मंगलवार, 18 मई 2021

जेल कांड: सीबीआई या एनआईए से कराने की मांग

अकांशु उपाध्याय  

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में हाल में हुई हत्याओं की जांच सीबीआई या एनआईए से कराने की मांग करने वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है। याचिका में इन हत्याओं की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की गई है।

वकील अनूप प्रकाश अवस्थी ने दायर याचिका में चित्रकूट जेल में हुई तीन विचाराधीन कैदियों की हत्याओं और यूपी में 18 मार्च 2017 के बाद हुए सभी एनकाउंटर की जांच सीबीआई या एनआईए से जांच कराने की मांग की है। याचिका में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर एनकाउंटर को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। याचिका में यूपी के मुख्यमंत्री के यूपी विधानसभा में की गई उस घोषणा का उल्लेख किया गया है जिसमें कहा गया था कि अपराधियों को ठोक दिया जाएगा। याचिका में कहा गया है कि ये संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है।

याचिका में बागपत जेल में मारे गए मुन्ना बजरंगी और पिछले साल विकास दुबे की मुठभेड़ का हवाला देते हुए कहा गया है कि जेल में हत्याएं और मुठभेड़ की वर्तमान घटना कोई छिटपुट घटना नहीं है। ये घटनाएं न केवल चिंताजनक है बल्कि परेशान करनेवाला है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो सरकारी एजेंसी किसी भी नागरिक की जान कभी भी ले सकती है।

एयरटेल को चौथी तिमाही में 759 करोड़ का लाभ

अकांशु उपाध्याय   

नई दिल्‍ली। निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल को वित्‍त वर्ष 2020-21 चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 759 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ। हालांकि, पिछले वित्‍त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी को 5,237 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।

कंपनी ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि आखिरी तिमाही में उसका एकीकृत राजस्व 11.9 फीसदी बढ़कर 25,747 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वित्‍त वर्ष 2019-20 की इसी तिमाही में 23,019 करोड़ रुपये था। लेकिन, वित्‍त वर्ष 2020-21 में भारती एयरटेल को 15,084 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जो वित्‍त वर्ष 2019-20 में 32,183 करोड़ रुपये था। इसके अलावा बीते वित्‍त वर्ष 2020-21 में भारती एयरटेल का वार्षिक राजस्व एक लाख करोड़ रुपये (1,00,616 करोड़ रुपये) के पार चला गया। हालांकि, वित्‍त वर्ष 2019-20 में यह 84,676 करोड़ रुपये था। वहीं, वित्‍त वर्ष 2020-21 चौथी (जनवरी-मार्च) तिमाही में कंपनी के वैश्विक स्तर पर ग्राहकों की संख्या लगभग 47 करोड़ थी।

उल्‍लेखनीय है कि वित्‍त वर्ष 2021 के पहले तीन महीनों (जनवरी-मार्च) के दौरान भारती एयरटेल के ग्राहकों की संख्या में 1.41 करोड़ का इजाफा हुआ। इससे भारत में कंपनी के ग्राहकों की संख्या 35 करोड़ पर पहुंच गई है। बीएसई पर आज कंपनी के एक शेयर का दाम 549.55 रुपये पर रहा, जबकि एनएसई पर 547.80 रुपये पर रहा। 

बढ़ती मौतों का आंकड़ा चिंता का विषय: वायरस

हरिओम उपाध्याय   
नई दिल्ली। भारत में लगातार कम हो रहे कोरोना के नए मामले तो राहत देने वाले हैं, लेकिन मौत की बढ़ती संख्या चिंता करने वाली है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों की मानें तो कोरोना जब भारत में पीक पर था यानी रोज चार लाख के नए मामले सामने आ रहे थे, उसकी तुलना में आज के मौत का आंकड़े परेशान करने वाले हैं। भारत में 6 मई को सबसे ज्यादा नए केस सामने आए थे। उस दिन 3920 मरीजों की कोरोना के कारण जान चली गई थी। वहीं, आज जब 2.63 लाख नए पॉजिटिव केस की पुष्टि हुई है तो मौतों की संख्या ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। covid19india.org द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 घंटे में 4329 मरीजों की मौत हो गई।
डरा रहे मौत के आंकड़े
भारत में भले ही रोजोना सामने आने वाले कोरोना के मामले घट रहे हैं, लेकिन मौत की बढ़ती संख्या परेशान करने वाली है। भारत में 6 मई को कोरोना पीक पर था। उस दिन 4.14 लाख नए मामले सामने आए थे 3,920 मरीजों की जान गई थी। आज नए मामले घटकर 2.62 लाख पर आ गए हैं, लेकिन मौत की संख्या ने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए हैं। देश में आज 4334 मरीजों की जान गई है।

भारत के लिए समस्या जटिल, वैक्सीनेशन को बढ़ाये

कविता गर्ग   नई दिल्ली/जेनेवा। भारत कोरोना महामारी की दूसरी लहर भी संभाल नहीं पा रहा है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि ऐसी कई और लहरें आ सकती हैं। विश्व संगठन की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि इसकी संभावना को देखते हुए भारत के लिए अगले 6-18 महीने कापी अहम हैं। अगर इस दौरान टीकाकरण अभियान की रफ्तार को बढ़ाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुरक्षित कर लिया जाए, तो इसकी अगली लहरें ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाएंगी। साथ ही इस साल के अंत तक कोरोना के मामलों में कमी आनी शुरू हो जाएगी।
भारत में कोरोना के विस्फोट की वजह बताते हुए डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि पहली बार भारत में मिला कोरोना वायरस का B 1.617 वैरिएंट निश्चित तौर पर ज्यादा संक्रामक है। ये ऑरिजिनल स्ट्रेन से डेढ़ से दो गुना अधिक संक्रामक हो सकता है। इसके अलावा ये ब्रिटेन में पाए गए B 117 वेरिएंट से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है। इससे बचने के लिए भारत को अगले 6 से 12 महीनों तक अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना होगा और ज्यादा से ज्यादा आबादी को वैक्सीनेट करना होगा। अगर ऐसा हुआ तभी हालात में सुधार की गुंजाइश बन सकती है।

वैसे, भारत में लगाये जा रहे दोनों कोरोना वैक्सीनों की तारीफ करते हुए डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि दोनों ही टीके कोरोना वायरस  के नए स्ट्रेन के खिलाफ काफी प्रभावशाली है। वैसे कुछ मामलों में दोनों डोज लेनेवाले लोग भी संक्रमित हुए हैं, लेकिन ये कोई बड़ी बात नहीं है। अच्छी बात ये है कि वैक्सीन की दो डोज लेने वालों की रिकवरी ज्यादा जल्दी और आसान रही है।

स्पर्म ही महिला को प्रेग्नेंसी के लिए देता हैं संकेत

मदन प्रजापति   

नई दिल्ली/सिडनी। किसी भी महिला के लिए गर्भवती होना कोई बहुत आसान प्रक्रिया नहीं होती है। इसमें एक साथ कई सारी चीजें घटित होती हैं। जाहिर सी बात है कि कोई भी महिला पुरुष के स्पर्म शुक्राणुओं के बिना प्रेग्नेंट नहीं हो सकती है। हालांकि नई स्टडी से पता चला है कि प्रेग्नेंसी में सीधी भूमिका के अलावा भी स्पर्म एक और बहुत अहम काम करता है। ये स्टडी ऑस्ट्रेलिया की एडिलेड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने की है।

ये स्टडी नेचर रिसर्च जर्नल कम्युनिकेशंस बायोलॉजी में छपी है। स्टडी के मुताबिक, स्पर्म ही महिला को प्रेग्नेंसी के लिए मनाता है। स्पर्म महिलाओं को प्रजनन ऊतकों को एक ऐसा संकेत देता है जिससे प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाती है। स्टडी के मुख्य लेखक प्रोफेसर सारा रॉबर्टसन ने कहा, 'यह पहली ऐसी स्टडी है जो बताती है कि महिलाओं का इम्यून रिस्पॉन्स स्पर्म से मिले सिग्नल पर काम करता है और एग को फर्टिलाइज करने की अनुमति देता है, जिससे कि प्रेग्नेंसी होती है।
प्रोफेसर रॉबर्टसन ने कहा, 'स्पर्म को लेकर ये स्टडी हमारी वर्तमान समझ के उलट है जैसा कि अब तक हम इसकी क्षमता को समझते आए थे। इसमें सिर्फ जेनेटिक मेटेरियल नहीं होता है बल्कि ये महिला के शरीर को ये समझाने का भी काम करता है कि वो उसमें अपनी प्रजनन क्षमता का निवेश करे। 'स्पर्म में पाया जाने वाला प्रोटीन प्रेग्नेंसी के समय महिला की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (इम्यून) को नियंत्रित करता है ताकि उसका शरीर बाहरी भ्रूण को स्वीकार कर सके। हालांकि स्पर्म इस प्रतिक्रिया को प्रभावित करते हैं या नहीं, ये अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है।
शोधकर्ताओं की टीम ने ग्लोबल जीन को समझने के लिए चूहों के यूट्रस पर प्रयोग किया। इसके लिए उन्होंने पूरी तरह से ठीक और कुछ नसबंदी वाले स्पर्म का यूट्रस में मिलान किया। प्रयोग में पाया गया कि पूरी तरह से ठीक स्पर्म की वजह से महिला जीन में ज्यादा बदलाव आए, खासतौर से इम्यून रिस्पॉन्स के मामले में। स्टडी के अनुसार नसबंदी वाले पुरुषों की तुलना में बिना नसबंदी वाले पुरुषों के स्पर्म से महिलाओं को मजबूत इम्यून टॉलरेंस मिलता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि महिलाओं की कोशिकाओं में स्पर्म के प्रभाव का सीधा असर पड़ता है।
नई स्टडी के नतीजों से पता चलता है कि स्पर्म की सेहत का भी प्रेग्नेंसी पर असर पड़ता है। ये ना सिर्फ प्रेग्नेंसी के लिए बल्कि बच्चे की सेहत के लिए भी जरुरी है। उम्र, डाइट, वजन, शराब और स्मोकिंग जैसी आदतों का स्पर्म क्वालिटी पर असर पड़ता है और इसकी वजह से प्रेग्नेंसी हेल्थ भी प्रभावित हो सकती है। प्रोफेसर रॉबर्टसन ने कहा, 'ऐसा माना जाता है कि स्पर्म केवल एग को फर्टिलाइज करते हैं लेकिन प्रेग्नेंसी के अलावा स्पर्म क्वालिटी का असर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला और होने वाले बच्चे की सेहत पर भी पड़ता है।
प्रोफेसर रॉबर्टसन ने कहा, 'मिसकैरेज, प्रीक्लेम्पसिया और समय से पहले बच्चे को जन्म देना जैसी स्थितियां महिलाओं के इम्यून रिस्पॉन्स की वजह से होती हैं और इसमें पार्टनर के स्पर्म भी जिम्मेदार होते हैं।

वैक्सीनेशन के बाद गंभीर लक्षणो की रिपोर्ट करें

कविता गर्ग   

नई दिल्ली। ब्रिटेन और कई अन्य देशों की तरह अब भारत में भी कोविशील्ड वैक्सीन लेने के बाद रक्त स्राव और खून के थक्के जमने की घटनाएं सामने आने लगी हैं। वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभावों को लेकर गठित राष्ट्रीय समिति ने भी इसकी पुष्टि कर दी है। अब स्वास्थ्य मंत्रालय ने हेल्थकेयर वर्कर्स और वैक्सीन लेने वालों के लिए वैक्सीन के साइड-इफेक्ट को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है। एडवाइजरी में लोगों से अपील की गई है कि वे टीका लेने के 20 दिन के भीतर ब्लड क्लॉट्स यानी खून के थक्के जमने के लक्षणों की पहचान करें और अगर कोई गंभीर लक्षण दिखता है तो टीकाकरण केंद्र पर जाकर उसकी रिपोर्ट करें।

एडवाइजरी के मुताबिक, कोई भी वैक्सीन (खासकर कोविशील्ड) लेने के बाद अगर आपको शरीर में सूजन, छाती में दर्द, बिना उल्टी के पेट दर्द, तेज सिर दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसे गंभीर लक्षण दिखें, तो टीकाकरण केंद्र पर जाकर उसकी रिपोर्ट जरूर करें।एडवाइजरी के मुताबिक, अगर आपको इंजेक्शन लगने वाली जगह के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से पर लाल रंग के धब्बे नजर आ रहे हैं तो सतर्क हो जाइए। ये ब्लड क्लॉट्स के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा अगर आपको माइग्रेन की समस्या नहीं है, लेकिन उसके बावजूद तेज सिर दर्द हो रहा है, तो टीकाकरण केंद्र पर इसकी रिपोर्ट भी करनी जरूरी है।

कोरोना वैक्सीन लगने के बाद अगर आपको कमजोरी हो रही है, बिना किसी कारण के लगातार उल्टी हो रही है, आंखों में दर्द है या धुंधला दिख रहा है, शरीर के किसी अंग ने काम करना बंद कर दिया है, तो ये समस्याएं बेहद ही गंभीर हैं। इसलिए टीकाकरण केंद्र पर मौजूद हेल्थकेयर वर्कर्स को इस लक्षणों के बारे में जानकारी दें।वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभावों को लेकर गठित राष्ट्रीय समिति ने कहा है कि देश में ब्लड क्लॉट के बहुत कम मामले कोविशील्ड वैक्सीन से जुड़े हो सकते हैं। समिति के मुताबिक, भारत में कोविशील्ड वैक्सीन की प्रति 10 लाख खुराक पर खून के थक्के जमने के सिर्फ 0.61 फीसदी मामले ही देखने को मिले हैं।

एडवाइजरी के मुताबिक, वैज्ञानिक अध्ययन बताते हैं कि वैक्सीन लेने के बाद खून के थक्के जमने का खतरा यूरोपीय मूल के व्यक्तियों की तुलना में दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशियाई मूल के व्यक्तियों में लगभग 70 फीसदी कम होता है। राष्ट्रीय एईएफआई (टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटना) समिति का कहना है कि कोवैक्सीन टीका लगाने के बाद खून के थक्के जमने का एक भी मामला अभी तक दर्ज नहीं किया गया है।

केंद्र ने 13 राज्यों को भेजी 10,000 टन ऑक्सीजन

अकांशु उपाध्याय  
नई दिल्ली। कोरोना काल में अपनी विशेष ऑक्सीजन एक्सप्रेस को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही भारतीय रेल ने अब तक 269 ऑक्सीजन एक्सप्रेस के जरिए दस हजार टन से ज्यादा लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की है। सोमवार को गुजरात में तूफानी हवाओं के बीच रेलवे ने लगभग 150 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन वाली दो ट्रेनों को का भी सफल संचालन किया है। ऑक्सीजन एक्सप्रेस की गति बढ़ाई गई है और इनकी औसत गति 75 किलोमीटर प्रति घंटे है। रेल बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ सुनीत शर्मा ने कहा है कि ऑक्सीजन प्राणवायु है और रेलवे की प्राथमिकता लोगों की जान बचाना है। इसलिए उनके दिमाग में इसके परिवहन पर आने वाली लागत है ही नहीं। यह सेवा का काम है, जिसमें पूरे देश के साथ रेलवे भी शामिल है। शर्मा ने बताया कि गुजरात में सोमवार को तूफान के बावजूद रेलवे ने वहां से तेज हवाओं के बीच अपनी दो ऑक्सीजन एक्सप्रेस का संचालन किया है। 
18 अप्रैल से रेलवे ने अपनी विशेष ऑक्सीजन एक्सप्रेस की शुरुआत की थी और अब तक 10302 टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा चुकी है। रेलवे ने 13 राज्यों को यह ऑक्सीजन आपूर्ति की है। इसके लिए उसे 269 ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलानी पड़ी है, जिनके जरिए 634 टैंकरों को विभिन्न राज्यों में पहुंचाया गया है। इनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश को 197, दिल्ली को 191, महाराष्ट्र को 34, हरियाणा को 83 और मध्य प्रदेश को 38 टैंकर शामिल है।
इस समय 1005 विशेष मेल एक्सप्रेस ट्रेन :- कोरोना संक्रमण को रोकने और यात्रियों की संख्या में आई कमी को देखते हुए रेलवे इस समय 1005 विशेष मेल एक्सप्रेस ट्रेन यात्री ट्रेनों का संचालन कर रही है। उपनगरीय सेवाओं में भी कमी आई है और इनकी संख्या इस समय 3893 है। इसके अलावा सवारी गाड़ियों की संख्या भी कम होकर 517 रह गई है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी तक 4.32 लाख कर्मचारियों का टीकाकरण हो चुका है।

भारतीय क्षेत्र में क्यों आते हैं भयानक समुद्री तूफान

अकांशु उपाध्याय   
नई दिल्‍ली। अरब सागर में आए जबरदस्‍त चक्रवात टाक्‍टे कर्नाटक, गोवा, महाराष्‍ट्र के बाद अब गुजरात की तरफ जा पहुंचा है। जहां-जहां से ये गुजरा है वहां पर इसने तबाही के निशान भी छोड़े हैं। सही समय पर उठाए गए कदमों की बदौलत इस चक्रवात से जानमाल के अधिक नुकसान होने से बचा जा सका है। भारतीय नौसेना ने इसमें फंसे दो जहाजों से करीब करीब 132 लोगों को बचाया है। इस काम में भारतीय नौसेना के आइएनएस कोच्चि और आइएनएस कोलकाता जुटे हुए हैं। इस चक्रवात का असर उत्‍तर भारत के कई राज्‍यों में भी देखा जा रहा है। 
गौरतलब है कि हाल के कुछ वर्षों में भारतीय क्षेत्र में चक्रवातों के बनने का सि‍लसिला बढ़ा है। विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) के विशेषज्ञों की राय में इसकी बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है। जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र का तापमान बढ़ रहा है। इस तापमान के बढ़ने का व्‍यापक असर समुद्र में बनने वाले चक्रवातों पर भी पड़ा है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि चक्रवातों के बनने की शुरुआत समुद्र के गर्म क्षेत्र में ही होती है। यहां से चलने वाली हवा गर्म होकर कम वायु दाब का क्षेत्र बनाती हे। गर्म हवा तेजी से ऊपर आती है जहां उसको नमी मिलती है जो बाद में घने बादल का निर्माण करती है। इस वजह से खाली हुई जगह को भरने के लिए नम हवा तेजी से नीचे जाकर फिर ऊपर की ओर उठती है। ऐसे में जब हवा तेजी के साथ इसके ऊपर चक्‍कर काटती हे तो घने बादल कड़कती बिजली के साथ बारिश करते हैं। इसका बड़ा रूप ही चक्रवात बनता है, जो अपने साथ-साथ तेज हवाएं और बारिश लेकर आता है। अरब सागर में तेज होते चक्रवात वैज्ञानिकों की चिंता का सबब बने हुए हैं। 
विशेषज्ञों का मानना है कि ये सभी कुछ जलवायु परिवर्तन और समुद्र के तापमान के बढ़ने से हो रहा है। विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि इससे निपटने के लिए प्रयास तेज करने होंगे, क्‍योंकि इस तरह के चक्रवात तटीय इलाकों में कई बार भारी तबाही मचाते हैं। जानकारों की मानें तो पहले अरब सागर का तापमान इतना नहीं था जितना कि आज है। बदलते दौर के साथ ये ये गर्म पानी का विशाल कुआं बन गया है, जो तीव्र चक्रवातों का जन्‍म देता है। इन जानकारों के मुताबिक उष्‍णकटिबंधीय चक्रवात गर्म पानी से अपनी ऊर्जा प्राप्‍त करते हैं और इसी कारण वे गर्म पानी के ऐसे इलाकों में बनते हैं जहां का तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है। जानकारों के मुताबिक 1980 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब लगातार चार बार 2018-2021 में मानसून सीजन के दौरान चक्रवातों का सामना करना पड़ा है। 
बीते वर्ष ही भारत ने एम्‍फान, निसर्ग और निवार चक्रवाती तूफान का सामना किया था। भारत की ही बात करें तो यहां पर अधिकतर चक्रवात मई से अक्‍टूबर के बीच आते हैं। इनमें से अधिकतर बंगाल की खाड़ी में आते हैं। इनका असर बंगाल से लेकर दक्षिण के राज्‍य तमिलनाडु तक दिखाई देता है। जानकारों की राय में भारतीय क्षेत्र में आने वाले ताकतवर चक्रवाती तूफानों की ताकत हर वर्ष 8 फीसद की दर से बढ़ रही है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक बीते एक दशक के दौरान अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवाती तूफानों की संख्या में 11 प्रतिशत वृद्धि हुई है। जानकार मानते हैं कि समुद्री सतह का तापमान बढ़ने से चक्रवात अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं। टोक्‍टे के समय में अरब सागर का तापमान 31 डिग्री सेल्सियस तक बताया जा रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो जैसे जैसे समुद्र का तापमान बढ़ता जाएगा चक्रवातों की शक्ति भी उतनी ही तेजी से बढ़ती जाएगी।

ओली ने शपथ में ईश्वर शब्द को छोड़ा, विवाद बड़ा

 हरिओम उपाध्याय   
काठमांडू। नेपाल के उच्चतम न्यायालय में सोमवार को चार रिट याचिकाएं दायर की गईं जिसमें प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को फिर से शपथ दिलाने का अनुरोध किया गया है। याचिकाओं में कहा गया है कि ओली ने शपथग्रहण समारोह के दौरान बोले गए सभी शब्दों को नहीं दोहरा कर राष्ट्रपति के पद का अपमान किया है। राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में आयोजित एक समारोह में ओली को प्रधानमंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ दिलायी थी। शपथ ग्रहण समारोह के दौरान, जब राष्ट्रपति ने शब्द ”शपथ के अलावा “भगवान के नाम पर” बोला तो कम्युनिस्ट पार्टी आफ नेपाल (यूएमएल) के 69 वर्षीय अध्यक्ष ओली ने उन शब्दों को छोड़ दिया। राष्ट्रपति भंडारी ने जब ”ईश्वर, देश और लोगों का उल्लेख किया तो तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बनने वाले ओली ने कहा, ”मैं देश और लोगों के नाम पर शपथ लूंगा।” काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, सभी चार रिट याचिकाकर्ताओं में अनुरोध किया गया है कि ओली एक बार फिर पद और गोपनीयता की शपथ लें क्योंकि शुक्रवार को ली गई शपथ अवैध थी।वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्रकांता ग्यावली और अधिवक्ता लोकेंद्र ओली और केशर जंग केसी ने एक संयुक्त रिट याचिका दायर की है जबकि अधिवक्ता राज कुमार सुवाल, संतोष भंडारी और नवराज़ अधिकारी ने इसी मुद्दे पर अलग-अलग रिट याचिका दायर की हैं। खबर के अनुसार याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह ओली से फिर से शपथ लेने का निर्देश दे और उनके फिर से शपथ लेने तक उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने से रोके।

इजराइल व फिलिस्तीन के बीच हवाई हमले जारी

गाजा। इजरायल और फिलिस्तीन के बीच हवाई हमले दूसरे हफ्ते भी जारी हैं। इजरायल ने मंगलवार को गाजा पर किए हवाई हमले में एक छह मंजिला इमारत को गिरा दिया तो वहीं फिलिस्तीन आतंकियों की ओर से भी लगातार दर्जनों हमले किए गए हैं। इजरायल के हमले में काहिल नाम की इमारत क्षतिग्रस्त हुई। इस इमारत में लाइब्रेरी और इस्लामिक यूनिवर्सिटी से जुड़े एजुकेशनल सेंटर थे। हालांकि, रात भर चले हवाई हमलों में मरने वालों की संख्या का अभी तक पता नहीं लगा है। दूसरी तरफ, इजरायल ने यह दावा किया है कि उसने मंगलवार को जॉर्डन से सटी सीमा के पास एक यूएवी को गिराया है। हालांकि, अभी तक यह नहीं बताया गया कि यह यूएवी किस देश का था। बता दें कि इजरायल और गाजा के बीत 10 मई से ही हवाई हमले जारी हैं। इजरायली पुलिस ने अल अक्सा मस्जिद में बड़ी संख्या में लोगों को जुटने से रोकने के लिए 12 अप्रैल को बैरिकेड्स लगा दिए थे। रमजान के महीने में फिलीस्तीनी मुस्लिम यहां बड़ी संख्या में जुटते हैं। कुछ दिनों बाद ही इजरायल ने अल-अक्सा मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए लोगों की संख्या सीमित कर दी। वहीं, हजारों की संख्या में आए फलीस्तीनियों को वापस भेज दिया गया। इसके बाद से इजरायल और फिलीस्तीन के चरमपंथी समूह हमास के बीच संघर्ष तेज हो गया।इजरायली सेना ने मंगलवार को बताया कि उसने अब तक हमास 65 ठिकानों पर 100 से ज्यादा हथियार दागे हैं, इनमें रॉकेट लॉन्चर भी शामिल हैं। इजरायली सेना ने बताया कि अभी तक अभियान में 60 से ज्यादा लड़ाकू विमान शामिल किए गए हैं। सेना ने यह भी बताया कि फिलिस्तीन की ओर से 90 रॉकेट दागे गए, जिनमें से 20 गाजा में ही गिर गए।गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक,  बीते हफ्ते हुए हवाई हमलों में 212 फिलिस्तीनियों की जान गई है। इसमें 61 बच्चे और 36 महिलाएं भी शामिल हैं। वहीं, हमलों में 1400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। दूसरी तरफ, इजरायल में 10 लोगों की जान गई है, जिनमें 5 साल के लड़के के साथ ही एक सैनिक भी शामिल है।

गाजा पर बनी सुरंगें हमास के लिए अहम हथियार

विकास कुमार   

नई दिल्‍ली। गाजा पर बनाई गई सुरंगें (टनल) हमास के लिए बेहद अहम हथियार हैं। 2014 में इजरायल के साथ जंग के बाद से लड़ाके इन्हें हथियार लाने-ले जाने, दुश्मन देश में दाखिल होकर सैनिकों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल करते रहे हैं। गाजा का ऐसा ही टनल नेटवर्क मिस्र की ओर भी था। 2009 में यहां से आवाजाही रोकने के लिए अंडरग्राउंड बैरियर लगाए गए। हालांकि, 2011 में मिस्त्र ने पाबंदियों पर ढील देते हुए आवाजाही की छूट दे दी। इसके बाद फलस्तीनियों को बार्डर पार करने की आजादी मिल गई, लेकिन फिर 2013-2014 में मिस्त्र की सेना ने करीब 1,200 सुरंगे नष्ट कर दी थीं।
वर्ष 2007 में बनी थी पहल टनल
गाजा पट्टी और मिस्र के बीच पहली टनल 2007 में बनाई गई थी और इसका इस्तेमाल तस्करी के लिए किया जाता था। इससे पहले भी इस तरह के ढांचों से काम लिया जाता था। बाद में इन्हें इजरायल के खिलाफ इस्तेमाल किया जाने लगा।
जमीन के ऊपर से पता करना मुश्किल
इन सुरंगों का जमीन के ऊपर से पता लगाना मुश्किल है। इनकी छत कंक्रीट से बनी हैं। इन्हें बनाने में तीन से नौ करोड़ डॉलर की लागत आई है। इसका इस्तेमाल हमास के अलावा फलस्तीन में इस्लामिक जिहाद मूवमेंट भी करता है।
इजरायली सैनिक का किया था अपहरण
इन्हीं टनल का प्रयोग करके हमास ने 2006 में इजरायली सैनिक जिलाद शालित का अपहरण किया था और पांच साल तक बंदी बनाकर रखा था। इजरायल इन्हें खत्म करने की कोशिश लंबे वक्त से करता रहा, लेकिन पूरी तरह कामयाबी नहीं मिली है।
यह रहा है इतिहास

  • वर्ष 2014 में हुए युद्ध के दौरान इजरायल ने 30 सुरंगों को नष्ट कर दिया था।
  • वर्ष 2007 के बाद से हमास ने 1300 टनल बनाई हैं। इन पर करीब सवा अरब डालर का खर्च आया है।
  • वर्ष 2014 में गाजा युद्ध के दौरान हमास ने सुरंग में चलते सैनिकों का वीडियो जारी किया था।
  • एक दौर में करीब 22 हजार फलस्तीनी 2500 टनल के जरिये दोनों देशों के बीच अपना काम करते थे।

तेल भी किया जाता था आयात
इन टनल्स से तेल का आयात भी होता है। गाजा के अकेले पावर प्लांट को चलाने के लिए आयात कर लाए गए तेल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। 2013 में जब मिस्त्र ने सैकड़ों की संख्या में टनल खत्म कर दीं तो तेल की कमी के चलते गाजा का ये अकेला पावर प्लांट भी बंद हो गया था।

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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

1. अंक-276 (साल-02)
2. बुधवार, मई 19, 2021
3. शक-1984, बैसाख, शुक्ल-पक्ष, तिथि- अष्टमी, विक्रमी सवंत-2078।
4. सूर्योदय प्रातः 06:00, सूर्यास्त 07:07।
5. न्‍यूनतम तापमान -11 डी.सै., अधिकतम-36+ डी.सै.। तेज हवाओं के साथ बरसात की संभावना बनी रहेगी।
6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7.स्वामी, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं हैं। पीआरबी एक्ट के अंतर्गत उत्तरदायी।
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सोमवार, 17 मई 2021

इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष, साझा बयान पर रोक

वाशिंगटन डीसी/ जेरूसलम। अमेरिका ने एक हफ्ते में तीसरी बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष पर साझा बयान जारी करने से रोक दिया है। इजरायली मीडिया ने मामले से जुड़े राजनयिकों के हवाले से ये रिपोर्ट छापी है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रविवार को हुई आपात बैठक के बाद नॉर्वे, ट्यूनीशिया और चीन ने बयान पेश किया जिसमें दोनों पक्षों से सीजफायर की मांग की गई थी। लेकिन अमेरिका ने इसे जारी नहीं होने दिया। हालांकि, अमेरिकी दूतावास की तरफ से इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं आई है। 

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने दलील दी कि अमेरिका कूटनीतिक चैनलों के जरिए इस संघर्ष को खत्म करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। अमेरिकी प्रतिनिधि हैदी आमर शुक्रवार को तेल अवीव पहुंचे हैं और सीजफायर कराने के लिए इजरायली-फिलिस्तीनियों के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं।

यूके: सरकार ने कोविड कर्फ्यू को 25 मई तक बढ़ाया

पंकज कपूर              

देहरादून। सोमवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में हुई बैठक में कोरोना वायरस संक्रमण की स्थिति पर विचार के बाद ये फैसला लिया गया। जिसके बाद प्रदेश में अब कोविड कर्फ्यू को 25 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल के अनुसार कुछ नए प्रतिबंधों के साथ कफ्र्यू को आगे बढाया गया है। कर्फ्यू के दौरान परचून की दुकानें अब 21 मई को सुबह सात से 10 बजे तक खुलेंगी। इसके अलावा नई गाइडलाइन में विवाह समारोह में शामिल होने के लिए आरटीपीसीआर की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य की गई है। बैंक अब सुबह 10 से दो बजे तक खुलेंगे। इसके अलावा अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए ई-पास अनिवार्य किया गया है।

संक्रमण: खुले में दिखाईं दें रहीं फेंकी हुई पीपीई किट

अश्वनी उपाध्याय              
गाज़ियाबाद। जिले में आजकल कई जगहों पर खुले में फेंकी हुई पीपीई किट दिखाई दे रहीं हैं। आपको बता दें कि कड़े प्रदूषण नियंत्रण क़ानूनों की वजह से छोटे नर्सिंग होम से लेकर बड़े अस्पतालों ने अपने यहाँ मेडिकल वेस्ट को डिसपोस ऑफ करने के इंतजाम किए हुए हैं। ऐसे में ये किट किसी निजी अस्पताल द्वारा फेंका जाना बहुत मुश्किल है। सरकारी अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर स्थिति काफी भिन्न है। सरकारी काम होने के कारण यहाँ लापरवाही होना संभव है। वैसे माना जा रहा है कि लोग कोरोना संक्रमित से मारे गए व्यक्तियों के अंतिम संस्कार के लिए पीपीई किट खरीदते हैं और संस्कार से वापस जाते समय उन्हें ऐसे ही खुले में फेंक देते हैं। बहरहाल, चाहे वजह कुछ भी हो, ये पीपीई किट अब संक्रमण फैलाने का कारण बन सकते हैं।

पूर्व सांसद कपिलमुनि की जमानत अर्जी खारिज की

बृजेश केसरवानी                 

प्रयागराज। पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत नहीं मिली। कोर्ट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के मामले में उनकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले के संबंध में अब तक न तो नियमित जमानत मांगी गई और न ही उसके लिए अर्जी दी गई है। याची इस मामले में न्यायिक हिरासत में है और उस पर बी वारंट का तामीला भी हो चुका है। यदि किसी मामले में कोर्ट से पेरोल के निर्देश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है, तो यह संभवतः अग्रिम जमानत देने का आधार नहीं बन सकता।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गत 13 मई को बेटी के विवाह के लिए पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया, पूर्व विधायक उदयभान करवरिया एवं पूर्व एमएलसी सूरजभान करवरिया का पेरोल मंजूर किया था। इस आदेश पर उदयभान करवरिया व सूरजभान करवरिया को नैनी जेल से रिहा कर दिया गया था। लेकिन मंझनपुर थाने के इस मामले में जमानत न होने के कारण कपिलमुनि करवरिया की रिहाई नहीं हो सकी थी।

मंत्रियों के विभागों का फैंसला करेंगें सीएम विजयन

तिरुवनंतपुरम। केरल में पिनराई विजयन के नेतृत्व वाली दूसरी सरकार 20 मई को शपथ ग्रहण करेगी और मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या 21 होगी। यह जानकारी एलडीएफ के संयोजक एवं माकपा के कार्यवाहक राज्य सचिव ए विजयराघवन ने सोमवार को यहां दी।विजयराघवन ने एलडीएफ की राज्य समिति की बैठक के बाद यहां कहा कि नयी वाम सरकार का शपथ ग्रहण समारोह कोविड​​​​-19 स्थिति को देखते हुए सादगी से होगा जिसमें सीमित संख्या में लोग आमंत्रित होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रियों के विभागों का फैसला मुख्यमंत्री करेंगे। 

विजयराघवन ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”चूंकि एलडीएफ को विधानसभा चुनावों के दौरान लोगों के हर वर्ग से अपार समर्थन मिला है। अत: हम एक ऐसी सरकार बनाना चाहते हैं। जिसमें सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो और जो सभी की उम्मीदों पर खरा उतर सके।” माकपा नेता ने कहा, ”फिलहाल, 21 सदस्यीय सरकार बनाने का फैसला लिया गया है।”उन्होंने कहा कि एलडीएफ में सबसे बड़े गठबंधन सहयोगी माकपा के नए मंत्रिमंडल में 12 सदस्य होंगे जबकि दूसरी सबसे बड़ी पार्टी भाकपा के 4 सदस्य होंगे। वहीं केरल कांग्रेस (एम), जनता दल (एस) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) से एक-एक प्रतिनिधि होंगे। उन्होंने कहा कि चूंकि मंत्रिमंडल में 21 से अधिक सदस्य शामिल हो सकते हैं। एलडीएफ ने अपने चार सहयोगियों, जिनके पास एक विधायक हैं, को बारी बारी के आधार पर मंत्री पद साझा करने का फैसला किया है।


मामलों में कमी आने से शेयर बाजारों में जबरदस्त तेजी

कविता गर्ग              

मुंबई। कोविड-19 के नये मामलों में कमी आने से घरेलू शेयर बाजारों में आज जबरदस्त तेजी देखी गई। बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 848.18 अंक यानी 1.74 प्रतिशत उछलकर 49,580.73 अंक पर बंद हुआ जो 29 अप्रैल के बाद का उच्चतम स्तर है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 245.35 अंक यानी 1.67 प्रतिशत की बढ़त के साथ एक सप्ताह के उच्चतम स्तर 14,923.15 अंक पर पहुंच गया। गत 30 मार्च के बाद पहली बार बाजार में इतनी बड़ी तेजी रही है। चौतरफा लिवाली के बीच मझौली और छोटी कंपनियों में भी निवेशकों ने जमकर पैसा लगाया। बीएसई का मिडकैप 1.63 प्रतिशत चढ़कर 20,842.20 अंक पर और स्मॉलकैप 1.61 प्रतिशत की मजबूती के साथ 22,558.92 अंक पर बंद हुआ। केंद्र सरकार के आज सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले 24 घंटे में देश में कोविड-19 संक्रमण के 2.81 लाख नये मामलों की पुष्टि हुई है।

जनता के साथ खड़े होने में विफल रहने का आरोप

अकांशु उपाध्याय             

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को केंद्र सरकार पर कोरोना संकट से निपटने और जनता के साथ खड़े होने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि मौजूदा समय में बहुत सारे लोग व्यक्तिगत स्तर पर अपनी सेवा के माध्यम से दुनिया को दिखा रहे हैं कि भारत के क्या मायने हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ”भारत सरकार न सिर्फ कोविड संकट से निपटने में विफल रही, बल्कि लोगों के साथ खड़े होने में भी नाकाम रही। रोजाना शक्ति और परमार्थ की कई व्यक्तिगत कहानियां सामने आ रही हैं।” राहुल गांधी ने कहा, ”उन नायकों का बहुत आभार है जिन्होंने दूसरों की सेवा के लिए खुद को सपर्पित किया है और दुनिया को यह दिखाया है कि भारत के क्या मायने हैं।”

दिल्ली में कोरोना के कुल मामलें 13.93 लाख हुएं

अकांशु उपाध्याय                

नई दिल्ली। दिल्ली में बीते एक हफ्ते में कोरोना वायरस से 91,500 से ज्यादा मरीज उबरे हैं। जबकि इस अवधि में कोविड-19 के 70,000 नए मामले आए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कुल मामले नौ मई को 13.23 लाख से बढ़कर 16 मई को 13.93 लाख हो गए। इस अवधि में संक्रमण से मुक्त होने वाले मरीजों की सख्या 12.17 लाख से बढ़कर 13.09 लाख हो गई। आंकड़ों के अनुसार, आठ मई के बाद से संक्रमण के नए मामलों की तुलना में संक्रमण से मुक्त होने वाले मरीजों की संख्या अधिक रही। दिल्ली में रविवार को 9706 लोग संक्रमण से उबरे जबकि शनिवार को 11,592, शुक्रवार को 14,140, बृहस्पतिवार को 15,189, बुधवार को 14,071, मंगलवार को 13,583 और सोमवार को 13,306 लोगों ने संक्रमण को मात दी।

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