ओवर रेट बिक्री करने पर बीयर बार को किया गया सीज


 गौतमबुध नगर ! जनपद में सभी देशी-विदेशी मदिरा एवं बीयर बार शॉप पर निर्धारित मानकों के अनुसार बिक्री कराने के उद्देश्य से जिलाधिकारी बीएन सिंह के निर्देश पर जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह एवं उनके सहयोगी अधिकारियों द्वारा निरंतर रूप से सघन चेकिंग अभियान संचालित किया जा रहा है। इस क्रम में विगत दिवस देर शाम समय रात्रि 09.00 बजे माडल शाप कृष्णा अपरा प्लाजा अल्फा-1ग्रेटर नोएडा का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के समय बिक्रेता अंकित मूल्य से अधिक मूल्य पर बियर की बिक्री करता हुआ पाया गया। उक्त माडल शाप के अनुज्ञापन को तत्काल प्रभाव से निलम्बित करते हुए सीज कर दिया गया है और दुकान के अनुज्ञापी से इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया है। स्पष्टीकरण प्राप्त होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह जानकारी जिला आबकारी अधिकारी राकेश कुमार सिंह के द्वारा दी गई है। उन्होंने जनपद के समस्त देशी-विदेशी मदिरा बियर बार शॉप के स्वामियों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि सभी के द्वारा शासन की नीति के तहत देसी विदेशी मदिरा बियर आदि की बिक्री की जाए यदि कहीं पर भी ओवर रेट पाया जाएगा तो इसी प्रकार जिलाधिकारी के निर्देश पर कठोरतम कार्रवाई प्रस्तावित की जाएगी।


राकेश चौहान जिला सूचना अधिकारी गौतम बुद्ध नगर।


चेयरमैन के खिलाफ लगाए नारे

 हाथरस ,सादाबाद सहपऊ । सहपऊ टाउन एरिया के सफाई कर्मचारियों ने किया धरना प्रदर्शन चेयरमैन के खिलाफ,  चेयरमैन मुर्दाबाद के लगाए नारे ! जिसमें सफाई कर्मचारी सभी सभासद जितेंद्र वर्मा और सभी सभासद मिले हुए है !सफाई कर्मचारियों के साथ उनका कहना है! हमें वेतन नहीं मिलता सफाई कर्मचारियों के साथ बदतमीजी गुंडागर्दी का व्यवहार किया जाता है! जिनके यहां पर रामा नाम का जो बाबू है !उसने एक सफाई कर्मचारी महिला के साथ बदतमीजी व गाली-गलौज की जिससे सफाई कर्मचारियों ने बहुत ज्यादा गुस्सा और रोष दिखाई दिया है !वहां पर सांसद जी के द्वारा भेजे गए उनके खास आदमी अशोक चौहान भी मौजूद थे! और उन्होंने सफाई कर्मचारी चेयरमैन साहब से बातचीत कर सभी सफाई कर्मचारियों को समझाया। 


अमित कुमार की रिपोर्ट 


पत्रकार की वेदना (विवेचना )

एक पत्रकार की वेदना उस की कलम से


मुझे ऐसा लगता है कि जिस तरह पुलिस वालों की छवि आम जनता की निगाह में बेईमान , लालची और पद और शक्ति का दुरूपयोग करने वाले लोगों की बन चुकी है , लगभग वैसी ही छवि पत्रकारों की भी बन गई है । इस छवि के कारण सच्चे और निष्ठावान पत्रकारों को भी लोग शक की निगाह से देखते हैं तो कोई ताज्जुब की बात नहीं है । जिस तरह कुछ पुलिसवाले रेहड़ी , ठेले वालों व ट्रक चालकों से सौ- दो सौ रूपये की उगाही करते देखे जाते हैं , वैसे ही कुछ पत्रकार भी लोगों से खबरें छापने के नाम पर उगाही करते मिल जाते हैं । मगर एक महत्वपूर्ण तथ्य की तरफ लोगों का कतईध्यान नहीं है । वह यह कि पुलिस वालों को पूरा वेतन मिलता है , जबकि 80 फीसदी पत्रकारों को किसी तरह का कोई वेतन व भत्ता नहीं मिलता । बड़े महानगरों में चंद बड़े मीडिया हाऊसिज में काम करने वाले बड़े व नामीगिरामी पत्रकारों , एंकरों , संपादकों व कुशल तकनीशियनों आदि को ही वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुरूप वेतन मिल पाता है । अधिकांश मीडिया हाऊसिज में पत्रकारों का खुलेआम शोषण होता है और उन्हें बस इतना ही वेतन मिल पाता है कि वे मुश्किल से एक बैडरूम का घर अफोर्ड कर पाते हैं । हकीकत यह है कि ज्यादातर पत्रकारों की हालत किसी भवन निर्माण मजदूर से बेहतर नहीं होती । जिला व तहसील स्तर के पत्रकारों की दयनीय हालत का तो आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते । इन्हें कोई वेतन नहीं मिलता । मीडिया हाऊसिज के प्रबंधक इन्हें यह अफाडेविट लेकर काम पर रखते हैं कि पत्रकारिता उनका पेशा नहीं है और वे महज शौकिया तौर पर ही पत्रकारिता करते हैं । इससे पत्रकार भविष्य में किसी तरह के वेतन व भत्ते क्लेम करने की स्थिति में नहीं रहता । मीडिया हाऊस इन पत्रकारों को विज्ञापन लाकर देने की शर्त पर खबरें भेजने की अथारिटी देते हैं । बेचारा पत्रकार परिवार का पेट पालने के लिए विज्ञापन बटोरने के लिए व्यापारियों ,कारखानेदारों , प्रशासनिक अधिकारियों व सत्ता प्रतिष्ठान से जुड़े नेताओं की ड्योढ़ी पर हाजिरी भरने में ही लगे रहते हैं । इन हालात में कोई भी व्यक्ति कब तक ईमानदार रह सकता है । प्रभावशाली लोग ही जनता का खून चूसते हैं और उनका शोषण करते हैं और इन्हीं लोगों के पास विज्ञापन देने की शक्ति हैं । ऐसे में बेचारा पत्रकार - माफिया , सत्ता , नौकरशाही और गुंडों के ताकतवर गठजोड़ से टकराव मोल ले कर अपने परिवार को मुसीबत के जाल में फंसाये या इनके आगे आत्मसमर्पण कर विज्ञापन की भीख प्राप्त कर परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करे । करोड़ों अरबों की डील करने वाले मीडिया हाऊसिज का तो समाज के ठेकेदार नोटिस तक नहीं लेते , लेकिन विषम परिस्थितियों में काम करके आप तक सूचनाएं पहुंचाने वाले गरीब पत्रकारों को हम गालियां देने और जी भर कर कोसने में अपनी शान समझते हैं । हम करोड़ों रूपये हड़पने वाले 'डकैत' मीडिया हाऊसिज पर भरोसा करते हैं और उनके गुणगान करते हैं जबकि अपने भूखे परिवार को रोटी खिलाने के लिए दिनरात सूचनाएं एकत्र करने वाले पत्रकारों को हम हेय दृष्टि से देखते हैं । इसमें दोष आम जनता का भी है । जब सच का साथ देने वाले पत्रकारों पर ताकतवर लोगों का कहर टूटता है तो हम में से कितने लोग सच्चे पत्रकारों का साथ देने के लिए खड़े होते हैं । मैंने खुद भुगता है कि बुरे दौर में कोई भी नागरिक पत्रकारों का साथ नहीं देता और उन्हें अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ती है । लोग ऐसे जूझारू पत्रकारों की खिल्ली उड़ाते है तथा उसे बेवकूफ तक करार देते हैं । अगर गरीब व बेबस पत्रकारों को कहीं से थोड़ी सी सुविधा या राहत मिल जाती है तो बहुत से लोगों के पेट में ऐसे मरोड़े लगते हैं कि जैसे पत्रकारों ने देश लूट लिया हो । अरे पहले पत्रकारों की दशा तो देख लो, फिर उन पर सवाल उठाना । मैं अपने दो साल के पत्रकार जीवन में अनेकों बार जुल्मों का शिकार हुआ हूं , लेकिन कोई माई का लाल आज तक जुबानी दिलासा देने भी नहीं आया । मेरी वजह से मेरा परिवार न जाने कितनी परेशानियों से गुजरा है , मगर समाज का कोई भी व्यक्ति कभी साथ देने नहीं आया । अपने मुकदमे खुद झेलने पड़े हैं । सारी लड़ाईयां अकेले लड़नी पड़ी हैं । समाज के लोग तो बस गालियां देने , सवाल करने जरूर आ जाते हैं !


विद्यालय की गरिमा के विरुद्ध रिजल्ट

 


स्टॉप की लापरवाही के चलते सरकारी स्कूल का नाम हो रहा बदनाम
अलवर ! जिले के गोविन्दगढ़ क्षेत्र की ग्राम पंचायत दोंगड़ी के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय की कार्यशैली को देखकर ही लगाया जा सकता है। इस विद्यालय में 18 शिक्षकों का स्टॉफ है, जिसमें से मात्र सात विद्यार्थी ही पास हुए हैं। यहां अध्ययन करने वाली बेटियों का कहना है कि स्कूल में अधिकतर शिक्षक देरी से आते थे, जब उनको कक्षा में पढ़ाने के लिए बुलाने जाते थे तो वे हमें डांट कर भेज देते थे।सरकारी विद्यालयों में इस कदर भी लापरवाही हो सकती है ,इसका अंदाजा रा.आ.उ.मा.विद्यालय डोंगरी की कार्यशैली की देखकर लगाया जा सकता है!


दोंगड़ी के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय में महज 7 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। स्कूल में 26 में से 7 बच्चे पास तथा 19 बच्चे फेल हो गए। विद्यालय का परीक्षा परिणाम 25 प्रतिशत रहा है। कक्षा 10 में 19 विद्यार्थी फेल हो गए हैं जबकि स्कूल में कुल स्टॉफ की संख्या 18 है। यह स्कूल सभी सुविधाएं से सुसज्जित है।
इस विद्यालय में सर्वाधिक बच्चे गणित में फेल हुए हैं। सीनियर सेकंडरी विद्यालय में 12 कक्षा है। शिक्षकों की संख्या सोलह है और एक लिपिक तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मी हैं। इसके बावजूद भी परीक्षा परिणाम निराशाजनक रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय का परिणाम बेहद खराब रहा है। जिसका कारण विद्यालय स्टॉफ की लापरवाही है। विद्यालय स्टॉफ समय पर नहीं आता था और जल्दी चला जाता था।



इनका कहना है-
फज्जर खान, वार्ड पंच दोंगड़ी
स्कूल का स्टॉफ 2 घंटे देरी से आता था और जल्दी छुट्टी करके चला जाता था। इनका ध्यान पढ़ाने की तरफ कम था जिसके कारण ऐसा हुआ है। -
विद्यालय के प्रधानाध्यापक का रवैया तो बहुत ही खराब था। ग्रामीणों ने प्रधानाध्यापक को कई बार अवगत करवाया था लेकिन इन्होंने बच्चों के भविष्य की ओर नहीं देखते हुए विद्यालय पर कोई भी ध्यान नहीं दिया ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया।


अमुल्लख सिंह वार्ड पंच
विद्यालय स्टाफ की लगातार हो रही लापरवाही से प्रधानाचार्य को अवगत भी कराया गया था लेकिन इस ओर कोई कार्यवाही नहीं की गई यदि इसी तरीके से लापरवाही चलती रही तो हमारे क्षेत्र के सभी बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर जाता नजर आ रहा है
साथ ही शिक्षा विभाग प्रशासन से अपील कि- क्षेत्र के बच्चों के भविष्य के लिए अच्छे स्टाफ की व्यवस्था कराने की मांग की


सर हमें पढ़ाते नहीं थे। विद्यालय में आकर टाइम पास करते थे। कभी भी कक्षाओं पर ध्यान नही दिया गया, हम जब सर से क्लास में पढ़ाने के लिए कहते थे तो सर हमें डांटते थे। अधिकतर स्टाफ यहां देरी से आता था।


 संवाददाता
योगेंद्र द्विवेदी


दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ

दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। दबे पांव पहुंचे भूकंप ने धरती को हिलाते हुए पब्लिक को दहशत में ड...