रविवार, 13 जून 2021

हिंदुस्तान की राजनीति में शीर्ष पायदान पर भाजपा

राणा ऑबराय                  
नई दिल्ली। हिंदुस्तान की राजनीति में आज भाजपा शीर्ष पायदान पर है। प्रधानमंत्री मोदी के बाद उत्तरप्रदेश के सीएम योगी ही हिंदुओ औऱ भाजपा पार्टी के चहेते नेता माने जाते हैं। यूपी में विधानसभा चुनाव बहुत नजदीक है। परन्तु भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने मानो मन बना लिया हो कि योगी से मुख्यमंत्री की कुर्सी ले ली जाए! फिर एक ऐसी घटना घटी 5 जून को सीएम योगी का जन्मदिन था। देश के तमाम लोगों ने उन्हें शुभकामनाएं दीं। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व अन्य नेताओं की भी बधाई आ गई। लेकिन पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा ने कोई ट्वीट नहीं किया। यूपी सहित पूरे देश मे राजनीतिक अटकलबाजी तेज हो गई। मीडिया और सोशल मीडिया दोनों पर शुभकामना न देने को लेकर खूब कयास लगने लगे। 

इन्हीं अटकलों के बीच योगी महाराज जागे। इस बीच अचानक योगी का दो दिवसीय दिल्ली दौरा तय हुआ तो उसे जबर्दस्त मीडिया कवरेज मिला जो स्वाभाविक था। औपचारिक तौर पर इन मुलाकातों को भले ही शिष्टाचार भेंट करार दिया गया, लेकिन यह तो सब जानते हैं कि यह दौरा शिष्टाचार से कहीं ज्यादा था। 90 मिनट में शाह से साधा क्या हित ? सीएम योगी ने गुरुवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि करीब 90 मिनट तक चली इस बैठक में यूपी के राजनीतिक हालात और आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बातचीत की गई। सूत्रों का कहना है कि इस मीटिंग में शाह ने योगी से सबको साथ और विश्वास में लेकर चलने के लिए कहा। साथ ही, विधानसभा चुनाव और प्रदेश की मौजूदा राजनीति से संबंधित तमाम सवाल पूछे। सूत्र बताते हैं कि सीएम योगी ने यूपी में सबकुछ ठीक होने का दावा किया। वहीं, चुनाव के मद्देनजर कुछ योजनाओं के एलान की मांग भी की।

पीएम मोदी से मिलकर मजबूत हुए योगी

सीएम योगी जब पीएम आवास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे तो तमाम सवाल देश के रणनीतिकारों के जेहन में उठने लगे। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच 80 मिनट की इस बातचीत का कोई भी ब्यौरा तो सामने नहीं आया, पर देश के प्रधानमंत्री और देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री के बीच ये लंबी बातचीत भाजपा और देश की राजनीति दोनों के लिहाज से बहुत अहम है। सूत्रों का कहना है कि इस दौरान भी उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा हुई। साथ ही, मंत्रिमंडल विस्तार पर भी मंथन हुआ। गौर करने वाली बात यह है कि पीएम मोदी किसी भी मुख्यमंत्री से इतने लंबे वक्त तक मुलाकात नहीं करते। ऐसे में बैठक की अवधि को देखते हुए माना जा रहा है कि योगी और अधिक मजबूत होकर यूपी लौटे हैं।

नड्डा से 120 मिनट की मुलाकात का क्या मकसद ?
पहले शाह से चर्चा और फिर मोदी से मंथन के बाद जब योगी नड्डा के आवास पर पहुंचे तो भी तमाम सवाल उठने लगे। दरअसल, संगठन के हिसाब से नड्डा सर्वोच्च पद पर हैं। ऐसे में सूत्रों का दावा है कि सीएम योगी ने शाह व मोदी से मार्गदर्शन लिया और उस पर अंतिम मुहर नड्डा से लगवा ली। यही वजह है कि नड्डा और योगी की मुलाकात सबसे लंबी रही। सूत्रों का दावा है कि इस मीटिंग में यह तय हो गया कि उत्तर प्रदेश में न तो सरकार में और न ही संगठन के नेतृत्व में किसी भी तरह का परिवर्तन किया जाएगा। हालांकि, योगी से सहयोगी दलों को भी महत्व देने की बात कहे जाने की जानकारी जरूर सामने आ रही है।

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