मंगलवार, 12 अक्तूबर 2021
13 से 7 नवंबर तक छुट्टी स्थगित करने के आदेश
हिंसा मामले को रंग देने की कोशिश कर रहीं भाजपा
अकांशु उपाध्याय
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा है कि कांग्रेस वोट की खातिर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को सियासी रंग देने की कोशिश कर रही है। जबकि कांग्रेस शासित राजस्थान में दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर वह खामोश है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने मंगलवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा,"कुछ देर पहले हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के 28वें स्थापना दिवस पर सुना है। प्रधानमंत्री ने बड़ी गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ पूरे विषय को रखने का काम किया। उन्होंने कहा है कि मानवाधिकार का बहुत ज्यादा हनन तब होता है जब उसे राजनीतिक रंग से देखा जाता है। राजनीतिक चश्मे से देखा जाता है। राजनीतिक नफा-नुकसान के तराजू से तौला जाता है। इस तरह का व्यवहार, लोकतंत्र के लिए भी उतना ही नुकसानदायक होता है।"
बिहार के सबसे बड़े घोटाले का खुलासा किया: अमित
अविनाश श्रीवास्तव
पटना। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अमित खरे ने बिहार के सबसे बड़े घोटाले का खुलासा कर देश की सियासत में तूफान ला दिया था। चाइबासा के उपायुक्त के रूप में अमित खरे ने पशुपालन विभाग में वित्तीय अनियमितता का मामला पकड़ा था और एक बड़े घोटाले की आशंका व्यक्त की थी। इस समाचार को सबसे पहले प्रभात खबर ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था। 1985 बैच के अमित खरे चाइबासा के अलावा पटना, दरभंगा के जिलाधिकारी रहे और उन्होंने बिहार में मेडिकल और इंजीनियरिंग की परीक्षा कंबाइंड करा कर मेधा घोटाला को रोका था। 1993-94 में उन्होंने पश्चिम सिंहभूम जिले के तत्कालीन उपायुक्त रहते हुए चाईबासा कोषागार से 34 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध निकासी को उजागर किया था और इसकी प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया था।
जब इस मामले की जांच शुरू हुई तो पशुओं के चारा मद में 950 करोड़ का घोटाला उजागर हुआ। सरकारी खजाने की इस चोरी में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र और अन्य ताकतवर लोगों पर आरोप पत्र दाखिल हुआ। इस घोटाले के कारण लालू प्रसाद को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और जेल की सजा हुई। इस पूरे प्रकरण में अमित खरे की भूमिका बेहद अहम रही। इस वजह से उन्हें कुछ दिनों तक तत्कालीन शासन का कोपभाजन भी बनना पड़ा था, लेकिन वे अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहे। उनकी पत्नी निधि खरे फिलहाल केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में अपर सचिव के पद पर तैनात हैं।
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