शुक्रवार, 27 नवंबर 2020

'गूगल पे' से लेन-देन पर लगेगा शुल्‍क 

गूगल पे पर पैसा भेजने पर लगेगा शुल्‍क 


अकांशु उपाध्याय


नई दिल्‍ली। गूगल ने स्पष्ट किया कि भारत में उसके पेमेंट प्लेटफार्म के जरिए पैसा ट्रांसफर करने पर किसी शुल्‍क का भुगतान करने की जरूरत नहीं होगी। कंपनी ने बुधवार को कहा कि भारतीय उपयोगकर्ताओं को कोई शुल्क नहीं देना होगा। ये शुल्‍क अमेरिका में स्थित उसके उपयोगकर्ताओं के लिए है। पिछले हफ्ते गूगल ने घोषणा की थी। कि अगले साल एंड्राइड और आईओएस पर नए गूगल पे ऐप की पेशकश करेगी जिसके बाद उपयोगकर्ता बेव ब्राउजर के जरिए सेवाओं का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। एक रिपोर्ट्स में कहा गया था। कि गूगल पे इंस्टैंट मनी ट्रांसफर पर भी शुल्‍क जोड़ेगा। गूगल के प्रवक्‍ता ने कहा कि ये शुल्क खासतौर से अमेरिका के लिए है। ये शुल्‍क भारत में गूगल पे या गूगल पे फॉर बिजनेस ऐप पर लागू नहीं होता। गूगल पे के भारत में सितम्‍बर 2019 तक कुल 6.7 करोड़ उपयोगकर्ता थे। इसके जरिए वार्षिक आधार पर कुल 110 अरब अमेरिकी डॉलर का भुगतान हुआ। उल्‍लेखनीय है कि गूगल पे फॉर बिजनेस ने जून 2020 में 3 मिलियन से ज्यादा विक्रेताओं का ऐलान किया था। ये कंपनी भारत में भुगतान के तरीकों के तौर पर यूपीआई और टोकनाइज्ड डेबिट और क्रेडिट कार्ड को सपोर्ट करता है। गूगल पे का मुकाबला भारत में पेटीएम वॉलमार्ट के स्वामित्व वाले फोन पे और अमेजन पे के साथ है।                                   


इजराइल: स्मृति में पट्टिका का अनावरण

जेरूसलम। यहूदी केंद्र चबाड ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों में मारे गए छह यहूदियों की स्मृति में इजरायल के दक्षिणी तटीय शहर ईलात में अपने प्रार्थना गृह में एक पट्टिका का अनावरण किया। नरसंहार के दोषियों को सजा दिए जाने की मांग की। रैव हेच और इजराइल में भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव रोहित ने प्रार्थना गृह के अंदर एक दीवार पर पट्टिका का अनावरण किया।                              


चीन पर अधिक आक्रामक होगी अमेरिकी नीति

वॉशिंगटन डीसी। अमेरिका की नई सरकार ने साफ कर दिया है कि चीन को लेकर उसकी रणनीति पहले से ज्यादा आक्रामक होगी और बीजिंग की चुनौतियों से निपटने के लिए वह भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगी। निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा अपनी टीम में शामिल किए गए एंटनी ब्लिंकेन ने चीन को स्पष्ट चेतावनी दी। ब्लिंकेन ने कहा कि भारत और अमेरिका विस्तारवादी चीन के रूप में एक समान चुनौती का सामना कर रहे हैं। लिहाजा, इस मुद्दे पर नई दिल्ली को अमेरिका का एक अहम साझेदार होना चाहिए। ब्लिंकेन का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और चीन सीमा विवाद में उलझे हुए हैं। बता दें कि जो बाइडन ने ब्लिंकेन को विदेश मंत्री बनाया है और सीनेट की विदेश संबंध समिति की मंजूरी के बाद ब्लिंकेन माइक पोम्पिओ का स्थान लेंगे।                                 


मतदान किया तो व्हाइट हाउस छोड़ दूंगाः ट्रंप

ट्रंप बोले- सहयोगी एलेक्ट्रॉल्स ने बाइडेन के लिए किया मतदान तो छोड़ दूंगा व्हाइट हाउस-


वाशिंगटन डीसी। अमेरिका में हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यदि उनके सहयोगी एलेक्ट्रोलस जो बाइडेन के पक्ष में वोट कर देंगे तो वह व्हाइट हाउस छोड़ देंगे। ट्रंप से गुरुवार देर शाम को जब यह पूछा गया कि अगर उनके सहयोगी एलेक्ट्रोलस जो बाइडेन के पक्ष में मतदान करेंगे तो क्या वह व्हाइट हाउस छोड़ देंगे तो उन्होंने कहा आप जानते है। कि ऐसी स्थिति में मैं निश्चित रूप से व्हाइट हाउस छोड़ दूंगा। सत्ता हस्तांतरण के लिए जिम्मेदार संघीय एजेंसी जीएसए की प्रमुख ने कहा था। कि वह बाइडन को व्हाइट हाउस में आने के लिए जरूरी संसाधन मुहैया कराएंगी जिसके बाद ट्रंप का यह बयान आया है। ट्रंप ने हालांकि इस बात पर भी जोर दिया कि वह लड़ाई जारी रखेंगे और जीत हासिल करेंगे। अमेरिका में तीन नवम्बर को हुए चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए बाइडन और उप राष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस को विजेता घोषित किया गया है।
ट्रंप के अभियान दल ने चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी एवं धोखाधड़ी के कई मुकदमे दर्ज कराए हैं। जिनमें से कई को अदालतें खारिज भी कर चुकी है। जनरल सर्विस एडमिनिस्ट्रेटर (जीएसए) एमिली मर्फी द्वारा नव-निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन को पत्र लिख कर ट्रंप प्रशासन के आधिकारिक तौर पर सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए तैयार होने की जानकारी देने के कुछ घंटों बाद ट्रंप ने इस संबंध में ट्वीट किया। ट्रंप ने ट्वीट किया मैं जीएसए की एमिली मर्फी का देश के प्रति उनके समर्पण और निष्ठा के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। उनको परेशान किया गया धमकाया गया और गालियां दी गई और मैं नहीं चाहता कि यह उनके उनके परिवार या जीएसए के किसी भी कर्मचारी के साथ हो। हमारी लड़ाई जारी रहेगी और मुझे विश्वास है। कि हम जीतेंगे। निवर्तमान राष्ट्रपति ने कहा हमारे देश के हित में मैं एमिली और उनके दल को प्रारंभिक प्रोटोकॉल के संबंध में जो किया जाना चाहिए उसे करने का सुझाव देता हूं और मैंने अपनी टीम से भी यही कहा है।                                         


जर्मनी में जल्द हाइड्रोजन से चलेंगे 'रेल इंजन'

जर्मनी में जल्द हाइड्रोजन से चलेंगे रेल इंजन, कार्बन उत्सर्जन घटाने की कोशिश 


बर्लिन। जर्मनी में जल्द हाइड्रोजन से चलेंगे रेल इंजन, कार्बन उत्सर्जन घटाने की कोशिश। जर्मनी में आने वाले दिनों में रेल इंजन हाइड्रोजन से चलेंगे। जर्मन रेल कंपनी डॉयचे बानऔर सीमेंस मोबिलिटी ने हाइड्रोजन से चलने वाली रेल इंजन को विकसित करने का फैसला किया है। दोनों कंपनी आने वाले दिनों में पर्यावरण की रक्षा के लिए स्थानीय रूट पर डीजल इंजन को हटाना चाहती हैं। कार्बन उत्सर्जन घटाने की कोशिश
दोनों कंपनियों ने उम्मीद जताई है। कि 2024 में इस तकनीक से चलने वाली ट्रेन और फिलिंग स्टेशन का परीक्षा शुरू हो जाएगा। यह फिलिंग स्टेशन 15 मिनट में हाइड्रोजन ट्रेन को यात्रा के लिए तैयार कर देगा। इन ट्रेनों की गति पारंपरिक डीजल इंजन से चलने वाली ट्रेन जितनी ही होगी। हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन इंजन सेल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच बैटरी की मदद से हुई प्रतिक्रिया के जरिए बिजली पैदा करते हैं। इस प्रतिक्रिया में बिजली के अलावा केवल भाप और पानी ही बाकी बचता है। ट्रनों को इसी बिजली की मदद से चला जाता है। डॉयचे बान बोर्ड की सदस्यता साबीना जेशके का कहना है। हम ट्रेनों में डीजल ट्रेन जितनी ही जल्दी ईधन भर सकेंगे। यह सच्चाई है। और इससे पता चलता है। कि पर्यावरण के इतिहास से बेहतर परिवहन संभव है।
देश में 1,300 डीजल इंजन हटाए जाएंगे
जर्मन रेल कंपनी 2050 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य करना चाहती हैं। इसका मतलब है। कि मौजूदा 1,300 डीजल इंजनों को हटाना होगा। जेशके ने कहा हम जीवाश्म ईंधन का उपयोग शून्य के स्तर पर लाना चाहते हैं। उसके बाद हम एक भी पारंपारिक डीजल इंजन नहीं चलाएंगे। जर्मन रेल नेटवर्क के करीब 39 फीसदी हिस्से में पटरी के ऊपर बिजली की तारे नहीं है। करीब 39 फीसदी हिस्से में पटरी के ऊपर बिजली के तार नहीं हैं। ऐसे रूट पर रेल चलाने के लिए ट्रेनों के इंजन में ही डीजल जैसा इंजन भरना होता है। जर्मनी के ट्यूबिंगन इलाके में परीक्षण के लिए करीब 600 किलोमीटर लंबी रेल मार्ग पर एक साल तक ऊर्जा से चलने वाली रेल चलाने का फैसला किया गया है। सीमेंस की यह ट्रेन एक साल में करीब 330 टन कार्बन डाइऑक्साइड गैस का उत्सर्जन रोकेगी।


                                     


सरकारः किसानों को एंट्री की इजाजत मिलीं

नई दिल्ली। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले “दिल्ली चलो” मार्च निकाल रहे किसानों को आखिरकार दिल्ली में प्रवेश की इजाजत मिल ही गई है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने पुष्टि करते हुए बताया कि किसानों को राजधानी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में निरंकारी समागम मैदान पर प्रदर्शन करने की इजाजत दे दी गई है। उधर क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने भी कहा है कि हमें दिल्ली में दाखिल होने की अनुमति मिली हुई है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने उन्हें दिल्ली के बुराड़ी में एक स्थान पर प्रदर्शन करने की अनुमति दी थी।                                        


पुलिस की लापरवाही बना जाम का कारण

एक तरफ रेलवे अधिकारियों की लापरवाही दूसरी तक यातायात पुलिस की घोर लापरवाही जाम का भना कारण


कौशाम्बी। जिले के सबसे व्यस्त कस्बा भरवारी नगर में सड़क जाम की समस्या लाइलाज बन चुकी है। जिसका खामियाजा नगर वासियों के साथ साथ बाहरी लोगों को भी झेलना पड़ रहा है। बार-बार लोगों ने जाम के झाम से निजात दिलाने की मांग प्रशासन के साथ जनप्रतिनिधि से की जिस पर गौरा रोड का वनवे कर दिया गया और जाम से निजात दिलाने के लिए यातायात पुलिस और होमगार्ड की ड्यूटी भी रेलवे फाटक पर लगाई गई। लेकिन यातायात पुलिस और ड्यूटी पर लगे होमगार्ड के जवान विक्रम टेंपो अप्पे बस आदि वाहनों से अवैध वसूली तक सीमित है। जिससे भरवारी कस्बे का जाम लाइलाज बन चुका है और इस जाम के चलते जहां जनता परेशान हो रही है. वही जाम का खामियाजा बीमार वृद्धजन भी उठा रहे हैं। यदि भरवारी कस्बे के इस जाम में किसी बीमार व्यक्ति का वाहन फंस गया तो उसका अस्पताल पहुंचना संभव होगा या नहीं यह भगवान भरोसे पर हो जाता है। पूर्व जिलाधिकारी ने भरवारी कस्बे के गौरा रोड को वनवे घोषित कर दिया था लेकिन यातायात पुलिस पूर्व जिलाधिकारी के आदेश का पालन नहीं करा पा रही है जो जाम का प्रमुख कारण है। वही भरवारी रेलवे के अधिकारियों ने भी इस जाम को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है। रेलवे लाइन पर लगे फाटक को रेलवे अधिकारियों ने नीचे कर दिया है। पहले इस फाटक से बाइक साइकिल वाले फाटक के नीचे से झुक कर निकल जाते थे जिससे जाम कम लगता था लेकिन फाटक को नीचे कर दिए जाने के बाद अब बाइक और साइकिल वालों को फाटक से निकलने में दिक्कत होती है।जिससे वह भी बंद फाटक पर खड़े हो जाते हैं। वही रेलवे फाटक के दोनों तरफ विक्रम टेंपो बस ट्रके खड़ी हो जाती है।जिससे जाम बढ़ जाता है। वही रेलवे फाटक के आसपास विक्रम टेंपो प्राइवेट बस वाले वाहनों को खड़ी कर सवारियां भरते हैं जिससे रेलवे फाटक खुलने के बाद भी जाम में फंसे वाहनों को निकलने के लिए रास्ता नहीं मिल पाता है और फाटक खुलने के बाद 20 मीटर का रेलवे फाटक पार करने में घण्टो का समय लग जाता है। एक तरफ रेलवे अधिकारियों की लापरवाही दूसरी तरफ यातायात पुलिस की घोर लापरवाही जाम का कारण बन चुकी है। नगर वासियों ने भरवारी कस्बे के जाम को समाप्त करने के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से मांग की है। लेकिन आम जनता की आवाज पर कार्यवाही नहीं की गई है। जिससे जाम की समस्या लाइलाज बनी हुई है।


राजू सक्सेना


हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया

हैदराबाद ने जीता टॉस, बल्लेबाजी का फैसला किया  इकबाल अंसारी  हैदराबाद। इंड‍ियन प्रीम‍ियर लीग (IPL) 2024 सीजन में सनराइजर्स हैदराबाद (SRH) और...