शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

जम्मू-कश्मीर में आएं भूकंप के झटके

श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर में शुक्रवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.3 मापी गई। भूकंप का केंद्र भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्र था। मौसम विज्ञान विभाग ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। भूकंप के झटके देर रात 1.53 बजे 33.03 डिग्री उत्तर में और 73.63 डिग्री पूर्व में महसूस किए गए। इसकी गहराई 10 किलोमीटर दर्ज की गई।


कश्मीर अत्यधिक संवेदनशील भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है। कश्मीर में पहले भी भूकंप ने तबाही मचाई है। साल 2005 में 8 अक्टूबर को घाटी में आए भूकंप में नियंत्रण रेखा के दोनों ओर 80,000 से अधिक लोग मारे गए थे। वहीं रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 7.6 थी।               


भारतीय 'टग बोट बाजार' से बाहर हुआ 'चीन'

नई दिल्ली/ बीजिंग। भारत की शिपिंग इंडस्ट्री में चीन के वर्चस्व को कम करने के लिए भारत सरकार ने एक बड़ा फ़ैसला लिया है। शिपिंग मंत्रालय ने आदेश दे कर ये एलान किया है कि अब देश के प्रमुख बंदरगाहों पर सिर्फ़ मेक इन इंडिया के तहत बने भारतीय टग बोट का ही इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्रीय शिपिंग मिनिस्टर मनसुख लाल मंडाविया ने एबीपी न्यूज़ से हुई एक ख़ास बात-चीत में कहा कि इस फ़ैसले से भारतीय शिपिंग इंडस्ट्री में दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे।


क्या होगा टग बोट पर फ़ैसले का असर  


भारतीय टग बोट के बाज़ार पर क़रीब 80% क़ब्ज़ा चीन का है। शिपिंग मंत्रालय के इस फ़ैसले से अब टग बोट का बाज़ार न सिर्फ़  पूरी तरह भारतीय उद्यमियों के हाथ में आ जाएगा बल्कि विश्व टग बोट बाज़ार में भी भारत की ताक़त बढ़ेगी।


क्या होती है टग बोट?


टग बोट देखने में शिप जैसी ही विशालकाय और अत्यधिक क्षमता वाली बोट होती है। टग बोट का इस्तेमाल शिप को ज़रूरत के अनुसार खींचने के लिए किया जाता है। टग बोट माल से लदे हुए किसी भी बड़े से बड़े समुद्री जहाज़ को मुसीबत की घड़ी में खींच कर ठिकाने पे लगा सकने की क्षमता रखती है। जब शिप किसी संकरे कैनाल में होती है, छिछले पानी में होती है, ख़राब हो जाती है ऐसे समय में टग बोट शिप को खींचती है। इसके अलावा अन्य अनेकों काम में टग बोट का इस्तेमाल किया जाता है। भारत के सरकारी बंदरगाहों पर टग बोट की विशेष माँग रहती है।


भारत में कितना बड़ा बाज़ार है टग बोट का  


एक टग बोट की कीमत 50 करोड़ रूपए से 80 करोड़ रूपए के बीच होती है। भारत में इस वक़्त क़रीब 800 टग बोट हैं।और हर साल क़रीब 20 नई टग बोट की ज़रूरत पड़ती है।एक टग बोट की औसत उम्र 20 साल होती है। बहुत सी मौजूदा टग बोट की उम्र पूरी हो जाने के कारण आने वाले तीन सालों में क़रीब 100 टग बोट की डिमांड होने वाली है। इस तरह देखा जाय तो भारत ख़ुद में ही टग बोट का एक बड़ा बाज़ार है। मौजूदा समय में इस बाज़ार पर भी चीन का क़ब्ज़ा है। भारतीय टग बोट बाज़ार के क़रीब 80 फ़ीसदी हिस्से पर चीनी उद्योगपतियों जा क़ब्ज़ा है।               


6 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज

मुंबई। मुंबई कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत मामले में ड्रग कनेक्शन के आरोप में गिरफ्तार अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती और उनके भाई शोविक चक्रवर्ती सहित छह लोगों की जमानत याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। रिया चक्रवर्ती को फिलहाल भायकुला जेल में ही रहना होगा।


रिया को नेशनल कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने ड्रग्स के इस्तेमाल मामले में गिरफ्तार किया था जिसके बाद अदालत ने उसे 14 दिन के लिए 22 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। रिया के वकील सतीश मानशिंदे ने बुधवार को रिया की जमानत की याचिका लगाई थी। सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में ड्रग्स कनेक्शन की जांच कर रहे एनसीबी ने अब तक 10 गिरफ्तारियां की हैं।                 


डब्ल्यूएचओ के अभियान को फंड की जरूरत

वाशिंगटन डीसी। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कोरोना वायरस (कोविड-19) के वैक्सीन तथा इसके उपचार के लिए चिकित्सा विज्ञान पद्धति के विकास के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के नेतृत्व में “एक्सेस टू कोविड-19 टूल्स (एसीटी) एक्सिलेरेटर” नामक चलाए जा रहे वैश्विक अभियान के लिए जल्द से जल्द फंड जुटाने की अपील की है।


गुटेरेस ने गुरुवार को एक्सेस टू कोविड-19 टूल्स एक्सिलेरेटर (एसीटी- परिषद) के शुभारंभ के अवसर पर विश्व समुदाय से अपील करते हुए कहा, “ दुनिया को दोबारा पहले की तरह ही गतिशील, कार्यशील और समृद्ध बनाने के लिए हमें कोविड-19 जैसी वैश्विक समस्या का समाधान निकालना होगा जिसके लिए बड़े पैमाने पर फंड की जरुरत है।”


संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, “अब तक इसके लिए तीन अरब अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया जा चुका है जोकि इस अभियान के पहले चरण को शुरू करने के लिए काफी आवश्यक है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए हमें 35 अरब डॉलर की जरुरत है। अगले तीन महीनों के भीतर इस वैश्विक अभियान के लिए 15 अरब डॉलर जुटाने होंगे जिससे वैक्सीन और उपचार पद्धति के विकास के लिए अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाया जा सके। इसीलिए विश्व समुदाय को तुरंत इसमें अपना योगदान देना चाहिए। ”               


सैनिकों की संख्या कम करेगा 'अमेरिका'

वाशिंगटन डीसा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि अफगानिस्तान और इराक में तैनात अमेरिकी सैनिकों की संख्या में कटौती कर उसे जल्द ही क्रमश: चार हजार और दो हजार कर दिया जायेगा।


डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को व्हाइट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा, “ अफगानिस्तान में इस दिशा में काफी प्रगति हुई है, लेकिन हम जल्द ही वहां तैनात अमेरिकी सैनिकों की संख्या को कम कर चार हजार तक सीमित कर देंगे। इसी तरह इराक में भी अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी को कम किया जायेगा और उसे घटाकर दो हजार कर दिया जायेगा।” डोनाल्ड ट्रम्प ने अफगानिस्तान और इराक में तैनात अमेरिकी सैनिकों की संख्या और कम करने की जिस योजना की जानकारी दी है वह अमेरिकी सेना की योजना का ही एक हिस्सा है। अमेरिकी सेना की सेंट्रल कमान के कमांडर कैनेथ मैकेंजी ने बुधवार को कहा था कि सितंबर के अंत तक इराक में तैनात अमेरिकी सैनिकों की संख्या को घटाकर तीन हजार कर दिया जायेगा जबकि नवंबर की शुरुआत में अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या को कम कर 4500 तक सीमित कर दिया जायेगा।


गौरतलब है कि अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने को लेकर इस वर्ष फरवरी में अमेरिका और तालिबान के बीच एक समझौता हुआ था जिसके तहत 18 वर्षों से चल रहे संघर्ष को खत्म करने के लिए अमेरिका ने अपने सैनिकों की संख्या को कम करने पर सहमति जताई थी। इस समझौते के तहत यदि तालिबान अपने वादों पर कायम रहता है तो 14 महीनों के भीतर अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की पूरी तरह से वापसी हो जायेगी।                          


मई में ही 64 लाख लोग संक्रमित हो चुके थे

हरिओम उपाध्याय


नई दिल्ली। कोरोना वायरस का कहर पूरे देश में जारी है। अब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने देशभर में किए गए सीरो-सर्वे के परिणाम जारी कर दिए हैं। जिसमें हैरान करने वाली बातें सामने आई हैं। सर्वे के अनुसार, कोरोना वायरस देश के ग्रामीण इलाकों तक पहुंच गया है। जहां संक्रमण की दर 69.4 फीसदी पाई गई है। यानी ग्रामीण भारत में रहने वाले 44.4 लाख लोग इससे प्रभावित हुए हैं। वहीं संक्रमण की दर शहरी झुग्गियों में 15.9 फीसदी और शहरी गैर-मलिन बस्तियों में 14.6 फीसदी दर्ज की गई है।


आईसीएमआर के मुताबिक सीरो पॉजिटिविटी दर सबसे अधिक 18-45 आयु वर्ग में 43.3 फीसदी रही है। ये दर 46-60 आयु वर्ग में 39.5 फीसदी और 60 साल से अधिक आयु वर्ग में सबसे कम 17.2 फीसदी रही है। इस सर्वे में हैरान करने वाली बात ये भी सामने आई है कि सीरो पॉजिटिविटी दर उन जिलों में भी पाई गई है, जहां संक्रमण के एक भी केस दर्ज नहीं किए गए। जिससे कम टेस्टिंग और लैब तक मुश्किल पहुंच जैसी वजह सामने आती हैं। आपको बता दें पहले दौर के इस सीरो-सर्वे में देश के 21 राज्यों के 70 जिलों के 700 गावों और वार्डों को शामिल किया गया था। ये सर्वे 11 मई से लेकर 4 जून तक हुआ है। इसमें 181 शहरी इलाके भी शामिल थे।


ग्रामीण इलाकों से मामले इसलिए भी सामने आए हैं क्योंकि लॉकडाउन के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने शहरों से गावों की ओर पलायन किया था। जो जिले सर्वे में शामिल किए गए उन्हें चार भागों में बांटा गया था। इनमें 15 जिले ऐसे हैं, जहां से कोई केस नहीं मिला। 22 जिलों में काफी कम केस मिले। 16 जिलों में संक्रमण की दर मध्यम रही और 17 जिले ऐसे हैं, जिनमें संक्रमण की दर अधिक है। रिपोर्ट से पता चला है कि टेस्टिंग सुविधा के मामलों में जिलों में अंतर रहा है। जिसके चलते संक्रमण से मरने वालों की संख्या में भी असंमजस है। इस रिपोर्ट को इंडियन जरनल फॉर मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित किया गया है। सर्वे में हैरान करने वाली बात जो सामने आई है, वो ये है कि देश के 0.73 फीसदी व्यस्क संक्रमण के संपर्क में थे। वहीं मई 2020 की शुरुआत में 64 लाख लोग वायरस की चपेट में आ चुके थे।             


फायदे का व्यवसाय है बकरी पालन

फायदा का व्यवसाय है बकरी पालन


एक परिचय:- बकरी पालन प्रायः सीमित साधन के साथ कम लागत, साधारण आवास, सामान्य रख-रखाव के साथ सामान्य पालन-पोषण के साथ किया जाता है। इसके उत्पाद की बिक्री के लिए बाजार ढूंढना नहीं पड़ता यह सर्वत्र उपलब्ध है। इसलिए पशुधन में बकरी का एक विशेष स्थान है।


अतः महात्मा गाँधी बकरी को ‘गरीब की गाय’ कहा करते थे। जब एक ओर पशुओं के चारे-दाने एवं दवाई महँगी होने से पशुपालन आर्थिक दृष्टि से कम लाभकारी लगने लगा है। बकरी पालन अब भी कम लागत एवं सामान्य देख-रेख में गरीब किसानों एवं खेतिहर मजदूरों के जीवन यापन एक साधन बन रहा है। इससे होने वाली आय समाज के आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करने लगा है। बकरी पालन स्वरोजगार का एक पउत्तम साधन बन रहा है।


उपयोगिता:- बकरी पालन मुख्य रूप से मांस, दूध तथा रोंआ के लिए किया जाता है। झारखंड राज्य में पायी जाने वाली बकरियाँ अल्प आयु में वयस्क होकर दो वर्ष में कम से कम 3 बार बच्चों को जन्म देती हैं तथा एक वियान में 2-3 बच्चों को जन्म देती हैं।


बकरियों से मांस, दूध, खाल एवं रोंआ की प्राप्ति के साथ-साथ इसके मल-मूत्र से जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है। बकरियाँ प्रायः चारागाह के ऊपर निर्भर रहती हैं। झाड़ियाँ, घास तथा पेड़ के पत्तें इसके मुख्य भोजन हैं यह इसको खाकर हमलोगों के लिए पौष्टिक पदार्थ जैसे मांस एवं दूध उत्पादित करती हैं।


बकरी के दूध में अत्यंत गुणकारी औषधीय गुण पाए जाते हैं। आए दिनों डेंगू और चिकनगुनिया में बकरी का दूध अत्यंत लाभदायक पाया गया है। प्लेटलेट्स बढ़ाने में ये लाभदायक तथा पौष्टिक भी है। नवजात शिशु के लिए मां की दूध के बाद बकरी के दूध को हीं सबसे लाभदायक बताया गया है।


बकरी पालन में उपयोगी नस्लें।


बकरियों की कुल 102 प्रजातियाँ उपलब्ध है। इसकी 20 प्रजातियाँ भारतवर्ष में है। अपने देश में पायी जाने वाली नस्लें मुख्य रूप से मांस उत्पादन हेतु उपयुक्त है। पश्चिमी देशों में पायी जाने वाली बकरियों की तुलना में यहाँ की बकरियां कम मांस एवं दूध उत्पादित करती है। वैज्ञानिक विधि से इसके ब्रीड के विकास, पोषण तथा बीमारियों एवं बचाव पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया है। बकरियों के ब्रीड का पैत्रिक विकास प्राकृतिक चुनाव तथा पैत्रिकी पृथकता से संभव हो पाया है। पिछले 25 से 30 वर्षों में बकरी पालन पर अनेक लाभकारी अनुसंधान हुए हैं फिर भी अभी गहन शोध की आवश्यकता है।


भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली की ओर से भारत की उन्नत नस्लें जैसे:- ब्लैक बंगला, बारबरी, जमनापारी, सिरोही, मारबारी, मालावारी, गंजम आदि के संरक्षण तथा विकास से संबंधित योजनाएँ चलायी जा रही है। इन कार्यक्रमों के विस्तार में तेजी की आवश्यकता है। जिससे विभिन्न जलवायु एवं परिवेश में पायी जाने वाली नस्लों की विशेषता एवं उत्पादकता की समुचित जानकारी हो सके।


इन जानकारियों के आधार पर क्षेत्र विशेष के लिए बकरियों से होने वाली आय में वृद्धि के लिए योजनाएँ चलायी जा सकती है। यह व्यवसाय भी काफी प्रचलित हो रहा है। जो लोग इसकी तरफ आकर्षित हो रहे हैं, यह कम लागत में ज्यादा मुनाफा देता है।               


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