मंगलवार, 19 अप्रैल 2022
भारत: 24 घंटे में कोरोना के 1,247 नए मामलें
काबुल के स्कूलों में 3 ब्लास्ट, 25 छात्रों की मौंत
काबुल के स्कूलों में 3 ब्लास्ट, 25 छात्रों की मौंत
सुनील श्रीवास्तव
काबुल। अफगानिस्तान में आतंकवादियों ने स्कूलों को निशाना बनाया है। काबुल में मंगलवार को स्कूलों में 3 ब्लास्ट हुए। एक स्कूल में फिदायीन हमलावर ने खुद को उड़ा लिया। रिपोर्ट के मुताबिक, इन धमाकों में अब तक 25 स्कूली छात्रों की मौत हुई है। दर्जनों घायल बताए जा रहे हैं। ब्लास्ट तब हुए जब बच्चे स्कूल के बाहर खड़े थे। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में 6 बच्चों की मौत और कई लोगों के घायल होने की खबर है।
पहला धमाका राजधानी के मुमताज एजुकेशनल सेंटर के पास हुआ। ये धमाके 20 से 25 मिनट के अंतर से हुए। इसके थोड़ी देर बाद ही दूसरा धमाका अब्दुरहीम शाहिद हाई स्कूल में हुआ जब बच्चे क्लास अटेंड करके बाहर आ रहे थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बच्चे स्कूल से बाहर जा रहे थे, तभी ब्लास्ट हुआ। जानकारी के मुताबिक अभी तक किसी भी आतंकवादी गुट ने इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है। रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय ने धमाके की पुष्टि करते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
एलओसी से सटे हॉट स्प्रिंग में 3 मोबाइल टावर लगाए
एलओसी से सटे हॉट स्प्रिंग में 3 मोबाइल टावर लगाए
सुनील श्रीवास्तव
नई दिल्ली/बीजिंग। चीन ने एलओसी से सटे हॉट स्प्रिंग में 3 मोबाइल टावर लगाए हैं। लद्दाख के चुशुल क्षेत्र के पार्षद कोन्चोक स्तान्जिन ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी साझा की है। कोन्चोक ने कहा कि चीन सीमा के पास मोबाइल टावर बना रहा है, यह भारत के लिए अच्छी खबर नहीं है। चीन पहले ही भारत की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहा है। चीन इन टावर का इस्तेमाल भारतीय क्षेत्र में निगरानी के लिए कर सकता है।
चीन की इस हरकत की जानकारी अपने जानवरों को चारागाह से वापस लेकर आ रहे चरवाहों ने दी है। लद्दाख स्वायत्त परिषद में चुशूल सीमा का प्रतिनिधित्व करने वाले नॉचोक स्तानजिन ने बताया कि इतने सुदूर इलाके में चीन का मोबाइल टावर लगाना भारत के सीमाई इलाकों के गांव में कमजोर कम्युनिकेशन को दर्शाता है। गौरतलब है कि चीन ने हाल ही में पैंगोंग में भारतीय सेना के खुर्नाक पोस्ट से 20 किलोमीटर दूर 400 मीटर लंबा और 8 मीटर चौड़ा एक पुल बनाया है। ये चुशूल सब सेक्टर के दक्षिणी किनारे पर स्थित है।
'ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन' का उद्घाटन
'ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन' का उद्घाटन
इकबाल अंसारी
गांधीनगर। गुजरात के तीन दिवसीय दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को जामनगर में डब्ल्यूएचओ के ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (GSTM) का उद्घाटन किया है। इस दौरान डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डाक्टर टेड्रोस एडनाम घेब्रेयसस और मारीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ उपस्थित रहे। मंगलवार के इस कार्यक्रम में नेपाल, बांग्लादेश, भूटान प्रधानमंत्रियाें ने वर्चुअल रूप से हिस्सा लिया है। आज के इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धति सिर्फ इलाज तक सीमित नहीं रही है, बल्कि ये जीवन के एक समग्र विज्ञान की तरह है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के जामनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीएसटीएम) की आधारशिला रख दी। यह सेंटर दुनिया में अपने तरह का इकलौता होगा। यही कारण है कि इसे दुनियाभर के बड़े विशेषज्ञ गेम चेंजर बता रहे हैं। भारत में सदियों से पारंपरिक चिकित्सा प्रचलित है। छोटी-बड़ी हर बीमारी में लोग पारंपरिक औषधियों और घरेलू नुस्खों का खूब प्रयोग करते हैं। यहां तक की कोरोनाकाल के दौरान भी वैज्ञानिक तरीके से पारंपरिक जड़ी-बूटियों और नुस्खों का लोगों ने इस्तेमाल किया। इसका उन्हें फायदा भी हुआ।अब इसी पारंपरिक औषधियों और नुस्खों को दुनिया के सामने रखा जाएगा। जामनगर में स्थापित हो रहे इस केंद्र में पारंपरिक औषधियों को वैज्ञानिक तरीके से बेहतर बनाने का काम होगा। दुनिया के अन्य देशों को भी इसका फायदा दिलाया जाएगा। ऐसा नहीं है कि इसमें केवल आयुर्वेदिक औषधियों पर ही काम होगा। बल्कि एक्वाप्रेशर, औषधीय गुणों वाले खान-पान पर भी काम होगा।
'एमसीएलआर' में 10 आधार अंकों की बढ़ोतरी
राष्ट्रपति राजपक्षे ने नई कैबिनेट का चुनाव किया
श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश में एक बार फिर से अपनी नई कैबिनेट का चुनाव कर लिया है। इसी महीने की शुरूआत में आर्थिक बदहाली से जूझ रहे श्रीलंका में जब विरोध प्रदर्शन शुरू हुए, तो देश की सरकार के सभी कैनिबेन सदस्यों ने अपने अपने पद थोड़ दिए थे, लेकिन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जमे हुए हैं। वहीं, मंगलवार को राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने 17 नए कैबिनेट मंत्रियों को शपथ दिलाई है। हालांकि, इस बार जिस कैबिनेट का गठन किया गया है, उसमें राजपक्षे परिवार का कोई सदस्य नहीं है, जबकि, पिछली परिवार में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मिलाकर राजपक्षे परिवार के सात सदस्य सरकार में शामिल थे।
श्रीलंका की आर्थिक स्थिति काफी ज्यादा बदहाल हो चुकी है और पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं, जिसकी वजह से एक अप्रैल को पूरे श्रीलंका में आपातकाल का ऐलान कर दिया गया था। हालांकि, बाद में सरकार ने आपातकाल को हटा लिया। वहीं, 3 अप्रैल को पूरे श्रीलंकाई कैबिनेट ने बड़े पैमाने पर विरोध के मद्देनजर इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया और वो अपने पद पर अभी भी बने हुए हैं। 1948 में देश को आजादी मिलने के बाद से श्रीलंका सबसे खराब माने जाने वाले आर्थिक संकट की चपेट में है। ऊर्जा की कमी के कारण, श्रीलंका के कुछ हिस्सों में ब्लैकआउट चल रहा है। श्रीलंका का विदेशी कर्ज 51 अरब डॉलर होने का अनुमान है।
रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे संविधान में संशोधन के लिए कैबिनेट के सामने अपना प्रस्ताव रखेंगे। माना जा रहा है, कि इस प्रस्ताव के जरिए प्रधानमंत्री अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को कुचलना चाहते हैं। लेकिन, प्रधानमंत्री का कहना है, कि उन्होंने ये फैसला लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेह तय करने बात को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया है। सिन्हुआ ने प्रधानमंत्री की मीडिया इकाई के हवाले से बताया कि, प्रस्तावित संवैधानिक संशोधन में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका में बदलाव किया जाएगा। श्रीलंका में इस वक्त जो प्रदर्शन किए जा रहे हैं, उसमें एक डिमांड यह भी है, कि संविधानिक संशोधन के जरिए कार्यपालिका की शक्ति को कम किया जाए।
वहीं, श्रीलंका में आर्थिक स्थिति के जल्द सुधरने के कोई संकेत भी नहीं दिखाई दे रहे हैं, लिहाजा अब सरकार के खिलाफ गुस्सा काफी ज्यादा बढ़ गया है और डर इस बात को लेकर है, कि कहीं देश में गृहयुद्ध ना शुरू हो जाए। प्रदर्शनकारियों और देश के राष्ट्रपति के बीच आरपार की लड़ाई शुरू हो गई है और राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है, जबकि प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति से तत्काल इस्तीफे की मांग की है।
वहीं, श्रीलंकाई नागरिकों ने राष्ट्रपति भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सभी प्रदर्शनकारियों को चरमपंथी घोषित कर दिया है और सैकड़ों प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जिनमें एक विश्वविद्यालय के प्रमुख भी हैं। छात्र, किसान और न्यायपालिका के सदस्य सभी राजपक्षे और उनके परिवार के विरोध में शामिल हुए और “अब और राजपक्षे नहीं” के नारे लगाए। सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ गुस्से की बाढ़ को देखकर सरकार ने इंटरनेट को ही बंद कर दिया है, जिससे प्रदर्शनकारियों में गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया है।
वहीींं, रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोगों के विरोध प्रदर्शन की डर से राजपक्षे परिवार के कई सदस्य और फाइनेंसर श्रीलंका छोड़कर फरार हो चुके हैं। वहीं, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि, राष्ट्रपति इस्तीफा दें और तत्काल देश में चुनाव करवाएं जाएं और अगर ऐसा नहीं किया गया, तो देश में अराजकता की स्थिति आएगी। वहीं, देश में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए ज्यादातर सांसद सरकार में शामिल नहीं होना चाह रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री संविधान में संशोधन कर लोगों से प्रदर्शन करने का अधिकार ही छीनने की कोशिश करने वाले हैं और अगर प्रधानमंत्री ऐसा करते हैं, तो फिर श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों का गुस्सा और बढ़ना तय माना जा रहा है।
संक्रमण के मामलों में वृद्धि, चौथी लहर का संकेत नहीं
इंडस्ट्री में एंट्री के लिए तैयार, एक्ट्रेस श्वेता की बेटी
अपनी उपासना पद्धति को मानने की पूरी 'स्वतंत्रता'
3 आईएएस अफसरों को पीएम अवार्ड के लिए चुना
राज्य सरकारों को निर्देशित करने की मांग, ज्ञापन
पिकअप पलटने से 2 महिला सहित 10 की मौंत
'संविधान' का रक्षक इंडिया समूह, भक्षक भाजपा
'संविधान' का रक्षक इंडिया समूह, भक्षक भाजपा संदीप मिश्र शाहजहांपुर। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा कि मौजूदा...
-
महर्षि कश्यप के पुत्र पक्षीराज गरुड़ को भगवान विष्णु का वाहन कहा गया है। एक बार गरुड़ ने भगवान विष्णु से मृत्यु के बाद प्राणियों की स्थिति, ...
-
55 साल की उम्र में भी बरकरार है खूबसूरती कविता गर्ग मुंबई। 55 की उम्र में भी यह हसीना बेहद खूबसूरत दिखती है, और मलाइका की हॉटनेस उसकी ...
-
वर्षा: पानी में डूबी दिल्ली, बाढ़ के हालात बनें इकबाल अंसारी नई दिल्ली। इन दिनों उत्तर भारत में हो रही भारी बारिश ने कहर बर...