रविवार, 28 फ़रवरी 2021
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पूतना का उद्धार, भगवान कृष्ण का नामकरण कथा
रजनीकांत अवस्थी
महराजगंज/रायबरेली। नाचते-गाते-झूमते हुए आज हर भक्त का मन वृन्दावन धाम की रज को माथे से लगाने वृंदावन पहुंच गया। श्रीभगवान का गोकुल से श्रीवृंदावन पधारने की कथा पर चलो रे मन श्रीवृंदावन धाम, रटेंगे राधा-राधा नाम... भजन पर मानों भक्तों का शरीर कथा स्थल पर नृत्य कर रहा था और मन श्रीवृंदावन में पहुंच गया। क्षेत्र के पूरे दुबे का बाजार मजरे मऊ गांव में विशाल वट वृक्ष के नीचे चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के पांचवे दिन कथा वाचक पंडित गंगा प्रसाद शास्त्री जी महाराज ने उपस्थित भक्तों श्रद्धालुओं को श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्ण करते हुए कहा कि, भगवान की लीलाओं को बुद्धि से नहीं भाव से समझा जा सकता है। आपको बता दें कि, कथा वाचक पंडित गंगा प्रसाद शास्त्री जी महाराज ने उपस्थित भक्तों श्रद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन सुनाया। उन्होंने पूतना वध, माखन चोरी लीला, ओखल बंधन लीला का विस्तार से वर्णन करते हुए गोवर्धन लीला को भी भक्त श्रद्धालुओं को विस्तार से सुनाया। श्री शास्त्री जी महाराज ने पाखंड का और तृणावर्त रजोगुण का वर्णन करतहुए कहा कि, अघासुर पाप का प्रतीक था, थाबकासुर पाखंड का और तृणावर्त रजोगुण व तमोगुण का प्रतीक था। श्रीहरि ने इन सब का वध किया, लेकिन कालिया नाग का नहीं, जो काम और इंद्रियों का प्रतीक था। भगवान ने उसे रमणीक द्वीप पर भेज दिया। द्वीप हमारे हाथों की रेखाओं में होते हैं। अर्थात काम की आवश्यकता भगवान के भक्तों को भी होती है। लेकिन उनका स्थान हृदय में नहीं हाथ की मुट्ठी में होना चाहिए। हमें अपनी इंद्रियों को वश में रखना आना चाहिए। उन्होंने बताया कि, यदि आपके हृदय में भगवान का वास है, तो श्रीहरि पाप पाखंड रजोगुण, तमोगुण से हमेशा दूर रखते हैं। तुम्हारी नैतिक कमाई का लाभ तो कोई भी उठा सकता है। लेकिन तुम्हारे अनैतिक कर्मों को तुम्हें ही भोगना होगा। इसलिए कर्म करने में सावधानी बरतें। मोक्ष केवल दो प्रकार के लोगों को मिलता है। पहला तो भगवान का स्मरण करते हुए अपने प्राण त्यागें। दूसरा वह जो रणभूमि राष्ट्रवाद धर्म की रक्षा के लिए शत्रु के सामने वीरगति को प्राप्त हो चौरासी लाख योनियों में केवल मनुष्य जन्म के पाने पर ही मोक्ष मिलता है। इसलिए मोक्ष के लिए प्रयत्न करें।
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