अफसरों और शराब की आय के सामने धरी गई गांधीवादी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणा। विश्व विख्यात तीर्थ रामदेवरा नहीं हो सका शराब मुक्त। जैसलमेर के कलेक्टर किसी की नहीं सुनते। 7 अगस्त से फिर शुरू होगा आंदोलन।
जयपुर ! राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की छवि गांधीवादी और शराब विरोधी है, लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि गहलोत की घोषणा के बाद भी विश्वविख्यात तीर्थ स्थल रामदेवरा शराब मुक्त नहीं हो सका है। उल्टे प्रशासन के अधिकारी आंदोलन करने वालों को डरा धमका रहे हैं। रामदेवरा में लोक देवता बाबा रामदेव की समाधि है। यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। हिन्दू ही नहीं मुसलमान भी बाबा रामदेव के प्रति अकीदत रखते हैं। वार्षिक मेले पर तो रामदेवरा में पैर रखने की जगह नहीं होती है। राजस्थान ही नहीं देशभर से श्रद्धालु मेले में आते हैं। बर्फानी बाबा अमरनाथ की यात्रा की तरह मेले के दौरान राजस्थान भर में बाबा रामदेव के यात्रियों के लिए भंडारे लगते हैं। ऐसे पवित्र तीर्थ स्थल पर शराब की बिक्री न हो, इसको लेकर इसी वर्ष 20 फरवरी से 7 मार्च तक रामदेवरा में आंदोलन किया गया। धरना, क्रमिक अनशन के बाद आमरण अनशन की शुरुआत शराब मुक्त रामदेवरा संघर्ष समिति की ओर से की गई। समिति के अध्यक्ष आनंद सिंह तंवर, खेतराम शर्मा और घनश्याम चारण चार दिनों तक आमरण अनशन पर रहे। तभी सात मार्च को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का दौरा हुआ। दौरे के दौरान ही पता चला कि रामदेवरा तीर्थ को शराब मुक्त करने के लिए आमरण अनशन हो रहा है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी गांधीवादी और शराब विरोधी छवि को प्रदर्शित करते हुए अनशन स्थल पर पहुंच गए। गहलोत ने कहा कि जब रामदेवरा के लोग शराब की बिक्री नहीं चाहते हैं तो फिर सरकार को यहां शराब बेचने का हक नहीं है। यदि बाबा रामदेव का तीर्थ स्थल शराब मुक्त होता है तो यह मेरे लिए बहुत अच्छी बात है। अनशन स्थल पर ही गहलोत ने जैसलमेर प्रशासन को शराब की चारों दुकानें हटाने के निर्देश दिए। तब यह तय हुआ कि शराब की दुकानें रामदेवरा से तीन किलोमीटर दूर खोली जाएं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अनशनकारियों को जूस पिला कर आंदोलन खत्म करवाया। रामदेवरा के लोगों को उम्मीद थी कि अब यहां शराब की बिक्री नहीं होगी। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि आज भी रामदेवरा में शराब की बिक्री हो रही है। एक अप्रैल से नए वित्तीय वर्ष में दुकानों को इधर-उधर कर चारों दुकानें यथावत रखी गई है। रामदेवरा के नागरिक अप्रैल में ही आंदोलन करना चाहते थे, लेकिन जैसलमेर के शराब समर्थक और मुख्यमंत्री की गांधीवादी छवि को बिगाडऩे वाले प्रशासन ने नोटिस जारी कर डरा दिया। प्रशासन की ओर से कहा गया कि यदि लोकसभा चुनाव की आचार संहित के दौरान आंदोलन किया गया तो आंदोलनकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही होगी। यानि जिस प्रशासन को मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करना था वो ही प्रशासन लोगों को डराने में लग गया। लोकसभा चुनाव के बाद रामदेवरा के लोगों ने मुख्यमंत्री सचिवालय में नियुक्त संवेदनशील आईएएस आरती डोगरा से लेकर जैसलमेर के कलेक्टर नमित मेहता तक से सम्पर्क कर लिया, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। आरती डोगरा मानती है कि जैसलमेर प्रशासन को मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल करना चाहिए, लेकिन जैसलमेर प्रशासन के सामने सीएमओ भी बेबस हैं। संघर्ष समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि कलेक्टर नमित मेहता तो बात ही नहीं करते हैं। रामदेवरा के लोगों को उम्मीद थी कि जैन धर्म के होने के कारण नमित मेहता शराब की दुकानें बंद करवाने में रुचि दिखाएंगे, लेकिन हालातों को देखकर उम्मीदों पर पानी फिर गया है। सवाल यह है कि जब मुख्यमंत्री की घोषणा पर अमल नहीं हो रहा है तो फिर अफसरशाही किसका आदेश मानेगी?
7 अगस्त से आंदोलन की घोषणा:
30 जुलाई को संघर्ष समिति के अध्यक्ष आनंद सिंह तंवर ने मुख्यमंत्री गहलोत को पत्र लिखा है। इस पत्र में उनके वायदे को याद दिलाते हुए कहा गया है कि सात दिन में रामदेवरा को शराब मुक्त नहीं किया गया तो फिर से जनआंदोलन शुरू किया जाएगा। आंदोलन के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9571202223 पर आनंद सिंह तंवर व 9636542600 पर रानीदान से ली जा सकती है।
आखिर सीएमओ के अफसार क्या कर रहे हैं?:
मुख्यमंत्री सचिवालय में तैनात अफसरों की यह जिम्मेदारी होती है कि मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर अमल करवावें। सचिवालय ही यह ध्यान रखता है कि मुख्यमंत्री कब और कहां घोषणा की है। सवाल उठता है कि सीएमओ में तैनात अफसर क्या कर रहे हैं? जबकि आबकारी और वित्त मंत्रालय भी मुख्यमंत्री के पास ही है। सीएमओ में जो आईएएस आबकारी विभाग के कामकाज देखता है क्या रामदेवरा की घोषणा पूरी करने की जिम्मेदारी इस अधिकारी की नहीं है? या फिर सीएमओ के अधिकारी अपने मुख्यमंत्री की छवि खराब करने में लगे हुए हैं।
एस.पी.मित्तल
मंगलवार, 30 जुलाई 2019
धरी रह गई मुख्यमंत्री गहलोत की घोषणा
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