शनिवार, 21 दिसंबर 2019

कैसे सजाएं क्रिसमस ट्री ?

सैंटा क्लॉज, जिंगल बेल्स, गिफ्ट्स, केक और चारों तरफ रेड और वाइट कलर की थीम- ये सारी चीजें आपको किस त्योहार की याद दिलाती हैं तो आप कहेंगे क्रिसमस। जी हां, एक बार फिर क्रिसमस का त्योहार सेलिब्रेट करने का मौका आ गया है। क्रिसमस फेस्टिवल में अब सिर्फ 5 दिन का समय बाकी है लिहाजा आपने भी अपनी पार्टी की तैयारियां जरूर शुरू कर दी होंगी। और बात जब क्रिसमस की आती है तो सबसे ज्यादा ध्यान क्रिसमस ट्री पर रहता है क्योंकि उसके बिना तो आपके सेलिब्रेशन अधूरा रह जाएगा ना। ऐसे में हर एक जैसी लाइट्स यै कैंडल्स से क्रिसमस ट्री को सजा-सजाकर बोर हो चुके हैं तो कुछ यूनीक और इनोवेटिव आइडियाज ट्राई करें… 
फूड आइटम्स से सजाएं क्रिसमस ट्री
जी हां इस बार आप चाहें तो अपनी क्रिसमस ट्री को इडेबल्स यानी खाने-पीने की चीजें जैसे- सेब, नट्स, चॉकलेट्स और दूसरे फूड आइटम्स से सजाएं। यकीन मानिए आपके फैमिली मेंबर्स के साथ-साथ मेहमानों को भी आपका ये आइडिया जरूर पसंद आएगा।
रंग-बिरंगे पॉम पॉम से सजाएं 
कुछ क्रिएटिव आइडिया अगर दिमाग में न आ रहा हो तो बाजार से रंग-बिरंगे पॉम पॉम खरीद कर लाएं और उनसे अपनी क्रिसमस ट्री को सजाएं। आप चाहें तो पॉम पॉम के साथ रंगे-बिरंग ऊन से बने बॉल्स का इस्तेमाल करके भी अपनी क्रिसमस ट्री को सजा सकते हैं। 
कलर पैलेट के हिसाब से सजाएं ट्री 
हर बार रेड ऐंड वाइट कलर कॉम्बिनेशन रखने की बजाए इस बार कुछ अलग करें और अपनी क्रिसमस ट्री को कलर थीम के हिसाब से सजाएं। ब्लू ऐंड वाइट, रेड ऐंड गोल्ड, पिंक और ग्रीन, जो कलर थीम आपको सबसे ज्यादा पसंद हो उसी कलर पैलेट को चुनें और उन्हीं रंगो के हिसाब से अपनी क्रिसमस ट्री को डेकोरेट करें।
फूलों से सजाएं क्रिसमस ट्री 
अगर आपको एक्सपेरिमेंट करना अच्छा लगता है कि तो आप इस साल अपनी क्रिसमस ट्री को फ्लोरल लुक भी दे सकती हैं। अपनी पसंद के वाइट या रेड कलर के फूलों से क्रिसमस ट्री को सजाएं। यह एक बेहद इको-फ्रेंडली तरीका भी है क्रिसमस ट्री को डेकोरेट करने का। 
फैमिली मेंबर्स की तस्वीर से सजाएं 
परिवार के सदस्यों और दोस्तों के साथ बिताए गए खूबसूरत और फेवरिट मोमेंट्स की यादगार तस्वीरें और प्रिंटआउट निकाल लें और उन्हीं से क्रिसमस ट्री को सजाएं। यह भी एक बेहतरीन तरीका है क्रिसमस पार्टी के मौके पर ट्री को डेकोरेट करने का।


फोमो यानी पीछे छूटने का डर

फोमो यानी फियर ऑफ मिसिंग आउट या देसी भाषा में कहिए तो पीछे छूट जाने का डर। अगर आपको भी ऐसा डर हर समय सताता रहता है तो आप मेंटल डिसऑर्डर का शिकार हो चुके हैं। आमतौर पर लोगों के इस डिसऑर्डर की वजह उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स होते हैं…
तुलना जारी रहती है
मनुष्य का स्वभाव है कि हम अपनी तुलना लगातार दूसरों से करते हैं। हमें अक्सर लगता है कि दूसरों के पास जो चीजें हैं, वे हमसे बेहतर हैं और इसी सोच के चलते हम खुद को कमतर आंकने लगते हैं। हमारी यह मानसिक दिक्कत उस समय और अधिक बढ़ जाती है, जब कोई इंसान कुछ नया या बड़ा हासिल कर लेता है।
हमारे साथ बुरा ही होता है
फोमो के शिकार लोगों को अपने जीवन में आई छोटी-सी तकलीफ भी ऐसी लगती है कि जैसे कितना बड़ा हादसा हो गया है। उन्हें लगता है कि दुनिया में जितनी भी परेशानियां हैं वे सब उनकी लाइफ में आ गई हैं।
फोमो ग्रसित की स्थिति
मुख्य रूप से फोमो वह मानसिक स्थिति है, जो लोगों के मन में दूसरे लोगों की लाइफ से बाहर होने या उनकी लाइफ में अपनी अहमियत खोने के डर से जुड़ी है। यह लोगों में मिसिंग आउट होने का डर पैदा करती है।
कम्पल्सिव डिजायर
फोमो एक कम्पल्सिव डिजायर है, इसमें दूसरे लोगों की लाइफ से हर समय जुड़े रहने की इच्छा होती है। खासतौर पर सोशल मीडिया के माध्यम से। ऐसे लोगों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम या मास विडियोज के द्वारा दूसरे लोगों की लाइफ में अपनी अहमियत देखते रहना पसंद होता है और उनकी जिंदगी से जुड़े रहना अच्छा लगता है।
लाइक और रिऐक्शन का गेम शुरू
फोमो के शिकार लोग हर समय सोशल मीडिया पर यह चेक करते रहते हैं कि दूसरे लोग क्या पोस्ट कर रहे हैं, उनकी लाइफ में क्या नया हो रहा है या हमारी पोस्ट पर लोग किस तरह से रिऐक्ट कर रहे हैं? हमारी पोस्ट पर कितने लाइक मिले हैं?
बढ़ती परेशानियों की वजह
कई स्टडीज में यह बात सामने आ चुकी है कि हर समय सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहनेवाले लोग कई तरह की मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे लोगों को ऐंग्जाइटी, मूड स्विंग्स, लोनलीनेस, असुरक्षा की भावना, आत्मविश्वास में कमी, सामाजिक असुरक्षा या चिंता, बहुत अधिक नकारात्मकता और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे आएं फोमो से बाहर 
फोमो के कारण पिछले कुछ वर्षों में ऐंटिडिप्रेशन दवाइयों की खपत कई गुना बढ़ चुकी है। इस परेशानी से बचने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल कम करें। वर्जुअल दुनिया में नहीं वास्तविक दुनिया में अपना दायरा और लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाएं। स्थिति ना संभलने पर सायकाइट्रिस्ट्स की मदद जरूर लें।


सर्दी में तिल के लड्डू है लाभकारी

शीत लहर ने दस्तक दे दी है। ठण्डी हवा से बचने जहाँ गर्म कपड़ों की जरूरत होती है, उससे अधिक जरूरत ऊर्जा युक्त ऐसे खाद्य पदार्थ भी जरूरी हैं जिनके सेवन से सर्दियों में चुस्त दुरुस्त रहा जा सकता है।


इनमें तिली के बने मीठे लड्डू और संबंधित अन्य खाद्य पदार्थ बेहद उपयोगी हैं। सर्दियों में अपनी तासीर की वजह से तिली के लड्डू न केवल ताकत और ऊर्जा का खजाना हैं बल्कि बादाम, काजू अखरोट आदि ड्रायफूड की तुलना में सस्ते भी होते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक तिली और गुड़ का मिश्रण सेहत के लिये खास तौर पर वरदान साबित होता है।


विशेषज्ञों के मुताबिक तिल के अलावा गर्म तासीर वाली खाद्य वस्तुओं जैसे मूंगफली, पिण्ड खुजूर का का इस्तमाल भी सेहत के लिये फायदेमंद होगा। दरअसल सर्दी बढ़ने के साथ ही साथ लोगों के खान पान में बदलाव आया है। इसमें सबसे ज्यादा तिल के व्यंजनों को लिया जाता है। तिल शरीर को गर्मी देने के साथ ही शरीर को तंदुरुस्त रखता है और यह शारीरिक गरमाहट भी पहुँचाती है। सर्दी के बढ़ते ही तिल के कारोबार में भी रौनक आयी है। बाजारो में विभिन्न प्रकार के तिल के व्यंजनों की खूब बिक्री हो रही है।


गुड़ की गजक, बीकानेर की तिल पपड़ी, अजमेर की डाईफ्रूट गजक, पिस्ता गजक, तिल के लड्डू सहित अन्य सामग्री की डिमाण्ड बढ़ती जा रही है। आमतौर पर शरद ऋतु आते ही तिल के व्यंजन बाजारों में बिकना आरंभ हो जाते हैं, लेकिन इस बार सर्दी कुछ लेट आने से इनके व्यंजनों पर भी प्रभाव पड़ा है। बाजारों में तिल ने अब जोर पकड़ा है। वही माना जाता है की मकर संक्रांति पर तिल के व्यंजन बनाना शुभ रहता है। चीनी और गुड़ दोनों में गजक को बनाया जाता है, लेकिन गुड़ की गजक को ज्यादा पसंद किया जा रहा है। इतना ही नहीं तिल के लड्डू की डिमांड भी दिनों दिन बढ़ती ही जा रही है।


सर्दी बढ़ने के साथ ही गजक की दुकानों पर भीड़ के साथ ही कई प्रकार की गजक व तिल के लड्डू भी उपलब्ध हैं। सर्दियों में तिल शरीर के रोग को दूर करने के साथ फायदेमंद भी साबित होता है।


कुछ लोगों को लगती है ज्यादा ठंड

सर्दियों में जहाँ कुछ लोग शॉटर््स और टी-शर्ट में आराम से घूमते रहते हैं वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो तीन स्वेटर पहनने के बाद भी कांपते रहते हैं।


अगर आपको लगता है कि ठण्ड का ही असर लोगों पर अलग – अलग होता है तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, पसीने के मामले में भी ऐसा होता है। कुछ लोगों को पसीना इतना आता है कि लगता है कि वे पानी में भीगकर आ रहे हैं वहीं कुछ लोग हमेशा तरोताजा दिखते हैं। क्या आपको पता है कि ज्यादा गर्मी या सर्दी लगना हेल्थ प्रॉब्लम की ओर इशारा है?


ये हो सकती हैं वजहें : कई हेल्थ रिपोटर््स की मानें तो कुछ फेक्टर्स हैं जिन पर ध्यान नहीं जाता लेकिन गर्मी या ज्यादा सर्दी लगने के पीछे एनीमिया, कुपोषण, इन्फेक्शन, वजन से जुड़ी समस्या (ज्यादा या कम होना) यहाँ तक कि साईलेंट थायरॉयड भी वजह हो सकती है।


डॉक्टर से करें बात : ऐसी समस्याओं से बचने के लिये नियमित चेकअप और डॉक्टर से खुलकर बात करना बेहद जरूरी है। हम डॉक्टर के पास तभी जाते हैं जब हम ज्यादा बीमार होते हैं। हमें कण्डीशन खराब होने तक इंतजार नहीं करना चाहिये बल्कि एक या दो महीने में चेकअप करवाते रहना चाहिये।


तनाव या गुस्सा भी वजह : तनाव की वजह से आपको गर्मी या सर्दी लग सकती है। तनावपूर्ण स्थिति जैसे झगड़ा, व्यस्तता या वर्कलोड जैसी वजहों से आपके नॉर्मल तापमान में फर्क आ सकता है। उदाहरण के तौर पर ऑफिस में जब सभी ठण्ड से ठिठुर रहे हैं और आपको तेज गर्मी लगने लगे तो इसकी वजह आपकी किसी दोस्त या परिवार के सदस्य से लड़ाई भी हो सकती है।


उदास होने पर लगती है ठण्ड : हेल्थ और दूसरे फिजिकल फेक्टर्स के अलावा किसी भी मौसम को ज्यादा फील करने के पीछे आपकी भावनात्मक स्थिति भी एक वजह हो सकती है। एक्सपटर््स की मानें तो जब लोग उदास या अकेले होते हैं तो वे ज्यादा कांपते हैं। यह भी कह सकते हैं कि जब हमारे हार्ट कोल्ड होते हैं तो हम भी वैसा ही महसूस करते हैं।


ज्यादा सर्दी या गर्मी फील करने से कैसे बचें : हमें सबसे पहले इसके पीछे की वजह पता करनी होगी। कुछ तरीके हैं जिनसे सर्दी या ज्यादा पसीने को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके लिये कपड़ों और खानपान में बदलाव करना एक तरीका है।


दिमाग को दें ट्रेनिंग : अलग – अलग मौसमों में कुछ खास तरह के फूड्स हमारे अंदर सर्दी या गर्मी का बैलेंस बनाते हैं। उदाहरण के तौर पर सर्दियों में सूप या कॉबोर्हाईड्रेट से हम शरीर को गर्म रख सकते हैं। वहीं गर्मियों में हरी और पत्तेदार सब्जियां राहत दे सकती हैं। आखिर में ज्यादा गर्मी या सर्दी से बचने का तरीका यह भी है कि अपने दिमाग को इसके लिये ट्रेनिंग दें। इमेजिन करें कि आप गर्म स्थान पर हैं इससे ठण्डॉर्फिन रिलीज होता है जो शरीर मे गर्माहट लाता है।


भारतीय टीम को झटका, दीपक बाहर

कटक। भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज दीपक चहर कमर के निचले हिस्से में तकलीफ की वजह से वेस्टइंडीज के खिलाफ तीसरे और निर्णायक वनडे मैच से बाहर हो गए हैं। दीपक चहर की जगह तीसरे वनडे मैच के लिए नवदीप सैनी को टीम इंडिया में शामिल किया गया है।


दीपक चहर का वेस्टइंडीज के खिलाफ कटक वनडे से पहले चोटिल होना बड़ा झटका है। बीसीसीआई ने एक बयान जारी कर बताया कि विशाखापत्तनम में खेले गए दूसरे वनडे मैच के बाद चहर ने पीठ के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत की थी। जिसके बाद मेडिकल टीम ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है।


भारत ने वेस्टइंडीज को विशाखापत्तनम के एसीए-वीडीसीए क्रिकेट स्टेडियम में खेले गए दूसरे वनडे मैच में 107 रनों से मात देकर तीन मैचों की वनडे सीरीज में 1-1 से बराबरी कर ली है।सीरीज का पहला मैच वेस्टइंडीज ने 8 विकेट से जीता था, जिसके बाद दूसरे वनडे में भारत ने 107 रनों से मेहमान टीम को मात देते हुए वापसी की। अब सीरीज का आखिरी और निर्णायक मुकाबला 22 दिसंबर को कटक में खेला जाएगा।इससे पहले शिखर धवन और भुवनेश्वर कुमार भी चोट के चलते वनडे सीरीज से बाहर हो चुके हैं। धवन की जगह मयंक अग्रवाल और भुवनेश्वर की जगह शार्दुल ठाकुर को टीम में मौका मिला था।


तीसरे वनडे के लिए भारतीय टीम-विराट कोहली (कप्तान), रोहित शर्मा, मयंक अग्रवाल, लोकेश राहुल, श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत (विकेटकीपर), मनीष पांडे, शिवम दुबे, शार्दुल ठाकुर, केदार जाधव, रवींद्र जडेजा, युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव, नवदीप सैनी, मोहम्मद शमी।


थरूर के ट्विट पर विवाद, डिलीट किया

तिरुवनंतपुरम। नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर केंद्र सरकार को घेरने निकले कांग्रेस के दिग्‍गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर खुद ही फंस गए। थरूर ने केरल के कोझिकोड में होने वाले प्रदर्शन को लेकर ट्वीट किया जिसमें उन्‍होंने पाक अधिकृत कश्‍मीर (पीओके) और अक्‍साई चिन को भारत का हिस्‍सा नहीं दिखाया। अपने इस ट्वीट के बाद थरूर ट्रोल होना शुरू हो गए हैं और बीजेपी ने भी उन पर निशाना साधा है। बढ़ते विवाद के बाद शशि थरूर ने अपने विवादित ट्वीट को डिलीट कर दिया।


थरूर ने शुक्रवार देर रात एक ट्वीट कर कहा कि वह कल केरल कांग्रेस के कोझिकोड में होने वाले प्रदर्शन का नेतृत्‍व करेंगे। सभी का स्‍वागत है। इस ट्वीट के साथ शशि थरूर ने एक प्रदर्शन का एक पोस्‍टर भी ट्वीट किया जिसमें जिला कांग्रेस कमिटी के कोझिकोड के कार्यक्रम के बारे में बताया गया था। इसी पोस्‍टर में भारत का एक नक्‍शा बनाया गया जिसमें पीओके को भारत का हिस्‍सा नहीं दिखाई गया था।


सोशल मीडिया पर ट्रोल
कांग्रेस नेता के इस ट्वीट के बाद वह सोशल मीडिया पर ट्रोल होना शुरू हो गए। संदीप अरालकर ने लिखा कि इसकी शशि थरूर से अपेक्षा नहीं थी जिनके पास अंतरराष्‍ट्रीय मामलों का अच्‍छा अनुभव है। यह अच्‍छा होगा कि थरूर अपनी गलती स्‍वीकार कर लें और इसे सही कर लें। समयुक्‍तान ने लिखा, 'विडंबना देखिए। शशि थरूर भारत को बचाना चाहते हैं, वह भी हमारे देश के अभिन्‍न हिस्‍से लद्दाख को छोड़कर।'


शाह ने इतिहास का अध्ययन नहीं किया : शशि थरूर


बीजेपी ने भी अधूरे नक्‍शे को लेकर थरूर पर हमला बोला है। बीजेपी के प्रवक्‍ता संबिता पात्रा ने ट्वीट कर थरूर से माफी मांगने के लिए कहा। उन्‍होंने लिखा, 'ऐसा क्‍यों है शशि थरूर कि आपकी पार्टी और उसके वर्कर जिस भारत के नक्‍शे का विज्ञापन कर रहे हैं, उसे अधूरा क्‍यों रखा है…क्‍या यह कांग्रेस का भारत को तोड़ने, बांटने और बर्बाद करने का आइडिया है? क्‍या थरूर को भारत की प्रतिष्‍ठा कम करने के लिए माफी नहीं मांगनी चाहिए?'


बीजेपी के राष्‍ट्रीय महासचिव सुनील देवधर ने कहा कि कांग्रेस हिंसात्‍मक विरोध प्रदर्शन को भड़काकर संघर्ष कर रही है, क्‍या यह आइडिया ऑफ इंडिया है जो शशि थरूर भारत का अधूरा नक्‍शा पोस्‍ट कर रहे हैं? धीरे-धीरे उनका असली चेहरा सामने आ रहा है। यह स्‍वाभाविक है कि वे इस तरह के आपराधिक कृत्‍यों के द्वारा भारत विरोधी ताकतों को खुश कर रहे हैं।


बैंक केवाईसी में बताना पड़ सकता है धर्म

बेंगलुरु/मुंबई। बैंक जल्द ही अपने नो योर कस्टमर (KYC) फॉर्म्स में एक नया कॉलम जोड़ सकते हैं, जिसमें उसके जमाकर्ता या ग्राहक को अपने धर्म का उल्लेख करना होगा। विदेशी मुद्रा विनिमयन अधिनियम (FEMA) के नियमों में बदलाव की वजह से बैंकों के लिए यह जरूरी हो गया है। नियमों में बदलाव मुसलमानों को छोड़कर चुनिंदा धार्मिक अल्पसंख्यकों को एनआरओ अकाउंट खोलने तथा संपत्ति खरीदने की सुविधा देने के लिए किया गया है।


अनिवासी साधारण रुपया बचत खाता (NRO) अनिवासी भारतीयों के लिए भारत में बचत या चालू खाते की सुविधा है, जिसमें वे भारत में कमाई गई रकम को जमा कर सकते हैं।


म्यांमार, श्रीलंका तथा तिब्बत के लोग नहीं
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की तरह ही, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा 2018 में जारी फेमा में संशोधन उन प्रवासियों तक सीमित किया गया है, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई) से आते हैं और लॉन्ग-टर्म वीजा रखते हैं। लॉन्ग टर्म वीजा रखने वाले ये लोग भारत में रिहायशी संपत्ति खरीद सकते हैं और बैंक खाता में खोल सकते हैं। संशोधित नियमों में नास्तिकों, मुसलमान प्रवासियों तथा म्यांमार, श्रीलंका तथा तिब्बत के प्रवासियों को नहीं रखा गया है।


शेड्यूल 3 में संशोधन
फेमा (डिपॉजिट) रेग्युलेशंस के शेड्यूल 3 में संशोधन के मुताबिक, 'भारत में रह रहे लॉन्ग टर्म वीजा रखने वाले बांग्लादेश या पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई) के लोगों को केवल एक एनआरओ अकाउंट खोलने की मंजूरी दी गई है। जब ये लोग नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रवाधानों के तहत भारत के नागरिक हो जाएंगे तो उनके एनआरओ खाते को रेजिडेंट खाते में बदल दिया जाएगा।'


खरीद सकते हैं एक संपत्ति
फेमा के नियमों के मुताबिक, 'बांग्लादेश, पाकिस्तान या अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के लोग, जिन्हें भारत में लॉन्ग टर्म वीजा दिया गया है, वे भारत में केवल एक अचल रिहायशी संपत्ति खरीद सकते हैं।'


'विचित्र है नियम'
वित्त मंत्रालय के सूत्र ने बताया कि यह बदलाव पिछले साल किया गया था, जब कई वित्तीय जानकारों, नौकरशाहों तथा राजनीतिज्ञों का ध्यान वित्तीय संकट की तरफ था। उन्होंने कहा, 'किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि बैंकिंग से जुड़े नियमों में धार्मिक भेदभाव के नियम लाए जाएंगे।'


दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ

दिल्ली में 2.0 तीव्रता का भूकंप, महसूस नहीं हुआ अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। दबे पांव पहुंचे भूकंप ने धरती को हिलाते हुए पब्लिक को दहशत में ड...