शनिवार, 13 जून 2020

भूकंपः कई पहलुओं पर शोध जारी

संजीव गुप्ता

नई दिल्ली। पिछले 2 महीने के दौरान दिल्ली-एनसीआर में बार-बार आ रहे भूकंपों की एक बड़ी वजह धरती की सूखती कोख भी है। भूजल स्तर में लगातार आ रही गिरावट से धरती के भीतर स्थित फाल्ट लाइनों का लोड असंतुलित हो रहा है। हालांकि अध्ययन अभी लगातार जारी है। इसके अन्य पहलुओं पर भी शोध चल रही है।

फाल्ट लाइन की एडजस्टमेंट के कारण भी आता है बार-बार भूकंप

गौरतलब है कि धरती का वजूद सात टेक्टोनिक प्लेटों पर टिका है। ये प्लेटें जब आपस में टकराती हैं या धरती के गर्भ में कुछ हलचल होती है तो हमें भूकंप का एहसास होता है। भारत जिस प्लेट पर टिका है उसे इंडो आस्ट्रेलियन प्लेट कहते हैं। बहुत बार भूकंप की वजह इस प्लेट का यूरेशियन प्लेट से टकराना होती है तो बहुत बार भूकंप फाल्ट लाइन की एडजस्टमेंट के कारण भी आता है।

फॉल्ट लाइन ही रहा है भूकंपों की वजह

दिल्ली -एनसीआर के अधिकेंद्र वाले भूकंपों की प्रमुख वजह आमतौर पर फाल्ट लाइन ही रही है। जानकारी के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में जमीन के नीचे मुख्यतया पांच लाइन दिल्ली-मुरादाबाद, दिल्ली-मथुरा, महेंद्रगढ़-देहरादून, दिल्ली सरगौधा रिज और दिल्ली- हरिद्वार रिज मौजूद है। लॉकडाउन के दौरान आए भूकंपों का अधिकेंद्र इन फाल्ट-लाइन लाइनों के आसपास ही रहा।

भूजल के गिरते स्तर से हो रहा फाल्ट लाइनों का लोड असंतुलित

केंद्र सरकार के निर्देश पर हैदराबाद स्थित राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (National Geophysical Research Institute) इस दिशा में शोध कर रहा है। प्राथमिक स्तर पर इन भूकंपों की एक वजह भूजल का गिरता स्तर भी सामने आ रहा है। भू वैज्ञानिकों के अनुसार भूजल को धरती के भीतर लोड (भार) के रूप में देखा जाता है। यह लोड फाल्ट लाइनों के संतुलन को बरकरार रखने में मददगार होता है। भूजल के गिरते स्तर से फाल्ट लाइनों का लोड असंतुलित हो रहा है, इसीलिए पिछले दिनों आए भूकंपों की गहराई भी धरती के भीतर अधिकतम 18-20 किलोमीटर तक यानी उस दायरे में रही, जहां अब भूजल नहीं मिलता। दूसरी तरफ एनजीआरआइ के भू वैज्ञानिकों ने उन सभी अनुमानों और आंकलनों को भी भ्रामक करार दिया है जो इन छोटे भूकंपों को किसी बड़्रे भूकंप की आशंका से जोड़ रहे हैं। उनका तर्क है कि पूर्व में ऐसा कोई रिकाॅर्ड नहीं है।

भूकंप मापने का नेटवर्क बढ़ा

इन भू वैज्ञानिकों का यह भी कहना है रिक्टर स्केल पर तीन से चार तक की तीव्रता वाले छोटे भूकंप पहले भी आते रहे हैं, लेकिन इनकी निगरानी नहीं हो पाती थी। वहीं, अब दिल्ली एनसीआर में भूकंप मापने का नेटवर्क विस्तार पा रहा है, इसीलिए एक दो तीव्रता वाले भूकंप भी रिकॉर्ड हो रहे हैं।

भूकंप की अन्य वजहों की पड़ताल जारी

डॉ. विनीत के. गहलोत (मुख्य वैज्ञानिक, एनजीआरआइ) का कहना है कि दिल्ली एनसीआर के भूकंपों को लेकर अध्ययन चल रहा है। भूजल का गिरता स्तर भी एक वजह सामने आ रही है। अन्य कारणों की पड़ताल जारी है। हालांकि इस तरह के शोधपरक अध्ययन में चूंकि वक्त लगता है, लिहाजा निष्कर्ष के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा।

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