मंगलवार, 30 जुलाई 2019

रेप पीड़िता की मौत,विधानसभा में हंगामा


रेप पीडि़ता की मौत पर पुलिस की भाषा बोली कांग्रेस सरकार के मंत्री धारीवाल ने। 
पीडि़ता के आरोपी से सहमति से शारीरिक संबंध होना बताया। 
जयपुर के वैशाली नगर के थानाधिकारी संजय गोदारा सस्पेंड। विधानसभा में हंगामा। 
जयपुर ! राजस्थान विधानसभा में रेप पीडि़ता की मौत को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। भाजपा के विधायकों खास कर महिला विधायकों ने रेप पीडि़ता के वैशाली नगर थाने में स्वयं को आग लगाने की घटना को बेहद शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं और अब तो रेप पीडि़ता पुलिस के रवैये से परेशान होकर थाने में ही आत्मदाह कर रही है। 28 जुलाई को जिस रेप पीडि़ता ने जयपुर के वैशाली नगर थाने में स्वयं को आग लगाई उसकी मौत अगले दिन एसएमएस अस्पताल में हो गई। पुलिस का अब कहना है कि बलात्कार की शिकायत में कोई दम नहीं था, इसलिए आरोपी की गिरफ्तार नहीं की गई। विधानसभा में हंगामे के बाद संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा के बाहर मीडिया से संवाद किया और सरकार का पक्ष रखा। धारीवाल ने कहा कि पीडि़ता ने जिस रविन्द्र सिंह शेखावत के विरुद्ध बलात्कार की रिपोर्ट लिखाई है उसकी जांच में पता चला कि शारीरिक संबंध सहमति से बनाए गए। आरोपी ने जांच के दौरान पुलिस को सबूत दिए कि पीडि़ता स्वयं अपनी मर्जी से कई स्थानों पर घुमने गई। धारीवाल ने कहा कि पुलिस के पास इस बात के सबूत हैं कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए कोई जोर जबरदस्ती नहीं की गई। अब इस मामले की जांच सीबीसीआई से करवाई जाएगी। 
थानाधिकारी सस्पेंड:
धारीवाल ने कहा कि इस प्रकरण में वैशाली नगर के थानाधिकारी संजय गोदारा की भूमिका सकारात्मक नहीं रही, इसलिए उन्हें सस्पेंड किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब पीडि़ता पुलिस थाने पर आई थी, तब थानाधिकारी को गंभीरता दिखानी चाहिए थी। पीडि़ता ने जिस प्रकार थाने के अंदर स्वयं को आग लगाई इसे उचित नहीं माना जा सकता। 
तो अब किस बात की जांच:
सरकार के मंत्री धारीवाल ने जब अपना फैसला सुना दिया है तो फिर अब सीबीसीआईडी से किस बात की जांच करवाई जाएगी। जब सरकार के मंत्री स्वयं कह रहे हैं कि आपसी सहमति से संबंध बने थे और बलात्कार की कोई बात नहीं है तो फिर जांच में क्या निकलेगा। क्या सीबीसीआईडी के अधिकारी मंत्री के बयान के विरुद्ध जाकर कोई कार्यवाही करेंगे?
एस पी मित्‍‍लत


धरी रह गई मुख्यमंत्री गहलोत की घोषणा


अफसरों और शराब की आय के सामने धरी गई गांधीवादी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणा। विश्व विख्यात तीर्थ रामदेवरा नहीं हो सका शराब मुक्त। जैसलमेर के कलेक्टर किसी की नहीं सुनते। 7 अगस्त से फिर शुरू होगा आंदोलन।

जयपुर ! राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि गांधीवादी और शराब विरोधी है, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि गहलोत की घोषणा के बाद भी विश्वविख्यात तीर्थ स्थल रामदेवरा शराब मुक्त नहीं हो सका है। उल्टे प्रशासन के अधिकारी आंदोलन करने वालों को डरा धमका रहे हैं। रामदेवरा में लोक देवता बाबा रामदेव की समाधि है। यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। हिन्दू ही नहीं मुसलमान भी बाबा रामदेव के प्रति अकीदत रखते हैं। वार्षिक मेले पर तो रामदेवरा में पैर रखने की जगह नहीं होती है। राजस्थान ही नहीं देशभर से श्रद्धालु मेले में आते हैं। बर्फानी बाबा अमरनाथ की यात्रा की तरह मेले के दौरान राजस्थान भर में बाबा रामदेव के यात्रियों के लिए भंडारे लगते हैं। ऐसे पवित्र तीर्थ स्थल पर शराब की बिक्री न हो, इसको लेकर इसी वर्ष 20 फरवरी से 7 मार्च तक रामदेवरा में आंदोलन किया गया। धरना, क्रमिक अनशन के बाद आमरण अनशन की शुरुआत शराब मुक्त रामदेवरा संघर्ष समिति की ओर से की गई। समिति के अध्यक्ष आनंद सिंह तंवर, खेतराम शर्मा और घनश्याम चारण चार दिनों तक आमरण अनशन पर रहे। तभी सात मार्च को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दौरा हुआ। दौरे के दौरान ही पता चला कि रामदेवरा तीर्थ को शराब मुक्त करने के लिए आमरण अनशन हो रहा है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी गांधीवादी और शराब विरोधी छवि को प्रदर्शित करते हुए अनशन स्थल पर पहुंच गए। गहलोत ने कहा कि जब रामदेवरा के लोग शराब की बिक्री नहीं चाहते हैं तो फिर सरकार को यहां शराब बेचने का हक नहीं है। यदि बाबा रामदेव का तीर्थ स्थल शराब मुक्त होता है तो यह मेरे लिए बहुत अच्छी बात है। अनशन स्थल पर ही गहलोत ने जैसलमेर प्रशासन को शराब की चारों दुकानें हटाने के निर्देश दिए। तब यह तय हुआ कि शराब की दुकानें रामदेवरा से तीन किलोमीटर दूर खोली जाएं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अनशनकारियों को जूस पिला कर आंदोलन खत्म करवाया। रामदेवरा के लोगों को उम्मीद थी कि अब यहां शराब की बिक्री नहीं होगी। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि आज भी रामदेवरा में शराब की बिक्री हो रही है। एक अप्रैल से नए वित्तीय वर्ष में दुकानों को इधर-उधर कर चारों दुकानें यथावत रखी गई है। रामदेवरा के नागरिक अप्रैल में ही आंदोलन करना चाहते थे, लेकिन जैसलमेर के शराब समर्थक और मुख्यमंत्री की गांधीवादी छवि को बिगाडऩे वाले प्रशासन ने नोटिस जारी कर डरा दिया। प्रशासन की ओर से कहा गया कि यदि लोकसभा चुनाव की आचार संहित के दौरान आंदोलन किया गया तो आंदोलनकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही होगी। यानि जिस प्रशासन को मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करना था वो ही प्रशासन लोगों को डराने में लग गया। लोकसभा चुनाव के बाद रामदेवरा के लोगों ने मुख्यमंत्री सचिवालय में नियुक्त संवेदनशील आईएएस आरती डोगरा से लेकर जैसलमेर के कलेक्टर नमित मेहता तक से सम्पर्क कर लिया, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। आरती डोगरा मानती है कि जैसलमेर प्रशासन को मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करना चाहिए, लेकिन जैसलमेर प्रशासन के सामने सीएमओ भी बेबस हैं। संघर्ष समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि कलेक्टर नमित मेहता तो बात ही नहीं करते हैं। रामदेवरा के लोगों को उम्मीद थी कि जैन धर्म के होने के कारण नमित मेहता शराब की दुकानें बंद करवाने में रुचि दिखाएंगे, लेकिन हालातों को देखकर उम्मीदों पर पानी फिर गया है। सवाल यह है कि जब मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल नहीं हो रहा है तो फिर अफसरशाही किसका आदेश मानेगी?
7 अगस्त से आंदोलन की घोषणा:
30 जुलाई को संघर्ष समिति के अध्यक्ष आनंद सिंह तंवर ने मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखा है। इस पत्र में उनके वायदे को याद दिलाते हुए कहा गया है कि सात दिन में रामदेवरा को शराब मुक्त नहीं किया गया तो फिर से जनआंदोलन शुरू किया जाएगा। आंदोलन के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9571202223 पर आनंद सिंह तंवर व 9636542600 पर रानीदान से ली जा सकती है। 
आखिर सीएमओ के अफसार क्या कर रहे हैं?:
मुख्यमंत्री सचिवालय में तैनात अफसरों की यह जिम्मेदारी होती है कि मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर अमल करवावें। सचिवालय ही यह ध्यान रखता है कि मुख्यमंत्री कब और कहां घोषणा की है। सवाल उठता है कि सीएमओ में तैनात अफसर क्या कर रहे हैं? जबकि आबकारी और वित्त मंत्रालय भी मुख्यमंत्री के पास ही है। सीएमओ में जो आईएएस आबकारी विभाग के कामकाज देखता है क्या रामदेवरा की घोषणा पूरी करने की जिम्मेदारी इस अधिकारी की नहीं है? या फिर सीएमओ के अधिकारी अपने मुख्यमंत्री की छवि खराब करने में लगे हुए हैं।
एस.पी.मित्तल


कांग्रेस अतीत की पार्टी,बढी संवादहीनता


तीन तलाक बिल पर मतदान से पहले कांग्रेस के संजय सिंह का राज्यसभा से इस्तीफा। 
कांग्रेस अतीत की पार्टी। पार्टी में अब संवादहीनता।

नई दिल्ली ! राज्यसभा में तीन तलाक का बिल पेश किया। लेकिन मतदान से पहले ही कांग्रेस के सांसद संजय सिंह ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। यानि अब संजय सिंह मत विभाजन के समय राज्यसभा में उपस्थित नहीं रहेंगे। हाल ही में सपा की एक सांसद ने भी राज्यसभा से इस्तीफा दिया है। इससे पहले भी विपक्षी पार्टियों के सांसद राज्यसभा से इस्तीफा दे चुके हैं। माना जा रहा है कि यह सारी कवायद राज्यसभा में तीन तलाक के बिल को पास करवाने के लिए हो रही है। चूंकि राज्यसभा में भाजपा को बहुमत नहीं है। इसलिए सांसदों के इस्तीफे करवाए जा रहे हैं। तीन तलाक का बिल लोकसभा से पास हो चुका है और अब राज्यसभा में पास करवाने की चुनौती है। माना जा रहा है कि भाजपा ने पिछले दिनों जो रणनीति अपनाई है उसे देखते हुए तीस जुलाई को ही इस बिल को राज्यसभा से स्वीकृत करवा लिया जाएगा। केन्द्र में भाजपा समर्थन देने वाले जेडीयू ने पहले ही कह दिया है कि वह मत विभाजन के समय सदन में उपस्थित नहीं रहेगी। भाजपा ने ऐसे और दलों को तैयार किया है जो मत विभाजन के समय सदन में उपस्थित नहीं रहेंगे। इससे बिल को पास कराने की राह आसान हो जाएगी। वहीं भाजपा ने अपने सांसदों को विप जारी कर उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं, हो सकता है कि कुछ दलों के सांसद अपनी मर्जी से राज्यसभा में अनुउपस्थित रहे। 
कांग्रेस अब अतीत की पार्टी- संजय सिंह:
तीस जुलाई को मीडिया से संजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस अब अतीत की पार्टी हो गई है। पार्टी में पूरी तरह संवादहीनता है। उन्होंने माना कि गांधी परिवार से उनके पारिवारिक संबंध रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से अब उनके विचार कांग्रेस से नहीं मिल रहे हैं। आज पूरा देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ खड़ा है। इसलिए मैं भी अब मोदी के साथ हंू। उन्होंने कहा कि 31 जुलाई को वे भाजपा में शामिल होंगे। भाजपा में शामिल होने पर उन्होंने कोई शर्त नहीं लगाई है। वे और उनकी पत्नी अमिता सिंह स्वेच्छा से भाजपा में शामिल हो रहे हैं। संजय सिंह के कांग्रेस छोडऩे से कांग्रेस को अमेठी में जोरदार झटका लगा है। हालांकि राहुल गांधी अमेठी से लोकसभा का चुनाव हार गए, लेकिन संजय ङ्क्षसह के कांग्रेस छोडऩे से अमेठी में राहुल गांधी की स्थिति और कमजोर होगी। संजय सिंह के इस कदम को कांग्रेस को बड़ा झटका माना जा रहा है। सूत्रों की माने तो जिस तरह संजय सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया है वैसी स्थिति और नेताओं के बीच भी है, हो सकता है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के कई बड़े नेता इस्तीफा दे दें। कांग्रेस में इस समय शीर्ष नेतृत्व नहीं है। राहुल गांधी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रखा है और अभी तक भी नया अध्यक्ष नहीं बनाया गया है। ऐसे में कांग्रेस में लगातार बिखराब हो रहा है। हरियाणा में जो समन्वय समिति बनाई गई थी उसे पूर्व सीएम भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने नकार दिया है। हुड्डा अब हरियाणा में नए दल के गठन पर विचार कर रहे हैं।
एस.पी.मित्तल


पक्षी-संरक्षण में भी भ्रष्टाचार की घुसपैठ

सुधीर जैन


जगदलपुर। प्रदेश के राज्य पक्षी के रूप में घोषित बोलने वाली पहाड़ी मैना की आबादी बढ़ाने की बीते वर्षों में कई कोशिशें की जा रही हैं और इसकी संख्या बढ़ाने पिछले चार वर्षों में ही 25 लाख रूपए शासन के कोश से खर्च किए गए लेकिन यहां पर बनाये गये वन विद्यालय परिसर में बने रेस्क्यू सेंटर में पहाड़ी मैना की संख्या में वृद्धि के बजाय हृास देखा गया। जानकारी के अनुसार पहले जहां चार मैना की देखभाल और आहार की व्यवस्था की गई थी, वहीं इसे जारी रखते हुए हर साल लाखों रुपये का खर्च किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इसी सिलसिले में पहाड़ी मैना के संरक्षण और संवर्धन को लेकर जहां वन विभाग ने एक अलग से योजना बना कर कार्य शुरू किया था, लेकिन इस योजना के सकारात्मक परिणाम सामने नहीं दिखे और अब यही खानापूर्ति के रूप में दिख रहा है।


जर्जर:सरिया बाहर निकले, हिल रहा है पुल

बारिश व भारी वाहनों के दबाव से जर्जर होकर हिलने लगा पुल,सरिया बाहर आने से हादसे का भय


कोरबा ! पाली से कटघोरा-डूमरकछार मार्ग पर गांजरनाला में निर्मित पुल के जर्जर होने व सरिया बाहर आने से लगातार हादसे का भय बना हुआ है।यह पुल राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 111 पर निर्मित है जो बिलासपुर से कोरबा जिला तक पहुँचने का प्रमुख माध्यम है।साथ ही अन्य जिलों को भी जोड़ने का मुख्य बिंदु है।लेकिन रोजाना सैकड़ो भारी वाहनों के आवाजाही एवं बारिश के फलस्वरूप उक्त पुल अत्यंत जर्जर हो चुका है एवं इसमें बड़े-बड़े गड्ढे होने की वजह से सरिया बाहर आ गए है।जो खतरनाक साबित हो रहे है।वहीं भारी वाहनों के गुजरने पर पुल अब हिलने भी लगा है।


ज्ञात हो कि कोरबा कोल फील्ड्स एरिया है।जहाँ संचालित दर्जन भर खदानों में नियोजित सैकड़ो भीमकाय भारी वाहन कोयला लोड कर अपने गतव्यं के लिए निकलती है।जहाँ इस पुल पर से गुजरने वाले भारी वाहनों की आवाजाही से पुल क्षतिग्रस्त होकर बड़े-बड़े सरिया बाहर झांक रहे है।जिस कारण अनेको दोपहिया वाहन चालक सरिया के चपेट में आने से अबतक बाल बाल बचे है।दूसरी ओर पुल कमजोर होकर बड़े वाहनो के गुजरने पर अब हिलने भी लगा है।जिसके कारण वाहन चालक वर्तमान में आवागमन हेतु 70 वर्ष पूर्व से निर्मित पुराने पुल का उपयोग कर रहे है। 


उल्लेखनीय है कि वर्ष 2013-14 में निर्मित यह पुल समय पूर्व ही जर्जर हो गया और भारी वाहनों के चलने से कई स्थानों में कांक्रीट उखड़कर बड़े-बड़े गड्ढे में तब्दील हो गए हैं।तथा सरिया निकल आने से इसकी मजबूती भी कमजोर होने लगी है।जिसके कारण पुल हिलने लगा है।लेकिन इस दिशा पर अभी तक प्रशासन द्वारा ध्यानाकर्षित नही किया जा सका है।इस प्रकार यदि पुल की जर्जर स्थिति को देखते हुए समय पर नही सुधारा गया तो कभी भी बड़े हादसे की आशंका व्यक्त की जा रही है।


आरोप:जय श्रीराम ना बोलने पर लगाई आग

वाराणसी में झुलसे किशोर की इलाज के दौरान मौत, पिता का आरोप- 'जय श्रीराम' न बोलने पर लगाई बेटे को आग


वाराणसी ! उत्तर प्रदेश के चंदौली में सैयदराजा नगर से सटे छतेमपुर गांव के समीप रविवार सुबह 5.20 बजे टहलने निकले किशोर को कुछ अराजक तत्वों ने जला दिया, जिसका इलाज वाराणसी के शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय अस्पताल में चल रहा था। मंगलवार सुबह करीब 7.50 बजे उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।


जानकारी के मुताबिक चंदौली के सैयद राजा में तीन दिन पहले झुलसे किशोर खालिक (16) की मंडलीय अस्पताल में इलाज के दौरान मंगलवार सुबह मौत हो गई।इससे पहले बर्न वार्ड के बेड नंबर 10 पर भर्ती खालिक के पिता जुल्फिकार ने सोमवार को आरोप लगाया था कि रविवार सुबह घर से दूर ले जाकर कुछ अराजक तत्वों ने बेटे खालिक से जबरन 'जय श्रीराम' बोलने को कहा।


राजस्थान में बढ़ रही है रेप की वारदात

राजस्थान में लगातार हो रही गैंगरेप और रेप की वारदातों ने आमजन को खौफजदा कर दिया


जयपुर ! करीब तीन माह पहले अलवर के थानागाजी से शुरू हुआ यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है! आए दिन हो रहे गैंगरेप की वारदातों के बीच इन घटनाओं के वायरल किए जा रहे वीडियो और तस्वीरों ने पुलिस की परेशानी को और बढ़ा दिया है!


बैखौफ हो रहे हैं अपराधी


पुलिस भले ही दुष्कर्मियों को ढूंढ-ढूंढकर पकड़ रही हो, लेकिन वे बैखौफ हो रहे हैं! अलवर के बाद पाली, बीकानेर, जोधपुर, चूरू और बाड़मेर समेत विभिन्न जिलों में गैंगरेप की वारदातें लगातार हुई हैं! इन जिलों में हुई वारदातों में से चार वारदातों में आरोपी घटना के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल कर चुके हैं! इनमें से दो वारदातों का तो परिजनों को पता ही सोशल मीडिया में वायरल हुई तस्वरों से ही चला! घर की बेटियों की ऐसी तस्वीरें देखकर उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई!


थानागाजी (अलवर)
26 अप्रैल को गैंगरेप की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपियों में से अशोक और महेश ने दम्पति को सड़क पर रोका था! उसके बाद दोनों ने अपने साथियों को बुलाकर विवाहिता के पति को बंधक बना लिया! बाद उसके सामने ही उसकी पत्नी से गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया था! इस दौरान आरोपियों ने घटनाक्रम का वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया में वायरल कर दिया! इस केस को लेकर प्रदेश में राजनीति भी चरम पर पहुंच गई थी!


देचू (जोधपुर)
23 जून को सामने आई इस वारदात में पीड़िता ने इस संबंध में देड़ा गांव निवासी रुगाराम गर्ग के खिलाफ मामला दर्ज कराया है! आरोपी ने गत 15 जून को उसके साथ जबर्दस्ती की और इसके फोटो खींच लिए! बाद में आरोपी ने अश्लील फोटो को सोशल मीडिया में वायरल कर दिया!


बालोतरा (बाड़मेर)
यहां वारदात का शिकार हुई पीड़िता 16 वर्ष की है! चार युवकों ने काफी समय पहले पीड़िता से गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया था! उस दौरान उसका अश्लील वीडियो बना लिया और फोटो खींच लिए! आरोपी लंबे समय से पीड़िता को ब्लैकमेल कर रहे थे! उसके बाद आरोपियों ने गत 15 जुलाई को इस अश्लील वीडियो को सोशल मीडिया में वायरल कर दिया!


बड़ौदा मेव (अलवर)
यह वारदात 17 जुलाई को हुई थी! यहां एक गांव निवासी 14 वर्षीय किशोरी को दोपहर में करीब 12 बजे उसके पड़ोस की रहने वाले जैकम की पत्नी रौनक अपने घर बुलाकर ले गई थी! वहां रौनक ने अपने घर में किशोरी को पहले से सीढ़ियों में बैठे अपने परिचित राहुल के सुपुर्द कर दिया. उसके बाद राहुल ने कथित रूप से किशोरी से रेप किया! इस दौरान जैकम पहले से छत पर मौजूद था! उसने इस दौरान मोबाइल से किशोरी की अश्लील फोटो खींच ली और वीडियो बना लिया! बाद में इस वारदात की तस्वीरों को भी वायरल कर दिया गया!
संवाददाता योगेन्द्र द्विवेदी


सड़क पर घूम रहे आवारा जानवर बने मुसीबत

सड़क पर घूम रहे आवारा जानवर बने मुसीबत


औरैया,दिबियापुर !औधोगिक नगरी दिबियापुर में प्रशासन की लापरवाही से प्रमुख सड़कों पर आवारा जानवरों के झुंड अभी भी नजर आ रहे हैं। शासन प्रशासन इन्हें शरण देने के लिए गोशालाओं का निर्माण करने में जुटा है, लेकिन इन्हें वहां पर तक ले जाने में नगर पंचायत के अधिकारी व कर्मचारी रुचि नहीं ले रहे हैं। गोवंश की होने वाली अचानक दौड़ भाग राहगीरों व कस्बावासियों के लिए सिरदर्द बनी हुई है। कब कोई हादसा हो जाए, कहा नहीं जा सकता। डीएम का इन्हें गोशाला पहुंचाने का आदेश कारगर साबित होता नहीं दिखाई पड़ रहा है।
कस्बा के फफूंद चौराहे, बेला रोड, स्टेशन रोड सहित अन्य प्रमुख सड़कों पर जानवरों के झुंड देखे जा सकते हैं। अचानक भागदौड़ राहगीरों को हादसे का शिकार बनाती है। भाजपा नेता हिमांशु दीक्षित, व्यापारी नेता अजय गुप्त पैराडाइज, सामाजिक कार्यकर्ता कुलदीप पोरवाल ने नगर पंचायत व जिला प्रशासन को इस समस्या से अवगत कराने के लिए सोशल मीडिया के माध्यम से फोटो वायरल किया लेकिन सब कुछ व्यर्थ साबित हो रहा है। इनकी संख्या में दिनों दिन बढ़ोतरी हो रही है। जिलाधिकारी की नगर पंचायत को दी गई हिदायत पर दो ट्रक गोवंश दूसरी गोशालाओं में भेजने की पुष्टि नगर पंचायत प्रशासन ने की थी, लेकिन जानवरों की बढ़ती संख्या व दिखाई पड़ने वाले झुंड उनके दावे की पोल खोलते नजर आ रहे हैं। दो दिन पूर्व मंडी समिति के बाइक सवार सब्जी आढ़ती सफी जानवर से टकराकर घायल हो गए। कमर में गंभीर चोट होने की वजह से कानपुर में इलाज चल रहा है। पिछले सप्ताह भी आपस में लड़ रहे दो गोवंश की चपेट में आकर एक वृद्ध बुरी तरह से घायल हो गये थे ।


प्रणव मुखर्जी होंगे भारत-रत्न से सम्मानित

भारत रत्न से नवाजे जायेंगे प्रणव मुखर्जी, 8 अगस्त को राष्ट्रपति करेंगे सम्मानित



नई दिल्ली । पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को 8 अगस्त को राष्ट्रपति के हाथों भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान (भारत रत्न) से सम्मानित किया जाएगा। कांग्रेस नेताओं ने प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिए जाने के फैसले का स्वागत किया था। भारत रत्न मिलने के ऐलान के बाद प्रणब मुखर्जी ने अपने संदेश में कहा था कि, 'मैं भारत के लोगों के प्रति पूरी विनम्रता और कृतज्ञता की भावना के साथ इस महान सम्मान भारत रत्न को स्वीकार करता हूं। मैंने हमेशा कहा है और मैं दोहराता हूं कि मुझे अपने महान देश के लोगों से उससे कही अधिक मिला है जितना मैंने उन्हें दिया है।'
 प्रणब मुखर्जी यूपीए सरकार के प्रमुख 'संकटमोचक' मने जाते थे! बता दे, प्रणब मुखर्जी जुलाई 2012 से जुलाई 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे। इसके पहले उन्होंने वित्त, रक्षा और विदेश जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली थी। साल 2004 से 2012 तक केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार में उन्हें प्रमुख 'संकटमोचक' माना जाता था। मुखर्जी 1982 में 47 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के वित्त मंत्री बने थे। वर्ष 2004 से उन्होंने तीन महत्वपूर्ण मंत्रालयों विदेश मंत्रालय, रक्षा और वित्त मंत्रालय का कामकाज संभाला था। 'प्रणब दा' के नाम से मशहूर मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के राष्ट्रपति रहे थे!


प्रियंका को अध्यक्ष पद संभालना चाहिए:शशि

प्रियंका गांधी को अध्यक्ष पद संभाल लेना चाहिए : शशि थरूर



नई दिल्ली । कांग्रेस में फिर उठने लगे है कि प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस अध्यक्ष पद संभाल लेने की मांग। उनमें एक नैसर्गिक करिश्मा' है और पार्टी के नए अध्यक्ष पद के लिए सबसे बढिया उम्मीदवार हैं।


राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद से नेतृत्व को लेकर कांग्रेस पर घातक प्रभाव !अबकी बार मांग पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरुर ने की है। उन्होंने माना कि राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद से नेतृत्व को लेकर कांग्रेस पर घातक प्रभाव पड़ रहा है। अब कांग्रेस कार्य समिति की सदस्यता समेत सभी प्रमुख पदों पर आवेदन मंगवाकर और नए सिरे से चुनाव करवाकर ही नए नेतृत्व को वैधता प्रदान की जा सकती है। उन्होंने आगे पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की बात का समर्थन करते हुए कहा कि युवा को ही कांग्रेस के अध्यक्ष पद संभालना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर का मानना है कि प्रियंका गांधी में 'नैसर्गिक करिश्मा' है और वह पार्टी के नए अध्यक्ष पद के लिए सबसे मुफीद उम्मीदवार हैं। उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि कांग्रेस जिस मोड़ पर खड़ी है, वहां पार्टी के अध्यक्ष पद पर कोई युवा चेहरा ही सबसे उपयुक्त होगा!


सातवीं के छात्र ने तैयार किए एप्स

7 वीं कक्षा के विद्यार्थी ने  वाहन को चोरी होने से बचाने के लिए पेटेंट ऐप


नई दिल्ली । महाराष्ट्र के सातवीं कक्षा के एक छात्र ने कुछ एप तैयार किए हैं। उसका दावा है कि ये सड़क दुर्घटना तथा वाहनों की चोरी रोकने के काम आएंगे। वह सिर्फ 12 साल का है। अब तक पेटेंट के लिए चार आवेदन कर चुका है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने महाराष्ट्र के इस प्रतिभावान छात्र बीएस रेवंत नंबुरि से मुलाकात की और उसकी प्रस्तुति को देखा। गडकरी ने उसकी प्रौद्योगिकी को इस्तेमाल में लाने में हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। रेवंत नागपुर के माउंट लिटेरा जी स्कूल में सातवीं कक्षा में पढ़ता है!


 रेवंत ने कहा, उसकी प्रौद्योगिकी वृहद स्तर पर लोगों को फायदा पहुंचा सके, यही सोचकर पेटेंट के लिए आवेदन किया गया है ताकि इन्हें सरकार या किसी निजी निकाय को हस्तांतरित किया जा सके। हालांकि इन APP को अभी तकनीकी मंजूरी नहीं मिली है।


एप में यह खासियत
एप में सीट बेल्ट सेंसर, ब्रीथएनालाइजर, हर्ट रेट एनालाइजर और CPU शामिल है, जो सूचनाओं को जमा करता है। अधिकारियों को सावधान करता है। दूसरा APP क्यूआर कोड पर आधारित है तथा बिना नेटवर्क कनेक्टिविटी के कहीं भी डाटा या दस्तावेज का प्रिंट निकालने की सुविधा देता है। एक अन्य पेटेंट वाहनों की चोरी रोकने से संबंधित है। यह एक की (चाबी) है जिसमें सिम लगा है।


बाघों की घटती संख्या का जिम्मेदार

बिलासपुर ! विश्व बाघ दिवस पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने दिल्ली में बाघों की गणना की रिपोर्ट जारी की है जिसमे 2015 में पूरे देश मे इस समय 2967 बाघ होने की पुष्टि कर दी गई है।और मध्यप्रदेश को टाईगर स्टेट का दर्जा घोषित किया गया है।
सबसे चौकाने वाली रिपोर्ट जो आई है वह यह कि छतीसगढ़ में चार साल पूर्व 46 टाइगर रहे और अब 19 टाइगर है, याने 33 फीसद कम बताई गई है। इस पर म.प्र. एवं छत्तीसगढ़ के वन्यप्राणी सलाहकार रहे प्राण चड्डा ने भी इसे गम्भीर बताते हुए प्रतिक्रिया ब्यक्त करते हुए  कहा कि मैं भी इस चौकाने वाले रिपोर्ट से हतप्रभ हूँ ऐसा क्या हुआ कि वर्ष 14 की गणना में जहाँ एक ओर 46 बाघ रहे है , अब वही दूसरी ओर 18-19 की रिपोर्ट में 19 बाघ बताती है ! मतलब 33 प्रतिशत कम है इसके लिए छतीसगढ़ के वन विभाग को बधाई देवे अथवा कोसा जाए समझ में नहीं आता! चार बरस 2014 की गणना में 46 टाइगर से 19 कैसे रह गए ? याने चार साल में 27 टाइगर कम हो गए। अब दो ही बात है, या तब की गिनतीं फर्जी थी तो इसका जिम्मेदार कौन ? और गिनती सही थी तो 27 टाइगर कहां गए ? इसका जवाबदार आखिर कौन है ?
वन विभाग बड़ा अद्भुत है। कोई जवाब मिले इसकी आस कम ही है। पर यह तय है कि टाइगर बचने-बढ़ाने में हम फिसड्डी रहे है ! लगता है कि छतीसगढ़ में 19 टाइगर का निवास नहीं बल्कि इसमे प्रवासी टाइगर भी शामिल होंगे? बीते दिसम्बर माह में यह हमें देखने को मिला कि अचानकमार टाइगर रिजर्व में एक टाइगर को जिप्सी सफारी के साथ साथ सड़क पर चलते देखा गया है, जबकि अचानकमार टाइगर का बाघ तो कतई नही हो सकता है!इसके पीछे का गणित यह है कि यहाँ के टाइगर यदि है तो इस तरह के नेचर के नही हो सकते क्योंकि अभी अभ्यस्त नही हुए है तो हम कह सकते है कि नेचर यहां के टाइगर का नहीं हो सकता है ? माना जा सकता है की कॉरिडोर से इन टाइगरों का आना जाना कान्हा से लगा रहता है वहीं का हो सकता है जिसे हम गिनती कर लिए है।
(इस बार सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व तमिलनाडु को देश का सबसे उत्तम टाइगर रिजर्व घोषित किया गया।) म.प्र
में 18-19 कई गणना में 526 बाघ की गिनती की गई है! जबकि वर्ष 14 में 308 बाघ थे, इस प्रकार 70 प्रतिशत ज्यादा बाघ बढ़ गए है!


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