शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2021

चाय की ज्यादा सेवन से होते हैं नुकसान, जानिएं

चाय का ज्यादा सेवन करते हैं तो हो जाइए सावधान , जानिए इसके नुकसान
चाय पीना पसंद करते हैं। तो संभल जाइए, चाय आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। कामकाजी लोग अक्सर ब्रेक लेते हैं। ताकि चाय पी सके, लेकिन आप जानते हैं। चाय का ज्यादा सेवन आपकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। चाय में कैफीन होता है, एक कप चाय में आमतौर पर 20 से 60 मिलीग्राम के बीच कैफीन की मात्रा होती है। अगर आप दिन में तीन से चार कप चाय पीते हैं। तो आपकी बॉडी में कैफीन की अधिक मात्रा पहुंचेगी जो आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। जानें ज्यादा चाय पीने से सेहत पर कौन-कौन से साइड इफेक्ट होते हैं।
दिल की सेहत के लिए नुकसानदायक है
चाय पीकर भले ही आपके दिल को तसल्ली मिलती हो। लेकिन यह दिल की सेहत के लिए बहुत खराब है। ज्यादा चाय पीने से दिल की धड़कन तेज होती है। और दिल की बीमारियां होने की संभावना में भी इजाफा हो जाता है।
चाय एंटीबायोटिक दवाओं का असर करती है कम
दिन में तीन से चार बार चाय का सेवन करने से एंटीबायोटिक दवाओं का असर बॉडी पर कम होता है।
आंतों पर होता है चाय का असर
चाय पीने का असर आपकी आंतों पर भी होता है। चाय पीने से आंतें खराब हो जाती है। जिससे खाना पचने में दिक्कत होती है।
आयरन का अवशोषण होता है कम
चाय में मौजूद टैनिन शरीर में पहुंच कर आयरन को अवशोषित करने की क्षमता को कम कर देता है। कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक चाय आयरन को अवशोषित करने की क्षमता को 60 प्रतिशत तक कम कर सकती है।
सीने में जलन पैदा कर सकती है चाय
एक दिन में 4 से 5 बार या फिर उससे भी ज्यादा चाय पीने आपको सीने में जलन की समस्या हो सकती है। चाय ज्यादा पीने से एसिड रिफ्लक्स की परेशानी हो सकती है। ये आंत में अम्ल के उत्पादन को बढ़ा देती है। जो सीने में जलन का कारण है।
ज्यादा चाय पीने से उड़ सकती है नींद।
ज्यादा चाय के सेवन से नींद भी उड़ जाती है। नींद पूरी न होने के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

पैथोलॉजी सेंटर के उद्धघाटन में पहुंचे पूर्व विधायक

पैथालॉजी सेंटर के उद्धघाटन में पहुंचे पूर्व विधायक

सीतापुर। शहर बाजार चैराहा वक्फ बोर्ड मार्केट में पूर्व विधायक एवं अध्यक्ष नगर पालिका परिषद लहरपुर द्वारा लाईफ केयर पैथोलॉजी सेंटर का उद्घाटन किया गया। इस मौके पर चिकित्सक और नागरिक मौजूद थे। पूर्व विधायक और अध्यक्ष नगर पालिका परिषद जासमीर अंसारी ने पैथोलॉजी सेंटर का उद्घाटन करते हुए कहा कि स्वास्थ्य इंसान ही अच्छा नागरिक और समाज व देश के लिए उपयोगी सिद्ध होता है। जब मनुष्य स्वस्थ होगा तो वह अपने दायित्वों का निर्वहन बेहतर तरीके से कर सकेगा अगर छात्र हैं तो वह अच्छी पढ़ाई करेगा अगर खिलाड़ी है। तो अपने खेल का अच्छा प्रदर्शन करेगा अगर किसान है। तो पूरी मेहनत से खेती करेगा अगर ग्रहणी है तो वह अपनी जिम्मेदारी खुशी से अंजाम दे सकेगी। इसलिए हर इंसान को अपनी सेहत के लिए जागरूक रहना चाहिए शहर में पैथोलॉजी सेंटर स्थापित होने से नागरिकों को आसानी होगी और बेहतर इलाज में सहायता होगी शहर के मशहूर चिकित्सक और पूर्व अध्यक्ष नगर पालिका परिषद डॉक्टर ताज फारूकी ने कहा कि बड़े-बड़े शहरों में पैथोलॉजी आदि की सुविधाएं आसानी से प्राप्त हो जाती हैं। लेकिन कस्बों में इस तरह की पैथोलॉजी आदि की जितनी आवश्यकता है। उतनी संख्या में पैथोलॉजी नहीं हैं। इस अवसर पर शिक्षक अब्दुल गफ्फार डॉ सुल्तान अली खान आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किए खीरे के अध्यात्मिक गुरु मौलाना सैय्यद वजीहउ द्दीन ने मरीजों के जल्द शिफायाब होने की दुआ के साथ कार्यक्रम का आगाज किया। इस मौके पर डॉक्टर सुरैया डॉक्टर अलाउद्दीन हाजी जावेद अहमद ,सलाउद्दीन गौरी जेड आर रहमानी एडवोकेट अशफाक गौरी मोहम्मद शफीक कुरेशी मुफीद अहमद हसीन अहमद जाबिर अहमद गुड फिट मोहम्मद यूनुस रघुवंश अवस्थी आदि मौजूद थे। पैथोलॉजी के टेक्नीशियन करन रावत तथा डॉक्टर परवीन राय एवं मोहम्मद शाबान तथा साहिबे आलम ने बेहतर सेवाएं देने का संकल्प लेते हुए आए हुए अतिथियों का शुक्रिया अदा किया।

अभिनेत्री सुष्मिता ने एक पोस्ट कर हैरान किया

कविता गर्ग
मुंबई। सुष्मिता सेन ने एक ऐसा पोस्ट किया है। जिससे सभी हैरान हो गए हैं। लोग जानना चाहते हैं, कि सुष्मिता के ऐसा पोस्ट करने के पीछे क्या वजह है। सुष्मिता के इस पोस्ट पर लगातार फैंस कमेंट कर रहे हैं और उनसे सवाल पूछ रहे हैं। कई फैंस तो ये भी अटकलें लगा रहे हैं कि शायद सुष्मिता का वैलेंटाइन से पहले ब्रेकअप हो गया। सुष्मिता सेन ने अपने इंस्टा पोस्ट में एक फोटो शेयर की है। इसमें लिखा है। समस्या यही है। महिलाओं को लगता है कि वो बदल जाएगा, मगर वो नहीं बदलता। पुरुषों को लगता है, कि वो छोड़ कर नहीं जाएगी। लेकिन वो चली जाएगी। अब इस पोस्ट को देखने के बाद यही सवाल खड़ा हो रहा है। कि क्या सुष्मिता और रोहमन के बीच सब कुछ ठीक नहीं है। सवाल उठना लाजमी है। सुष्मिता सोशल मीडिया पर अक्सर रोहमन शॉल के साथ तस्वीरें पोस्ट करती थीं। इसके साथ ही वे अपने रिश्ते पर खुलकर बात करती थीं। सुष्मिता और रोहमन करीब दो सालों से डेट कर रहे हैं। दोनों काफी समय भी साथ बिताते थे। अब उठ रहे सवालों पर विराम तभी लगेगा जब कपल की ओर से कोई बयान आएगा। वैसे फैंस के लिए एक खुशी की बात है। कि दोनों अभी एक-दूसरे को फॉलों कर रहे हैं।

नापाक साजिशों को अंजाम देने में लगा हैं पाक

किसान आंदोलन में भी पाक साजिश
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली/ इस्लामाबाद। कृषि कानूनों को लेकर देश में काफी दिनों से चल रहे किसान आंदोलन की आड़ में पाकिस्तान अपनी नापाक साजिशों को अंजाम देने में लगा है। इसका ताजा सबूत इस बात से मिलता है कि खालिस्तानी आतंकी गोपाल सिंह चावला ने घोषणा की है। कि वह कानून के खिलाफ में पाकिस्तान में ट्रैक्टर रैली निकालेगा जो कि भारतीय सीमा तक जाएगी। लगी पंक्तिबद्ध आपको बता दें कि चावला मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद का सहयोगी भी है। उसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी मदद मिलती है। पाकिस्तान में ट्रैक्टर रैली निकालने का एकमात्र मकसद भारत में किसानों को भड़काना है। इस संबंध में चावला ने एक वीडियो क्लिप भी जारी किया है। जिसमें उसने अपनी रैली के लिए समर्थन मांगा है। चावला की यह ट्रैक्टर रैली ननकाना साहिब से शुरू होगी और भारतीय सीमा के पास वाघा बॉर्डर पर जाकर खत्म हो जाएगी। गौरतलब है। कि भारत में तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने और फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी देने की मांग के साथ पंजाब, हरियाणा और देश के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों किसान दो महीनों से अधिक समय से राष्ट्रीय राजधानी की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।

बीबीसी वर्ल्ड न्यूज के प्रसारण पर लगाया प्रतिबंध

बीबीसी वर्ल्ड न्यूज के प्रसारण पर प्रतिबंध

बीजिंग। चीन की सरकार देश में बीबीसी वर्ल्ड न्यूज के टेलीविजन और रेडियों प्रसारण पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित लगा दिया है। बीबीसी ने बताया कि इस प्रतिबंध का कारण चीन में कोरोना वायरस महामारी और अल्पसंख्यक उइघर मुस्लिमों के उत्पीड़न के संबंध में रिर्पोटिंग करना है। बीबीसी ने कहा कि चीन की सरकार के इस फैसले से वह 'निराश' है। हाल ही में ब्रिटेन ने चीन के सरकारी चैनल सीजीटीएन का लाइसेंस रद्द कर दिया था। अफरा-तफरी चीन का कहना है। कि बीबीसी वर्ल्ड न्यूज ने नियमों का उल्लंघन किया है। उन्होंने कहा कि समाचार सत्य और निष्पक्ष होना चाहिए और न कि चीन के राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुुुंचाने वाले। इसलिए देश में एक और वर्ष के लिए बीबीसी के आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। ब्रिटिश विदेश मंत्री डॉमिनिक रैब ने चीन के इस कदम को 'मीडिया स्वतंत्रता का अस्वीकार्य' कहा, जबकि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस फैसले की निंदा की है। और इसे चीन में स्वतंत्र मीडिया को दबाने के लिए एक व्यापक अभियान का हिस्सा बताया है। 

यूपी: जनता को जागरूक करेगी योगी हेल्पलाइन

जनता को जागरूक करेगी योगी हेल्पलाइन
हरिओम उपाध्याय 
लखनऊ। हेल्पलाइन का उद्देश्य एक तरफ जहां सज्जनों (जन सामान्य) को निडर रहने का आश्वासन देना है। वहीं दुर्जनों अर्थात् समाज के लिए अहितकर काम करने वाले अफसरों को दण्ड देना भी है। मुख्यमंत्री कहते हैं कि जनता की शिकायतों के निस्तारण के आधार पर ही अधिकारियों को प्रोन्नति मिल सकेगी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी यह भी चाहते हैं, कि प्रदेश में राष्ट्र गौरव के जो प्रतीक रहे हैं। उनके बारे में नयी पीढ़ी को जानकारी मिले।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक हेल्पलाइन नम्बर जारी किया है। यह प्रयास जनता को आश्वस्त करने के साथ जागरूक करने के लिए है। मुख्यमंत्री अपनी सरकार को रामराज्य के सिद्धांत पर चलाने की बात करते हैं। इसीलिए हेल्पलाइन का उद्देश्य एक तरफ जहां सज्जनों (जन सामान्य) को निडर रहने का आश्वासन देना है।वहीं दुर्जनों अर्थात् समाज के लिए अहितकर काम करने वाले अफसरों को दण्ड देना भी है। मुख्यमंत्री कहते हैं। कि जनता की शिकायतों के निस्तारण के आधार पर ही अधिकारियों को प्रोन्नति मिल सकेगी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी यह भी चाहते हैं। कि प्रदेश में राष्ट्र गौरव के जो प्रतीक रहे हैं। उनके बारे में नयी पीढ़ी को जानकारी मिले। इसी के तहत गोरखपुर में हुए चौरी-चौरा कांड की घटना को माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश के किसी भी नागरिक को कोई समस्या हो, बेझिझक मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1076 पर सम्पर्क कर सकता है। उन्होंने कहा है। कि सीएम हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों के आधार पर फील्ड में तैनात अधिकारियों के प्रदर्शन का आंकलन होगा। सीएम ने साफ कहा है। कि तहसीलदार हो या थानाध्यक्ष, अगर जनता इनके कार्यों से संतुष्ट नहीं है। तो इनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित होगी। लखनऊ के लोकभवन में उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने सीएम हेल्पलाइन 1076 के अधिकाधिक प्रयोग के लिए जनता को जागरूक करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि थाना एवं तहसील स्तर पर जिस भी व्यक्ति की समस्या का निस्तारण नहीं हो सका है। वह व्यक्ति अपनी समस्या को लेकर सीएम हेल्पलाइन 1076 पर कभी भी संपर्क कर सकता है। हेल्पलाइन पर मिली ऐसी शिकायतों का तत्परता से निराकरण कराया जाएगा। इसके साथ ही थाना तथा तहसील स्तर पर जनता की शिकायत का निस्तारण किये जाने को लेकर जिले के जिलाधिकारी, पुलिस कप्तान और थानेदार को जवाबदेह बनाया जाएगा। यही नहीं सीएम हेल्पलाइन पर फर्जी शिकायत दर्ज करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। सीएम ने कहा कि अब थाना तथा तहसील स्तर पर निस्तारित हुई जनता की समस्याओं की रेटिंग भी की जायेगी, ताकि यह पता चल सके कि किस जिले में जनता की समस्याओं के निस्तारण में तेजी दिखाई जा रही है। मुख्यमंत्री आवास पर उच्चाधिकारियों के साथ बैठक करते हुए सीएम योगी ने थाना एवं तहसील स्तर पर जनता की समस्याओं के निस्तारण संबंधी तंत्र पर चर्चा करते हुए यह फैसला लिया है। दरअसल मुख्यमंत्री को यह पता चला था। कि थाना तथा तहसील स्तर पर जनता से मिलने वाली शिकायतों का निस्तारण ठीक से नहीं हो रहा है। इस पर मुख्यमंत्री ने जनता से मिलने वाली हर शिकायत के निस्तारण की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने के निर्देश दिया। जिसके तहत ही सीएम हेल्पलाइन पर थाना एवं तहसील स्तर पर निस्तारित न हो पाने वाले प्रकरणों को जनता से प्राप्त करने का फैसला किया गया। सरकार का मत है। कि सीएम हेल्पलाइन के जरिये जनता की समस्याओं के निस्तारण में तेजी आयेगी। सीएम हेल्पलाइन ने कोरोना संकट के दौरान जनता की मदद करने में बेहद अहम भूमिका निभाई थी। देश के सबसे बड़े इस सरकारी हेल्पलाइन में कुल 250 ऑपरेटर चौबीसों घंटे लोगों की समस्याओं के निबटारे और उनकी निगरानी के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं। लॉकडाउन के शुरुआत में सीएम हेल्पलाइन के जरिए सभी जिलों के गांवों और दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले उन लोगों की सूची तैयार की गई थी जो सर्दी-खांसी से पीड़ित थे। इसी हेल्पलाइन के जरिए तब सभी प्रधानों और सभासदों को फोन करके प्रवासी लोगों के भरण-पोषण और उनके स्वास्थ्य की निगरानी करने को गया था। इसके अलावा तब सभी प्रधानों और पार्षदों को फोन करके राशन और भोजन वितरण, क्वारंटाइन, प्रवासी मजदूरों को मिलने वाली सुविधाएं जैसे बिंदुओं पर फीडबैक लिया गया था। और किसी भी सरकारी सिस्टम के बगैर दूसरे राज्यों से पहुंचे लोगों के इलाज आदि का भी पता लगाया गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यह भी चाहते हैं। कि नयी पीढ़ी देश का इतिहास समझे। माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र अब चौरी-चौरा जन-आक्रोश के शहीदों की वीरगाथाएं किताबों में पढ़ सकेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा विभाग चौरी-चौरा की घटना को यूपी बोर्ड के पाठयक्रम में शामिल करने जा रहा है। मुख्यमंत्री ने चौरी-चौरा जनआक्रोश को शताब्दी समारोह के रूप में मनाए जाने के निर्देश दिए हैं। इसी क्रम में पहले चरण में गोरखपुर मंडल के 400 से अधिक राजकीय व एडेड माध्यमिक विद्यालय के छात्रों को चैरी चैरा स्थल का भ्रमण कराया जाएगा। इससे छात्र वहां के शहीदों की गाथाओं से रूबरू हो सकेंगे। गोरखपुर के चौरी-चौरा में 4 फरवरी 1922 में आजादी के वीर जवानों ने अंग्रेजी हुकूमत से भिड़ंत के बाद पुलिस चैकी में आग लगा दी थी। इसमें 22 पुलिस कर्मियों की मौत हो गई थी। इस घटना को चौरी-चौरा जनआक्रोश के रूप में जाना जाता है। शहीदों के इसी शौर्य की कहानी को अब पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाएगा। इससे प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले लाखों छात्र चौरी-चौरा जनक्रांति में शहीद अपने वीरों के इतिहास से रूबरू हो सकेंगे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर माध्यमिक शिक्षा विभाग छात्रों को न सिर्फ वीरों के इतिहास को पाठयक्रम के रूप में पढ़ाएगा बल्कि छात्रों को शहीदों के स्थल चौरी-चौरा का भ्रमण भी कराएगा। पहले चरण में गोरखपुर मंडल के देवरिया, महाराजगंज, कुशीनगर व गोरखपुर के 87 राजकीय विद्यालयों, 333 अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय के छात्रों को चौरी-चौरा शहीद स्थल का भ्रमण कराया जाएगा। इसमें मंडल के निजी स्कूलों को भी शामिल किया जाएगा। चौरी-चौरा शताब्दी समारोह के दौरान प्रदेश के सभी माध्यमिक विद्यालयों में चार फरवरी 2021 से आगामी एक साल तक छात्र-छात्राओं के बीच निबंध, चित्रकला व पोस्टर, क्विज, स्लोगन, कविता लेखन व भाषण प्रतियोगिताएं भी कराई जाएंगी। इसके लिए पहले विद्यालय स्तर से शुरुआत होगी। फिर यह क्रम राज्य स्तर तक जारी रहेगा। तीन फरवरी 2022 को गोरखपुर में मंडल स्तरीय प्रतियोगिता कराई जाएगी। इस तरह सभी गांवों में भी देश के लिए त्याग करने वालों का स्मारक बनेगा।

नेता आजाद के फिर उच्च सदन लौटने की उम्मीदें

आजाद के फिर उच्च सदन लौटने की उम्मीदें 
अकांशु उपाध्याय 
नई दिल्ली। कांग्रेस के चर्चित दबंग नेता गुलाम नबी आजाद को राज्यसभा में क्या फिर वापस लाया जाएगा।यह बहस राजनीतिक गलियारे में होने लगी है। कांग्रेस नेतृत्व को लेकर पार्टी नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी। उनमें गुलाम नबी आजाद भी शामिल थे। हाई कमान इससे नाराज भी हुआ था। लेकिन विदाई समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह से उनकी तारीफ की है। उससे आजाद का कद और बढ़ गया है। इसीलिए कयास लगाए जा रहे हैं। कि गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस फिर उच्च सदन में लाएगी। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा कार्यकाल 15 फरवरी को खत्म हो रहा है। उन्हें विदाई देते हुए प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी भावुक हो गए। आजाद ने राजनीति में एक लंबी पारी खेली है। उन्हें मृदुभाषी और विषयों के साथ सियासत पर पकड़ वाले ऐसे नेता के रूप में जाना जाता है। जिन्होंने जमीनी स्तर से राजनीति शुरू की और राष्ट्रीय पटल तक पहुंचे। 70 के दशक में जम्मू-कश्मीर का एक तेज तर्रार युवा नेता गांधी परिवारों की नजर में आया। पहले उसे जम्मू कश्मीर में यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया और फिर वो यूथ कांग्रेस का नेशनल प्रेसीडेंट हो गया। वो गुलाम नबी आजाद हैं। जिनकी राजनीति का सफर बिल्कुल नीचे से शुरू हुआ और फिर उन्होंने राष्ट्रीय पटल पर सियासत की लंबी पारी खेली। राज्यसभा से उनकी विदाई जरूर हो रही है। लेकिन माना जाना चाहिए कि जल्दी ही वो फिर संसद के उच्च सदन में नजर आ सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें राज्यसभा से विदाई देते हुए 09 फरवरी को भावुक हो गए। उन्होंने आजाद को एक अच्छा दोस्त बताया। याद किया कि किस तरह राजनीति से परे वो उनके दोस्त रहे हैं। ये भी याद किया कि किस तरह जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे और आजाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री तो उन्होंने वहां गुजरात के लोगों की सुरक्षा की थी। अपने भाषण के दौरान उन्हें मोदी ने एक लंबी और यादगार राजनीतिक पारी के लिए सेल्यूट भी किया।की हुई घोषणा उन्होंने कहा कि राजनीति में सत्ता रहती है। और जाती है। लेकिन मुख्य बात ये है। कि आप उसको कैसे संभालते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के इस भाषण के बाद राज्यसभा से विदा ले रहे आजाद अचानक सुर्खियों में आ गए। राजनीति के विश्लेषक मोदी द्वारा गुलाम नबी आजाद को दिए खास सम्मान का अलग अलग तरीके से विश्लेषण कर सकते हैं। ये सवाल भी पूछा जा सकता है। कि क्या अब आजाद की सियासी पारी खत्म हो गई है। अब वो क्या करेंगे। ऐसे में ये भी कहा जाना चाहिए कि बेशक कुछ भी कहा जा रहा हो लेकिन अभी लगता नहीं कि वो सियासत छोड़कर जा रहे हैं। ये भी माना जा रहा है।कि वो अप्रैल के आसपास फिर राज्यसभा में चुनकर आ सकते हैं। केरल से उन्हें फिर कांग्रेस द्वारा संसद के उच्च सदन में चुनकर भेजा सकता है। गुलाम नबी आजाद फिलहाल राज्यसभा में कांग्रेस के नेता होने के साथ विपक्ष के नेता भी थे। वो पिछली बार जम्मू कश्मीर से चुनकर आए थे। अब मोदी सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर को केद्र शासित प्रदेश में बदलने के बाद वहां से राज्यसभा की सीटें खत्म हो गई हैं। आजाद ने सियासत में लंबी पारी खेली है। वो मृदुभाषी हैं। लंबे सियासी करियर में वो आमतौर पर कांग्रेस के संकटमोचक नेताओं में गिने जाते रहे है। जमीनी नेता रहे हैं। सियासत में अगर ऊपर तक पहुंचे तो उसके लिए उन्होंने अपने राज्य जम्मू कश्मीर में पहले जमीनी स्तर पर खासा काम भी किया। उन्होंने डोडा जिले में निचले स्तर से काम करना शुरू किया और 1973 में उन्हें भलेसा में ब्लाक कांग्रेस कमेटी का सचिव बनाया गया। ब्लाक में कांग्रेस सचिव बनना निश्चित तौर पर कोई बड़ी बात नहीं कही जा सकती लेकिन उसके दो साल के अंदर राज्य में यूथ कांग्रेस का अध्यक्ष बन जाना वाकई खास बात थी। फिर उससे भी खास ये कि 1980 में वो यूथ कांग्रेस के नेशनल प्रेसीडेंट बन गए। उनके इस सियासी छलांग के पीछे बड़ी वजह ये थी कि संजय गांधी उन्हें पसंद करने लगे थे। इंदिरा गांधी जानने लगी थीं। दोनों को उनके अंदर एक जुझारू और ऊर्जावान नेता के गुण नजर आए। कहा जा सकता है। कि संजय गांधी उन्हें राजनीति में लेकर आए और आगे बढ़ाया लेकिन फिर वो इंदिरा के करीब आए। इंदिरा और संजय के बाद भी वो गांधी परिवार के करीबी बने रहे। हालांकि पिछले दिनों ये चर्चाएं चलती रही हैं। कि वो कांग्रेस के उन नेताओं में हैं। जो असंतुष्ट हैं। उन्हें जी-23 ग्रुप के कांग्रेस नेताओं में शुमार किया जाने लगा। गुलाम नबी आजाद 80 साल के हो चुके हैं। लेकिन भरपूर फिट लगते हैं। करीब 04 दशक के अपने करियर में वो कांग्रेस संगठन में भी रहे और सरकार में भी। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे। उन्होंने कई मंत्रालय संभाले। कई राज्यों में कांग्रेस के प्रभारी रहे। कुल मिलाकर वो कांग्रेस के ऐसे नेता भी हैं। जिनका असर और संपर्क देशभर में हैं। जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में 07 मार्च 1940 को पैदा हुए थे। पढ़ने में तेज थे। पहले गांव और कस्बे में ही शुरुआती पढ़ाई की फिर बीएससी करने जम्मू करने गए। इसके बाद उन्होंने श्रीनगर से साइंस जूलॉजी में मास्टर्स डिग्री ली। इस लिहाज से ये भी कह सकते हैं। कि वो राजनीति में ऐसे नेता भी रहे हैं। जिनके पास अच्छी शैक्षिक योग्यता है। हालांकि कई बार उनकी कई बातों पर विवाद भी हुआ है। वर्ष 2008 में उन्होंने हिंदू मंदिरों को जमीन स्थानांतरित करने की योजना पारित की, उनके इस फैसले से मुसलमान आक्रोशित हो गए। जिसके परिणामस्वरूप घाटी में हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे। गुलाम नबी आजाद की बिगड़ती छवि के कारण कांग्रेस ने सत्तारूढ़ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद गुलाम नबी आजाद ने बहुमत साबित करने की जगह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वर्ष 2011 में एक प्रेस-कांफ्रेंस में गुलाम नबी आजाद ने समलैंगिकता को एक विदेशी बीमारी कहकर संबोधित किया। उनके इस कथन की बहुत आलोचना हुई। उन्होंने केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए कई प्रकार के सुझाव दिए। जैसे लड़कियों का विवाह अगर 25-30 वर्ष के बीच किया जाए तो इससे जनसंख्या वृद्धि को रोका जा सकता है। इस बयान की तारीफ हुई। उनके सियासी करियर की एक खास बात ये भी है।कि वो अगर तीन बार जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा में पहुंचे तो दो बार महाराष्ट्र से। दो बार उन्होंने महाराष्ट्र से ही लोकसभा चुनाव जीता। अब ये सवाल जरूर उठता है। कि क्या वो दोबारा राज्यसभा में पहुंचेंगे।

पंजाब किंग्स ने जीता टॉस, गेंदबाजी का फैसला

पंजाब किंग्स ने जीता टॉस, गेंदबाजी का फैसला  इकबाल अंसारी  चेन्नई। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2024 सीजन में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) और पं...