सोमवार, 2 जनवरी 2023

'नोटबंदी' को लेकर मोदी सरकार की आलोचना

'नोटबंदी' को लेकर मोदी सरकार की आलोचना

अकांशु उपाध्याय/कविता गर्ग 

नई दिल्ली/मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस ने नोटबंदी को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की सोमवार को आलोचना की। उनका बयान ऐसे दिन आया है जब शीर्ष अदालत ने 2016 के निर्णय को सही ठहराते हुए कहा कि 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने का फैसला दोषपूर्ण नहीं था। दोनों दलों ने कहा कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार उच्च मूल्य के नोटों को चलन से बाहर करने के फैसले के कारण देश के लोगों को हुई परेशानी के दोष से खुद को बचा नहीं सकती है। राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाईड क्रास्टो ने कहा, “ (उच्चतम न्यायालय) के फैसले के बावजूद, भाजपा सरकार को नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान और विनाशकारी, गलत नियोजित प्रक्रिया के कारण कई लोगों की जान जाने के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि यह कदम कालेधन को उजागर करने में विफल रहा क्योंकि 99 फीसदी पुराने नोट बैंकों में वापस आ गए। क्रास्टो ने सवाल किया, “ काला धन कहां गायब हो गया? बाजार में आज पहले के मुकाबले ज्यादा नोट चलन में हैं।” उन्होंने कहा कि अगर नकद लेन देन को कम करने का विचार था तो ‘डिजिटल भुगतान’ का क्या हुआ? राकांपा प्रवक्ता ने कहा कि यह कदम खराब था और जल्दबाज़ी में उठाया गया था और इसने अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ दी तथा लोगों की जान गई और लोग कई तरह से प्रभावित हुए। कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के प्रवक्ता सचिन सावंत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले में उठाए गए कुछ सवाल "बहुत अहम" हैं।

उन्होंने कहा, “अब यह देखना अप्रासंगिक है कि नोटबंदी कानूनी थी या नहीं। यह निर्णय अमानवीय, बेतरतीब, तानाशाहीपूर्ण था और अपने लक्ष्यों को पूरा करने में कौसों दूर रहा।” सावंत ने नोटबंदी को "मानव निर्मित आपदा" बताते हुए दावा किया कि 500 और 1000 रुपये के 98 प्रतिशत नोट वापस आ गए, 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई और आर्थिक विकास दर 8.1 प्रतिशत से गिरकर लगातार आठ तिमाही तक 3.7 प्रतिशत पर आ गयी जो लोगों को हुई परेशानी की ओर संकेत करता है।

उच्चतम न्यायालय के बहुमत के फैसले से न्यायाधीश बी. वी. नागरत्ना ने अलग राय दी और कहा कि 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला गजट अधिसूचना के बजाए कानून के जरिए लिया जाना चाहिए था क्योंकि इतने महत्वपूर्ण मामले से संसद को अलग नहीं रखा जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को राष्ट्र के नाम संबोधन में 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने के फैसले के बारे में जानकारी दी थी।

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