शनिवार, 21 दिसंबर 2019

फोमो यानी पीछे छूटने का डर

फोमो यानी फियर ऑफ मिसिंग आउट या देसी भाषा में कहिए तो पीछे छूट जाने का डर। अगर आपको भी ऐसा डर हर समय सताता रहता है तो आप मेंटल डिसऑर्डर का शिकार हो चुके हैं। आमतौर पर लोगों के इस डिसऑर्डर की वजह उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स होते हैं…
तुलना जारी रहती है
मनुष्य का स्वभाव है कि हम अपनी तुलना लगातार दूसरों से करते हैं। हमें अक्सर लगता है कि दूसरों के पास जो चीजें हैं, वे हमसे बेहतर हैं और इसी सोच के चलते हम खुद को कमतर आंकने लगते हैं। हमारी यह मानसिक दिक्कत उस समय और अधिक बढ़ जाती है, जब कोई इंसान कुछ नया या बड़ा हासिल कर लेता है।
हमारे साथ बुरा ही होता है
फोमो के शिकार लोगों को अपने जीवन में आई छोटी-सी तकलीफ भी ऐसी लगती है कि जैसे कितना बड़ा हादसा हो गया है। उन्हें लगता है कि दुनिया में जितनी भी परेशानियां हैं वे सब उनकी लाइफ में आ गई हैं।
फोमो ग्रसित की स्थिति
मुख्य रूप से फोमो वह मानसिक स्थिति है, जो लोगों के मन में दूसरे लोगों की लाइफ से बाहर होने या उनकी लाइफ में अपनी अहमियत खोने के डर से जुड़ी है। यह लोगों में मिसिंग आउट होने का डर पैदा करती है।
कम्पल्सिव डिजायर
फोमो एक कम्पल्सिव डिजायर है, इसमें दूसरे लोगों की लाइफ से हर समय जुड़े रहने की इच्छा होती है। खासतौर पर सोशल मीडिया के माध्यम से। ऐसे लोगों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम या मास विडियोज के द्वारा दूसरे लोगों की लाइफ में अपनी अहमियत देखते रहना पसंद होता है और उनकी जिंदगी से जुड़े रहना अच्छा लगता है।
लाइक और रिऐक्शन का गेम शुरू
फोमो के शिकार लोग हर समय सोशल मीडिया पर यह चेक करते रहते हैं कि दूसरे लोग क्या पोस्ट कर रहे हैं, उनकी लाइफ में क्या नया हो रहा है या हमारी पोस्ट पर लोग किस तरह से रिऐक्ट कर रहे हैं? हमारी पोस्ट पर कितने लाइक मिले हैं?
बढ़ती परेशानियों की वजह
कई स्टडीज में यह बात सामने आ चुकी है कि हर समय सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहनेवाले लोग कई तरह की मानसिक बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे लोगों को ऐंग्जाइटी, मूड स्विंग्स, लोनलीनेस, असुरक्षा की भावना, आत्मविश्वास में कमी, सामाजिक असुरक्षा या चिंता, बहुत अधिक नकारात्मकता और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का भी सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे आएं फोमो से बाहर 
फोमो के कारण पिछले कुछ वर्षों में ऐंटिडिप्रेशन दवाइयों की खपत कई गुना बढ़ चुकी है। इस परेशानी से बचने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल कम करें। वर्जुअल दुनिया में नहीं वास्तविक दुनिया में अपना दायरा और लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाएं। स्थिति ना संभलने पर सायकाइट्रिस्ट्स की मदद जरूर लें।


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