सोमवार, 24 जून 2019

विद्यालय की गरिमा के विरुद्ध रिजल्ट

 


स्टॉप की लापरवाही के चलते सरकारी स्कूल का नाम हो रहा बदनाम
अलवर ! जिले के गोविन्दगढ़ क्षेत्र की ग्राम पंचायत दोंगड़ी के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय की कार्यशैली को देखकर ही लगाया जा सकता है। इस विद्यालय में 18 शिक्षकों का स्टॉफ है, जिसमें से मात्र सात विद्यार्थी ही पास हुए हैं। यहां अध्ययन करने वाली बेटियों का कहना है कि स्कूल में अधिकतर शिक्षक देरी से आते थे, जब उनको कक्षा में पढ़ाने के लिए बुलाने जाते थे तो वे हमें डांट कर भेज देते थे।सरकारी विद्यालयों में इस कदर भी लापरवाही हो सकती है ,इसका अंदाजा रा.आ.उ.मा.विद्यालय डोंगरी की कार्यशैली की देखकर लगाया जा सकता है!


दोंगड़ी के राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय में महज 7 विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। स्कूल में 26 में से 7 बच्चे पास तथा 19 बच्चे फेल हो गए। विद्यालय का परीक्षा परिणाम 25 प्रतिशत रहा है। कक्षा 10 में 19 विद्यार्थी फेल हो गए हैं जबकि स्कूल में कुल स्टॉफ की संख्या 18 है। यह स्कूल सभी सुविधाएं से सुसज्जित है।
इस विद्यालय में सर्वाधिक बच्चे गणित में फेल हुए हैं। सीनियर सेकंडरी विद्यालय में 12 कक्षा है। शिक्षकों की संख्या सोलह है और एक लिपिक तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मी हैं। इसके बावजूद भी परीक्षा परिणाम निराशाजनक रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय का परिणाम बेहद खराब रहा है। जिसका कारण विद्यालय स्टॉफ की लापरवाही है। विद्यालय स्टॉफ समय पर नहीं आता था और जल्दी चला जाता था।



इनका कहना है-
फज्जर खान, वार्ड पंच दोंगड़ी
स्कूल का स्टॉफ 2 घंटे देरी से आता था और जल्दी छुट्टी करके चला जाता था। इनका ध्यान पढ़ाने की तरफ कम था जिसके कारण ऐसा हुआ है। -
विद्यालय के प्रधानाध्यापक का रवैया तो बहुत ही खराब था। ग्रामीणों ने प्रधानाध्यापक को कई बार अवगत करवाया था लेकिन इन्होंने बच्चों के भविष्य की ओर नहीं देखते हुए विद्यालय पर कोई भी ध्यान नहीं दिया ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया।


अमुल्लख सिंह वार्ड पंच
विद्यालय स्टाफ की लगातार हो रही लापरवाही से प्रधानाचार्य को अवगत भी कराया गया था लेकिन इस ओर कोई कार्यवाही नहीं की गई यदि इसी तरीके से लापरवाही चलती रही तो हमारे क्षेत्र के सभी बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर जाता नजर आ रहा है
साथ ही शिक्षा विभाग प्रशासन से अपील कि- क्षेत्र के बच्चों के भविष्य के लिए अच्छे स्टाफ की व्यवस्था कराने की मांग की


सर हमें पढ़ाते नहीं थे। विद्यालय में आकर टाइम पास करते थे। कभी भी कक्षाओं पर ध्यान नही दिया गया, हम जब सर से क्लास में पढ़ाने के लिए कहते थे तो सर हमें डांटते थे। अधिकतर स्टाफ यहां देरी से आता था।


 संवाददाता
योगेंद्र द्विवेदी


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