मंगलवार, 23 जुलाई 2019

भ्रष्टाचार का नरक निगम बना:ग्वालियर

भ्रष्टाचार का "नरक" निगम ग्वालियर 
ठेंगे पर सूचना का अधिकार ?
घोटाले और भ्रष्टाचार छुपाने की नियत से नहीं देते आरटीआई के तहत जानकारी !
ग्वालियर ! महानगर ग्वालियर को विकसित और स्मार्ट सिटी बनाने की जिम्मेदारी नगर निगम ग्वालियर की है l जहां एक ओर शहर के विकास कार्यों तथा मूलभूत सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारी विभिन्न योजनाओं में भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी करके अपने घर भर रहे हैं, ग्वालियर नगर निगम में शायद ही ऐसा कोई अधिकारी हो जो करोड़ों और अरबों की आसामी ना हो अब सवाल यह उठता है कि शासन यह सब नजारा आंख बंद कर क्यों देख रहा है और तमाम भ्रष्टाचार विरोधी जांच एजेंसियां भी आखिरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है ? आखिरकार भ्रष्ट अधिकारियों की शिकायतें जांच के नाम पर लंबित क्यों की जाती है ? यहां यह बताना लाजमी होगा कि दरअसल नगर निगम ग्वालियर निगमायुक्त अनय द्विवेदी के जाने के बाद से आमजन के पसीने का पैसा भ्रष्टाचार करके अधिकारियों के माध्यम से मंत्रियों के घर भरने का अड्डा बन गया है l यह ही नहीं जांच एजेंसियां भी भ्रष्टाचार की शिकायतों को जांच के नाम पर टरका कर शासन की जी हुजूरी कर रही हैं ,तो आखिर ऐसे में भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कौन करें ? नगर निगम ग्वालियर में जो जितना बड़ा भ्रष्ट अधिकारी है उसे उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी से नवाजा जाता है इसका सीधा मतलब है कि मामला ऊपर तक सेट है l यही कारण है कि किसी भी योजना और निर्माण के संबंध में आमजन को सूचना का अधिकार के तहत जानकारी देने से बचते हैं नगर निगम के अधिकारी ! 


*यह जानकारी नहीं दे रहे*- विगत दिनों आरटीआई के तहत आवेदक जितेंद्र सिंह नरवरिया के द्वारा नगर निगम से निम्न जानकारी मांगी गई है !  जानकारी उपलब्ध होने पर करोड़ों के भ्रष्टाचार का खुलासा हो सकता है,  जिनकी अपील राज्य सूचना आयोग तक  की जाने के बाद भी जानकारी नहीं दी जा रही है -  
(1) वार्ड क्रमांक 8 व 15 में विगत तथा वर्तमान पंचवर्षीय कार्यकाल में स्वीकृत सभी निर्माण तथा मरम्मत कार्यों के संबंध में जानकारी चाही गई थी जिसमें भ्रष्टाचार होने के कारण उपलब्ध नहीं कराई गई है l
(2) इसी प्रकार आवेदक के द्वारा नगर निगम ग्वालियर में पदस्थ भ्रष्ट इंजीनियरों पवन सिंघल, प्रदीप वर्मा तथा हंसीन अख्तर सहित सभी की पदस्थापना, शैक्षणिक योग्यता व अर्जित चल अचल संपत्ति की जानकारी चाही गई थी जिससे इनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और काली कमाई की कलई खुल सकती है इसलिए जानकारी नहीं दी जा रही है जबकि यह सब जानकारी शासन के नियमानुसार इन अधिकारियों को वेबसाइट पर डालनी होती है l
(3) आवेदक के द्वारा विगत 1 जनवरी 2014 से 31 दिसंबर 2018 तक 5 वर्षों में विभिन्न आवासीय योजनाओं के तहत आवंटित आवासों की सूची व लाभार्थियों के संबंध में चाही गई जानकारी भी इसलिए उपलब्ध नहीं कराई जा रही है क्योंकि उक्त मामले में भी अधिकारियों ने जमकर रेवडिया बटोरी हैं ?
(4) इसी प्रकार हजीरा चौराहे पर तानसेन प्लाजा के बगल में वर्षों पुराने लाखों की लागत से बने सरकारी शौचालय को विगत दिनों तोड़े जाने के संबंध में जानकारी नहीं दी जा रही है क्योंकि इस मामले में निगम अधिकारी फंसते नजर आ रहे हैं l
(5) आवेदक के द्वारा विगत दिनों नगर निगम ग्वालियर के द्वारा बनाए और तोड़े गए साइकिल ट्रैक के संबंध में भी जानकारी इसलिए नहीं दी जा रही है कि जनता के करोड़ों रुपए की बर्बादी की जिम्मेदारी कौन ले l
उक्त मामले में आवेदक के द्वारा मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग भोपाल तक अपील की जाने के बावजूद भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है इससे स्पष्ट होता है कि वर्तमान कांग्रेस सरकार से सुशासन की उम्मीद करना बेहद नासमझी होगी ?


टैंक में गिरने से मासूम की मौत

टैंक में गिरने से मासूम बच्ची की मौत
          बुलंदशहर। प्रदेश के बुलंदशहर में मंगलवार सुबह उस वक्त मातम छा गया जब कल शाम से गायब एक दो साल की बच्ची का शव घर के ही टैंक में तैरता मिला। जानकारी के अनुसार बच्ची खेलते हुए टैंक में गिर गई थी।   बुलंदशहर के डिबाई नगर के मोहल्ला हसियागंज में सत्येंद्र कुमार के मकान में टैंक का निर्माण हो रहा है। इस बीच उनकी बेटी दिव्यांशी उर्फ परी (2 वर्ष) सोमवार शाम से घर से गायब थी। परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी, पूरी रात उसे ढूंढा लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। आज सुबह जब टैंक में किसी ने झांका तो बच्ची परी का शव टैंक में तैरता मिला। 
यह खबर जैसे ही घर के अन्य लोगों  तक पहुंची तो कोहराम मच गया। खोई बच्ची इस तरह मिलेगी यह किसी को अंदाजा नहीं था।


सांकरा के जंगलों में देखा गया पैंगोलिन

सांकरा के जंगलों में देखा गया दुर्लभ प्राणी पेंगोलिन, दवा बनाने के लिए की जाती है तस्करी


पिथौरा ! दुलर्भ जीव पैंगोलिन महासमुंद जिले के सांकरा थाना अंतर्गत ग्राम लालमाटी के जंगलों में देखने को मिला! लोगों ने इस पैंगोलिन को पकड़ के एक प्लास्टिक के ड्रम में रख लिया था और फिर उसका विडियो सोशल मिडिया में देखने को मिला! बताया जा रहा है कि गाँव वालों ने वापस इसे जंगल में छोड़ दिया! 


इस वीडियो को जब एसडीओ मयंक पाण्डेय से साझा किया तो उन्होंने इसके पैंगोलिन होने की पुष्टि की और कहा कि इसकी जानकारी पिथौरा वन विभाग को देंगे!यह जीव भारतीय उपमहाद्वीप में केवल कोरबा, अमरकंटक, अंबिकापुर के जंगलों में पाया जाता है! ये बहुत शर्मीले स्वभाव का होता है! गोल, लंबी तथा लसलसी जीभ होती है! इसके शरीर पर बालों के गुच्छे (कैरेटाइन) सख्त होकर सेल में रुपांतरित होकर रक्षा कवच बनाते हैं!


यह जीव खतरे की आशंका को भांपते हुए खुद को कुंडली मार कर छिपा लेता है! भारत में यह प्रजाति संरक्षित है क्योंकि उसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची प्रथम में रखा गया है!


जानकारी के मुताबिक भारतीय पैंगोलिन फिलहाल दुनिया का सबसे ज्यादा तस्करी किया जाने वाला जानवर है! पैंगोलिन का उसके शल्कों और मांस के लिए शिकार किया जाता है! इसका सबसे बड़ा बाजार चीन है! चीन में बड़े पैमाने पर इसके मांस से पौरुष शक्ति दवाएं बनाई जाती हैं!


भूमाफिया कर रहे हैं अवैध कब्जा

लखीमपुर खीरी ! जनपद लखीमपुर खीरी के थाना निघासन में योगी सरकार को ताक पर रख कर भू-माफिया लाचारो व मजबूरों से जबरन जमीन छीनकर अपना कब्जा काबिज कर रहे हैं! बताते चलें कि थाना निघासन के ग्राम सभा दुबहा निवासी मोहम्मद गुलफाम पुत्र मोहम्मद हनीफ ने अपने सगे नाना अलीबक्श पुत्र दुल्ला निवासी दुबहा से दिनांक 11जून अपने घर के पास की जमीन जिसका क्षेत्रफल 6998 वर्ग फीट का बैनामा कराया था! जबकि पीड़ित ने सरकारी मालिक के अनुसार बैनामा तहसील निघासन में सगे नाना को उस जमीन की धनराशि देकर कराया था! परंतु विपक्षी गणों जैसे शमीम बानो पत्नी आबिद निवासी झंडी व यासीन पुत्र इब्राहिम मोबीन पुत्र इब्राहिम तथा अन्य इसी परिवार के लोगों द्वारा इस जमीन पर जबरन कब्जा करना चाहते हैं !कई बार पीड़ित के घर आकर धमकी भी दी! विपक्षियों ने सीधे कहां कि इस जमीन पर कच्चा या पक्का प्रस्ताव किसी प्रकार का किया तो हम लोग आप को जान से मार देंगे! पीड़ित इन बातों को सुनकर बहुत भयभीत हो गया! पीड़ित ने थाना निघासन प्रभारी को प्रार्थना पत्र के माध्यम से आपबीती सुनाई! परंतु वहां से पीड़ित की समस्या का कोई भी समाधान नहीं हुआ! पीड़ित द्वारा उपजिलाधिकारी निघासन को भी जमीन संबंधी सारे प्रकरण की जानकारी दी! परंतु अब तक कोई भी राहत नहीं मिली विपक्षियों द्वारा लगातार पीड़ित व्यक्ति को परेशान किया जा रहा है! जबकि आपको बताते चलें योगी सरकार का फरमान था कि जिसकी जमीन है! उसी को मिलनी चाहिए और जिन भू माफियाओं द्वारा जमीन कब्जा है! उसे हटाया जाए परंतु येसा होता कहीं नहीं दिखाई पड़ा! इससे क्या समझा जाए कि योगी सरकार के फरमान को अधिकारी कर्मचारी कतई मानने को तैयार नहीं है!


आशीष राठौर 


नादान की दोस्ती जी का जंजाल (संपादकीय)


इसे कहते हैं नादान की दोस्ती जी का जंजाल।
कश्मीर मुद्दे पर अमरीका के राष्ट्रपति ट्रंप ने खुद अपना मजाक उड़वाया। 
मोदी ने मध्यस्थता का प्रस्ताव नहीं किया-विदेशी मंत्री।

नई दिल्ली ! भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई बार ऐसा प्रदर्शित करते हैं कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी उनके दोस्त हैं। पिछले दिनों ही जब दोनों की मुलाकात हुई तब भी ऐसा ही दर्शाया गया, लेकिन शायद मोदी यह भूल गए है कि डोनाल्ड ट्रंप पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा जैसे अक्लमंद और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को समझने वाले नहीं है। जब ज्यादा दोस्ताना होता है तो इधर-उधर की बातें भी होती हैं। इधर-उधर की बातों को लेकर ही 22 जुलाई को ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से कह दिया कि कश्मीर के मुद्दे पर भारत के प्र्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे मध्यस्थ की भूमिका निभाने की बात कही है। ट्रंप ने यह बात मीडिया के सामने कहीं, इसलिए बात का बतंगड़ बन गया। ट्रंप के बयान से जहां पाकिस्तान और प्रधानमंत्री इमरान खान खुश हो गए, वहीं भारत ने कड़ा ऐतराज जताया। भारत के विदेश मंत्रलाय ने साफ कहा कि पीएम मोदी ने कभी कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप को मध्यस्थता करने के लिए नहीं कहा। भारत ने अमरीका प्रशासन के सामने भी विरोध जताया। यही वजह रही कि अमरीका के विदेश मंत्रालय को भी कहना पड़ा कि कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय है। अमरीका ने बयान जारी कर कहा दिया कि वह कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता नहीं करेगा। 22 जुलाई को जिस तरह ट्रंप ने मध्यस्थता की बात कही उससे यही प्रतीत होता कि मोदी के लिए नादान की दोस्ती जी का जंजाल है। असल में ट्रंप के पास भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद को समझने की अक्ल ही नहीं है। मोदी ने हाल में लोकसभा का चुनाव राष्ट्रवाद के मुद्दे पर ही जीता है और इसमें कश्मीर समस्या अहम है। भारत पहले भी कह चुका है कि पाकिस्तान की शह पर ही कश्मीर में आतंकी गतिविधियां हो रही हैं। कश्मीर के अलगाववादियों की कमर तोडऩे के लिए अनुच्छेद 370 को हटाने की कोशिश भी की जा रही है। 
संसद में हंगामा:
23 जुलाई को लोकसभा और राज्यसभा में इसी मुद्दे को लेकर हंगामा हुआ। कांग्रेस की ओर से मांग की गई कि डोनाल्ड ट्रंप के बयान का खंडन स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आकर करें। लेकिन सरकार की ओर से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर ट्रंप से मध्यस्थता करने के लिए कभी नहीं कहा। कश्मीर का मुद्दा दोनों देशों की आपसी बातचीत से ही सुलझ सकता है और यह तभी संभव है जब पाकिस्तान सीम पार से आतंकवाद बंद करें। 
मोदी को थरूर का साथ:
कांग्रेस ने भले ही संसद के दोनों सदनों में हंगामा किया, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री मोदी का बचाव किया है। संसद के बाहर थरूर ने मीडिया से कहा कि नरेन्द्र मोदी कभी भी डोनाल्ड ट्रंप के समक्ष मध्यस्थता का प्रस्ताव नहीं कर सकते हैं। थरूर ने कहा कि कश्मीर मुद्दा ट्रंप के समझ में नहीं आ रहा है, इसलिए इस तरह का बयान दिया है।
एस.पी.मित्तल


तीन हजार मदरसों में पढ़ाई ठप:राजस्थान


राजस्थान में सरकारी मदद से चलने वाले तीन हजार मदरसों में पढ़ाई ठप।
पैराटीचर्स हड़ताल पर। कांग्रेस सरकार पर वायदा खिलाफी का आरोप। 
29 जुलाई को विधानसभा घेराव।

जयपुर ! राजस्थान में सरकारी मदद से चलने वाले तीन हजार से भी ज्यादा मरदसों में 22 जुलाई से कामकाज ठप हो गया है। इन मदरसों में पढऩे वाले कोई डेढ़ लाख बच्चे पढ़ाई के साथ साथ पोषाहार से भी वंचित हो गए हैं। सरकार ने इन दिनों खसरा रूबेला के टीके लगाने का अभियान चला रखा है, लेकिन मदरसों के बच्चे इन टीकों से भी वंचित हैं। राजस्थान मदरसा शिक्षा सहयोगी संघ के बैनर तले 22 जुलाई से सात हजार मदरसा पैरा टीचर्स हड़ताल पर चले गए हैं। मदरसों के शिक्षकों में इस बात को लेकर गुस्सा है कि राज्य की कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी वायदे को पूरा नहीं कर रही है। दिसम्बर 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में मदरसा पैरा टीचर्स को नियमित करने का वायदा किया था। लेकिन कांग्रेस की सरकार बन जाने के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट शिक्षकों से संवाद तक नहीं कर रहे हैं। सरकार के इस रुख की वजह से ही प्रदेश भर के मदसा टीचर को हड़ताल पर जाना पड़ा है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष आजम खान ने बताया कि मौजूदा समय में मदरसा टीचर को 7 से 9 हजार रुपए तक का पारिश्रमिक मिल रहा है। जबकि हमारे शिक्षक राज्य सरकार के नियमित शिक्षकों की तरह पोषाहार से लेकर मतदाता सूची तक का कार्य करते हैं। इस परिश्रमिक को हासिल करने के लिए भी प्रति वर्ष वित्तीय विभाग से अनुमति लेनी होती है। कई शिक्षक तो अपने गृह जिले से दूसरे जिलों में नियुक्त है, जिन्हें 9 हजार रुपए में ही गुजारा करना होता है। ऐसे शिक्षक गत 20 वर्षों से मामूली पारिश्रमिक पर काम कर रहे हैं। खान ने कहा कि अब जब तक सरकार हमारी मांगे नहीं मानेगी तब तक हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि मदरसा पैरा टीचर्स को स्थाई नियुक्ति देने में कोई तकनीकी अड़चन है तो टीचर्स का पारिश्रमिक 25 हजार रुपए प्रतिमाह कर दिया जाए। खान ने कहा कि कांग्रेस ने जब वायदा कर चुनाव जीता है तो अब सरकार बनने पर इस वायदे को पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर में 23 जुलाई को लगातार दूसरे दिन भी मदरसा टीचर हड़ताल पर रहे। जिला मुख्यालयों पर पैरा टीचर रोजाना प्रदर्शन कर रहे हैं। आगामी 29 जुलाई को प्रदेश भर के मदरसा टीचर जयपुर में विधानसभा का घेराव करेंगे। सभी शिक्षकों को 29 जुलाई को जयपुर पहुंचने के लिए कहा गया है। हड़ताल के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9413062974 पर आजम खान से ली जा सकती है।
एस.पी.मित्तल


सूख गया बीसलपुर बांध,कहां है नेतानगरी


बरसात नहीं हुई तो क्या होगा अजमेर में पेयजल संकट का? 
31 जुलाई के बाद कहां से लाएंगे पानी?
सूख गया बीसलपुर बांध। कहां है भाजपा और कांग्रेस के नेता?



अजमेर ! सवाल यह है कि यदि बरसात नहीं हुई तो 31 जुलाई के बाद अजमेर में पीने का पानी कहां से आएगा? अजमेर जिले का एक मात्र स्त्रोत बीसलपुर बांध है। इस बांध से ही जयपुर, टोंक और दौसा जिले में पेयजल की सप्लाई की जा रही है। यही वजह है कि 31 जुलाई के बाद बांध में पानी नहीं बचेगा? अब जब मात्र दो दिन का पानी शेष रहा है तब राज्य सरकार के जलदाय विभाग के इंजीनियरों ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की है। क्या 31 जुलाई के बाद अजमेर जिले के लोग प्यासे मर जाएंगे? अजमेर में पहले ही तीन चार दिन में एक बार और ग्रामीण क्षेत्रों में दस दिन में एक बार मात्र 45 मिनट के लिए पेयजल की सप्लाई की जा रही है। बीसलपुर बांध का भराव क्षेत्र चित्तौड़ के आसपास के क्षेत्र हैं। लेकिन अभी तक भी यहां पर्याप्त मात्रा में बरसात नहीं हुई है, इसलिए बांध में बरसात का पानी नहीं के बराबर आया है। इस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और अजमेर जिले से कांग्रेस के दो विधायक हैं। एक रघु शर्मा जो प्रदेश के चिकित्सा मंत्री भी हैं और दूसरे मसूदा के राकेश पारीक। लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी के इन दोनों विधायकों ने अभी तक भी पेयजल संकट पर अपनी चिंता प्रकट नहीं की है और न ही जलदाय विभाग के इंजीनियरों से कोई सीधा संवाद किया है। हालांकि रघु शर्मा सरकार में ताकतवर मंत्री हैं, लेकिन पेयजल संकट पर उन्होंने भी चुप्पी साध रखी है। शायद हाल ही के लोकसभा चुनाव में करारी हार की वजह से कांग्रेस के विधायक नाराज हैं। जहां तक भाजपा के पांच विधायकों का सवाल है तो विपक्ष में होने का बहाना कर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। भाजपा विधायकों का कहना है कि चम्बल नदी का पानी भीलवाड़ा से बीसलपुर बांध तक लाने के लिए गत भाजपा सरकार ने 600 करोड़ रुपए की योजना बनाई थी, लेकिन कांग्रेस सरकार ने बजट में इस योजना के लिए एक रुपया भी स्वीकृत नहीं किया है। कांग्रेस और भाजपा अपनी अपनी राजनीति की वजह से अजमेर के लोगों के सामने प्यासे मरने की स्थिति आ गई है। कोई भी यह बताने का तैयार नहीं है यदि 31 जुलाई तक बरसात का पानी बीसलपुर में नहीं आया तो फिर अजमेर में पानी की सप्लाई कहां से होगी? बीसलपुर बांध के अलावा अजमेर में ऐसा कोई जल स्त्रोत नहीं है जहां से पेयजल की सप्लाई हो सके। असल में अजमेर को प्यास मारने के पीछे सरकारों की भेदभाव पूर्ण नीति रही है। गत वर्ष भी वर्षा कम होने की वजह से बीसलपुर बांध पूरा नहीं भरा था। लेकिन सरकारों ने अजमेर में तो कटौती कर तीन दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई कर दी, जबकि जयपुर में रोजाना सप्लाई को जारी रखा गया। यह क्रम भाजपा के शासन से शुरू हुआ जो दिसम्बर 2018 से कांग्रेस के शासन में भी जारी रहा। यदि जयपुर में भी अजमेर की तरह कटौती की जाती तो बांध में पानी को बचाया जा सकता था। अजमेर की जनता भी धन्य है जो बीसलपुर बांध के सूख जाने पर भी खामोश है।
एस.पी.मित्तल


इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके

इंडोनेशिया में 6.0 तीव्रता का भूकंप, झटके  अखिलेश पांडेय  जकार्ता। इंडोनेशिया के पूर्वी प्रांत मालुकु में सोमवार के तेज झटके महसूस किए गए। इ...