शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

शिवलिंग: 6,440 श्रद्धालुओं का तीसरा जत्था रवाना

शिवलिंग: 6,440 श्रद्धालुओं का तीसरा जत्था रवाना

इकबाल अंसारी
श्रीनगर। दक्षिण कश्मीर स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर में पवित्र शिवलिंग का दर्शन करने के लिए यहां स्थित आधार शिविर से 6,440 श्रद्धालुओं का तीसरा जत्था कड़ी सुरक्षा के बीच शुक्रवार को रवाना हुआ। ‘‘बम बम भोले’’ का नारा लगाते हुए श्रद्धालु भगवती नगर आधार शिविर से 265 वाहनों के काफिले में तड़के रवाना हुए। अमरनाथ गुफा मंदिर के लिए 43 दिनों तक चलने वाली यह तीर्थयात्रा 11 अगस्त को रक्षा बंधन के दिन संपन्न होगी।
अधिकारियों ने बताया कि आज के इस जत्थे के साथ जम्मू से अमरनाथ गुफा के लिए रवाना हुए कुल तीर्थयात्रियों की संख्या 17,100 हो गई है। तीर्थस्थल की यात्रा के लिए देशभर के विभिन्न स्थानों से 7,000 से अधिक और तीर्थयात्री जम्मू पहुंचे हैं। मौके पर पंजीकरण के लिए तीन ‘काउंटर’ और टोकन लेने के लिए दो ‘काउंटर’ उपलब्ध हैं। इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद उन्हें 32 ठहरने के स्थल तथा आधार शिविरों में ठहराया गया है।
यात्रा दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में पारंपरिक नुनवान मार्ग और मध्य कश्मीर के गांदरबल में बालटाल मार्ग से 30 जून को शुरू हुई थी। इस साल तीर्थयात्रियों की संख्या सामान्य से अधिक होने की उम्मीद है, क्योंकि यह यात्रा करीब तीन साल के अंतराल के बाद आयोजित की जा रही है। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प़्रावधान को रद्द करने के बाद यात्रा बीच में ही स्थगित कर दी गई थी, जबकि वर्ष 2020 और 2021 में कोविड-19 वैश्विक महामारी की वजह से यात्रा का आयोजन नहीं किया गया था।

हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मी को आरोप से बरी किया

हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मी को आरोप से बरी किया  

कविता गर्ग 
मुंबई। भ्रष्टाचार के मामलें में 24 साल पहले दोषी ठहराए जाने और एक साल की सजा पाने वाले एक पुलिसकर्मी को बंबई उच्च न्यायालय ने आरोप से बरी कर दिया है। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा कि पुलिसकर्मी ने 350 रुपये की रिश्वत स्वीकार की थी। महाराष्ट्र भ्रष्टाचार-निरोधक ब्यूरो ने 1988 में तत्कालीन पुलिस उप निरीक्षक दामू अव्हाड के खिलाफ 350 रुपये रिश्वत मांगने के आरोप में मामला दर्ज किया था।अगस्त 1998 में नासिक की एक विशेष अदालत ने दामू को दोषी ठहराते हुए एक साल कैद की सजा सुनायी थी। दामू ने इसी साल उच्च न्यायालय में एक अपील दायर की थी। न्यायमूर्ति वी जी वशिष्ठ की एकल पीठ ने बृहस्पतिवार को पारित अपने आदेश में कहा कि केवल आरोपी से पैसे की बरामदगी के आधार पर उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता और अभियोजन दामू के खिलाफ मामले को साबित करने में विफल रहा है।आदेश की प्रति शुक्रवार को उपलब्ध हुई। अदालत ने नासिक में येओला तालुका पुलिस थाने में तैनात तत्कालीन उप निरीक्षक को बरी कर दिया। अभियोजन के अनुसार, दामू ने मार्च 1988 में एक व्यक्ति से उसके भाई को जमानत दिलाने में मदद के एवज में कथित तौर पर 350 रुपये की रिश्वत मांगी थी।

सरपंच मामला, दोबारा चुनाव कराने के आदेश दिए

सरपंच मामला, दोबारा चुनाव कराने के आदेश दिए

हमीरपुर। उत्तर-प्रदेश के हमीरपुर में एक गांव में 21 साल से कम उम्र में एक महिला के सरपंच बनने के मामलें में एसडीएम कोर्ट ने दोबारा चुनाव कराने के आदेश दिए है। यह आदेश एक रिट की सुनवाई के बाद दिया गया है। एसडीएम कोर्ट ने एक और गांव की महिला सरपंच पर धोखाधड़ी के मामले में याचिका खारिज कर दिया है।
पिछले साल 26 अप्रैल को जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव  संपन्न कराए गए थे। 2 मई को मतगणना में मौदहा क्षेत्र के परछछ गांव की अंशिका गौतम सरपंच के लिए विजयी घोषित की गई थी। गांव के ही महारजवा ने इस महिला के सरपंच बनने पर गंभीर आरोप लगाते हुए निर्वाचन आयोग पंचायत से शिकायत की थी। आरोप लगाया गया था कि सरपंच के चुनाव के लिए 21 साल की उम्र नियत है, लेकिन अंशिका गौतम की उम्र नामांकन करते समय 20 साल 3 माह थी।
चुनाव कराने का आदेश जारी
इसके बाद भी निर्वाचन अधिकारियों ने उसकी दावेदारी को जायज ठहरा दिया था। इस मामले की रिट एसडीएम मौदहा की अदालत में दायर की गई थी। इस पर एसडीएम सुरेन्द्र कुमार सिंह की कोर्ट ने प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर निर्वाचित सरपंच के चुनाव रद्द कर दोबारा चुनाव कराने के आदेश जारी कर दिए है। इस सरपंच के पिता के गांव के पंचायत मित्र है।
हमीरपुर के मौदहा क्षेत्र के भैंसमरी गांव के पंचायत चुनाव के परिणाम में पूनम सिंह सरपंच बनी थी। इसकी प्रतिद्वंद्वी सहोद्रा बाजपेई ने पंचायत निर्वाचन अधिकारियों के ऊपर जालसाजी और धोखेबाजी के आरोप लगाते हुए उपजिलाधिकारी अदालत में याचिका दाखिल करते हुए आरोप लगाये थे। उन्होंने कहा कि निर्वाचन अधिकारियों और विजयी घोषित हुए प्रत्याशी की मिलीभगत से वह एक मत से हरा दिए गए। इसके बाद उन्होंने दोबारा मत गिने जाने की मांग की थी। इसकी सुनवाई करते हुए उपजिलाधिकारी सुरेंद्र कुमार सिंह ने कुछ साक्ष्य उपलब्ध कराए जाने की बात कही तो उक्त रनर प्रत्याशी साक्ष्य उपलब्ध कराए जाने में असमर्थ रही। इसके बाद उपजिलाधिकारी की अदालत ने रनर प्रत्याशी के जरिए दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया।

25000 से ज्यादा लावारिस लाशों का संस्कार

25000 से ज्यादा लावारिस लाशों का संस्कार 
संदीप मिश्र 
अयोध्या। हम सभी को आगे बढ़कर समाज के लिए कुछ अच्छा काम जरूर करना चाहिए, इससे ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। आज हम आपको मिलवाएंगे समाज को बेहतरीन संदेश देने वाले अयोध्या के मोहम्मद शरीफ हालांकि उन्‍हें अयोध्या के लोगों ने शरीफ चाचा का नाम दिया हुआ है। इसके अलावा मोहम्मद शरीफ चाचा को लाशों का मसीहा भी कहा जाता है। वह लगभग 28 वर्षों में सरयू तट पर 25000 से ज्यादा लावारिस लाशों का विधि-विधान से अंतिम संस्कार कर चुके हैं। इसके लिए मोहम्मद शरीफ को देश के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद  ने पद्मश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया था।
वहीं, देशवासियों से अपील करते हुए 85 वर्षीय शरीफ चाचा ने कहा कि सबको अपने मां-बाप की इज्जत और समाज की सेवा करनी चाहिए। वहीं अब शरीफ चाचा का बीड़ा उठाते हुए उनके बेटे मोहम्मद सगीर ने कहा कि हम भी अपने पिता की राह पर चलते हुए इस नेक काम को आगे बढ़ा रहे हैं, जो भी लावारिस लाश आती हैं उनके धर्म के अनुसार हम अंतिम संस्कार करवाते हैं।
मोहम्मद शरीफ अयोध्या में खिड़की अली बेग मोहल्ले के रहने वाले हैं। शरीफ चाचा 28 वर्ष पहले एक साइकिल मिस्त्री की दुकान चलाते थे, लेकिन हालात और परिस्थिति कुछ ऐसी बदली की एक साइकिल मकैनिक को लावारिस लाशों का मसीहा बना दिया। उन्‍होंने कभी जाति और धर्म के बंधन को नहीं माना, वहीं सभी लावारिस लाशों का उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया।
जानिए शरीफ चाचा कैसे बने लावारिस लाशों के मसीहा
न्यूज़ 18 लोकल से बात करते हुए शरीफ चाचा ने बताया कि 28 साल पहले सुल्तानपुर में मेरे बेटे की हत्या हो गई थी और वहां पर किसी ने उसका अंतिम संस्कार नहीं किया और लावारिस समझ कर उसको नदी में प्रवाह कर दिया था। तभी से मैंने कसम खाई थी कि अयोध्या और फैजाबाद में कोई भी लावारिस लाश चाहें हिंदू हो या मुसलमान सबका अंतिम संस्कार विधि विधान से करेंगे और तब से अब तक लगभग 25000 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करा चुके हैं।
मोहम्मद शरीफ के चार पुत्र थे।एक पुत्र मोहम्मद रईस को सुलतानपुर में खो चुके हैं। जबकि दूसरे पुत्र नियाज की हृदयगति रूकने से मौत हो गई थी। अब शरीफ चाचा के 2 बेटे ही सहारा बचे हैं। मोहम्मद शगीर स्कूल की गाड़ी चला कर अपना परिवार चला रहे हैं, तो मोहम्मद जमील अपने पिता के साथ रहते हैं। शरीफ चाचा के खराब स्‍वास्‍थ्‍य की वजह से उनके बेटे लोगों की आर्थिक मदद से इस नेक कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं।
शरीफ चाचा पद्मश्री से हो चुके हैं सम्मानित
शरीफ चाचा बताते हैं कि हमारे इस सामाजिक कार्य के चलते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2021 पद्मश्री अवार्ड से नवाजा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत वहां पर कई लोगों ने हमारी तारीफ की और कहा कि ऐसा काम अभी तक किसी ने नहीं किया। इस नाते आपको पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा है‌।वहीं, अगर आप भी शरीफ चाचा की मदद करना चाहते हैं तो इस नंबर पर 9956321923 कर सकते हैं।अयोध्या हम सभी को आगे बढ़कर समाज के लिए कुछ अच्छा काम जरूर करना चाहिए, इससे ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। आज हम आपको मिलवाएंगे समाज को बेहतरीन संदेश देने वाले अयोध्या के मोहम्मद शरीफ से हालांकि उन्‍हें अयोध्या के लोगों ने शरीफ चाचा का नाम दिया हुआ है। इसके अलावा मोहम्मद शरीफ चाचा को लाशों का मसीहा भी कहा जाता है। वह लगभग 28 वर्षों में सरयू तट पर 25000 से ज्यादा लावारिस लाशों का विधि-विधान से अंतिम संस्कार कर चुके हैं। इसके लिए मोहम्मद शरीफ को देश के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया था।
वहीं, देशवासियों से अपील करते हुए 85 वर्षीय शरीफ चाचा ने कहा कि सबको अपने मां-बाप की इज्जत और समाज की सेवा करनी चाहिए। वहीं अब शरीफ चाचा का बीड़ा उठाते हुए उनके बेटे मोहम्मद सगीर ने कहा कि हम भी अपने पिता की राह पर चलते हुए इस नेक काम को आगे बढ़ा रहे हैं, जो भी लावारिस लाश आती हैं उनके धर्म के अनुसार हम अंतिम संस्कार करवाते हैं।
धर्म के अनुसार करवाया अंतिम संस्कार
मोहम्मद शरीफ अयोध्या में खिड़की अली बेग मोहल्ले के रहने वाले हैं। शरीफ चाचा 28 वर्ष पहले एक साइकिल मिस्त्री की दुकान चलाते थे, लेकिन हालात और परिस्थिति कुछ ऐसी बदली की एक साइकिल मकैनिक को लावारिस लाशों का मसीहा बना दिया। उन्‍होंने कभी जाति और धर्म के बंधन को नहीं माना, वहीं सभी लावारिस लाशों का उनके धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार किया।
जानिए शरीफ चाचा कैसे बने लावारिस लाशों के मसीहा
न्यूज़ 18 लोकल से बात करते हुए शरीफ चाचा ने बताया कि 28 साल पहले सुल्तानपुर में मेरे बेटे की हत्या हो गई थी और वहां पर किसी ने उसका अंतिम संस्कार नहीं किया और लावारिस समझ कर उसको नदी में प्रवाह कर दिया था। तभी से मैंने कसम खाई थी कि अयोध्या और फैजाबाद में कोई भी लावारिस लाश चाहें हिंदू हो या मुसलमान सबका अंतिम संस्कार विधि विधान से करेंगे और तब से अब तक लगभग 25000 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करा चुके है।
मोहम्मद शरीफ के चार पुत्र थे।एक पुत्र मोहम्मद रईस को सुलतानपुर में खो चुके हैं। जबकि दूसरे पुत्र नियाज की हृदयगति रूकने से मौत हो गई थी। अब शरीफ चाचा के 2 बेटे ही सहारा बचे हैं। मोहम्मद शगीर स्कूल की गाड़ी चला कर अपना परिवार चला रहे हैं, तो मोहम्मद जमील अपने पिता के साथ रहते हैं।शरीफ चाचा के खराब स्‍वास्‍थ्‍य की वजह से उनके बेटे लोगों की आर्थिक मदद से इस नेक कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं।
शरीफ चाचा बताते हैं कि हमारे इस सामाजिक कार्य के चलते राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 2021 पद्मश्री अवार्ड से नवाजा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत वहां पर कई लोगों ने हमारी तारीफ की और कहा कि ऐसा काम अभी तक किसी ने नहीं किया। इस नाते आपको पद्मश्री से सम्मानित किया जा रहा है। वहीं, अगर आप भी शरीफ चाचा की मदद करना चाहते हैं तो इस नंबर पर 9956321923 कर सकते हैं।

बहुत ज्यादा खुश होना, हाइपोमेनिया के लक्षण

बहुत ज्यादा खुश होना, हाइपोमेनिया के लक्षण 

सरस्वती उपाध्याय 
अपने मन का दुख या सुख महसूस करना और किसी दूसरे को बताने का सबका अपना तरीका होता है। कई बार कुछ लोग किसी भी सामान्य बात पर बहुत ज्यादा खुश होने लगते हैं, जो देखने वालों को भी कई बार असामान्य लग सकता है। अगर किसी व्यक्ति में ऐसे लक्षण दिखे, तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये लक्षण हाइपोमेनिया की तरफ इशारा करते हैं।
किसी साधारण-सी बात पर भी अगर कोई बेतहाशा खुशी जाहिर कर रहा है, तो इस खुशी को नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। एक्सपर्ट्स की माने, तो हाइपोमेनिया को डिप्रेशन का भी नेक्स्ट लेवल माना जाता है। सामान्य तौर पर इसके बारे में काफी कम लोगों को जानकारी होती है। आइए जानते हैं, हाइपोमेनिया से जुड़ी ज़रूरी बातें...

वेरीवेलमाइंड के एक आर्टिकल के अनुसार हाइपोमेनिया एक ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति बहुत ज्यादा खुश और उत्साह से भरा हुआ दिखता है, जबकि अंदर ही अंदर वह कई मानसिक स्थितियों से लड़ रहा होता है। ऐसे लोग दूसरों से अपने बारे में खूब बढ़ा-चढ़ाकर बातें कहते हुए दिखावा करने की कोशिश करते हैं। ऐसे व्यक्ति अजनबी से भी ऐसे मिलते हैं, जैसे उनको बरसों से जानते हो और उनसे खूब सारी बातें करते हैं। हाइपोमेनिया की हालत कभी-कभी इंसान को बेहद खर्चीला बना देती है, इसमें कई बार व्यक्ति खुद को बहुत बड़ा समझने लगता है और उसका व्यवहार सामान्य व्यक्ति जैसा नहीं रहता।

हाइपोमेनिया के लक्षण...
हर वक्त खाना खाने की इच्छा होना।
हर काम में ज्यादा उत्सुकता दिखाना।
नींद ना आने पर भी थकान या नींद की ज़रूरत महसूस न होना।
हाइपोमेनिया में व्यक्ति अचानक बहुत अलग तरीके के कपड़े पहनने लगते है।
अनजान लोगों से खूब बातें करना।
छोटी-छोटी बातों पर बेतहाशा खुश होना।
मोनिया से ग्रस्त व्यक्ति भ्रम और काल्पनिक बातों को सच मानने लगते हैं।
हाइपोमेनिया से जूझ रहा व्यक्ति कभी भी यह मानने को तैयार नहीं होता कि वह मानसिक रूप से बीमार है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति मेंआपको अचानक ऐसे असामान्य लक्षण बढ़ते दिखने लगे, तो उन्हें डॉक्टर से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। अच्छे डॉक्टर से कंसल्टेशन और दवाओं से व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जी सकता है।

स्वास्थ्य: पौष्टिक गुणों का खजाना है 'ब्लैकबेरी'

स्वास्थ्य: पौष्टिक गुणों का खजाना है 'ब्लैकबेरी' 

सरस्वती उपाध्याय 
ब्लैकबेरी यानी कि जामुन पौष्टिक गुणों का खजाना है। इसे ब्लैक प्लम या जावा के नाम से भी जाना जाता है। जामुन एक मौसमी फल है, इसलिए जून से अगस्त तक के महीने में यह भारत में काफी मात्रा में मिल सकता है। जामुन में बहुत से पौष्टिक तत्व जैसे कि कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, सोडियम, विटामिन सी और सभी तरह के विटामिन-बी -थायमिन, राइबोफ्लेविन, फोलिक एसिड नियासिन और बी 6 मौजूद होते हैं। वैसे तो इस दरमियान बहुत से फल आते हैं, लेकिन अगर सेहत के लिहाज से देखा जाए तो जामुन को सेहत का खजाना भी माना जाता है। इन दिनों में जामुन का सेवन बहुत सी बीमारियों के जोखिम को कम कर सकता है।आइए जानते हैं जामुन से मिलने वाले फायदे...

रिपोर्ट के अनुसार, जामुन का सेवन शरीर में हीमोग्लोबिन लेवल बढ़ाता है। जिससे एनीमिया की समस्या कम हो सकती है।
इसमें मौजूद कैल्शियम, फॉस्फोरस व आयरन बोन्स की हेल्थ ठीक रखते हैं। इन तीनों तत्वों की मौजूदगी से दांत मसूड़े स्वस्थ रहते हैं और ओस्टियोपोरोसिस की रोकथाम भी हो सकती हैं।
एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर जामुन इम्यूनिटी स्ट्रांग करता है और डाइजेशन व पेट संबंधी परेशानियों को दूर करने में सहायक है।
जामुन फाइबर से भरपूर होने के कारण, इसके सेवन से पेट काफी देर तक भरा रहता है और वजन कम हो सकता है।
जामुन को वायुनाशक, एंटीस्कोरब्यूटिक और मूत्रवर्धक भी माना जाता है।
इसकी एंटी-एजिंग प्रॉपर्टी की वजह से यह क्लियर पिंपल्स को कम करने में भी सहायक है।
हम उनका सेवन डायबिटीज में बेहतरीन औषधि का काम करता है। क्योंकि इसकी हाइपोग्लाइसेमिक प्रॉपर्टीज ब्लड ग्लूकोस लेवल को कम करती हैं।
जामुन के सेवन से हृदय लोगों का रेस्क्यू भी कम हो सकता है। इसकी एंटीकार्सिनोजेनिक प्रॉपर्टीज कार्सिनोजेनेसिस को रोकती हैं।
दिखने में छोटा सा यह फल एक बेहतरीन औषधि है।

नूपुर की विवादित टिप्पणी, कई राज्यों में मामलें दर्ज

नूपुर की विवादित टिप्पणी, कई राज्यों में मामलें दर्ज

अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित बीजेपी नेता नूपुर को उनके खिलाफ दर्ज़ सभी एफआईआर को दिल्ली स्थानांतरित करने के लिए राहत देने से इनकार कर दिया। नूपुर शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, जब आप किसी के खिलाफ शिकायत दर्ज़ कराते हैं, तो उस व्यक्ति को गिरफ़्तार कर लिया जाता है, लेकिन इस मामले में आपके ऊपर किसी ने कोई कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं की, जो आपका दबदबा दिखाता है।
बता दें कि निलंबित बीजेपी नेता नूपुर शर्मा ने अपनी विवादास्पद टिप्पणी को लेकर कई राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज़ सभी प्राथमिकी को जांच के लिए दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। शर्मा का कहना है कि उन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा के वकील को इस मामले में संबंधित हाईकोर्ट के पास जाने का सुझाव दिया है। जब नूपुर शर्मा की वकील सुप्रीम कोर्ट से कहती हैं कि वह जांच में शामिल हो रही हैं और भाग नहीं रही हैं, तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा- वहां आपके लिए रेड कार्पेट होना चाहिए।
मामले को लेकर एपेक्स कोर्ट ने पूर्व बीजेपी प्रवक्ता को जमकर फटकार लगाई है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि बयानों से अशांति फैली है। एक टीवी डिबेट के दौरान पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के चलते शर्मा जांच का सामना कर रही हैं। बीजेपी ने भी उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया था।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि उन्होंने राष्ट्र की सुरक्षा को खतरा पहुंचाया है। कहा गया कि उनके चलते पूरे देश में ही अशांति हो गई है। शर्मा की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने अपने बयानों के लिए माफी मांग ली है और उन्हें वापस भी ले लिया है। इसपर कोर्ट ने कहा कि उन्हें टीवी पर जाकर पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। कोर्ट ने उकसाने वालों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज किए जाने की बात कही है।
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा नूपुर शर्मा को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि देशभर में जो हो रहा है उसके लिए नूपुर शर्मा अकेले जिम्मेदार हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमने उस टीवी डिबेट को देखा, जिसमे वह उकसाती हैं। लेकिन जिस तरह से उन्होंने यह सब कहा और बाद में उन्होंने कहा कि वह वकील हैं, यह शर्मनाक है। उन्हें पूरे देश से इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।
वकील ने जब उनकी क्षमायाचना और पैगंबर पर की गई टिप्पणियों को विनम्रता के साथ वापस लेने की दुहाई दी तो पीठ ने कहा कि वापस लेने में बहुत देर हो चुकी थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि उनकी शिकायत पर एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन कई एफआईआर के बावजूद उन्हें अभी तक दिल्ली पुलिस ने उनको छुआ तक नहीं है। शीर्ष अदालत ने कहा कि नूपुर शर्मा और उनकी हल्की जबान ने पूरे देश में आग लगा दी है। वो उदयपुर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए जिम्मेदार हैं। नूपुर शर्मा को टीवी पर आकर माफी मांगनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए कहा कि सत्ता की ताकत दिमाग पर हावी नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आपने माफी मांगने में देर कर दी। सुनवाई के दौरान नूपुर शर्मा ने कहा कि मुझे रेप और हत्या की धमकियां मिल रही हैं। इससे पहले नूपुर शर्मा के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने जानबूझकर यह बयान नहीं दिया।
इससे पहले उनके उकसाने वाले बयान दिए गए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि वहां लोगों ने ऐसा किया है तो उनके खिलाफ भी केस दर्ज किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि अगर एंकर ने भड़काया तो उस पर केस क्यों नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन लोगों के मन में दूसरे धर्म के प्रति सम्मान नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने नूपुर शर्मा की पहले मांगी गई माफी को लेकर भी सवाल खड़े किए। अदालत ने कहा कि आपने जो माफी मांगी वो भी सशर्त थी। शीर्ष अदालत ने राजधानी में दिल्ली पुलिस की तरफ से दर्ज शिकायत पर अब तक हुए ऐक्शन पर भी सवाल उठाए। इससे पहले नूपुर शर्मा से कहा कि दिल्ली पुलिस ने आपके लिए रेड कार्पेट बिछा रखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नूपुर शर्मा का बयान की वजह से ही उदयपुर की घटना हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया था कि आपको ऐसा बयान दिए जाने की जरूरत ही क्या थी।

दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ

दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। दबे पांव पहुंचे भूकंप ने धरती को हिलाते हुए पब्लिक को दहशत में ड...