मंगलवार, 18 मई 2021

भारतीय क्षेत्र में क्यों आते हैं भयानक समुद्री तूफान

अकांशु उपाध्याय   
नई दिल्‍ली। अरब सागर में आए जबरदस्‍त चक्रवात टाक्‍टे कर्नाटक, गोवा, महाराष्‍ट्र के बाद अब गुजरात की तरफ जा पहुंचा है। जहां-जहां से ये गुजरा है वहां पर इसने तबाही के निशान भी छोड़े हैं। सही समय पर उठाए गए कदमों की बदौलत इस चक्रवात से जानमाल के अधिक नुकसान होने से बचा जा सका है। भारतीय नौसेना ने इसमें फंसे दो जहाजों से करीब करीब 132 लोगों को बचाया है। इस काम में भारतीय नौसेना के आइएनएस कोच्चि और आइएनएस कोलकाता जुटे हुए हैं। इस चक्रवात का असर उत्‍तर भारत के कई राज्‍यों में भी देखा जा रहा है। 
गौरतलब है कि हाल के कुछ वर्षों में भारतीय क्षेत्र में चक्रवातों के बनने का सि‍लसिला बढ़ा है। विश्व मौसम संगठन (डब्लूएमओ) के विशेषज्ञों की राय में इसकी बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन है। जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र का तापमान बढ़ रहा है। इस तापमान के बढ़ने का व्‍यापक असर समुद्र में बनने वाले चक्रवातों पर भी पड़ा है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि चक्रवातों के बनने की शुरुआत समुद्र के गर्म क्षेत्र में ही होती है। यहां से चलने वाली हवा गर्म होकर कम वायु दाब का क्षेत्र बनाती हे। गर्म हवा तेजी से ऊपर आती है जहां उसको नमी मिलती है जो बाद में घने बादल का निर्माण करती है। इस वजह से खाली हुई जगह को भरने के लिए नम हवा तेजी से नीचे जाकर फिर ऊपर की ओर उठती है। ऐसे में जब हवा तेजी के साथ इसके ऊपर चक्‍कर काटती हे तो घने बादल कड़कती बिजली के साथ बारिश करते हैं। इसका बड़ा रूप ही चक्रवात बनता है, जो अपने साथ-साथ तेज हवाएं और बारिश लेकर आता है। अरब सागर में तेज होते चक्रवात वैज्ञानिकों की चिंता का सबब बने हुए हैं। 
विशेषज्ञों का मानना है कि ये सभी कुछ जलवायु परिवर्तन और समुद्र के तापमान के बढ़ने से हो रहा है। विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि इससे निपटने के लिए प्रयास तेज करने होंगे, क्‍योंकि इस तरह के चक्रवात तटीय इलाकों में कई बार भारी तबाही मचाते हैं। जानकारों की मानें तो पहले अरब सागर का तापमान इतना नहीं था जितना कि आज है। बदलते दौर के साथ ये ये गर्म पानी का विशाल कुआं बन गया है, जो तीव्र चक्रवातों का जन्‍म देता है। इन जानकारों के मुताबिक उष्‍णकटिबंधीय चक्रवात गर्म पानी से अपनी ऊर्जा प्राप्‍त करते हैं और इसी कारण वे गर्म पानी के ऐसे इलाकों में बनते हैं जहां का तापमान 28 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है। जानकारों के मुताबिक 1980 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब लगातार चार बार 2018-2021 में मानसून सीजन के दौरान चक्रवातों का सामना करना पड़ा है। 
बीते वर्ष ही भारत ने एम्‍फान, निसर्ग और निवार चक्रवाती तूफान का सामना किया था। भारत की ही बात करें तो यहां पर अधिकतर चक्रवात मई से अक्‍टूबर के बीच आते हैं। इनमें से अधिकतर बंगाल की खाड़ी में आते हैं। इनका असर बंगाल से लेकर दक्षिण के राज्‍य तमिलनाडु तक दिखाई देता है। जानकारों की राय में भारतीय क्षेत्र में आने वाले ताकतवर चक्रवाती तूफानों की ताकत हर वर्ष 8 फीसद की दर से बढ़ रही है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक बीते एक दशक के दौरान अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवाती तूफानों की संख्या में 11 प्रतिशत वृद्धि हुई है। जानकार मानते हैं कि समुद्री सतह का तापमान बढ़ने से चक्रवात अधिक शक्तिशाली हो जाते हैं। टोक्‍टे के समय में अरब सागर का तापमान 31 डिग्री सेल्सियस तक बताया जा रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो जैसे जैसे समुद्र का तापमान बढ़ता जाएगा चक्रवातों की शक्ति भी उतनी ही तेजी से बढ़ती जाएगी।

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