गुरुवार, 19 अगस्त 2021

यूपी: कर्मचारियों के मानदेय पर कर सकतें हैं ऐलान

हरिओम उपाध्याय        

लखनऊ। उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य के 12 लाख कर्मचारियों को जल्द ही बड़ी खुशखबरी दे सकती है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य के 12 लाख से ज्यादा मानदेय कर्मचारियों के मानदेय बढ़ोत्तरी को लेकर अहम ऐलान कर सकते हैं। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि राज्य सरकार कर्मचारियों के मानदेय में 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है। हालांकि इस बात को लेकर संशय है कि किस पद पर कितने मानदेय में बढ़ोतरी की जाएगी।

गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने बजट में जिक्र किया था कि मानदेय कर्मचारियों के पदनाम और मानदेय बढ़ाया जाएगा। हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आंगनबाड़ी, शिक्षा मित्र, अनुदेशक, रोजगार सेवक, आशा संगिनी, रसोइयों, पीआरडी जवान और चौकीदारों के मानदेय में सरकार कितनी बढ़ोत्तरी करेगी। मानदेय राशि में 10 से 20 फीसदी तक की बढ़ोत्तरी सरकार की जा सकती है।

राज्य में भविष्य निधि को जोड़ने के बाद रोजगार सेवक का मानदेय अभी 7500 रुपए महीने बनता है। जिसे अब बढ़ाकर 1000 रुपए किया जा सकता है। वहीं दूसरे पदों पर मानदेय में भी 10 से 20 फीसदी तक बढ़ोत्तरी की जा सकती है।

अफगानिस्तान छोड़कर भागे राष्ट्रपति ने तोड़ीं चुप्पी

काबुल। काबुल पर कब्जे के बाद अफगानिस्तान छोड़कर भागे राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। अशरफ गनी ने फेसबुक पर वीडियो पोस्ट के जरिए अफगानिस्तान से भागने के अपने फैसले पर सफाई दी है। साथ ही उन्होंने उन आरोपों पर भी जवाब दिया है।जिसमें कहा गया है कि गनी ने चार कार और हेलीकॉप्टर में भरे पैसों के साथ अफगानिस्तान छोड़ा है।अशरफ गनी ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि पैसों के साथ उनके अफगानिस्तान छोड़ने की बात सरासर गलत है। गनी ने कहा कि तालिबान के कब्जे के बाद अगर वे काबुल में रहते तो कत्लेआम मच जाता। उन्होंने उसे रोकने के लिए भागने का फैसला किया। 
बता दें कि बुधवार को ये जानकारी सामने आई कि गनी यूएई में हैं।
जूते बदलने का भी मौका नहीं था। गनी अशरफ गनी ने वीडियो में कहा कि उनके पास काबुल छोड़ते समय जूते बदलने तक का समय नहीं था। गनी ने कहा कि राष्ट्रपति भवन में रविवार को जो वे सैंडल्स पहने हुए थे, वे उसमें ही काबुल छोड़ने को मजबूर हुए।गनी ने कहा,आप बिल्कुल भरोसा मत कीजिए भले ही जो भी ये कहे कि आपके राष्ट्रपति ने आपको बेच दिया और अपने फायदे और अपनी जान बचाने के लिए भागा। ये आरोप सरासर गलत हैं। मैं इन्हें खारिज करता हूं। बकौल गनी, मैं अफगानिस्तान से निष्कासित होने के लिए ऐसे मजबूर हुआ कि मेरे पास अपने चप्पल बदलकर जूते पहनने का भी समय नहीं था। निष्कासित हूं भागा नहीं हूं। गनी: अशरफ गनी ने कहा कि उनका दुबई में निर्वासन में रहने का कोई इरादा नहीं है और घर लौटने के लिए बातचीत कर रहे हैं। गनी ने कहा कि उन्हें अफगानिस्तान से निकाला गया है और अगर वह काबुल में रहते तो उन्हें फांसी पर लटका दिया जाता। गनी ने कहा, अगर मैं वहां रहता, तो अफगानिस्तान के एक निर्वाचित राष्ट्रपति को अफगानों की आंखों के सामने फिर से फांसी दी जाती। गनी ने साथ ही कहा कि तालिबान ने काबुल में प्रवेश नहीं करने के समझौते के बावजूद ऐसा किया है। उन्होंने कहा कि हालांकि वह सत्ता के शांतिपूर्ण परिवर्तन के पक्ष में थे।
लेकिन उन्हें अफगानिस्तान से निकाल दिया गया। उन्होंने कहा कि वह तालिबान और पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और वरिष्ठ अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला के बीच वार्ता का समर्थन करते हैं और चाहते हैं कि इस प्रक्रिया में सफलता हासिल हो। इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने बुधवार देर शाम कहा कि उसने अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके परिवार को ‘मानवीय आधार’ पर स्वीकार कर लिया है। हालांकि यह नहीं बताया गया है कि गनी देश में कहां हैं।"

भर्ती: ड्राइवर की नौकरी के लिए बेहतरीन मौका

अकांशु उपाध्याय        

नई दिल्ली। ड्राइवर के पदों पर भर्ती का इंतजार कर रहे युवाओं के लिए अच्छी खबर। अगर आप 10 पास हैं और ड्राइवर की नौकरी करना चाहते हैं तो आपके पास बेहतरीन मौका है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी स्टाफ कार ड्राइवर रिक्ति 2021 के पद के लिए आवेदन आमंत्रित करता है। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार जो इन पदों के लिए सभी पात्रता मापदण्डों को पूरा करते हैं और इन पदों के लिए आवेदन करने की इच्छा रखते हैं। उनसे अनुरोध है कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के इन पदों पर आवेदन करने से पहले विभाग द्वारा जारी की गई अधिसूचना से सारी जानकारी ध्यान पूर्वक पढने के बाद ही अपनी योग्यता के अनुसार आवेदन करें। नोटिफिकेशन का लिंक नीचे दिया गया है।

इन पदों के लिए उम्मीदवार 14-09-2021 तक आवेदन कर सकते हैं। इन पदों पर आवेदन करने वाले उम्मीदवार की शेक्षणिक योग्यता 10वीं पास होना चाहिए। उम्म्मीदवार के पास मान्य ड्राइविंग लाइसेंस होना जरूरी है। इसके साथ 3 साल का अनुभव भी होना आवश्यक है। इन पदों पर आवेदन की पूरी जानकारी जैसे आयु सीमा, आवेदन शुल्क, चयन प्रक्रिया व आधिकारिक नोटिस की जानकारी व आवेदन करने के लिए कृपया नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

हत्याकांड में 10 अभियुक्तों को आजीवन कारावास

हरिओम उपाध्याय           

बाराबंकी। उत्तर प्रदेश में बाराबंकी की एक अदालत ने एक बहुचर्चित हत्याकांड में नामज़द 10 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई और सभी पर अलग अलग धाराओं में 61000 रुपये का अर्थदंड भी लगाया। शासकीय अधिवक्ता मथुरा प्रसाद वर्मा एवं अमित अवस्थी ने बताया कि पांच मार्च 2015 को मृतक कमरुद्दीनपुर उर्फ कमरू पत्नी बुशरा व डेढ़ साल के बच्चे के साथ मोटरसाइकिल से ससुराल से वापस अपने घर आ रहा था कि गांव में ही पुरानी मस्जिद के पास पहले से घात लगा कर बैठे इजहार , सिराज,मोहम्मद अहमद उर्फ मम्मन पुत्र मोबीन,तथा एहतेशाम, इमरान, मोफीत, मोहम्मद ज़ैद,इशराक, रिज़वान और मोहम्मद इसराक ने उसे रोक लिया और तमंचे से फायर किया। बाद में अभियुक्तों ने उसको चाकू, छुरी और तमंचे से कई वार करके बुरी तरह से घायल कर दिया। इसी बीच उसकी पत्नी अपने दुधमुंहे बच्चे को छोड़कर चिल्लाते हुए कमरू को बचाने के लिए उसके ऊपर लेट गई।

3 स्टारकिड्स खुशी कपूर के बॉलीवुड डेब्यू की चर्चा

कविता गर्ग      

मुंबई। सुहाना खान, इब्राहिम अली खान और तीन स्टारकिड्स खुशी कपूर के बॉलीवुड डेब्यू की चर्चा काफी समय से हो रही है। हर कुछ दिनों में कोई न कोई शाहरुख की बेटी सुहाना, सैफ के बेटे इब्राहिम और दिवंगत के साथ एक फिल्म लेकर आता। श्रीदेवी की बेटी खुशी का नाम जुड़ा है। अब चर्चा है कि ये तीनों स्टारकिड्स अलग-अलग फिल्मों में नहीं बल्कि एक ही फिल्म में एक साथ डेब्यू करने जा रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जोया अख्तर की फिल्म में तीनों एक साथ नजर आ सकते हैं।

तीनों की शुरुआत लंबे समय से शहर में चर्चा का विषय रही है और यह अनुमान लगाया गया है कि सुहाना, इब्राहिम और खुशी करण जौहर की अलग-अलग फिल्मों के साथ बॉलीवुड में अपनी शुरुआत करेंगे। लेकिन अब रिपोर्ट्स की मानें तो करण जौहर नहीं जोया अख्तर बॉलीवुड में ग्रैंड लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। जोया अख्तर ने अंतरराष्ट्रीय कॉमिक बुक ‘आर्ची’ को भारत में अपनाने के लिए तीन नामों को अंतिम रूप दिया है। इसमें सुहा के अलावा इब्राहिम अली खान और खुशी कपूर भी शामिल हैं। प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, सुहा देसी बेट्टी की भूमिका में नजर आएंगी जबकि खुर्शी कपूर वेरोनिका की भूमिका में नजर आएंगी।
मीडिया रिपोर्ट्स ने सूत्रों के हवाले से बताया कि नेटफ्लिक्स पर प्रसारित होने वाले प्रोजेक्ट का विवरण फिलहाल गुप्त रखा गया है। कहा जा रहा है कि जोया फिल्म में आर्ची के रोल में सैफ अली खान और अमृता सिंह के बेटे इब्राहिम को कास्ट करेंगी. हालांकि अभी इन तीनों स्टारकिड्स की कास्टिंग का आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है।

आर्ची एक अंतरराष्ट्रीय हास्य पुस्तक श्रृंखला है। जिसका इंडियन वर्जन जोया अख्तर तैयार कर रही है। इस कॉमिक की कहानी लव ट्राएंगल पर आधारित है। आर्ची एक छोटे शहर का किशोर लड़का है और अपने माता-पिता की इकलौती संतान है। आर्ची को एक अमीर पिता की बेटी वेरोनिका से प्यार हो जाता है, लेकिन वह बेट्टी से भी प्यार करता है। आर्ची, बेट्टी और वेरोनिका की कॉमिक बुक के कई हिस्से हैं।

जीवन की सबसे ज्यादा बड़ी जरूरत बना समार्टफोन

अकांशु उपाध्याय       

नई दिल्ली। स्मार्टफोन आज के जीवन की सबसे बड़ी जरूरतों में से एक बन गया है। हमारे अधिकांश काम अब स्मार्टफोन पर ही पूरे होते हैं। शायद यही वजह है कि लोग अपना अधिकांश समय स्मार्टफोन पर ही बिताते हैं। यूं तो स्मार्टफोन का ख्याल सभी रखते हैं। लेकिन फिर भी कुछ ऐसी गलतियां हैं। जो स्मार्टफोन का इस्तेमाल कर रहे लोग अक्सर करते है। कई स्मार्टफोन यूजर्स इन गलतियों को बार-बार दोहराते हैं। जिनका असर स्मार्टफोन पर पड़ता है, आज बात करते हैं। इन्हीं गलतियों की जो किसी भी स्मार्टफोन को खराब कर सकती हैं। मोबाइल में वाई-फाई, जीपीएस और ब्लूटूथ जैसे कनेक्टिविटी फीचर्स काम खत्म हो जाने के बाद जरूर बंद कर दें। इसकी वजह से बैटरी की खपत बढ़ जाती है। इन फीचर्स को बंद कर देने से फोन के प्रोसेसर की स्पीड भी बढ़ जाती है।

कैंसर को रोकने के लिए देसी इलाज की राह निकलीं

गुटखा और तंबाकू से होने वाले मुख कैंसर को रोकने के लिए अब देसी इलाज की राह निकल आई है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दंत विान संकाय के डीन प्रो. टीपी चतुर्वेदी ने शोध के बाद पाया कि तुलसी और हल्दी से मुंह में होने वाले इस जटिल रोग का सटीक इलाज संभव है। यूं तो हम हल्दी और तुलसी के प्राकृतिक गुणों से पहले से ही परिचित हैं। अब इन दोनों की इसी विशिष्टता का उपयोग ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस डिसीज जो आगे चलकर मुख कैंसर बन जाता है और इलाज हेतु भी किया जा सकेगा।

करीब एक वर्ष तक चले प्रो. चतुर्वेदी की टीम के शोध को डेंटल कौंसिल ऑफ इंडिया पहले ही मान्यता प्रदान कर चुकी है। मार्च 2013 में बीएचयू ने भी चिकित्सकों की देखरेख में इस पद्धति से उपचार करने की अनुमति प्रदान कर दी। सर सुंदरलाल अस्पताल में हल्दी और तुलसी के संयोग से बनी औषधि से उपचार हो भी रहा है। मुख रोग के इलाज में तुलसी और हल्दी का अपने आप में यह पहला प्रयोग है।

कैसे होता है इलाज- प्रो. टीपी चतुर्वेदी बताते हैं कि उनकी टीम द्वारा हल्दी और तुलसी की सूखी पलियों को पीसकर पाउडर बनाया जाता है। पाउडर को ग्लिसरीन में मिलाकर मुंह की मासपेशियों पर लगाया जाता है। प्रो. चतुर्वेदी के सहयोगी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अदित बताते हैं कि पीड़ित व्यक्ति को इलाज के पूर्व गुटखा छोड़ना पड़ता है। रोग के लक्षण- गुटखा खाने से मुंह खोलने वाली मासपेशियों का लचीलापन समाप्त हो जाता है और वो कड़ी हो जाती हैं। मुंह का खुलना धीरे-धीरे कम हो जाता है और मुंह से लेकर गले तक जलन होने लगती है। जीभ के घूमने की गति भी धीमी हो जाती है। स्वाद लेने की क्षमता कम हो जाती है। लापरवाही बरतने पर यही आगे चलकर मुख कैंसर में बदल सकता है। यह धीरे-धीरे गले को भी जकड़ लेता है। प्रो. चतुर्वेदी के अनुसार भारतीय युवाओं को यह रोग सर्वाधिक होता है क्योंकि युवा ही सर्वाधिक गुटखा खाते हैं।

विदेश मंत्री जयशंकर ने लीमेट्स से मुलाकात की

वाशिंगटन डीसी/ नई दिल्ली। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बुधवार को 'यूरोप का सिलकॉन वैली कहे जाने वाले देश एस्टोनिया की अपनी समकक्ष ईवा मारिया लीमेट्स से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर विचारों का आदान-प्रदान किया। इस संबंध में विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट कर जानकारी दी है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने एस्टोनिया की अपनी समकक्ष ईवा मारिया लीमेट्स से की मुलाकात।
अपने ट्वीट में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि एस्टोनिया के एफएम लीमेट्स से मिलकर खुशी हुई। हमने यूएनएससी के सदस्यों के रूप में, समुद्री और साइबर सुरक्षा और अन्य वैश्विक मुद्दों पर एक साथ काम करने पर चर्चा की। अफगानिस्तान के विकास पर विचारों का आदान-प्रदान किया।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव गुटेरस से मिले जयशंकर।
भारत अगस्त महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है। इसी के मद्देनजर जयशंकर सुरक्षा परिषद के इस सप्ताह दो उच्च स्तरीय अहम कार्यक्रमों की अध्यक्षता के लिए सोमवार को न्यूयार्क पहुंचे हैं। मंगलवार को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस से मुलाकत कर युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा की। इसके बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस से मुलाकात कर खुशी हुई। कल हुई सुरक्षा परिषद की बैठक पर चर्चा के बाद हमारी वार्ता अफगानिस्तान पर केंद्रित रही।

सरकार ने स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला किया

हरिओम उपाध्याय         
लखनऊ। कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार गिरावट को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला किया है। प्रदेश में पांचवीं से आठवीं कक्षा तक  के स्कूलों में कक्षाओं का संचालन 23 अगस्त से किया जाएगा। वहीं पहली से पांचवीं तक की कक्षाओं का संचालन एक सितंबर से प्रस्तावित है। बेसिक शिक्षा विभाग ने बुधवार को इसका शासनादेश जारी कर दिया।
आपको बता दें कक्षाएं दो पालियों में संचालित होंगी।पहली पाली सुबह 8 बजे से दोपहर 12 बजे तक और दूसरी दोपहर 12.30 से शाम 4.30 बजे तक चलेगी।दोनों पालियों में छात्रों की संख्या 50 प्रतिशत होगी।अभिभावकों की अनुमति के बाद ही छात्र पढ़ाई के लिए स्कूल आ सकेंगे। वहीं इन दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए प्रदेश में 9वीं से 12वी तक के स्कूल सोमवार से खुल चुके हैं।

कब्जा: नागरिकों को निकालने में जुटा 'अमेरिका'

वाशिंगटन डीसी। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अपने नागरिकों को निकालने में जुटा अमेरिका।फिलहाल अपनी सेना को पूरी तरह से वापस नहीं बुलाएगा। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि अफगानिस्तान में सैनिकों की वापसी की 31 अगस्त की समयसीमा के बाद भी अमेरिकी सैनिक बने रह सकते हैं। एबीसी न्यूज को दिए इंटरव्यू में जो बाइडन ने बुधवार को कहा कि वह अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को तब तक रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जब तक कि वहां से हर अमेरिकी को नहीं निकाल लिया जाता, भले ही उन्हें वापसी के लिए उनकी 31 अगस्त की समय सीमा के बाद भी वहां सैन्य उपस्थिति बनाए रखना हो।

उन्होंने उन आलोचनाओं का भी जवाब दिया कि अमेरिका को नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने और सैनिकों की वापसी के लिए और काम करना चाहिए था। जो बाइडेन ने कहा कि समय सीमा से पहले अफगानिस्तान से अमेरिकियों और अमेरिकी सहयोगियों को निकालने के लिए अमेरिका अपनी पूरी ताकत झोंक देगा। 31 अगस्त के बाद अफगानिस्तान में अमेरिकियों को छोड़ने में तालिबान कैसे मदद करेगा, इस पर जो बाइडन ने कहा कि 31 अगस्त के बाद भी अगर अमेरिकी नागरिक बचे वहां बचे रहते हैं, तो उन सभी को बाहर निकालने तक हमारी सेना वहां रहेगी।

हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने अमेरिकी सैनिकों के वहां रहने की यह समय सीमा किस तरह से बढ़ेगी, इस बात को लेकर कोई जानकारी नहीं दी। बता दें कि बीते दिनों तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण करने के बाद से 15,000 अमेरिकी अफगानिस्तान में बचे हुए हैं। बाइडन ने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना को वापस बुलाने के लिए 31 अगस्त की समयसीमा तय की थी। यह पूछे जाने पर कि 31 अगस्त के बाद अफगानिस्तान से अमेरिकी नागरिकों को बाहर निकालने में प्रशासन कैसे मदद करेगा, इस पर राष्ट्रपति ने कहा, ”अगर कोई अमेरिकी नागरिक वहां रह जाता है तो हम तब तक वहां रुकेंगे जबकि उन्हें बाहर न निकाल लें। रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने बुधवार को कहा कि अमेरिकी सेना के पास काबुल हवाईअड्डे को सुरक्षित करने और राजधानी में बाकी जगहों पर जोखिम परिस्थितियों में रह रहे अफगान नागरिकों को बाहर निकालने के अपने मौजूदा अभियान का विस्तार करने के लिए अफगानिस्तान में बल और हथियार नहीं हैं।

तालिबान की जांच चौकियों पर देश से बाहर जाने वाले कुछ लोगों को रोके जाने की खबरों के बीच यह पूछे जाने पर कि 31 अगस्त से पहले जो लोग देश छोड़ना चाहते हैं क्या उन्हें बाहर निकाला जाएगा। इस पर ऑस्टिन ने कहा, ‘मेरे पास अभी काबुल जाने और अभियानों का विस्तार करने की क्षमता नहीं है।’ उन्होंने बताया कि विदेश मंत्रालय लोगों को बाहर निकालने की प्रक्रिया तेज करने के लिए दूतावास संबंधी मामलों के और अधिकारियों को भेज रहा है। उन्होंने कहा कि उनका मुख्य ध्यान हवाईअड्डे पर है जो कई खतरों का सामना कर रहा है और उसकी निगरानी की जानी चाहिए। रक्षा मंत्री ने बताया कि लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए तालिबान से बातचीत चल रही है। उन्होंने बताया कि हवाईअड्डे पर करीब 4,500 अमेरिकी सैनिक हैं जो विदेश मंत्रालय के लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के अभियान के लिए सुरक्षा दे रहे हैं।

अमेरिकी सेना के वरिष्ठ अधिकारी काबुल में जांच चौकियों और कर्फ्यू को लेकर तालिबानी कमांडरों से बात कर रहे हैं। जिसके कारण कई अमेरिकी और अफगान नागरिक हवाईअड्डे में प्रवेश नहीं कर पाए। पेंटागन के मुख्य प्रवक्ता जॉन किर्बी ने बताया कि 24 घंटों में 325 अमेरिकी नागरिकों समेत करीब 2,000 लोग अमेरिकी वायु सेना के सी-17 विमानों की 18 उड़ानों से विदेश रवाना हो गए।  किर्बी ने बताया कि अमेरिका के कई सैकड़ों और सैनिकों के बृहस्पतिवार तक हवाईअड्डे पर पहुंचने की संभावना है।  विदेश मंत्रालय ने बताया कि वह काबुल में लोगों को बाहर निकालने के अभियान के लिए अफगानिस्तान में अमेरिका पूर्व राजदूत जॉन बास को भेज रहा है।

प्रतिवर्ष 20 अगस्त को मनाया जाता है 'मच्छर दिवस'

वाशिंगटन डीसी। अंतर्राष्ट्रीय दिवसों की श्रृंखला में एक दिवस मच्छर दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिवस के नाम से लोग चौंकते है। मगर बिहारी सतसई का यह दोहा, देखन में छोटन लगे घाव करे गंभीर मच्छर दिवस पर सटीक बैठता है। मच्छर के डंक से जो लोग विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हुए है वे इससे भलीभांति परिचित है। वैसे मच्छर के नाम से बच्चे से बुजुर्ग तक हर आदमी जानता है क्योंकि इसके शिकार एक घर में नहीं अपितु घर घर में मिल जायेंगे।

विश्व मच्छर दिवस प्रतिवर्ष 20 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिवस चिकित्सक सर रोनाल्ड रॉस की स्मृति में मनाया जाता है। सर रोनाल्ड ने वर्ष 1897 में यह खोज की थी कि ‘मनुष्य में मलेरिया के संचरण के लिए मादा मच्छर उत्तरदायी है। यह दिवस जन साधारण को जागरूक करने के लिए मनाया जाता हैे। यह दिन लोगों को मच्छरों से होने वाली बीमारियों और उनसे कैसे बचा जाए के बारे में जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।

यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर की 40 प्रतिशत तक की जनसंख्या उन क्षेत्रों में रहती है, जहां मलेरिया होने का खतरा सबसे अधिक है। मानसून का मौसम मच्छरों को पैदा करने के मौसम के रूप में जाना जाता है। इस वजह से मानसून के मौसम में हर साल मच्छर से होने वाली बीमारियों के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं। यह मानसून का मौसम है। इन दिनों मच्छर बहुत अधिक मात्रा में पनपते है। मानसून के दिनों में हर साल मच्छरों के प्रकोप के कारण बड़ी संख्या में लोग डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया का शिकार बनते हैं। मच्छर के काटने से होने वाली अलग-अलग बीमारियों से हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है।

‘प्रवासी सलाहकार’ शब्द का इस्तेमाल किया: प्रताप

अविनाश श्रीवास्तव    

पटना। लालू परिवार में महाभारत तय लग रहा है। तेजप्रताप ने ट्वीट कर ‘प्रवासी सलाहकार’ शब्द का इस्तेमाल किया है। हालांकि उन्होंने साफ-साफ नाम लिखने से परहेज किया है। माना जा रहा है कि उन्होंने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव को टारगेट किया है। राष्ट्रीय जनता दल के नेताओं से लड़ते-झगड़ते तेजप्रताप, अब लग रहा है कि अपने भाई तेजस्वी से भी भिड़ने के मूड में आ गए हैं। दरअसल उन्होंने एक ट्वीट किया है, जिसमें ‘प्रवासी सलाहकार’ संबोधन का इस्तेमाल किया है। आमतौर पर मीडिया में ये खबरें रहती हैं कि बिहार में जब भी कोई बड़ा मुद्द होता है तो तेजस्वी यादव पटना से बाहर रहते हैं। प्रदेश के विपक्षी नेता तेजस्वी के लिए ‘प्रवासी’ शब्द का इस्तेमाल करते हैं, मगर अब तेजप्रताप ने इसे अपने ट्वीट में प्रयोग किया है।

लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने ट्वीट कर कहा कि ‘प्रवासी सलाहकार से सलाह लेने में अध्यक्ष जी ये भूल गए की पार्टी संविधान से चलता है और राजद का संविधान कहता है की बिना नोटिस दिए आप पार्टी के किसी पदाधिकारी को पदमुक्त नहीं कर सकते। आज जो हुआ वो राजद के संविधान के खिलाफ हुआ।’ दरअसल 8 अगस्त को छात्र राजद की बैठक में तेजप्रताप यादव ने जगदानंद सिंह पर तंज कसते हुए उन्हें हिटलर कहा था। इसके बाद जगदानन्द सिंह नाराज होकर दस दिनों से कार्यालय नहीं आए। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी पार्टी दफ्तर नहीं पहुंचे। राबड़ी आवास में मान-मनौव्वल चला। फिर वो मान गए, मगर आते के साथ ही सबसे पहले छात्र आरजेडी से आकाश यादव की छुट्टी की। गगन कुमार को नया अध्यक्ष नियुक्त कर दिया। आकाश यादव तेजप्रताप यादव के नजदीकी थे। इसके बाद से ही तेजप्रताप यादव नाराज हैं।

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन

'मतदाता जागरूकता' अभियान रैली का आयोजन   मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूली बच्चों ने निकाला रैली कौशाम्बी। एन डी कान...