शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई

लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई

बृजेश केसरवानी 
प्रयागराज। यश, कीर्ति और प्रतिष्ठा में वृद्धि के लिए अचला सप्तमी पर लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में डुबकी लगाई। इसके बाद विधि विधान पूर्व भगवान भास्कर को अर्ध्य देकर परिवार के मंगलमय जीवन की कामना की। भोर से ही श्रद्धालुओं का संगम तट पर पहुंचना शुरू हो गया था।
दोपहर 12 बजे तक भीड़ काफी अधिक बढ़ गई। इसके चलते संगम आने के सभी मार्गों पर जाम की स्थिति बन गई।श्रद्धालुओं ने संगम स्नान कर घाट पर मौजूद दीन हीनों को दानपुण्य किया।
अचला सप्तमी पर स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने भगवान भास्कर की विशेष पूजा आराधना कर आदित्य हृदय स्त्रोत और सूर्य चालीसा आदि का पाठ कर भगवान सूर्य की स्तुति की। साथ ही घाट पर मौजूद दीन हीनोनं को मसूर दाल, गुड़, तांबा, गेहूं, लाल या नारंगी वस्त्र दान किया। मान्यता है कि अचल सप्तमी पर पूजन करने से भगवान सूर्य की स्थिति कुंडली में प्रबल होती है।
मान्यता है कि अचला सप्तमी यानी रथ सप्तमी को ही भगवान सूर्य का जन्म अदिति के गर्भ से हुआ था। इसी लिए भगवान सूर्य को आदित्य भी कहा जाता है। आज के दिन भगवान सूर्य की पूजा अराधना करने से ग्रहों के राजा सूर्य की विशेष कृपा प्राप्त होती है जीवन में सफलता मिलती है।

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