सोमवार, 31 जुलाई 2023

स्मार्टफोन बना मुसीबत, लोकेशन हैक कर सकते हैं

स्मार्टफोन बना मुसीबत, लोकेशन हैक कर सकते हैं      

इकबाल अंसारी 

आज के दौर में हर दूसरा इंसान स्मार्टफोन यूज कर रहा है। वहीं स्मार्टफोन यूजर की बढ़ती संख्या के साथ ही आज के दौर में साइबर अपराध भी अपने पैर पसार रहा है। यूजर के साथ हर समय रहने वाला उसका स्मार्टफोन कब उसके लिए किसी बड़ी परेशानी की वजह बन जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। ऐसे में अगर आप भी एंड्रॉइड फोन का इस्तेमाल करते हैं तो ये खबर आपके लिए भी बहुत जरूरी हो जाती है।

दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स की ओर से दावा किया जा रहा है कि एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम में एक खामी की वजह से हैकर्स यूजर की लोकेशन ट्रैक कर सकते हैं। बता दें शोधकर्ताओं ने स्मार्टफोन से जुड़ी एक बड़ी खामी को पाया है। स्मार्टफोन से जुड़ी यह खामी टेक्स्ट मैसेजिंग से जुड़ी है। वहीं बताया जा रहा है कि हैकर्स एसएमएस सिस्टम के डेटा में मशीन लर्निंग प्रोग्राम की मदद से लोकेशन ट्रैक कर सकते हैं। इसके लिए हैकर को यूजर के कॉन्टेक्ट नंबर की जानकारी होना मात्र ही पर्याप्त होगा।

परेशानी वाली बात ये है कि कम्युनिकेशन एनक्रिप्टेड होने के बावजूद भी इस तरह खामी की वजह से लोकेशन की जानकारी नहीं बचाई जा सकती है। दरअसल, एसएमएस सिक्योरिटी को लेकर लंबे समय से कोई सुधार नहीं हो पाया है। यही वजह है कि हैकर एसएमएस सिस्टम की खामियों का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर सकते हैं।

किसी यूजर को एसएमएस भेजने पर सेंडर को मैसेज डिलिवरी का रिप्लाई स्क्रीन पर नजर आता है। इसी ऑटो फीचर की आड़ में हैकर टारगेटेड यूजर को बार-बार मैसेज सेंड कर डिलिवरी रिप्लाई की टाइमिंग को एनालाइज कर सकते हैं। इसी के साथ हैकर यूजर की पिन-पॉइन्ट लोकेशन की जानकारी भी ले सकते हैं। बता दें, इस तरह की घटना का अभी तक कोई एक्टिव केस सामने नहीं आया है, लेकिन यूजर को ऐसे खतरों के लिए सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।

3 फुट के अजगर को निगल गया 'किंग कोबरा'

3 फुट के अजगर को निगल गया 'किंग कोबरा'

सरस्वती उपाध्याय 
सोशल मीडिया पर आए दिन अजगर और खतरनाक सांपों के वीडियो वायरल होते रहते हैं। दोनों ही इतने खतरनाक होते हैं कि किसी पर भी हमला कर उसकी जान खतरे में डाल सकते हैं। वहीं जरा आप ये सोचिए अगर दोनों खतरनाक प्राणी अगर एक दूसरे पर वार कर बैठें तो कौन किस पर भारी पड़ेगा? 
बता दें इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक नरभक्षी कोबरा एक विशालकाय अजगर को निगलते दिख रहा है। यह घटना कर्नाटक के मैसूर में देखने को मिली है। दरअसल मैसूर में एक जहरीले कोबरे ने तीन फुट के विशाल अजगर को देखते ही देखते पूरा निगल लिया। वायरल वीडियो में आप देख सकते हैं कि कोबरा ने अजगर पर हमला बोल दिया। चूंकि कोबरा जहरीला होता है। इसलिए उसके जहर से एक बार में ही अजगर की मौत हो गई। 
वहीं अजगर की मौत के बाद कोबरा के लिए उसे निगलना आसान हो गया। बता दें सांपों के जबड़े काफी लचीले होते हैं, जो उन्हें अपने से बड़े शिकार को निगल लेने की इजाजत देते हैं। किंग कोबरा दुनिया का सबसे ज्यादा विषैला सांप माना जाता है। इसकी लंबाई 18 फीट तक होती है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो को देखकर लोग भी चौंक जा रहे हैं।

पॉवर समेत 13 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा

पॉवर समेत 13 अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा

बृजेश केसरवानी 
प्रयागराज। मेजा पुलिस ने रविवार रात में एक मामले में धोखाधड़ी सहित कई संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज कर जांच-पड़ताल में जुटी हुई है। आरोप है कि मेजा उर्जा निगम में कराए गए कार्यों का भुगतान लेने के बाद भी फर्म को भुगतान नहीं किया गया। दर्ज एफआईआर के मुताबिक मेजा उर्जा निगम में जीई पॉवर और आदित्या एसोसिएट्स के अधिकारी गण पूर्व में किए गए, एफजीडी के कार्य का ठेका अनुज सिंह को दिया गया था, लेकिन जीई पॉवर, आदित्या एसोसिएट्स उनके कार्यों से संतुष्ट न होने के कारण बीच में ही एग्रीमेंट निरस्त करके एफजीडी कार्य को रामा कंस्ट्रक्शन्स के प्रबंधक अमित शर्मा को दे दिया गया।
आरोप है कि एफजीडी के सारे कार्य पूर्ण होने के बाद जीई पॉवर और आदित्य एसोसिएट्स ने मेजा उर्जा निगम से 61 लाख रूपये का भुगतान ले लिया, लेकिन आरोप है कि कार्य को पूरा करने वाली फर्म रामा कंस्ट्रक्संस को भुगतान नहीं किया गया।
आरोप है कि पैसे की मांग करने पर उक्त दोनों कंपनियों के अधिकारीगण मारपीट और जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। मेजा पुलिस ने रामा कंस्ट्रक्संस के प्रबंधक अमित शर्मा की तहरीर पर जीई पॉवर और आदित्या एसोसिएट्स के अधिकारियों में विश्वजीत सामंता, कागज दत्ता, अभिषेक सिंह, अमित गुप्ता, जुगुल किशोर, अंकित कुमार गुप्ता, वीरेंद्र, नवनीत दिलवाल, मिथिलेश कुमार, अनुज साहनी, विमल सेठ, शुभ सोम, एसबी सिंह के खिलाफ आईपीसी की दफा 419, 420, 467, 468, 471, 406, 504, 506 के तहत एफआईआर दर्ज कर तफ्तीश कर रही है। मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।

मणिपुर के मुद्दे पर जवाब देने से भाग रही सरकार

मणिपुर के मुद्दे पर जवाब देने से भाग रही सरकार 

अकांशु उपाध्याय 

नई दिल्ली। कांग्रेस ने मणिपुर के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित होने के बाद सोमवार को आरोप लगाया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटेल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दल चर्चा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान की मांग पर अडिग हैं, जबकि सरकार एवं प्रधानमंत्री इस विषय पर जवाब देने से भाग रहे हैं।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘ ‘इंडिया’ के घटक दल आज दोपहर राज्यसभा में अपने रुख पर अड़े रहे कि पिछले 90 दिनों में मणिपुर में जो कुछ हुआ है उस पर प्रधानमंत्री को सदन में एक बयान देना चाहिए, लेकिन उन्होंने चुप्पी साध रखी है। प्रधामंत्री के बयान के बाद चर्चा होनी चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि ‘इंडिया’ की पार्टियां नियम 267 के तहत ऐसा चाहती हैं, जिसका अर्थ है कि उठाए गए मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए बहस खत्म होने तक सदन के अन्य सभी कार्य निलंबित कर दिए जाते हैं।

रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘ विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की पार्टियां मणिपुर पर चर्चा से भाग नहीं रही हैं। दरअसल, प्रधानमंत्री ही राज्यसभा में बयान देने से भाग रहे हैं।’’ विपक्षी दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं।

इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही है। कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार, 26 जुलाई को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर सदन में चर्चा के लिए मंजूरी दे दी गई थी। उस दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तिथि तय करेंगे। 

टूरिस्ट के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं उड़ीसा

टूरिस्ट के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं उड़ीसा

सरस्वती उपाध्याय   
भुवनेश्वर। टूरिस्ट के लिए ओडिशा किसी स्वर्ग से कम नहीं है। भव्य मंदिरों, संग्रहालयों और मठ, समुद्र तट, जंगल और हरी−भरी पहाडि़यों के अलावा यहां पर कुछ बेहतरीन झीलें है। ओडिशा की झीलें प्राकृतिक और मानव र्निमित दोनों हैं और स्थानीय और पर्यटकों दोनों के लिए दर्शनीय स्थल हैं। आपको हम बतातेे है ओडिशा की कुछ खूबसूरत झीलों के बारे में।
चिल्का झील- घूमने के लिए चिल्का झील सबसे बड़ी और ओडिशा की सबसे लोकप्रिय झीलों में से एक है। भारत में सबसे बड़ी खारे पानी की झील है और दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी है। हर तरफ हरे भरे जंगलों से घिरा, चिल्का झील पर्यटकों को बर्ड वॉंचिंग, पिकनिक, बोटिंग और मछली पकड़ने के लिए बेहतरीन है। चिल्का झील झील की यात्रा के लिए नवंबर से मार्च सही समय है क्योंकि साइबेरिया से बहुत से प्रवासी पक्षी यहां आते हैं।
अंसुपा झील
महानदी नदी के किनारे पर स्थित है और सारनदा हिल्स और बिष्णुपुर हिल्स से घिरा हुआ है, अंसुपा झील में अपार प्राकृतिक सुंदरता और विदेशी वनस्पति और जीव हैं। यह तैरते, जलमग्न और उभरते हुए जलीय पौधों और कई जलीय जीवों का घर है। यह झील न केवल वनस्पति विज्ञानियों और प्राणीविदों को आकर्षित करती है, बल्कि इसकी समृद्ध जैव विविधता भी बेहद लोकप्रिय है। आप यहां पर एक बस झील के किनारे बैठकर, शांत वातावरण का आनंद ले सकता है।
पाटा झील
छतरपुर शहर के पास स्थित, पाटा झील ओडिशा में मीठे पानी की झीलों में से एक है, जो साल भर पर्यटकों (Tourism) द्वारा घूमती है। खूबसूरत परिवेश से लेकर अपनी स्फूर्तिदायक ताजगी के लिए, पाटा झील काफी सुंदर जगह है और स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है।
भुवनेश्वर का कांजिया झील।
कंजिया झील- यदि आप भुवनेश्वर में हैं, तो कांजिया झील को अपनी सूची में जरूर रखें। शहर के बाहरी इलाके में स्थित, यह झील 66 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली हुई है और इसे प्रमुख जल स्रोत माना जाता है। वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध जैव विविधता इसे ओडिशा की एक महत्वपूर्ण झील बनाती है। नंदन कानन जूलॉजिकल पार्क से जाने या वापस आते समय लोग आम तौर पर इस झील का दौरा करते हैं।
अपर जोंक- यह जोंक नदी के पास पटोरा गांव में स्थित है। यह झील ओडिशा की लोकप्रिय झीलों में से एक है। चारों ओर से पहाडि़यों और जंगलों से घिरी इस झील की प्राकृतिक सुंदरता उत्कृष्ट है और यहाँ आने वाली ठंडी हवा हर आगंतुक के मन और आत्मा को तरोताजा कर देती है।

एससी की निगरानी में जांच से आपत्ति नहीं

एससी की निगरानी में जांच से आपत्ति नहीं

अकाशुं उपाध्याय 
नई दिल्ली। शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान पीड़ित महिलाओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि महिलाएं मामले की सीबीआई जांच और मामले को असम स्थानांतरित करने के खिलाफ हैं। सिब्बल ने आगे कहा कि पीड़ित महिलाओं में से एक के पिता और भाई की हत्या कर दी गई थी। उनके अभी तक शव नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज की गई। जब कोर्ट ने संज्ञान लिया, तब कुछ हुआ। तो फिर हम क्या भरोसा रखें? उन्होंने कहा कि ऐसी कई घटनाएं होंगी। इसलिए हम एक ऐसी एजेंसी चाहते हैं जो मामले की जांच करने के लिए स्वतंत्र हो। सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुकदमे को असम स्थानांतरित करने का हमने कभी अनुरोध नहीं किया। हमारी मांग यह है कि इस मामले को मणिपुर से बाहर स्थानांतरित किया जाए। महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने के मामले में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस घटना का तो वीडियो सामने आया है, लेकिन यह एकमात्र घटना नहीं है जहां महिलाओं के साथ मारपीट या उत्पीड़न हुई है, अन्य महिलाएं भी हैं। उन्होंने कहा कि हमें महिलाओं के खिलाफ हिंसा के व्यापक मुद्दे को देखने के लिए एक तंत्र भी बनाना होगा। इस तंत्र को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे सभी मामलों का ध्यान रखा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह दोनों पक्षों को संक्षेप में सुनेगा और फिर कार्रवाई के सही तरीके पर फैसला करेगा। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल कोई साक्ष्यात्मक रिकॉर्ड पेश नहीं किए गए हैं। सीजेआई ने कहा कि पहले याचिकाकर्ताओं को सुनते हैं उसके बाद अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को सुना जाएगा। कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि यह स्पष्ट है कि पुलिस उन लोगों के साथ मिलकर काम कर रही थी, जिन्होंने दोनों महिलाओं के खिलाफ हिंसा की और पुलिस ने इन महिलाओं को भीड़ के पास ले जाकर छोड़ दिया और भीड़ ने वही किया जो उन्होंने किया। वहीं, सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट मामले की निगरानी करेगा तो केंद्र को कोई आपत्ति नहीं है। सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने पूछा कि तीन मई को जब मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी, उसके बाद ऐसी कितनी एफआईआर दर्ज की गई हैं। 
इस पर वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने बताया कि केंद्र की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक, 595 एफआईआर दर्ज की गई हैं। इनमें से कितने यौन हिंसा, कितने आगजनी और हत्या से संबंधित हैं, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। जयसिंह ने आगे कहा कि जहां तक कानून का सवाल है, दुष्कर्म की पीड़िताएं इस बारे में बात नहीं करतीं। वे सामने नहीं आतीं। इसलिए सबसे पहले आत्मविश्वास पैदा करना जरूरी है। आज हमें नहीं पता कि अगर सीबीआई जांच शुरू कर दे तो महिलाएं सामने आ जाएंगी। उन्होंने कहा कि पुलिस की बजाय महिलाओं से घटना के बारे में बात करने में पीड़ित महिलाओं के लिए सहूलियत होगी। एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति होनी चाहिए, जिसमें नागरिक समाज की महिलाएं हों, जिनके पास इससे निपटने का अनुभव हो मणिपुर हिंसा मामले में कुकी पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने सीबीआई जांच का विरोध किया और सेवानिवृत्त डीजीपी वाली एसआईटी से जांच की मांग की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मणिपुर के किसी भी अधिकारी को शामिल न करने की मांग की है। याचिकाकर्ता मायांगलमबम बॉबी मीतेई की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। 
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि इस जनहित याचिका पर विचार करना ‘बहुत कठिन’ है, क्योंकि इसमें केवल एक समुदाय को दोषी ठहराया गया है। पीठ ने कहा कि आप एक अधिक विशिष्ट याचिका के साथ आ सकते हैं। इस याचिका में हिंसा से लेकर मादक पदार्थों और पेड़ों की कटाई सहित सभी मुद्दे शामिल हैं। गौरतलब है, 4 मई की घटना का वीडियो वायरल होने के बाद से देशभर में आक्रोश है। संसद में भी मानसून सत्र की शुरुआत से हंगामा जारी है। भाजपा ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है, लेकिन साथ ही वीडियो वायरल करने के समय पर भी सवाल उठ रहा है। वीडियो 20 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र से एक दिन पहले वायरल हुआ था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया था और इसे बेहद संवैधानिक अधिकारों का घोर उल्लंघन बताया था। 
शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई 28 जुलाई को तय करते हुए केंद्र और राज्य सरकारों से स्पष्टीकरण मांगा था और यह सुनिश्चित करने को कहा था कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। वहीं, मणिपुर में जातीय हिंसा से संबंधित कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई को सुनवाई होनी थी। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के खराब स्वास्थ्य के कारण सुनवाई टाल दी गई थी। इस पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। ये एक नई याचिका पर भी सुनवाई करेगी जो सीधे तौर पर मणिपुर की 4 मई की घटना से जुड़ी है।

ज्ञानवापी प्रकरण में सीएम का दो टूक जवाब

ज्ञानवापी प्रकरण में सीएम का दो टूक जवाब 

हरिओम उपाध्याय   
लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी प्रकरण काशी विश्वनाथ मंद‍िर पर दो टूक जवाब द‍िया है। उन्‍होंने इस मामले में एक सवाल पर इंटरव्‍यू के दौरान हमलावर होते हुए कहा क‍ि अगर उसे मस्‍ज‍िद कहेंगे तो फ‍िर व‍िवाद होगा। मुख्‍यमंत्री ने साफ शब्‍दों में कहा क‍ि मुझे लगता है क‍ि भगवान ने ज‍िसे दृि‍ष्ट दी है वो देखे ना। त्र‍िशूल मस्‍ज‍िद के अंदर क्‍या कर रहा है। हमने तो नहीं रखे न। ज्योतिर्लिंग हैं देव प्रत‍िमायें हैं। पूरी दीवारें च‍िल्‍ला च‍िल्‍ला के क्‍या कह रही हैं।
इतना ही नहीं मुख्‍यमंत्री ने यहां तक कहा क‍ि मुझे लगता है ये प्रस्‍ताव मुस्‍ल‍िम समाज की ओर से आना चाह‍िए क‍ि साहब ऐत‍िहास‍िक गलती हुई है। उसके ल‍िए हम चाहते हैं समाधान हो।
क्‍या है ज्ञानवापी प्रकरण
1991 में, काशी विश्वनाथ मंदिर के भक्तों द्वारा एक मुकदमा दायर किया गया था, जिसके पास ज्ञानवापी मस्जिद स्थित है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर भगवान विश्वेश्वर मंदिर को नष्ट करने के बाद किया गया था। 
अंजुमन इस्लामिया मस्जिद कमेटी ने क‍िया था व‍िरोध
इस मामले में एक याचिका अंजुमन इस्लामिया मस्जिद कमेटी (एआईएमसी) द्वारा दायर की गई थी, जो मस्जिद का प्रबंधन करती है। समिति ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 का हवाला देते हुए मामले की स्थिरता पर सवाल उठाया है। अधिनियम के अनुसार, 15 अगस्त 1947 को मौजूद पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र में परिवर्तन निषिद्ध है।
ज्ञानवापी प्रकरण में 1991 में दायर की गई पहली याच‍िका
1991 पूजा स्थल अधिनियम की तरह, इस मामले की जड़ें भी वर्ष 1991 में हैं। मामले में पहली याचिका स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर ने 1991 में वाराणसी अदालत में दायर की थी। याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा करने के अधिकार की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में तीन मांगें रखी थीं। इसमें पूरे ज्ञानवापी परिसर को काशी मंदिर का हिस्सा घोषित करना, परिसर क्षेत्र से मुसलमानों को हटाना और मस्जिद को ध्वस्त करना शामिल था।

'संविधान' का रक्षक इंडिया समूह, भक्षक भाजपा

'संविधान' का रक्षक इंडिया समूह, भक्षक भाजपा  संदीप मिश्र  शाहजहांपुर। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा कि मौजूदा...