शनिवार, 20 जुलाई 2019

ई टेंडरिंग में शर्त बदलने का नायाब तरीका


जैसा ठेकेदार ने कहा, वैसा अजमेर नगर निगम के अफसरों ने कर दिया।
प्रक्रियाधीन ई-टेंडर में शर्त बदलने का नायाब उदाहरण।
आना सागर में बंद पड़ा है नावों का संचालन।
विलम्ब से 43 लाख का नुकसान।
ठेके की प्रक्रिया नियमों के अनुरूप है-आयुक्त चिन्मयी गोपाल।



अजमेर ! सरकार ने ई-टेंडर की प्रक्रिया इसलिए शुरू की थी कि पारदर्शिता बनी रहे और कोई भी अधिकारी टेंडर जारी होने के बाद संशोधन नहीं कर सके। लेकिन अजमेर के आनासागर में नावों के संचालन के ई-टेंडर में ठेकेदार के सुझावों के अनुरूप संशोधन करने का मामला उजागर हुआ है। सवाल उठता है कि जब ठेकेदार के कहने से संशोधन किए गए तो फिर टेंडर जारी करने वाले अधिकारियों की योग्यता का क्या होगा? क्या निगम के अधिकारियों से ज्यादा योग्य नाव चलाने वाला ठेकेदार है? ऐसा है तो फिर पहले ठेकेदार को दिखाकर टेंडर जारी किया जाना चाहिए। निगम के रिकाॅर्ड के अनुसार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत आनासागर में वाटर स्पोटर्स के लिए 11 जून 2019 को ई-टेंडर जारी किया गया। यह टेंडर 26 जून को खुलना था, लेकिन 20 जून को उदयपुर की वाटर स्पोटर्स फर्म यश एम्युजमेंट की ओर से निगम की आयुक्त सुश्री चिन्मयी गोपाल को एक पत्र लिखा गया। इस पत्र में कई सुझाव दिए और कहा गया कि यदि टेंडर की शर्तों में बदलाव किया जाता है तो वाटर स्पोटर्स के क्षेत्र में अनुभवी यश एम्युजमेंट फर्म भी भाग ले सकती है। आमतौर पर ऐसा कम ही होता है कि टेंडर जारी होने के बाद किसी ठेकेदार के सुझाव पर अमल करते हुए संशोधन किया जाए। 20 जून को निगम आयुक्त को ठेकेदार का पत्र मिला और 22 जून को ई-टेंडर को संशोधित कर दिया गया। यश एम्युजमेंट के सुझाव के मुताबिक ठेका अवधि को दो वर्ष से बढ़ा कर तीन वर्ष कर दिया गया। ठेकेदार के अनुरूप ठेका राशि वर्ष भर में चार किश्तों में जमा कराने की छूट भी दी गई। मोटर बोट, स्पीड बोट, वाटर स्कूटर आदि को चलाने के आरटीओ का तीन वर्ष का लाइसेंस टेंडर खुलने के बाद 15 दिन में जमा कराने की छूट दी गई, जबकि पूर्व में ऐसे लाइसेंस तकनीकी निविदा के साथ ही जमा करवाने थे। इसके अलावा ठेकेदार के अन्य सुझावों के अनुरूप टेंडर में संशोधन किए गए। चूंकि यश एम्युजमेंट फर्म के अनुरूप संशोधन हो गया था, इसलिए आनासागर में वाटर स्पोटर्स को ठेका भी यश एम्युजमेंट को मिल गया।
टापू की नावें चलती रहेंगीः
आनासागर के बीचों बीच टापू बना हुआ है और इस पर एक रेस्टोरेंट भी चल रहा है। आनासागर की जेटी से टापू तक दो नावें पहले की तरह चलती रहेंगी। हालांकि यश एम्युजमेंट के सुझाव पर दो नावों के संचालन को बंद कर दिया गया, लेकिन बाद में इन नावों को चलाए रखने का निर्णय लिया गया।
डिप्टी मेयर का भी दखलः
आनासागर वाटर स्पोटर्स के ठेके की प्रक्रिया में डिप्टी मेयर सम्पत सांखला का दखल भी सामने आया है। सांखला ने 28 जून को आयुक्त को पत्र लिखकर आग्रह किया कि ई-टेंडर की एक प्रक्रिया को सप्ताह के लिए बढ़ा दिया जाए, ताकि देश-विदेश की फर्मे भी भाग ले सके। डिप्टी मेयर की सलाह पर ही टेंडर को 5 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया गया, जबकि यह टेंडर 1 जुलाई को ही खुलना था। हालांकि पूर्व में भी एक बार टेंडर की अवधि बढ़ा दी गई थी। यानि सांखला ने दूसरी बार अवधि बढ़वाई। सांखला ने माना कि आयुक्त को लिखे पत्र पर मेरे असली हस्ताक्षर नहीं है, क्योंकि 28 जून को मैं मुम्बई में था, लेकिन पत्र में मेरे हस्ताक्षर मेरी सहमति से किए गए हैं। मैंने निगम के हित में पत्र लिखा।
अब तक 43 लाख रुपए का नुकसानः
आनासागर में वाटर स्पोटर्स के लिए तीन फर्मों ने आवेदन किया, लेकिन अधिक राशि और तकनीकी मापदंडो पर खरा उतरने के लिए उदयपुर की यश एम्युजमेंट को कार्यादेश दिया गया। यह फर्म आनासागर में विभिन्न प्रकार के 34 मोटर वाहन चलाने की एवज में प्रति वर्ष एक करोड़ 60 लाख रुपए का भुगतान निगम को करेगी। जानकार सूत्रों के अनुसार पूर्व ठेका अवधि 31 मार्च 2019 को समाप्त हो रही थी, ऐसे में निगम को 31 मार्च से पहले वाटर स्पोटर्स का ठेका कर देना चाहिए था, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही की वजह से ऐसा नहीं हो सका। यदि एक अप्रैल 2019 से एक करोड़ 60 लाख रुपए वाला ठेका हो जाता तो निगम को 43 लाख रुपए का घाटा नहीं होता है। सवाल यह भी है कि इस आर्थिक नुकसान का जिम्मेदार कौन होगा?
नावों का संचालन बंद पड़ा हैः
एक जुलाई से आनासागर में नावों का संचालन बंद पड़़ा है। पूर्व ठेकेदार ने 30 जून को ही नाव चलाने का काम बंद कर दिया। अब निगम को पूर्व ठेकेदार से भी कोई आय नहीं हो रही है। आनासागर में नाव नहीं चलने से अजमेर आने वाले पर्यटक भी मायूस हो रहे हैं। वहीं यश एम्युजमेंट के साझेदार लक्ष्मीनारायण चैधरी ने बताया कि कार्यादेश मिलने के बाद 25 प्रतिशत राशि निगम के कोष में जमा करा दी गई है। चूंकि आनासागर में महंगे और आधुनिक वाहन चलेंगे इसलिए कुछ समय लग रहा है। लेकिन फर्म का प्रयास है कि जल्द से जल्द वाटर स्पोटर्स की गतिविधियां अजमेर में शुरू हो जाएं।
नियमों के तहत हुआ संशोधन-आयुक्तः
निगम की आयुक्त चिन्मयी गोपाल ने माना कि एम्युजमेंट फर्म की ओर से कुछ सुझाव निगम को प्राप्त हुए थे, इन सुझावों के अनुरूप ही 22 जून 2019 को टेंडर की शर्तों में संशोधन किया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार के नियमों के अंतर्गत मुझे टेंडर को संशोधन करने का अधिकार है। मैंने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए ही टेंडर की शर्तों में बदलाव किया है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। पूर्व में निगम ने जो ठेका मात्र 55 लाख रुपए में दे रखा था उसे अब एक करोड़ 60 लाख रुपए प्रतिवर्ष के हिसाब दिया गया है। ऐसे में निगम को नुकसान के बजाए लाभ हुआ है। जहां तक टेंडर की प्रक्रिया में विलम्ब का सवाल है तो लोकसभा चुनाव की आचार संहित के मद्देनजर निर्णय लिए गए थे। उन्होंने कहा कि वाटर स्पोर्ट की गतिविधियां शुरू होने से अजमेर में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है जो सरकार के नियमों के विपरीत हो।
एस.पी.मित्तल


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